Mother’s Day Special: मदर्स डे पर कुछ ऐसा हो आपकी मदर का मेकओवर

मदर्स डे आने में अब कुछ ही दिन बचे है ऐसे में आप अपनी मदर को स्पेशल फील कराने के लिए कुछ न कुछ तो जरूर कर रहे होंगे कोई मदरस डे अपनी माँ को फूल गिफ्ट करेंगा, कोई ब्यूटीफुल ड्रेस, कोई मेकअप प्रोडक्ट्स, कोई अच्छी सी पार्टी देगा, कोई मूवी दिखाने ले जाएगा ऐसे में मां के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना आपके साथ आपकी मदर को बहुत अच्छा लगेगा अगर आप इस ओकेजन के लिए उनको एक खूबसूरत मेकओवर भी दें और उनके मेकअप और लुक को क्रिएट करने  में उनकी मदद करें, और उन्हें स्पेशल फील करवाएं तो उनको और भी अच्छा लगेगा. जब आप खुद उन्हे तैयार करेंगी और घुमाने ले जाएँगी तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा. इस खास ओकेजन में आइये जाने कि मदर्स डे आप अपनी मदर के लिए कैसा मेकअप कर सकती हैं और उन्हे एक फ्रेश लुक दे सकती हैं.

ब्यूटी एक्सपर्ट रिचा अग्रवाल कुछ ऐसे टिप्स आपकी मदर्स के लिए शेयर कर रही हैं जिससे वो एक समर रेडी और पार्टी रेडी लुक अचीव कर सकती हैं.

 मॉइश्चराइजिंग

स्किन को यूथफुल और खिला-खिला रखने के लिए स्किन को हाइड्रेट रखना बहुत ज़रूरी है, इसके लिए सबसे पहले तैयार होने से पहले चेहरे को मॉइस्चराइज़ ज़रूर करें, इससे स्किन फ्रेश भी दिखेगी और साथ ही मेकअप भी अच्छे से ब्लेंड होगा.

अंडर आई क्रीम 

इसके साथ ही आँखों के नीचे के एरिया में अंडर आई क्रीम का इस्तेमाल ज़रूर करें, इससे पहले आई क्रीम को पैच टेस्ट कर के ज़रूर देख लें. अंडर आई क्रीम लगाने के बाद मेकअप बेस ज़रूर लगाए, इससे अंडर आई पफीनेस, डार्क सर्कल्स आदि कवर हो जाएंगे.

वाटरप्रूफ कंसीलर और फाउंडेशन

इसके बाद पूरे चेहरे पर फेस कंसीलर और या फिर फाउंडेशन लगाएं और खूब अच्छी तरह से ब्रश से ब्लेंड करें, चेहरे पर बेस लगाते हुए आप गर्दन पर भी बेस को अच्छे से स्प्रे करें. समर के लिए एसपीएफ युक्त लाइट और ऑयल फ्री फाउंडेशन ही लगाए.जिससे स्किन चिपचिपी नहीं दिखेगी और साथ ही सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी आप अपनी स्किन को प्रोटेक्ट रख पाएंगी.

फॉर लॉन्ग लास्टिंग मेकअप

अगर आप चाहती हैं की मेकअप  इवन लगे तो मेकअप से पहले स्किन पर आइस रब ज़रूर कर लें. इसके उपयोग से आपकी स्किन ऑयली और चिपचिपी नहीं दिखेगी.  साथ ही स्किन सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से  भी बची रहेगी. क्यूंकि गर्मियों का समय  तो आप आयल फ्री मॉस्चराइज़र का ही इस्तेमाल करें, और यदि आपको एक्ने और पिम्पल्स आदि की समस्या रहती है तो आप जेल बेस्ड मॉइस्चराइज़र भी लगा सकती हैं.

आई मेकअप

अपनी मां का वाटरप्रूफ आई मेकअप ही करें इसके बाद आँखों पर माइल्ड मेकअप कर सकते हैं, आइब्रो को शेप में रखने के लिए ब्रश की मदद से आई ब्रो के बाल सेट करें और फिर फिलर से आई ब्रो फिल  करे, डार्क ब्लैक कलर का इस्तेमाल ना करें और इसकी जगह डार्क ब्राउन कलर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

 आई शैडो हो खास

इसके बाद आँखों पर माइल्ड ब्राउन या पीच कलर का आई  शैडो लगाएं जो स्किन के टोन से एक टोन डार्क हो. समर में हैवी आई मेकअप करने से परहेज़ ही करें क्यूंकि आई मेकअप करते समय आईशैडो के लिए लाइट व न्यूट्रल शेड्स चुनें.  समर में आई मेकअप को फैलने से बचाने के लिए आप वाटरप्रूफ आई मेकअप का इस्तेमाल करें और सारे मेकअप को वाटरप्रूफ रखे. इवनिंग पार्टी का मेकअप हो बाइब्रेंट अगर आप इवनिंग पार्टी को एन्जॉय कर रही हैं , तो आई मेकअप के लिए हल्के ब्राइट शेड्स या फिर थोड़े वाइब्रंट शेड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. इवनिंग पार्टी में आई मेकअप के लिए ग्रे,  नेवी ब्लू जैसे शेड्स बहुत अच्छे दिखते हैं और इन शेड्स स्मोकी आई मेकअप इस्तेमाल कर सकते हैं.

इसके बाद आप अपने आई ब्रोस को हाईलाइट ज़रूर करें, आप लाइनर को स्किप भी कर सकते हैं और गर्मियों का समय है तो काजल भी स्किप करें, और सिंगल कोट मस्कारा लगा सकती हैं और आई लाश कर्लर का इस्तेमाल कर सकते हैं. समर में फ्रेश लुक के लिए आप ब्लैक का इस्तेमाल ना करते हुए  सॉफ्ट ब्राउन कलर का  मस्कारा लगाएं और आप चाहे तो आप ट्रांसपेरेंट मस्कारा भी लगा सकती हैं जो आर्टिफिशल नहीं लगेगा और नेचुरल दिखेगा और साथ ही आपकी आई लेसेज भी घनी दिखेंगी.

ब्लशर और लिपस्टिक के कलर को करें कोऑर्डिनेट

स्किन से एक टोन डार्क ब्लशर का इस्तेमाल करें, और लिपस्टिक भी ब्लशर से मिलते हुए कलर की ही लगाए. लिपस्टिक लगाने से पहले लिप लाइनर से शेप दें और फिर अपने लिप्स को उससे फिल कर दें, गर्मियों का समय है तो हल्के शेड की लिपस्टिक का ही चयन करें आप लिपस्टिक के लिए पीच, पिंक, लाईट ब्राऊन कलर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं , और इसके ऊपर लिप ग्लॉस ज़रूर लगा लें.  याद रखे समर में लाईट मेकअप करें जिससे आप और अधिक यंग और फ्रेश नज़र आएंगी.  आप चाहे तो समर में लिपस्टिक की जगह सिर्फ लिप ग्लॉस ही अप्लाई कर सकते हैं. समर में ऑरेंज और कोरल कलर्स अप्लाई करें क्यूंकि डीप और हैवी कलर्स इस मौसम में अच्छे नहीं लगते.करें नेचुरल मेकअप सेटर का इस्तेमाल करें.

मेकअप में ले ब्लॉटिंग पेपर की मदद

आप चाहती हैं की मेकअप स्किन पर ज़्यादा देर तक टिके तो फिर मेकअप पूरा होने के बाद आधे फ़ीट की दूरी से पानी का स्प्रे सिर्फ एक सेकंड के लिए कर दें यह नेचुरल मेकअप सेटर का काम करेगा आपकी स्किन पर. इसके साथ ही आप अपने पास ब्लॉटिंग पेपर ज़रूर रखे ताकि आप एक्सेस आयल को समय समय पर ब्लॉटिंग पेपर की मदद से हटा सके.

हेयर स्टाइल

इस ओकेजन पर और गर्मी को देखते हुए आपकी मां का हेयर स्टाइल ऐसा हो जिससे वह कंफरटेबल हो  आप हाई बन बना कर खूबसूरत स्टाइल दे सकती हैं.इसके अलावा ये स्टाइल भी अपना सकती है.

फ्रेंच बन

ये स्टाइल दिखने में जितना स्‍टाइलिश होता है उतना कंफरटेबल भी , यह गर्मी के दिनों में बालों को बिखरने से भी बचाए रखता है. इससे गर्मी भी कम लगती है. इसे बनाते समय बालों को घुमाते हुए ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है और जूड़ा पिन की मदद से अंदर की ओर दबाकर लॉक कर दिया जाता है.

फिश टेल स्‍टाइल

अगर आपके बाल लंबे है तो आपके लिए ये हेयर स्‍टाइल बेहतरीन है. इस हेयर स्‍टाइल की मदद से आपके बाल समेटे रहेंगे और बार बार खुलेंगे नहीं. फिश टेल बनाने में भले ही थोड़ा मेहनत है लेकिन एक बार बनाने के बाद आप चाहें तो पूरे दो दिन चोटी बनाने से बच सकती हैं. इसे बनाते समय कई बारीक लेयरिंग की जाती है.

आउटफिट्स भी हो स्टाइलिश

आप मदर्स डे के दिन अपनी मां के साथ मैचिंग आउटफिट्स भी स्टाइल कर सकती हैं. आजकल ट्विनिंग ड्रेसेस का काफी ट्रेंड देखा जा रहा है, जिसे आप भी अपनी मां के साथ स्टाइल कर सकती हैं. आप अपनी मां को शरारा सूट, प्लाजो सूट वियर करा सकती है इसके अलावा यंग और स्मार्ट लुक के लिए लांग वन पीस अपनी मैचिंग का भी पहन सकती है इससे मां-बेटी का लुक और बॉन्डिंग और भी स्ट्रांग लगेगी.

Mother’s Day Special: माई मौम माई दीवा

‘‘सुबह 5 बजे का अलार्म बजा नहीं कि मम्मी तुरंत उठ खड़ी होतीं. फिर जब वे हमें उठाने लगती हैं तो हम सब हर बार बस 5 मिनट और सोने दो कह कर उन्हें रूम से चले जाने का इशारा कर देते हैं. जब तक हम उठते हैं हमें लंच व ब्रेकफास्ट तैयार मिलता है. तैयार होते भी हम मां से कभी जूते लाने को कहते हैं तो कभी कहते हैं मां प्लीज मेरी ड्रैस प्रैस कर दो. ‘‘हम ही नहीं पापा व घर के अन्य सदस्यों की भी इस तरह की फरमाइशें जारी रहती हैं. मां चेहरे पर मुसकान लिए खुशीखुशी हम सब की फरमाइशें पूरी कर देती हैं, जबकि उन्हें खुद भी औफिस जाना होता है. मगर वे जानती हैं कि खुद के साथसाथ परिवार की सारी चीजों को कैसे मैनेज कर के चलना है.

‘‘घर की सारी जरूरतें पूरी करने के बाद उन्हें अपने औफिस भी जाना होता है. कभीकभी तो मुझे आश्चर्य होता है कि इतने व्यवस्थित तरीके से वे ये सब कैसे मैनेज करती हैं. मैं भी उन से सीख कर उन के जैसा बनना चाहती हूं. सच में मौम सिर्फ एक परफैक्ट वूमन

नहीं, बल्कि मेरी स्ट्रैंथ भी हैं और उन्हीं से मैं आयरन की तरह मजबूत बन जीवन जीने का व्यवस्थित तरीका भी सीख रही हूं,’’ यह कहना है 17 वर्षीया रिया का. फिटनैस से नो कंप्रोमाइज अगर औफिस पहुंचने की जल्दी के चक्कर में हैल्थ को इग्नोर किया तो आगे चल कर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए सुबह की सैर स्किप करने का तो सवाल ही नहीं उठता, भले ही सुबह आधा घंटा जल्दी क्यों न उठना पड़े.

ऐसा सिर्फ मां अकेले नहीं करतीं, बल्कि इस में परिवार के सभी सदस्यों को भी शामिल करना नहीं भूलती, क्योंकि वे जानती हैं कि फिटनैस सिर्फ उन के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए जरूरी है. सभी को समझाती भी हैं कि सुबह की फ्रैश हवा में घूमने से हम खुद को न सिर्फ बीमारियों से दूर रख सकते हैं, बल्कि पूरा दिन फ्रैश महसूस करते हुए चुस्ती से काम भी कर सकते हैं. मां यह बात अच्छी तरह जानती है कि परिवार की सेहत का ध्यान रखने के लिए उस का भी सेहतमंद रहना जरूरी है.

वर्किंग मदर्स खासतौर पर इस बात का खयाल रखती हैं. उन्हें पता है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को शरीर में आयरन, कैल्सियम इत्यादि की कमी से दोचार होना पड़ता है. ऐसे में वे अपनी डाइट के प्रति सजग हैं. चीजों का स्किप करना नहीं सीखा

कहावत है कि मां के पास जादू की छड़ी होती है जिस से वह हर मुश्किल आसान बना देती है. कुनाल ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि मम्मी की औफिस में मीटिंग और उसी दिन स्कूल में हमारी पार्टी होने के कारण मुझे घर से राइस ले जाने थे. मेड को भी उसी दिन छुट्टी करनी थी. पापा ने भी सुबह ही बताया कि आज उन का आलूमटर खाने का मन है. इतने सारे काम. फिर भी मेरी सुपर मौम ने किसी को रूठने नहीं दिया.

घर का कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा. फिर टाइम पर औफिस भी पहुंच गईं. ये सब हमें उन के शाम को घर लौटने पर पता चला. तब हमें लगा कि हमें भी अपनी स्वीट मौम के लिए कुछ करना चाहिए. तब मैं ने और पापा ने उन के लिए डिनर तैयार कर के उन्हें सरप्राइज दिया. ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं, बल्कि कई बार किया है. मैं उन्हें ऐसा करता देख कर इंस्पायर होता हूं. और उन की तरह बनना चाहता हूं.

खुद को रखती हैं हरदम टिपटौप

मां यह बात भली प्रकार समझती है कि उस की बेटी उसे अपनी स्ट्रैंथ के साथसाथ उसे अपना रोल मौडल भी मानती है. ऐसे में वह अपने अपीयरैंस से समझौता नहीं करती. अपनी मां के पर्सनल केयर रूटीन के बारे में कृति कहती हैं कि मौम हर समय किसी की भी एक आवाज पर हाजिर हो जाती हैं. पूरा दिन घर व औफिस के कामों में लगी रहती हैं. फिर भी खुद को टिपटौप रखती हैं. लेटैस्ट आउटफिट्स को कैरी करना नहीं भूलतीं. भले ही बाहर जाने का टाइम न भी मिले, फिर भी अपनी स्किन की केयर के लिए होममेड चीजें चेहरे पर प्रयोग करती रहती हैं ताकि स्किन हर उम्र में चमकतीदमकती रहे.

वे हमें भी त्वचा को जवां बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देती हैं. सिर्फ सलाह ही नहीं, बल्कि उन्हें जबरदस्ती करवाती भी हैं ताकि हम धीरेधीरे उसे अपने रूटीन में शामिल कर सकें. मैं जब भी अपनी मौम के साथ जाती हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है कि ये मेरी मौम हैं. उन की पर्सनैलिटी की हर कोई तारीफ करते नहीं थकता. परिवार की हर बात का खयाल मां को फैमिली की स्ट्रैंथ यों ही नहीं कहते, उस के पास परिवार के एकएक सदस्य की पसंदनापसंद का लेखाजोखा रहता है. कब और किसे क्या चाहिए, वह बिना बताए ही समझ जाती है.

आदर्श अपनी परीक्षा के दिन याद करते हुए बताता है कि पिछले हफ्ते मेरी परीक्षा थी. मैं ने देर रात तक पढ़ाई की. मम्मी को मेरी आदत के बारे में पता था कि मैं जल्दीजल्दी में अपना एडमिट कार्ड ले जाना भूल जाऊंगा, इसलिए उन्होंने पहले ही मेरे बैग में मेरा एडमिट कार्ड रख दिया था. जब परीक्षा केंद्र में मुझे याद आया तो मेरे होश उड़ गए. लेकिन ‘माई मौम इज ग्रेट’ यह सोच जब मैं ने अपना बैग चैक किया तो वह उस में था. यही नहीं जब भी पापा को जरूरी डौक्यूमैंट्स की जरूरत होती है, तो मम्मी ही उन्हें ढूंढ़ कर देती हैं. यानी हम उन के बिना अधूरे हैं.

बच्चों को बनाए वैल बिहैव्ड

मां को बच्चों के साथ समय बिताने का भले ही कम समय मिल पाता है, फिर भी वे अपने बच्चों को पूरी तरह वैल मैनर्ड बनाने की कोशिश करती हैं. किस तरह बड़ों के सामने पेश आते हैं, घर आए मेहमान को कैसे ऐंटरटेन करते हैं, अगर कोई आप के साथ बदतमीजी करता है तो कैसे प्यार से उसे अपनी गलती महसूस करवानी है, पेरैंट्स अगर कुछ कहें तो उलट कर जवाब नहीं देना है, हमेशा सब की मदद के लिए तैयार रहना है वगैरावगैरा सिखाती रहती हैं. मां से बेहतर भला यह बात कौन समझेगा कि बच्चे के लिए उस की पहली पाठशाला उस के मातापिता ही होते हैं. उन के बोलचाल के तरीके और व्यवहार पर पेरैंट्स की ही छाप होगी. मां यह सुनिश्चित करती है कि घर का कोई भी सदस्य बच्चों के सामने अनापशनाप बात या व्यवहार करे.

समझाए पढ़ाई का महत्त्व

मांएं ट्यूशन तक ही बच्चों की पढ़ाई को सीमित नहीं रखतीं, बल्कि खुद भी उन की पढ़ाई पर समय देती हैं ताकि वे उन की वीकनैस व स्ट्रैंथ को पहचान सकें. जहां भी उन्हें उन में कमजोरी नजर आती है उन्हें टीचर की तरह समझाने की कोशिश करती हैं ताकि उन का बच्चा अव्वल आ सके.

बच्चे के उज्जवल भविष्य की नींव रखने में मां की भूमिका को नकारा नहीं सकता. उस के प्रतिदिन के प्रयास का फल बच्चे के काबिल बन जाने पर ही मिलता है.

फैमिली संग क्वालिटी टाइम भी

वे घर में सभी के साथ क्वालिटी टाइम व्यतीत करने में विश्वास रखती हैं ताकि अगर थोड़ा सा समय भी साथ बिताने को मिले तो वह समय उन के लिए पूरे दिन का बैस्ट समय हो और परिवार का कोई भी सदस्य खुद को इग्नोर महसूस न करे. मां की भूमिका परिवार में धागे की तरह होती है जिस से परिवार का हर एक सदस्य मोतियों की तरह पिरोया हुआ रहता है. ऐसे में वह सुनिश्चित करती है कि दिन में भले कुछ समय के लिए ही, मगर परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठ कर कुछ पल जरूर बताएं.

फंक्शंस भी मिस नहीं करतीं आजकल की व्यस्त जीवनशैली अपनों, नातेरिश्तेदारों से मिलनेजुलने के मौके बहुत कम देती है. मां की जिम्मेदारी यहां और भी बढ़ जाती है क्योंकि जब वह खुद व्यस्त होने का बहाना बना कर गैटटुगैदर मिस करेगी तो बच्चे भी अपनों को जाननेसमझने से वंचित रह जाएंगे.

मां यह सुनिश्चित करती है कि पारिवारिक समारोहों में सपरिवार शामिल हो कर फैमिली बौंडिंग को और मजबूत बनाया जाए. इस बारे में श्रेया कहती है कि मैं थकी हुई हूं या फिर मेरे पास ढेरों काम हैं, कह कर मेरी मौम ने कभी फैमिली फंक्शंस मिस करने का बहाना नहीं बनाया, बल्कि हर फंक्शन अटैंड करती हैं. यही नहीं, घर आए मेहमानों की भी खुशीखुशी आवभगत करती हैं. वे हमें भी यही सिखाती हैं कि रिश्तों, परिवार का महत्त्व समझो, क्योंकि एकजुट परिवार में जो ताकत होती है वह अलगथलग रहने में नहीं.

सिखाती है टाइम मैनेजमैंट समय का सही प्रबंधन

किस तरह करना है, यह तो कोई मां से सीखे. अपना अनुभव शेयर करते हुए राज का कहना है कि मैं अपने पेरैंट्स का सिंगल चाइल्ड हूं, जिस कारण मुझे अपने पेरैंट्स से ऐक्स्ट्रा केयर मिलती है. मेरे मौमडैड दोनों वर्किंग हैं. इस के बावजूद मेरी मौम ने घर में पूरा अनुशासन बना कर रखा है. मैं जब भी कोई गलती करता हूं तो वे मुझे आंखों से इशारा कर अपनी नाराजगी बता देती हैं, जिस से मैं उस काम को दोबारा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. मेरी मौम चीजों को बहुत अच्छी तरह मैनेज करना जानती हैं. उन्हीं से मैं ने टाइम मैनेजमैंट सीखा है. मैं तो यही कहूंगा कि अब तक मैं ने जो अचीव किया है सिर्फ अपनी मां के कारण.

बोल्ड बनाती है मां

जिस तरह मां हर परिस्थिति का सामना डट कर करती है उसी तरह बच्चों को भी हर हालात से लड़ना सिखाती है. अनुभव बताते हैं कि जब मेरी मां की ऐंजौय करने की उम्र थी तब हमारे पापा का देहांत हो गया. ऐसी स्थिति में मां ने खुद को संभालते हुए हमें कभी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी. उन्होंने जौब कर के हमारी हर जरूरत को पूरा किया.

वे हमें भी बोल्ड बनाने की कोशिश करती रहती हैं. वे अंदर से भले ही टूट गई थीं, लेकिन हमारे सामने कभी आंखों से आंसू नहीं आने दिए. उन का संघर्ष और मेहनत देख मेरे मुंह से उन के लिए तारीफ के शब्द निकलने रुकते नहीं हैं. मैं अपनी मौम से बस यही कहूंगा कि आप को दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करूंगा.

Mother’s Day Special: बढ़ती बेटियों को दें ये ब्यूटी मंत्र

पार्टी से घर लौट सोनम जब अपने बैडरूम में घुसी, तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गई. ड्रैसिंगटेबल पर कौस्मैटिक का सामान बिखरा पड़ा था और उस की 13 वर्ष की बेटी आलिया सजधज कर खुद को आईने में निहार रही थी. गुस्से में तमतमाई सोनम ने आलिया के गाल पर थप्पड़ जड़ते हुए कहा कि ये कोई बच्चों के इस्तेमाल की चीजें नहीं हैं.

यह वाक्या था पहले के जमाने की मम्मी का. मगर आजकल की मम्मियां ऐसी नहीं होती हैं. वे खुद तो सजतीसंवरती हैं ही, साथ ही अपनी बेटी को भी कौस्मैटिक्स के इस्तेमाल से नहीं रोकतीं खासतौर पर जब लड़कियां टीनऐजर हो जाती हैं, तो अपनी मांओं को यों सजतेसंवरते देख कर उन का मन भी उन चीजों को इस्तेमाल करने को करने लगता है.

इस बारे में कौस्मैटोलौजिस्ट एवं माइंड थेरैपिस्ट अवलीन खोकर कहती हैं, ‘‘आजकल स्कूलों में बहुत सारी ऐक्टिविटीज होती रहती हैं और उन में बच्चों को सजाने और प्रेजैंटेबल दिखाने के लिए मेकअप का इस्तेमाल किया जाता है. इस के अतिरिक्त आजकल टीवी सीरियल्स और फिल्मों में भी कम उम्र की ऐक्ट्रैसेज और मौडल्स दिख रही हैं. 13 से 16 वर्ष की उम्र ऐसी होती है, जब लड़कियां अपने लुक्स पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती हैं. यह उम्र फिल्म ऐक्ट्रैसेज और मौडल्स को कुछ ज्यादा ही प्रभावित करती है.

‘‘फिल्म या सीरियल में कौन सा नया लुक आया है, उसे आजमाने से मां भी अपनी बेटी को नहीं रोक सकती, क्योंकि वह खुद भी उस लुक को खुद पर आजमा रही होती है. ऐसे में बेटी को लगता है कि जब मां कर रही हैं, तो मैं भी कर सकती हूं. बस यही बात मांओं को अपनी बेटियों को समझानी है कि हर वह प्रोडक्ट, जो मां इस्तेमाल कर रही हैं उसे उन की बेटी इस्तेमाल नहीं कर सकती, क्योंकि उस की त्वचा अभी कैमिकल्स की हार्डनैस को झेलने लायक नहीं बनी है.

मांओं को भी पता होना चाहिए कि उन की बेटी की त्वचा पर कौन से प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं. बहुत जरूरी है कि बच्चे की त्वचा पर कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पूर्व उस पर लिखी इनग्रीडिएंट्स पर गौर कर लिया जाए. उत्पाद यदि डर्मेटोलौजिस्ट द्वारा अप्रूव्ड है, उस में सल्फैटिक ऐसिड और मिंट एजेंट हैं, तब ही उस उत्पाद को अपनी बेटी की त्वचा पर इस्तेमाल करें. जिन प्रोडक्ट्स में पैराबीन, पैथोलेट्स ट्रिक्लोसन, पर्कोलेट जैसे तत्त्व होते हैं उन्हें कभी बच्चे को इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि ये त्वचा को ड्राई करते हैं और ऐक्ने की समस्या को बढ़ाते हैं.

फेयरनैस क्रीम का भ्रम

इस उम्र की लड़कियों में खासकर सांवली लड़कियों में फेयरनैस क्रीम का बहुत क्रेज होता है. बाजार में भी फेयरनैस क्रीम के इतने विकल्प मौजूद हैं कि किसी एक का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आंख मूंद कर और ब्रैंड के भरोसे क्रीम खरीदना और उस के इस्तेमाल के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता. लेकिन इस संबंध में अवलीन की मानें तो स्किन कलर मैलानिन से बनता है. यह कुदरती होता है. हां, इसे निखारा जरूर जा सकता है. कोई भी क्रीम डस्की स्किन को फेयर नहीं बना सकती. यह सिर्फ कौस्मैटिक सर्जरी के द्वारा ही संभव है, जो इस उम्र की लड़कियों को तो बिलकुल नहीं करानी चाहिए. हां, त्वचा के रंग को निखारने के लिए मांओं को अपनी बेटियों पर ये टिप्स जरूर आजमाने चाहिए:

– धूप में निकलें या न निकलें दिन में रोज 3 बार चेहरे को साफ कर के सनस्क्रीन जरूर लगाएं. दरअसल, जब त्वचा सूर्य के संपर्क में आती है, तो उस में मैलानिन बनने लगता है, जिस से त्वचा की रंगत डल होती जाती है. सनस्क्रीन त्वचा के लिए सुरक्षाकवच का काम करता है. यह त्वचा में मैलानिन बनने से रोकता है. सुबह स्कूल जाते वक्त बेटी को सनस्क्रीन जरूर लगाने को कहें. यदि बेटी की त्वचा औयली है, तो उसे जैल बेस्ड सनस्क्रीन लगाने को कहें. ध्यान रखें कौस्मैटिक ब्रैंड्स का सनस्क्रीन लेने की जगह मैडिकेटिड सनस्क्रीन को बेटी के लिए चुनें. कौस्मेस्यूटिकल सनस्क्रीन लेने से बचें. जब बेटी घर आए तब भी उसे सनस्क्रीन लगाने को कहें, क्योंकि ट्यूबलाइट और बल्ब में भी अल्ट्रावायलेट किरणें होती हैं, जो त्वचा में मैलानिन बनाती हैं.

– अधिकतर मांएं बेटी की रंगत को निखारने के लिए अखबारों और टीवी पर आने वाले फेयरनैस क्रीम के विज्ञापनों से भ्रमित हो महंगीमहंगी क्रीमें खरीद तो लेती हैं, लेकिन उन का असर बेटी की त्वचा पर नहीं दिखता. अत:बारबार क्रीमें बदलने से बेहतर है कि जो भी क्रीम खरीदें उस के पैक पर लिखी इनग्रीडिएंट्स को पढ़ लें. दरअसल, ब्लीच एजेंट, हाइड्रोक्यानिक और कोजिक ऐसिड वाली फेयरनैस क्रीम लेने की जगह लाइकोरिस, नियासिनेमाइड और ऐलोवेरा युक्त फेयरनैस क्रीमें ही खरीदें. ये चेहरे की रंगत को एक लैवल फेयर कर देती हैं.

त्वचा के टैक्स्चर को पहचानें

इस उम्र की लगभग सभी लड़कियों को मासिकधर्म शुरू हो जाता है. इस से उन में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जिन का असर त्वचा पर भी पड़ता है.

साउथ दिल्ली स्थित द स्किन सैंटर के डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर वरुण कतियाल कहते हैं, ‘‘त्वचा का टैक्स्चर 4 तरह का होता है- औयली, नौर्मल, कौंबिनेशन और सैंसिटिव. यदि आप अपनी बेटी के स्किन टैक्स्चर को पहचानना चाहती हैं, तो सुबह जब वह सो कर उठे तो उस के चहरे के टी जोन और यू जोन पर एक टिशू पेपर लगाएं. देखें कि कहां ज्यादा औयल है. यदि टी और यू दोनों जोन पर औयल है, तो त्वचा औयली है, यदि टी पर औयल है और यू पर नहीं, तो त्वचा का टैक्स्चर कौंबिनेशन है.

‘‘बाजार में हर त्वचा के हिसाब से प्रोडक्ट उपलब्ध हैं. फिर भी हर प्रोडक्ट के पीछे लिखा होता है कि प्रोडक्ट कोमैडोजेनिक है या नौनकोमैडोजेनिक है. कभी भी बेटी को कोमैडोजेनिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि यह त्वचा के पोर्स ब्लौक कर देता है, जिस से मुंहासे होने का डर रहता है.’’

खुशबूदार उत्पाद हैं नुकसानदायक

इस उम्र के बच्चे रंग और खुशबू से बहुत प्रभावित होते हैं खासकर लड़कियां. उन्हें इस बात का भ्रम होता है कि रंग और खुशबू के असर से उन की त्वचा खूबसूरत हो जाएगी. लेकिन असल में यही नुकसानदायक होते हैं. एक मां ही अपनी बेटी को यह समझा सकती है कि यह उम्र सिर्फ त्वचा की ठीक तरह से सफाई करने की है न कि उसे आर्टिफिशियल लुक देने की.

इस बाबत एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के कंसल्टैंट डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर अमित बांगिया कहते हैं, ‘‘बाजार में बहुत सारे उत्पाद आते हैं और उन पर लिखा होता है  कि यह उत्पाद ऐलोवेरा, रोजमैरी, जैसमिन या फिर कोकोनट युक्त है. साथ ही उन उत्पादों से वैसी ही खुशबू भी आ रही होती है. लेकिन असल में खुशबू वाले उत्पादों में केवल ऐसेंस और कैमिकल्स के अलावा कुछ नहीं होता है. इतना ही नहीं, ये फ्रैगरैंस वाले उत्पाद आप की बेटी के ऐस्ट्रोजन हारमोन को भी प्रभावित करते हैं, जिस से वह चिड़चिड़ी हो सकती है और उस का वजन भी बढ़ सकता है. त्वचा पर जो असर पड़ता है वह अलग. इसलिए बाजार में उपलब्ध और्गेनिक उत्पादों का ही इस्तेमाल बेटी की त्वचा पर करें.

Sunrise Pure : मटर पनीर का मसालेदार जायका

चाहे आप कढ़ाही पनीर बना रहे हों या फिर सिंपल आलूगोभी की सब्जी, एक सामग्री जो आप बिलकुल नहीं भूलते वह है गरम मसाला. इस के साथ ही जब भी आप कुङ्क्षकग कर रही होती हैं तो यह बात करना नहीं भूलतीं कि मेरी दादी या नानी की बनाई सब्जियों में जो जायका मिलता था वह अब नहीं आता. चलिए गरम मसाले के इस सफर में इस की मसालेदार बातों से रूबरू होते हैं.

सही संतुलन

गरम मसाले पहले घरों में खुद तैयार किए जाते थे. इन्हें बनाने की सामग्री जैसे दालचीनी, लौंग, इलायची, तेजपत्ता, कालीमिर्च और जायफल इत्यादि का सही संतुलन और मिश्रण ही इन का स्वाद जगाता था. फिर इस के बाद इन्हे कितनी मात्रा में किस डिश में इस्तेमाल करना है यह भी बहुत महत्त्वपूर्ण होता था. आज के दौर में न तो यह सब करने का समय है और न ही समझ. यों तो इंटरनेट पर गरम मसाला तैयार करने की ढेरों रैसिपी मिल जाएंगी लेकिन फिर भी आप को वह दादीनानी के स्वाद वाली कमी महसूस होती रहेगी.

सनराइज गरम मसाला

आप को दादीनानी के बनाए खाने की याद ताजा करनी है तो सनराइज का गरम मसाला आप के लिए क्यों सही है हम आप को बताते हैं. सनराइज गरम मसाला का पैकेट खोलते ही इस की खुशबू आप को इस की गुणवक्ता का एहसास कराती है. इस में इस्तेमाल किए गए अच्छी क्वालिटी के मसालों का सही मिश्रण जब आप की पनीर की सब्जी या फिर चना दाल में घुलमिल जाता है तब जगता है दादीनानी के हाथ का स्वाद. तो दादीनानी के हाथ का स्वाद हमेशा याद रखना है तो सनराइज गरम मसाले को अपनी किचन की मसाला रैक का हिस्सा हमेशा बनाए रखें.

मटर पनीर

  • 200 ग्राम पनीर टुकड़ों में कटा
  • 1 कप हरी मटर के दाने
  • 1 प्याज का पेस्ट
  • 2 टमाटर की प्यूरी
  • 2 हरीमिर्चें
  • 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट
  • 1 छोटा चम्मच काजू का पेस्ट
  • 1/2 छोटा चम्मच जीरा
  • 1/2 चम्मच लालमिर्च पाउडर
  • 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1/2 चम्मच सनराइज शाही गरममसाला
  • 1 छोटा चम्मच घनिया पाउडर
  • तेल या घी जरूरतानुसार
  • नमक स्वादानुसार.

विधि

  • कड़ाही में तेल गरम कर जीरा तडक़ाएं और फिर प्याज का पेस्ट मिला कर भूनें.
  • अब इस में अदरकलहसुन का पेस्ट मिला कर चलाते हुए भूनें.
  • टमाटर की प्यूरी भी मिला दें और तेल छोडऩे तक भूनें.
  • अब सभी मसाले मिला कर माध्यम आंच पर चलाते हुए भूनें.
  • इस मिश्रण में काजू का पेस्ट भी मिला दें और चलाते हुए भूनें ताकि पेस्ट चिपके नहीं.
  • अब मटर मिला कर आंच धीमी करें और ढक़ कर 2-3 मिनट तक पकाएं.
  • पनीर को आप हल्का सुनहरा फ्राई कर या फिर सादा भी डाल सकती हैं.
  • पनीर मिला कर 2 मिनट ढक़ कर और पकाएं.
  • धनियापत्ती से सजा कर परोसें.

‘जवाब भेजें कॉन्टेस्ट जीतें’

शाही गरम मसाला का इस्तेमाल करके आप और कौन सी डिश झटपट तैयार कर सकती है.
अपना जवाब हमें अपनी सेल्फी के साथ 98sxxxxxxx23 पर व्हाट्सएप करें. और grihshobhamagazine@delhipress.in पर मेल करें. चुने गए प्रतिभागियों के नाम फोटो के साथ प्रकाशित किए जाएंगे.

बर्फ पिघल गई- भाग 3: जब प्यार के बीच आ गई नफरत

अगले दिन गरिमा को कंपनी की नई ब्रांच में भेज दिया. बौस ने जतिन को भी मार्केटिंग देखने के लिए कह दिया. तनु आश्वस्त थी कि उस का विभाग भी जल्द ही बदलने वाला है.’’

‘‘तनु तुम रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में बहुत अच्छा काम कर रही हो. तुम्हारे दायरे को मैं बढ़ा रहा हूं, तुम्हारा पद वही रहेगा और तुम इसी औफिस में रहोगी.’’

बौस के कैबिन से निकल कर तनु ने राहत की सांस ली. गरिमा को बौस ने क्या

कह कर दूसरे औफिस जाने के लिए मना लिया, तनु नहीं समझ पा रही थी. उस का बेबी भी अभी छोटा था और गरिमा तो लंबे समय से कंपनी में ही थी. उस ने अपनी जौब की वजह से ही इसी शहर में शादी की थी.

‘‘तनु, कल तेरे पास आ रही हूं औफिस के बाद. बहुत दिन हो गए साथ में बैठ कर कौफी पीए हुए.’’

गरिमा के फोन पर तनु चहक उठी. शाम को दोनों बैठ कर कंपनी में हुए बदलावों के बारे में चर्चा कर रही थीं, ‘‘तू ने बौस को बताया नहीं कि दूसरा औफिस तेरे घर से दूर है और बच्चा भी अभी छोटा है.’’

गरिमा तनु के सवाल की जैसे प्रतीक्षा ही कर रही थी. बोली, ‘‘हां, मुझे लगा था लेकिन अब सब ठीक है. ऐक्चुअली वह औफिस बौस के भतीजे का है. उन्हें एक अनुभवी कर्मचारी की जरूरत थी जिस पर विश्वास किया जा सके. तुम्हें बौस भेजना नहीं चाहते थे तो मुझे जाना पड़ा.’’

तनु हैरान थी यह सुन कर, ‘‘तुम मुझे बोल सकती थी मैं चली जाती. मुझे कौन सा घर देखना है या बच्चे को संभालना है औफिस के बाद.’’

गरिमा बात को खत्म करते हुए बोली, ‘‘थोड़ा टाइम निकलने देते हैं. नहीं मैनेज हुआ तो बौस से बात कर लेंगे.’’

गरिमा कुछ सोच रही थी.

‘‘क्या बात है? किस सोच में हो?’’ तनु ने पूछा तो गरिमा ने बताया, ‘‘अपने बौस के बारे में सोच रही थी. बेचारे ने घर वालों की मरजी के बिना लव मैरिज की. उस का भयंकर ऐक्सीडैंट हुआ और घरवाली छोड़ कर चली गई. बेचारे के सिर में भी चोट आई थी. अभी तक इलाज चल रहा है. अपने पुराने बौस का भतीजा है उस को वापस सैटल करने के लिए नया औफिस बनाया है. पुराने स्टाफ को उस के साथ लगाया है.’’

तनु को अचानक  झटका लगा. उस ने अपने सिर को झटका, ‘‘नहीं ऐसा नहीं हो सकता है.’’ गरिमा कौफी खत्म कर चुकी थी, ‘‘सर में दर्द है क्या,’’ उस के सवाल पर तनु इतना ही बोल पाई, ‘‘नहीं, बस बुरा लगा तुम्हारे नए बौस के बारे में जान कर. कुछ मेरी जिंदगी से मिलताजुलता.’’

गरिमा जाने के लिए उठ गई. चलतेचलते बोली, ‘‘यार, मेरे मुंह से अचानक निकल गया. तेरे बारे में सोचा ही नहीं…’’

तनु ने आंखों में भर आए पानी को रोक कर कहा, ‘‘मैं, तुम्हारे बौस के जल्दी ठीक होने के लिए प्रार्थना करूंगी.’’

गरिमा के जाने के बाद एक ही प्रश्न तनु को कचोट रहा था कि कहीं रोहन का भी ऐक्सीडैंट तो नहीं हुआ था उस दिन. फोन पूरा दिन बंद था. गुस्से में अगले दिन मैं ने नंबर ब्लौक क्यों कर दिया था.

अब उसे लग रहा था कि कुछ छूट गया था जिसे वह पकड़ नहीं पाई थी. कुछ घट गया था जिसे वह जान नहीं पाई थी. तभी एक वीडियो ने उस के शक को सच में बदल दिया.

गरिमा ने अपने नए औफिस के दीवाली सैलिब्रेशन का वीडियो अपने फ्रैंड्स गु्रप में शेयर किया. हाथ में छड़ी ले कर लंगड़ाते हुए रोहन को चलते देख कर तनु फूटफूट कर रोई. नफरत की बर्फ आंसुओं से पिघल गई. सारा ऐटीट्यूड बदल गया उस प्यार में जो शादी से पहले तनु रोहन से किया करती थी.

तनु रोहन के औफिस में मिलने गई, ‘‘मेरी गलती के लिए मुझे माफ कर दो रोहन. मैं तुम से इतनी नफरत करने लगी थी कि ऐसा भी कुछ हो सकता है सोच ही नहीं पाई.’’

‘‘मेरी भी गलती कम नहीं है तनु. मैं ने भी तुम्हारे जाने के बाद तुम से संपर्क नहीं किया. उस दिन ऐक्सीडैंट के बाद बच गया, लेकिन तुम्हें फोन नहीं किया.’’

‘‘तुम्हारा फोन तो ऐक्सीडैंट में टूट गया था पर मैं ने तो तुम्हारा नंबर ही ब्लौक कर दिया था. पता नहीं क्या हो गया था मुझे,’’ तनु सबकुछ कह देना चाहती थी. दोनों हाथों में अपना मुंह छिपा कर आमनेसामने बैठे थे.

‘‘अब गिलेशिकवे हो गए हों तो हमें भी थोड़ा सा थैंक्स दे दो. पिछले 6 महीनों से हम लोग तुम दोनों को सामने लाने के लिए नौकरी कर रहे थे,’’ जतिन और गरिमा एकसाथ बोले.

‘‘भाभी मैं ने पापा को आप से हुई बात बताई तो उन्होंने ही मु?ो चुप रहने को कहा था.’’

तनु ने पीछे मुड़ कर देखा तो रोहन की बहन और तनु के बौस खड़े थे.

‘‘ओह सर, मुझे पता ही नहीं था कि आप रोहन के अंकल हैं. मु?ो माफ कर दीजिए,’’ तनु ने हाथ जोड़ कर आंखें बंद कर लीं.

‘‘बेटी तुम्हारी कोई गलती नहीं थी. वह समय ही ऐसा था कि तुम दोनों ही एकदूसरे को नुकसान पहुंचा रहे थे.’’

तनु और रोहन ने एकदूसरे की आंखों में देखा, ‘‘काश, नफरत प्यार पर हावी नहीं होती तो जिंदगी कुछ और ही होती,’’ यही आवाज दोनों के दिल से आ रही थी.

होम स्टे में रुकते समय क्या करें क्या नहीं

कुछ समय पूर्व ही उज्जैन निवासी सीमा का नया घर बनकर तैयार हुआ.. अभी उसे शिफ्ट हुए 2 वर्ष ही हुए थे कि पति का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया. जब दूसरे शहर में उसे किराए पर वैल फर्निश्ड घर मिल गया तो उसने उज्जैन स्थित अपने घर में थोड़े से चेंजेज करवाये और होम स्टे के रूप में उज्जैन में आने वाले पर्यटकों को देने का फैसला किया. कुछ समय तक तो सब ठीक था परन्तु एक बार जब एक परिवार के जाने के बाद वह घर में गयी तो घर की दुर्दशा देखकर उसकी आंखों में आसूं ही आ गए और उस दिन से उसने अपने घर को होम स्टे में देने के बजाए ताला लगाना ही उचित समझा. क्योंकि घर की दीवारों और बेड के सिरहाने पर लगे कपड़े  को बच्चों ने भांति भांति के रंगों से रंग दिया था, बाथरूम के जेट को तोड़ दिया गया था यही नहीं घर के कामगारों से भी उस परिवार ने बुरा व्यवहार किया था.

बच्चों की परीक्षाएं अब लगभग समाप्ति की ओर हैं , अथवा समाप्त हो चुकीं हैं और बच्चों की परीक्षा समाप्त होते ही अभिभावक घूमने जाने का प्लान बनाना प्रारम्भ कर देते हैं. घूमने कहीं भी जाना हो सबसे मुख्य प्रश्न होता है वहां रुकने का. कुछ वर्षों पूर्व तक रुकने के लिए आमतौर पर होटल, मोटल और रिजॉर्ट को ही जाना जाता था परन्तु 2020 में कोरोना के आगमन के बाद से पर्यटन के दौरान होम स्टे को बहुत पसन्द किया जा रहा है.

क्या है होम स्टे

होटल में जहां आपके साथ होटल के स्टाफ के द्वारा एक मेहमान की भांति व्यवहार किया जाता है वहीं होम स्टे में आप किसी परिवार में एक सदस्य की भांति निवास करते हैं, जिसमें आपको रहने, खाने और मनोरंजन की सुविधा प्रदान करने के लिए शुल्क भी लिया भी जाता है. इसके अतिरिक्त कई बार मकान मालिक अपने पूरी तरह फर्निश्ड घर को समस्त सुविधाओं के साथ सशुल्क पर्यटकों को सौंप देते हैं. जिसमें पर्यटक अपनी

सुविधानुसार खाना बनाने से लेकर अन्य समस्त कार्य  भी अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं. यहां पर उन्हें घर जैसा वातावरण उपलब्ध कराया जाता है. आजकल छोटे से छोटे और बड़े से बड़े पर्यटक स्थल पर भांति भांति के होम स्टे मौजूद हैं जिन्हें आप अपनी जेब के अनुसार आसानी से चुन सकते हैं.

यह सही है कि अन्य विकल्पों की तुलना में होम स्टे आज किसी भी पर्यटक स्थल पर रुकने के लिए बहुत अच्छा विकल्प है क्योंकि यहां पर घर जैसा अहसास, आजादी और आराम होता है परंतु कई बार होम स्टे में प्रवास के दौरान नेटवर्क या मनचाहा भोजन न मिलने जैसे अनेकों परेशानियां भी आतीं हैं ऐसे में आपके सामने क्या करें, क्या न करें की अजीब सी दुविधा होती है तो आइए देखते हैं कि ऐसी परिस्थिति में आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं-

क्या करें

  • आप चाहे होम स्टे में परिवार के सदस्य की भांति रहें या स्वतंत्र रूप से रहें घर में प्रवेश करते ही वहां की समस्त व्यवस्था पर एक नजर डालें और छोड़ते समय उसी रूप में छोड़ें. साथ ही निवास के दौरान उस घर की व्यवस्था का पालन करने का प्रयास करें.
  • सीमा और उसकी 3 दोस्त अपने परिवार के साथ मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध मांडू भ्रमण के दौरान एक ऐसे होम स्टे में रुके जिसके मालिक एक बुजुर्ग दंपति थे…मौज मस्ती के दौरान जब रात को 1 बजे वे तेज म्यूजिक में डांस कर रहे थे तो बुजुर्ग दंपत्ति ने इस पर आपत्ति जताई..सीमा कहती है “उनकी बात सही थी पर हम तो मस्ती ही करने आये हैं” अगले दिन उसने उस दम्पती को बेहद शांत होकर अपनी परेशानी बताई इस पर आगे से उस दंपत्ति ने अपने ऐसे कमरे में सोना सुनिश्चित किया जिसमें आवाज नहीं आती थी.  यदि आप भी होम स्टे के दौरान किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो सयंमित भाषा शैली का प्रयोग करते हुए मालिक को अपनी परेशानी बताएं.
  • हर होम स्टे की भी होटल की ही भांति अपनी टर्म्स और कंडीशन्स होतीं हैं इसलिए बुकिंग करने से पहले सभी शर्तों को ध्यान से पढ़ लें, फिर यदि अपने प्रवास के दौरान उसके अनुसार कोई बात या सुविधा न मिले तो मालिक से उसे उपलब्ध कराने को कहें.
  • प्रवास के प्रथम दिन ही आप भोजन में अपनी पसन्द नापसंद उन्हें बता दें ताकि वे भोजन तैयार करते समय आपकी पसन्द का ध्यान रखें और यदि किसी बात से आप असंतुष्ट हैं तो उस बारे में उनसे खुलकर बात करें.
  • आप जिस स्थान पर भ्रमण के लिए जा रहे हैं उस स्थान का सम्मान करें क्योंकि आप जहां घूमने जा रहे हैं उस स्थान का पर्यटन अनेकों लोगों की रोजी रोटी का काऱण होता है. गोआ, सभी नेशनल पार्क जैसे अनेकों ऐसे स्थान हैं जहां के निवासियों की जीविका का एकमात्र साधन पर्यटन ही है.
  • होम स्टे में अपने प्रवास के दौरान आप उस स्थान की संस्कृति, पहनावा, खानपान आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

क्या न करें

  • यदि आप किसी परिवार के साथ रह रहे हैं तो अनावश्यक रूप से उस परिवार के अंदर तक घुसने का प्रयास न करें और न ही बात बात में दखलंदाजी करे ध्यान रखें कि आप सिर्फ उस परिवार में चंद दिन के मेहमान हैं मालिक नहीं.
  • आपकी सुविधा के लिए उपलब्ध कराए गए नौकर चाकरों से किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार करने की जगह सहज और सरल व्यवहार करें किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर चीखने चिल्लाने की जगह अपनी बात को सभ्यता पूर्वक कहें.
  • प्रयोग करने के बाद घर के समस्त सामान को यथास्थान रखें ताकि आपके बाद आने वाला पर्यटक भी उसे प्रयोग कर सके.
  • बाथरूम में आपको उपलब्ध कराए गए शैम्पू, साबुन, टॉवेल आदि को अपने साथ ले जाने की ग़ल्ती कदापि न करें.
  • यदि आप स्वतंत्र घर में रह रहे हैं तो घर छोड़ते समय बेड की चादर, तकिए, आदि को व्यवस्थित करके ब्लेंकेट और रजाई को फोल्ड करके रखें साथ ही घर छोड़ते समय पूरे घर को अच्छी तरह चैक करें कि समस्त लाइट्स, पंखे और नल बंद हों.
  • किचिन में चाय नाश्ता-खाना आदि बनाने के बाद किचिन को व्यवस्थित कर दें और जूठे बर्तनों को साफ करके रखें.
  • चलते समय यदि आपसे रिव्यू लिखने के लिए कहा जाए तो लिखने के लिए विनम्र भाषा शैली का प्रयोग करें.

रखें इन बातों का भी ध्यान

  • होम स्टे को बुक करने से पूर्व अच्छी तरह रिसर्च करें आजकल सोशल मीडिया का जमाना है आप सम्बंधित स्थान के बारे में रिव्यू पढ़कर ही बुकिंग करें.
  • बुक करने से पहले फोन पर क्या क्या सुविधाएं मिलेंगी क्या नहीं इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें.
  • यदि आपके साथ छोटे बच्चे हैं तो उनके लिए कुछ खाद्य वस्तुएं अवश्य अपने साथ ले जाएं क्योंकि उन्हें पूरे दिन कुछ कुछ खाने को चाहिए होता है.
  • होम स्टे के दौरान यदि आप किसी परिवार का हिस्सा बनने जा रहे हैं तो उसे अपनी पसन्द नापसंद के बारे में पहले से ही बता दें.
  • अपने प्रवास के दौरान यदि आप स्वयं कुकिंग करना चाहते हैं तो अपनी आवश्यकताओं से मालिक को अवगत करायें.

10 Tips: जानें गर्मियों में जीन्स की देखभाल के टिप्स

गर्मियों में कॉटन, हैंडलूम, शिफॉन और लिनन से बने पतले फेब्रिक से बने कपड़े शरीर को बहुत आराम देते हैं क्योंकि इनमें हवा के आवागमन की सुविधा होती है जिससे शरीर ठंडा रहता है परन्तु जीन्स एक ऐसा परिधान है जिसका फेब्रिक भले ही काफी मोटा होता है परन्तु आजकल बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी का फेवरिट परिधान है जीन्स इसका कारण है कि इसे पहनने के बाद हर व्यक्तित्व में चार चांद लग जाते हैं. गर्मियों में चूंकि पसीना बहुत आता है इसलिए इसकी देखभाल थोड़ी मुश्किल हो जाती है.

गर्मियों में भी आप अपनी फेवरिट ड्रेस को  निम्न टिप्स अपनाकर बड़े आराम से सुरक्षित रख सकते हैं-

  1. एक जीन्स को आप कम से कम 6 से 7 बार तक आसानी से पहन सकते हैं. एक बार पहनने के बाद अच्छे से झटकारें ताकि उसकी धूल मिट्टी निकल जाए फिर इसे हाथ से दबाकर प्रेस करते हुए फोल्ड करें और हैंगर पर टांग दें इससे जब आप दोबारा पहनेंगे तो जींस में कोई सलवट नहीं होगी.

2. पहनने के बाद जीन्स को खूंटी या हुक पर टांगने की ग़ल्ती न करें क्योंकि ऐसा करने से जीन्स में सलवटें और टांगने के निशान बन जाते हैं जिससे जीन्स दोबारा पहनने के लायक ही नहीं रहती.

3. पहनने के बाद जीन्स को फ्रेश रखने के लिए आप 1 टेबलस्पून सफेद सिरका (वेनेगर) और 1 टेबलस्पून पानी को समान मात्रा में मिलाकर एक घोल बनाएं और इसे एक स्प्रे बॉटल में भर लें फिर इससे जीन्स पर स्प्रे कर दें और 2-3 घण्टे धूप में सुखा दें इससे जीन्स से हर तरह की दुर्गंध दूर हो जाएगी. इसी प्रकार आप लेवेंडर और टी ट्री आयल का पानी के साथ समान मात्रा में घोल बनाकर भी स्प्रे कर सकतीं हैं.

4. जीन्स को उल्टा करके ठंडे पानी के सर्फ के घोल में आधे घण्टे के लिए डालें फिर हल्के हाथ से रब करके अच्छी तरह ठंडे पानी में से निकालें और फ्लेट सरफेस पर रोल करके पानी निकाल दें और सुखाएं.

5. सर्फ के घोल में डालते समय ध्यान रखें कि एक से रंग वाली जीन्स को ही एक साथ डालें, अलग अलग रंग की जीन्स को एक साथ डालने से उनका रंग एक दूसरे में लग सकता है.

6. जीन्स को कभी भी मशीन में और गर्म पानी से न धोएं वरना इसका रंग निकल या फेड हो सकता है.

7. आमतौर पर जीन्स पर बहुत जल्दी जल्दी प्रेस करने की जरूरत नहीं होती परन्तु यदि बहुत ज्यादा सलवटें हैं या फिर आप बहुत अधिक क्रिस्प कपड़े पहनने के शौकीन हैं तो फिर प्रेस करने की जरूरत पड़ती है ऐसे में स्टीम मॉड पर प्रेस करें.

8 . प्रेस करते समय जीन्स व प्रेस के बीच में सॉफ्ट कॉटन का कपड़ा अवश्य रखें ताकि जीन्स के रेशे सीधे आयरन के टच में आने से बचे रहें.

9. आजकल डिस्ट्रेस जीन्स का काफी चलन है ऐसी जीन्स को बहुत सावधानी के साथ प्रेस करें ताकि प्रेस से ये फटने से बचीं रहें.

10. इस मौसम में एकदम फिट या स्किन टाइट जीन्स पहनने से बचें क्योंकि इनकी तंग फिटिंग आपकी त्वचा और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित कर सकती है.

Afwaah Movie Review: दिग्भ्रमित निर्देशक की अजीबोगरीब सोच का नतीजा फिल्म अफवाह

  • रेटिंगः डेढ़ स्टार
  • निर्माताः अनुभव सिन्हा
  • लेखकः सुधीर मिश्रा, निसर्ग मेहता, षिवा बाजपेयी
  • निर्देशकः सुधीर मिश्रा
  • कलाकारः नवाजुद्दीन सिद्दिकी, भूमि पेडणेकर, सुमित व्यास, षारिब हाशमी, सुमित कौल, ईषा चोपड़ा,  रॉकी रैना,  कविराज लायके व अन्य
  • अवधि: दो घंटे छह मिनट

1983 में फिल्म ‘‘जाने भी दो यारो’’ से लेखक के तौर पर शुरूआत करने वाले सुधीर मिश्रा ने 1987 में ‘यह वो मंजिल तो नही’ से लेखक व निर्देशक के रूप में कैरियर शुरू किया था. उसके बाद ‘में जिंदा हॅूं’, , ‘धरावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘कलकत्ता मेल’, ‘चमेली’, ‘यह साली जिंदगी’, ‘इंकार’ व‘सीरियस मैन’सहित लगभग अठारह फिल्में निर्देषित कर चुके हैं. अब तक वह हर फिल्म में बेबाकी से अपनी बात कहते आए हैं, मगर अपनी ताजातरीन 5 मई को सिनेमाघरों में प्रदर्षित फिल्म ‘‘अफवाह’’ में वह बुरी तरह से चुक गए हैं.

इस फिल्म में उन्होेने मां के जिस रूप को चित्रित किया है, उससे सहमत होना मुष्किल है. तो वहीं वह राजनीति का भी असली चेहरा नही दिखा पाए. सुधीर मिश्रा ने अपनी इस फिल्म में जिस बात की खिलाफत की है, काश वह और पूरी फिल्म इंडस्ट्ी उस बात को समझ कर सोशल मीडिया और अफवाह का सहारा छोड़ कर फिल्म मेकिंग पर ध्यान देने लगे तो सिनेमा का भला हो जाएगा. बतौर सह लेखक व निर्देशक सुधीर मिश्रा ने जो कुछ राजनीति में होते दिखाया है, क्या वह दावा कर सकते हंै कि वैसा ही फिल्म इंडस्ट्ी में नहीं हो रहा है. फिल्मसर्जक सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘अफवाह’ के केंद्र में यह बात है कि अगर वायरल वीडियो या अफवाह बनाने वालों को ही वही वीडियो या अफवाह पलटकर डस ले तो क्या होगा?

कहानीः

कहानी शुरू होती है एक धर्म केंद्रित नेता विक्रम उर्फ विक्की सिंह के चुनाव प्रचार से. तो दूसरी तरफ अमरीका से वापस आए राहाब अहमद (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) अब मातृभूमि के लिए काम करना चाहते हैं. वह अपनी औटोमैटिक कार में जा रहे हैं और राजनीतिक बात से बचने के लिए रेडियो चैनल स्विच कर जैज सुनते हैं.  क्योंकि वह एक हाई-प्रोफाइल साहित्यिक उत्सव में जा रहे हैं, जहाँ उनकी पत्नी की किताब का लोकार्पण समारोह हो रहा है. इधर विक्की सिंह (सुमीत व्यास) के राजनीतिक मार्च के दौरान या यॅूं कहें कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के दौरान सांप्रदायिक संघर्ष छिड़ जाता है. इस संघर्ष के दौरान कई लोग आततायियों से अपनी जिंदगी के लिए विनती करते हैं. तो वहीं विक्की सिंह के वफादार सहयोगी चंदन (शारीब हाशमी) एक कसाई की दुकान में घुसकर उसकी हत्या कर देते हैं. यह वीडियो वायरल हो जाता है. इस वीडियो को देखकर विक्की सिंह की मंगेतर निवेदिता सिंह उर्फ निवी (भूमि पेडनेकर) परेशान हो जाती हंै,  जो एक पूर्व राजनीतिक दिग्गज की बेटी हैं.  निवी को बेवजह हिंसा पंसद नहीं. यहीं से निवी व विक्की के बीच दूरियां बढ़ने गलती हैं. उधर पुलिस इंस्पेक्टर तोमर पर चंदन सिंह के खिलाफ काररवाही का दबाव बढ़ता है. तो विक्की सिंह, तोमर को चंदन सिंह की हत्या करने का आदेश दे देता है. , पुलिस इंस्पेक्टर तोमर ऐसा करने का प्रयास करते हैं, पर वह चंदन सिंह की बजाय एक निर्दोश संतोश की हत्या कर बैठते हैं. उधर विक्की से षादी न करने के लिए निवी घर से भागती है. विक्की के गुंडे उसे रास्ते में परेषान करते हैं. तब राहाब अहमद निवी की मदद के लिए आते हैं और वहां तमाषा देख रहे लोगेां से कहते है कि वह इन सभी का वीडियो बनाए. राहाब ख्ुाद भी वीडियो बनाने लगता है. विक्की के गंुडे उसका मोबाइल तोड़ देते हैं. इस बीच निवी , राहाब की गाड़ी में बैठ जाती तो राहाब अपनी गाड़ी चलाकर वहां से भागता है. विक्की के गंुडे उसक पीछे हैं. इस घटना का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए विक्की सिंह,  राहाब के साथ निवी के होने को ‘लव जेहाद’ बताकर वीडियो वायरल करा देते हैं.  उधर संतोश को मारते हुए तोमर को चंदन देख चुका होता है, तो वह समझ जाता है कि यह विक्की के ही इषारे पर हुआ है. अब वह विक्की से भी दूर भागता है. विक्की एक मुस्लिम ड्ायवर के ट्क में सवार होकर जा रहा है. विक्की के साथी ट्क के नंबर प्लेट की तस्वीर खींचकर विक्की के पास भेजते हैं. तब विक्की दूसरा वीडियो वायरल करवाता है कि ट्क मे गायों को ले जाया जा रहा है.  इधर पुलिस इंस्पेक्टर तोमर के षारीरिक संबंध अपनी सहायक महिला पुलिस इंस्पेक्टर(टी जे भानू ) के साथ हैं. महिला पुलिस इंस्पेक्टर को पता है कि तोमर षादीशुदा है, पर वह ऐसा अपनी मां के इषारे पर ऐसा कर रही है. लेकिन संतोश की हत्या के बाद से वह महिला पुलिस अफसर अपनी चाल चलने लगती है.  कहानी कई मोड़ों से होकर गुजरती है. ट्क ड्ायवर क ेअलावा चंदन सिंह मारे जाते हैं. अब ट्क के अंदर निवी और विक्की सिंह है. भीड़ ट्क पर हमला कर विक्की सिंह को राहाब समझकर पीट पीट कर मार डालती है. अंततः निवी चुनाव जीत जाती है.

लेखन व निर्देशन:

फिल्म ‘अफवाह’ देखकर इस बात का अहसास नही होता कि यह फिल्म सुधीर मिश्रा के तेवर की फिल्म है. बल्कि यह किसी अजेंडे के तहत बनायी गयी फिल्म होने का अहसास दिलाती है. व्हाट्सएप युनिवर्सिटी के फॉरवर्ड संदेश और वायरल होने वाली अफवाहों के खतरनाक परिणामो ंसे लोग वाकिफ हैं. लोग समझने लगे है कि इस तरह की अफवाहें ही माॅब लिंचिंग को बढ़ावा देती हैं. तो वहीं हर राजनीतिक दल व राजनेता अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है. फिल्मकार ने अपने अंदाज में नफरत की प्रचलित राजनीति,  सामाजिक ध्रुवीकरण और गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्ता की निंदा जरुर की है, मगर वह प्रभावी तरीके से कुछ नही कह पाए. एक दृष्य है जहां निवी यानी कि अभिनेत्री भूमि पेडण्ेाकर एक किरदार से कहती हंै कि उसने वीडियो को सच क्यांे मान लिया. उसने यह क्यों नहीं सोचा कि वह वीडियो कितना सही है या किस मकसद से बनाया गया है. मगर इससे अधिक कोई बात नहीं की गयी. जबकि इस पर दोनों किरदारांे के बीच ऐसी लंबी बात होनी चाहिए थी, जिससे फिल्म क्या कहना चाहती हैवह दर्षक तक पहुॅच पाता. पर फिल्मकार बुरी तरह से यहां मात खा गए.  सुधीर मिश्रा को ‘अफवाह’ और मौलिक वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर बनाए गए वीडियो में अंतर नही पता, यह आष्चर्य की बात है. फिल्म में हाथ जोड़कर दया की भीख माँगते हुए आदमी का दृश्य सहित कुछ दृष्य गुजरात दंगों की चर्चित तस्वीरों की याद दिलाते हैं. आखिर फिल्मकार कब तक एक ही दृष्य को भुनाते रहेंगें? जिन लोगो ने सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘इस रात की सुबह नहीं’ देखी है, उनकी समझ मे आ जाएगा कि फिल्मकार अभी भी उस फिल्म से बहुत आगे नहीं बढ़ पाए हैं. इस फिल्म में भी कारपोरेट जगत का ंइसान अनजाने में अपराध जगत के लोगों में फंस जाता है और फिल्म का हीरो है, इसलिए उसी तरह पलटकर वार भी नही करता.  फिल्मकार सुधीर मिश्रा का संबंध राजनीतिक परिवार से रहा है. इसलिए वह राजनीति को गहराई से समझते हैं. इसी वजह से वह अतीत में ‘यह वो मंजिल तो नहीं’ और ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’जैसी जमीनी मुद्दों व युवाओं की भागीदारी पर आधारित फिल्में बनाकर खुद को बेहतरीन लेखक निर्देशक के रूप में स्थापित कर चुके हैं. मगर ‘अफवाह’ तो महज एक अजेंडे वाली फिल्म बनकर रह गयी है. अफसोस तीनों लेखक सुधीर मिश्रा,  निसर्ग मेहता और शिव बाजपेयी ने जिस समाज को समझने का दावा करते हुए महिला पुलिस की मंा के किरदार को गढ़ा है, उसे कदापि स्वीकार नही किया जा सकता. आज जब हर नारी स्वतंत्र है और ‘मेरा शरीर मेरा हक’ की बात करती हो, उस दौर में एक मां अपनी बेटी को एक षादीशुदा पुरूश से संबंध स्थापित करने के लिए समझाए, अजीब नही लगता.  इतना ही नही फिल्मकार नवाजुद्दीन सिद्दकी के किरदार को भी ठीक से चित्रित नही कर पाए. इस किरदार को लेकर वह पूरी तरह से दिग्भ्रमित नजर आते हैं.

अभिनयः

जहां तक अभिनय का सवाल है तो ‘यशराज फिल्मस’ की सहायक कंपनी ‘यशराज टैलेंट्स’ की कलाकार भूमि पेडणेकर ने जब अभिनय जगत में कदम रखा था, तब उनमें काफी संभावनाएं नजर आयी थीं. लेकिन धीरे धीरे ‘यशराज टैंलेंट्स’ के इषारे पर वह ‘कंुए का मेठक’ बनकर रह गयी हैं. न उनकी अभिनय क्षमता का विकास हो रहा है और न सोच का. इसी कारण वह अपने हर किरदार को एक ही तरह से घिसे पिटे अंदाज में निभाते हुए नजर आने लगी हैं. निवेदिता उर्फ निवी के किरदार में भी वह कुछ नया नही कर पायी. जबकि इस किरदार में उनके पास अपनी अभिनय क्षमता के नए अंदाज को दिखाने के अवसर थे. पर वह हर दृष्य में एक जैसा ही अभिनय करते हुए नजर आती हैं. षायद वह इस बात से खुश हैं कि उन्हे उनकी क्षमता से कहीं ज्यादा बड़ी फिल्में मिल रही हैं. पर वह यह भूल रही है कि वह इस तरह से उसी डाल को काट रही हैं, जिस पर वह बैठी हैं. इसी वजह से ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’,  ‘भूत’,  ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’,  ‘दुर्गामती’,  ‘बधाई दो’,  ‘रक्षा बंधन’, ‘गोविंदा नाम मेरा’ और ‘भीड़’ जैसी फिल्में बाक्स आफिस पर अपना जलवा नही विख्ेार पायीं. जब वह एक युवक से वीडियो को सच न मानने की बात करती है, उस वक्त तो उनका अभिनय एकदम घटिया है.  राहाब अहमद के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दकी ने अपनी तरफ से कुछ रस डालने का प्रयास किया है. पर हकीकत में उनके हाथ बंधे हुए नजर आते हैं, क्योंकि लेखक व निर्देशक ने उनके किरदार को सही ढंग से विस्तार ही नही दिया. वैसे भी अतीत में उनकी कुछ फिल्में पहले ही निराश कर चुकी हैं. नेता विक्रम सिंह उर्फ विक्की के किरदार में सुमित व्यास अवष्य प्रभावित करते हैं. षारिब हाशमी भी इस फिल्म में अपने अभिनय का कोई नया पक्ष नहीं दिखा पाए. फिल्म खत्म होने पर दर्षक के दिमाग में अभिनेत्री टी जे भानू रह जाती हैं, जिसे अनचाहे महज अपनी मां के कहने पर अपने वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर संग जिस्मानी रिष्ते बनाने पड़ते हैं, उस वक्त उसके चेहरे के भाव बहुत कुछ कह जाते हैं. दो पाटों के बीच फंसी एक नारी की व्यथा को टी जे भानु ने बहुत अच्छे ढंग से पेश किया है.

बर्फ पिघल गई- भाग 2: जब प्यार के बीच आ गई नफरत

गरिमा से बात कर के तनु का मन और भी परेशान हो गया. बस एक तसल्ली थी कि चलो कोई तो है जिस से बात कर के मन का बोझ थोड़ा हलका हो जाएगा. उस ने सिर को झटका और बाथरूम में चली गई.

अगले दिन गरिमा से मिल बातें कर के उस ने एक निश्चय किया और घर आ कर रोहन का फोन मिलाया. फोन नहीं लग रहा था. काफी देर तक मिलाती रही. एक बार दिल धड़का कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई है. फोन बंद ही आ रहा था लगातार. फिर अचानक जाने क्या सूझ कि उस की बहन का फोन मिला लिया, ‘‘घर छोड़ कर जा रही हूं. यही चाहते थे न तुम लोग. बता देना अपने भाई को. मैं बात कर के अपना मूड़ खराब नहीं करना चाहती हूं,’’ कहते ही फोन औफ कर दिया.

वही पहले वाला कंपनी का फ्लैट, वही औफिस और वही रूटीन फिर से शुरू हो गया.

हां हर दिन औफिस से लौट कर इंतजार रहता कि कोई मैसेज मिलेगा. कोई फोन आएगा पर रात होतेहोते सब निराशा में बदल जाता और वही अपनी पसंद के गाने सुन कर तनु सो जाती. कोई मैसेज, फोन, चिट्ठी, इंसान नहीं आया. महीने और फिर साल गुजर गया. मम्मीपापा से भी तनु ने संपर्क नहीं किया. बस खो गई अपने काम में फिर पहले की तरह, जब रोहन से मुलाकात नहीं हुई थी. कंपनी की बहुत सी जिम्मेदारियां अपने कंधों पर ले कर.

कंपनी की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही थी. जोरदार तैयारियां चल रही थीं. गरिमा का बच्चा छोटा था, इसलिए तनु ही फंक्शन को और्गेनाइज करने में लगी थी. पुराने कर्मचारियों में सब से अधिक प्रतिभाशाली तनु और गरिमा ही थीं. दिनभर औफिस में काम चलता. शाम को वीडियोकौल कर के प्रोग्राम की तैयारी पर बात होती.

आखिर वह दिन आ ही गया जब तनु को एक बार फिर से अपनी काबलीयत साबित करने का मौका मिलने वाला था. मुख्य अतिथि के स्वागत से ले कर उन के जाने तक तनु ने एक पल के लिए भी खुद को कंपनी से अलग नहीं होने दिया. मन में डर भी था कि कहीं कोई चूक न हो जाए. सभी कुछ अपेक्षाओं के अनुरूप ही था. कंपनी में तनु की जोरदार वापसी हुई, रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में. वेतन बढ़ गया और कंपनी के स्टाफ क्वार्टर्स में ही तनु को भी रहने की जगह मिल गई.

जिंदगी एक बार फिर से दौड़ने लगी. बस एक कसक दिल में बनी हुई थी कि रोहन ने पता भी नहीं किया मैं कहां हूं. किस हाल में हूं. क्या इसी बंधन को जन्मों का नाता कहते हैं लोग? ऐसे कई प्रश्न सुबह आंखें खुलने के साथ खड़े होते और रात में सोने के बाद भी सपनों में आते रहते. तनु अब वापस नहीं लौटना चाहती थी. इतनी मेहनत से जो कुछ हाथ आया था अब उसे संजो कर रखना चाहती थी.

‘‘क्या मेरी बात तनु से हो रही है?’’ सुबहसुबह औफिस पहुंची तो फोन पर एक सभ्य महिला की आवाज़ सुनाई दी.

‘‘जी मैं ही बोल रही हूं. बताइए आप की क्या सहायता कर सकती हूं?’’ तनु ने भी मधुर स्वर में उत्तर दिया.

‘‘मैम, ऐक्चुअली हमारी एक स्टार्टअप कंपनी है. शहर की सभी इंडस्ट्रीज को हम ने कल शाम को अपने प्रोडक्ट लौंच पर इन्वाइट किया है. आप की कंपनी भी हमारे प्रोडक्ट लौंच पर आएगी तो हमें मोटिवेशन मिलेगा.’’

तनु ने ध्यान से उस की बात सुनी और बौस को भी इन्फौर्म किया. अंदर ही अंदर उसे गर्व महसूस हो रहा था अपनी पोस्ट और बैस्ट कंपनी में काम करने पर. बौस ने जतिन और तनु 2 लोगों को जाने की अनुमति दे दी.

प्रोडक्ट लौंच के बाद स्टार्टअप कंपनी के सीईओ का भाषण भी था. जतिन को अचानक किसी काम से जाना पड़ा तो तनु को ही रुकना पड़ा. कंपनी के पहले फोन कौल से ले कर इवेंट मैनेजमैंट तक काफी प्रभावित थी तनु. यही

कारण था कि उस ने अंत तक रुकने का मन बना लिया था. बहुत देर से नाम की अनाउंसमैंट का इंतजार था, लेकिन सीधे ही सीईओ का भाषण शुरू हुआ.

जानीपहचानी आवाज सुन कर तनु ने सिर ऊपर उठाया, ‘‘रोहन. यह रोहन की कंपनी है?’’ अनायास ही मुंह से निकल गया.

‘‘यस मैम, एक्चुअली रोहन सर ही हमारे सीईओ हैं,’’ पीछे से उसी लड़की की आवाज सुनाई दी जिस से फोन पर बात हुई थी.

‘‘ग्रेट,’’ बस यों ही तनु के मुंह से निकल गया.

‘‘तनु मैं तुम्हारे घर की तरफ ही जा रहा हूं. इवेंट खत्म हो गया हो तो मेरे साथ ही आ जाओ. बाद में अकेले जाना पड़ेगा.’’

जतिन के फोन से पहले ही तनु जाने के लिए खड़ी हो चुकी थी. वह रोहन

के सामने नहीं जाना चाहती थी इसलिए जतिन के साथ ही निकल गई.

‘‘तनु कल का इवेंट कैसा रहा?’’ बौस ने पूछा.

तनु ने पहले से सोचा हुआ जवाब दिया, ‘‘सर मैं ने रिपोर्ट आप को मेल कर दी है,’’ स्वयं को व्यस्त दिखाने की कोशिश करते हुए तनु लैपटौप में टैब बदलने लगी.

‘‘रिपोर्ट मैं देख लूंगा परंतु तुम्हारा व्यक्तिगत अनुभव कैसा रहा?’’ बौस ने फिर से प्रश्न किया.

‘‘सर अच्छा ही रहा. एक स्टार्टअप कंपनी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगा सकते हैं.’’

बौस चौंक कर बोले, ‘‘मतलब तुम्हें प्रभावित नहीं कर पाई है उन की कोशिश,’’ बौस ने फिर से एक और प्रश्न पूछा.

‘‘वह बात नहीं है सर. अच्छा होता कि प्रोडक्ट लौंच पर यह सेमिनार होता. हमारे

लिए आकलन आसान हो जाता,’’ तनु ने अपनी बात रखी.

बौस की आंखों में जाने क्यों खुशी की चमक आ गई. वे मुसकराते हुए अपने कैबिन में चले गए. तनु को कुछ अजीब सा लगा, लेकिन चुप रह गई. शादी की उथलपुथल ने उसे शांत औब्जर्वर बना दिया था.

पूर्णाहूति: मणि ने क्यों किया घर छोड़ने का फैसला

सुरेखा जल्दीजल्दी सूटकेस में सामान रखने में व्यस्त थी. समय और आवश्यकता के अनुसार चुनी गईं कुछ साङियां, ब्लाउज के सैट्स, सूट के साथ मैचिंग दुपट्टे. 2-3 चूड़ियों के सैट्स, कुछ रूमालें और रोजमर्रा की जरूरत की ऐसी चीजें जिन की उपस्थिति जीवन में अनिवार्य होती हैं, धीरेधीरे संभाल कर रख रही थी.

इन में भी सब से अधिक संभाल कर रखे गए उस के सारे सर्टिफिकैट्स, मार्कशीट्स और नौकरी के लिए आया कौल लेटर भी था.

इन व्यस्तताओं के बीच उस ने कई बार मणि की ओर बेपरवाही से देखा और फिर व्यस्त हो गई. सोफे पर स्थिर बैठा मणि उसे एकटक ऐसे देख रहा था मानों बहुत कुछ कहना चाह रहा हो, लेकिन उस के शब्द किसी अथाह सागर में डूबते जा रहे हों.

उधर सुरेखा थी कि उस की ओर स्थिर हो कर ताक भी नहीं रही थी मानों जताना चाह रही हो कि तुम ने मुझे कब सुना था, जो आज मैं तुम्हारी भावनाओं को समेट लूं?

जब मैं तुम्हें अपने पास रोकना चाहती थी, तब तुम हाथ छुड़ा कर चले जाते थे. जब मैं तुम से कुछ कहने का प्रयास करती, तब तुम ध्यान नहीं देते थे क्योंकि तुम्हारे अनुसार मैं बेमतलब की बातें ही तो करती थी. फिर एक अहंकारी पुरुष मेरी बातों में क्यों दिलचस्पी ले पाता?

ओह, मैं ने क्याक्या कहना चाहा था तुम से मणि. क्या एक पति का इतना भी कर्तव्य न था कि वह अर्धांगिनी कही जाने वाली अपनी पत्नी के मनोभावों को समझना तो दूर, सुन भी न सके?

मुझे आज भी याद है मणि, जब मैं ब्याह कर प्रथम दिवस तुम्हारे घर आई थी. ससुराल में पदार्पण करने के बाद नई दुलहन को देखने वालों के उत्साह ने मुझे क्षण भर भी आराम करने नहीं दिया था. हां, तुम ने आते ही सो कर अपनी थकान उतार ली थी, लेकिन मैं भारी बनारसी साड़ी के बोझ तले दुलहन बनी बैठी रही.

रात में जब सब सो गए तब मैं आधी रात कमरे में अकेली बैठी इंतजार करती रही थी. मेरे मन में कितने भाव आजा रहे थे. मैं चाहती थी कि अपने मन के सारे द्वार खोल दूं और तुम एक प्रेमाकुल भ्रमर के समान मेरे मन के कोष में बंद सारे भाव पढ़ लो. सारी नींद, सारी थकान भुला कर मैं तुम से रात भर बातें करती रहूं.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तुम ने आते ही कमरे के कपाट क्या बंद किए मेरे मन के द्वार पर मानो ताला लगा दिया. तुम ने आते ही मुझे जकङ लिया था और फिर ज्योंज्यों चूङियोंगहनों का बोझ कम होता गया त्योंत्यों मेरे व्याकुल हृदय का भार और बढ़ता चला गया. उस के बाद तो सपने, कल्पनाएं, भावनाएं न जाने क्याक्या मेरे भीतर ही भीतर टूटता रहा. मेरा तो जैसे संपूर्ण अस्तित्व अस्तव्यस्त हो गया, जिसे मैं आज तक नहीं समेट पाई.

मिलन की प्रथम रात्रि की मधुर बेला में तुम्हारे द्वारा पूछा गया वह क्रूर प्रश्न क्या मैं कभी भूल पाऊंगी मणि? तुम्हारे निर्दय शब्द आज भी मेरे मन को विचलित कर देते हैं.

तुम ने मेरी वर्जिनिटी पर सवाल उठाया था,”क्या इस के पहले तुम्हारा किसी से…?”

छिः मैं कैसे बोलूं तुम्हारे वे घृणित शब्द? मैं अवाक सी तुम्हें देखती रह गई थी.

तब तुम ने और दृढ़ता से कहा था,’’आजकल कालेज में पढ़ने वाले लड़केलड़कियों के लिए यह सामान्य सी बात है. मैं बुरा नहीं मानूंगा.‘‘

चरित्र पर उछाले गए उन छीटों से मैं आज भी स्वयं को कलुषित सा महसूस करती हूं मणि.

सुरेखा के सारे घाव हरे हो उठे थे. उस की डबडबाई आंखों से कुछ बूंदें छलक पड़ीं. तभी मणि ने उस का हाथ पकड़ लिया,’’रो रही हो? फिर क्यों जा रही हो? मुझे पता है तुम मेरे बिना नहीं रह पाओगी.”

“चलो आज तुम्हें मेरा रोना तो दिखाई दिया. पर उस के पीछे का कारण तुम आज भी नहीं समझ पाए,” कहते हुए सुरेखा ने धीरे से अपना हाथ छुड़ा लिया और फिर व्यस्त हो गई.

तुम समझ भी कैसे सकते थे, मणि क्योंकि तुम ने तो मुझे कभी पत्नी का स्थान दिया ही नहीं. तुम्हारे लिए तो मैं मात्र एक उपभोग की वस्तु ही थी. इस के अतिरिक्त तो तुम ने मेरे अस्तित्व को किसी अन्य रूप में स्वीकारा ही नहीं. मैं ने बहुत चाहा था कि तुम्हारे साथ मैं कुछ क्षण शांति से बिता पाती. कुछ तुम अपने मन की कहते कुछ मैं कहती. मनुष्य एकदूसरे के भावों को तो तभी समझ सकता है जब वह उसे सुने और समझे. धरती तभी नम होती है जब जल की बूंदें उसे सिंचित करती हैं. जल के स्नेहिल स्पर्श से ही भाव पूरित हो धरा में प्रेममयी बीज अंकुरित होते हैं, अन्यथा कोई कितना ही उस पर हल चलाता रहे सब बेकार है.

ऐसा नहीं कि तुम मुझे नहीं चाहते थे. जब तुम्हें एक स्त्री की आवश्यकता होती थी तब तुम मेरे पास ही आते थे. अपनी लालसा को तृप्त कर फिर मुझे अकेली छोड़ कर चले जाते थे. मेरे हृदय तक पहुंचने का प्रयास तो तुम ने कभी किया ही नहीं और मैं थी कि अब तक दरवाजे की ओर ही निहारती रह गई.

कई बार तो मैं तुम्हारे हाथ कस कर पकड़ लेती थी. तुम से अनुनयविनय करती कि कुछ क्षण मेरे निकट बैठ कर उस प्रेम को महसूस कर लेने दो जो मेरे हृदय को तुम्हारे साथ जोड़ सके. मगर तुम्हें मेरी भावनाओं से क्या मतलब था?

मेरे लिए प्रेम एक अमूर्त भाव था, एक ऐसी डोर जो 2 प्राणों को जनमजनम के लिए बांध लेते हैं. मगर तुम्हारे लिए प्रेम की परिभाषा कुछ और ही थी, तभी तो तुम निर्दयीभाव से मेरा हाथ छुड़ा कर चले जाया करते थे.

“आखिर तुम्हें किस बात ही कमी है यहां? क्या तुम्हें वास्तव में नौकरी की आवश्यकता है? वह भी इतनी दूर जा कर? अकेली रह पाओगी?”

मणि के शब्दों ने सुरेखा की तंद्रा तोड़ी थी. वह कुछ क्षणों के लिए मणि की ओर देखती रही, बिना कुछ कहे एकटक. सुरेखा मानों उन्हीं शब्दों की डोर थामे हुए कहीं डूबी चली जा रही थी.

यह तुम्हारे लिए मात्र एक नौकरी होगी, मणि. मेरे लिए तो तुम्हारे कारागार से मुक्त हो कर स्वच्छंद हवा में सांस लेने का एक माध्यम है. अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान को कुचल कर तुम्हारी दी हुई सुखसुविधाओं का भोग अब मेरे लिए सहन कर पाना असंभव हो गया है.

मैं कैसे भूल सकती हूं वह काला दिन जब तुम ने मेरी भावनाओं को खंडखंड कर डाला था.

मैं वह पल कैसे भूल सकती हूं, मणि? मेरा अपराध मात्र इतना था कि जब तुम मेरी कोई बात सुननेसमझने को तैयार न थे मैं ने अपनी भावनाओं को तुम तक पहुंचाने के लिए पत्र को माध्यम बनाया था. अपने भाव के मोती शब्दों की डोर में पिरो कर तुम्हें सौंप दिया था. यही मेरी भूल थी. सोचा था इसे पढ़ कर ही कदाचित किसी सीमा तक तुम मुझे समझ पाओगे. मगर नहीं, तुम तो पूरी तरह संवेदनाशून्य थे. इसीलिए तो तुम ने उस पत्र में लिखे 1-1 शब्द को सब के सामने बोल कर मेरा मजाक उड़ाया था.

घर में गूंजते ठहाकों से मेरा हृदय चीत्कार कर उठा था. उस दिन मैं टूट कर ऐसी बिखरी कि आजतक मैं स्वयं को समेटने का प्रयास ही कर रही हूं.

शायद राख के ढेर में कहीं एक चिनगारी शेष थी. बस, मन में एक निश्चय किया था,‘अब मुक्ति चाहिए…’ और इस के लिए मुझे स्वयं को स्थापित करना ही होगा.

एक नारी का हृदय जितना कोमल और विनम्र होता है, तिरस्कार और अपमान उसे उतना ही निष्ठुर और कठोर भी बना देता है.

मणि ने अपना अंतिम प्रयास किया. उस ने सुरेखा को कस कर भींच लिया,‘‘सोच लो, बस एक बार, मेरे लिए… इतना आसान नहीं होगा यह सब.’’

“आसान तो कुछ भी नहीं होता. अपने मातापिता और परिजनों को छोड़ कर किसी अजनबी को पति मान कर उस के साथ चल पड़ना कौन सा आसान होता है?’’ सुरेखा ने प्रश्नपूर्ण दृष्टि से मणि की ओर देखा था.

जीवन के एक नए सफर पर चल पड़ने की दृढ़ता उस के चेहरे पर स्पष्ट झलक रही थी.

‘‘तो तुम नहीं मानोगी?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘नहीं रुकोगी?’’

‘‘नहीं.”

“एक बार फिर सोच लो.’’

‘‘नहीं.”

सुरेखा ने अपने वैवाहिक जीवन की यज्ञवेदी में आज तक जितनी आहूतियां दी थीं, आज उस की पूर्णाहुति देने का समय था. सुरेखा इस के लिए पूरी तरह तैयार थी.

मणि के बाहुपाश से छूटते ही उस ने सूटकेस उठाया और दृढ़ता के साथ बाहर निकल गई.

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