Beauty Tips: महिलाओं के लिए ये 7 ग्रूमिंग टिप्स, जो खूबसूरती में लगाएंगे चार चांद

आज के ट्रेंडिंग दौर में हर कोई खूबसूरत और आकर्षित दिखना चाहता है. घर हो, ऑफिस हो या फिर खुद के लिए सुंदर दिखने की ख्वाहिश हो, आजकल प्रेजेंटेबल और बेहतर ढंग से तैयार होने का महत्व काफी बढ़ गया है. पर्सनल ग्रूमिंग से न सिर्फ आप अच्छी नजर आती,बल्कि आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है और आपकी पर्सनालिटी भी बढ़ती है. आज हम आपको इस लेख के जरिए कुछ खास पर्सनल ग्रूमिंग टिप्स बताने जा रहे है.

  1. त्वचा की देखभाल जरूरी है

सबसे पहले इस बात का ध्यान जरुर रखे कि आपकी आपकी स्किन कैसी है उसी के अनुसार अपनी स्किन की देखभाल करें. आपकी स्किन किस प्रकार की है, उसे जानकर ही मेकअप और स्किन केयर रूटीन को फॉलो करें. बेहतर है कि आप त्वचा को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने के लिए किसी एक्सपर्ट की राय ले लें, क्योंकि जब आपकी त्वचा ग्लो करेगी, तो पूरी पर्सनैलिटी बेहतर लगेगी. आप केमिकल युक्त ब्यूटी केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कम करें। डेली स्किन केयर रूटीन बनाएं.

2. महीने में एक बार जरूर जाएं ब्यूटी पार्लर

स्किन और हेयर्स अगर स्वस्थ नजर आते है, तो आपकी पर्सनैलिटी आकर्षण नजर आती है. बाल, त्वचा, हाथों-पैरों की देखभाल अच्छी तरह से करना बेहद आवश्यक है. आप चाहे एक महीने में एक बार पार्लर ज़रूर जाएं. अच्छी तरह से दिखने के लिए थ्रेडिंग और अप्पर लिप के बालों को हटाना भी बहुत ज़रूरी है. Hand , Legs की वैक्सिंग नियमित रूप से कराएं.

3. लाइट मेकअप करें

हर दिन हेवी मेकअप करके ऑफिस या कहीं बाहर जाना अच्छा नहीं होता. साथ ही मेकअप बिल्कुल भी ना करना भी ठीक नहीं. ऐसे में आप लाइट मेकअप करें. मेकअप दिन और रात के अनुसार ही करें. काजल, कॉम्पैक्ट पाउडर, हल्के रंग की लिपस्टिक लगा सकती हैं. यह सिंपल मेकअप लुक आपको प्रेजेंटेबल और अच्छी तरह से तैयार दिखने में काफी मदद करता है.

 

4. बाल कटवाती रहें

हर समय एक हेयर स्टाइल रखने आपकी पेर्सोनैलिटी पर इफ़ेक्ट पड़ता है.  साल में या हर 6 महीने हेयर कट जरूर करवाएं इससे आपको परफेक्ट लुक मिलेगा. आप अलग-अलग हेयर कट ट्राई कर सकते है. खुले, बिखरे, डल और बेजान बालों से आपका व्यक्तित्व खराब नजर आता है. बता दें कि, अपने चेहरे के आकार के अनुसार हेयर कट करवाएं. इसके साथ ही आप स्प्लिट एंड्स से छुटकारा पाने के लिए हेयर ट्रिम करवा सकते है.

5. बॉडी ओडोर का जरूर ध्यान दें

कुछ लोगों के पसीने से अधिक दुर्गंध आती है. ये दुर्गंध भीड़ में आपको शर्मिंदा कर सकती है. बॉडी ओडोर व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को प्रभावित करता है, इसलिए अपने लिए अच्छी क्वालिटी का परफ्यूम, डियो चुनें. अत्यधिक पसीना आता है, तो डिओडोरेंट्स का भी उपयोग कर सकती हैं.

6. कपड़े का चयन सोच-समझकर करें

अब हर बॉडी शेप पर सभी कपड़े सूट नही करते. ऐसे में कपड़ों का चुनाव अपनी बॉडी टाइप के अनुसार ही करना चाहिए. कपड़े शरीर में अच्छी तरह से फिट हों, आप पर सूट करें. वैसी ही ड्रेस खरीदें, जिसमें आप कंफर्टेबल महसूस करे. आपका ड्रेसिंग सेंस, पहनावे का तरीका भी आत्मविश्वास को बढ़ाता है. इसके अलावा, ऑफिस में भी फॉर्मल और शालीन कपड़े ही पहनें.

7. हेल्थी डाइट लें

इन सभी टिप्स के साथ फिजिकली फिट रहना भी बहुत जरूरी है. इसलिए फिट रहने के लिए हेल्थी डाइट लेना बेहद महत्वपूर्ण है. बैलेंस्ड डाइट से ना सिर्फ आप अपना वजन कम कर सकती हैं, बल्कि यह मेटाबॉलिज्म को भी दुरुस्त रखता है. आप शारीरिक और मानसिक रूप से अच्छा महसूस करेंगी, तो सभी कार्य भी बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगी.

सीख: भाग 2- आखिर वंदना ने कौन-सी योजना बनाई

अगले दिन सुबह वंदना को यह देख कर सचमुच आश्चर्य हुआ कि कविता का भाई उसे मायके ले जाने के लिए आया हुआ है.

विकास के हावभाव से उस की नाराजगी साफ झलक रही थी. इस कारण घर में कोई ज्यादा बोल भी नहीं रहा था.

कविता ने जब विदा ली तब वंदना उसे यह सुनाने से चूकी नहीं, ‘‘भाभी, मुझे मालूम है कि आप मेरे यहां आ कर रहने से खुश नहीं हो. मेरे विदा होते ही आप का कमर दर्द भी ठीक हो जाएगा और यहां वापसी भी आ जाओगी.’’

कविता की आंखों में जो आंसू उभरे उन्हें नाटक बता कर वंदना ने खारिज कर दिया. कविता के न रहने पर वंदना ने घर के कामकाज में अपनी मां का हाथ बंटाना खुशीखुशी किया. विकास उस से नाराज बना रहा. कमला भी चुपचुप रहती. अपने पिता में भी उस ने बदलाव महसूस किया. वे भी गंभीर और सोच में डूबे नजर आते.

मायके आ कर वंदना इस बार न ज्यादा आराम कर सकी न मौजमस्ती. लौटने वाले दिन उसे एक और झटका लगा.

कमला ने उसे अपने पास बैठा कर चिंतित लहजे में जानकारी दी, ‘‘वंदना,

तुम्हारे भाई और पिता दोनों को बिजनैस में अचानक तगड़ा नुकसान हुआ है. कर्जा लेने की नौबत आ गई है.’’

‘‘उफ, यह तो बड़ी बुरी खबर है मां,’’ वंदना की आंखों में फौरन चिंता के भाव उभरे.

‘‘इस बार मनोज से तुम हमारी तरफ से हाथ जोड़ कर माफी मांग लेना.’’

‘‘माफी किस बात के लिए?’’

‘‘हम अपनी मजबूरी के चलते तुम्हारे साथ न कोई सामान भेज पाएंगे, न ही रुपए दे पाएंगे.’’

‘‘इस बात की तुम सब फिक्र न करो.

पहले क्या तुम लोगों ने उन्हें इतना सारा नहीं दे रखा है…’’ सब जल्दी ठीक हो जाएगा और उन सब की अगर कोई शिकायत हुई तो वह दूर हो जाएगी.’’

‘‘जब तक बिजनैस संभल नहीं जाता हम तुम से मिलने भी नहीं आ पाएंगे. तुम अपना

ध्यान रखना बेटी,’’ कमला की आंखों में आंसू छलक आए.

‘‘मेरी फिक्र मत करो मां. मुझे अपने घर में कोई दिक्कत न कभी हुई है न आगे होगी.’’

इसी तरह के आश्वासन अपने पिता व भाई को देते हुए वंदना ने उन दोनों की भी चिंता दूर करने की कोशिश दिल से करी.

वंदना उन के सामने खूब मुसकराती रही, पर वापस घर में कदम रखते हुए उस का मन भी अजीब सी बेचैनी से भर उठा.

यह पहला अवसर था जब वंदना के सामान में सासससुर, ननद व पति को देने के लिए कई सारे उपहार मौजूद नहीं थे. सब को उम्मीद रहती थी कि घर में एसी लगवाने को वह रुपए साथ लाई होगी, पर उस का पर्स खाली था. मनोज के पिता का फोन मनोज के पास आया कि उस के पास कुछ पैसे हों तो वह एक नया सोफा खरीद ले.

‘‘बिजनैस में ज्यादा नुकसान हो जाने के कारण इस बार मैं ने पापा और भैया को अपने ऊपर खर्चा करने से बिलकुल रोक दिया. आप यह बुरी खबर सब को बता देना,’’ मनोज को यह बताते हुए वंदना ने खुद को शर्मिंदा होते महसूस किया, तो उसे अपने ऊपर तेज गुस्सा आया. वह अकेले मनोज के साथ तो रहती थी पर मनोज के मातापिता, भाई और बहन वंदना के लाए सामान को बड़े हक से इस्तेमाल करते थे.

मनोज ने वंदना से कुछ कहा तो नहीं, पर वंदना ने उस की आंखों की चमक को साफ बुझते देखा.

उस रात जब दोनों ड्राइंगरूम में बैठे थे तो वंदना ने बताया कि खाली हाथ आने के प्रति बाकी लोगों की प्रतिक्रिया भी उस के प्रति बड़ी खराब रही.

‘‘आजकल सैंसैक्स उछाल मार कर आसमान छू रहा है और समधीजी का बिजनैस घाटे में चला गया. अपनी समझ में यह बात बिलकुल नहीं आई,’’ मनोज ने अपने पिता की बात दोहराई.

‘‘देखोजी, इस बात का जिक्र करना बंद करो कि खाली हाथ मायके से आई है. यों दोनों घरों की बाहर वालों के सामने बेइज्जती कराने से क्या फायदा है,’’ उस की सास की नाखुशी उन की आवाज की चुभन में साफ झलक रही थी.

‘‘बढ़ती गरमी में इस साल भी सड़ना पड़ेगा,’’ कह मनोज ने उसे यों गुस्से से घूरा जैसे एसी न लगवा कर वंदना ने कोई जुर्म किया हो.

किसी बाहर वाले के सामने वंदना के मायके से खालीहाथ आने का जिक्र नहीं करेंगे, इस बात को कई बार उस के सामने दोहराने के बावजूद किसी ने भी इस पर अमल नहीं किया.

हर रिश्तेदार, पड़ोसी व परिचित के सामने यह बात कह दी गई कि बहू के मायके से मिलने वाली चीजों का दुनिया को लालच हो, पर हमें बिलकुल नहीं है. हमारी वंदना इस बार मायके से खाली हाथ आई है, पर हम मैं से किसी के माथे पर न कोई शिकन है, न मुंह पर शिकायत का एक शब्द.

वंदना ने 2 दिन बाद रात को मनोज से शिकायत करी, ‘‘आप के घर वालों ने यह क्या तमाशा बना रखा है. मुंह से वे कुछ भी कहें,

पर मन लालची हैं सब के और यह बात मेरी समझ में अब अच्छी तरह से आ गई है. यह देख कर मेरे मन को गहरा सदमा लगा है कि उन सब का मेरे प्रति प्यार, उन के व्यवहार की मिठास मेरे मायके से आने वाले सामान और रुपए के कारण ही थी.’’

‘‘मेरे घर वाले लालची नहीं हैं. उन्हें अफसोस इस बात का है कि तुम्हारे मम्मीपापा ने रीतिरिवाज न निभाते हुए तुम्हें यों खाली हाथ भेज दिया. इस कारण हमारी भी बेइज्जती हुई है,’’ मनोज के इस कठोर जवाब को सुन कर वंदना रोंआसी सी हो गई.

कड़वी, चुभने वाली बातें उसे और भी कईर् मामलों में सुनने को मिलने लगीं. उसे नौवल पढ़ने का शौक था. इस बार से पहले मायके जाने से पहले उसे अपने इस शौक को पूरा करने का खूब मौका खुशीखुशी दे देते थे. घर का बहुत सा काम कर देते थे. मनोज की मां भी आए दिन खाना बना देती थी. एक वाई भी आती थी.

घरेलू काम करने वालों पर हिंसा क्यों?

दिल्ली के पास नोएडा में एक 10 साल की घरेलू काम करने वाली लडक़ी के साथ मारपीट करने के बाद न सिर्फ उस की एयर लाइन पायलट मालकिन को कुछ रात जेल में बितानी पड़ीं. दिल्ली में डोमेस्टिक हैंल्पस को रखाने वाली कंपनियों का रजिस्ट्रेशन और पुलिस वैरीफिकेशन भी कंप्लसरी कर दिया गया है. दिल्ली प्राइवेट प्लेसमैंट एजेंसी (एग्ले) आर्डर 2014 को अब सख्ती से लागू किया जाएगा और उस के बिना नौकरियां दिलवाने वाली एजेंसियों के मालिकों के 50000 रुपए तक का जुर्माना भरना होगा.

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में डोमेस्टिक सर्वेंट अब शहरी जीवन को चलाने के लिए एक एसोंशियल सेवा हो गई है और इन की लगातार सप्लाई बहुत जरूरी है. देश के गरीब इलाकों से लडक़ोंलड़कियों को निरंतर कभी लालच देकर, कभी झांसा देकर तो कभी किडनैप कर के लाया जाता है और फिर उन्हें घरों में लगाया जाता है. ये एजेंसी मालिक मोटी कमीशन पाते हैं और नई टैक्नोलौजी ने उन के काम को आसान कर दिया है. ये लोग अब अपने खास सेवकों को पूरी तरह मोबाइल से कंट्रोल भी कर सकते हैं.

सब से बड़ी बात पुलिस वैरीफिकेशन की है. पुलिस वैरीफिकेशन सारे देश के लिए एक आतंक बनती जा रही है. कहने को तो यह नागरिकों की सुरक्षा के लिए होती है पर यह पक्का है कि इस से केवल शरीफ लोगों का रिकार्ड तैयार किया जा सकता है. जो शातिर और अपराधी हैं उन के पास हर तरह के नकली डौक्यूमैंट होंगे और पुलिस लाख चाहे, उन्हें वैरीफाई नहीं कर सकती. दिल्ली, मुंबई या बंगलौर के पुलिस वाले सर्वेंट के दिए गए पते पर सूचना ही भेज सकती है कि यह व्यक्ति वहां का है या नहीं, वह अपराधी किस्म का है या नहीं पता लगा सकती.

जो अपराधी पक्का होगा वह ऐसा काम ही नहीं करेगा जिस में वैरीफिकेशन की जरूरत हो. हजारों ऐसी नौकरियां है जिन में पुलिस वैरीफिकेशन कराने की जरूरत नहीं है जिन में जेबकतरी और प्रौस्टीट्यूशन से ले कर छोटे ढाबों या कारखानें में काम करना शामिल है.

पुलिस वैरीफिकेशन सर्वोंट्स के लिए भी आफत होती है और उन को रखने वाले मालिक के लिए भी. पुलिस वाला अपनी वर्दी में जब चाहे धमक सकता है और भारत में दरवाजे पर पुलिस वाला एक खतरा होता है, सुरक्षा का अहसास नहीं दिलाता. पुलिस का वैरीफिकेशन के नाम पर कुछ पाने के हजार तरीके मिल जाते है. दिल्ली के घरेलू कामगार पंचायत संगर्म के अधिककारी का मानना है कि यह वैरीफिकेशन चाहे अच्छी हो, उस में करप्शन के चांसेस भी बहुत है.

सारे मामले में बड़ी बात यह है कि उस बेचारी घरवाली के प्रति किसी की हमदर्दी नहीं होती जो जैसेतैसे घरेलू सर्वेंट की सहायता या तो दोहरा काम कर पाती है या बड़ा घर संभाल पाती है. घर बैठे बहुत सी सुविधाओं के बावजूद देश की आॢथक स्थिति ऐसी नहीं कि मालकिनें मोटे वेतनों व सुविधाओं के साथ डोमेस्टिक सर्वेंट रख सकें. वे केवल लिङ्क्षवग वेेज, घर का कोई कोना रात बीताने के लिए और घर का खाना दे सकती हैं, वैरीफिकेशन इन की सप्लाई कम कर देती है और नतीजा होता है कि इन के दाम बड़ जाते हैं जो आम मालकिन के बस के नहीं रहते और पति, सासससुर व बच्चों से ज्यादा तनाव इन की मनमानी का होने लगता है.

व्यर्थ डोमेस्टिक सर्वेंट एम्पलायस फेडरेशन जैसी कोई जगह होती जहां मालकिनें अपना रोना रोयातीं.

छोड़ो कल की बातें: कृति के अतीत के बारे में क्या जान गया था विशाल?

विशाल को सूरज के व्यवहार पर बड़ा क्रोध आया. माना कि वह उस का काफी करीबी मित्र है पर इस का यह मतलब तो नहीं कि वह जब चाहे जैसा चाहे व्यवहार करे. आज किसी बात पर बौस ने जब उसे झिड़का तो सामने तो वह चुप रहा पर बाद में मजाक उड़ाने लगा. वह उसे समझता रहा पर वह उसे चिढ़ाता ही रहा. अंत में उस ने उसे काफी खरीखोटी सुना दी. जवाब में उस ने जो कहा वह सुन उस का माथा चकरा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी गर्लफ्रैंड कृति ने तुम से पहले मुझे प्रोपौज किया था. जिसे तुम अपनी गर्लफ्रैंड समझ रहे हो वह सैकंड हैंड गर्लफ्रैंड है.’’

पहले तो यह सुन कर सन्न रह गया था वह पर उसे लगा उस की डांट के जवाब में उस ने गुस्से में यह बात कह दी है. वह सिर्फ उसे दुखी करने के लिए ऐसा कह रहा है. विश्वास उसे नहीं हुआ था उस की बात पर परंतु संदेह तो हो ही गया था. लोगों ने बीचबचाव कर उन्हें अलग कर दिया.

विशाल के मन में संदेह का बीज उपज चुका था. उस ने पहले तो सोचा कि कौल कर कृति से पूछ लिया जाए. पर कुछ सोच कर वह व्यक्तिगत रूप से मिल कर ही उस से बात करना चाहता था. दिनरात उस के मन में यही विचार आ रहे थे कि कृति जिसे वह अपनी गर्लफ्रैंड, अपनी प्रेमिका समझता है वह किसी और को चाहती है.

दोनों प्राय: हर छुट्टी के दिन मिलते थे और घंटों साथ बिताते थे. अगली छुट्टी के दिन जब विशाल की मुलाकात कृति से हुई तो वह कुछ अनमना सा था. कृति को उस का व्यवहार कुछ अटपटा सा लगा.

‘‘क्या बात है विशाल, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’ कृति ने पूछा.

‘‘तबीयत तो ठीक है पर एक प्रश्न है जो मुझे परेशान कर रहा है. मुझे तुम से उस का जवाब चाहिए,’’ विशाल ने कहा.

‘‘मुझ से? ऐसा कौन सा प्रश्न है जिस का जवाब मुझ से चाहिए? मैं कोई प्रोफैसर हूं क्या?’’ कृति ने बात को हलके में लिया और हंसती हुई बोली.

‘‘यह प्रश्न तुम से ही संबंधित है अत: जवाब भी तुम्हीं से चाहिए,’’ विशाल ने कहा.

कृति अब गंभीर हो गई. वह विशाल के लहजे से समझ गई कि जरूर कोई गंभीर मुद्दा है. बोली, ‘‘पूछो.’’

‘‘क्या यह सही है कि तुम सूरज से प्यार करती हो?’’ विशाल ने पूछा.

कृति सकपका गई. उसे तुरंत कोई जवाब नहीं सुझा. वह थोड़ी देर विशाल को देखती रही. फिर बोली, ‘‘ऐसा क्यों पूछ रहे हो?’’

‘‘मुझ से सूरज ने कहा है कि तुम मुझ से पहले उस से प्यार करती थी,’’ विशाल ने कहा.

कृति तुरंत कुछ न कह सकी. पर बात झूठी भी नहीं थी और सूरज ने जब विशाल

से यह बात बता ही दी है तो वह लाख मना करे विशाल शायद न माने. पर उस ने कहा, ‘‘मैं अभी भी सूरज को पसंद करती हूं. पहले भी मैं उस के साथ ही बार बाहर कौफी पीने जा चुकी हूं. लेकिन मैं उस से ज्यादा तुम से प्यार करती हूं. यही कारण है कि मैं तुम्हारे साथ हूं,’’ कृति ने कहा.

विशाल बस उसे देखता रहा. शायद वह कृति की बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा था. उसे संदेह था कि कृति आज भी सूरज को चाहती है और उसे धोखा दे रही है. वह अनमना सा कृति के साथ घूमता रहा. कृति हमेशा की तरह उस के हाथ को अपने हाथ में ले कर चलती तो वह अपना हाथ खींच लेता. कृति उस के कंधे पर सिर रखती तो वह कोई प्रतिक्रिया नहीं करता.

पहले दिन तो कृति ने कुछ नहीं कहा पर बाद में भी जब विधाता का व्यवहार ऐसा ही रहा तो उस ने उसे सम?ाया, ‘‘किसी को पसंद करना और किसी से प्यार करना अलगअलग बात है. मैं सूरज को और कई लोगों को पसंद करती हूं. उन के साथ कभीकभार कौफी पीने, मूवी देखने भी जाती हूं पर प्यार मैं तुम से करती हूं इसलिए हर छुट्टी का दिन तुम्हारे साथ ही बिताती हूं.’’

मगर उस की बातों का विशाल पर कोई असर नहीं पड़ता और कृति धीरेधीरे नाराज रहने लगी. विशाल भी उस से दूरी बना कर रहने लगा. इस बीच सूरज ने विशाल से माफी मांग ली और दोनों फिर से पहले की तरह ही रहने लगे. पर कृति के प्रति विशाल के मन में अभी भी वही नाराजगी की भावना थी. उस के मन में उस के साथ ब्रेकअप करने का विचार आने लगा. वैसे एक मन यह भी कहता था कि कृति की बात को वह मान ले और उस के साथ पहले की तरह जीवन बिताए. पर पता नहीं क्यों वह इस बात के लिए कुछ ही देर तक तैयार होता था.

कुछ ही देर में संदेहरूपी सांप अपना फन उठा लेता था. सूरज भी उन के बीच आई दरार के लिए खुद को दोषी मानता था पर कृति के प्रति विशाल के मन में आए विचार के लिए वह कर ही क्या सकता था. जो बात जबान से निकाल गई उसे वापस तो लिया नहीं जा सकता था.

घर में भी विशाल का व्यवहार बदलाबदला सा रहने लगा. उस की मां इस बदलाव को महसूस कर रही थीं. उन्होंने 2 बार उस से पूछ भी कि माजरा क्या है. पर विशाल उन की बातों को टाल जाता.

एक दिन उस की मां ने पूछ ही लिया, ‘‘पहले तो कृति से बातें किया करता था. मैं कई बार मना भी करती थी कि वक्तबेवक्त क्यों बातें करता रहता है फोन पर. किसी बात को ले कर तुम्हारे बीच झगड़ा हो गया है क्या? इसी कारण तुम असामान्य व्यक्ति की तरह हरकत करते हो?’’

‘‘कुछ नहीं मां. तुम तो बिना बात संदेह करती हो,’’ विशाल ने टालना चाहा. पर मां के बारबार जिद करने पर उसे बताना ही पड़ा कि माजरा क्या है.

इस पर उस की मां ने उसे समझया, ‘‘वह जो कह रही है तुम्हें मानना चाहिए. आखिर

क्या वजह है तुम्हारे पास उस की बात नहीं मानने की? वह तुम्हारे दोस्त के बारे में क्या विचार रखती है इस से क्या मतलब है. इस बात से मतलब रखो कि वह तुम्हारे बारे में क्या विचार रखती है और फिर एक बार और सोचो कि जब तुम अपने दोस्त को माफ कर के उस के साथ सामान्य संबंध रख सकते हो तो फिर अपनी प्रेमिका के साथ सामान्य संबंध क्यों नहीं रख सकते?

आखिर वह तुम्हारे साथ है तो किसी कारण से ही है और दूसरा कारण क्या हो सकता है इस के अलावा कि वह तुम से प्यार करती है. वह पढ़ीलिखी है, आत्मनिर्भर है तुम्हारे ऊपर आश्रित नहीं है, फिर भी तुम्हारे साथ क्यों है तुम्हारी उदासीनता को सहते हुए भी. तुम दोनों वयस्क हो. मिलबैठ कर बातें करो, एकदूसरे को समझ.’’

विशाल अपनी मां को देखे जा रहा था. कितनी सुलझी हुई बात कह रही थीं वे विशाल की मां ने कहना जारी रखा, ‘‘कैसे अपने संबंध को मजबूत बनाना है इस पर विचार करो.’’

विशाल के मन में कृति के प्रति जो कड़़वे विचार थे वे धीरेधीरे मधुर होते गए. उस ने फैसला किया कि वह इस बात पर ध्यान देगा कि अभी दोनों का एकदूसरे के प्रति क्या नजरिया है. भूतकाल की बातों को अपने बीच नहीं आने देगा.

धमकी: जब अकेला अंशु को छोड गया विशाल

‘‘विशाल आज औफिस के काम से दिल्ली आया हुआ था. काम निबटा कर शाम में वह टाइम पास के लिए एक मौल में आ गया और वहां फूड कोर्ट में बैठ कर चाइनीज खाने लगा. सामने एक कुरसी पर उसे एक 7-8 साल की लड़की नजर आई जिस के बालों के स्टाइल ने उसे अंशु की याद दिला दी. वह ध्यान से बच्ची को देखने लगा. बगल से उस की सूरत काफी कुछ अंशु जैसी ही थी. उसी की तरह बैठ कर ड्राइंग बना रही थी. उस की मम्मी शायद खाने का और्डर देने गई थी.

तभी बच्ची की बगल में एक युवक आ कर बैठा तो बच्ची ने जोर से कहा, ‘‘अंकल, यहां हम बैठे हुए हैं. आप दूसरी टेबल पर चले जाओ. मेरी मम्मी आने वाली है.’’

युवक बच्ची को इस तरह निर्भीकता से बोलता देख कर सकपका गया और तुरंत वहां से उठ कर दूर जा कर बैठ गया. बच्ची खुद में ही मुसकराई और फिर से अपने काम में लग गई.

बच्ची ने एक बार फिर उसे अंशु की याद दिला दी. अंशु भी तो ऐसी ही निर्भीक और साफसाफ बात कहने वाली लड़की थी.

अंशु के साथ उस का रिश्ता करीब 3 साल चला था. अंशु इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी और गर्ल्स होस्टल में रहती थी. विशाल भी उसी कालेज में था. दोनों को ही आदत थी कि दोनों शाम के समय लाइब्रेरी चले जाते थे. वहीं उन की मुलाकात हुई और फिर बातों का दौर ऐसा चला कि दोनों में अच्छीखासी दोस्ती हो गई.

अंशु हमेशा हर जगह अपने हक के लिए आवाज उठाती और पार्टटाइम काम कर के अपना खर्च खुद निकालती. वह खूबसूरत तो थी ही बुद्धिमान भी थी. विशाल उस के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित था. एक दिन उस ने अंशु से अपने दिल की बात की तो अंशु ने भी उस के प्यार को स्वीकार कर लिया.

इस के बाद दोनों एकदूसरे के बहुत क्लोज आ गए और 5-6 माह लिव इन में भी रहे. विशाल को वह रात आज भी याद है जब दोनों एकदूसरे की बांहों में थे. प्यार की तपिश उन के जिस्मों को भिगो रही थी.

उसी दौरान अंशु ने विशाल से सवाल किया, ‘‘विशु हमारी जाति अलग है. मैं ऊंची जाति की हूं जबकि तुम यादव हो. आज नहीं तो कल हमें अपने घर वालों से शादी की अनुमति लेनी होगी. सोचो अगर वे नहीं माने तो क्या होगा खासकर तुम्हारे घर वाले तो जैसाकि तुम बताते हो इस मामले में बहुत स्ट्रिक्ट हैं. यदि उन्होंने इनकार कर दिया तो क्या करोगे?’’

विशाल ने कहा, ‘‘डौंट वरी, मैं मना लूंगा. यह बात अलग है कि वे जान से मारने की धमकी भी दे सकते हैं.’’

अंशु हंस कर बोली, ‘‘मैं तो तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकती हूं. तुम बताओ तुम क्या करोगे?’’

‘‘मैं भी तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं,’’ कह कर उस ने अंशु पर अपने बांहों का घेरा और मजबूत कर दिया.

अंशु मुसकरा दी. उसे विशाल के प्यार पर विश्वास था और उसे लगता था कि विशाल उस का साथ कभी नहीं छोड़ेगा. वे दोनों हमेशा एक हैप्पी कपल्स बन कर रहेंगे.

इस बात के कुछ समय बाद ही जब छुट्टियों में विशाल घर गया तो घर वालों ने उसे शादी के लिए एक लड़की की तसवीर दिखाई. विशाल ने उन्हें अपने और अंशु के रिश्ते के बारे में सब सच बता दिया.

विशाल के पिता ने साफ लफ्जों में कहा, ‘‘कान खोल कर सुन ले, तेरी शादी हमारी जाति में ही होगी. हम यादव हैं और हमें इस का गुरूर है. हम लड़की यादव ही लाएंगे वरना तुम दोनों का सीना और मेरी बंदूक.’’

विशाल ने फिर एक शब्द भी नहीं कहा और पिता की मरजी के आगे तुरंत घुटने टेक दिए. पिता ने छुट्टियां खत्म होने से पहले ही उस की शादी करा दी ताकि लड़का कोई और ड्रामा न करे.

छुट्टियों के बाद जब विशाल वापस पहुंचा तो उस की अंशु का सामना करने की हिम्मत नहीं हुई और वह अंशु के आने से पहले ही अपना सामान ले कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गया.

इधर अंशु छुट्टियों के बाद लौटी तो बहुत खुश थी. मगर जब घर पहुंची तो विशाल को सामान समेत गायब देख कर उसे सब समझ में आ गया. फिर भी वह एक बार विशाल से मिल कर बात करना चाहती थी. उस ने विशाल को फोन किया और उसे शाम को मिलने बुलाया.

विशाल की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अंशु का सामना कैसे करे और उसे सारी सचाई कैसे बताए. वह कई दिनों तक बहाने बनाता रहा और अंशु से मिलने से बचता रहा. मगर एक दिन अंशु खुद उस के नए बसेरे तक पहुंच गई.

अंशु को देखते ही विशाल की धड़कनें तेज हो गई. वह बस इतना ही कह सका, ‘‘सौरी अंशु, पर मैं ने शादी कर ली है. मेरे पिता ने जबरन मेरी शादी किसी और से करा दी और मैं कुछ नही कह सका.’’

अंशु चुपचाप उसे देखती रही और फिर बिना कुछ कहे वहां से चली गई. वह दिन था और आज का दिन. विशाल को न तो दोबारा अंशु नजर आई और न ही उसे जीवन में फिर कभी कहीं सुकून मिल पाया. अंशु के साथ उस के जीवन का सारा सुकून खो चुका था.

आज उस बच्ची को देख कर उसे लग रहा था जैसे सालों बाद वह अंशु को देख रहा हो. तभी उस ने देखा सचमुच अंशु हाथ में खाने की प्लेट लिए बेटी के पास आ रही है. वह वहीं चेयर पर बैठ गई और दोनों मांबेटी मिल कर खाने लगे.

विशाल चुपचाप उठा और उन के सामने की चेयर पर बैठ गया. विशाल को देखते ही अंशु की भौंहें तन गईं. विशाल हाथ जोड़ कर कहने लगा, ‘‘आई एम सौरी. माफ कर दो मुझे.’’

अंशु ने उस समय कुछ नहीं कहा. खाना खा कर उस ने बेटी को पास ही गेम सेक्शन में खेलने के लिए भेजा और फिर विशाल की तरफ मुखातिब हुई, ‘‘अब बोलो क्या कहना चाहते हो?’’

‘‘यह मेरी बेटी है न अंशु. सच बताओ?’’

अंशु हौले से मुसकराई और बोली, ‘‘वह तुम्हारी यानी एक भगौड़े बाप की नहीं बल्कि मेरी यानी एक आत्मनिर्भर मां की बेटी है. तुम कहो अब क्या कहने के लिए आए हो?’’

‘‘तुम ने शादी नहीं की अंशु?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘क्यों? अब तक मेरे प्यार में हो न. मेरी वजह से ही तुम ने शादी नहीं की न?’’ विशाल ने पूछा.

‘‘हां तुम्हारी वजह से ही शादी नहीं की. मगर इस मुगालते में बिलकुल मत रहना कि अब भी तुम्हारे प्यार में हूं. दरअसल, मैं जिंदगी में कभी तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहती. इतने डरपोक और गैरजिम्मेदार इंसान से मैं कोई रिश्ता रखने की सोच भी नहीं सकती. उस एक फैसले के साथ तुम ने सिर्फ मेरा दिल ही नहीं तोड़ा था विश्वास भी तोड़ दिया था. समझे तुम?’’

‘‘मुझे माफ कर दो अंशु. सच में मुझ में हिम्मत ही नहीं थी. पिताजी के गुस्से के आगे मैं कुछ बोल ही नहीं सका. मुझे लगा कि कहीं वे मेरे साथ तुम्हें भी नुकसान न पहुंचा दें इसलिए उन की बात मान गया.’’

‘‘मगर मैं ने कहा था न कि मैं मरने के लिए तैयार हूं. तुम एक बार मुझे सबकुछ बता कर मेरी मरजी तो पूछते,’’ अंशु ने कहा.

‘‘नहीं अंशु मेरे घर वाले यादव जाति के अलावा और किसी से मेरी शादी कराने को तैयार ही नहीं थे. उन्होंने मारने की धमकी दी तो मैं डर गया. मैं तुम्हारे जितना हिम्मती नहीं. हाल यह है कि अब सुकून के 2 पलों के लिए तरस गया हूं. हमेशा लगता है जैसे तुम्हारे साथ गलत करने का फल ही मु?ो इस तरह मिल रहा है. पिताजी के कहने पर मैं ने जिस लड़की से शादी की उस ने आज तक मु?ो पिता बनने का सुख नहीं दिया.’’

‘‘ऐसा क्यों?’’

‘‘क्योंकि वह सरपंच है और उस का मकसद राजनीति में जाना और बड़ा नेता बनना है. उस ने शादी के कुछ दिन बाद ही मुझे यह सब बता दिया था. जब वह पहली बार प्रैगनैंट हुई थी उस समय चुनाव आने वाले थे. इसलिए उस ने मुझे बताए बगैर ही अबौर्शन करा लिया. दूसरी बार फिर से उस ने अबौर्शन करवाया तो उसे ऐसी अंदरूनी चोट लगी कि अब वह कभी मां नहीं बन सकती. मेरी जिंदगी अधूरी रह गई,’’ कहते हुए वह रो पड़ा.

अंशु ने कहा, ‘‘इस तरह रोने से क्या होगा. तुम उसे छोड़ कर दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

‘‘वे लोग बहुत प्रभाव वाले हैं. उन की यादव समुदाय में बहुत चलती है. उन के साथ पंगा लेना महंगा पड़ जाएगा. वैसे भी वे लोग पिताजी के बहुत करीबी हैं और पिताजी उन्हें कभी नाराज नहीं करेंगे. मेरी पत्नी मुझे तलाक देगी नहीं और पिताजी उस के खिलाफ जाएंगे नहीं.’’

‘‘तो फिर भुगतो न. अपने घर वालों के हिसाब से चलो. मुझ से क्या चाहते हो?’’ अंशु ने सवाल किया.

‘‘तुम मुझे मेरी बेटी से कभीकभी मिलने दिया करो बस यही चाहता हूं. प्लीज अंशु.’’

‘‘नो वे. तुम मेरी बेटी से मिलने की बात तो सोचना भी नहीं. मेरी बेटी सिर्फ मेरी है. उसे मैं ने जन्म दिया है. मैं ने पालापोसा है और वह मेरे जैसी बनेगी तुम्हारे जैसी नहीं. तुम्हारे घर का जैसा माहौल है उस में तुम्हारे जैसा डरपोक इंसान ही बन सकता है. मैं अपनी बेटी को अपनी तरह हिम्मती बना रही हूं. मैं दिल्ली किसी काम से आई थी. आज ही चली जाऊंगी. मैं कहां किस शहर में रहती हूं इस की भनक भी तुम्हें नहीं लगने दूंगी.

‘‘मेरी बेटी से तुम्हारा कोई वास्ता नहीं यह याद रखना. जिंदगी में कभी उस से मिलने की कोशिश भी मत करना.’’

मगर अंशु बस एक बार सोचो, वह मेरी संतान है. उस के सिवा मेरी कोई औलाद भी नहीं. उसे मेरा नाम मिल जाएगा तो मेरी पैतृक संपत्ति पर उस का हक हो जाएगा,’’ विशाल ने लालच का पासा फेंकने की कोशिश की.

अंशु भड़क उठी, ‘‘तुम यह अच्छी तरह समझ लो कि तुम्हारी संपत्ति की मुझे या मेरी बेटी को कोई जरूरत नहीं. उसे पता भी नहीं कि उस का बाप जिंदा है. मैं ने उसे यही बताया है कि एक ऐक्सीडैंट में उस के पिता की मौत हो चुकी है.’’

‘‘अगर मैं ने उसे बता दिया कि उस का बाप जिंदा है फिर क्या करोगी?’’ विशाल ने धमकी दी.

‘‘उसे कुछ बताने की सोचना भी मत. चलो आज एक धमकी मैं भी देती हूं. अगर तुम ने आइंदा मु?ा से या मेरी बेटी से मिलने या उसे हासिल करने की कोशिश भी की न तो मैं तुम पर बलात्कार का आरोप लगा दूंगी. अपनी बच्ची को बलात्कार का नतीजा कह दूंगी. इस के बाद तुम जेल में सड़ते रहना. तुम्हारी कोई नहीं सुनेगा. समझे तुम?’’ स्पष्ट शब्दों में कह कर अंशु बेटी को ले कर चली गई.

विशाल फिर कुछ नहीं कह सका. आंखों में पछतावे के आंसू लिए वहीं खड़ा रह गया.

बीहू की शांति: पर्सी दोस्ती की आड़ में लड़की को क्यों फंसता था?

HINDI STORY

थोड़ा मीठा थोड़ा चटपटा स्पाइसी मिक्स्चर

अपने बच्चों के लिए घर में बनाएं ये चटपटे स्नैक्स. शाम वाली भूख से हम सभी परेशान रहते है आखिर क्या खाएं क्या बनाएं. चिंता छोड़िए और घर पर बनाए ये टेस्टी स्पाइसी मिक्स्चर और मेवा कटलेट.

  1. स्पाइसी मिक्स्चर

सामग्री

  1. 3कप कौर्नफ्लैक्स
  2. 3बड़े चम्मच काजू
  3. 2टुकड़ा
  4. 1बड़ा चम्मच किशमिश
  5. 8-10बादाम
  6. 3बड़े चम्मच मूंगफली
  7. 1बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल
  8. 5-6करीपत्ते
  9. 1/8छोटे चम्मच हींग पाउडर
  10. 1/2छोटा चम्मच हलदी पाउडर
  11. 1छोटा चम्मच चाटमसाला
  12. 1/2छोटा चम्मच अमचूर पाउडर
  13. 1/2छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर
  14. 2छोटे चम्मच चीनी
  15. काला नमक व सादा नमक स्वादानुसार.

विधि

एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर काजू और बादाम को डाल सुनहरा होने पर निकाल लें. आंच धीमी ही रखें. फिर मूंगफली भून कर निकाल लें. बचे तेल में हींग पाउडर, करीपत्तों, हलदी पाउडर व अन्य सूखे मसाले और कौर्नफ्लैक्स को डाल कर मिलाएं. फिर सारे मेवे डाल दें. तैयार मिक्स्चर स्टोर कर के रखें.

2.  मेवा कटलेट

सामग्री

  1. 2चुकंदर मीडियम आकार के
  2. 150 ग्राम आलू उबले व मैश किए
  3. 2 ब्रैड पीस द्य  2 बड़े चम्मच अरारोट पाउडर
  4. 2 बड़े चम्मच बेसन
  5. कटलेट तलने के लिए रिफाइंड औयल
  6. नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

  1. 10-12काजू दो टुकड़ा
  2. 1/4 कप तिल
  3. 2 बड़े चम्मच बादाम बारीक कटे
  4. 2 छोटे चम्मच काजू पाउडर
  5. 10-12 किशमिश
  6. 1/2छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर
  7. 100 ग्राम पनीर द्य  थोड़ी सी धनियापत्ती बारीक कटी.

विधि

चुकंदर को 1 सीटी आने तक उबाल लें. ठंडा कर के छील कर कद्दूकस कर लें. इस में मैश किए आलू व ब्रैड पीस कर मिला दें. अरारोट पाउडर, बेसन व नमक मिलाएं. भरावन की सामग्री के लिए काजू टुकड़ा और तिल को छोड़ कर कद्दूकस कर के पनीर में बाकी सारी चीजें मिला दें. थोड़ाथोड़ा मिश्रण ले बीच में पनीर वाली भरावन रख कर बंद करें व कटलेट का आकार दें. तिल में लपेटें व बीच में एक काजू का टुकड़ा लगा दें. धीमी आंच पर गरम तेल में करारा फ्राई कर के चटनी व सौस के साथ सर्व करें.

हेयर कलर करने के बाद मुझे फेस पर सूजन और आंखों में जलन होती है. मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे कलर करने के बाद अकसर माथे, कानों, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है. क्या यह ऐलर्जी हो सकती है?

जवाब

कुछ लोगों को बालों में कलर लगाने के बाद ऐलर्जिक रिएक्शन होता है. यह रिएक्शन मामूली असर वाला या फिर गंभीर भी हो सकता है. बालों में कलर करने के बाद यदि आप को सिर की स्किन में मामूली जलन या सनसनाहट महसूस हो तो यह ऐलर्जी की शुरुआत हो सकती है. अगर कलर करने के बाद आप के माथे, कानों, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है तो यह ऐलर्जी का गंभीर मामला हो सकता है. आप निम्न सावधानियां बरत कर बालों में हेयर डाई से होने वाले नुकसान से बच सकती हैं:

  •  जब भी आप किसी नए ब्रैंड का इस्तेमाल करें तो पहले उस के बारे में अच्छे से जानकारी ले लें. ऐसा देखा गया है कि कई बार कुछ लोग कलर बदलने से ऐलर्जी का शिकार हुए हैं. कोशिश करें कि आप लगातार एक ही अच्छा ब्रैंड उपयोग करें.
  •  ऐलर्जी से बचने के लिए पैच टैस्ट कर के देख लें. पैच टैस्ट किसी प्रोडक्ट के प्रति आप की स्किन की संवेदनशीलता के बारे में बताता है, इस के साथ ही आप को ऐलर्जिक रिएक्शन से भी बचाता है. इसलिए हेयर कलर बनाते समय लेवल पर दिए गए निर्देशों को पढ़ लें. कानों के पीछे का हिस्सा सब से ज्यादा संवेदनशील होता है. यह किसी भी प्रकार के ऐलर्जिक रिएक्शन के लक्षणों को तुरंत दिखाता है. आप इयर बड हेयर कलर के मिश्रण में डुबो कर कान के पीछे लगा लें. इसे 24 घंटे तक लगाए रखने से आप ऐलर्जी के प्रकोप से बची रहेंगी.
  •  कभीकभी आप हेयर कलर को निर्धारित समय से ज्यादा समय तक लगा कर रखती हैं तो यह आप के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है.

Monsoon Special: कैसी हो आप की डाइट

मानसून हमें गर्मी से राहत तो दिलाता है लेकिन मानसून बारिश के साथ साथ बहुत सी बीमारियां व इंफैक्शन भी अपने साथ ले आता है.  बारिश में भीगना किसे पसंद नहीं होता? व बारिश में नहाने के बाद जो मजा चाट-पकौडे खाने में है वह् किसी और में कहां. पर क्या आप जानते हैं कि इस आनंद के साथ साथ इस सीज़न में  स्वास्थ्य से भी कुछ  रिस्क जुड़े हैं जिन के प्रति हमें सावधानियां बरतनी होंगी.

मानसून के महीने में  खांसी, जुखाम व बुखार होना बहुत आम बात है पर आप को यह बीमारियां भी आप की लापरवाहियों की वजह से ही होती हैं. मानसून के दौरान स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना होगा. इस समय कुछ फूड ऐसे होते हैं जिन से हमारी इम्मयुनिटी बढती है. अतः हमें उन को अपनी डाइट में एड करना चाहिए तो कुछ फूड ऐसे भी हैं जिन की वजह से हम बीमार पड सकते हैं. आइए जानते हैं हमें कौन-कौन से फूड खाने चाहिए व कौन से अवाइड करने चाहिए.

1. बाहर का खाना न खाएं :

इस मौसम में हमें बाहर का खाना जैसे पानी पूरी, भेल पूरी आदि खाने का बडा मन होता है पर आप को अपने मन पर काबू रखना होगा. इन फूड्स में कुछ ऐसे बैक्टीरिया हो सकते हैं जिस से आप को इंफैक्शन हो सकता है. यदि आप चाहें तो घर पर स्ट्रीट स्टाइल खाना बना सकते हैं.

2. हरी सब्जियों को अपनी डाइट में एड करें :

हरी सब्जियों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में कौन नहीं जानता? आप को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जी खानी चाहिए. इन में अनेक ऐसे पोषक तत्त्व होते हैं जो आप को फिट रखेंगे व इस से आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होगी जिससे आप बीमार नहीं पडेंगे.

3. सीज़नल फ्रूट व कडवी सब्जियां खाएं :

इस सीज़न के फल जैसे अनार, लीची, बेर आदि को अपनी डाइट में एड करना एक अच्छा आइडिया है. इन में मौजूद एंटी-आक्सीडैंट्स आप को बीमारी से बचाएंगे व जितनी भी कडवी सब्जियां होती हैं जैसे करेला व अन्य (नीम) में एंटी-आक्सीडैंट्स होते हैं जो आप को इंफैक्शन से बचाएंगे.

4. होम मेड आयुर्वेदिक रेसिपीज़ :

आप कुछ आयुर्वेदिक रेसीपिज़ घर में बना सकते हैं जैसे अदरक वाली चाय, लहसुन व दालचीनी ड्रिंक जो आप की इम्मयुनिटी बढाएगी व आप को इस मानसून स्वस्थ रखने में मदद करेगी.

5. कुछ घरेलू नुस्खे :

यदि आप को खांसी व जुखाम जैसी परेशानी है तो तुरंत राहत पाने के लिए आप कच्चे अदरक को खाएं. यदि आप का गला सुखता है या गले में दर्द है तो गर्म पानी के गरारे करें. बुखार को सही करने के लिए तुलसी,शहद व अदरक को पानी में उबाल कर पीएं. इस सीज़न में गेंहूं, चने की दाल व सब्जियां अधिक से अधिक खाएं.

6. मछली न खाएं :

यह सीज़न मछलियों का ब्रीडिंग सीज़न होता है. इसलिए आप को मछली खाने से पेट में इंफैक्शन हो सकता है. अतः इस सीज़न में मछली खाना अवाइड करें.

5 टिप्स: मौनसून में घर की इन आदतों को बदलना है जरूरी

मौनसून में चाहे बड़े हो या बच्चे हर कोई मस्ती करता है, लेकिन मस्ती के साथ- घर की कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका मौनसून में अगर ख्याल न रखा जाए तो ये कई बड़ी बीमारी का कारण बन सकती हैं. वहीं खासकर आपके बच्चों के लिए ये बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. इसलिए आज हम आपको मौनसून में घर की कुछ आदतों को बदलकर मौनसून में अपनी फैमिली का ख्याल रखने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे.

1. खानें की चीजों को साफ पानी में धोना है जरूरी

बारिश के मौसम में जमीन में रहने वाले ज्यादातर कीड़े सतह पर आ जाते हैं, जो फल, सब्जियों और खाद्य पदार्थों को दूषित करते हैं. इसलिए किसी भी फल और सब्जियों को खाने से पहले साफ पानी से अच्छे से धोएं और अगर जरूरत हो तो बीमारी से बचने के लिए पोटैशियम परमेंगनेट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

2. मौनसून में पिलाएं उबला हुआ पानी

मौनसून में पानी के वजह से भी इंफेक्शन होता है, बच्चों को उबला हुआ पानी पिलाएं और खुद भी यही पिएं. साफ-सफाई का खास तौर पर ध्यान रखें मच्छरों से बचने के लिए घर और आस-पास गंदगी न होने दें और जर्म्स रिपेलेंट लिक्विड का इस्तेमाल करें.

3. बच्चों को बारिश में भींगने से बचाएं

बारिश में बच्चों को भीगने न दें. अगर वे स्कूल से लौटते वक्त भीग जाएं तो तुरंत उन्हें साफ पानी से नहालाएं और हीटर या आग से ठंड को दूर करें. बच्चों की बौडी की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें. साथ ही उनके खेलने की जगह को भी साफ रखें.

4. कोई भी प्रौब्लम होने पर डौक्टर की सलाह लें जरूर

बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और बीमारियां उनपर जल्दी अटैक करती हैं. तो इस मौसम में बच्चों में बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डौक्टर की सलाह लें. बारिश में बीमारियों से बचाने के लिए बच्चों को गंदगी से दूर रखें.

5. कूलर और एसी जैसी चीजों को रखें साफ

मौनसून में अक्सर आपके कूलर, एसी, पौधों के गमलों में गंदा पानी जमा हो जाता है . इसीलिए कोशिश करें की रोजाना गंदे पानी को साफ करने की कोशिश करें वरना ये कईं बड़ी बीमारिया जैसे मलेरिया, डायरिया आदि जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.

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