मेरे पति की किडनियां क्षतिग्रस्त हो गई है, मैं जानना चाहती हूं किडनी फेल्योर आखिर क्या है?

सवाल

डायग्नोसिस में पता चला है कि मेरे पति की किडनियां काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. मैं जानना चाहती हूं कि किडनी फेल्योर क्या होता है?

जवाब

किडनी फेल्योर तब होता है जब किडनियां आप के रक्त से अचानक व्यर्थ पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती हैं. जब किडनियां फिल्टर करने की क्षमता खो देती हैं तो शरीर में व्यर्थ पदार्थ खतरनाक स्तर तक इकट्ठा हो जाते हैं और रक्त में रसायनों का संतुलन गड़बड़ा जाता है. ऐक्यूट किडनी फेल्योर को ऐक्यूट रीनल फेल्योर भी कहते हैं. यह स्थिति कुछ घंटों या कुछ महीनों में विकसित हो सकती है. अत्यधिक बीमार लोगों में किडनी फेल्योर कुछ ही घंटों में हो जाता है. किडनी फेल्योर उसे कहा जाता जब दोनों किडनियां अपनी सामान्य गतिविधियों का 15-20त्न से भी कम कर पाती हैं. इस समस्या से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा निबटा जा सकता है.

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मैं किडनियों से संबंधित समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए जानना चाहती हूं कि किडनियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

जवाब

विश्व की लगभग 10त्न आबादी किडनी से संबंधित किसी न किसी समस्या से जूझ रही है. ऐसे में किडनियों को स्वस्थ्य रखना बहुत जरूरी है. जीवनशैली में कुछ जरूरी परिवर्तन ला कर किडनियों से संबंधित बीमारियों के खतरों को कम किया जा सकता है. इन में सम्मिलित हैं- संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करना, नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना, रक्त में शुगर के स्तर और रक्तदाब को नियंत्रित रखें, मोटापे से बचें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें.

-डा. जितेंद्र कुमार

चेयरमैन, रीनल साइंस ऐंड ट्रांसप्लांट मैडिसिन, एकार्ड सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, फरीदाबाद

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हाट बाजार- भाग 2: दो सरहदों पर जन्मी प्यार की कहानी

रुखसार ने सामान पर एक नजर डाली और बोली, ‘‘परेशानी इधर की नहीं इंजीनियर बाबू उधर की है. हमारा घर जिंजीराम नदी के किनारे से 2-3 मील के फासले पर है. कोई कुली या ठेले वाला वहां नहीं मिलता, जो हमारी मदद करे.’’

‘‘एक उपाय है रुखसारजी, आप को अगर हम पर विश्वास हो तो यह सामान आप हमारे क्वार्टर में रखवा दें. शुक्रवार को आइएगा तो ले लीजिएगा.’’

उस रोज के बाद सामान रखने का जो सिलसिला शुरू हुआ, उस के साथ ही शुरुआत हुई उस रिश्ते की जिस ने न सीमा देखी न राष्ट्रीयता. रुखसार और शाहिद एक ऐसी दुनिया में प्रवेश कर चुके थे, जिस में दूर तक सिर्फ अंधेरा ही नजर आता था. शाहिद का बदला रूप और रंगढंग गांव वालों से छिप न सका. मानसी मां ने तो बस एक ही जिद कर रखी थी कि किसी भी तरीके से शाहिद रुखसार को घर ले आए. शाहिद कई दिन तक टालमटोल करता रहा और एक दिन रुखसार से मानसी मां की इच्छा कह दी.

संतरियों से बच कर और सब की आंखों में धूल झोंक कर शाहिद एक दिन रुखसार को घर ले आया. मानसी से मिलवाने के बाद शाहिद रुखसार को वापस ले कर जा ही रहा था कि मिहिर ने आ कर यह खबर दी कि बंगलादेशी गार्ड्स की एक टुकड़ी किसी खास मकसद से कोनेकोने में फैल गई है और बीएसएफ के सिपाहियों के साथ मिल कर किसी आतंकवादी दल की तलाश में जुट गई है. शाहिद असमंजस में पड़ गया. सब ने राय दी कि ऐसे बिगड़े माहौल में रुखसार को ले जाना खतरे से खाली न होगा. अंधेरा बढ़ता जा रहा था और सन्नाटा सारे इलाके में पसर गया था. रुखसार का दिल घबराहट के मारे बैठा जा रहा था, लेकिन उसे अपने प्यार पर पूरा विश्वास था. शाहिद का साथ पाने के लिए वह किसी भी मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार थी. बीचबीच में सिपाहियों के बूट की आवाज सन्नाटे को चीर कर गांव वालों के कानों को भेद रही थी. ऐसा लग रहा था कि हर घर की तलाशी ली जा रही हो.

‘‘रुखसार आप के घर में रह सकती है, मगर तभी जब उस का निकाह आप के साथ अभी हो जाए,’’ सभी गांव वालों की यह राय थी. शाहिद के समझानेबुझाने का किसी पर कोई असर नहीं हो रहा था. न ही कोई रुखसार को अपने घर में रखने को तैयार था. मानसी का घर भी 2 गांव छोड़ कर था. लिहाजा वहां भी पहुंचना उन परिस्थितियों में नामुमकिन था. शाहिद बिना समय गंवाए किसी फैसले तक पहुंचना चाहता था. उस ने एक नजर रुखसार पर डाली, जो बुत बनी खड़ी थी. उसे भरोसा था कि शाहिद जो भी करेगा ठीक ही करेगा. अंतत: वही हुआ जो सब ने एक सुर में कहा था, काजी ने दोनों का निकाह करवाया. इस शादी में न बरात थी, न घोड़ी, न बैंड न बाजा बस दिलों का मिलन था.

मानसी ने दिल से कई तरह के पकवान बनाए, जो गांव वालों ने मिलजुल कर मगर छिप कर ऐसे खाए मानो अंधरे में अपराध की किसी घटना को अंजाम दे रहे हों. 4 दिन बाद जब रुखसार की रुखसत का वक्त आया तो उस की आंखों से आंसू बह रहे थे. रुखसार ने रुंधे गले से कहा, ‘‘तुम कहीं मुझे बीच राह में छोड़ तो नहीं दोगे? मैं अनाथ हूं. आगेपीछे मेरा एक चचेरा भाई जमाल है या फिर पड़ोसी. बस इतनी सी है मेरी दुनिया.’’ ‘‘कुदरत को शायद हमें मिलाना ही था और शायद उसे यही तरीका मंजूर होगा. अब तुम हाट में जा कर अपने लोगों में यों घुलमिल जाओ मानो तुम आज ही उन के साथ आई हो. किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि तुम 4 दिन यहां रही हो,’’ शाहिद उस से बोला.

रुखसार फुरती से चल कर हाट तक पहुंच गई और अपनी झोंपड़ीनुमा दुकान पर जा कर ही दम लिया. मिहिर ने पहले ही वहां सामान रख दिया था. रुखसार ने सामान सजाना शुरू किया और स्वयं को संयत रखने का प्रयत्न कर ही रही थी कि किसी के आने की आहट ने उसे चौंका दिया. देखा तो सामने जमाल था. वह बोला, ‘‘मैं जानता हूं कि तुम 4 दिन कहां थीं. तुम भूल गई हो रुखसार कि तुम एक बंगलादेशी हो और वह एक हिंदुस्तानी. कैसे तुम उस के प्यार के चक्कर में पड़ गईं? अपनेआप को संभालो रुखसार. अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. वापस लौट चलो.’’

‘‘मैं बहुत दूर निकल आई हूं जमाल. अब तो सिर्फ मौत ही मुझे उस से जुदा कर सकती है. सिर्फ मौत,’’ रुखसार का जवाब था.

शाहिद अपने प्रोजैक्ट की प्रगति के बारे में कप्तान मंजीत और दिल्ली से आए मंत्रालय के अफसरों से मीटिंग कर के घर लौटा तो परेशान था. मंत्रालय ने 1 साल से ज्यादा समयसीमा बढ़ाने की अर्जी नामंजूर कर दी थी. मानसी ने शाहिद को परेशान देख कर सवाल दागे तो उसे बताना ही पड़ा, ‘‘लगता है मां कि अब दिनरात काम करना पड़ेगा, रोशनी का पूरा इंतजाम होने के बाद हो सकता है मैं रात को भी वहीं रहूं.’’

‘‘क्या ऐसा नहीं हो सकता कि रुखसार भी मेरे साथ वहीं रह जाए, उसी जगह?’’

शाहिद मानसी मां की मासूमियत पर मुसकरा दिया, ‘‘कोशिश करूंगा कि रुखसार को भारत की नागरिकता जल्दी ही मिल जाए.’’

शाहिद सारी रात सो नहीं पाया. अगले दिन उसे काम के सिलसिले में पैसों व अन्य साजोसामान के इंतजाम के लिए शिलौंग, अगरतला और कोलकाता जाना था. सारे रास्ते वह रुखसार के बारे में ही सोचता रहा. उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि जिंदगी उसे कभी ऐसे मुकाम पर भी ला कर खड़ा कर देगी. शाहिद जब वापस लौटा तो इलाका फिर बरसात की गिरफ्त में था. जीरो लाइन की तरफ जाते हुए उसे रास्ते में कप्तान मंजीत मिल गए और बोले, ‘‘क्या बात है शाहिद, आजकल तू कम ही नजर आता है,’’ काम की वजह है या कोई और चक्कर है?

‘‘आप भी सरदारजी खिंचाई करने का कोई मौका हाथ से गंवाते नहीं हो. एक तो उबड़खाबड़ जमीन, उस पर भयानक जंगल, जंगली जानवरों का खौफ, कयामत ढाती बरसात और उड़ाने को तैयार हवाएं, ऐसे हालात में रह कर भी आप देश की रक्षा करते हो, यह काबिलेतारिफ है.’’

‘‘एक काम कर शाहिद, यहां कोई चंगी सी कुड़ी देख कर उस से ब्याह कर ले. खबर है कि ऐसे और भी कई छोटेबड़े हाटबाजार खुलने वाले हैं. फिर तो बड़े आराम से जिंदगी गुजरेगी यहां.’’ शाहिद कप्तान की बात पर झेंप गया.

‘‘हां, शाहिद एक बात और. खबर है कि इस बौर्डर के रास्ते पाकिस्तानी आईएसआई भारत में आतंकवादी गतिविधियां करने की फिराक में है, इसलिए सावधान रहना. और कोई ऐसीवैसी बात नजर आए तो फौरन खबर देना,’’ मंजीत ने जातेजाते कहा. शाहिद जब हाट पहुंचा तो उस ने रुखसार को बेकरारी से इंतजार करते हुए पाया. चाह कर भी वे दोनों वहां मिल नहीं पाए. दफ्तर में जब मिले तो रुखसार को एहसास हो गया कि शाहिद की तबीयत बहुत खराब है. बड़ी मुश्किल से दोनों शाहिद के छोटे से घर में पहुंचे और वहां रुखसार ने उसे जबरदस्ती दवा खिला कर सुला दिया. शाहिद की जब आंख खुली तो बहुत देर हो चुकी थी. आखिरी नाव भी जा चुकी थी और दोनों ही तरफ के लोग अपनीअपनी सीमाओं की तरफ जा चुके थे. अंधेरे और सन्नाटे ने पूरा इलाका घेर लिया था. मिहिर को आता देख रुखसार की जान में जान आई. रुखसार ने जमाल से हुई सारी बात मिहिर को बताई. रुखसार की घबराहट भांप कर मिहिर भी सोच में पड़ गया. उस पर दोनों तरफ ही गार्ड किसी वजह से ज्यादा ही सख्ती दिखा रहे थे. ऐसे में रुखसार का वहां से निकलना बहुत मुश्किल था. लिहाजा वहां रहने के अलावा रुखसार के पास कोई चारा नहीं था.

सूरजमुखी- भाग 2- राज ने ऐसा क्या किया कि छाया खुश हो गई

छाया की सीनियर डाक्टर हाथ में फै्रक्चर की वजह से छुट्टी पर थीं. नेहा की प्रीमैच्योर डिलिवरी आज ही करवानी थी. उन का केस अनेक जटिलताओं से भरा था. केस की सारी जिम्मेदारी छाया पर आ पड़ी, एक तो उस दिन वह खुद को ही नहीं संभाल पा रही थी. उस पर जीवन का वह पहला पर अत्यंत जटिल केस. उस की अपनी निराशा उस के हाथों पर हावी हो गई और जिस का डर था वही हुआ. छाया ने बच्चे को तो बचा लिया पर मां के शरीर में फैलते जहर को न रोक पाई.

सुबह नेहा की मौत की खबर सारे अस्पताल में आग की तरह फैल गई. अस्पताल ने सारी जिम्मेदारी छाया पर डाल कर पल्ला झाड़ लिया. सब की नाराजगी और मीडिया में मचे हल्ले के चलते साल भर के लिए छाया के प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी गई. चौबीस घंटों में ही फिर से रिजैक्ट. ऐसा लगा जैसे वाकई वह एक वस्तु है.

एक के बाद एक दूसरी असफलता ने छाया के लिए जीवन के सारे माने ही बदल दिए. 1-2 बार आत्महत्या का प्रयास भी किया… जिंदगी का लक्ष्य दिशा जैसे भूल गई. मनोचिकित्सकों की भी सलाह ली, पर सब बेकार. मांपिताजी ने हार कर निशीथ के सामने घुटने टेकने का भी मन बना लिया. पर पता चला कि वह विदेश जा चुका है. अपनी बेटी की ऐसी हालत देख असहाय पिता ने एक दोस्त की सलाह पर आबोहवा बदलने के लिए छाया को शिमला भेज दिया उस के मामा के पास ताकि पुराने माहौल से निकल कर एक नए माहौल में सांस ले सके.

शिमला की सुंदर वादियां छाया के चेहरे पर फीकी ही सही मुसकराहट बिखेर गईं. पड़ोस में रह रही नन्ही सी बच्ची के क्रियाकलाप में धीरेधीरे वह डूबती चली गई. 4-5 साल की होगी वह. शिमला की चंचल हवा से भी ज्यादा चंचल और मासूम. रोज नएनए खेल खेलती थी वह. कभी पापा बनती तो कभी पापा की बौस.

एक दिन छाया अपने को रोक न पाई. पूछ ही बैठी, ‘‘हैलो, क्या नाम है तुम्हारा?’’

‘‘आला,’’ कह अपना खेल छोड़ कर वह भी भागी आई, ‘‘आप रोज यहां आती हैं और हम आप को देखते हैं… बहुत अच्छी लगती हैं हमें आप,’’ आला की बेतकल्लुफ चटरपटर सुन कर छाया मुसकरा उठी.

‘‘अच्छा, एक बात बताओ. आप खेल में कभी पापा बनती हैं तो कभी कुछ और… आप मम्मी क्यों नहीं बनतीं कभी?’’ आला से कुछ मिक्स होने के इरादे से छाया ने पूछा.

‘‘क्योंकि हम नहीं जानते मम्मी कैसी होती है? हम ने तो उन्हें कभी देखा ही नहीं. फिर कैसे बनें हम?’’ उस की मासूम आंखों में मायूसी देख छाया चुप हो गई.

आला छाया की जिंदगी में आशा की उजली किरण बन कर आई थी. बहुत जल्द ही घुलमिल गई थी. महीने भर की दोस्ती में उस ने छाया पर पूरा अधिकार जताना शुरू कर दिया था. कभी होमवर्क ले कर चली आती, तो कभी डर लग रहा है का बहाना बना कर छाया के घर ही सो जाती. आला की बातों में उस के पापा ही ज्यादातर हीरो हुआ करते थे. सुबह उस के सो कर उठने से ले कर रात बिस्तर पर जाने तक सारा दिन पापा की बातें. आला के मुंह से उस के पापा के बारे में सुनसुन कर एक समझदार और बेहद भावुक इंसान की छवि छाया के मन में बन गई थी. उन से मिलने, आला की मां के बारे में जानने के लिए उस का मन उत्सुक हो उठा.

एक दिन आला को तेज बुखार था और उस के पिता को किसी बहुत जरूरी काम से जाना पड़ा, तो उन्होंने छाया को फोन पर बड़ी विनम्रता से आला की देखभाल करने का आग्रह किया. तभी छाया का उन से परिचय हुआ था. आला की वजह से बहुत बार आमनासामना हो ही जाता था.

‘‘आप को दूसरी शादी कर लेनी चाहिए. आला अपनी मां और परिवार को बहुत मिस करती है,’’ एक दिन आला के पापा डा. राज के साथ टहलते वक्त छाया के मुंह से अचानक निकल गया.

‘‘मैं बेटी के लिए बेहद चिंतित रहता हूं. इसीलिए आज से पहले कभी इस बारे में सोचा ही नहीं, चलिए, संकोच की दीवारें गिर ही गई हैं तो मैं भी आप से पूछना चाहता हूं कि इस छोटी सी उम्र में अपनी जिंदगी के प्रति इतनी उदासीनता की क्या कोई खास वजह है? कई बार अजनबियों के साथ अपना फीलिंग शेयर करने से मन हलका हो जाता है और आत्मग्लानि के बोध से भी नहीं दबना पड़ता,’’ आला के पिता की आवाज में न जाने क्या था कि छाया रोक नहीं पाई अपनेआप को.

निशीथ का यों घाव दे कर उस की जिंदगी से अलग हो जाना, डिप्रैशन में आ कर अपने कैरियर के पहले ही पड़ाव पर असफल हो एक मासूम जिंदगी से उस की मां को छीन लेना. सब कुछ परदे पर चल रही फिल्म सा उस के सामने से गुजर रहा था और वह तो सिर्फ अपनी जबान से बयां कर रही थी. भूल गई थी कि आला के पिता उस के लिए अजनबी ही तो हैं, जिन से कुल मिला कर यह 5वीं बार ही तो मिल रही थी वह. सब कुछ बताने के बाद वह चुप हो गई. अपनी भावुकता से उबरी तो शर्मिंदगी के भाव से चेहरा छिपा लिया. गहन चुप्पी पसर गई वहां.

‘‘बुरा न मानना छाया, अपने सारे दुखों के लिए आप स्वयं दोषी हैं. दरअसल, आप अपनेआप को सूरजमुखी बना लिया है, ऐसा फूल जो खुद खिलने के लिए सूर्य की किरणों का मुहताज है. सूरज के बिना उस की अपनी कोई पहचान ही नहीं. आप ने निशीथ जैसी एक असफलता को सूरज मान न मिलने पर निराशा का गहन तानाबाना बुन लिया है अपने चारों ओर. वह तो प्रकृति के नियमों में बंधा एक फूल है पर आप तो इंसान हैं. सोचनेसमझने की शक्ति रखने वाली प्रकृति की सब से सुंदर रचना.

‘‘अरे, आप को तो यह सोचना चाहिए था कि यदि गलती से आप ने किसी की जान ली है तो सौ लोगों की जान बचा भी तो सकती हैं. आप यदि उस मां की मौत से सचमुच आहत हुई थीं तो उस के प्रायश्चित्त के लिए बदले में 10 लोगों की जान बचाने का संकल्प क्यों नहीं किया आप ने? किसी एक सोच को अपनेआप पर कैसे इतना हावी होने दिया, जिस ने आप की 5 सालों की तपस्या और मांपिता के प्यार, पैसे और सपनों को व्यर्थ कर दिया? आप तो डाक्टर हैं. चोट लगने पर मरहम लगा कर उसे ठीक करना जानती हैं. फिर इस जख्म को नासूर कैसे बनने दिया? अपनी दुनिया से बाहर झांक कर तो देखिए कितने दुखी हैं लोग.’’ और फिर राज चुप हो गया.

11 तरीकों से हटाएं डार्क सर्कल्स

आप की खूबसूरती आप के चेहरे से शुरू होती है. लोगों की नजर सब से पहले चेहरे पर ही जाती है. ऐसे में भले ही आप की रंगत इतनी आकर्षक न हो जितना आप चाहती हैं, लेकिन आप की आंखों की चमक सब से अधिक माने रखती है. इस के विपरीत अगर आप बेहद खूबसूरत हैं, आप की त्वचा आकर्षक है लेकिन आंखों के नीचे काले घेरे हों तो यह आप की खूबसूरती में दाग लगने जैसा होता है.

आंखों के नीचे काले घेरों यानी डार्क सर्कल्स थकान, नींद न पूरी होना, तनाव, उम्र बढ़ने के कारण होते हैं.वैसे तो महिलाएं डार्क सर्कल्स को छिपाने के लिए मेकअप का सहारा लेती हैं, लेकिन मेकअप के बजाय प्राकृतिक तरीके से काले घेरे हटाने के उपाय किए जाने चाहिए. यहां कुछ आसान घरेलू उपाय बता रहे हैं जिन्हें अपना कर आप आसानी से आंखों के नीचे के काले घेरों को दूर कर सकती हैं:

  1. काले घेरों पर लगाएं ठंडा दूध

दूध का इस्तेमाल हर घर में होता है. डार्क सर्कल्स हटाने के लिए ठंडा दूध उपयोग में लाया जा सकता है. एक कटोरी में दूध ले कर उस में कौटन बौल को भिगो लें. इस के बाद उसे आंखों के नीचे काले घेरों को कवर करते हुए रखें. लगभग 20 मिनट के लिए आंखों पर रहने दें. बाद में ताजे पानी से आंखें धो लें. अगर आप नियमित सुबह और रात में यह प्रक्रिया दोहराती हैं तो जल्दी असर देखने को मिलेगा.

2. गुलाबजल और दूध

ठंडा दूध और गुलाबजल बराबर मात्रा में मिलाएं. मिश्रण में 2 कौटन बौल्स भिगोएं. इन्हें आंखों के ऊपर रख कर डार्क सर्कल्स को कवर कर लें. इन्हें 20 मिनट तक लगा रहने दें. फिर ताजे पानी से धो लें. काले घेरे हटाने के लिए इस प्रक्रिया को हफ्ते में 3 बार दोहरा सकती हैं.

3. बादाम का तेल और दूध

बराबर मात्रा में ठंडे दूध में बादाम का तेल मिलाएं. इस में 2 कौटन बौल्स डुबोएं. कौटन बौल्स को आंखों पर इस तरह रखें कि डार्क सर्कल्स कवर हो जाएं. फिर 15-20 मिनट लगाए रखने के बाद ताजे पानी से धो लें.

4. टमाटर

डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाने के लिए टमाटर की मदद भी ले सकती हैं. इस के लिए टमाटर के बीज निकाल दें और इस में नीबू की कुछ बूंदें डाल कर फ्रिज में ठंडा होने दें. ठंडा होने के बाद इसे डार्क सर्कल्स पर लगाएं. आधे घंटे बाद साफ पानी से धो लें. रोजाना ऐसा करने से काले घेरे कम होते जाएंगे.

5. आलू का रस

आलू भी डार्क सर्कल्स कम करने में मदद करता है. आलू को कद्दूकस कर उस का जूस निकाल लें. फिर थोड़ी सी रुई आलू के रस में पूरी तरह भिगो कर आंखों पर रखें.

6. टी बैग्स

टी बैग सिर्फ झटपट चाय बनाने के काम ही नहीं आता बल्कि इसे आप काले घेरों से भी छुटकारा पा सकती हैं. इन्हें कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें. जब ये ठंडे हो जाए तो इन्हें आंखों पर रखें. यह प्रक्रिया दिन में कम से कम 2 बार दोहराएं.

7. संतरे का जूस

संतरे के जूस में कुछ बूंदें ग्लिसरीन मिला कर इस मिक्स्चर को काले घरों के ऊपर लगाएं. इस से न सिर्फ काले घेरे कम होंगे बल्कि आंखों में भी चमक आएगी.

8. खीरा

खीरे का आंखों की सेहत से सीधा संबंध है. इस के लिए आप को खीरे को आधे घंटे तक फ्रिज में रखना होगा और फिर उस के स्लाइस काट कर आंखों पर रखने होंगे. इन स्लाइसेज को 10 मिनट तक आंखों पर रखा रहने दें और फिर आंखें धो लें. आप फ्रैश महसूस करेंगी और कुछ दिनों में डार्क सर्कल्स भी कम होने लगेंगे.

9. पुदीने की पत्तियां

डार्क सर्कल्स से निबटने के लिए पुदीने का इस्तेमाल भी किया जाता है. पुदीने की कुछ पत्तियों को पीस कर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को डार्क सर्कल्स पर लगाएं. 10 मिनट तक लगाए रखने के बाद ठंडे पानी से धो लें. इसे रोजाना रात में लगाएंगी तो हफ्तेभर में फर्क दिखने लगेगा.

10. छाछ और हल्दी

हल्दी ऐंटीबायोटिक होती है. 2 चम्मच छाछ में चम्मच भर हल्दी मिला लें. फिर इस पेस्ट को डार्क सर्कल्स पर लगाएं और 10 मिनट तक लगा रहने दें. इस के बाद गरम पानी से धो लें. डार्क सर्कल्स धीरेधीरे कम होने लगेंगे.

11. शहद और नीबू

1 चम्मच कच्चे दूध में नीबू का रस मिला लें. जब दूध फट जाए तो उस में 1 चम्मच शहद मिला कर इस मिश्रण को आंखों पर लगा कर कुछ देर तक मसाज करें. फिर 10 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें.इस तरह इन घरेलू उपायों को अपना कर आप अपनी आंखों की खूबसूरती फिर से वापस पा सकती हैं.

न्यूली कपल का टिपटौप घर

मुंबई की एकता सोसाइटी के फ्लैट नंबर-15बी में इशिता मेहरा और मंयक मेहरा 2 महीने पहले शिफ्ट हुए हैं. आज जब इशिता की सहेली नमिता मुखर्जी उस के घर आई तो वह घर का हाल देख कर हक्कीबक्की रह गई. वह सम?ा नहीं पा रही थी कि घर की हालत इतनी खराब कैसे है, जबकि इन के घर में तो अभी कोई छोटा बच्चा भी नहीं है. फिर भी घर का सारा सामान इधरउधर फैला है. जब नमिता किचन में गई तो वहां की हालत देख उस से रहा नहीं गया.

इशिता, तुम ने घर की यह क्या हालत बना रखी है? कोई भी सामान सही जगह नहीं रखा है. ऐसे बिखरे घर में तुम कैसे रह सकती हो?इशिता ने उत्तर दिया, ‘‘यार, मैं वर्किंग वूमन हूं. मैं काम करतेकरते थक जाती हूं. मुझे अपने लिए तो वक्त मिलता नहीं है घर की साफसफाई के लिए कैसे वक्त निकालूं. मंयक भी आते ही टीवी देखने लगते हैं. घर के कामों में बिलकुल हैल्प नहीं करते हैं.’’ नमिता ने उसे समझते हुए कहा, ‘‘ऐसे घर फैला हुआ अच्छा नहीं लगता है. अगर घर में कोई आएगा तो यही कहेगा कि तुम बहुत आलसी हो. रही बात वक्त न होने की तो वक्त होता नहीं है, निकालना पड़ता है.

अगर तुम कोशिश करो तो घर और औफिस दोनों मैनेज कर सकती हो. इस बारे में मंयक से भी बात करो. उसे सम?ाओ कि तुम भी वर्किंग हो. ऐसे में तुम्हें घर और औफिस दोनों एकसाथ संभालने में प्रौब्लम हो रही है. अत: वह भी घर के कामों में तुम्हारा हाथ बंटाए.  ‘‘इस के अलावा तुम दोनों चाहो तो कोई मेड लगवा सकते हो. इस के बाद भी तुम्हें और मयंक को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे घर आते ही शूज और चाबियां सही जगह रखना.‘‘इशिता तुम तो जानती हो कि घर को मैनेज करना आसान नहीं है. एक वर्किंग वूमन जब औफिस से थक कर घर आती है तो वह भी चाहती है कि वह अपने पार्टनर के साथ कुछ रोमांटिक क्षण जीए. लेकिन फैले घर में ये सब पौसिबल नहीं है.

इस के लिए घर का व्यवस्थित होना बहुत जरूरी है. घर के सही से मैनेज न होने पर अकसर कपल्स में लड़ाई झगड़े होने लगते हैं. इस से उन की रिलेशनशिप में प्रौब्लम आ जाती है जो बिलकुल सही नहीं है. इसलिए कपल्स को मिल कर घर को मैनेज करना चाहिए ताकि लोग उन की मिसाल देते न थकें.’’

पर्सनल स्पेस जरूरी 

माना कि घर को हमेशा साफसुथरा और टिपटौप रखना कोई चुटकी बजाने का काम नहीं है. एक वर्किंग वूमन के लिए तो यह और भी मुश्किल है क्योंकि उसे 2 काम करनी पड़ती हैं. एक औफिस की और दूसरी घर की. फिर भी ऐसे कुछ तरीके हैं जिन के जरीए आप घर और औफिस दोनों को अच्छे से मैनेज कर सकती हैं. आइए, जानते हैं उन तरीकों को. अगर आप न्यूली मैरिड कपल हैं और आप अपना घर किराए पर लेने जा रहे हैं तो कोशिश करें कि कम से कम आप 2 बीएचके लें. इस के कई फायदे हैं. जैसे किसी गैस्ट के आप के घर में रुकने पर आप और आप के पार्टनर को अलगअलग नहीं सोना पड़ेगा. जब एक पार्टनर को पर्सनल स्पेस चाहिए होती है तो भी 2 बीएचके का फ्लैट फायदेमंद साबित होता है.

कभीकभी कपल्स में मनमुटाव या कहें लड़ाई झगड़ा हो जाता है. इस की वजह से वे अलगअलग सोने लगते हैं. एक रूम होने पर उन में से किसी एक को हौल में सोना पड़ता है. लेकिन 2 बीएचके का फ्लैट होने से उन की यह प्रौब्लम सौल्व हो जाएगी. वहीं अगर 1 बीएचके का फ्लैट होगा तो पार्टनर सोफे पर सोएगा. ऐसे में जब आप उसे मनाने के लिए जाएंगे तो सोफे पर इतनी स्पेस नहीं होगी कि आप अपने पार्टनर के साथ लेट सकें. लेकिन दूसरे रूम में यह पौसिबल है. साथ लेटने से हो सकता है कि आप का नाराज पार्टनर अपनी नाराजगी भूल जाए.

बैडरूम है खास  बात बैडरूम की करें तो इसे पूरी तरह से रोमांटिक बनाएं. वालपेपर का कलर ऐसा हो जो आप दोनों को पसंद हो. इस बात का ध्यान रखें कि यह रोमांटिक थीम बेस हो. बैडरूम विंडो पर कर्टन जरूर हो. यह कर्टन अट्रैक्टिव होना चाहिए. रूम वालपेपर के अनुसार ही कर्टन का कलर और डिजाइन रखें.  बैडरूम में 2 तरह की लाइटिंग करें. दिन के समय नौर्मल लाइट और रात के समय रैड कलर की छोटीछोटी लाइट्स हो सकती हैं.

इन लाइट्स में रोमांस करते हुए आप को और आप के पार्टनर को ज्यादा मजा आएगा. कपल के लिए इसे बैस्ट माना जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि बैडरूम में एक कालीन भी हो. अगर आप न्यूली मैरिड कपल हैं तो आप अपनी इंगेजमैंट, शादी या रिसैप्शन की एक बड़ी तसवीर बैडरूम में बैड के पीछे लगा दें. इस के अलावा आप अपने बैडरूम को क्यूट और रोमांटिक मूमैंट से भरे फोटो कोलाज से सजा सकती हैं जो आप को आप की लाइफ के सुनहरे पलों की याद दिलाएंगे. बैडशीट में आप वहाइट, रैड, लाइट पिंक, लाइट यलो, क्रीम या औरेंज कलर को अपना सकती हैं.

बैडरूम में वार्डरोब एक कोने में रखें. यह बैड से थोड़ा दूर होना चाहिए. इस में बने अलगअलग खानों में कपड़ों को सैट करें. लौकर में अपनी ज्वैलरी और अन्य कीमती सामान रख सकती हैं. अगर वार्डरोब में अलग से फुटवियर रखने की जगह है तो उन्हें वहां रख सकती हैं.

काली पौलिथीन है फायदेमंद

घर और बाथरूम की डस्टबिन में काली पौलिथीन का ही यूज करें ताकि उस का कूड़ा दिखाई न दे. सफेद पौलिथीन में रखा कूड़ा दिखाई देता है जो बहुत बुरा लगता है. खासकर बाथरूम में. अगर बाथरूम की डस्टबिन में सफेद पौलिथीन का प्रयोग किया जाएगा तो उस में यूज किया सैनिटरी पैड, यूज किया कंडोम भी होगा जो न सिर्फ देखने में गंदा लगेगा बल्कि यह आप का इंप्रैशन भी खराब करेगा. इसलिए डस्टबिन में हमेशा काली पौलिथीन का ही प्रयोग करना चाहिए.

अगर बात की जाए डस्टबिन में पौलिथीन का यूज ही क्यों करना है तो इस का फायदा यह है कि पौलिथीन यूज करने का फायदा यह है कि सारा कूड़ा उसी में होगा. सफाई करते वक्त सफाई कर्मचारी बस पौलिथीन को निकाल कर ले जाएगा. इस से आप को डस्टबिन को बारबार धोना नहीं पड़ेगा.

न्यूली कपल और किचन

न्यूली कपल के लिए किचन न सिर्फ खाना बनाने की जगह है बल्कि यह रोमांस की भी बढि़या जगह है. इसलिए जब भी घर लें तो किचन का भी पूरा ध्यान रखें. किचन बड़ी और हवादार होनी चाहिए. इस के अलावा यह मौड्यूलर भी होनी चाहिए. कुछ फेमस मौड्यूलर किचन डिजाइन हैं. एल शेप मौड्यूलर किचन डिजाइन, यू शेप मौड्यूलर किचन डिजाइन, पैरालल डिजाइन, आइलैंड डिजाइन और ओपन डिजाइन.मैसी किचन किसी को नहीं भाती है.

मैसी किचन का मतलब आप का मन और पेट हमेशा मैसी रहना. इसलिए किचन यूज करने के बाद सभी डब्बे और अन्य सामान सही जगह रखें. गैस स्टोव क्लीन करें. सिंक में पड़े बरतनों को धो लें. उन्हें बाद के लिए टालें नहीं. कई बार छोटीछोटी चीजें आप और आप के पार्टनर के बीच दूरियां ला सकती हैं. मैसी किचन उन्हीं में से एक है.

जैसे कभी आप का पार्टनर कुछ नए और अलग अंदाज में आप से रोमांस करना चाहता है. लेकिन मैसी किचन देख कर उस का मूड खराब हो जाता है. इस तरह मैसी किचन आप की रिलेशन के लिए बिलकुल सही नहीं है.

इस बात का भी ध्यान रखें कि ऐसे मूमैंट्स आप अपने पार्टनर के साथ तभी एंजौय कर सकते हैं जब आप उन का हाथ बंटाएंगे. इस का फायदा यह भी है कि आप का काम भी निबट जाएगा और रोमांस भी हो जाएगा. अकेले रहने का एक लाभ यह भी है कि आप को मांओं की तरह ढेरों तरह के कंटेनरों में फालतू सामान नहीं रखना होगा.

डाइनिंगटेबल को रखें क्लीन  

डाइनिंगटेबल का चयन करते वक्त आप मौडर्न सर्किल डाइनिंगटेबल, ग्लास सर्कल डाइनिंगटेबल और मार्बल सर्कल डाइनिंगटेबल को चुन सकती हैं. ये सभी आजकल बहुत ट्रैंड में हैं. डाइनिंगटेबल को हमेशा क्लीन रखें. उस पर कवर बिछा कर रखें. उस पर पानी की एक बोतल जरूर हो. इस के अलावा उस पर 2 गिलास, चम्मच का सैट, आचार, टेबल साल्ट भी हो. आप उस पर कुछ फ्रैश फ्रूट या आर्टिफिशियल फ्रूट भी रख सकती हैं. इस के अलावा डिफरैंट टाइप की सौंफ और कैंडी रखें. लगना चाहिए कि आप न्यूक्लीयर फैमिली में रहने को ऐंजौय कर रहे हैं.

हौल को रखें टिपटौप

नए कपल का घर इस तरह डिजाइन और डैकोरेट हो कि यह उन के बीच रोमांस को बढ़ाने में हैल्प करे. हौल में लगे वौलपेपर लाइट कलर के हों. यहां थ्री डी वौलपेपर एक अच्छा औपशन हैं. जैसे ट्री वौलपेपर. इस के अलावा थी ड्री इल्यूजियम वौलपेपर भी आजकल बहुत ट्रैड में है.  सोफे पर हैंडलूम या रौयल कवर लगा सकते हैं. ये लोगों का ध्यान जल्दी आकर्षित करते हैं. इस के अलावा हौल को हैंडलूम डैकोरेटेड सामान से सजा सकते हैं. वहीं स्विच बोर्ड के आसपास आप स्विच बोर्ड स्टिकर लगा सकते हैं. आप अपने हाथों की छाप छोड़ने वाला कपल ‘होल्डिंग हैंड मोल्डिंग’ भी हौल में सजा सकते हैं. लोग आप और आप के घर की तारीफ करते नहीं थकेंगे और सब की चहेती बन जाएंगी.

लाइट्स को दें रोमांटिक टच 

न्यूली कपल की लाइफ में रोमांस बहुत महत्त्वपूर्ण होता है. आप के घर में सिर्फ आप और आप का पार्टनर रहता है. इसलिए आप के पास रोमांस की कई जगहें हैं जैसे लिविंगरूम, किचन, बैडरूम, बाथरूम.अगर आप लिविंगरूम में रोमांस करना चाहती हैं तो आप को वहां की डैकोरेशन से ले कर लाइटिंग तक का ख्याल रखना होगा. लिविंगरूम में सोफा, काउच, टीवी, बुक शैल्फ, टेबल होनी जरूरी है. सोफे के पास एक कालीन भी बिछा होना चाहिए. डैकोरेशन के लिए छोटेछोटे एंटीकपीस, फलास्क रखे जा सकते हैं. इस बात का खास ध्यान रखें कि इन सभी चीजों की समयसमय पर सफाई करते रहें. इस के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल  किया जा सकता है.

अगर बात करें लाइट की तो काम करते समय नौर्मल लाइट रखें. वहीं रोमांस करते टाइम या मूवी देखते हुए रैड और ब्लू कलर की डिम लाइट का यूज किया जा सकता है. यह न सिर्फ आप के रोमांस को बेहतर बनाएगी बल्कि आप की चौइस की तारीफ भी चारों ओर होगी.

रूम फ्रैशनैस का करें यूज 

न्यूली कपल के घर में रूम फ्रैशनैस का इस्तेमाल ऐसे हैं जैसे दाल में तड़का लगा कर उस की खूबसूरती बढ़ाना. आप अपने घर में रूम फ्रैशनैस स्प्रे रखें. अगर आप एक वर्किंग वूमन हैं और आप के पास बारबार स्पे्र करने का समय नहीं है तो आप रूम फ्रैशनैस मशीन की हैल्प भी ले सकती हैं. मार्केट में ऐसी बहुत सी रूम फ्रैशनैस की मशीनें मिलती हैं जैसे गोदरेज, एअर विक्क, रूबरू, पार्क ऐवैन्यू, रोजमूर, मंगलम कैमप्योर, मीनीसो और ओडौनिल. इस में कई फ्लेवर आते हैं जैसे जैस्मीन, रोज, सनफ्लौवर, लैवेंडर. इस का फायदा यह है कि जब कभी भी आप या आप के गैस्ट घर में ऐंट्री करें तो उन का वैलकम भीनीभीनी खुशबू के साथ हो न कि उदासीनता के साथ.

सलीके से रखें चीजें एक घर की खूबसूरती सिर्फ उस घर की बनावट में नहीं है बल्कि उस घर की चीजों को सलीके से रखने में भी है. ऐसा कई बार होता है कि जल्दीजल्दी में बाहर जाने के लिए हम अपनी चीजों को इधरउधर रख कर या कहें छोड़ कर चले जाते हैं.

वापस आने पर इतने थके होते है कि चीजों को समेटने तक की भी हिम्मत नहीं होती है. हम थक कर सो जाते हैं. अत: जब भी बाहर जाएं तो अपने सारे सामान को सही जगह पर रख कर जाएं ताकि जब आप को वह सामान चाहिए हो आसानी से मिल जाए. आप को इस के लिए परेशान न होना पड़े.

कई लोगों की आदत होती है कि वे नहा कर गीला टौवेल बैड पर ही छोड़ देते हैं जो बुरी आदत है. ऐसी कुछ लड़कियां भी होती है जो बाल पोंछने के बाद टौवेल बैड पर ही छोड़ देती हैं. ऐसा करना गलत होता है. बालों को पोंछने के बाद टौवेल को सूखने डाल देना चाहिए और बाल सूखाने के लिए ड्रायर का प्रयोग करें. आप दोनों पार्टनर को अपनीअपनी चीजें इस्तेमाल करने के बाद उन्हें सही जगह रखना चाहिए.

जरूरी है शूरैक

न्यूली कपल के पास कपड़ों के कलैक्शन के हिसाब से शू और स्लीपर होते हैं. अगर बात की जाए लड़कियों के स्लीपर की तो इन की संख्या ज्यादा होती है. इन्हें रखने के लिए स्पेस भी ज्यादा चाहिए होती है.  मार्केट में डिफरैंट टाइप के शूरैक आते हैं. जैसे लकड़ी, प्लास्टिक और मैटल के शूरैक.अगर आप अपने घर को साफसुथरा और चमकदार बनाना चाहती हैं तो घर में ऐंटर होने से पहले घर के मेन गेट के बाहर डोरमैट जरूर रखें ताकि घर में आने वाले लोग  पहले अपने शूज में लगी गंदगी को वहां साफ कर सकें.

हैंड टौवेल की इंपौर्टैंस

कई बार तब तकलीफदेहज मूमैंट हो जाता है जब खाना खाने के बाद रौस्ट हाथ धोने के बाद उन्हें पोंछने के लिए इधरउधर हैंड टौवेल ढूंढ़ने लगते हैं. लेकिन वहां कहीं हैंड टौवेल नहीं होता. ऐसे में गैस्ट कुछ बोल नहीं पाते. वहीं इन्वाइट करने वाला कपल अपमानित फील करता है. इसलिए वाशरूम और बाथरूम के बाहर हैंड टौवेल जरूर रखें.  इस के अलावा वाशबेसिन के पास भी एक हैंड टौवेल जरूर रखें ताकि किचन का काम करने के बाद हाथ धोने के बाद पोंछ सकें. हैंड टौवेल साफ रहने चाहिए.

वाशरूम रहे क्लीन 

सोचो क्या हो जब गैस्ट ने आप के घर की साफसफाई और देखरेख की तारीफ की हो, लेकिन वाशरूम में जाते ही सिर को चकरा देने वाली बदबू से जब उन का सामना हुआ तो उन्हें लगा जैसे उन्होंने तारीफ कर के गलती कर दी हो. इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए वाशरूम क साफ किया जाना बहुत जरूरी है. यह नहीं भूला जाना चाहिए कि न्यूली कपल के लिए वाशरूम सिर्फ नहाने के लिए ही नहीं होता बल्कि यह रोमांस की भी एक जगह है. इसलिए यहां हाइजीन का खास खयाल रखना चाहिए. हाइजीन के लिए कपल अलगअलग टावल का यूज कर सकते हैं.

शावर न्यू स्टाइल के होने चाहिए. खुशबू के लिए रूम फै्रशनर या ओडोनील का इस्तेमाल किया जा सकता है. बाथ ऐक्सैसरीज भी होनी चाहिए. अगर आप का वाशरूम और बाथरूम एकसाथ हैं तो स्मैल होने के ज्यादा चांस होते हैं. इस स्मैल को खत्म करने के लिए टौयलेट फ्लश टैंक में टौयलेट बाउल क्लीनर डाल सकते हैं. वाशरूम में एक डस्टबिन भी होनी चाहिए जिस में काली पौलिथीन लगी हो.

जरूरी है मैट  

बड़ीबड़ी चीजों के चक्कर में हम हमेशा छोटी चीजों को भूल जाते हैं. मैट उन्हीं में से एक चीज है. कई बार हमारे स्लीपर और शूज में धूलमिट्टी लगी होती है. यह मिट्टी मैट न होने के कारण हमारे साथसाथ घर में आ जाती है. इसलिए घर के हर दरवाजे पर एक मैट होना बहुत जरूरी है ताकि पैरों में लगी गंदगी घर के अंदर न आए.न्यूली कपल अपनी रिलेशनशिप को ऐंजौय करना चाहते हैं, लेकिन फैला हुआ घर देख कर पार्टनर करीब आने की जगह दूरदूर भागने लगता है. पार्टनर को करीब लाने के लिए आप को थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी.

इस के लिए सब से पहले आप फैले घर को व्यवस्थित कर लें. उस के बाद अपने रिश्ते को.लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि घर समेटतेसमेटते आप का रिलेशन बिखर न जाए. आप घर और औफिस दोनों को मैनेज कर सकती हैं. इस में अपने पार्टनर की हैल्प भी लें. कुछ चीजों को खरीदने में आप को लग सकता है कि आप का बजट गड़बड़ा रहा है पर बाद में जब सुकून मिलने लगेगा तो यह सही इनवैस्टमैंट ही लगेगी.

प्रीडायबिटीज: आसान है इलाज

डायबिटीज पूरी दुनिया के लिए बड़ी चिंता का विषय है. हर साल लाखों लोग पीडि़त होते हैं. लेकिन इस से भी अधिक चिंताजनक बात है युवाओं में डायबिटीज के मामलों का लगातार बढ़ना. इस बारे में जयपुर के ‘मंगलम प्लस मैडिसिटी हौस्पिटल’ के कंसल्टैंट डायबिटोलौजिस्ट और ऐंडोक्राइनोलौजिस्ट डा. अभिषेक प्रकाश कहते हैं कि जब शरीर में ब्लड शुगर का लैवल सामान्य से थोड़ा अधिक हो,  तो उसे प्रीडायबिटीज या बौर्डरलाइन डायबिटीज कहा जाता है, लेकिन शुगर लैवल इतना ज्यादा  भी नहीं होता कि उसे टाइप-2 डायबिटीज बताया जा सके. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 10.3% लोग प्रीडायबिटीज से पीडि़त हैं.

प्रीडायबिटीज को हलके में न लें क्योंकि प्रीडायबिटीज के साथसाथ दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. प्रीडायबिटीज से पीडि़त लोगों को सेहत से जुड़ी दूसरी समस्याएं होने की संभावना भी अधिक होती हैं, जिन में हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल और मोटापा शामिल है.

प्रीडायबिटीज के कारण द्य प्रीडायबिटीज कई वजहों से हो सकती है जिन में जेनेटिक कारण के अलावा खराब जीवनशैली तथा पर्यावरण से संबंधित कारक शामिल हैं.

  • खराब जीवनशैली का प्रीडायबिटीज में सब से ज्यादा योगदान होता है. इस के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
  •  अधिक वजन या मोटापा प्रीडायबिटीज की सब से बड़ी वजह है. जरूरत से ज्यादा वजन, खासतौर पर कमर के इर्दगिर्द अतिरिक्त वजन बढ़ने से इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.
  • सेहत के लिए हानिकारक आहार मसलन रिफाइंड कार्ब्स और चीनी से भरपूर आहार के सेवन से वजन बढ़ने के साथसाथ इंसुलिन प्रतिरोध भी बढ़ सकता है.
  •  आरामदायक जीवनशैली और बेहद कम शारीरिक गतिविधि की वजह से भी इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है.
  •  पौलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम पीसीओएस और ओब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ओएसए जैसी सेहत से जुड़ी कुछ समस्याएं भी प्रीडायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकती हैं. लक्षण अकसर प्रीडायबिटीज में कोई लक्षण नजर नहीं आती है, इसलिए बहुत से लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि वे इस समस्या से पीडि़त नहीं हैं.

हालाकि कुछ लोगों को डायबिटीज जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है, मसलन:

  •  अधिक प्यास लगना
  •  बारबार पेशाब आना.
  • थकान होना.
  • नजर कमजोर होना.
  • हाथपैरों में सुन्नता या झनझनटन.

बारबार संक्रमण होने, गरदन, बगल, घुटनों पर त्वचा का काला पड़ने पर जांच करा लेनी चाहिए. ब्लड टैस्ट के जरीए प्रीडायबिटीज का पता लगाया जा सकता है, जिसे एचबीएवीसी टैस्ट कहा जाता है. इस परीक्षण में पिछले 2-3 महीनों के दौरान शरीर में ब्लड शुगर के औसत रक्त को मापा जाता है.

अगर एचबीएवीसी का लैवल 5.7% और 6.4% के बीच हो, तो उस व्यक्ति को प्रीडायबिटिक माना जाता है. प्रीडायबिटीज की डायग्नोसिस के लिए और भी कई तरह के टैस्ट किए जाते हैं, जिन में फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज एफपीजी, ओरल ग्लूकोज टौलरैंस टेस्ट ओजीटीटी शामिल हैं. इलाज जीवनशैली में बदलाव लाना प्रीडायबिटीज के इलाज का सब से कारगर तरीका है, जिस में सेहतमंद भोजन का सेवन करना, वजन घटाना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है.

अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि शरीर का वजन 5-10% कम करने से डायबिटीज विकसित होने के जोखिम को 58% तक कम किया जा सकता है. इस के अलावा शारीरिक व्यायाम से ब्लड शुगर लैवल को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है. जीवनशैली में बदलाव के अलावा प्रीडायबिटीज के इलाज के लिए दवा भी दी जा सकती है. प्रीडायबिटीज की रोकथाम सेहतमंद जीवनशैली अपनाना प्रीडायबिटीज को रोकने का सब से बेहतर तरीका है.

इस में संतुलित आहार का सेवन करना, स्वस्थ वजन बनाए रखना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है. इस साथ ही धूम्रपान से परहेज करना और शराब के सेवन को सीमित करना भी बेहद जरूरी है. समयसमय पर ऐंडोक्राइनोलौजिस्ट से सलाह लेने और फौलोअप करने से प्रीडायबिटीज का जल्दी पता लगाने और इसे डायबिटीज होने से रोकने में मदद मिल सकती है. प्रीडायबिटीज एक गंभीर स्थिति है, जिस से आगे चल कर डायबिटीज हो सकती है. अत: आवश्यक कदम उठाने से भविष्य में डायबिटीज से पीडि़त होने वाले युवाओं की संख्या को कम करने में मदद मिल सकती है

आफ्टर औल बराबरी का जमाना है

शाम को घर लौटने पर सारा घर अस्तव्यस्त पा कर गिरीश को कोई हैरानी नहीं हुई. शायद अब उसे आदत सी हो चुकी थी. उसे हर बार याद हो आता प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत का वह लेख, जिस में उन्होंने जिक्र किया है कि यदि घर का मर्द गरम रोटियों का लालच त्याग दे तभी उस घर की स्त्री घरेलू जिम्मेदारियों के साथसाथ अपने कैरियर पर भी ध्यान देते हुए उसे आगे बढ़ा सकती है. इस लेख का स्मरण गिरीश को शांतचित्त रहने में काफी मददगार साबित होता. जब शुमोना से विवाह हेतु गिरीश को परिवार से मिलवाया गया था तभी उसे शुमोना के दबंग व्यक्तित्व तथा स्वतंत्र सोच का आभास हो गया था.

‘‘मेरा अपना दिमाग है और वह अपनी राह चलता है,’’ शुमोना का यह वाक्य ही पर्याप्त था उसे यह एहसास दिलाने हेतु कि शुमोना के साथ निर्वाह करना है तो बराबरी से चलना होगा.

गिरीश ने अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी थी. घर के कामकाज में जितना हो सकता मदद करता. उदाहरणस्वरूप, सुबह दफ्तर जाने से पूर्व वाशिंग मशीन में कपड़े धो जाता या फिर कभी कामवाली के छुट्टी मार जाने पर शुमोना घर की साफसफाई करती तो वह बरतन मांज देता. हां, खाना बनाने में उस का हाथ तंग था. कभी अकेला नहीं रहा तो स्वयं खाना बनाना सीखने की नौबत ही नहीं आई. मां के हाथ का खाना खाता रहा. किंतु नौकरी पर यहां दूसरे शहर आया तो पहले कैंटीन का खाना खाता रहा और फिर जल्द ही घर वालों ने सुखसुविधा का ध्यान रखते हुए शादी करवा दी.

घर में घुसने के साथ ही गिरीश ने एक गिलास ठंडा पानी पिया और फिर घर को व्यवस्थित करने में जुट गया. शुमोना अभी तक दफ्तर से नहीं लौटी थी. आज कामवाली फिर नहीं आई थी. अत: सुबह बस जरूरी काम निबटा कर दोनों अपनेअपने दफ्तर रवाना हो गए थे.

‘‘अरे, तुम कब आए? आज मैं थोड़ी लेट हो गई,’’ घर में प्रवेश करते हुए शुमोना बोली.

‘‘मैं भी बस अभी आया. करीब 15 मिनट पहले,’’ गिरीश घर को व्यवस्थित करते हुए बोला.

‘‘आज फिर हमारी टीम में जोरदार बहस छिड़ गई, बस इसीलिए थोड़ी लेट हो गई. वह संचित है न कहने लगा कि औरतों के लिए प्रमोशन पाना बस एक मुसकराहट फेंकने जितना कठिन है. बताओ जरा, यह भी कोई बात हुई. मैं ने भी खूब खरीखरी सुनाई उसे कि ये मर्द खुद को पता नहीं क्या समझते हैं. हम औरतें बराबर मेहनत कर शिक्षा पाती हैं, कंपीटिशन में बराबरी से जूझ कर नौकरी पाती हैं और नौकरी में भी बराबर परिश्रम कर अपनी जौब बचाए रखती हैं. उलटा हमें तो आगे बढ़ने के लिए और भी ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है. ग्लास सीलिंग के बारे में नहीं सुना शायद जनाब ने.’’

‘‘तुम मानती हो ग्लास सीलिंग? लेकिन तुम्हें तो कभी किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा?’’

‘‘मुझे इसलिए नहीं करना पड़ा, क्योंकि मैं एक सशक्त स्त्री हूं, एक सबला हूं, कोई अबला नहीं. कोई मर्द मुझ से जीत कर तो दिखाए.’’

‘‘अब इस मर्द पर तो जुल्म मत करो, डार्लिंग. कुछ खानावाना खिला दो,’’ गिरीश से भूख बरदाश्त नहीं हो रही थी.

‘‘अभी तुम ही ग्लास सीलिंग न होने की बात कर रहे थे न? मैं भी तुम्हारी तरह दफ्तर से आई हूं. तुम्हारी तरह थकी हूं और तुम हो कि…’’

‘‘क्या करूं, खाने के मामले में मैं तुम पर आश्रित जो हूं वरना तुम्हारी कामवाली के न आने पर बाकी सारा काम मैं तुम्हारे साथ करता हूं. अब ऐसा भी लुक मत दो जैसे तुम पर कोई जुल्म कर रहा हूं. चाहे तो खिचड़ी ही बना दो.’’

शुमोना ने मन मार कर खाना बनाया, क्योंकि पहले ऐसा होने पर जबजब उस ने बाहर से खाना और्डर किया, तबतब गिरीश का पेट खराब हो गया था. गिरीश को सफाई का मीनिया था. किंतु शुमोना को अस्तव्यस्त सामान से कोई परेशानी नहीं होती थी. वह खाना खाते समय टेबल पर रखा सामान उठा कर सोफे पर रख देती और सोफे पर पसरने से पूर्व सोफे का सामान उठा कर टेबल पर वापस पहुंचा देती.

गिरीश टोकता तो पलटवार कर कहती, ‘‘तुम्हें इतना अखरता है तो खुद ही उठा दिया करो न. आखिर मैं भी तुम्हारी तरह कामकाजी हूं, दफ्तर जाती हूं. आफ्टर औल बराबरी का जमाना है.’’

एक बार गिरीश की मां आई हुई थीं. दोनों के बीच ऐसी बातचीत सुन उन से बिना टोके रहा नहीं गया.

बोलीं, ‘‘बराबरी की बात तो ठीक है और होनी भी चाहिए, लेकिन समाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ काम अलगअलग मर्द और औरत में बांट दिए गए हैं. मसलन, घर संभालना, खानेपीने की जिम्मेदारी औरतों पर, जबकि घर से बाहर के काम, ताकत, बोझ के काम मर्दों पर डाल दिए गए.’’

लेकिन उन की बात को शुमोना ने एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल दिया. यहां तक कि कमरे के अंदर जब गिरीश शुमोना को बांहों में भरता तो वह अकसर यह कह कर झटक देती, ‘‘तुम मेरी शुरुआत का इंतजार क्यों नहीं कर सकते, गिरीश?’’

‘‘मैं तो कभी जोरजबरदस्ती नहीं करता, शुमोना. तुम्हारा मन नहीं है तो कोई बात नहीं.’’

‘‘मुझ से जबरदस्ती कोई नहीं कर सकता. तुम भी नहीं.’’

‘‘मैं भी तो वही कह रहा हूं कि मैं कोई जबरदस्ती नहीं करता. इस में बहस का मुद्दा क्या है?’’ शुमोना की बेबात की अकड़ में गिरीश परेशान हो उठता.

कुछ माह बाद शुमोना की मां उन के घर रहने आईं. अपनी बेटी की गृहस्थी को देख कर वे बहुत खुश हुईं. मगर उन के समक्ष भी गिरीश शुमोना के बीच होती रहती बराबरी की बहस छिड़ी. गिरीश को अचानक टूअर पर जाना पड़ा. उस ने अपने औफिस से शुमोना को फोन कर के कहा कि उस का बैग तैयार कर दो.

‘‘ऊंह, बस, दे दिया और्डर. मेरे भी अपने काम हैं. अपना काम खुद क्यों नहीं करता गिरीश? अगर उसे कल टूअर पर जाना है, तो जल्दी घर आए और अपना बैग लगाए. शादी से पहले भी तो सब काम करता था न. आफ्टर औल बराबरी का जमाना है.’’

‘‘यह क्या बात हुई, शुमोना? तुम उस की पत्नी हो. यदि तुम उस का घरबार नहीं संभालोगी तो और कौन संभालेगा? अगर अकेलेअकेले ही जीना है तो शादी किसलिए करते हैं? कल को तुम कहने लगोगी कि मैं बच्चे क्यों पैदा करूं, गिरीश क्यों नहीं,’’ शुमोना की मां को उस का यह रवैया कतई रास न आया.

‘‘आप तो मेरी सास की भाषा बोलने लगी हो,’’ उन के मुख से भी ऐसी वाणी सुन शुमोना विचलित हो उठी.

अब उन्होंने थोड़ा नर्म रुख अपनाया, ‘‘बेटी, सास हो या मां, बात दोनों पते की करेंगी. बुजुर्गों ने जमाना देखा होता है. उन के पास तजरबा होता है. होशियारी इसी में है कि छोटों को उन के अनुभव का फायदा उठाना चाहिए.’’

‘‘पर मां, मैं ने भी तो उतनी ही शिक्षा प्राप्त की है जितनी गिरीश ने. मेरी जौब भी उतनी ही कठिन है जितनी गिरीश की. फिर मैं ही क्यों गृहस्थी की जिम्मेदारी ओढ़ूं? आप तो जानती हैं कि मैं शुरू से नारीवाद की पक्षधर रही हूं.’’

‘‘तुम ज्यादती कर रही हो, शुमोना. नारीवाद का अर्थ यह नहीं कि औरतें हर बात में मर्दों के खिलाफ मोरचा खोलना शुरू कर दें. घरगृहस्थी पतिपत्नी की आपसी सूझबूझ तथा तालमेल से चलती है. जहां तक संभव है, गिरीश तुम्हारी पूरी मदद करता है. अब कुछ काम जो तुम्हें संभालने हैं, वे तो तुम ही देखोगी न.’’

मगर मां की मूल्यवान सीख भी शुमोना की नजरों में बेकार रही.

शादी को साल बीततेबीतते गिरीश ने स्वयं को शुमोना के हिसाब से ढाल लिया

था. वह अपनी पत्नी से प्यार करता था और बस यह चाहता था कि उस की पत्नी खुश रहे. किंतु शुमोना का नारीवाद थमने का नाम नहीं ले रहा था. गिरीश के कुछ सहकर्मी, दोस्त घर आए. उन की नई बौस की बात चल निकली, ‘‘पता नहीं इतनी अकड़ू क्यों है हमारी बौस? किसी भी बात को बिना अकड़ के कह ही नहीं पाती.’’

गिरीश के एक सहकर्मी के यह कहते ही शुमोना बिफर पड़ी, ‘‘किसी भी औरत को अपने बौस के रूप में बरदाश्त करना मुश्किल हो रहा होगा न तुम मर्दों के लिए? कोई आदमी होता तो बुरा नहीं लगता, मगर औरत है इसलिए उस की पीठ पीछे उस का मजाक उड़ाओगे, उस की खिल्ली उड़ाओगे, उस के साथ तालमेल नहीं बैठाओगे.’

‘‘अरे, भाभी को क्या हो गया?’’

‘‘शुमोना, तुम हम सब की फितरत से भलीभांति वाकिफ हो, जबकि हमारी बौस को जानती भी नहीं हो. फिर भी तुम उन की तरफदारी कर रही हो?’’ शुमोना के इस व्यवहार से गिरीश हैरान था.

अब तक वह जान चुका था कि शुमोना के मन में मर्दों के खिलाफ बेकार की रंजिश है. वह मर्दों को औरतों का दुश्मन समझती है और इसीलिए घर के कामकाज में बेकार की बराबरी व होड़ रखती है.

उस रात गिरीश तथा शुमोना डिनर पर बाहर गए थे. खापी कर जब अपनी गाड़ी में घर लौट रहे थे तब कुछ मनचले मोटरसाइकिलों पर पीछे लग गए. करीब 3 मोटरसाइकिलों पर 6-7 लड़के सवार थे, जो गाड़ी के पीछे से सीटियां बजा रहे थे और हूहू कर चीख रहे थे.

‘‘मैं ने पहले ही कहा था कि इस रास्ते से गाड़ी मत लाओ पर तुम्हें पता नहीं कौन सा शौर्टकट दिख रहा था. अब क्या होगा?’’ शुमोना काफी डर गई थी.

‘‘क्या होगा? कुछ नहीं. डर किस बात का? आफ्टर औल बराबरी का जमाना है.’’

गिरीश के यह कहते ही शुमोना की हवाइयां उड़ने लगीं. वह समझ गई कि उस की बारबार कही गई यह बात गिरीश को भेद गई है.

अब तक वह बहुत घबरा गई थी. अत: बोली, ‘‘गिरीश, तुम मेरे पति हो. मेरा ध्यान रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है. बराबरी अपनी जगह है और मेरी रक्षा करना अपनी जगह. तुम अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते.’’

गिरीश ने बिना कोई उत्तर दिए गाड़ी इतनी तेज दौड़ाई कि सीधा पुलिस स्टेशन के पास ला कर रोकी. वहां पहुंचते ही मोटरसाइकिल सवार नौ दो ग्यारह हो गए. घर पहुंच कर दोनों ने चैन की सांस ली, किंतु किसी ने भी एकदूसरे से कोई बातचीत नहीं की. गिरीश चुप था, क्योंकि वह तो शुमोना को सोचने का समय देना चाहता था और शुमोना खामोश थी, क्योंकि वह आहत थी. उस ने अपने मुंह से अपनी कमजोरी की बात कही थी.

अगली सुबह गिरीश अपने दफ्तर चला गया और शुमोना अपने औफिस. कंप्यूटर पर काम करते हुए शुमोना ने देखा कि उस के ईमेल पर गिरीश का मैसेज आया है. लिखा था-

‘दुलहन के सिंदूर से शोभित हुआ ललाट, दूल्हेजी के तिलक को रोली हुई अलौट.

रोली हुई अलौट, टौप्स, लौकेट, दस्ताने, छल्ला, बिछुआ, हार, नाम सब हैं मर्दाने.

लालीजी के सामने लाला पकड़े कान, उन का घर पुर्लिंग है, स्त्रीलिंग दुकान.

स्त्रीलिंग दुकान, नाम सब किस ने छांटे, काजल, पाउडर हैं पुर्लिंग नाक के कांटे.

कह काका कवि धन्य विधाता भेद न जाना, मूंछ मर्दों की मिली किंतु है नाम जनाना…

‘‘शायद तुम ने काका हाथरसी का नाम सुना होगा. यह उन्हीं की कविता है. मर्द और औरत का द्वंद्व बहुत पुराना है, किंतु दोनों एकदूसरे के पूरक हैं यह बात उतनी ही सही है जितना यह संसार. यदि आदमी और औरत सिर्फ एकदूसरे से लड़ते रहें, होड़ करते रहें तो किसी भी घर में कभी शांति नहीं होगी. कभी कोई गृहस्थी फूलेगी फलेगी नहीं और कभी किसी बच्चे का बचपन खुशहाल नहीं होगा. इस बेकार की भावना से बाहर आओ शुमोना और मेरे प्यार को पहचानो.’’

उस शाम गिरीश के घर आते ही डाइनिंग टेबल पर गरमगरम भोजन उस की राह देख रहा था. मुसकराती शुमोना उस की बाट जोह रही थी. उसे देखते ही हंसी और फिर उस के गले में बांहें डालते हुए बोली, ‘‘अपना काम मैं कर चुकी हूं. अब तुम्हारी बारी.’’

खाने के बाद गिरीश शुमोना को बांहों में उठाए कमरे में ले चला. शुमोना उस के कंधे पर झुकी मुसकराए जा रही थी.

अक्षरा को पाने के लिए अभिमन्यू रचेगा साजिश, अभिनव की होगी मौत

प्रणाली राठौड़ और हर्षद चोपड़ा स्टारर ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ सीरियल इन दिनों काफी सुर्खियों में है. शो में काफी ड्रामा चल रहा है. वहीं टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में अभिनव की होने वाली है जिसका आरोप अभिमन्यू पर लगने वाला है. ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के बीते एपिसोड में देखने को मिला था कि अभिनव का बर्थडे सेलिब्रेशन होता है बीच में ही अभिमन्यु अभिनव को पहाड़ी की ओर ले जाता है. वहां ये दोनो मिलकर शराब पीते है. लेकिन अभिमन्यू चलाकी से सारी शराब जमीन पर गिरा देते है. आने वाले एपिसोड में काफी ड्रामा देखने को मिलेगा.

अपनी खुशी को जाहिर करेगा अभिनव

प्रणाली राठौड़ और हर्षद चोपड़ा स्टारर ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अभिनव शराब के नशे में अभिमन्यू को बताएगा कि वह बहुत लकी है. उसकी आज फैमिली है. उसकी पत्नी और बेटा है. जो उससे प्यार करते हैं. आज उसका जन्मदिन मनाया जा रहा है. ये उसके लिए सपने के तरह है. अभिनव अभिमन्यु से यह भी कहता है, ‘भाई जी मुझे आपसे एक ही शिकायत है कि आप बार-बार खुद को खराब पिता कहते हैं, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है. आप भी बहुत अच्छे पिता हैं. आज मुझे सिर्फ हैप्पी-हैप्पी वाली फीलिंग आ रही है.’ अभिनव शराब के नशे में तेज-तेज खुशी में चिल्लाता भी है.

पहाडी से गिरकर अभिनव की मौत होगी

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में आगे देखने को मिलेगा कि सब लोग पार्टी के लिए तैयार हो जाते है. सब अक्षरा की तारीफ करते है. उसी समय हर कोई अभिनव और अभिमन्यु को फोन लगाने की बात करते है, लेकिन उनका फोन लगता नहीं है.

वहीं दूसरी ओर पहाड़ी पर अभिनव और अभिमन्यु शराब पीते हैं, लेकिन अभिमन्यु बार-बार अपनी शराब गिरा देता है और वह केवल अभिनव को ही पिलाता है. उसी दौरान शराब के नशे में अभिनव खाई की तरफ जाता है और उसका पैर फिसल जाता है. और फिर अभिमन्यु उसका हाथ पकड़ लेता है, लेकिन वह उसे ऊपर नहीं खींच पाता. अभिनव नीचे गिर जाता है. वहीं शो में देखने को मिलेगा कि ये सब कुछ मनीष गोयनका अपनी आंखों से देखता है और उसे लगता है कि अभिमन्यु ने उसे धक्का दिया है. लेकिन, सीरियल के इस ट्विस्ट से सच भी कुछ ऐसा ही लग रहा है.

BB OTT 2: अभिषेक मल्हान ने जिया को किया hand Kiss! मनीषा रानी के उड़ गए होश

सलमान खान का कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो बिग बॉस ओटीटी 2 इन दिनों काफी सुर्खियों में है. शो को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. वहीं बिग बॉस ओटीटी 2 अपने फिनाले के नजदीक आ गया है. पिछले वीकेंड के वार पर अविनाश सचदेव और जद हदीद घर से बेघर हो गए थे. इस वीक बिग बॉस ओटीटी 2 में जिया शंकर, एल्विश यादव और मनीषा रानी नौमिनेट है. रियलिटी शो बिग बॉस ओटीटी 2 का जल्द ही एंड होने वाला है, लेकिन शो के एंड में अभिषेक मल्हान और जिया शंकर के बीच अलग ही बॉन्ड बनता जा रहा है. दोनों एक-दूसरे के करीब आ रहे है. मगर, ये सब गेम के लिए है असलियत में ऐसा कुछ नहीं है. अभी हाल ही में अभिषेक ने जिया को किस तक कर दिया वो भी मनीषा के सामने.

जानें यह कैसे हुआ

बीबी हाउस के किचन एरिया में मनीषा रानी खाना बना रही होती है. अभिषेक और जिया वहीं बैठे होते है. अभिषेक मनीषा के खाने की कई बार तारीफ कर चुके थे. इतना ही नहीं वह मनीषा के हाथ भी चुम चुके हैं क्योंकि वह उन्हें अच्छा खाना खिलाती है. उसी समय जिया अपना हाथ लेकर आती है और कहती है मेरा भी हाथ चूम मैं तुझे पराठा खिलाती हूं. तू सिर्फ मनीषा की तारीफ करता है. फिर अभिषेक जिया के हाथों पर किस कर देते है. जिया हंसने लगती है फिर शरमाने लगती है.

 

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उर्फी ने जिया को कहा- ‘थाली का बैंगन’

अपकमिंग एपिसोड में बीबी हाउस में उर्फी जावेद आने वाली है. वह जिया को काफी भला-बुरा सुनाती है. जिया को वह काफी नेगेटिव रिव्यू देती है. उर्फी ने जिया को कहा थाली का बैंगन. वह जिया से कहती है, तुम थाली के बैगन की तरह हो इधर-उधर करती हो. तुमने अपने दोस्त अविनाश सचदेव और जद हदीद को धोखा दिया है. तुम्हे लगता है अभिषेक के साथ तुम्हारा बॉन्ड पसंद किया जाएगा इसलिए तुम अभिषेक के साथ हो. इसके बाद जिया काफी इमोशनल हो जाती है उन्हें अभिषेक आकर संभालते नजर आते है.

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