मेरे मुंह से हमेशा बदबू आती है, जिस कारण मुझे कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है, क्या करूं?

सवाल

मैं 22 साल का हूं. मेरे मुंह से हमेशा बदबू आती है, जिस कारण मुझे कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है. कई उपाय अपनाए, लेकिन समस्या से राहत नहीं मिली. कृपया इस का इलाज बताएं?

जवाब

हमारा मुंह एक प्रकार से फूड प्रोसैसर की तरह होता है, जहां भोजन लार के संपर्क में आ कर घुलतामिलता है. वहां से भोजन पेट तक पहुंचता है, जहां वह छोटेछोटे टुकड़ों में बंट जाता है. दरअसल, लार में ऐंजाइम्स मौजूद होते हैं, इसलिए अगर खाना ढंग से न चबाया जाए तो उसे हमारा शरीर ठीक से ग्रहण नहीं कर पाता है, जिस के कारण बदबू की समस्या होती है.

हर कोई स्वस्थ चमकीले दांत तो चाहता है, लेकिन डाक्टर की सलाह के बाद भी दांतों की सफाई कराने से डरता है. कई लोगों का मानना है कि दांतों की सफाई कराने से वे कमजोर पड़ जाते हैं और भविष्य में और कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं. स्कैलिंग यानी दांतों की सफाई की प्रक्रिया सुनने में ही खतरनाक लगती है, जबकि असल में यह आराम से पूरी हो जाती है. अगर आप इस डर से बाहर आ कर दांतों की सफाई करा लेते हैं, तो इस से बेहतर कुछ और नहीं. दांतों की नियमितरूप से सफाई करना जरूरी है. कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करें और रात को सोने से पहले ब्रश करना न भूलें.

ये भी पढ़ें-

सवाल

मैं 25 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मेरे कई दांत हिलने लगे हैं. ऐसा क्यों है और इस का इलाज क्या है?

जवाब

दांतों का ढीलापन एक प्रकार की बीमारी है, जिसे पेरियोडोंटल के नाम से जाना जाता है. दांतों के हिलने की समस्या तब होती है जब दांतों के आसपास के टिशू यानी मसूढ़े ढीले पड़ने लगते हैं. ओरल हाइजीन में कमी होने से दांतों में कीड़ा लग जाता है, जो अन्य कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है. ये सभी चीजें मसूढ़ों को प्रभावित करती हैं, जिस से दांतों के हिलने की समस्या होती है.

इस समस्या से राहत पाने के लिए घरेलू उपायों की मदद ली जा सकती है, लेकिन सब से पहले डैंटल ऐक्सपर्ट से चैकअप कराना जरूरी है. जब तक बीमारी की जड़ न पकड़ में आ जाए, तब तक खुद से कोई इलाज नहीं अपनाना चाहिए.

दांतों के हिलने की समस्या को घरेलू उपायों से ठीक करना चाहती हैं, तो नमक के पानी से कुल्ला करें. ऐसा करने से दांत और मसूढ़े मजबूत बनते हैं. नियमितरूप से कालीमिर्च और हलदी के पेस्ट से दांतों की मालिश करने से भी समस्या दूर होगी. लहसुन में रोगाणुरोधी गुण होते हैं, इसलिए इसे दांतों के बीच दबा कर रखने से उन्हें मजबूती मिलती है.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.    

8 टिप्स: गरमी के मौसम में ऐसे पाए अनचाहे बालों से छुटकारा

गरमी का मौसम शुरू हो गया है अब लड़किया शौर्ट ड्रेसेस या स्लीवलेस कपड़ों का ज्यादा इस्तेमाल करेंगी. लेकिन ऐसे में अनचाहे बाल हर किसी के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. शरीर पर बेढंगे रूप से दिखने वाले बाल कभी कभी शर्मिंदगी का भी कारण बनते. तो आइए जानते हैं इन अनचाहे बालों को हटाने के कुछ बेहतर तरीके :

1. आईब्रोज के लिए

आईब्रोज की प्लकिंग शुरू करने से पहले उन जगहों पर एक सफेद पेंसिल से निशान लगा लें जहां से आप आईब्रोज को शुरू और खत्म करना चाहती हैं. इससे आप निर्धारित सीमा रेखा से बाहर नहीं जाएंगी. इसके लिए एक ट्रिक है कि पेंसिल को अपनी नाक की बगल में रखें और वहां से उस जगह तक लाइने खींचे जहां आईब्रोज है. पैंसिल को थोड़ा तिरछा रखें ताकि वह आप की आंख के बाहरी कोने को छू सके और उस स्पौट को मार्क करें. आखिर में अपनी आईरिस के ठीक ऊपर एक डौट बनाएं. जो कि आपकी आर्क का सबसे ऊपरी बिंदु होगा. जिसके बाद पेंसिल को अपनी आईब्रोज के निचले किनारे तक लाएं और तीनों लाइनों को मिलाएं. इसके बाद इन लाइनों के बाहर निकलने वाली भौंहों को ट्विज करें.

वैक्सिंग…

सबसे पहली और जरूरी बात यह है कि खुद वैक्सिंग न करें. ब्रोज पर वैक्सिंग किसी कुशल प्रोफैशनल से ही कराएं, क्योंकि अगर वैक्स का छोटा सा टुकड़ा भी गलत जगह पड़ गया तो इस के 5 सेकेंड के भीतर आप की आईब्रो खराब हो सकती है. इसलिए आप स्पा या सैलून जाएं. वैक्सिंग कराने के कम से कम 1 सप्ताह पहले से रेटिनौल, रेटिनो ए और रेनोवा जैसे रेटिनौयड्स का इस्तेमाल करना बंद कर दें ताकि आंखों में लाली और जलन को रोका जा सके. साथ ही ब्यूटी एक्सपर्ट से कहें कि वे आप की आईब्रोज के ऊपर के रोएं साफ करे. इससे जो निखार आएगा वह आने वाले सप्ताह में और भी अच्छा दिखेगा.

2. अपरलिप्स से छुटकारा…

इसके लिए लेजर भी करा सकती हैं. लेजर बालों को उन की जड़ों से उखाड़ता है और 1 साल या अधिक समय तक दोबारा बढ़ने से रोकता है. लेजर सेशन में 5 मिनट के अंदर पूरा हो जाता है. आप को केवल ऐसा महसूस होगा कि आप के चेहरे पर एक रबर बैंड लगाया गया है (हालांकि आप इससे अच्छा महसूस नहीं करेंगी, लेकिन आप को कोई दर्द नहीं होगा). लेजर कराना थोड़ा महंगा है. वहीं ज्यादातर महिलाओं को 6 सेशन कराने की जरूरत पड़ती है.

वैक्सिंग…

कुछ सप्ताह छुटकारा पाने के लिए इसके लिए वैक्सिंग करा सकती हैं. आईब्रोज के उलट चेहरे के इस हिस्से पर घर में भी वैक्सिंग कर सकती हैं. लेकिन कम तापमान वाली किट का इस्तेमाल करें, क्योंकि शरीर के अन्य हिस्सों के लिए इस्तेमाल में लाया जाने वाला वैक्स आप के चेहरे को जला सकता है. तीन अलग- अलग हस्सों में वैक्सिंग करें (बायीं ओर, दायीं ओर और बीच में). वैक्स को नाक के नीचे से नीचे की तरफ फैलाएं. जब इसे हटाएं तो वैक्स स्ट्रिप को ऊपर की ओर खीचें.

क्रीम का इस्तेमाल…

इसके अलावा डिपिलेटरी क्रीम का भी प्रयोग कर सकती हैं. डिपिलेटरी क्रीम त्वचा के नीचे तक प्रभाव डालती है और 1 सप्ताह तक होंठ के ऊपरी हिस्से को बालों से मुक्त रखती है. पहली बार क्रीम को परखने के लिए अपने टखने के पास की त्वचा पर थोड़ी क्रीम लगा कर देख लें कि किसी तरह का रिएक्शन तो नहीं हो रहा है.

3. अंडर आर्म्स…

पूरे हिस्से में शेविंग क्रीम से झाग बना लेने के बाद रेजर को ऊपर की ओर और फिर नीचे की ओर चलाएं. आखिर में एक से दूसरी तरफ रेजर चलाएं ताकि हर तरह से बढ़ने वाले बाल हट जाएं.

वैक्सिंग…

छोटे-छोटे बालों की समस्या से कुछ अधिक समय तक छुटकारा पाने के लिए यह एक आसान तरीका है. चूंकि इस में किसी शेविंग की जरूरत नहीं होती है, इसलिए इसे घर पर भी किया जा सकता है, लेकिन यह निश्चित करें कि यह बहुत छोटे सेशन में हो. अंडर आर्म्स के बाल आमतौर पर मोटे होते हैं और ये अलग-अलग दिशाओं में उगते हैं. इसीलिए इन्हें हटाना तकलीफदेह होता है.

लेजर…

अंडर आर्म्स के बालों को हटाने में लेजर से ज्यादा अच्छे परिणाम मिलते हैं. इसकी मदद से बाल बहुत तेजी से गायब होते हैं और लंबे समय तक नहीं आते. ज्यादातर महिलाएं यह भी बताती हैं कि लेजर ट्रीटमेंट बंद करने के बाद भी उन्हें या तो बहुत कम बाल आए या नहीं आए. यह परिणाम पाने के लिए आप को करीब 6 सेशन कराने की जरूरत पड़ेगी. हर सेशन के बाद बाल थोड़े कम घने होते जाएंगे. जब बाल दोबारा न आएं तब भी बीच-बीच में लेजर सेशन करा सकती हैं ताकि अंडर आर्म्स में बाल पैदा न हों. कुछ महीनों में 1 बार लेजर कराना काफी होगा.

4. फोरआर्म के लिए…

महिलाओं को फोरआर्म के लिए शेविंग के बजाय हमेशा वैक्सिंग का इस्तेमाल करना चाहिए. शेविंग के कारण बांह पर कांटेदार छोटेछोटे बाल उग सकते हैं. और जब ये बढ़ते हैं तो बहुत खराब लगते हैं.

लेजर: इस के लिए 1 से 3 सैशन कराने की जरूरत होती है. हालांकि यह महंगा है, लेकिन इसे कराने से बेहतर नतीजे आते हैं और पहले ही सेशन से फर्क महसूस होने लगता है.

हेयररिमूविंग क्रीम: हेयररिमूविंग क्रीम अनेक ब्रैंडों में बाजार में उपलब्ध हैं. हर ब्रैंड की क्रीम अलग-अलग तरह की त्वचा के लिए है. अपनी त्वचा के वास्तविक प्रकार को जाने बगैर हेयररिमूविंग क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जलन, रैशेज यहां तक कि त्वचा में कालापन भी पैदा हो सकता है.

ऐसे चुने सही हेयररिमूविंग क्रीम…

औयली त्वचा के लिए: अगर आप की त्वचा औयली है और आप हेयररिमूवल के लिए क्रीम की तलाश कर रही हैं तो आप मिंट बेस्ड क्रीम का चुनाव करें, क्योंकि इससे अतिरिक्त तेल को कम करने में मदद मिलती है और यह हेयररिमूवल के दौरान और बाद में कूलैंट का काम करती है.

संवेदनशील त्वचा के लिए: संवेदनशील त्वचा के लिए ऐलोवेरा क्रीम बेस्ट है, क्योंकि यह आप की त्वचा को कोमल बनाए रखता है और वैक्सिंग से उत्पन्न रैशेज को दूर करता है.

सूखी त्वचा के लिए: सूखी त्वचा के लिए गुलाब बेस्ड हेयररिमूवल क्रीम को बेस्ट माना जाता है, क्योंकि गुलाब का सार आप की त्वचा को नम रखता है और उस में चमक बनी रहती है.

सामान्य त्वचा के लिए: ऐलोवेरा त्वचा को साफ करता है और हेयररिमूवल के बाद रह गई गंदगी को दूर करता है. यह छिद्रों को भी बंद करता है, जिससे आप की त्वचा में ताजगी आती है और त्वचा कसी हुई दिखती है.

5. पैरों के बालों से छुटकारा…

अगर आप पैरों की शेविंग के लिए रेजर का इस्तेमाल करती हैं तो शेविंग क्रीम का इस्तेमाल करना न भूलें, क्योंकि इसे जिस हिस्से में लगाएंगी वह मुलायम बनेगा और 1-1 बाल को निकाला जा सकेगा. आप को वीनस या जिलेट जैसे मल्टीब्लेडर रेजर का इस्तेमाल करना चाहिए और हर 5 शेव के बाद नया रेजर लेना चाहिए ताकि जलन न हो और पैर मुलायम होने के साथ ही चिकनाई भी आए.

वैक्सिंग…

वैक्सिंग में दर्द ज्यादा हो सकता है, लेकिन वैक्सिंग के परिणाम कई सप्ताह तक रह सकते हैं. गरमी के मौसम में हर शेव के बाद छोटे-छोटे बाल आना शुरू हो जाते हैं. ऐसे में वैक्सिंग की मदद से इन बालों से आप लंबे समय तक छुटकारा पा सकते हैं. दूसरे हिस्सों की तरह ही जिस दिशा में बाल बढ़ते हैं उसी दिशा में वैक्स लगाएं और उलटी दिशा में स्ट्रिप को खींचे. छोटे-छोटे हिस्सों में वैक्सिंग करें. अधिक से अधिक 3 इंच लंबे हिस्से में. इससे आप को दर्द कम होगा.

डिपिलेटरी क्रीम का करें इस्तेमाल

हालांकि इसका इस्तेमाल शरीर के किसी भी हिस्से के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह कम घने बालों के लिए अधिक प्रभावी है. यह बिकनी लाइन की तुलना में पैरों को बालों से अधिक छुटकारा दिलाता है. आप को कई तरह की क्रीमों का यूज करना पड़ता है. ऐसे में उपचार काफी घाल-मेल वाला हो जाता है. इसलिए बेहतर यह है कि इसे शौवर लेने के तुरंत पहले लगाएं और फिर गुनगुने पानी का शौवर लेने के दौरान वाश क्लौथ की मदद से हटा दें.

6. बिकनी वाला हिस्सा…

इस हिस्से पर हेयररिमूवल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं, लेकिन वैक्सिंग इसके लिए सब से अच्छी है और यह त्वचा को सब से अधिक रोएं रहित बनाती है. बढ़ने वाले बालों की मात्रा को कम करने के लिए लेजर हेयररिमूवल सब से अच्छा उपाय है. लेकिन ये महंगा हो सकता है तो वैक्सिंग सबसे आसान और सस्ता तरीका होगा. चाहे आप किसी एक्सपर्ट के हाथों वैक्सिंग कराना चाहती हों या घर में ही करती हों, पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप के बाल काफी लंबे हों. बालों के मुलायम होने पर उन का एक चौथाई इंच लंबा होना चाहिए और मोटे होने पर आधा इंच लंबा होना चाहिए. वरना वैक्सिंग ठीक से काम नहीं करेगी.

ऐसे करें वैक्स…

वैक्सिंग करने के लिए अपने पैरों को सामने रख कर दर्पण के सामने बैठ जाएं. जिसके बाद एक पैर को मोड़ लें ताकि आप का पैर दूसरे पैर के घुटने पर आराम की मुद्रा में हो. अब किनारे से वैक्स को फैलाना शुरू करें और 1 से 3 इंच हिस्से में बालों की वृद्धि की दिशा में वैक्स फैलाएं. छोटे हिस्से में वैक्स करने पर कम दर्द होगा. वैक्स लगाए हुए हिस्से पर स्ट्रिप को चिपकाएं, त्वचा को टाइट करें, उसके बाद बालों की उगने की उलटी दिशा में स्ट्रिप को झटके से खींचें. वैक्सिंग के बाद त्वचा पर ऐलोवेरा लोशन लगाएं. जिससे त्वचा को आराम मिलेगा.

7. पीठ….

यदि आप की पीठ पर कम बाल हैं, तो आप के लिए ब्लीचिंग बेहतर रहेगी. लेकिन ब्लीचिंग सिर्फ मुलायम बालों और बालों की कम बढ़ने वाले बालों के लिए असरदार है. यदि आप के बाल ज्यादा बढ़ते है, तो आप वैक्सिंग या लेजर के विकल्प को अपनाएं. ऐसी प्रक्रिया के लिए किसी प्रोफैशनल के पास जाना बेहतर है, क्योंकि कुछ हिस्से ऐसे भी होते हैं जिन तक आप के हाथ नहीं पहुंच सकते हैं. लेजर से बालों को हटाने के लिए आप को 5-6 सेशन की जरूरत होगी.

8. रैंडम हेयर…

आप की ठोड़ी, पोर, पैरों की उंगलियों या किसी भी अन्य असुविधाजनक हिस्सों पर बाल के लिए, ट्विजिंग सब से आसान विकल्प है. लेकिन उन बालों को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए इलैक्ट्रोलिसिस ही बालों को हटाने का स्थायी तरीका है. अगर वे बार-बार आ जाते हैं तो आप थ्रैडिंग का औप्शन चुन सकती हैं, क्योंकि इससे आप को ज्यादा से ज्यादा 2 सप्ताह के लिए ही इनसे निजात मिल सकती है.

Summer Special: गर्मियों में ऐसे बनाएं तरबूज का जूस

मौसम बदल चुका है और इसी के साथ गर्मी दस्‍तक दे चुकी है. इस मौसम में खानपान का बहुत ध्यान रखना पड़ता है. इस मौसम डॉक्टर भी ज्यादा पानी पीने और रसीले फल खाने की सलाह देते हैं. तरबूज और इसका जूस पीने से गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी नहीं होती है और यह शरीर को ठंडक भी प्रदान करता है.

गर्मियों के मौसम में हर व्यक्ति को कम से कम दो ग्लास तरबूज का जूस जरूर पीना चाहिए. किडनी की समस्‍या है वो तरबूज का जूस अवश्‍य पिएं. खाली पेट तरबूज का जूस पीने से शरीर के विषैले पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं.

सामग्री

तरबूज

नीबू – 1

बर्फ के क्यूब्स – 1 कप

विधि

सबसे पहले तरबूज को धोइये, काटिये, मोटा हरा भाग छील कर निकाल दीजिये. लाल वाले भाग के इतने छोटे टुकड़े कीजिये जो आपकी मिक्सर में वह आसानी से चल पाये.

मिक्सर में तरबूज के टुकड़े डालकर मिक्स कीजिये. थोड़ी ही देर में गूदा और रस एकदम घुल जायेगा.  अब इस रस को चलनी में छान लीजिये.

जूस में स्वाद बढ़ाने के लिये एक नीबू निचोड़ लीजिये और गिलास में डालिये बर्फ के क्यूबस डालकर ठंडा कीजिये. आप चाहें तो गिलास में शरबत के ऊपर 1- 2 पोदीना पत्तियां भी सजा सकती हैं और इसे अपने स्वादानुसार चीनी डालकर अधिक मीठा भी कर सकती हैं. ठंडा ठंडा तरबूज का जूस तैयार है.

तरबूज जूस पीने के अनेकों लाभ हैं.

1. अगर आप अपने वजन को नियंत्रित करना चाहती हैं तो तरबूज का जूस अवश्‍य पिएं. इससे शरीर में कमजोरी नहीं आएगी और एक्‍सट्रा फैट भी कम हो जाएगा.

2. तरबूज के जूस को पीने से कोलेस्‍ट्रॉल नियंत्रित रहता है और एचडीएल संतुलित रहता है. साथ ही हद्य के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी यह फायदेमंद होता है.

3. तरबूज का जूस पीने से गर्मियों में जिन रोगों के होने की संभावना होती है वो नहीं होते हैं. लू आदि भी नहीं लगती है.

4. तरबूज के जूस और काली मिर्च पाउडर को मिलाकर पीने से कैंसर कोशिकाओं को नष्‍ट करने में मदद मिलती है. चूंकि तरबूज में लाइसोपिनि नामक एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है.

5. तरबूज के जूस को पीने से शरीर में पानी की कमी भी दूर हो जाती है. महिलाओं को विशेष रूप से मासिक धर्म के दौरान जूस को काली मिर्च पाउडर के साथ अवश्‍य पीना चाहिए.

किताब पढ़ने के फायदे है क्या, जाने यहां

‘दिल की किताब कोरी है……’,‘किताबे बहुत सी पढ़ी होगी तुमने मगर कोई चेहरा जो तुमने पढ़ा है…..ऐसी कई हिंदी फिल्मों के गाने, जो किताबों के जरिये ही प्यार की गहराई को, प्रेमी जोड़े एक दूसरे को जाहिर करते आ रहे है, ये सभी जानते है, लेकिन आज फिल्मों के साथ-साथ लोगों ने भी किताबों को पढना कम कर दिया है. इसी वजह से विश्व में लोगों के बीच में किताब पढने की सिलसिला को जारी रखने के लिए हर साल 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे मनाया जाता है.

बचपन में पहले पेरेंट्स बच्चों को किताबें पढने पर जोर दिया करते थे, क्योंकि किताबें पढना अच्छी बात मानी जाती है. इससे बच्चे में एकाग्रता, यादाश्त, नई खोज को जानने की इच्छा, आदि विकसित हुआ करती है. पैरेंट्स से लेकर डॉक्टर, टीचर्स और लाइब्रेरियन तक, सभी हमें यही एडवाइस करते थे कि हमें बुक्स पढ़नी चाहिए. बुक्स आपकी हेल्थ और वेलनेस के लिए भी फायदेमंद होती हैं, लेकिन ये दुःख की बात है कि बदलते वक्त में आज के बच्चे किताबों को छोड़कर मोबाइल पर व्यस्त हो चुके है, जिससे उनकी एकाग्रता और यादाश्त में कमी होने के साथ-साथ उनके आँखों पर भी इसका प्रेशर बढ़ रहा है, आज 5 साल के बच्चे को भी चश्मा पहननी पढ़ती है. आज वे किसी बात को बार-बार कहने पर भी भूल जाया करते है.

रिसर्च बताते हैं कि किताबों के पढ़ने से ना केवल आप स्मार्ट बनते हैं बल्कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह आपको शार्प और एनालिटिकल भी बनाता है. किताबें हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होती हैं. असल में किताबेंबिल्कुल एक पार्टनर की तरह होती है, उसके बिना व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है.

किताबे पढने से लाभ

किताबें पढ़ने और इसके प्रकाशन को बढ़ावा देने के लिए हर साल 23 अप्रैल को दुनिया भर के लोग वर्ल्ड बुक डे मनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से किताबें पढ़ने से तनाव कम होता है, एकाग्रता, याददाश्त और विनम्रता बढ़ती है और कम्युनिकेशन स्किल्स में भी सुधार आता है. किताबें हमें नई-नई चीजें सिखाती हैं और हमें अपने काम और रिश्तों में कामयाब होने में मदद करती हैं. कुछ लाभ निम्न है,

  • शब्दों और भाषा का ज्ञान होना,
  • अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचना,
  • तनाव कम करना,
  • ज्ञान बढ़ना,
  • याद रखने की क्षमता को बढ़ाना,
  • फोकस और एकाग्रता का बढ़ना,
  • आत्मविश्वास बढ़ाना,
  • अच्छी नींद आना,
  • लेखन क्षमता को बढ़ाना आदि.

किताबों को कम पढने को लेकर टीवी सेलेबस भी चिंतित है और अपनी सन्देश लोगों तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे है. क्या कहते है वे आइये जाने

निहारिका रॉय

धारावाहिक ‘प्यार का पहला नाम राधा मोहन’ की अभिनेत्री निहारिका रॉय कहती है ‘‘मैं अपने खाली वक्त में हमेशा किताबें पढ़ती हूं. किसी भी दिलचस्प नॉवेल को पढ़कर हमेशा मुझे खुशी मिलती है और मैं थका देने वाले शूट शेड्यूल में भी तनावमुक्त महसूस करती हूं. मैं बताना चाहूंगी कि मेरे बचपन से ही मेरी किताबों का कलेक्शन बढ़ता जा रहा है. किताबें वाकई आपको एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद करती हैं. यह कभी-कभी आपका सपोर्ट सिस्टम भी बन जाती हैं. मैंने भी यही महसूस किया है. जब भी मुझे निराशा महसूस होती है, मैं एक किताब पढ़ना शुरू कर देती हूं और इससे वाकई मुझे अंदर से खुशी मिलती है. किताबें पढ़ने के असली फायदों को देखते हुए मैं सभी को यह सलाह देना चाहूंगी कि वे महीने में कम से कम एक किताब जरूर पढ़ें.

अनुष्का मर्चंडे

धारावाहिक ‘मैं हूं अपराजिता’ में छवि का रोल निभा रहीं अभिनेत्री अनुष्का मर्चंडे बताती हैं कि जिस पहली किताब ने जिंदगी के प्रति वाकई मेरा नजरिया बदल दिया था, वो थी रिजर्ड बक की ‘जॉनेथन लिविंगस्टन सीगल’. इससे मुझे चीजों को देखने का एक नया नज़रिया मिला. असल में इस किताब को पढ़ने के बाद ही मुझे महसूस हुआ कि मुझे ऐसी विचारोत्तेजक कहानियां पढ़ना पसंद हैं, जो मुझे एक इंसान के रूप में आगे बढ़ने में मदद करें. जब भी मुझे खाली वक्त मिलता है, मैं एक नई उपन्यास पढ़ती हूं. मैं बताना चाहूंगी कि जब भी मैं कोई दिलचस्प नॉवेल पढ़ती हूं, तो मैं अपने बिजी शूट शेड्यूल के बावजूद बड़ा खुश और तरोताजा महसूस करती हूं. कोई किताब पढ़ना एक और जिंदगी जीने जैसा है और इससे मुझे बेइंतेहा खुशी मिलती है. मैं सभी को यह सलाह दूंगी कि वो हर दिन एक नॉवेल के कुछ पन्ने जरूर पढ़ें. अपनी पसंद की किताबों के बारे में बात करूं, तो यह अलग-अलग विषय की किताबें हैं जैसे मुझे ऐतिहासिक, बायोग्राफिकल, हेल्थ और फिक्शन जैसे अनोखे जॉनर्स की किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. इस समय मेरी फेवरेट बुक्स हैं – ऐलेना अरमास की द स्पैनिश लव डिसेप्शन, ऐना हुआंग की ट्विस्टेड लव और ऐसी ही कई अन्य किताबें है. मुझे स्टिफेनी मेयेर और कॉलीन हूवर का काम भी बहुत पसंद है, जिन्होंने मुझे प्रेरित और प्रभावित किया. इसके अलावा कॉन्स्टैंटिन स्टेनिस्लाव्स्की की बिल्डिंग ए कैरेक्टर हर एक्टर के लिए पढ़ने लायक किताब है, क्योंकि इसमें उनकी कला को निखारने के लिए कई नायाब टेक्निक्स बताई गई हैं

क्या है एक्ट्रेस दीया मिर्जा की हाई फैशन ब्रांड को नकारने की वजह क्या है, पढ़े इंटरव्यू

फिल्म इंडस्ट्री की एक खुबसूरत अदाकारा के रूप में जानी जाने वाली अभिनेत्री दीया मिर्जा एक प्रोड्यूसर भी है. उनका जन्म हैदराबाद में हुआ है. उन्होंने वर्ष 2000 को मनीला, फिलीपींस में “मिस इंडिया एशिया पैसिफिक” जीता है.

उनके पिता फ्रैंक हैंड्रिच एक जर्मन ग्राफिक्स कलाकार और इंटीरियर डिजाइनर थे,जबकि उनकी मां दीपा एक बंगाली इंटीरियर डिजाइनर रही है. दीया मिर्जा जब 4 साल की थी तब उनके माता-पिता अलग हो गए और 9 साल की उम्र में उनकी पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद दीया मिर्जा की मां ने अहमद मिर्जा से शादी कर ली, लेकिन साल 2004 में अहमद मिर्जा की भी मृत्यु हो गई.दीया मिर्जा ने वर्ष 2014 में साहिल संघा से शादी की, लेकिन रिश्ते में मनमुटाव होने के चलते अगस्त 2019 में दीया उनसे अलग हो गई और 15 फरवरी 2021 को एक व्यवसायी वैभव रेखी से शादी की.

मॉडलिंग ने पूरा किया सपना

दीया मिर्जा ने कॉलेज के मीडिया फॉर्म में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के रूप में काम किया और कई ब्रांड के लिए टीवी विज्ञापन के चलते मॉडलिंग की. साल 2000 में मिस इंडिया एशिया पैसिफिक का खिताब जीतने के बाद उन्होंने अपना फिल्मी करियर शुरू किया.उस दौरान उन्हें कई फिल्मों के ऑफर आने लगे, जिसके बाद उन्होंने साल 2001 में ‘रहना है तेरे दिल में’ फिल्म से अपनी फिल्म करियर की शुरुआत की.इस फिल्म में उनके काम को काफी सराहा गया. इससे उन्हें आगे भी काम मिलना आसान हो गया.

उन्होंने वर्ष 2002 में ‘तुमको ना भूल पाएंगे’ फिल्म में मुस्कान का किरदार निभाया. इसके बाद उन्होंने ‘प्राण जाये पर शान ना जाये’, ‘तहजीब’, ‘ब्लैकमेल’, ‘नाम गुम जाएगा’ जैसी कई फिल्मों में काम किया. दमदार अभिनय के चलते दीया मिर्जा बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई. गंगा की सीरीज ने उन्हें काफी पॉपुलैरिटी दिलाई और उन्हें ये सीरीज करने में भी काफी अच्छा लगा .

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Dia Mirza Rekhi (@diamirzaofficial)

दिया मिर्जा फिल्म में अपनी भूमिका को हमेशा सोच-समझकर करती है. उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों से मुझे अलग तरह की फिल्में करने का मौका मिला है, जो मैं चाहती थी. अलग तरह की रियल फिल्में आज बनती है और लोग देखते है, जो पहले कमर्शियल पॉइंट ऑफ़ व्यू से नहीं बनती थी. आज के प्रोड्यूसर डायरेक्टर नए कांसेप्ट पर काम करते है, जिसका फायदा कलाकारों को मिल रहा है. सोशियों पोलिटिकल ड्रामा पर आजकल कोई फिल्मे बनाना नहीं चाहता, क्योंकि उनका मार्केट नहीं है. किसी भी फिल्म के लिए दर्शक मुख्य होते है, उनकी पसंद को निर्देशक पर्दे पर उतारने की कोशिश करते है. जब मैंने काम शुरू किया था, तब ये समझना मुश्किल था कि कौन सी फिल्म मुझे करनी है, लेकिन अब काम करते हुए काफी समय गुजर गया है और मैं समय के हिसाब से फिल्में करना चाहती हूँ.

स्ट्रोंग मेटरनल इंस्टिंक्ट

दिया मिर्जा इन दिनों फिल्म भीड़ में माँ की भूमिका निभाई है और दर्शकों ने उनकी इस भूमिका को पसंद किया है. वह कहती है कि जब मैंने काफिर फिल्म की थी, तब मैं माँ नहीं थी. अभी मैं माँ हूँ और बच्चे को छोड़कर काम पर जाना, समय न दे पाना आदि कई चीजे है. जो मैं नहीं कर पाई. मेरा बेटा अभियान जब 6 महीने का था, तब मैं काम पर जा रही थी,पर मेरे अंदर मेटरनल इंस्टिंक्ट हमेशा रहा है. मुझे याद है जब मैं काफिर फिल्म कर रही थी, तब काफी लोगों ने मुझे इस भूमिका के बारें में पूछा था, माँ की भूमिका के लिए शारीरिक रूप से माँ बनना जरुरी नहीं है, मुझे हमेशा से बच्चे बहुत पसंद है.

पेंडेमिक पर आधारित फिल्म को करते हुए दीया मिर्ज़ा ने महसूस किया कि देशा में कितने ऐसे लोग है, जो मेहनत कर अपनी जिंदगी पालते है, लेकिन मुश्किल घडी में उनके साथ कोई नहीं होता, वे किसी से कुछ नहीं मांगते, पर वे देश के लिए ही काम करते और हम सभी से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए होते है. जीवन में आये उतार-चढ़ाव के बारें में पूछने पर दीया का कहना है कि जीवन हमेशा नार्मल चला है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मुझे पति मिले, बेटा मिला और कुछ समस्याएं भी आई, पर उस दौरान हर कोई किसी न किसी रूप में असहाय और असुरक्षित थे, जो मुझे सोचने पर विवश करती थी. फिर चाहे वह सेलेब्रिटी हो या आम आदमी किसी न किसी रूप में परेशान रहा है.

होते है आलोचना के शिकार सेलेब्स

दिया हंसती हुई कहती है कि मैंने हमेशा सिंपल तरीके से इंडस्ट्री में रही खुद में कुछ परिवर्तन के बारें में नहीं सोचा. कंट्रोवर्सी मेरे साथ हुई पर मैं उस बारें में अधिक नहीं सोचती. सोशल मीडिया में इसका रूप अलग-अलग तरीके से दिखता है. आज हर फिल्म को किसी न किसी रूप में आलोचना इस प्लेटफॉर्म पर की जाती है. इससे इंडस्ट्री कई बार डर जाया करती है. असल में विश्व में पॉलिटिक्स की भाषा बहुत भद्दी हो चुकी है. बहुत अधिक नकारात्मकता सभी में है और ये हम सबका दुर्भाग्य है.

स्टोरी टेलर्स के लिए अब समय मुश्किल भरा हो चुका है. फिल्म सेलेब्रिटी इसमें सॉफ्ट टारगेट होते है. ये कुछ लोगों के  समूह ही करते है और ये उनकेकिसी एजेंडे के तहत आता होगा, लेकिन अभी भी देश में अधिक संख्या में ऐसे लोग है, जो सकारात्मक सोच रखते है और उनका प्यार हमारे लिए किसी न किसी रूप में रहता है और यही हमारी ताकत होती है. नहीं तो ट्रोलर्स, इंडिविजुअल एटैक, पर्सनल एटैक, शेमिंग आदि चलता रहता है, क्योंकि अगर कोई महिला किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ रही है और किसी पोलिटिकल एजेंडा के आड़े आती है, तो उसे बदनाम करने के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते है. आजकल ये विकराल होता जा रहा है. इसपर अधिक ध्यान देने की जरुरत नहीं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Dia Mirza Rekhi (@diamirzaofficial)


इंडस्ट्री में अधिक महिलाओं की है जरुरत

दिया चाहती है कि अधिक से अधिक महिलाएं इंडस्ट्री में काम करें, ताकि अच्छी फिल्में बने और महिलाएं आगे बढे. ओटीटी होने की वजह से सभी पुराने कलाकारों को काम करने का मौका मिला है और ये अच्छी बात है. फैशन स्टेटमेंट्स के बारें में दीया का कहना है कि मैं कपड़ों में भी कहानियों को ढूंडती हूँ, क्योंकि मुझे हैण्ड मेड क्राफ्ट से बने आरामदायक कपडे पहनना पसंद है, जिससे लोकल डिजाईन और डिज़ाइनर को सपोर्ट मिले. मैं हाई फैशन ब्रांड के बारें में नहीं सोचती.

फिल्म रिव्यू: किसी का भाई किसी की जान – बोर व सिरदर्द करने वाली फिल्म

  • रेटिंग: पांच में से आधा स्टार
  • निर्माताः सलमान खान फिल्मस
  • निर्देशक: फरहाद सामजी
  • कलाकार : सलमान खान,पूजा हेगड़े, विनाली भटनागर,शहनाज गिल,पलक तिवारी,सिद्धार्थ निगम,राघव जुएल, जगपति बाबू,वेंक्टेश, भाग्यश्री, भूमिका चाला व अन्य
  • अवधि: दो घंटे 24 मिनट

2014 में तमिल भाषा में एक फिल्म आयी थी-‘‘वीरम’’.इस सफल फिल्म के हिंदी रीमेक के अधिकार खरीदकर फिल्म निर्माता साजिद नाड़ियादवाला इसे ‘‘कभी ईद कभी दीवाली’’ के नाम से बना रहे थे.फिल्म में सलमान खान हीरो थे.लेकिन सलमान खान की अपनी दखलंदाजी के चलते साजिद नाड़ियादवाला ने इस फिल्म को बनाने से मना कर दिया.तब सलमान खान ने स्वयं ‘वीरम’ के रीमेक को ‘किसी का भाई,किसी की जान’ नाम से लेकर आए हैं.जिसमें वह बौलीवुड के साथ ही तेलुगु फिल्म इंडस्ट्ी के जितने भी कलाकार जोड़ सकते थे,उन सभी को जोड़कर ‘‘चॅूं चॅूं का मुरब्बा’’ बना डाला.फिल्म के प्रदर्शन से तीन दिन पहले सलमान खान ने पत्रकारों संग मीट एंड ग्रीट के वक्त कहा था-‘‘मेरा मानना है कि हर कलाकार को सोलो हीरो की बजाय मल्टीस्टार कास्ट वाली फिल्म करनी चाहिए.इससे हर कलाकार के अपने अपने प्रश्ंासक उस फिल्म को देखेंगे और फिल्म सफल होगी.’’ अफसोस 21 अप्रैल को सिनेमाघर में पहुॅची ‘किसी का भाई किसी की जान’’ इतनी सिर दर्द व दर्शक को तनाव देने वाली फिल्म है कि इस फिल्म का कुछ नही हो सकता.इतना ही नही दर्शक को सलमान खान की पिछली ‘जय हो’,‘बजरंगी भाईजान’,‘ट्यूबलाइट’,‘भारत’  जैसी फिल्में याद आएंगी.इस फिल्म से वह लोग जरुर खुश होंगे जो कि सलमान खान के मंुह से ‘‘वंदेमातरम’’ सुनना चाहते हैं.वैसे भी सलमान खान ने ‘वंदेमातरम’ बोलने के साथ ही पूरी फिल्म में उन आदर्शवाद की बात की है,जो कि व्यावहारिक नजर नही आते.सलमान खान ने इस फिल्म में भी बार बार दोहराया है कि इंसानियत, धर्म,जाति व वर्णभेद से परे है.

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में भाईजान(सलमान खान) हैं,जिनकी परवरिश अनाथालय में हुई.अनाथालय में आग लगने पर भाई जान ने तीन लड़कों लव (सिद्धार्थ निगम),इश्क (राघव जुआल) व मोह (जस्सी गिल) को बचाकर अपने साथ रखा और उनकी परवरिश की.अब यह सभी बड़े हो चुके हैं और  दिल्ली की एक अनाम बस्ती (झुग्गी) में रहते हैं.सभी उन्हें प्यार करते हैं.एक स्थानीय राजनेता और गुंडा महावीर (विजयेंद्र सिंह ) इस बस्ती से सभी निवासियों को बेदखल करना चाहता है,लेकिन भाईजान द्वारा उसके प्रयासों को विफल कर दिया जाता है.

भाईजान ने षादी नही की हैं.वह चाहते हैं कि सभी भाई लड़कियो से दूर रहें और कोई शादी नही करेगा.लेकिन लव, इश्क,मोह को क्रमशः चाहत (विनाली भटनागर),सुकून (षहनाज गिल ) व मुस्कान (पलक तिवारी ) से प्यार हो गया है.इसलिए यह तीनों भाई जान के लिए लड़की की तलाश शुरू करते हैं.इसी क्रम में यह तीनों तेलुगु लड़की भाग्यलक्ष्मी (पूजा हेगड़े ) को तलाषते हैं.जो कि पुरातत्वविद हैं.भाईजान व भाग्यलक्ष्मी के बीच प्यार हो जाता है.जब दोनों शादी के लिए तैयार हो जाते हैं,तो पता चलता है कि नागेश्वर (जगपति बाबू ), भाग्यलक्ष्मी के भाई अनन्या (वेंक्टेश) व पूरे परिवार को खत्म करना चाहता है.अब भाईजान अपनी होने वाली ससुराल को बचाने में अपने भाईयों संग लग जाते हैं.

लेखन निर्देशनः

पूरी फिल्म अहिंसा की बात करती है.लेकिन फिल्म में हिंसा ,खून खराबा ही ज्यादा है.रोमंास या प्रेम कहानी या मनोरंजन का घोर अभाव है.फिल्म में सलमान खान का संवाद है-‘‘जब एक हिंसक आदमी एक अहिंसक व्यक्ति को परेशान करता है,तो दूसरे हिंसक आदमी को अहिंसक के आगे खड़ा होना पड़ता है.घटिया कथानक, पटकथा के साथ ही सामजी के अयोग्य निर्देशन के चलते फिल्म में देखने लायक कुछ भी नही है.इंटरवल के बाद फिल्म का पूरा सत्यानाश हो जाता है.हमने दर्शकों को बीच में ही फिल्म छोड़कर जाते हुए देखा.पटकथा लेखक की समझ मे ंनही आ रहा है कि वह किस तरह से किरदारों को गढ़ें.सलमान खान ने अपनी तरफ से देशभक्ति के सारे तड़के भरने की कोशिश की है,पर यह सब कुछ दर्शक के सिर के उपर से गुजर जाता है.एक्शन दृश्यों में भी सलमान खान मात खा गए हैं.यहां तक कि एक्शन के दौरान उनका अपना शर्ट उतारने का चिरपरिचित अंदाज भी दर्शक को पसंद नही आता.वास्तव में फिल्म के कुछ एक्शन दृश्य देखकर एक्शन डायरेक्टर की सोच व समझ पर तरस आता है.फिल्म में भगवदगीता के संस्कृत श्लोक बोलते हुए सलमान खान व पूजा हेगड़े के बीच प्यार हो जाता है.है न कमाल की प्रेम कहानी…

फिल्म के निर्देशक फरहाद सामजी हर जगह हाथ पांव मारते रहे हैं.2006 मे लेखन से शुरूआत की.फिर गीतकार बन गए.गायक भी बन गए.और 2014 की असफल फिल्म ‘‘इंटरटेनमेंट’’ से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा.उसके बाद फरहाद ने ‘बेबी कम ना’,‘बू सबकी फटेगी’,‘हाउसफुल 4’,‘बच्चन पांडे’,‘पाप कौन’’ जैसी असफल फिल्में व वेब सीरीज निर्देशित कर चुके हैं.अब तक उन्होने किसी फिल्म मे ंयह साबित नही किया कि उन्हे निर्देशन आता है.इसके बावजूद अक्षय कुमार से लेकर सलमान खान तक फरहाद को ही निर्देशक चुनते हैं..इसकी वजह समझ से परे है.‘‘किसी का भाई किसी की जान’’ देखकर भी नही लगता कि इसे किसी ने निर्देशित किया है.

फिल्म का एक भी गाना कर्णप्रिय नही है.इसके गानों में भी सलमान अजीब-ओ-गरीब अंदाज में थिरकते नजर आते हैं.

अभिनयः

भाईजान के किरदार में सलमान खान ओवर एक्टिंग करने के साथ ही खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं.दक्षिण की स्टार की जाने वाली अभिनेत्री पूजा हेगड़े अब तक हिंदी में ‘मोहनजोदाड़ो’, ‘हाउसफुल 4’,‘राधेश्याम’ व ‘ सर्कस’जैसी फिल्मों  में क्रमशः रितिक रोशन,अक्षय कुमार,प्रभास व रणवीर सिंह के साथ अभिनय करते हुए इन कलाकारों के कैरियर पर सवालिया निशान लगा चुकी हैं.पूजा हेगड़े की यह फिल्में बुरी तरह से असफल रही हैं.और अब उन्होने हिंदी में पांचवीं फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’’, सलमान खान के साथ की है.पर इस फिल्म में भी उम्मीदों पर खरा नही उतरती.

जगपति बाबू,मुक्केबाज विजेंदर सिंह,वेक्टेश,रोहिणी हट्टंगड़ी,भाग्यश्री व भूमिका चावला जैसे अनुभवी व प्रतिभाशाली कलाकारों ने क्या सोचकर यह फिल्म की,यह समझ से परे हैं.निदेश्षक व पटकथा की कमजोरी के चलते किसी का भी अभिनय उभर कर नहीं आता.फिल्म के अन्य कलाकार भी अपना प्रभाव छोड़ने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.

Summer Special: केसर और शहद से पाएं बेदाग त्वचा

केसर में विटामिन, मिनरल्‍स और पोटाशियम की प्रचुर मात्रा होती है. इसमें मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल और एंटीआक्‍सीडेंट यौगिक त्‍वचा की रंगत को निखारने के साथ उसे रेजुनवेट कर गहराई से नमी पहुंचाता है. केसर में एंटी-सोलर एजेंट भी होते हैं जो सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों से त्‍वचा को बचाती है. इसमें क्रोसिटन जैसे तत्‍व पाए जाते हैं जो त्‍वचा को जवां बनाए रखने में मदद करती है.

शहद एक प्राकृतिक रोधक है जो त्‍वचा में नमी को बनाए रखती है और उसे खोने नहीं देती है. ये एंटीसेप्‍टिक की तरह भी काम करती है. शहद त्‍वचा में कोलाजन का उत्‍पादन बढ़ाकर बढ़ती उम्र के निशानों को दूर करता है. त्‍वचा संबंधित परेशानियों से दूर रहने और बचने के लिए आज हम आपको केसर और शहद से बने कुछ प्राकृतिक नुस्‍खों के बारे में बताने जा रहे हैं.

1 निखार के लिए

एक चुटकी केसर, 2 चम्‍मच दूध, एक चम्‍मच चंदन पाउडर लें. केसर और 2 चम्‍मच दूध को मिलाकर पांच मिनट के लिए छोड़ दें. इसके बाद इस मिश्रण में चंदन पाउडर मिलाकर इसे अच्‍छी तरह से मिलाए और अपनी त्‍वचा पर हल्के हाथॆ से लगाएं. 15 मिनट के बाद इसे पानी से साफ कर लें.

2 मुहांसों के उपचार के लिए

एक चुटकी केसर, एक चम्‍मच शहद, 4-5 तुलसी की पत्तियां लें. अब तुलसी की पत्तियां के साथ केसर को पीस लें. अब इस पेस्‍ट में शहद मिलाएं. इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें. सप्‍ताह में दो बार इस पैक का इस्तेमाल करें.

3 सनटैन को कम करने के लिए

रातभर एक चम्‍मच मिल्‍क क्रीम में एक चुटकी केसर को भिगोकर रख दें. अगले दिन सुबह इसमें शहद मिलाएं और प्रभावित हिस्‍सो पर लगाएं. 10 मिनट बाद ठंडे पानी से उसे धो लें.

4 बारीक रेखाओं को दूर करें

केसर को बारीक पीसकर पाउडर बना लें, इसमें शहद और एलोवेरा जैल मिलाएं. इसे अच्‍छी तरह से मिक्‍स करने के बाद अपने चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद इसे ठंडे पानी से साफ करें. आपको ये नुस्‍खा सप्‍ताह में दो बार करना है. इससे त्‍वचा के बारीक निशान साफ होते हैं और त्‍वचा जवां दिखती है.

5 केसर और शहद का टोनर

रातभर गुलाबजल में केसर को भिगोकर रखें. सुबह इस पानी को किसी स्‍प्रे बौतल में भरकर रख लें. अब आप जब चाहें त्‍वचा पर टोनर की तरह इसका प्रयोग कर सकते हैं. केसर और शहद से बना टोनर आपकी त्‍वचा की मृत कोशिकाओं को बाहर निकाल उसकी सारी गंदगी को भी बाहर निकाल देता है.

अगर केसर का प्रयोग करने के बाद आपके चेहरे पर पीले रंग का दाग रह जाता है तो घबराने की जरूरत नहीं है. ये जल्‍दी ही अपने आप ही ठीक हो जाएगा. एक घंटे के भीतर से दाग अपने आप ही गायब हो जाएगा. चमकदार और मुलायम त्‍वचा पाने के लिए आप केमिकल युक्‍त चीजों की बजाय उपरोक्‍त बताए गए प्राकृतिक नुस्‍खों का प्रयोग करेंगें तो ज्‍यादा बेहतर होगा.

मेरे शरीर पर तिल के आकार के छोटे- छोटे लाल रंग के दाने हैं मैं क्या करुं?

सवाल

मेरे शरीर पर दूरदूर तिल के आकार के छोटेछोटे लाल रंग के दाने हैं. डाक्टर को दिखाया तो दवा का कोई असर नहीं हुआ. क्या आप इस का कोई हल बता सकती हैं?

जवाब

स्किन पर ऐलर्जी या कोई इन्फैक्शन हो जाने के कारण कई बार शरीर पर छोटेछोटे लाल रंग के दाने निकल आते हैं. ये दाने कई बार तो अपनेआप ठीक हो जाते हैंलेकिन कई बार इन के इलाज के लिए ट्रीटमैंट की जरूरत होती है. इस की जांच के लिए किसी अच्छे स्किन स्पैशलिस्ट से संपर्क करें. अगर यह ऐलर्जी नहीं है तो घरेलू उपाय किए जा सकते हैं. अगर ऐलर्जी है तो घर पर कुछ भी नहीं करना चाहिए. वैसे घरेलू उपचार के लिए सब से पहले कच्चे दूध से अपनी स्किन साफ करें.

चुटकीभर बेकिंग सोडा पानी में मिला कर दानों पर लगाएं और कुछ देर बाद साफ कर लें. इस से शरीर पर निकल रहे छोटेछोटे दाने दूर हो जाते हैं. लहसुन की एक कली लें और इसे आधा काट लें. अब इस आधे कटे भाग को तिल पर रख कर बांध लें और रातभर बंधा रहने दें. कुछ दिनों तक इस प्रक्रिया को दोहराने से चेहरे के तिल निकल जाते हैं. केले के छिलके को छिली हुई तरफ से तिल पर रखें और बांध लें. कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद तिल सूख जाएगा और निकल जाएगा. अगर आप की स्किन अधिक सैंसिटिव है तो कोई भी घरेलू उपचार न करें.

मुझे प्रैग्नेंसी में मूड स्विंग्स की प्रौब्लम हो रही है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 26 साल की हूं और 3 महीनों से प्रैग्नेंट हूं. मुझे मूड स्विंग्स की समस्या हो रही है. अगर कोई मेरी बात न सुने या मेरे मन का न हो तो मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और मैं किसी से भी लड़ने लगती हूं. यह हरकत मेरे लिए प्रौब्लम क्रिएट कर रही है. प्लीज, बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

प्रैगनैंसी के समय हारमोनल फ्लक्चुएशंस की वजह से मूड स्विंग्स होना नौर्मल है. आप अच्छी नींद लें, अपने को रैस्ट दें, माइल्ड ऐक्सरसाइजेज की मदद लें. तनाव बिलकुल न लें, अपने पार्टनर से बातें शेयर करें, उन की हैल्प लें और पौष्टिक खाना खाएं.

प्रेग्नेंसी का वक्त महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. इस दौरान महिलाओं को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. इसके अलावा उन्हें अच्छी डाइट की जरूरत होती है ताकि जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत पर किसी तरह का बुरा असर ना पड़े. इन्ही सारी जरूरी चीजों में अच्छी और पूरी नींद भी शामिल है.

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में ऐसे कई बदलाव होते हैं जो उनकी सेहत पर असर डालते हैं. इस दौरान महिलाओं के हार्मोन्स में भी बहुत से बदलाव होते हैं जो उनकी दिनचर्या पर बुरा असर डालते हैं. इन बदलावों का नतीजा है कि कई बार गर्भवती महिलाओं को घबराहट महसूस होती है. ऐसे में उन्हें नींद नहीं आती, जिसका सीधा असर उनके बच्चे पर भी होता है.

कांसे की मूर्तियों को साफ करने की ये टिप्स

कांसे की मूर्ति की सफाई बिल्कुल आसान नहीं है. मूर्ति को साफ करते समय कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए. त्यौहारों में पूजा से पहले और पूजा के बाद मूर्तियों को साफ करना आपके लिए एक जरूरी काम है. यदि कांसे की मूर्तियों पर जंग लगा हो और वे काले रंग की हो गई हों, तो आप इन सरल घरेलू उपचारों की मदद से इनसे छुटकारा पा सकते हैं.

आपको सिर्फ नीचे दी गई प्रकृतिक सामग्रियों को किसी मुलायम कपड़े अथवा स्पंज के साथ प्रयोग करें. साथ ही, पूरी तरह से साफ करने से पहले यह जरूरी है कि आप सामग्रियों को कांस्य धातु पर टेस्ट कर लें. कुछ ऐसी धातुएं हैं जिनकी प्रतिकूल प्रतिक्रिया हो सकती है जिससे मूर्तियों की चमक खो सकती है.

आपके घर पर कांस्य की मूर्तियों को साफ करने के लिए कुछ सरल और सबसे अच्छे उपाय यहां दिए जा रहे हैं इन पर एक नजर डालें. आपकी मूर्ति को साफ करने के लिए एक मुलायम कपड़ा अथवा स्पंज का इस्तेमाल करें. धातु पर कोई कड़ा कपड़ा इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे मूर्ति पर खरोंच का निशान पड़ सकता है.

दूसरे, कई दरारों और गाढ़े स्पॉट वाली कांस्य वस्तु साफ करने के लिए एक नरम ब्रिसल्स वाले टूथब्रश का उपयोग करना सबसे अच्छा है. ब्रश उन जगहों पर जमी हुई धूल और गंदगी को हटाने में मदद करेगा. साथ ही, आपको नियमित रूप से कांस्य की मूर्तियों को साफ पानी से धोते रहना चाहिए. झाड़पोंछ करने से धूल नहीं जमेगी और आपकी मूर्तियां चमकदार दिखाई देंगी.

बाजार में उपलब्ध पॉलिश से कांस्य की मूर्तियों को पॉलिश करने से बचना चाहिए. अधिक पॉलिश करने से मूर्ति की प्राकृतिक चमक खो सकती है. ध्यान रखने योग्य एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कांस्य की मूर्ति को धोने के बाद अवश्य सुखा लें. यदि आपको हानिकारक रसायन पसंद नहीं हों, तो घर पर कांस्य की मूर्तियों को साफ करने के लिए सरल और प्रकृतिक रूप से प्रभावशाली सामग्री जैसे नींबू अथवा साबुन-फ्री डिटर्जेंट का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा होता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें