प्रेम पर भारी तुनकमिजाजी

आजकल कुनबे, परिवार एवं घर सिकुड़ते से जा रहे हैं. जहां पहले यदि बड़े कुनबे की बहू परिवार में आती थी तो उसे अच्छा माना जाता था क्योंकि बड़ा कुनबा इस बात की पहचान होता था कि सभी रिश्तेदारों में आपसी तालमेल अच्छा है. वे सभी एकदूसरे के साथ सुखदुख में खड़े भी होते थे. यह तालमेल बैठाना कोई आसान काम नहीं होता. नाजुक रिश्तों की डोर को मजबूत करने के लिए सभी की पसंदनापसंद का खयाल रखना अति आवश्यक होता है.

यह हर किसी के बस की बात नहीं कि वह डोर की मजबूती को बरकरार रख सके. इस के लिए ईमानदारी, वाणी पर संयम, मन में भेदभाव न होना, स्वार्थ से परे होना, धैर्यवान होना अदि कई गुण बेहद जरूरी है.

कई लोग जराजरा सी बात पर नाराज हो कर बैठ जाते हैं. उन्हें बारबार मनाओ, मनुहार करो तब वे पुन: साधारण व्यवहार करने लगते हैं. लेकिन ऐसे लोगों का कुछ पता ही नहीं चलता कि वे किस बात पर कब नाराज हो जाएं. या तो लोग उन की पदप्रतिष्ठा के कारण उन के सामने  झंक कर व्यवहार करते हैं या फिर रिश्तों को निभाने की मजबूरी. लेकिन लोग उन्हें दिल से कम ही पसंद करते हैं. व्यवहार सही रखें .

ऐसे ही उदाहरण यहां पेश हैं कि कैसे तुनकमिजाजी व्यवहार के कारण रिश्तों में खटास पैदा हो गई:

अमृता का विवाह दिल्ली के सी.ए. विपिन से हुआ. उन के ब्याह में फेरों के समय जब अमृता की चचेरी बहनों ने जूते छिपाई की रस्म के समय अपने होने वाले जीजा के जूते ढूंढ़ने चाहे तो वे नहीं मिले. मालूम हुआ कि जीजा का छोटा भाई जूतों को कमरे में रखने गया है. सालियों ने सोचा कमरे में भला कैसे दाखिल हों. सो अपने भाई को भी इस में शामिल किया और उस से कहा कि तुम कमरे से जूते बाहर ले आओ. जिस कमरे में जीजा का छोटा भाई जूतों के साथ बैठा था वह वहां गया और पूरे कमरे में नजर दौड़ाई.

इसी बीच नींद में ऊंघते जीजा के भाई को लगा कि न जाने कौन कमरे में घुस आया. सो उस ने आव देखा न ताव और वह उस पर टूट पड़ा. इस के बाद दोनों में खूब  झड़प हुई और फेरों के बीच दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई. दूल्हा थोड़ा समझदार था जो दोनों पक्षों के बड़ों से माफी मांगता रहा. जैसेतैसे ब्याह संपन्न हुआ.

मगर जब वधू ब्याह कर ससुराल में पहुंची तो वहां भी उस पर तानों की झड़ी लग गई. नखरीले देवर ने यहां आ कर भी खूब तमाशा किया. भाईभाभी दोनों ने खूब माफी मांगी ताकि किसी भी तरह से परिवार में शांति बनी रहे, लेकिन देवर तो नाक चढ़ाए ही रहा.

उस का कहना था कि मेरी इज्जत नहीं की वधू पक्ष ने. उस के बाद देवर जबतब भाभी को ताने देता. सासननद ने भी मन में गांठ बांध ली. हर त्योहार, उत्सव या रोजमर्रा की जिंदगी कुछ न कुछ झगड़ा घर में लगा ही रहता. हार कर बड़े भाईभाभी परिवार से अलग हो गए.

साथी की उपेक्षा क्यों

अमेरिका से आए एक युगल दंपती में पति अपने काम में इतना मशगूल रहता कि पत्नी की तरफ ध्यान ही नहीं. छोटा सा बच्चा भी अपने पिता के पास समय की कमी के चलते सारा दिन मां के साथ ही चिपका रहता. इसी बीच पत्नी सीमा की सोसायटी में एक सहेली राधा बन गई. अच्छी बात यह थी कि दोनों के पतियों का व्यवहार एकसमान था. राधा के पति किसी एअर लाइन में कार्यरत थे और 3 शिफ्टों में काम पर जाया करते. उन का तो कोई फिक्स रूटीन ही नहीं था. सो राधा अपने 2 बच्चों के साथ उन के रूटीन से जैसेतैसे तालमेल बैठा लेती थी.

सीमा और राधा सहेलियां बन कर साथसाथ शौपिंग के लिए जातीं. दोनों के बच्चे भी हमउम्र होने पर साथ खेलते. यदि कभी बारिश हो तो बच्चे किसी एक के घर में ही खेलते. सीमा बहुत व्यवहारकुशल नजर आती थी. लेकिन कई दिनों से उस के व्यवहार में कुछ बदलाव नजर आ रहा था. राधा ने कई बार उस से बदलाव की वजह पूछी. किंतु सीमा कह देती कुछ नहीं हुआ आप को ऐसे ही कुछ महसूस हो रहा है, मैं तो वैसी की वैसी हूं.

कुछ ही दिनों में सीमा के बच्चे का जन्मदिन था और उस ने राधा को फौर्मल निमंत्रण भी न दिया. राधा सोचती रही कि आखिर क्या हुआ? फिर भी उस ने जन्मदिवस के एक दिन पहले सीमा को फोन किया और हंस कर पूछा कि आएं कि न आएं जन्मदिन की पार्टी में? सीमा भी हंस कर हक जता कर बोल दी कि चुपचाप आ जाना. आप को निमंत्रण की जरूरत है क्या?

खुद में बदलाव

हमेशा की तरह राधा समय से कुछ पहले ही सीमा के घर पहुंच गई ताकि वह उस की पार्टी की तैयारी में कुछ मदद करवा सके. जब वह वहां पहुंची तो पाया कि इस बार उन के समूह की अन्य महिलाएं पहले से वहां मौजूद थीं और बड़ी ही पैनी नजरों से राधा को देख रही थीं. ये वही महिलाएं थीं जो सीमा की व्यावहारिक खामियां ढूंढ़ कर राधा के समक्ष रखती थीं और राधा हर बार यह कह कर टाल देती थी कि हर इंसान अलग प्रकृति का होता है.

अब राधा को समझाते देर न लगी कि सीमा के व्यवहार में बदलाव क्यों आया. शायद इन महिलाओं ने सीमा के कान भी भरे हों. राधा ने सीमा को मनाने की बहुत कोशिश की, किंतु सीमा यह स्वीकारती ही नहीं थी कि उस के व्यवहार में कुछ बदलाव है.

अंत में राधा ने कह दिया कि सीमा हम 4 बरस से पक्की सहेलियां हैं. तुम मानो न मानो मैं तुम्हें और तुम्हारे व्यवहार को अच्छी तरह से समझाती हूं. अब राधा ने भी उस की मनुहार करना छोड़ दिया था. कुछ महीने बीते राधा के पति का तबादला हो गया. उस के बाद कभी राधा ने सीमा की सुध भी न ली. राधा से दूरी तो पहले ही बन ही चुकी थी. अब अकसर वह सोसायटी में अकेली नजर आती थी. यह बात राधा को अपनी अन्य सहेलियों से मालूम हुई. शायद धीरेधीरे सभी उस का व्यवहार समझा चुके थे.

खतरनाक अंजाम

ऐसा ही एक केस दिल्ली में आया जहां अखबारों की खबर के अनुसार हिमांशी गांधी के पिता लवेश गांधी ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई कि उन की बेटी ने अपने मित्रों के साथ मिल कर एक कैफे खोला था. आज उस का पहला दिन था और शाम को करीब 4 बजे उस के मित्र आयूष ने उस की मां को फोन किया और कहा कि हिमांशी और उस के मित्रों में किसी बात को ले कर खूब विवाद हुआ और उस के बाद वह नाराज हो कर कैफे से चली गई. तब से वे उसे बारबार फोन कर रहे हैं, लेकिन हिमांशी फोन नहीं उठा रही है और बाद में उस का फोन अनरीचेबल हो गया.

पुलिस ने उस की छानबीन की और 25 जून को एक महिला का शव यमुना में तैरता मिला. पुलिस ने हिमांशी के परिवार को इस की सूचना दी तो उस के परिवार वालों ने लाश देख कर पुष्टि की कि वह हिमांशी की ही लाश है.

उस के बाद पुलिस ने वहां का सीसी टीवी कैमरा चैक किया, जिस में करीब 3 बजे हिमांशी ब्रिज की रेलिंग पर चढ़ती हुई दिखाई दी. उस के बाद वह रेलिंग के बीच गैप्स में से यमुना में कूद गई और अपनी जान दे दी.

इस तरह के किस्से एवं हादसे यह बताते हैं कि कहीं न कहीं व्यवहार में तुनकमिजाजी का खमियाजा अंतत: स्वयं ही उठाना पड़ता है. किंतु ऐसे व्यवहार वाले लोगों से जुड़े रिश्तेदार एवं मित्र भी कहीं न कहीं इस का नुकसान उठाते हैं. फायदा कम नुकसान ज्यादा हो सकता है तुनकमिजाजी व्यवहार वाले लोग जब तक स्वयं का कुछ नुकसान न हो अपने इस व्यवहार की आड़़ में मजा उड़ाते हों कि सब लोग उन के लिए एक टांग पर खड़े रहें. वे रूठें तो दूसरे उन्हें मनाते रहें या सामने वाला नाराज न हो जाए इस डर से लोग उन की हर बात को मानें. जब तुनकमिजाजी या बारबार की नाराजी से डराधमका कर जिंदगी मजे में चले तो कोई अच्छा व्यवहार क्यों करे भला. तब तो किसी को न कोई डर न ही परवाह, हरकोई अपनी बात रखने की कोशिश तो करेगा ही.

ऊपर से तुनकमिजाजी व्यवहार का फायदा यह कि आप लड़ झगड़ कर हर जगह अपनी चला कर हर अच्छे काम का क्रैडिट भी स्वयं ही ले लेते हैं. सीधासादा व्यवहार रखें तो यह तो होने से रहा. मगर इस तुनकमिजाजी के नुकसान भी तो बहुत हैं. जरूरी नहीं कि आप को बारबार लोग मनाएंगे और मनुहार करेंगे. यदि सज्जन लोग आप के साथ हैं तो निश्चित रूप से आप की शुरुआती तुनकमिजाजी को वे इग्नोर कर आप से अच्छा व्यवहार रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन जैसे ही वे समझाते हैं कि आप उन की सज्जनता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं तो वे आप से किनारा भी करने लगते हैं और अंतत: आप स्वयं का नुकसान कर अकेले रह जाते हैं.

Health Tips: हार्ट का बदलते मौसम से क्या है कनैक्शन

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सब से ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं और जलवायु परिवर्तन से अधिक सर्दी और अधिक गरमी पड़ने पर इस का सीधा असर इंसान के दिल पर पड़ता है. आंकड़ों पर गौर करें तो स्ट्रोक, दिल, कैंसर और सांस की बीमारियों से दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों की हिस्सेदारी दोतिहाई है.

अधिक गरमी को सहने की होती है क्षमता

इस बारे में नवी मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हौस्पिटल के कंसलटैंट कार्डियोलौजी डा. महेश घोगरे कहते हैं कि हमारे शरीर में अपने तापमान को नियंत्रित करने की प्राकृतिक क्षमता होती है. इस प्रक्रिया को थर्मोरैग्युलेशन कहा जाता है, जिसे हाइपोथैलेमस द्वारा नियंत्रित किया जाता है, मस्तिष्क का एक हिस्सा आंतरिक शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए थर्मोस्टेट के रूप में लगातार कार्य करता है.

व्यायाम या गरमी आदि के कारण जब शरीर का तापमान बढ़ जाता है तब हाइपोथैलेमस, पसीना और वासोडिलेशन या रक्तवाहिकाओं को चौड़ा कर के गरमी को बाहर निकालता है और शरीर को ठंडा करता है. ठंड के मौसम में जब शरीर का तापमान गिर जाता है तो हाइपोथैलेमस शरीर में गरमी को बचाने और शरीर को गरम करने के लिए शिवरिंग को ट्रिगर करता है और रक्तवाहिकाओं को संकुचित करता है. यह स्वचालित प्रक्रिया शरीर के एक स्थिर कोर तापमान को बनाए रखने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि शरीर के अंग और प्रणालियां ठीक से काम करें.

तापमान का पड़ता है असर

डाक्टर आगे कहते है कि तापमान में अचानक बदलाव हृदय पर दबाव डाल सकता है. अत्यधिक तापमान में शरीर ठंडा या गर्म करने के लिए रक्त प्रवाह को त्वचा की ओर मोड़ा जाता है. इस से रक्त वाहिकाएं फैल या सिकुड़ जाती हैं, जिस से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर, गर्म मौसम में, शरीर को ठंडा करने के लिए त्वचा में रक्त पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिस से हृदय की गति और रक्तचाप बढ़ता है.

इस के अलावा अत्यधिक गरमी में थकावट और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही हृदय पर अतिरिक्त बो?ा भी पड़ता है. इस से दिल के दौरे, हृदय की धड़कन अनियमित होना और हार्ट फेल्योर की संभावना बढ़ सकती है.

इसी तरह ठंड के मौसम में हृदय को शरीर में गरमी बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिस से रक्तचाप बढ़ जाता है.

अध्ययनों में पता चला है कि बढ़ते तापमान और कार्डियोवैस्क्युलर वजहों से होने वाली मौतों के जोखिम के बीच एक लिंक है. अधिकतम कार्डियोवैस्क्युलर मौतें 35 से 42 डिग्री सैल्सियस के बीच के तापमान में होती हैं. हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया है कि हर 100 कार्डिओवैस्क्युलर मौतों में से 1 मौत के केस में इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर या एरिथमिया का कारण अत्यधिक गरमी या ठंड हो सकता है.

डा. महेश का कहना है कि का जिन्हें कोरोनरी धमनी की बीमारी, हाइपरटैंशन या हार्ट फेल्योर आदि बीमारियां पहले से हैं, उन के लिए तापमान में अचानक बदलाव होना काफी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इस से हार्ट अटैक ट्रिगर हो सकता है या हार्ट फेल्योर के लक्षण बढ़ सकते हैं. अत्यधिक गरमी में पसीना ज्यादा आने से शरीर में से फ्लूइड कम हो सकता है, जिस से डिहाइड्रेशन और लो ब्लड प्रैशर हो सकता है. यह हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है. बहुत ज्यादा ठंड में शरीर शौक में जा सकता है, जिस से रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, हृदय और अन्य अंगों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है.

सुबहसुबह दिल का दौरा

ज्यादातर हार्ट अटैक सुबह के समय आते हैं, इस गलतफहमी के पीछे का सच जान लेना भी आवश्यक है. यह सच है कि कुछ अध्ययनों के अनुसार सुबह के समय हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है. कुछ रिसर्च का मानना है कि यह शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन लय (यानी शारीरिक, मानसिक और व्यवहार के प्राकृतिक चक्र में परिवर्तन होना, जिस से शरीर 24 घंटे के चक्र में गुजरता है.

सर्कैडियन लय ज्यादातर प्रकाश और अंधेरे से प्रभावित होती है और मस्तिष्क के मध्य में एक छोटे से क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होती है.) के कारण होता है, जो रक्त के क्लौट होने के तरीके को प्रभावित करती है. कुछ रिसर्चर मानते हैं कि सुबह में कोर्टिसोल और ऐड्रेनालाइन जैसे हारमोन का बढ़ना इस की वजह हो सकती है.

हृदयरोगियों को ये सावधानियां बरतनी चाहिए:

  •   सुबह भागदौड़ करने से बचें.
  • खुद को दिन के लिए तैयार होने के लिए पर्याप्त समय दें.
  • दवा निर्धारित समय पर लें.
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम सहित अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाए रखें.
  • किसी भी संभावित रिस्क से बचने के लिए हमेशा डाक्टर की सलाह लें. डाक्टर की सलाह के बिना.
  • अपने मन से दवा न लें वरना इस के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

फैसला: पत्नी से क्या छुपा रहा था समीर

नीरजा और रोहित थोड़ी देर बाद हमारे घर डिनर करने के लिए आने वाले हैं. शिखा ने बड़े उत्साह से उन के लिए खाना बनाया है. वह सुबह से ही बहुत खुश है जबकि मेरा मन अजीब सी खिन्नता और चिड़ का शिकार बना हुआ है. ‘‘खाना खाने के बाद आइसक्रीम खाने बाहर चलें या आप बड़ी वाली ब्रिक घर लाओगे?’’ बैडरूम में तैयार हो रही शिखा ने ऊंची आवाज कर के मुझसे पूछा.

‘‘मैं ब्रिक ले आता हूं. खाना खाने के बाद कौन बाहर जाने के झंझट में पड़ेगा. कौन सी आइसक्रीम लाऊं,’’ मेरे मन की खीज मेरी आवाज में साफ ?झलक रही थी.

‘‘आप नीरजा के साथ कालेज में पढ़े हो. क्या आप को याद नहीं कि उसे कौन सी आइसक्रीम पसंद है?’’

‘‘4 साल बाद ऐसी बातें कहां याद रहती हैं,’’ मैं ने झुझंलाए लहजे में जवाब दिया. ‘‘तो जो आप का मन करे, वही फ्लेवर ले आना. अब जल्दी जाओ और जल्दी आओ. उन लोगों के आने का समय हो रहा है.’’ ‘‘मैं जा रहा हूं. तुम आ कर दरवाजा बंद कर लो,’’ मैं सोफे से उठ कर दरवाजे की दिशा में चल पड़ा.

कालेज छोड़े 4 साल बीत चुके हैं पर मैं न नीरजा को भूला हूं, न रितु को. मुझे अच्छी तरह याद है कि नीरजा हमेशा मैंगो फ्लेवर वाली आइसक्रीम खाती थी. मैं मैंगो फ्लेवर वाली आइसक्रीम बिलकुल नहीं लाऊंगा. मैं नीरजा को खुश होने का कोई मौका नहीं देना चाहता हूं.

करीब 2 महीने पहले नीरजा और रोहित पहली बार हमें बाजार में अचानक मिल गए थे. नीरजा को बातों से किसी का दिल जीतने की कला हमेशा से आती है. बहुत जल्द ही उस ने शिखा के साथ अच्छी दोस्ती की नींव डाल दी थी.

शिखा बहुत भोली और सीधीसादी है. उस ने नीरजा और रोहित को उस पहली मुलाकात के समय ही अगले रविवार को घर पर खाने के लिए बुला लिया था. एकदूसरे के घर आनेजाने का उस दिन से शुरू हुआ सिलसिला बढ़ता ही जा रहा था. इन मुलाकातों ने नीरजा के लिए मेरे मन में बसे नापसंदगी व चिड़ के भावों को और ज्यादा बढ़ाया ही है. मैं बिलकुल नहीं चाहता हूं कि वह मेरी बहुत अच्छी तरह से चल रही घरगृहस्थी की खुशियों व सुखशांति को नष्ट करने का कारण बने. मैं ने आइसक्रीम खरीदने के बजाय जानबूझ कर रसमलाई खरीदी जोकि नीरजा को कभी अच्छी नहीं लगती थी. मेरे बाजार से लौटने के साथसाथ ही रोहित और नीरजा भी आ पहुंचे.

वे लोग गुलदस्ता ले कर आए थे और फूल शिखा को बहुत पसंद हैं. नीरजा से इस भेंट को स्वीकार करने के बाद शिखा बड़े अपनेपन के साथ उस के गले लग गई. जब शिखा रसोई में जाने लगी तो नीरजा भी उस के साथ जाने को उठ खड़ी हुई. मैं रोहित के साथ आस्ट्रेलिया और भारत के बीच चल रहे एक दिवसीय मैचों की शृंखला की चर्चा करने लगा.

रोहित मुझे पहली मुलाकात से ही हंसमुख और समझदार इंसान लगा है. हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हो सकती है पर बीच में नीरजा के होने के कारण मैं अपना हाथ उस के साथ दोस्ती के लिए नहीं बढ़ा सकता हूं.

आज भी जबजब मुझे एहसास हुआ कि हम दोनों के बीच वार्त्तालाप खुल कर हो रहा है, मैं ने जानबूझ कर बोलना कम कर दिया. फिर बीचबीच में मैं अपने कम बोलने के निर्णय को भूल जाता तो हम दोनों के ठहाकों से कमरा गूंज उठता. बिना कारण किसी खुशमिजाज इंसान को नापसंद करने का नाटक करना सचमुच कठिन काम है. उन के आने के करीब आधे घंटे बाद हम चारों खाना खाने डाइनिंग टेबल पर बैठ गए. शिखा ने सचमुच दिल से खाना बनाया था. रोहित ने जब खाने की तारीफ करी तो मुझे अच्छा लगा, पर जब नीरजा ने ऐसा किया तो मैं मन ही मन चिढ़ उठा.

‘‘समीर, तुम्हारा मूड क्यों उखड़ा हुआ है? क्या खाना तुम्हारी पसंद का नहीं बना है?’’ नीरजा ने अचानक यह सवाल पूछ कर मुझे रोहित और शिखा की नजरों का केंद्र बना दिया.

‘‘मेरी भी समझ में नहीं आ रहा है कि इन का मूड सुबह से खराब क्यों बना हुआ है, पर कोई न कोई बात है जरूर,’’ शिखा ने यह बात यों तो मुसकरा कर कही पर मैं ने उस की आंखों में हलकी चिंता के भाव पढ़ लिए थे.

‘‘मेरा मूड ठीक ही है रोहित, तुम पनीर की सब्जी और लो न,’’ मैं ने वार्त्तालाप की दिशा बदलने की कोशिश करी.

‘‘समीर, कभीकभी मुझे लगता है कि…’’ नीरजा ने जानबूझ कर अपनी बात पूरी नहीं करी और मेरी तरफ शरारती भाव से देखने लगी.

‘‘क्या लगता है,’’ मैं ने इस अपेक्षित सवाल को पूछते हुए अपने स्वर में दिलचस्पी के भाव पैदा नहीं होने दिए.

‘‘मुझे कभीकभी ऐसा लगता है कि तुम अब भी रितु को नहीं भुला पाए हो,’’ उस ने मेरी टांग खींचने की कोशिश शुरू कर दी.

‘‘तुम बहुत बड़ी गलतफहमी का शिकार हो, नीरजा. शिखा जैसी समझदार, सुंदर और सुशील पत्नी को पाने के बाद कोई अपनी पुरानी प्रेमिका को भला क्यों याद करेगा?’’ मैं ने मुसकराने के बजाय संजीदा लहजे में जवाब दिया.

‘‘याद तो नहीं रखना चाहिए, पर तुम आदमी जरा अक्ल से पैदल होते हो. अब रोहित को ही लो. इन्हें मैं ने अंजु के जन्मदिन पर… अंजु इन की कालेज की प्रेमिका का नाम है. उस के जन्मदिन पर मैं ने इन्हें आंखों में आंसू भरे हर साल पकड़ा है. क्या मैं गलत कह रही हूं, रोहित?’’

“नहीं डियर,’’ रोहित ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘‘पहले प्यार को भुला पाना संभव नहीं होता है. पुरानी यादें आंखों में आंसू भर जाती हैं, पर वह कोई महत्त्वपूर्ण बात नहीं क्योंकि अब तुम्हारे अलावा मेरे दिल में कोई दूसरी औरत नहीं बसती है.’’

नीरजा के कुछ बोलने से पहले ही मैं ने आवेश भरे लहजे में कहा, ‘‘रोहित भाई, इन दूसरी औरतों की ताकत को कभी कम कर के मत आंकना. बड़ी चालाकी से वे अपने रूपजाल में अपने शिकार को फंसाती हैं. मेरा तो यह मानना है कि समझदार आदमी को ऐसी खूबसूरत नागिनों से किसी तरह का रिश्ता बनने ही नहीं देना चाहिए. अगर कोई आदमी पहले से होशियार नहीं रहे तो बाद में उजड़ी हुई अपनी घरगृहस्थी और आजीवन पीड़ा देने वाले दिल के जख्मों के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता है.’’

‘‘तुम्हारे गुस्से को देख कर लगता है कि अतीत में किसी दूसरी औरत ने तुम्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिश की है, समीर,’’ रोहित ने मुझे छेड़ा तो शिखा और नीरजा खुल कर हंस पड़ीं. ‘‘तुम्हें कैसे पता लगा?’’ मैं ने हैरान दिखने का बढि़या नाटक किया तो पूरा घर हम सब के सम्मिलित ठहाकों की आवाज से गूंज उठा. मैं ने नोट किया कि इस पल के बाद से नीरजा चुपचुप सी हो गई थी. उस के दिल को चोट पहुंचाने में मैं सफल रहा हूं, ऐसा सोच कर मेरा मन खुशी महसूस कर रहा था और इस कारण मैं ज्यादा खुल कर रोहित से गपशप करने लगा. खाना खत्म होने के बाद जब शिखा रसमलाई लाई तो नीरजा ने शिकायत करी, ‘‘समीर, यह रसमलाई क्यों मंगवा ली?’’ तुम्हें तो याद होना चाहिए कि मैं रसमलाई बिलकुल नहीं पसंद करती हूं.’’

‘‘सौरी नीरजा, पर मुझे बिलकुल याद नहीं कि तुम रसमलाई पसंद नहीं करती हो. मैं ने रोहित को बड़े स्वाद से रसमलाई खाते देखा हुआ है और यह शिखा को भी बहुत अच्छी लगती है. सौरी, अब आगे से याद रखूंगा,’’ मेरी आवाज में अफसोस के भाव किसी को ढूंढ़े से भी नहीं मिलते.

‘‘मेरा तो आइसक्रीम खाने का मन कर रहा है,’’ वह किसी छोटी बच्ची की तरह मचल उठी.

‘‘तो तुम्हें आइसक्रीम खिलवा देते हैं. रोहित और आप बाजार से आइसक्रीम ले आओ, प्लीज,’’ शिखा ने मुझसे ऐसी प्रार्थना करी तो मैं मन ही मन जोर से किलस उठा.

‘‘थैंक यू, शिखा. समीर, तुम्हें तो याद नहीं रहा होगा इसलिए मैं बता देती हूं कि मुझे मैंगो फ्लेवर वाली आइसक्रीम ही पसंद है,’’ नीरजा का अपनी पसंद बताते हुए मुसकराना मेरा खून फूंक गया. मुझे मजबूरन रोहित के साथ आइसक्रीम लेने जाना पड़ा. रास्ते भर अधिकतर रोहित ही कुछकुछ सुनाता रहा. मैं ने यह जाहिर नहीं होने दिया कि मेरा मूड खराब हो रहा.

नीरजा ने छक कर आइसक्रीम खाई. वह मुझ से सहज हो कर हंसबोल रही थी पर मुझे उस की तरफ देखना भारी लग रहा था. जब विदा लेने को वे दोनों उठ खड़े हुए तब ही मैं ने मन ही मन बहुत राहत महसूस करी.

‘‘अगले संडे को तुम दोनों हमारे घर डोसा खाने आ रहे हो?’’ नीरजा ने हमें अपने घर आने को आमंत्रित किया.

‘‘शायद हम संडे को शिखा के भाई के घर जाएं, इसलिए शनिवार की सुबह को तुम्हारे यहां आने का प्रोग्राम पक्का करते हैं,’’ मैं ने उन के यहां पहुंचने को जानबूझ कर हामी नहीं भरी.

‘‘तब शनिवार की रात छोलेभठूरे की दावत कर देती हूं.’’

‘‘अभी कोई कार्यक्रम नहीं बनाओ. हम बाद में फोन पर बात कर के कुछ तय करेंगे.’’

मैं ने नोट किया कि विदा के समय नीरजा सोच में डूबी सी नजर आ रही थी. मुझे उस के खराब मूड की कोई परवाह नहीं हुई क्योंकि मैं उस से अच्छे संबंध बनने का इच्छुक ही नहीं था. सोने से पहले शिखा ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर अचानक संजीदा लहजे में बोलना शुरू किया, ‘‘समीर, मुझे आज पता लग गया है कि तुम नीरजा को क्यों पसंद नहीं करते हो. जब तुम रोहित के साथ आइसक्रीम लाने गए हुए थे, तब नीरजा ने मुझे तुम्हारी नापसंदगी का कारण बता दिया.’’

‘‘क्या बताया उस ने?’’ मैं ने माथे में बल डाल कर तीखे लहजे में पूछा.

‘‘यही कि रितु और तुम्हारे बीच गलतफहमी की जड़ में उस का तुम्हारे साथ खुल कर हंसनाबोलना था. जो हुआ उस का उसे आज तक अफसोस है क्योंकि वह रितु और तुम्हें बहुत पसंद करती थी.’’

‘‘मैं पुरानी बातों को याद नहीं करना चाहता हूं. मुझे रोहित से कोई शिकायत नहीं पर नीरजा से मिलनाजुलना अच्छा नहीं लगता है. इसीलिए हम उन के घर अगले संडे को नहीं जाएंगे,’’ अपना फैसला बताते हुए मैं चिढ़ सा उठा.

‘‘समीर, रोहित तुम्हें अपना बहुत दोस्त समझाने लगा है. तुम तो जानते ही हो कि वह आजकल बहुत तनाव में जी रहा है. अपने कुछ नजदीकी दोस्तों के हाथों उस ने बिजनैस में तगड़ा धोखा खाया है. नीरजा का मानना है कि रोहित को डिप्रैशन में जाने से बचाने में तुम से हुई दोस्ती बहुत अहम भूमिका निभा रही है. इस के लिए उस ने मेरे हाथ तुम्हें दिल से धन्यवाद भिजवाया है,’’ शिखा अपनी सहेली की तरफदारी करने की भरपूर कोशिश कर रही थी.

‘‘वह सब ठीक है, पर मुझे इन लोगों से कैसे भी संबंध नहीं रखने हैं,’’ मैं ने अपना फैसला फिर से दोहरा दिया.

‘‘लेकिन ऐसा करना तो गलत बात होगी समीर,’’ वह भावुक हो उठी, ‘‘मुझे एक बात सचसच बताओगे.’’

‘‘पूछो,’’ मैं तनाव से भर उठा.

‘‘क्या तुम्हें इस बात का डर सता रहा है कि कहीं नीरजा का हमारे यहां आनाजाना और तुम्हारे साथ खूब खुल कर हंसनाबोलना हमारे बीच गलतफहमी न पैदा करा दे.’’

‘‘क्या ऐसा होना तुम्हें नामुमकिन लगता है?’’ मैं ने चुभते लहजे में पूछा.

‘‘बिलकुल नामुमकिन लगता है. अरे, मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा विश्वास है. हमारे बीच प्यार की नींव इतनी कमजोर नहीं है जो नीरजा के तुम्हारे साथ हंसीमजाक करने से डगमगा जाएगी. तुम इस डर को अपने मन से निकाल दो. मैं कभी रितु की तरह गलतफहमी का शिकार नहीं बनूंगी,’’ उस ने मुझे आश्वस्त करना चाहा.

मैं ने शिखा की आंखों में गहराई से झंका. वहां मुझे अपने लिए प्यार का समुद्र लहराता नजर आया. एक बार को तो मेरा मन डगमगाया पर फिर मैं ने अपना फैसला बदलने का विचार झटके से त्याग दिया.

‘‘मैं किसी तरह का रिस्क नहीं लूंगा, शिखा. हम नीरजा और रोेहित से अच्छे संबंध नहीं बनाएंगे और इस मामले में मैं किसी तरह की दलील नहीं सुनना चाहता हूं,’’ अपना फैसला एक बार फिर से दोहराने के बाद मैं उठा और बैडरूम से निकल कर ड्राइंगरूम में चला आया.

मुझे मालूम है कि शिखा को इस मामले में मेरा अडि़यल रुख बिलकुल समझ में नहीं आ रहा होगा, पर मैं ने यह फैसला बहुत सोचसमझ कर किया है. शिखा को यह असलियत बताने की हिम्मत मेरे अंदर नहीं है कि वर्षों पहले रितु से मेरा प्रेम संबंध मेरी गलती के कारण टूटा था. नीरजा के साथ अपने खुल कर हंसनेबोलने का रितु ने नहीं बल्कि मैं ने गलत अर्थ लगाया था. मैं ने रितु को प्यार में धोखा दे कर नीरजा का प्रेमी बनने की कोशिश करी थी क्योंकि वह रितु से ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक थी.

सच यही है कि नीरजा के प्रति मेरा दिल आज भी वैसा ही जबरदस्त आकर्षण महसूस करता है. मुझे पता है कि अगर हम भविष्य में मिलते रहे तो मैं फिर से फिसल जाऊंगा और उस स्थिति की कल्पना कर के ही मेरा मन कांप उठता है. अपनी भूल को दोहरा कर मैं शिखा की नजरों में गिर कर उस के प्यार को कभी नहीं खोना चाहूंगा.

मुझे मालूम है कि नीरजा और रोहित की दोस्ती को ठुकरा कर मैं ने सही कदम उठाया है. बाद में बुरी तरह पछताने के बजाय यह बेहतर है कि मैं अभी इस मसले में अडि़यल रुख अपना कर शिखा, रोहित व नीरजा की नजरों में बुरा बन जाऊं.

Beauty tips: आईशैडो स्टिक, जो देती है आपकी आंखों को अट्रैक्टिव लुक

आजकल फैशन का दौर है जिसमें मेकअप को आजकल हर कोई यूज़ करता है. जब बिगिनर्स मेकअप करते है तो आईशैडो को आखिरी में सीखने की कोशिश करते है. ऐसा इसलिए क्योंकि आईशैडो को लगाना बेहद मुश्किल माना जाता है. आईशैडो को पाउडर या क्रीमी शेड्स को ब्रश से लगाना और उसे अच्छे से ब्लेंड करना काफी मुश्किल हो सकता है. जब तक कि ये अच्छी फिनिशिंग ना दे. लेकिन क्या आप जानते हैं  कि कुछ ऐसे प्रोडक्ट है जो थोड़े समय में भी आंखों के मेकअप लुक को अच्छा और लॉन्ग लास्टिंग बना सकते हैं. ये प्रोडक्ट अच्छे से आईशैडो को ब्लेंड कर सकते हैं जो आपको लंबे समय तक फ्लॉलेस लुक दे सकें. एक आईशैडो स्टिक से आप अपने मेकअप के साथ एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं.

तो आइए जानते हैं इन आईशैडो स्टिक के बारे में जो आपकी आंखों को अलग-अलग लुक दे सकती हैं-

जुलप ब्यूटी आईशैडो स्टिक डुओ

जब आपके पास ये क्यूट आईशैडो स्टिक हो तो आप हर दिन अपनी आंखों के लुक को चेंज कर सकते हैं. ये आपको मैट और शिमर आईशैडो के साथ एक अट्रैक्टिव आईलुक देता है. ये वाटरप्रूफ और क्रीज़-प्रूफ हैं, केवल उंगलियों के साथ आसानी से ब्लेंड हो जाता है और आपको एक अट्रैक्टिव आई लुक दे सकता है.

लूक्साजा 6 पीस मेटैलिक आईशैडो

लूक्साजा मेटैलिक आईशैडो 6 पीस के साथ आता है जो आपकी आंखों को पार्टी लुक देने के लिए अच्छे माने जाते है. यह आपकी आंखों को फ्लोटिंग ड्रैमेटिक आई मेकअप लुक देते हैं. इसमें पर्पल की अलग-अलग शेड्स है जो आप अपनी पसंद के हिसाब से यूज कर सकते हैं.

फोकालर 3 पीस क्रीम आईशैडो स्टिक

फोकालर ऑफर करता है 2-इन-1 आईशैडो पेन जो आईशैडो और आईलाइनर दोनों का काम करता है. ये स्टिक अच्छे कलर और लॉन्ग लास्टिंग आई लुक देता है. ये वाटरप्रूफ और ग्रीसप्रूफ है. ये आईशैडो स्टिक उन लोगों के लिए ज्यादा सूटेबल है जिन लोगों को पसीना ज्यादा आता है या जो गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में रहते हैं. ये आईशैडो स्टिक क्रीमी होने के कारण आंखों को बटर जैसा फिनिशिंग लुक देते है.

ओइलस 12  पीस आईशैडो स्टिक सेट

12 वैल्यू-फॉर-मनी आईशैडो स्टिक्स के सेट में आपको हर ड्रेस के साथ यूज करने के लिए कलर मिलता है. ये आपके मेकअप को अच्छा लुक देते हैं और लोंग लास्टिंग होने के कारण ये आपको पूरा दिन अट्रैक्टिव बनाए रखते है. इसमें सॉफ्ट ब्रश है जो कलर को आसानी से ब्लेंड कर सकते हैं.

वैनसनि 12 कलर्स आईशैडो स्टिक

ये डुअल ग्रेडिएंट आईशैडो स्टिक उन सबके लिए सूटेबल होती है जो लोग सुबह जल्दी ऑफिस या कॉलेज जाते हैं क्योंकि इसको यूज़ करना बेहद आसान होता है. इससे आपको कम समय में मनचाहा लुक मिल सकता है. इसे आप ऑन-द-गो टच-अप के लिए बैग में रख सकते हैं.

ऐलीयूप 11th ऑवर क्रीम आईशैडो स्टिक्स

ऐलीयूप की 11th ऑवर क्रीम आईशैडो स्टिक 6 वेरिएशंस में आती है. वाटरप्रूफ और स्मज-प्रूफ फॉर्मूला के साथ, ये  आईशैडो 11 घंटे से अधिक समय तक रहती हैं. इसके अलावा ये काफी ब्लेंडेबल होती है जो आपकी आंखों को अट्रैक्टिव लुक देती है. इसके साथ- साथ प्राकृतिक तेलों से बनी होने के कारण ये आपकी पलकों को लंबे समय तक हाइड्रेट रखने में भी मदद करती है.

इन 6 स्मार्ट स्ट्रैटेजीज से बढ़ाएं अपनी वर्क परफॉरमेंस

हमारा काम यानी जॉब, हमारी लाइफ का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है. हम अपने दिन का अधिकतर समय अपने वर्कप्लेस में गुजारते हैं. बात चाहे नौकरी में प्रमोशन की हो या प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने की, वर्कप्लेस में सफलता की एक ही कुंजी है और वो है इफेक्टिव स्ट्रेटजीज को बनाना. कम्युनिकेशन स्किल्स को इम्प्रूव करने से लेकर अच्छी फीडबैक पाने तक कुछ स्मार्ट स्ट्रैटिजिज से आप अपनी वर्क परफॉरमेंस को बढ़ा सकते हैं. आइए जानते हैं इन स्ट्रैटिजिज के बारे में.

वर्क परफॉरमेंस बढ़ाने के लिए स्मार्ट स्ट्रैटिजिज

कुछ स्मार्ट स्ट्रैटिजिज बनाने से आप अपने वर्कप्लेस में टॉप परफॉर्मर बन सकते हैं, जिससे न केवल आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि आपके जीवन में भी सुधार होगा. इसके लिए परसिस्टेंट व प्रेरित रहें और जिज्ञासु बनें. जानें इन स्मार्ट स्ट्रैटिजिज के बारे में:

  1. क्लियर गोल सेट करें

क्लियर गोल को सेट करने से आप अपना फोकस बढ़ा सकते हैं और मोटिवेट रह सकते हैं. लेकिन, इस बात का ध्यान रखें कि यह गोल स्पेसिफिक, रिलेवेंट और प्राप्त करने योग्य हों. इससे आप ट्रैक पर रह सकते हैं और वो सब अचीव कर सकते हैं, जो आप चाहते हैं.

2. फीडबैक से सीखे

फीडबैक परफॉरमेंस को सुधारने का एक बेहतरीन टूल है. नियमित रूप से अपने सहकर्मियों या सुपरवाइजर से अपने काम को लेकर फीडबैक लें. इससे आप अपनी स्ट्रेंथ्स और वीकनेस को भी पहचान पाएंगे और बेहतर तरीके से काम करेंगे.

3. कम्युनिकेशन स्किल को सुधारें

स्ट्रांग कम्युनिकेशन स्किल वर्कप्लेस पर सफलता के लिए बहुत जरूरी है. इस बात को सुनिश्चित करें कि आप अपने वर्बल एंड रिटन कम्युनिकेशन्स में क्लियर हों. इसके अलावा, दूसरों की बात सुनें और उन्हें उनकी समस्याओं को रिजॉल्व करने की भी कोशिश करें.

4.अपना ख्याल रखें

अपनी परफॉरमेंस को सही रखने के लिए अपनी खास देखभाल करना जरूरी है. इस बात का ध्यान रखें कि आप पर्याप्त रेस्ट करें, हेल्दी डाइट लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और जरूरत पड़ने पर ब्रेक अवश्य लें.

5. नई चीजें सीखना न भूलें

नए स्किल्स और नॉलेज से आप न केवल अपना ज्ञान बढ़ाएंगे बल्कि अपनी जॉब में और भी अच्छा कर पाएंगे. ट्रेनिंग सेशंस में भाग लें, किताबें और लेख पढ़ें और अपने क्षेत्र के विशेषज्ञों से सीखने के अवसर तलाशें.

6. सकारात्मक रहें

पॉजिटिव एटीट्यूड से आप अपनी प्रोडक्टिविटी और परफॉरमेंस को बढ़ा सकते हैं. सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करें, ग्रोथ माइंडसेट को विकसित करें और अपनी उपलब्धियों का सेलेब्रेट करें. इन सब बातों को ध्यान में रखने से आप एक दिन वो सब पा लेंगे, जिन चीजों को आप डिजर्व करते हैं.

अपने हुनर से हराएं अकेलापन

अपने जीवन के 55 वसंत देख चुकी नीता आंटी आजकल अपने अकेलेपन से परेशान हैं. वजह बच्चे अपनी जौब के कारण उन से दूर दूसरे शहर में हैं. पति अपनी जौब की जिम्मेदारियों के कारण उन्हें प्रौपर समय नहीं दे पा रहे हैं. बेचारी नीता आंटी करें तो क्या करें.

अब इस उम्र में नीता आंटी कोई नई जौब तो नहीं कर सकतीं. खाली समय में उन्हें अकेलापन काटने को दौड़ता. यह स्थिति आज की इस व्यस्त जीवनशैली में कई गृहिणियों की हो गई है. शुरू में वे घर व बच्चों की जिम्मेदारियों को निभाने के कारण जौब नहीं कर पाती हैं. बाद में जिम्मदारियों के पूरा हो जाने के बाद अपने जीवन में खालीपन सा महसूस करती हैं.

अब वे अपने इस अकेलेपन को दूर करने में स्वयं को असहज पाती हैं. वे सम?ा नहीं पाती हैं कि आखिर करें तो क्या करें. बहुत कम महिलाएं अपनी जीवन के इस मोड़ पर एक नई शुरुआत के बारे में सोचती हैं. उन्हें लगता है कि अब तो जीवन की सांध्य बेला हो चली है, अब क्या किया जा सकता है. अब क्या करना कुछ नया कर के.

प्रकृति हर इंसान को किसी न किसी हुनर के साथ इस दुनिया में भेजती है. आवश्यकता बस अपने उस हुनर को पहचानने की होती है. हमारे आसपास ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे. हमें उन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता भर होती है. इस बात को अकसर सत्य कर दिखाया कुमारी दीपशिखा ने. वे एक गृहिणी होने के साथसाथ पिछले 10 वर्षों से अपना खुद का सिलाई संस्थान भी चला रही हैं. वे अपने घर के एक कमरे में युवतियों व महिलाओं को सिलाई का काम सिखाती हैं. इस से उन्हें बेहद खुशी मिलती है. उन का कहना है कि हम महिलाएं अपना सारा जीवन घर को संवारने में लगा देते हैं. अपना ध्यान ही नहीं रहता. जबकि हमें भी अपने शौक व हुनर को सामने लाना चाहिए. वैसे भी आज जमाना आत्मनिर्भरता का है.

पहचानें अपना हुनर

महिलाएं तो हुनर की शान होती हैं. किसी में गायन, तो किसी में वाद्ययंत्रों को बजाने की कला, तो कोई कुकिंग में ऐक्सपर्ट होती है. किसी में चित्रकला भरी होती है, किसी का लेखन उत्कृष्ट होता है तो कोई मेहंदी डिजाइनिंग में ऐक्सपर्ट होती है. अत: अपने अकेलेपन को कहें बायबाय और अपने हुनर को पहचान कर उसे निखारें.

हिचकिचाहट दूर करें

अपने हुनर की शुरुआत को ले कर मन में आ रही हर हिचकिचाहट को दूर करें. हो सकता है कि आप को पहली बार में सफलता न मिले या फिर लोग मजाक उड़ाएं. लेकिन इन सब को नजरअंदाज करना सीखें, जिस भी काम को करने की आप ने ठानी हो, उसे पूरे दिल से करें. इस से होगा यह कि आज जो आप का उपहास उड़ा रहे हैं कल वही सफलता मिलने पर आप की तारीफ भी करेंगे.

निशु श्रीवास्तव को सिलाई का जबरदस्त शौक था. लेकिन अपने शौक के लिए वे समय नहीं निकाल पा रही थीं. फिर जब बच्चे आए तो यों ही उन के कपड़े सिलने का विचार आया. जब बच्चों को मम्मी के हाथों बने कपड़े सुंदर लगे तो उन की सोच बदल गई. आज वे अपने खाली समय में अपना हुनर आजमाती हैं.

अपडेट करती रहें स्किल्स

आप ने अपनी पसंद और हुनर का जो भी काम शुरू किया है, उसे आज के समय के हिसाब से अपडेट करती रहें क्योंकि आप ने यह सब सालों पहले सीखा था. आज उस में थोड़ा बदलाव कर सकती हैं.

इस तकनीकी युग में अपनी कला को थोड़ा तकनीकी टच भी दें. यूट्यूब और गूगल पर हर कला से संबंधित अनेक वीडियोज और जानकारी भरी पड़ी रहती है. उस की मदद से अपनी कला को निखारें.

नजर खुली रखें

आज ड्राइंग, कुकिंग, होम डैकोर यानी हर कला की बाजार में मांग है. बस जरूरत है एक खुली नजर की. हमारे आसपास उस कला से रिलेटेड कई विशेषज्ञ भी मौजूद हैं. उन से काउंसलिंग लें. ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने बिना किसी विश्वविद्यालीय डिगरी के सफलता का परचम लहराया है. इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ अपना कदम बढ़ाएं. आज यह जरूरी है कि आप अपने बारे में भी सोचें. अपनी पसंद का काम चुनें. क्या पता आप का हुनर आप को नई पहचान दे दे. इसलिए अपने हुनर को आजमाएं. इस से आपका अकेलापन तो दूर होगा ही आप में आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ जाएगा. आमदानी अलग से होगी.

सिर्फ तुम: भाग 1- जब प्यार बन गया नासूर

‘‘यह   भी कोई जीना है, न खुल कर बोल सकते हैं, न हंस सकते हैं और न ही कहीं घूम सकते हैं,’’ रोजरोज की घुटन से तंग आ कर आखिर मोनिका फट ही पड़ी.

‘‘यही तो परिवार है, जहां सब के लिए जगह है, प्यार है. जिन्होंने हमें योग्य बनाया, उन के लिए भी तो हमारे कुछ दायित्व हैं,’’ अनुपम ने उसे समझना चाहा.

‘‘अब वह जमाना नहीं रहा अनु, आज हर परिवार इस बात को अच्छी तरह समझता है कि पतिपत्नी को अपने मनमुताबिक जीवन जीने का अधिकार है और तुम हो कि अपनेआप बड़प्पन का बोझ ओड़े पड़े हो… इस घुटनभरे घर में तो सारे सपने बिखर गए मेरे…’’ मोनिका की भृकुटियां तन गईं.

‘‘मुझे नहीं मालूम था कि तुम इस तरह के सपने पाले बैठी थीं.’’

‘‘मुझे भी नहीं पता था कि तुम्हारे साथ अपना जीवन बरबाद करने जा रही हूं.’’

प्रेम विवाह से आह्लादित मोनिका पति के प्यार में खुल कर जीना चाहती थी, लेकिन परिवार में ऐसी स्वतंत्रता के लिए जगह नहीं थी. कुछ दिनों तक उस ने दबी आवाज में अपना दुख व्यक्त किया, लेकिन जब अनुपम ने उस की बात को गंभीरता से नहीं लिया तो उस के सब्र का बांध टूटना ही था, सो टूट गया. उस दिन से दोनों के बीच संबंधों में शिथिलता आ गई. दोनों बात तो करते लेकिन उस में औपचारिकता ने घर बना लिया था.

दीपावली की छुट्टियां पड़ीं तो मोनिका अपने मायके जाने की जिद करने लगी. घर वाले चाहते थे, बहू उन के पास रहे. अनुपम ने भी समझया, लेकिन वह नहीं मानी. इस से आगे बढ़ कर उस ने अनुपम को भी मायके में दीपावली मनाने को कहा. अनुपम को यह व्यवहार कांटे जैसा लगा, लेकिन विवाद से बचने के लिए थोड़ी नानुकुर के बाद उस ने समर्पण कर दिया. अपने घर वालों को उस ने यह सांत्वना दे कर मनाया कि एक दिन बाद आ जाएगा. अम्मांबाबूजी और छोटे भाईबहनों के चेहरों पर उपजी वेदना को महसूस कर के वह मर्माहत हो उठा था.

अनुपम मोनिका के साथ गया पर दुखी मन से. वह कुपित था उस के ढीठ व्यवहार पर. दूसरे दिन सासससुर ने भी उसे अघोषित रूप में समझना शुरू कर दिया, ‘‘बेटा, कुछ अपने होने वाले परिवार के बारे में भी सोचो, कल को बच्चे होंगे, उन की शिक्षा, कैरियर सब देखना होगा. बेहतर हो तो अलग घर ले लो. छोटे घर में कैसे गुजर होगी. दोनों कमाते हो, कोई आर्थिक परेशानी तो है नहीं…’’ आदिआदि.

अनुपम बुझे मन से हांहूं करता रहा. लेकिन यह बात उसे चुभ गई कि

मोनिका ने अपने मातापिता के माध्यम से यह नया जाल फेंका. वह लौटना चाहता था, मगर मोनिका ने कुछ प्यार की अल्हड़बाजी और कुछ रूठनेमनाने के बहाने कुछ दिन और रुकने का अड़ंगा लगा दिया. वह दोहरे तनाव में फंस गया. घर से अम्मांबाबूजी और बहनभाई के फोन पर फोन आ रहे थे और इधर मोनिका उसे अपने पल्लू से बांधे पड़ी थी. वह घर वालों से बहाने बनातेबनाते थक गया. पूरी छुट्टियां खत्म होने के बाद ही दोनों लौटे.

घर आते ही स्थिति पहले से ज्यादा तनावपूर्ण हो गई. घर वालों की कुपित मुखमुद्रा और अघोषित टीकाटिप्पणी ने मोनिका के माथे पर आक्रोश की रेखाएं खींच दीं. अनुपम तो पहले से ही खिन्नता से भरा हुआ था. मोनिका के घर वालों ने अलग होने के लिए जो पट्टी उसे पढ़ाई थी, उस का प्रभाव भी कुछ दिनों बाद दोनों पतिपत्नी के संबंधों पर पड़ने लगा. उस को ले कर दोनों के बीच हो रहे वाक्युद्ध की जानकारी जब अनुपम के घर वालों के कानों तक पहुंची तो रविवार की छुट्टी के दिन अच्छाखासा बखेड़ा हो गया.

‘‘हमारे यहां शुरू से ही सारी बहुएं घर में ही रहती आई हैं. अलग होने के संस्कार नहीं हैं हमारे,’’ अम्मां ने मोरचा संभाल लिया.

‘‘अब समय बदल गया है, पहले जैसी बातें नहीं थोपी जा सकतीं,’’ मोनिका ने अम्मां की बात को काटा तो अनुपम की भौंहें तन गईं. उस ने मोनिका को सम?ाना चाहा, लेकिन विवाद और तर्कों का सिलसिला थमने के बजाय और बढ़ता गया.

इस पर मोनिका ने अपने मायके में फोन कर के आग में घी डालने का काम कर डाला. कुछ देर में उस के मम्मीपापा भी आ धमके. जैसी मोनिका वैसे ही उस के घर वाले. पापा तो चुप रहे, लेकिन मम्मी ने अनुपम और उस के परिवार वालों को काफी खरीखोटी सुना डाली.

मामला शांत होने पर मोनिका के मम्मीपापा तो चले गए, लेकिन अनुपम के अंदर अपमान की ग्रंथि भर गए. इस घटना से अनुपम और मोनिका के बीच संबंधों में आई तनातनी एवं टूटन और बढ़ गई. इस से मुक्ति पाने और मोनिका के लगातार जिद पकड़े रहने पर अनुपम ने अलग रहने पर सहमति दे दी, हालांकि वह स्वयं और उस का परिवार इस के पक्ष में कतई नहीं था. कालेज के परिसर में कोई क्वार्टर खाली नहीं था, इसलिए पास में ही एक मकान किराए पर ले कर दोनों उस में शिफ्ट हो गए.

मोनिका अपनी इस जीत पर अंदर ही अंदर जश्न मना रही थी. उस ने सोचा, अब अपने लटकों झटकों से अनुपम की सारी नाराजगी दूर कर देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि अनुपम के अंदर मोनिका के सामने विवश हो कर झुकने और स्वयं एवं परिवार को अपमानित किए जाने का कांटा लगातार चुभ रहा था. इस के प्रतिकार में उस ने मोनिका के परिवार से संबंध औपचारिक स्तर तक सीमित कर लिए. जब कभी मोनिका के परिवार के लोग आते तो वह उन में कोई रुचि नहीं लेता. ऐसे अवसरों पर अकसर वह घर से बाहर चला जाता और बहुत देर बाद लौटता.

अनुपम के इस व्यवहार के कारण मोनिका के अंदर भी अपमान का जहर भरने लगा. इस की परिणति पहले हलकी बहस, फिर आरोपों के तीखे वाण और फिर कई दिनों के लिए संवादहीनता के रूप में होने लगी. उन के बीच ऐसा परिवेश निर्मित हो गया, जिस में 2 व्यक्ति साथ तो रह रहे थे, लेकिन दोनों अकेले. घरेलू जरूरतों के लिएज़्ज्यादातर अनुमान और आभास का सहारा, संवादहीनता से उपजी असहनीय त्रासदी.

दोनों के बीच चल रही तनातनी के बीच बच्चे की पैदाइश भी टाल दी गई. यह कैसी स्थिति आ गई थी घर में, इस की तो कल्पना तक नहीं की थी. धीरेधीरे दोनों के अंदर विवाह को ले कर पश्चात्ताप ने घर बनाना शुरू कर दिया. इस से मुक्ति पाने के लिए वे कल्पनाओं में वैकल्पिक दिवास्वप्न देखने लगे- काश, किसी और से विवाह करते तो यह त्रासदी नहीं सहनी पड़ती.

व्यक्ति के अंदर नैसर्गिक भावनाओं की पूर्ति का प्रवाह हमेशा बना रहता है. मोनिका और अनुपम भी इस से अलग नहीं थे. समय बीतने के साथ संवादहीनता की स्थिति ने अनुपम और मोनिका के अंदर अपनी भावनाओं को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर करने की भूख बढ़ा दी.

घर की नीरवता से दम घुटने लगा तो अनुपम अपनी साथी प्रोफैसर प्रेरणा की ओर आकर्षित होने लगा. कंचन काया और सौंदर्य से परिपूरित प्रेरणा ने कुछ माह पूर्व ही जौइन किया था. अनुपम उस की ओर खिंचा जा रहा था, लेकिन प्रेरणा को तो जैसे कोई मतलब ही नहीं था. वह सामान्य संबंधों तक ही सीमित रही. इस से अनुपम के अंदर प्रेरणा से प्रेम पाने के लिए बेचैनी और बढ़ती गई. वह उस के प्रेमसागर में डूब जाने के लिए तरहतरह के प्रयास करने लगा, लेकिन प्रेरणा ने उसे उपेक्षित ही बनाए रखा.कारण, वह पहले से ही किसी के प्रेमपाश में बंधी हुई थी. उसे छोड़ कर एक विवाहित आदमी से क्यों जुड़ती?

अनुपम इस से अनभिज्ञ था. ऐसे में वह दोहरी वेदना से भरे द्वंद्व में फंसा. पत्नी दूर हो चुकी थी और प्रेमिका पास नहीं आ रही थी. तो क्या सारा जीवन ऐसे ही रिक्तता में बीत जाएगा, यह प्रश्न रहरह कर उस के मन में उभरने लगा.

Cannes 2023: साड़ी में सारा का कातिलना अंदाज, मृणाल ठाकुर ने पहनी मोनोकिनी

76 वे Cannes Film Festival का आगज बीते मंगलवार को हो गया है. इंटरनेशनल Cannes Festival का फ्रेंच रिवेरा में आगज हो गया है. रेड कार्पेट पर सितारों ने आपना जलवा दिखाया है. पहले ही दिन बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान ने रेड कार्पेट पर डेब्यू किया था. सारा ने Cannes 2023 में देशी अवतार में धांसू एंट्री की थी. रेड कार्पेट पर सारा अली खान ब्राइडल लुक में नजर आई थी. Cannes Film Festival के दूसरे दिन सारा अली खान देशी अंदाज में नजर आई है. सारा ने अपनी एक बार अपनी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं जिन्हें लोग पसंद कर रहे हैं. सारा अली खान के फैंस उनकी खूबसूरती के साथ ही उनकी ड्रेस को भी पंसद कर रहे हैं. सारा अली खान के शेयर करते ही उनकी तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है.

सारा ने शेयर की तस्वीर

सारा ने अपने इस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें शेयर की है जिसमे वह बहुत खूबसूरत लग रही है. सारा अली खान की ये तस्वीरें Cannes Film Festival के दूसरे दिन की हैं. सारा ने एकदम नए अंदाज में साड़ी पहनी है. सारा अली खान ने डिजाइनर अबू जानी संदीप खोसला की डिजाइन की गई साड़ी पहनी है.

 

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मृणाल ठाकुर ने मोनेकिनी में दिखाया बोल्ड अवतार

एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर ने Cannes Film Festival में डेब्यू किया है. मृणाल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई हुई है. मृणाल ने कान फेस्टिवल में ब्लैक मोनोकिनी पहने और ऊपर से जैट शाइन ब्लैक कलर का ओवर कोट पहने दिखाई दीं. एक्ट्रेस इस ड्रेस में काफी सिजलिंग लग रही थीं.  मृणाल की हॉट तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इसके साथ ही मृणाल ठाकुर ने अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की है. एक्ट्रेस की इन फोटो पर तरह-तरह के कमेंट आ रहे है. ब्लैक मोनोकिनी में देखकर यूजर ने कहा सुंदरी तो किसी ने कहा-काली मैना. तो किसी ने एक्ट्रेस के ड्रेस की ट्रान्सपेरेंसी पर कमेंट किया.

 

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मेरा मसकारा सूख गया है, मैं इसे कैसे इस्तेमाल कर सकती हूं?

सवाल

मैं अपनी आईलैशेज को कर्ल और ब्यूटीफाई करने के लिए मसकारा का इस्तेमाल करती हूं, लेकिन मेरा मसकारा बहुत पुराना तो नहीं है मगर सूख गया है. अभी उस में काफी मसकारा रहता है. मैं उस को किस तरह से फिर से इस्तेमाल कर सकती हूं?

जवाब

आप अपने मसकारा के अंदर थोड़ा सा आईलैंस सौल्यूशन जोकि लैंस लगाते वक्त इस्तेमाल होता है मसकारा में डाल दें. इस से मसकारा गीला हो जाएगा और आप उसे दोबारा इस्तेमाल कर पाएंगे. मगर ध्यान रखें कि मसकारा को इस्तेमाल करते वक्त ब्रश को बारबार पंप करना नहीं चाहिए. इस से मसकारा जल्दी सूख जाता है क्योंकि हवा अंदर चली जाती है. बहुत देर तक मसकारा को खुला भी नहीं छोड़ना चाहिए. इस से भी हवा अंदर चली जाती है और मसकारा सूख जाता है. अपने मसकारा को ध्यान से मैंटेन कीजिए ताकि दोबारा से न सूखे.

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सवाल

मैं जब भी नेलपौलिश लगाती हूं तो सूखने से पहले ही खराब हो जाती हैनेलपौलिश लगाने का सही तरीका क्या है?

जवाब

नेलपौलिश लगाते वक्त 2 कोट्स लगाने की जरूरत होती है. इंपौर्टैंट है कि पहला कोट जब पूरी तरह से सूख जाए तो ही दूसरा कोट लगाना चाहिए. इस से नेलपौलिश खराब नहीं होती. उसे लगाने के बाद नेल्स को कभी भी गरम हवा नहीं लगनी चाहिए बल्कि उन को ठंडे पानी में डाल कर निकाला जा सकता है और फिर ठंडे ड्रायर से सुखाया जा सकता है. आजकल सिंगल कोट वाली नेलपौलिश भी मिलती है जिस से दोबारा कोट लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और जल्दी से सूख भी जाती है. मगर बैस्ट है कि जब आप चाहें परमानैंट नेलपौलिश लगवा लें. इस में एक जैल नेलपौलिश लगाई जाती है और उसे एक लैंप के अंदर बेक किया जाता है. इस से नेलपौलिश 1-2महीनों के लिए परमानैंट लग जाती है. यह जनरल नेलपौलिश के मुकाबले जल्दी लगती है और देर तक टिकती है.

मां को दें मेकओवर का तोहफा

‘‘मम्मा आज जल्दी से तैयार हो जाओ. हमें कहीं बाहर चलना है,’’ मीनल ने अपनी मां साधना से कहा.

‘‘मगर जाना कहां है? देख अभी मुझे

बहुत काम है, तू जा,’’ कह कर साधना ने उसे टालना चाहा.

मीनल अड़ गई, ‘‘कोई नहीं मम्मा मैं काम निबटाने में आप की हैल्प कर देती हूं. आप बस तैयार हो जाओ.’’

‘‘तैयार क्या होना है, सलवारसूट पहना हुआ है. दुपट्टा डाल लेती हूं,’’ साधना बोली.

‘‘ओके मम्मा, आप तो वैसे भी रोज यही पहनते हो.’’

‘‘चल ठीक है, अब बता जा कहां रहे हैं

हम लोग?’’

‘‘अरे मम्मा मेरी फ्रैंड है न दीपा, बस उसी से मिलने जाना है,’’ मीनल ने जवाब दिया.

‘‘अरे तो मुझे ले कर क्यों जा रही है?’’ साधना अभी भी जाने के मूड में नहीं थी.

‘‘मम्मा प्लीज चलो. आप ज्यादा सवाल मत करो. बस मुझे अकेले नहीं जाना इसलिए आप को ले जा रही हूं,’’ मीनल ने बहाना बनाया.

अपने बिखरे हुए बालों का जूड़ा बना कर साधना बेटी के साथ निकल गई. मीनल ने औटो किया. औटो एक ब्यूटीपार्लर के सामने रुका तो साधना चौंकती हुई बोली, ‘‘यह तू मुझे कहां ले कर आई है? तू ने तो कहा था दीपा के घर जा रहे हैं पर यह तो ब्यूटीपार्लर है.’’

‘‘मम्मा यह किसी और का नहीं बल्कि दीपा का ही ब्यूटीपार्लर है.’’

दीपा ने साधना को बैठाते हुए कहा, ‘‘आंटी आप यहां आराम से चेयर पर बैठो. हमें 2-3 घंटे दे दो और फिर जादू देखो. आप का पूरा मेकओवर हो जाएगा.’’

अगले 2-3 घंटे दीपा और उस की सहयोगी ने मिल कर साधना का कायाकल्प कर दिया. उस के बंधे हुए लंबे बालों को खोला. फिर शैंपू कर के स्टैप कट में हेयर कटिंग की. ब्राउन शेड में हेयर कलरिंग भी कर दी. बालों के बाद चेहरे पर मेहनत की गई. फेशियल वगैरह करने के बाद जब हलका सा मेकअप लगाया तो साधना अपनी ही बदली हुई शक्ल देख कर हैरान रह गई.

खुद पर ध्यान न देना

एक समय था जब साधना युवा थी और वह भी अपने चेहरे और बालों को खूबसूरत बनाए रखने के लिए बहुत कुछ करती थी. मगर शादी के बाद जब बच्चे हुए तो वह पूरी तरह परिवार में रम गई. उस को अपनी केयर करने या खूबसूरत दिखने का खयाल ही नहीं रहता था. 35 साल की उम्र में ही उस के चेहरे पर थकावट और फाइनलाइंस साफ नजर आने लगी थीं.

शादी से पहले वह हमेशा अपने बालों को खुला रखती थी, मगर अब तो रोज सुबह बालों का जूड़ा बना कर घर के कामों में लगना ही उस का डेली रूटीन बन गया था. बालों में सफेदी आनी शुरू हो रही थी और उस का शरीर भी अब उतना आकर्षक नहीं रह गया था. वह हमेशा ढीला कुरता और पाजामी पहना करती और ऊपर से एक साइड से दुपट्टा डाल लेती. अपने रखरखाव पर वह इस से ज्यादा समय नहीं देती थी.

मगर अब उस की बेटी मीनल बड़ी हो गई थी और उस ने मदर्स डे के मौके पर अपनी मां का मेकओवर करने का फैसला लिया था.

ब्यूटीपार्लर के बाद मीनल अपनी मां को ले कर मौल पहुंची. वहां उस ने बहुत खूबसूरत सा पैपलम टौप और स्ट्रेट जींस खरीदी. फिर उसे मां को पहनने को दिया. साधना जींस और टौप पहनने में हिचक रही थी, मगर मीनल के जोर देने पर उस ने वह ड्रैस पहन ली. अब मीनल ने एक खूबसूरत सा हैंड पर्स और प्लेटफौर्म हील्स खरीदीं.

साधना ने उसे टोका, ‘‘इतने रुपए बेकार खर्च क्यों कर रही है और ये रुपए आए कहां से?’’

‘‘मम्मा पहली बात ये रुपए बरबाद नहीं हो रहे बल्कि इन का सही प्रयोग हो रहा है और दूसरी बात ये रुपए मेरे जेब खर्च से बचाए हुए हैं.’’

साधना ने प्यार से बेटी का माथा चूम लिया. फिर साधना जब जींसटौप के साथ हील्स पहन कर घर लौटी तो साधना को खुद उस के पति नहीं पहचान पाए. घर में हरकोई उसे देखता ही रह गया. साधना का कायाकल्प हो गया था और वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. उस की उम्र 28 साल से अधिक की नहीं लग रही थी. सब करेंगे तारीफ

मां का मेकओवर कर आज मीनल बहुत खुश थी. उस ने मां से वादा किया कि वह घर के कामों में थोड़ी हैल्प कराएगी मगर मां को ऐसे ही बनसंवर कर रहना होगा. साधना के चेहरे पर आत्मविश्वास भरी प्यारी सी मुसकान थी.

सच है कि जिंदगी की पहली शिक्षक मां होती है. पहली दोस्त भी मां ही होती है और सब से बढ़ कर जिंदगी देने वाली भी मां ही होती है. ऐसी मां के ऊपर जिंदगी कुरबान भी कर दी जाए तो कम है. मगर अफसोस अकसर हम अपनी जिंदगी में इसी मां को इग्नोर करने लगते हैं.

हमारे पास उस मां के लिए ही समय की कमी हो जाती है जिस मां ने अपना सारा समय हमें दिया होता है.

बच्चों की देखभाल और जिम्मेदारियों के चलते मां को खुद के लिए समय ही नहीं मिल पाता जिस में वह सज और संवर सके. मदर्स डे एक ऐसा दिन है जिसे आप यादगार बनाना चाहते हैं तो मेकअप से ले कर ड्रैसिंगसैंस और नए हेयरस्टाइल के मेकओवर के जरीए मां को और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाने में कामयाब हो सकते हैं.

मेकअप मेकओवर

शायद ही कोई महिला हो जिसे मेकअप का क्रेज न हो. कई महिलाएं मेकअप ट्रैंड को फौलो करने के लिए यूट्यूब का भी सहारा लेती हैं. देखा जाए तो मेकअप करने के काफी सारे तरीके हैं जिस का कोई खास रूल नहीं है. लेकिन 30-40 साल की मां को मेकअप करते वक्त अपनी स्किन टोन के हिसाब से ही मेकअप करना चाहिए क्योंकि इस उम्र में चेहरे पर फाइनलाइंस नजर आने लगती हैं.

सैलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट गुंजन अघेरा पटेल से जानते हैं कि मां को किस तरह का मेकअप करना चाहिए:

फाउंडेशन सलैक्शन

. नौर्मल स्किन के लिए पाउडर फाउंडेशन का चुनाव करें.

. ड्राई स्किन है तो लिक्विड, स्टिक या हाईड्रेटिंग पाउडर फाउंडेशन का इस्तेमाल करें.

. औयली स्किन के लिए औयल फ्री लिक्विड या पाउडर फाउंडेशन का सलैक्शन करें.

. कौंबिनेशन स्किन के लिए जिस जगह पर औयल ज्यादा आता है उस जगह पर पाउडर फाउंडेशन ज्यादा करें और जहां कम औयल हो वहां पर पाउडर फाउंडेशन का इस्तेमाल कम करें.

स्किन टोन के हिसाब से मेकअप

. यलो बेस्ड और पिंक बेस्ड फाउंडेशन ज्यादातर हर तरह की स्किन टोन पर सूट करता है.

. पिंक बेस्ड फाउंडेशन काफी ज्यादा गोरी रंगत को ठीक करता है.

. डस्की स्किन टोन के लिए रोजी, रैडिश या ब्लू बेस के फाउंडेशन को सलैक्ट करना चाहिए.

लिपस्टिक के कलर का सलैक्शन

. अपने नैचुरल लिप कलर से 2 शेड डीप कलर की लिपस्टिक को इस्तेमाल करें.

. पिंक और रैड शेड के साथ ऐक्सपैरिमैंट करें. यह हर आउटफिट से मैच होता है.

. दिन में लिपस्टिक का शेड लाइट और रात में डार्क रखें.

. फेयर स्किन के लिए पिंक अंडरटोन, मीडियम के लिए क्रैनबेरी और ब्रिक रैड, डार्क कौंप्लेक्शन के लिए ब्राउन और बरगंडी शेड चुनें.

हेयर मेकओवर

व्यक्तित्व को निखारने में हेयरस्टाइल की काफी ज्यादा भूमिका होती है. हेयरस्टाइल ही पहली ऐसी चीज होती है जो सामने वाले का ध्यान सब से पहले आकर्षित करती है. मदर्स डे पर अगर आप भी अपनी मां के बालों के साथ कुछ ऐक्सपैरिमैंट करने की सोच रही हैं तो उन के चेहरे के हिसाब से ही परफैक्ट हेयरस्टाइल का चुनाव करें.

कैसा हो हेयरस्टाइल

. गोल चेहरे पर कुछ बालों को चेहरे के दोनों तरफ से बाहर आने दें. चौपी लेयर्ड बौब, डिफाइंड पिक्सी या डीप लेयर वाले ओपन हेयर ट्राई कर सकती हैं.

. ओवल चेहरे पर छोटे बालों में ब्लंट बौब और लंबे बालों के साथ लाइट लेयर कट अच्छे लगेंगे.

. डायमंड फेस पर लौंग, साइड स्वैप्ट बैंग्स और टैक्सचर्ड बौब ट्राई कर सकती हैं.

स्किन टोन के हिसाब से चुने हेयर कलर

. फेयर स्किन टोन पर लाइट ब्राउन, हनी चैस्टनट, डार्क ब्लांड हाईलाइट्स खूब फबते हैं.

. मीडियम स्किन टोन पर चौकलेट ब्राउन, बेस कलर, चैस्टनट जैसे कलर्स के अलावा गोल्डन ब्राउन, डीप रिच ब्राउन हेयर कलर अच्छे लगते हैं.

. डस्की स्किन पर डार्क चौकलेट ब्राउन कलर अच्छा लगता है. इस के अलावा आप चौकलेट ब्राउन, रैड अंडरटोन और डार्क ब्राउन कलर भी ट्राई कर सकती हैं.

ड्रैसिंग मेकओवर

मदर्स डे पर बच्चे सब से ज्यादा अपनी मांओं को साड़ी गिफ्ट में देते हैं. हालांकि साड़ी ही एक ऐसा परिधान है जिस के आगे सभी ड्रैसेज फेल हो जाती हैं. ऐसे में अगर आप अपनी मां के लिए साड़ी खरीदने वाली हैं तो आप बौडी शेप के हिसाब से ही साड़ी का सलैक्शन करें.

इस संदर्भ में सीमा कलावाडि़या (फाउंडर ऐंड फैशन डिजाइनर, सिम्स स्टूडियो) कुछ टिप्स बता रही हैं:

बौडी शेप के हिसाब से सही साड़ी

अगर है प्लस साइज

. प्लस साइज की महिलाओं के लिए शिफौन, सौफ्ट ऐंड फाइन सिल्क और जौर्जेट की साड़ी का चयन करना चाहिए.

. प्रिंटेड और ब्रौड प्रिंटेड साडि़यों की जगह महीन प्रिंट की साडि़यां चुनें.

अगर बौडी शेप है पतली

. पतली महिलाएं किसी भी तरह की साड़ी कैरी कर सकती हैं. कौटन, औरगेंजा और नैट की साडि़यों का चुनाव बेहतर औप्शन होगा.

. ब्रौड प्रिंट, हौरिजैंटल लाइंस के साथसाथ हैवी वर्क की साडि़यां भी खूब फबेंगी.

अगर हाइट है लंबी

. लंबी हाइट की महिलाओं पर सुपर नैट, कौटन और सिल्क की साडि़यां अच्छी लगेंगी.

. हौरिजैंटल प्रिंट्स का चुनाव करें. वर्टिकल प्रिंट्स का चुनाव करेंगी तो हाइट और भी ज्यादा लगेगी.

. सौलिड कलर या बिना प्रिंट्स वाली साड़ी लंबी हाइट पर अच्छी लगती है.

अगर हाइट है कम

. कम हाइट वाली महिलाओं को ऐसी साड़ी का चयन करना चाहिए जिस में कम वौल्यूम हो.

. वर्टिकल वाली साड़ी का सलैक्शन करें.

. नाभि के नीचे से साड़ी ड्रेप करें इस से हाइट ज्यादा नजर आएगी.

आजकल मांएं वर्किंग भी और हाउसवाइफ भी होती हैं. उन्हें दोनों ड्यूटी निभानी होती हैं और कोई आ गया तो प्रेजैंटेबल भी दिखना होता है. ऐसे में आप उन के लिए कुछ ऐसी ड्रैसेज सलैक्ट करें जिन में मां मौडर्न भी लगे और कंफर्टेबल भी महसूस करे:

इस संदर्भ में फैशन डिजाइनर आशिमा शर्मा  मां के फैशन मेकओवर के लिए कुछ टिप्स दे

रही हैं:

आजकल महिलाओं में लौंग स्कर्ट (जोधपुरी/ राजस्थानी डिजाइन वाली) काफी पौपुलर हैं. चिकनकारी के टौप/शर्ट के साथ पेयर करने पर यह वैस्टर्न और इंडियन लुक का फ्यूजन लगता है. साथ में कलरफुल चौड़े कंगन यानी ब्रैंड बैंगल्स ले सकते हैं. इस के साथ मेकअप भी हलका यानी न्यूड मेकअप अच्छा लगता है.

. स्ट्रेट जींस जिसे बौयफ्रैंड जींस भी कहते हैं

अपनी मां के लिए खरीद सकते हैं. यह बिलकुल खुले पैर की होती है इसलिए मिडल एज की महिलाएं इसे आराम से पहन सकती हैं. वे इसे घर के बाहर भी पहन सकती हैं और डेली यूज में भी रख सकती हैं क्योंकि यह कंफर्टेबल होती है. इसे इंडियन प्रिंट वाली शौर्ट कुरतियों के साथ पेयर किया जाता है.

. रैप अराउंड वाली स्कर्ट आजकल महिलाओं में बहुत चल रही है खासकर मैट्रो सिटीज में इसे पहने हुए स्टाइलिश महिलाएं अकसर दिख जाती हैं. आप भी अपनी मां के लिए इसे ले कर आएं. इसे पहन कर मां का लुक बदल जाएगा और वे काफी मौडर्न नजर आएगी.

. शौर्ट टौप के साथ श्रग पहन कर एक डिसैंट और स्मार्ट लुक मिलता है खासकर जींस के साथ यह काफी प्रेजैंटेबल लुक देता है.

. आजकल ट्राउजर भी बहुत चल रहे हैं. आप अपनी मां के लिए लाइट ब्लू या लाइट ब्राउन जैसे ट्रैंडी कलर ले सकते हैं. इस में वह फैशनेबल दिखेगी.

. नीलैंथ की ए लाइन शिफ्ट ड्रैस, कैपरी, शर्ट ड्रैस, काफ्तान, पैपलम टौप आदि महिलाओं के बीच काफी पौपुलर हैं. ये ड्रैसेज स्मार्ट लुक देती हैं.

. अगर आप की मां थोड़ी हैल्दी है तो याद रखिए आजकल प्लस साइज के बहुत सारे ब्रैंड्स आ गए हैं जो ऐसी महिलाओं के लिए स्टाइलिश आउटफिट्स तैयार करते हैं. आप अपनी मां के लिए खूबसूरत ए लाइन ड्रैस ले सकते हैं. यदि मां दुबली है तो शर्ट ड्रैस, काफ्तान या श्रग के औप्शन बेहतर होंगे.

ज्वैलरी सैट

आप अपनी मां के लिए आजकल के ट्रैंड के हिसाब से किसी भी तरह की ज्वैलरी का सैट खरीद सकती हैं. आर्टिफिशियल ज्वैलरी सैट आप को लगभग क्व400 से ले कर क्व1,500 के बीच में आसानी से मिल जाएगा.

स्किन केयर प्रोडक्ट

अगर आप चाहते हैं कि आप की मां हमेशा जवां और खूबसूरत दिखे तो आप उसे स्किन केयर प्रोडक्ट की एक पूरी रेंज गिफ्ट कर सकते हैं. मां के लिए डे, नाइट क्रीम से ले कर लिप टिंट, अंडर आई क्रीम, बीबी क्रीम और वे सारी जरूरी चीजें शामिल हो सकती हैं जो बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को चाहिए.

फिटनैस बैंड

मदर्स डे पर अपनी मां को देने के लिए फिटनैस बैंड एक बेहतरीन गिफ्ट है. यह न सिर्फ मां की हर मूवमैंट पर नजर रखेगा बल्कि उन्हें फिटनैस के प्रति और मोटिवेट भी करेगा. ऐसे में आप एक फिटनैस ट्रैकर या बैंड अपनी मां को दे सकते हैं और उन्हें एक हैल्दी लाइफ जीने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

स्पा औफर करें

उन्हें हेयर और बौडी स्पा, मेकअप प्रोडक्ट्स या बौडी मसाज औफर करें. इस से मां की जरूरतें भी पूरी हो जाएंगी और वह स्पैशल भी फील करेगी.

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