2023 में नई ऑनस्क्रीन जोड़ी का इंतज़ार रहेगा!

बॉलीवुड समय-समय पर नई और ताज़ा जोड़ियों के साथ प्रयोग करता रहता है. 2023 में कई नई ऑन-स्क्रीन जोड़ियां आई हैं, जिन्होंने अपनी शानदार केमिस्ट्री से हमारी स्क्रीन पर धूम मचा दी है.

इन अपरंपरागत जोड़ियों ने प्रशंसकों और दर्शकों के बीच काफी चर्चा पैदा की. चाहे तू झूठी मैं मक्कार में रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर हों, जरा हटके जरा बचके में विक्की कौशल-सारा अली खान हों या हाल ही में रिलीज हुई बवाल में वरुण धवन और जान्हवी कपूर हों, सभी अपनी केमिस्ट्री और शानदार परफॉर्मेंस से दर्शकों को प्रभावित करते दिखे.

 

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एक दिलचस्प ऑन-स्क्रीन जोड़ी जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है, और जो ड्रीम गर्ल 2 में एक साथ दिखाई देगी, वह है बॉलीवुड हार्टथ्रोब आयुष्मान खुराना और अनन्या पांडे. प्रशंसक और आलोचक समान रूप से उत्साह से भरे हुए हैं, यह देखने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं कि यह जोड़ी क्या पेश करेगी.

 

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दर्शकों को कुछ नई जोड़ियां भी देखने को मिलेंगी जैसे जवान में शाहरुख खान और नयनतारा, योद्धा में सिद्धार्थ मल्होत्रा और दिशा पटानी, एनिमल में रश्मिका मंदाना के साथ रणबीर कपूर और एक फिल्म में शाहिद कपूर और कृति सेनन, जिसका अभी तक शीर्षक नहीं है.

रोमांचक रिलीज़ों से भरे साल में, ड्रीम गर्ल 2 सबसे अधिक प्रतीक्षित कॉमेडीज़ में से एक बनी हुई है, जिसमें इस नई जोड़ी ने एक साथ अभिनय किया है और प्रशंसकों के बीच प्रत्याशा बढ़ा दी है.

 

क्यों जरूरी है टीकाकरण

इम्‍युनाइज़ेशन या टीकाकरण आपके बच्‍चों की सेहत के सबसे किफायती तौर-तरीकों में से है, और सिर्फ बच्‍चों के मामले में ही नहीं, बल्कि कई वयस्‍कों, गर्भवती माताओं तथा बुजुर्गों के मामले में भी यह उपयोगी साबित होता है. टीकाकरण के दौरान, शिशु को टीका या खुराक पिलायी जाती है जो वास्‍तव में, निष्क्रिय वायरस या बैक्‍टीरिया होते हैं. इन निष्क्रिय रोगाणुओं के रोग पैदा करने की क्षमता काफी हद तक कम हो चुकी होती है. इसलिए, जब ये आपके शरीर में पहुंचते हैं तो प्रतिक्रियास्‍वरूप शरीर में एंटीबॉडीज़ बनती हैं जो शिशु को रोग से बचाती हैं। वैक्‍सीनेशन इसी तरीके से काम करता है.

जीवन के शुरुआती महीनों में नवजात कई तरह के रोगों का शिकार बन सकता है. हालांकि माताओं को जो रोग पहले हो चुके होते हैं, उनकी एंटीबॉडीज़ गर्भावस्‍था के दौरान शिशु के शरीर में पहले ही प्रविष्‍ट हो चुकी होती हैं. इसलिए शुरुआती कुछ हफ्तों तक शिशु स्‍वस्‍थ रहता है लेकिन इसके बाद, शिशु का अपना खुद का सिस्‍टम रोगों से लड़ने के लिए तैयार होना चाहिए. वैक्‍सीनेशन इस सिस्‍टम को मजबूती देता है और शिशु का अनेक रोगों से बचाव करता है.

कई रोगों से बचाव

शिशु को पैदा होने के समय, अस्‍पताल से छुट्टी देने से पहले ही बीसीजी, हेपेटाइटिस बी और पोलियो की खुराक दी जाती है. इसके बाद, 6 हफ्ते की उम्र से शिशु को डीपीटी की 3 खुराक, निमोनियो वैक्‍सीन, रोटोवायरस, मीज़ल्‍स टाइफायड जैसी वैक्‍सीनें दी जाती हैं. साथ ही, पहले साल के बाद इनकी बूस्‍टर खुराक भी दी जाती है। इनके अलावा, हेपेटाइटिस ए, चिकन पॉक्‍स, मेनिंगोकोकल, सर्वाइकल कैंसर आदि की अतिरिक्‍त वैक्‍सीनें भी निजी क्षेत्र में उपलब्‍ध करायी गई हैं.

क्या कहते हैं ऐक्सपर्ट

डॉ पूनम सिदाना, डायरेक्‍टर – नियोनेटोलॉजी एंड पिडियाट्रिक्‍स, सीके बिरला हॉस्‍पीटल (आर), दिल्‍ली के मुताबिक जब हम वैक्‍सीनों से मिलने वाले फायदों की बात करते हैं तो हम रोगों से बचाव तक ही सीमित रहते हैं, लेकिन सच तो यह है कि ये रोगा न सिर्फ आपके शिशु को रोगों से बचाते हैं बल्कि उनके बीमार पड़ने, पोषण संबंधी समस्‍याओं से जूझने और विकास पर असर डालने वाली स्थितियों में भी उन्‍हें स्‍वस्‍थ रखते हैं. कई बार बच्‍चे अपने स्‍कूलों आदि से संक्रमणों को भी घर ले आते हैं जो परिवार के किसी बुजुर्ग व्‍यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए कई बार ऐसा भी होता है कि आपका बच्‍चा ही वैक्‍सीनेशन का लाभ नहीं लेता बल्कि परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को भी इसका फायदा मिलता है.

युवतियों को गर्भधारण से पहले अपने टीकाकरण का मूल्‍यांकन करवाना चाहिए ताकि वे गर्भावस्‍था के दौरान, संक्रमित होने से बच सकें जो कि मां और अजन्‍में शिशुओं के लिए नुकसान दायक होता है.

चिकित्सक की सलाह लें

आज की दुनिया में, जबकि हम सभी आपस में इतने ज्‍यादा जुड़े हैं कि कोविड जैसे रोग हमारे ट्रैवल और काम करने के तौर-तरीकों की वजह से पूरी दुनिया में फैल सकते हैं. कभी-कभी किसी क्षेत्र में किसी रोग विशेष का न होना इस बात की गारंटी नहीं होता कि भविष्‍य में भी वह रोग नहीं होगा.

इसलिए हमेशा समय पर टीकाकरण करवाएं, अपने डॉक्‍टर से इस बारे में बात करें और पूर्व निर्धारित तारीखों पर वैक्‍सीन अवश्‍य लें। बच्‍चों को वैक्‍सीनेशन के बाद कई बार हल्‍के-फुल्‍के असर हो सकते हैं जो पैरासिटामोल की एक खुराक से एकाध दिन में दूर भी हो जाते हैं. इसलिए, टीकाकरण के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के महत्‍व को समझे व, अपने डॉक्‍टर से वैक्‍सीनेशन संबंधी परामर्श लें और और एपाइंटमेंट के दिन टीके जरूर लें तथा अपने शिशु को स्‍वस्‍थ रखने के लिए हर संभव प्रयास करें.

मन के तहखाने-भाग 2: अवनी के साथ ससुराल वाले गलत व्यवहार क्यों करते थे

उसे जेठानी का चेहरा अकसर याद आता रहता. सोचती, इतने थोड़े समय का साथ था पर मैं नासमझ उन से चिढ़ने में ही लगी रही. धीरेधीरे मन को शांत कर सकी थी. जब सुध आई तो सामने पहाड़ की तरह एक उत्तरदायित्व उसे परेशान करने लगा. क्या होगा अवनी का? जैसे ही उसे सीने से लगाती तो अतीत के कई स्वर उसे आंदोलित करते और वह पुन: विक्षिप्त सी हो उठती. विवाह की पहली रात ही पूरब ने कहा था, ‘‘श्रावणी, हम चाहते हैं कि तुम्हारा मीठा स्वभाव उसी तरह मां के मन पर राज करे, जैसे भाभी का करता है.’’

प्रथम मिलन के समय अपने पति से मीठी प्यारी बातों के स्थान पर ऐसी बात उसे आश्चर्यचकित कर गई. वह कह रहा था, ‘‘भैया भाभी ने इस घर के लिए बहुत से त्याग किए हैं पर कभी भी उलाहना नहीं दिया.’’

पूरब ने उसे बताया कि कैसे बाबूजी के कम वेतन में इस घर में दरिद्रता का राज था. भैया ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ कुछ ट्यूशन ले रखी थीं ताकि घर की स्थिति में भी सुधार आए और वह पढ़ाई भी पूरी कर लें. भैया की लगन और परिश्रम से उन्हें एक अच्छी नौकरी भी मिल गई. घर में सुख के छोटे छोटे पौधे लहराने लगे. जब भाभी ब्याह कर आईं तो उन्होंने भी हर प्रकार से घर के हितों का ही ध्यान रखा. उन्हीं की जिद से मैं एम.बी.ए. कर सका और आज एक बड़ी कंपनी में नौकरी कर रहा हूं.

श्रावणी को याद है कि कैसे अपनी उबासियों को रोक कर उस ने सारी बातें सुनी थीं. उस रात की मर्यादा बनाए रखने के लिए उस ने मन का उफनता हुआ लावा सदा मन में दबाए रखा. जब जेठ जेठानी चले गए तो वह लावा समय असमय अवनी पर फूटने लगा.

अवनी के विवाह के नाम पर जेठ जेठानी ने बहुत पहले ही एक पौलिसी ली थी जिसे अब निश्चित समय पर आगे बढ़ाना पूरब के जिम्मे था. जब तक अवनी 20 वर्ष की होगी, उस के विवाह के लिए अच्छी रकम जमा हो चुकी होगी. फिर भी वह समयसमय पर अवनी के विवाह की चिंता दिखाने बैठ जाती. ‘इस महंगाई में अपनी बेटी का विवाह करना ही कठिन है, ऊपर से जेठजी की बेटी का भी सब कुछ हमें ही संभालना है.’

उस की बातों से आसपड़ोस की महिलाएं बहुत प्रभावित हो जातीं लेकिन पूरब खीज उठता, जो श्रावणी को सहन नहीं होता था.

पूरब कहता, ‘‘भैया सिर्फ अवनी के लिए ही नहीं अपनी विधू के लिए भी छोड़ गए हैं. दोनों उस में ब्याह जाएंगी.’’

श्रावणी खीज कर कहती, ‘‘मेरे पास बहुत काम है, तुम्हारी भैयाभाभी स्तुति सुनने का समय नहीं है.’’

अवनी पढ़ाई में बहुत तेज थी. घर के सारे काम निबटा कर अपनी पढ़ाई पूरी करती. कभी विविधा कुछ पूछती तो उसे भी पढ़ाने में समय देती.

एक दिन श्रावणी की दूर की मौसी का फोन आया कि वे अपने पुत्र के लिए लड़की देखने आ रही हैं. उन का एक ही पुत्र था.

2 बेटियों का विवाह कर चुकी थीं, अब पुत्र का शीघ्र विवाह करना चाहती थीं ताकि कनाडा जाने से पूर्व उस के पैरों में बेडि़यां डाल दें. श्रावणी ने अवनी से कहा, ‘‘मेरी दूर की मौसी आ रही हैं, पहली बार आएंगी, खूब खातिर करना.’’

विविधा ने तुरंत टोका, ‘‘फिर दीदी कालेज कब जाएंगी?’’

‘‘हम सब कर लेंगे चाची, आप चिंता न करिए…’’

श्रावणी ने विविधा को क्रोध से देख कर कहा, ‘‘तुम्हारी तरह आलसी नहीं है अवनी. सब कुछ मैनेज करना जानती है.’’

कहने को तो वह कह गई पर तुरंत उसे अपनी गलती का एहसास हो गया. अवनी से काम करवाने के चक्कर में अपनी बेटी पर कटाक्ष कर बैठी. वह मन ही मन में अपनी नासमझी पर विकल हो उठी.

न चाहते हुए भी बहुत कुछ हो जाता है और उस सब की जिम्मेदारी उसी पर है. अपना हाथ एकसाथ दोनों पर रख कर बोली, ‘‘हमारा मतलब है कि आज तुम भी अपनी दीदी का हाथ बटाओ और सीख लो कि कैसे वह सब बनाती है,’’ अपनी गलती सुधारती श्रावणी तीव्रता से बाहर चली गई.

मौसी आईं तो उन का पुत्र अनिकेत भी साथ आया. उस ने बहुत जल्दी हर एक का मन जीत लिया. भोजन करने बैठे सब तो मौसी ने खूब प्रशंसा आरंभ कर दी.

श्रावणी बोली, ‘‘दोनों बहनों ने मिल कर बनाया है.’’

‘‘नहीं आंटी,’’ विविधा तुरंत बोली, ‘‘यह सारा खाना दीदी ने बनाया है.’’

‘‘अरे वाह, तुम तो बहुत अच्छी गृहस्थन हो बेटा,’’ मौसी ने प्यार से अवनी को देखा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘जी, अवनी.’’

‘‘पढ़ती हो?’’ मौसी ने अगला प्रश्न उछाल दिया.

‘‘बी.ए. फाइनल में,’’ अवनी ने धीरे से कहा.

‘‘काश! वह लड़की भी तुम्हारी ही तरह गुणी हो, जिसे हम लोग अनिकेत के लिए देखने जा रहे हैं.’’

मौसी और अनिकेत के जाने के बाद अवनी कालेज चली गई. उस के 2 पीरियड छूट चुके थे.

शाम को जब घर पहुंची तो घर में बहुत सन्नाटा था. मौसी और चाची धीरेधीरे कुछ बोल कर चुप्पी साध लेती थीं. अनिकेत समाचारपत्र पकड़ कर लगातार कुछ सोच रहा था.

अवनी ने पुस्तकें रखीं और चाची के पास जा कर बोली, ‘‘चाय बनाऊं?’’

मौसी ने चौंक कर उसे देखा. उन की आंखों में जाने क्या था. श्रावणी ने कहा, ‘‘हां, साथ में कुछ गरमगरम पकौड़े भी बना लो.’’

अवनी लौटी तो उस ने सुना मौसी कह रही थीं, ‘‘कितनी प्यारी और शांत स्वभाव की है तुम्हारी अवनी.’’

रात तक अवनी को उन लोगों की चुप्पी का कारण पता चल गया था. इन लोगों को तो लड़की पसंद थी पर उस लड़की ने एकांत में अनिकेत से कहा कि वह किसी से प्यार करती है, मांबाप जबरन उस की शादी करवा रहे हैं. विविधा ने ये सारी बातें करते मौसी और मां को सुना था और अवनी को बताने चली आई थी.

अवनी के काम में हाथ बटाते हुए वह निरंतर कुछ न कुछ बोलती जा रही थी. अवनी मन ही मन में सोच रही थी कि वह लड़की कितनी बहादुर है, जिस ने सच को इस तरह सामने रख दिया.

खाने की मेज पर सब बैठे तो मौसी ने कहा, ‘‘अवनी बेटा, तुम भी हमारे साथ बैठो.’’

‘‘आप खाइए, हम गरम गरम फुलके सेंक रहे हैं.’’

मौसी ने उसे बहुत हसरत से देखा और अचानक बोलीं, ‘‘श्रावी, अपनी अवनी हमें दे दो,’’ फिर उन्होंने अनिकेत से कहा, ‘‘क्यों अनि, अवनी हमें बहुत पसंद है, तुम्हारे लिए मांग लें.’’

रसोई में कदम रखतेरखते अवनी ने सुना तो हठात ठहर गई. पूरा शरीर सिहर उठा. चाची से पहले चाचा ने कहा, ‘‘आप की ही बेटी है मौसी, जब चाहें अपना बना लें.’’

‘‘लेकिन अवनी से भी तो पूछिए,’’ अचानक उसे अनिकेत का यह स्वर सुनाई दिया.

इस असंभव सी बात पर वह आश्चर्यचकित भी थी और प्रसन्न भी. मन उत्तेजना से धड़क रहा था. क्या यह कोई सपना है? मौसी ने अगली बार उस के आते ही अपनी बगल में बैठा लिया.

‘‘बैठो बेटा, रोटी श्रावी बना लेगी,’’ उन की बात पर श्रावणी घबरा कर उठ गई और अवनी को बैठना पड़ा. मौसी ने प्यार से उस की पीठ पर हाथ फेरा और कहा, ‘‘बेटा,एक बात सचसच बताना, हमारा अनिकेत कैसा है?’’

अवनी ने धीरे से पलकें उठाईं. अनिकेत मुसकरा रहा था. उसे घबराहट सी होने लगी. अचानक आए ये अनोखे पल उसे अवाक कर रहे थे, पर स्थिति का सामना तो करना था. उस ने अपने चाचा की ओर देखा, फिर धीरे से बोली, ‘‘अच्छे हैं.’’

‘‘इस से शादी करोगी?’’ मौसी ने फिर पूछा. घबरा कर उस ने फिर चाचा की ओर देखा. उन्होंने ‘हां’ का संकेत दिया तो गरदन झुकाते हुए लजा कर उस ने ‘हां’ में हिला दी.

‘‘थैंक्यू अवनी,’’ अचानक अनिकेत का स्वर उस के कानों में गूंजा, ‘‘मुझे तो पहली ही नजर में आप पसंद आ गई थीं.’’

मौसी ने आश्चर्य से उसे देखा फिर बोलीं, ‘‘अरे, तो पहले ही क्यों नहीं कहा. हम वहां जाते ही नहीं.’’

अनिकेत ने संकोच से उधर देखा, ‘‘मां, मैं आप का वचन तोड़ कर कभी कुछ नहीं करना चाहता हूं. आप ने अपने वहां जाने की सूचना उन्हें दे रखी थी.’’

‘‘वाह बेटा वाह,’’ पूरब ने झट से कहा, ‘‘आजकल ऐसी अच्छी सोच कहां देखने को मिलती है.’’

श्रावणी मन ही मन में सोच रही थी कि जेठ जेठानी अकेली छोड़ गए बेटी को पर देखो तो, घर बैठे विदेश में बसा लड़का मिल गया. पता नहीं हमारी बेटी का क्या होगा.

मेरे और मेरे बौयफ्रेंड के बीच मनमुटाव हो गया था, अब मैं उस पर भरोसा करूं या नहीं?

सवाल-

मैं एक लड़के से 5 वर्षों से प्यार करती हूं. वह भी मुझ से प्यार करता है. बीच में हम दोनों में कुछ मनमुटाव हो गया था. अब वह कहता है कि वह मुझे नहीं किसी और को चाहता है. मैं उसे भुला नहीं सकती. दिनरात रोती हूं. कभीकभी वह कहता है कि लौट आओ. मुझे उस के व्यवहार को ले कर बहुत गुस्सा आता है, यह सोच कर कि उस ने मेरा मजाक बना रखा है. क्या मैं उस पर भरोसा करूं या नहीं?

जवाब-

एकदूसरे को समझने के लिए 5 साल का समय बहुत होता है. यदि आप का प्रेमी आप से साफसाफ कह चुका है कि वह आप को नहीं किसी और लड़की को चाहता है तो आप को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए और उस से किनारा कर लेना चाहिए. अपने पहले प्यार को भुलाना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है पर नामुमकिन नहीं. समय बीतने के साथ आप के दिलोदिमाग से उस की यादें मिट जाएंगी.

मैं 2 साल से एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे बेहद चाहता है. हमेशा मेरी इच्छाओं का सम्मान करता है. ऐसा कोई काम नहीं करता जो मुझे नागवार गुजरता हो. मगर अब कुछ दिनों से वह शारीरिक संबंध बनाने को कह रहा है पर साथ ही यह भी कहता है कि यदि तुम्हारी मरजी हो तो. मैं ने उस से कहा कि ऐसा करने से यदि मुझे गर्भ ठहर गया तो क्या होगा? इस पर उस का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होगा. कृपया राय दें कि मुझे क्या करना चाहिए?

दोस्ती में एकदूसरे की इच्छाओं को तवज्जो देना जरूरी होता है. तभी दोस्ती कायम रहती है. इस के अलावा आप का बौयफ्रैंड अभी आप का विश्वास जीतने के लिए भी ऐसा कर रहा है. जहां तक शारीरिक संबंधों को ले कर आप की आशंका है तो वह पूरी तरह सही है. यदि आप संबंध बनाती हैं तो गर्भ ठहर सकता है, इसलिए शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने से हर हाल में बचना चाहिए.

एक नारी ब्रह्मचारी- भाग 4 : पति वरुण की हरकतों पर क्या था स्नेहा का फैसला

चाय पीते हुए भी वह वही सब बातें सोचने लगा. आज उस का औफिस जाने का जरा भी मन नहीं हो रहा था. पर, जाना तो पड़ेगा ही. सो, खापी कर तैयार हो कर वह औफिस के लिए निकल गया और सोचने लगा, ‘काश, रूपम एक बार फिर उसे मिल जाए, तो इस बार उसे जाने नहीं देगा.‘

3-4 दिन ऐसे ही बीत गए, पर रूपम नहीं आई. एक दिन अचानक एक अनजान नंबर से वरुण के फोन पर फोन आया, तो उस ने उठा लिया. वह अभी हैलो बोलता ही कि सामने से वही मधुर आवाज सुन कर उस का रोमरोम सिहर उठा. रूपम कहने लगी कि क्या कल वह उस से मिलने बैंक आ सकती है?

वरुण अभी बोलने ही जा रहा था कि वह तो खुद उस से मिलने को बेचैन है. लेकिन उस ने खुद को कंट्रोल कर लिया, क्योंकि इतनी जल्दी वह शिकारी को अपने जाल में नहीं फंसाना चाहता था. पहले थोड़ा दाना डालेगा, फिर वह खुदबखुद उस के जाल में फंसती चली आएगी.

“सर, आप ने बताया नहीं, क्या मैं कल आप से मिलने आ सकती हूं?” रूपम ने फिर वही बात दोहराई, तो वरुण ने बड़े ही शालीनता से हां में जबाव दे कर फोन रख दिया. लेकिन उस के दिल में जो हलचल मची थी, नहीं बता सकता था.

कई दिनों से वरुण को गुमशुम, उदास देख स्नेहा को भी अच्छा नहीं लग रहा था. लेकिन आज बाथरूम में उसे गुनगुनाते देख स्नेहा को जरा अचरज तो हुआ, पर खुश भी हुई कि वरुण खुश है.

औफिस पहुंच कर वरुण बेसब्री से रूपम के आने का इंतजार करने लगा. कुछ देर बाद मैसेंजर ने आ कर बताया कि एक महिला उस से मिलना चाहती है.

“भेज दो,” कह कर वरुण रूपम के सपनों में खो गया. तभी उस की खनकती आवाज से वरुण की तंद्रा टूटी और जब उस ने मुसकुराते हुए ‘गुड मार्निंग सर‘ कहा, तो वरुण को जैसे जोर का करंट लगा.

“गुड मार्निंग… प्लीज, हैव ए सीट,” वरुण ने कुरसी की तरफ इशारा किया.

‘थैंक यू सर’ बोल कर वह कुरसी पर बैठ गई और कहने लगी कि वह एकदो बैंक गई थी लोन मांगने, पर कहीं भी उस का काम नहीं बना. लेकिन अगर आप मेरी मदद कर दें तो लोन मिल सकता है.

“वह कैसे मैडम…?” वरुण ने उसे तिरछी नजरों से देखते हुए पूछा.

“सर, वह तो मुझे नहीं पता, लेकिन आप इतने बड़े बैंक में मैनेजर हैं. देखने में आप इनसान भी अच्छे लग रहे हैं, तो कुछ तो मेरी मदद कर ही सकते हैं.

‘‘सर, मुझे पैसों की सख्त जरूरत है, वरना मैं यों बैंकों के चक्कर नहीं काट रही होती.

‘‘मैं जल्दी ही बैंक का लोन चुका दूंगी, विश्वास कीजिए सर मेरी बात पर.”

रूपम की बात पर वरुण को कुछकुछ विश्वास होने लगा कि यह औरत सही बोल रही है. इसी तरह वह रोज किसी न किसी बहाने वरुण से मिलने लगी. अगर वह नहीं आ पाती तो सामने से वरुण ही उसे फोन लगा देता.

रूपम को अच्छे से जान लेने के बाद कि सच में इस औरत को पैसों की जरूरत है, वरुण खुद गारंटर बन कर उसे बैंक से लोन दिलवा देता है.

इधर वरुण की मदद पा कर रूपम उस की शुक्रगुजार हो जाती है और वह उस के लिए अपने हाथों का बना पकवान ले कर आती है.

इसी तरह दोनों की दोस्ती गहरी होती जाती है और जिस का फायदा रूपम खूब अच्छे से उठाने लगती है.

अब वरुण की शाम रूपम की बांहों में बीतने लगती है. और जब स्नेहा उस से देर से आने का कारण पूछती है तो कोई न कोई बहाना बना कर उसे टाल देता है, जैसे कि आज औफिस में बहुत काम था, बौस के साथ जरूरी मीटिंग चल रही थी, क्लाइंट के साथ बिजी था, बोल कर स्नेहा को बहला देता. और उसे लगता कि वरुण सही कह रहा है.

उस रोज वरुण की शर्ट की जेब में मूवी की 2 टिकटें देख कर स्नेहा चीख पड़ी, “वरुण… वरुण, ये तुम्हारी जेब में मूवी की 2 टिकट… क्या चल रहा है?”

“मू… मूवी की टिकट. अरे, वो… वो तो मैं एक क्लाइंट के साथ ही गया था पागल. बौस ने कहा था क्लाइंट को खुश करने के लिए मूवी दिखा आ. अब बोलो बौस की बात कैसे टाल सकता था मैं. जानती तो हो अगले साल मेरा प्रमोशन ड्यू है, क्या तुम नहीं चाहती मेरी तरक्की हो? हद है भाई… बातबात पर शक करती हो मुझ पर,” वरुण ने मुंह बनाया, तो स्नेहा को भी लगा कि वह बेकार में उस के पीछे पड़ी रहती है.

वरुण को लग रहा था कि वह स्नेहा को चकमा दे रहा है. लेकिन उसे नहीं पता कि रूपम उसे चकमा दे रही थी. वह एक नंबर की फ्रौड थी. उस ने कितनों को ठगा था अब तक. और इस बार वरुण की बारी थी.

वरुण अपने प्रमोशन के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहा था, लेकिन अभी भी कई लोन एमपीए जा रहा था, जिस के लिए रोज उसे अपने बौस की डांट खानी पड़ रही थी. वैसे तो रूपम को उस ने कई बार कहा लोन भरने के लिए, लेकिन हर बार वह यही कहती, गांव में उस का एक पुराना पुश्तैनी मकान है, जिसे बेच कर वह एकसाथ बैंक के सारे पैसे भर देगी.

वरुण को उस की बात सही लगती, मगर इधर कई दिनों से रूपम का कुछ अतापता नहीं था. न तो वह उस से मिलने आ रही थी और न ही उस का फोन उठा रही थी. लेकिन जब उस का फोन स्विच औफ आने लगा तो वरुण को लगा कि कहीं वह किसी मुसीबत में तो नहीं है? या कहीं उस की तबीयत तो नहीं खराब है? यह सोच कर वह उस से मिलने उस के घर चला गया. वैसे तो बैंक अधिकारी किसी के घर नहीं जाते जल्दी, लेकिन उस रोज रूपम के बहुत जिद करने पर वह उस के घर चला गया था. 2 कमरे के एक छोटे से घर में वह अकेली रहती थी. बताया था उस ने उस के मांबाप का देहांत हो चुका है. शादी हुई, पर पति से उस का तलाक हो चुका है और अब वह अपने जीवन में अकेली है. ब्यूटीपार्लर का कोर्स कर रखा था, इसलिए अपना खुद का एक पार्लर खोलना चाहती थी, जिस के लिए उसे बैंक से लोन चाहिए.

खैर, जब वरुण उस के घर पहुंचा, तो दरवाजे पर बड़ा सा ताला लटका देख हैरान रह गया… हैरान इसलिए, क्योंकि अपनी हर एक छोटी से छोटी बात वह उस से बताती आई थी. तो यह बात कैसे नहीं बताई कि वह कहीं जा रही है? वह कहां गई है? कब आएगी ? कैसे पता करेगा, समझ नहीं आ रहा था उसे. तभी उसे सामने से एक अधेड़ उम्र की महिला आती दिखी.

“ए… एक मिनट मैडम, क्या आप बता सकती हैं कि इस घर में जो महिला रहती थी, रूपम व्यास… कहां गई है और कब आएगी?”

पहले तो उस महिला ने वरुण को ऊपर से नीचे तक गौर से देखा, फिर यह बोल कर आगे बढ़ गई कि उसे कुछ नहीं पता.

वरुण ने फिर कई बार रूपम को फोन मिलाया, पर वही स्विच औफ.

‘कहीं उस ने मुझे धोखा तो नहीं दे दिया? अगर ऐसा हुआ तो गया काम से मैं,’ अपने मन में ही सोच वरुण ने माथा पकड़ लिया. बहुत पता लगाया, लेकिन रूपम का कहीं कोई पताठिकाना नहीं मिला उसे, लेकिन एक रोज रूपम की सचाई जान कर वरुण को जोर का करंट लगा. उस ने वरुण को जोजो बताया अपने बारे में, सब झूठ था. यहां तक कि उस का नाम भी झूठा था. वह एक फ्रौड महिला थी, जो लोगों को लूटने का काम करती थी. पहले वह लोगों को अपनी सुंदरता के जाल में फंसाती थी, फिर उस के पैसे लूट कर रफूचक्कर हो जाती थी.

कितना समझाया था स्नेहा ने, ‘सुधर जाओ, वरना… खुद तो डूबोगे ही एक दिन हमें भी ले डूबोगे,’ और ऐसा ही हुआ.

वरुण हमेशा स्नेहा की बातों को इगनोर करता आया था. लेकिन आज उसे एहसास हो रहा था कि वह कितना गलत था. लेकिन अब क्या…? पैसे तो अब उसे अपनी जेब से ही भरने पड़ेंगे न, वरना अपनी नौकरी से जाएगा.. बड़ी हिम्मत कर के जब उस ने स्नेहा को यह सारी बात बताई, तो वह सिर पकड़ कर बैठ गई. पूरी रात दोनों चिंता, अनिद्रा और तनाव के कारण करवटें बदलते रहे. अब एकदो पैसे की बात तो थी नहीं, पूरे 10 लाख रुपए…? कहां से लाएगा वो इतनी बड़ी रकम…? अब स्नेहा भी क्या कर सकती थी. लेकिन गुस्सा तो उसे अभी भी बहुत आ रहा था. रात में कितना सुनाया उस ने वरुण को कि देख लिया न अपनी करनी का फल? सुंदर औरतों के पीछे भागने का नतीजा? उस पर वरुण ने अपने दोनों कान पकड़ कर उस से माफी मांगी थी और कहा था कि अब कभी वह ऐसी गलती नहीं करेगा. अब गलतियां तो इनसान से ही होती हैं न? यह सोच कर स्नेहा ने भी उसे माफ कर दिया और अपने सारे जेवर यह बोल कर उस के हाथों में पकड़ा दिए कि वह जा कर लोन की रकम भर दे, वरना प्रमोशन मिलना भी मुश्किल हो जाएगा.

“चलो, मैं औफिस के लिए निकलता हूं,” स्नेहा को सीने से लगाते हुए वरुण बोला, तो स्नेहा ने चुटकी ली कि फिर वह कहीं किसी मेनका के फेर में न पड़ जाए.

“पागल हो क्या…?‘‘ अपनी आंखें गोलगोल घुमाते हुए वरुण बोला, “गलती बारबार थोड़ी ही दोहराई जाती है. मैं तो एक नारी ब्रह्मचारी हूं और रहूंगा…” लेकिन गाड़ी में बैठते ही वह बड़ी कुटिलता से मुसकराया और बोला, “पागल… अब घोड़ा घास से यारी नहीं करेगा तो खाएगा क्या?

 

Raksha Bandhan: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

पता चला कि राजीव को कैंसर है. फिर देखते ही देखते 8 महीनों में उस की मृत्यु हो गई. यों अचानक अपनी गृहस्थी पर गिरे पहाड़ को अकेली शर्मिला कैसे उठा पाती? उस के दोनों भाइयों ने उसे संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि एक भाई के एक मित्र ने शर्मिला की नन्ही बच्ची सहित उसे अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया.  शर्मिला की मां उस की डोलती नैया को संभालने का श्रेय उस के भाइयों को देते नहीं थकती हैं, ‘‘अगर मैं अकेली होती तो रोधो कर अपनी और शर्मिला की जिंदगी बिताने पर मजबूर होती, पर इस के भाइयों ने इस का जीवन संवार दिया.’’

सोचिए, यदि शर्मिला का कोई भाईबहन न होता सिर्फ मातापिता होते, फिर चाहे घर में सब सुखसुविधाएं होतीं, किंतु क्या वे हंसीसुखी अपना शेष जीवन व्यतीत कर पाते? नहीं. एक पीड़ा सालती रहती, एक कमी खलती रहती. केवल भौतिक सुविधाओं से ही जीवन संपूर्ण नहीं होता, उसे पूरा करते हैं रिश्ते.

सूनेसूने मायके का दर्द:

सावित्री जैन रोज की तरह शाम को पार्क में बैठी थीं कि रमा भी सैर करने आ गईं. अपने व्हाट्सऐप पर आए एक चुटकुले को सभी को सुनाते हुए वे मजाक करने लगीं, ‘‘कब जा रही हैं सब अपनेअपने मायके?’’  सभी खिलखिलाने लगीं पर सावित्री मायूसी भरे सुर में बोलीं, ‘‘काहे का मायका? जब तक मातापिता थे, तब तक मायका भी था. कोई भाई भाभी होते तो आज भी एक ठौरठिकाना रहता मायके का.’’  वाकई, एकलौती संतान का मायका भी तभी तक होता है जब तक मातापिता इस दुनिया में होते हैं. उन के बाद कोई दूसरा घर नहीं होता मायके के नाम पर.

भाईभाभी से झगड़ा:

‘‘सावित्रीजी, आप को इस बात का अफसोस है कि आप के पास भाईभाभी नहीं हैं और मुझे देखो मैं ने अनर्गल बातों में आ कर अपने भैयाभाभी से झगड़ा मोल ले लिया. मायका होते हुए भी मैं ने उस के दरवाजे अपने लिए स्वयं बंद कर लिए,’’ श्रेया ने भी अपना दुख बांटते हुए कहा.

ठीक ही तो है. यदि झगड़ा हो तो रिश्ते बोझ बन जाते हैं और हम उन्हें बस ढोते रह जाते हैं. उन की मिठास तो खत्म हो गई होती है. जहां दो बरतन होते हैं, वहां उन का टकराना स्वाभाविक है, परंतु इन बातों का कितना असर रिश्तों पर पड़ने देना चाहिए, इस बात का निर्णय आप स्वयं करें.

भाईबहन का साथ:

भाई बहन का रिश्ता अनमोल होता है. दोनों एकदूसरे को भावनात्मक संबल देते हैं, दुनिया के सामने एकदूसरे का साथ देते हैं. खुद भले ही एकदूसरे की कमियां निकाल कर चिढ़ाते रहें लेकिन किसी और के बीच में बोलते ही फौरन तरफदारी पर उतर आते हैं. कभी एकदूसरे को मझधार में नहीं छोड़ते हैं. भाईबहन के झगड़े भी प्यार के झगड़े होते हैं, अधिकार की भावना के साथ होते हैं. जिस घरपरिवार में भाईबहन होते हैं, वहां त्योहार मनते रहते हैं, फिर चाहे होली हो, रक्षाबंधन या फिर ईद.

मां के बाद भाभी:

शादी के 25 वर्षों बाद भी जब मंजू अपने मायके से लौटती हैं तो एक नई स्फूर्ति के साथ. वे कहती हैं, ‘‘मेरे दोनों भैयाभाभी मुझे पलकों पर बैठाते हैं. उन्हें देख कर मैं अपने बेटे को भी यही संस्कार देती हूं कि सारी उम्र बहन का यों ही सत्कार करना. आखिर, बेटियों का मायका भैयाभाभी से ही होता है न कि लेनदेन, उपहारों से. पैसे की कमी किसे है, पर प्यार हर कोई चाहता है.’’

दूसरी तरफ मंजू की बड़ी भाभी कुसुम कहती हैं, ‘‘शादी के बाद जब मैं विदा हुई तो मेरी मां ने मुझे यह बहुत अच्छी सीख दी थी कि शादीशुदा ननदें अपने मायके के बचपन की यादों को समेटने आती हैं. जिस घरआंगन में पलीबढ़ीं, वहां से कुछ लेने नहीं आती हैं, अपितु अपना बचपन दोहराने आती हैं. कितना अच्छा लगता है जब भाईबहन संग बैठ कर बचपन की यादों पर खिलखिलाते हैं.’’

मातापिता के अकेलेपन की चिंता:

नौकरीपेशा सीमा की बेटी विश्वविद्यालय की पढ़ाई हेतु दूसरे शहर चली गई. सीमा कई दिनों तक अकेलेपन के कारण अवसाद में घिरी रहीं. वे कहती हैं, ‘‘काश, मेरे एक बच्चा और होता तो यों अचानक मैं अकेली न हो जाती. पहले एक संतान जाती, फिर मैं अपने को धीरेधीरे स्थिति अनुसार ढाल लेती. दूसरे के जाने पर मुझे इतनी पीड़ा नहीं होती. एकसाथ मेरा घर खाली नहीं हो जाता.’’

एकलौती बेटी को शादी के बाद अपने मातापिता की चिंता रहना स्वाभाविक है. जहां भाई मातापिता के साथ रहता हो, वहां इस चिंता का लेशमात्र भी बहन को नहीं छू सकता. वैसे आज के जमाने में नौकरी के कारण कम ही लड़के अपने मातापिता के साथ रह पाते हैं. किंतु अगर भाई दूर रहता है, तो भी जरूरत पर पहुंचेगा अवश्य. बहन भी पहुंचेगी परंतु मानसिक स्तर पर थोड़ी फ्री रहेगी और अपनी गृहस्थी देखते हुए आ पाएगी.

पति या ससुराल में विवाद:

सोनम की शादी के कुछ माह बाद ही पतिपत्नी में सासससुर को ले कर झगड़े शुरू हो गए. सोनम नौकरीपेशा थी और घर की पूरी जिम्मेदारी भी संभालना उसे कठिन लग रहा था. किंतु ससुराल का वातावरण ऐसा था कि गिरीश उस की जरा भी सहायता करता तो मातापिता के ताने सुनता. इसी डर से वह सोनम की कोई मदद नहीं करता.

मायके आते ही भाई ने सोनम की हंसी के पीछे छिपी परेशानी भांप ली. बहुत सोचविचार कर उस ने गिरीश से बात करने का निर्णय किया. दोनों घर से बाहर मिले, दिल की बातें कहीं और एक सार्थक निर्णय पर पहुंच गए. जरा सी हिम्मत दिखा कर गिरीश ने मातापिता को समझा दिया कि नौकरीपेशा बहू से पुरातन समय की अपेक्षाएं रखना अन्याय है. उस की मदद करने से घर का काम भी आसानी से होता रहेगा और माहौल भी सकारात्मक रहेगा.

पुणे विश्वविद्यालय के एक कालेज की निदेशक डा. सारिका शर्मा कहती हैं, ‘‘मुझे विश्वास है कि यदि जीवन में किसी उलझन का सामना करना पड़ा तो मेरा भाई वह पहला इंसान होगा जिसे मैं अपनी परेशानी बताऊंगी. वैसे तो मायके में मांबाप भी हैं, लेकिन उन की उम्र में उन्हें परेशान करना ठीक नहीं. फिर उन की पीढ़ी आज की समस्याएं नहीं समझ सकती. भाई या भाभी आसानी से मेरी बात समझते हैं.’’

भाईभाभी से कैसे निभा कर रखें:

भाईबहन का रिश्ता अनमोल होता है. उसे निभाने का प्रयास सारी उम्र किया जाना चाहिए. भाभी के आने के बाद स्थिति थोड़ी बदल जाती है. मगर दोनों चाहें तो इस रिश्ते में कभी खटास न आए.

सारिका कितनी अच्छी सीख देती हैं, ‘‘भाईभाभी चाहे छोटे हों, उन्हें प्यार देने व इज्जत देने से ही रिश्ते की प्रगाढ़ता बनी रहती है नाकि पिछले जमाने की ननदों वाले नखरे दिखाने से. मैं साल भर अपनी भाभी की पसंद की छोटीबड़ी चीजें जमा करती हूं और मिलने पर उन्हें प्रेम से देती हूं. मायके में तनावमुक्त माहौल बनाए रखना एक बेटी की भी जिम्मेदारी है. मायके जाने पर मिलजुल कर घर के काम करने से मेहमानों का आना भाभी को अखरता नहीं और प्यार भी बना रहता है.’’

ये आसान सी बातें इस रिश्ते की प्रगाढ़ता बनाए रखेंगी:

– भैयाभाभी या अपनी मां और भाभी के बीच में न बोलिए. पतिपत्नी और सासबहू का रिश्ता घरेलू होता है और शादी के बाद बहन दूसरे घर की हो जाती है. उन्हें आपस में तालमेल बैठाने दें. हो सकता है जो बात आप को अखर रही हो, वह उन्हें इतनी न अखर रही हो.

– यदि मायके में कोई छोटामोटा झगड़ा या मनमुटाव हो गया है तब भी जब तक आप से बीचबचाव करने को न कहा जाए, आप बीच में न बोलें. आप का रिश्ता अपनी जगह है, आप उसे ही बनाए रखें.

– यदि आप को बीच में बोलना ही पड़े तो मधुरता से कहें. जब आप की राय मांगी जाए या फिर कोई रिश्ता टूटने के कगार पर हो, तो शांति व धैर्य के सथ जो गलत लगे उसे समझाएं.

– आप का अपने मायके की घरेलू बातों से बाहर रहना ही उचित है. किस ने चाय बनाई, किस ने गीले कपड़े सुखाए, ऐसी छोटीछोटी बातों में अपनी राय देने से ही अनर्गल खटपट होने की शुरुआत हो जाती है.

– जब तक आप से किसी सिलसिले में राय न मांगी जाए, न दें. उन्हें कहां खर्चना है, कहां घूमने जाना है, ऐसे निर्णय उन्हें स्वयं लेने दें.

– न अपनी मां से भाभी की और न ही भाभी से मां की चुगली सुनें. साफ कह दें कि मेरे लिए दोनों रिश्ते अनमोल हैं. मैं बीच में नहीं बोल सकती. यह आप दोनों सासबहू आपस में निबटा लें.

– आप चाहे छोटी बहन हों या बड़ी, भतीजोंभतीजियों हेतु उपहार अवश्य ले जाएं. जरूरी नहीं कि महंगे उपहार ही ले जाएं. अपनी सामर्थ्यनुसार उन के लिए कुछ उपयोगी वस्तु या कुछ ऐसा जो उन की उम्र के बच्चों को भाए, ले जाएं.

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Raksha Bandhan: टौप 8 लेटैस्ट ट्रैंडी इयररिंग्स

ज्वैलरी बौक्स में यों तो नैकपीस से ले कर फिंगर रिंग्स तक के लिए खास जगह होती है, लेकिन जो बात इयररिंग्स में होती है वह किसी और में नहीं. तभी तो कितनी भी ज्वैलरी पहन लें, लेकिन जब तक इयररिंग्स न पहने जाएं, शृंगार अधूरा नजर आता है.

इन दिनों कौन से इयररिंग्स फैशन में इन हैं, जानने के लिए बात की वौयला ज्वैलरीज के ज्वैलरी डिजाइनर मनोज भार्गव से.

1. स्टड इयररिंग्स

कुंदन, पोल्की, जैमस्टोन, पर्ल, डायमंड जैसे मैटीरियल से बने स्टड इयररिंग्स आप इंडियन वियर के साथसाथ वैस्टर्न वियर पर भी पहन सकती हैं. ये स्माल साइज से ले कर ह्यूज साइज और हैवी से ले कर लाइट वेट में भी उपलब्ध हैं. सिंपल और सौफिस्टिकेटेड लुक के लिए स्माल साइज के पर्ल, जैमस्टोन या डायमंड के स्टड इयररिंग्स खरीदें. बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल लुक के लिए ह्यूज साइज के गोल्डन, कौपर, कुंदन या पोल्की स्टड इयररिंग्स को अपनी पहली पसंद बनाएं.

2. अभिनेत्रियों में इयररिंग्स का क्रेज

बौलीवुड दीवा भी इन ट्रैंडी इयररिंग्स की दीवानी हैं. दीपिका पादुकोण, विद्या बालन, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर खान, सोनम कपूर, बिपाशा बसु जैसी कई ऐक्ट्रैसेज चांदबालियों के साथसाथ ओवरसाइज झुमके, शैंडिलियर, टैसल इयररिंग्स पहने कई फिल्म और इवैंट्स में नजर आ चुकी हैं. आप भी अपनी फैवरिट ऐक्ट्रैस के फैवरिट इयररिंग्स को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बना सकती हैं.

3. चांदबालियां

फिल्म ‘रामलीला’ के बाद पौपुलर हुई चांदबालियां आज भी फैशन में इन हैं. इन्हें आप इंडियन वियर जैसे साड़ी, सूट, लहंगाचोली के साथसाथ इंडोवैस्टर्न वियर जैसे साड़ी गाउन, स्कर्ट, प्लाजो आदि के साथ भी  पहन सकती हैं. हाफ के साथ ही फुल चांदबालियों में भी ढेरों वैराइटी मिल जाएगी. कलर्स के साथसाथ मैटीरियल में भी फर्क मिलेगा. अगर आप चांदबालियां पहन कर अपनी खूबसूरती में चार चांद लगाना चाहती हैं, तो बालों को खुला छोड़ने के बजाय अपर या लो बन बना लें.

4. शैंडिलियर इयररिंग्स

अगर आप ह्यूज इयररिंग्स पहनने की शौकीन हैं तो शैंडिलियर (झूमर) इयररिंग्स को अपने ज्वैलरी बौक्स में खास जगह दें. ये ऊपर से टौप्सनुमा और नीचे से झूमरनुमा होते हैं, इसलिए इन्हें शैंडिलियर इयररिंग्स कहते हैं. इन्हें आप इंडियन, वैस्टर्न और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ भी पहन सकती हैं. इंडियन और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ पहनने के लिए गोल्ड, सिल्वर या कौपर और वैस्टर्न वियर के साथ पहनने के लिए डायमंड या पर्ल से बने शैंडिलियर इयररिंग्स खरीदें.

5. टैसल इयररिंग्स

टैसल (गुच्छेदार) इयररिंग्स ऊपर से टौप्स या हुकनुमा होते हैं और इन के नीचे की ओर गुच्छे में एक ही तरह की कई लटकनें होती हैं, इसलिए इन्हें टैसल इयररिंग्स कहा जाता है. ये खासकर वैस्टर्न वियर के साथ पहने जाते हैं, लेकिन इंडियन वियर को ध्यान में रख कर बनाए गए गोल्ड प्लेटेड टैसल इयररिंग्स भी काफी पसंद किए जा रहे हैं. झुमकों और शैंडिलियर इयररिंग्स के मुकाबले ये काफी हलके होते हैं. खास मौकों के साथ ही इन्हें रैग्युलर दिनों में भी पहन सकती हैं.

6. ड्रौप इयररिंग्स

बहुत ज्यादा हैवी या बहुत ज्यादा लाइट वेट इयररिंग्स के बीच का कुछ ट्राई करना चाहती हैं तो ड्रौप इयररिंग्स को अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. ड्रौप यानी बूंद के आकार (ऊपर से पतले और नीचे से हैवी लुक वाले) के ये इयररिंग्स इंडियन और वैस्टर्न दोनों आउटफिट के साथ पहन सकती हैं. ये टौप्स के साथ ही हुकनुमा भी मिलते हैं. मीडियम से ले कर ह्यूज साइज के और गोल्डन, सिल्वर से ले कर डायमंड, पर्ल के ड्रौप इयररिंग्स भी मार्केट में उपलब्ध हैं.

7. ओवरसाइज झुमके

झुमके कभी आउट औफ फैशन नहीं होते, कभी झुमकीझुमके (छोटे साइज के झुमके) के स्टाइल में तो कभी अलगअलग मैटीरियल और कलर के चलते ये हमेशा फैशन में रहते हैं. वैसे इन दिनों ओवरसाइज झुमके डिमांड में हैं. ट्रैडिशनल फंक्शन से ले कर शादी जैसे अवसर पर भी इन्हें काफी पहना जा रहा है. गोल्ड से ले कर औक्साइड, सिल्वर, पर्ल और मल्टी कलर्स में भी ये उपलब्ध हैं. इन्हें सलवारसूट, कुरती, साड़ी, लहंगाचोली जैसे इंडियन वियर के साथ पहन सकती हैं.

8. औक्सिडाइज इयररिंग्स

इन दिनों औक्सिडाइज इयररिंग्स भी काफी डिमांड में हैं. औक्साइड मैटीरियल होने की वजह से ये इंडियन, वैस्टर्न और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ भी सूट करते हैं. पार्टी, फंक्शन जैसे मौकों के साथसाथ रोजाना भी इन्हें पहना जा सकता है, बशर्ते इन का चुनाव करते वक्त इन के आकार और वजन पर ध्यान दें. चांदबालियां, झुमके, शैंडिलियर, ड्रौप और स्टड इयररिंग्स भी औक्साइड मैटीरियल में उपलब्ध हैं.

Raksha bandhan : घर पर बनाएं ड्राईफ्रूट्स लड्डू

फेस्टिव सीजन में मार्केट से मिठाई खरीदने की बजाय अगर आप घर पर हेल्दी मिठाई बनाना चाहते हैं तो ड्राईफ्रूट लड्डू की ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

सामग्री

– 1/2 कप कसा नारियल 

– 1 कप तिल

– 1/2 कप बादाम

– 1/2 कप काजू

2 बड़े चम्मच सोंठ पाउडर

1 बड़ा चम्मच खसखस

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

6-7 बारीक कसे छुवारे

3 बड़े चम्मच घी

बूरा जरूरतानुसार.

विधि

पैन गरम करें. इस में नारियल और तिल को अलगअलग भूनें. अब नारियल और तिल को मिलाएं और मिक्सर में बारीक पीस लें. अब इस मिश्रण में बादाम, काजू और छुवारे मिलाएं और मिक्सर में पीस लें. अब इस पाउडर को नारियल मिश्रण में मिलाएं. फिर इस में घी और बूरा को छोड़ कर बाकी बची हुई सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं. अब घी और बूरा डालें और अच्छी तरह मिला कर छोटेछोटे आकार के लड्डू बनाएं और सर्व करें.

आज ही घर में लेकर आए Nova का शुद्ध देसी घी

रोजाना देसी घी खाना सेहत के लिए अच्छा मना गया है. बड़े-बुजुर्ग लोग हमेशा से ही शुद्ध देसी घी खाने की सलाह देते है. दरअसल घी के अनगिनत फायदे है इसीलिए घी का महत्व अधिक है. घी का सेवन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद फायेदमंद है.

आयुर्वेद में देसी घी के फायदे

बच्चे, गर्भवाती महिलाओं, बड़े से लेकर बुजुर्गों के लिए घी खाना बेहद फायदेमंद है. घी का सेवन करने से इम्युनिटी क्षमता बढ़ती है. जिससे कई बिमारियों से बचाव होता है.

  1. देसी घी मानसिक रोगों के लिए फायदेमंद

आयुर्वेद में यह मना गया है कि घी खाने से याददाशत और तर्किक क्षमता को बढ़ाता है. मानसिक रोगों में भी घी को लाभकारी मना गया है.

2. वात के प्रभाव को कम करने में मदद

वात के अनियमित होने से शरीर में कई प्रकार के रोग लग जाते है. घी के सेवन करने से वात के प्रभाव को कम किया जा सकता है.

3. पाचन में सुधार

पाचन शक्ति कमजोर होने से पाचन संबधिंत कई सारी बिमारिया बिन बुलाए आ जाती है. अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है जो कुछ भी गलत खाने से हाजमा बिगड़ सकता है. आयुर्वेद में बताया गया है कि घी का सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है. लेकिन हमेशा घी का सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए.

4. कमजोरी दूर करने में मददगर

घी खाने से हमारे शरीर को ताकत मिलती है. इसी वजह से कमजोर लोगों को घी का सेवन करने की सलाह दी जाती है. जिम और वर्कआउट करने वाले लोगों को घी का सेवन करना चाहिए

5. स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार

स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता में कमी का असर जन्म लेने वाले बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है. घी के सेवन से स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है. स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए घी का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें.

6. टीबी में लाभदायक

टीबी एक गंभीर बीमारी है इसका इलाज सही समय पर होना अनिवार्य होता है. आयुर्वेद के अनुसार टीबी रोगियों को घी का सेवन करना चाहिए. घी बेहद लाभकारी हो सकता है इसके साथ ही नियमित रुप से चिकित्सक के पास जाकर अपनी जांच कराएं.

देसी घी का महत्व

हमारे देश में कई सालों से गाय के देसी सेवन किया जा रहा है. आजकल तो लोग रिफाइंडऑयल या ऑलिव ऑयल का सेवन बहुत ज्यादा करने लगे हैं. लेकिन अगर गाय के घी का बात की जाए तो गाय के घी में बहुत अधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं.

आज ही घर लाएं Nova शुद्ध घी

Nova शुद्ध घी दूध से 100% प्राकृतिक देसी घी ट्रेडिशनल प्रोसेस का उपयोग करके बनाया गया. FSSAI प्रमाणित Nova शुद्ध घी, यह घी एकदम प्राकृतिक है इसके साथ ही रसायन मुक्त है. Nova शुद्ध घी कार्बनिक और पौष्टिक हैं. Nova शुद्ध घी प्राकृतिक स्वाद, स्वस्थ, शुद्ध, ऊर्जा का स्रोत, स्वस्थ मन के लिए बेहद फायदेमंद. देर किस बात की… आज ही घर में लेकर आए शुद्ध Nova  देसी घी.

 

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