वह हंस पड़ी, “खबर मिल गई आप को?”
“हां, स्पेशल इनविटेशन है. मालती और आंटी तो स्वागत की तैयारियों में जुटी होंगी?”
“हां, भाभी को सब से पहले पार्लर जाना याद आया.”
“सच…?”
“हां भाभी, मुझे तो लगता है कि वे यहां भाभी से मिलने ही आते हैं,” कह कर नीरा जोर से हंसी, तो मैं ने झूठ ही डांटा, “खबरदार, अपनी भाभी का मजाक नहीं बनाते.”
“आप से ही कह सकती हूं, वे तो भाभी से फोन पर भी टच में रहते हैं, उन का कहीं शिविर होने वाला है, भाभी वहां जा कर रहने की सोच रही हैं, आजकल भाभी सचमुच बहुत एक्साइटेड घूम रही हैं.”
“नीरा, यह बहुत चिंता की बात है. कुछ तो करना चाहिए.”
“हमारे यहां कुछ नहीं हो सकता, भाभी. सब की आंखों पर पट्टी बंधी है, उन के आने के टाइम पर मैं तो अपने फ्रैंड के घर चली जाऊंगी, मैं ने सोच लिया है, मैं तो मेंटली इन ड्रामों से थक चुकी हूं. अच्छाभला नाम है, नीलेश. दुनिया को पत्थर की दुनिया कहते हैं, तो पत्थर वाले बाबा हो गए. आशीर्वाद देने के बहाने जिस तरह से छूते हैं न, घिन आने लगती है. पर अपने घर वालों का क्या करूं?”
“मेरे पास एक आइडिया है, साथ दोगी? फिलहाल तो मालती के सिर से इन का भूत उतारना बहुत जरूरी है, नहीं तो शिविर में जा कर बैठ जाएगी. और आंटी झींकती भी रहेंगी और कुछ कह भी न पाएंगी.”
“बोलो भाभी, क्या करना है?”
मैं ने और नीरा ने बहुत देर तक काफी बातें की, अच्छाखासा प्रोग्राम बनाया और फोन रख दिया.
सुधीर के घर जाने वाले दिन जब मैं बिना कोई तमाशा किए आराम से तैयार होने लगी, तो जयराज को बड़ी हैरानी हुई, बोल ही पड़े, “क्या हुआ? बड़ी शांति से जाने के लिए तैयार हो रही हो?”
यह सुनते ही मुझे हंसी आ गई, तो वे और चौंके, ध्यान से मुझे देखा, उन की आंखों में तारीफ के भाव देख मैं हंस पड़ी, “हां, हां, जानती हूं कि अच्छी लग रही हूं.”
“तुम तो ऐसे तैयार हो गई हो, जैसे किटी पार्टी में जा रही हो.”
“नीलेश ने बुलाया है, सजना तो पड़ेगा ही,” मुझे शरारत सूझी, तो वे बुरा मान गए, “कैसी बकवास करती हो?”
“32-35 साल में बाबा बन गया तो अरमान तो खत्म नहीं हो गए होंगे न? वरना मुझे विशेष रूप से बुलाने का क्या मतलब था? पुरुष भक्त काफी नहीं हैं?”
“जिस ने घरसंसार न बसाया हो, उस के लिए ऐसी बातें करनी चाहिए? कितना त्यागपूर्ण जीवन जीते हैं. सबकुछ तो त्याग रखा है. तुम जैसी महिलाओं के कारण धर्म खतरे में है,” जयराज ने जब यह ताना कसा, मुझे बहुत तेज गुस्सा आया. मैं ने अपने मन में और पक्का ठान लिया कि मिस्टर नीलेश का तो भांडा फोड़ कर के रहूंगी. मैं चुप रही. मालती के घर पहुंचे, ऐसे दृश्य तो अब मेरे लिए आम रह ही नहीं गए हैं, पूरी तरह बाबाओं के प्रति अंधश्रद्धा में डूबे पति के कारण मैं ये अनुभव काफी झेल चुकी हूं. मालती जिस तरह से तैयार थी और जिस तरह से उस की नजर इस फर्जी बाबा को निहार रही थी, मुझे समझने के लिए कुछ शेष न रहा था.
किचन में मेरी और नीरा की कुछ जरूरी बातें हुईं. मैं नीलेश को प्रणाम करने उस के पास गई, उस पर अपना जाल फेंका, उसे तो फंसना ही था, नीरा दूर खड़ी मेरा और नीलेश का वीडियो बना रही थी, जो हम बाद में मालती को दिखाने वाले थे. पुरुष बस 3-4 ही थे, जो एक कोने में बैठे थे.
सजीसंवरी महिलाओं पर नीलेश की नजरें यहां से वहां घूम रही थीं, आशीर्वाद देने के बहाने उस ने मुझे कई बार छुआ, मन हुआ कि एक जोर का थप्पड़ मार कर सारी मस्ती भुला दूं, पर इस से क्या होता. लोग मुझे बुराभला कहते और फिर यह मजमा कहीं और लगता.
अभी मेरा एक ही उद्देश्य था कि मालती के सिर से नीलेश का भूत उतरे. वह मेरी अच्छी दोस्त थी, पर इस समय इस कपटी के हाथों कोई नुकसान न उठा ले, बस यही चिंता थी मुझे. वैसे वीडियो बन गए थे, जैसे मुझे चाहिए थे. जब सब हो गया, नीलेश और उस के साथी चले गए, हमें खाने के लिए रोक लिया गया था. सब से फ्री हो कर मैं, नीरा और मालती थोड़ी देर साथ आ कर बैठे, फिर नीरा ‘चाय बना कर लाती हूं,’ कह कर बाहर चली गई. मैं ने बात छेड़ी, “कहो, कैसा रहा बाबा का दर्शन?”
वह यों शरमा गई, तो मेरा दिमाग घूम गया, “क्यों भाई, तुम्हारा चेहरा क्यों शर्म से लाल हो रहा है?”
“मुझे नीलेश के प्रवचन अच्छे लगते हैं, मैं कुछ दिन उन के शिविर में जा कर रहने वाली हूं.”
“बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा? तुम्हारा घर कौन देखेगा?”
“सब ईश्वर की मरजी से ही तो होता है.”
“ईश्वर क्या तुम्हारे बच्चों का होमवर्क करवाएंगे?”
“जयराज भाई जैसी भक्ति क्यों नहीं रखती तुम?” उस ने चिढ़ कर कहा. मैं ने तो आज ठान ही लिया था, ”इसलिए, क्योंकि ये बाबा उन की कमर नहीं सहलाते, बहाने से बारबार उन्हें नहीं छूते. हम महिलाओं को जो इन महापुरुषों के स्पर्श से घिन आती है, उस का जयराज जैसों को कहां अंदाजा होता है? क्यों इन पर मोहित हुई चली जा रही हो? ये वीडियो देखोगी? आज का ही है. ये देखो, कितनी बार मेरे करीब आने की कोशिश की है आज इस लंपट ने. देखो,” कहते हुए मैं ने उसे वीडियो दिखाए, जहां वह नीलेश मुझ पर लट्टू होहो कर पास आए जा रहा था.
यह वीडियो देख मालती का मुंह लटक गया. मैं ने कहा, “दोस्त हो मेरी. तुम्हें मूर्खता करते हुए नहीं देख सकती. और जयराज पति हैं, इन सब बातों पर रोज तो उन से नहीं लड़ सकती न. फिर भी कोशिश तो कर ही रही हूं, आज जा कर ये वीडियो उन्हें भी दिखाऊंगी. तुम जैसे भक्तों को सुधारने में जितनी मेहनत करनी पड़े करूंगी.”
इतने में नीरा चाय ले कर आ गई. मैं ने उसे इशारे से बता दिया कि काम हो गया है. थोड़ी देर हलकीफुलकी बातें कर के हम वहां से चलने के लिए निकले.
जयराज ने विदा लेते हुए मालती से कहा, “भाभी, अच्छा आयोजन था. ऐसे ही फिर किसी प्रोग्राम में जल्दी मिलते हैं.”
मालती ने बेदिली से कहा, “नहीं, भाईसाहब. किसी और दिन ऐसे ही मिल लेंगे, मिलने के लिए ऐसे ही आयोजन रह गए हैं क्या?”
मालती के इस जवाब पर जयराज ने मुझे घूर कर देखा. मैं जोर से हंस पड़ी, कहा, “और क्या, आ जाओ हमारे घर वीकेंड पर. साथ डिनर करते हैं. सेलिब्रेट करते हैं,” सब के मुंह से एकसाथ निकला, “क्या सेलिब्रेट करना है?”
नीरा और मैं बस खुल कर हंस दिए, कहा कुछ नहीं. मालती भी समझ गई थी और फिर वह भी हंस पड़ी.