मुझे और मेरे घरवालों को एक युवक ब्लैकमेल कर रहा है, मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे एक युवक तंग कर रहा है. उस के पास मेरे कुछ फोटो हैं, जिन से वह मुझे और मेरे घर वालों को ब्लैकमेल कर रहा है. मैं क्या करूं? वह मुझ से जबरदस्ती शादी करना चाहता है पर मैं उस से शादी नहीं करना चाहती. वह मुझे कहता है कि अगर मैं ने उस से शादी नहीं की तो वह मुझे बदनाम कर देगा, प्लीज, मेरी हैल्प कीजिए?

जवाब

आप के पत्र से यह तो साफ है कि वह युवक सही नहीं है, लेकिन यह नहीं पता चला कि उस के पास आप के फोटोग्राफ कैसे पहुंचे और वह आप के पीछे क्यों पड़ा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप का उस के साथ पहले अफेयर रहा हो और ब्रेकअप के बाद वह आप को न छोड़ना चाह रहा हो.

खैर, कारण क्या है आप अच्छी तरह जानती हैं. बहरहाल, अगर वह आप को तंग करता है या आप के घर वालों को आप के फोटो दिखा कर ब्लैकमेल करता है तो आप बिना झिझक अपने घर वालों को पहले तो सारी हकीकत बताएं, कभीकभी एकतरफा प्यार में पड़ कर भी युवक ऐसा करते हैं इसलिए उस के पेरैंट्स से अपने पेरैंट्स के साथ जा कर मिलें और उन्हें हकीकत से अवगत करवाएं. अगर फिर भी बात न बने तो पुलिस का सहारा ले सकती हैं. यकीन मानिए, वह आप का पीछा छोड़ देगा.

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जब सैक्स पार्टनर ब्लैकमेल करने लगे

युवावस्था में कब प्रेम हो जाए पता ही नहीं चलता और दो दिलों का साथ रहतेरहते सीधा सैक्स से संबंध न जुड़े इस से भी इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में सैक्स संबंध तो बनते ही हैं और इस में दोनों की रजामंदी भी होती है. आपसी चाह व जवानी के आकर्षण में ये संबंध बन तो जाते हैं, लेकिन बाद में अधिकतर युवक अपनी इच्छापूर्ति के लिए या फिर अपनी मांगें मनवाने के लिए इन क्षणों का गलत इस्तेमाल करते हुए अपनी प्रेमिका से आगे भी इस की मांग करते हैं और अगर गर्लफ्रैंड न माने और उस की हरकतों की वजह से रिश्ता तोड़ दे तो फिर ब्लैकमेलिंग कर अपनी मनमानी करते हैं.

इस ब्लैकमेलिंग के कारण कई बार युवतियां इतना टूट जाती हैं कि वे गलत रास्ता अख्तियार कर लेती हैं. ऐसा ही कुछ दीपा के साथ भी हुआ. वह अपने प्रेमी के प्यार में इस कदर पागल हो गई कि उस ने अपना सबकुछ उसे सौंप दिया, लेकिन जब उसे अपनी इस गलती का एहसास हुआ तो उस ने अपने प्रेमी से भी भविष्य में इस गलती को न दोहराने और दोनों को खुद पर संयम रखने की बात कही. लेकिन उस के प्रेमी को तो ऐसा चसका लग गया कि अब वह बारबार दीपा से इस की मांग करने लगा व उस के न मानने पर वह उसे धमकाता हुआ ब्लैकमेल करने लगा.

दीपा भी लोकलाज के भय से उस की हर बात चुपचाप मानने लगी लेकिन जब स्थिति बेकाबू हो गई तो उस ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया. ऐसा सिर्फ दीपा के साथ ही नहीं बल्कि अधिकांश युवतियों के साथ होता है. इसलिए यदि आप भी अपने प्रेमी की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रही हैं तो कोई गलत कदम उठाने के बजाय डट कर उस का मुकाबला करें, कदापि उस की ब्लैकमेलिंग का शिकार न बनें. आप यदि निम्न बातों पर ध्यान देंगी तो आसानी से राह निकल आएगी.

शर्तें मानने की भूल न करें

प्रेम में जहां युवतियां अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार रहती हैं, वहीं प्रेमी को सबक सिखाने के लिए भी किसी हद तक जाने में गुरेज नहीं करतीं. ऐसे में अगर आप का प्रेमी आप से कोई गलत बात मानने को कहे और आप के न मानने पर उन अंतरंग क्षणों के उस ने जो वीडियो क्लिप बनाए थे, को उजागर करने के लिए कहे तो ऐसे में आप डरें नहीं और न ही उस की गलत बातों को मानें बल्कि उसे बोल्डली जवाब दें कि मैं तुम्हारी ऐसी धमकियों से डरने वाली नहीं हूं, क्योंकि उस में अगर मेरी गलती थी तो तुम भी बराबर के भागीदार थे और तुम ने ही मुझे ऐसा करने के लिए उकसाया है, इसलिए तुम्हें जो करना है कर लो. इस से उसे समझ आ जाएगा कि यहां बात बनने वाली नहीं है बल्कि यहां तो मेरे ही फंसने के चांसेज ज्यादा हैं. ऐसे में वह आप को दोबारा ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं करेगा.

गिड़गिड़ाएं नहीं, सामना करें

अकसर जब गलती हमारी तरफ से होती है तो हम खुद को सही साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. अगर आप का पार्टनर आप को ब्लैकमेल करे तो उस के सामने गिड़गिड़ाएं नहीं कि प्लीज मुझे माफ कर दो, तुम्हारे ऐसा करने से कौन मुझ से शादी करेगा, मेरे पेरैंट्स मुझे घर से निकाल देंगे वगैरावगैरा, बल्कि उसे ईंट का जवाब पत्थर से दें ताकि उस की अक्ल ठिकाने आ जाए.

अगर आप उस के सामने गिड़गिड़ाएंगी तो वह आप को और परेशान करेगा. एक बात याद रखें कि जुर्म करने वाला जितना दोषी होता है उतना ही जुर्म सहने वाला भी होता है. इसलिए जब वह आप को परेशान करे तो कड़े शब्दों में कह दें कि अगर दोबारा ऐसी हरकत करने की कोशिश की तो पुलिस को शिकायत कर धज्जियां उड़ाने में मुझे देर नहीं लगेगी. आप की हिम्मत देख कर वह कदम पीछे खींचने में ही अपनी भलाई समझेगा.

पेरैंट्स से न छिपाएं

सामने वाला आप को तभी ज्यादा तंग करता है जब उसे पता होता है कि आप अकेली हैं और घर पर डांट के डर से किसी से भी हमारे बीच बने अवैध संबंधों की बात शेयर नहीं करेंगी. ऐसे में भलाई इसी में है कि आप अपने पेरैंट्स से कुछ न छिपाएं. इस बात के लिए भी तैयार रहें कि पेरैंट्स यह सुन कर आप पर नाराज भी होंगे, लेकिन कुछ ही देर में वे नौर्मल हो कर आप को और आप की स्थिति को समझेंगे और आप को इस सिचुऐशन से बाहर निकालने के लिए जीजान लगा देंगे.

जब आप के बौयफ्रैंड को इस का पता चलेगा कि अब आप अकेली नहीं हैं तब उस के हौसले खुद ब खुद पस्त हो जाएंगे.

नशा न बाबा न

जब कुछ चीजें हमारे बस में नहीं रहतीं तब हम तनाव में रहने के कारण डिप्रैशन का शिकार हो जाते हैं और अपने गम को भुलाने के लिए नशीली चीजों का सेवन करने से भी नहीं कतराते, जिस से परिस्थितियां पहले से भी ज्यादा बदतर होने लगती हैं. ऐसे में आप खुद को कंट्रोल में रखें, क्योंकि आप की ऐसी हालत का कोई भी फायदा उठा सकता है और इस दौरान कोई भी ऐसा कदम न उठाएं जिस से आप को जिंदगीभर पछताना पड़े.

सब कुछ खत्म न समझें

भले ही आप अपने बौयफ्रैंड की ब्लैकमेलिंग से परेशान हों, लेकिन फिर भी इस की वजह से अपना सबकुछ न छोड़ दें. यह न सोचें कि मेरा तो सबकुछ खत्म हो गया है, बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी जिंदगी जीएं, दोस्तों से मिलेंजुलें व घूमेंफिरें. यदि कोई फ्रैंड विश्वासपात्र है तो उस से अपने मन की हर बात शेयर करें. निश्चित ही आप को वहां से सही राय मिलेगी. इस दौरान उसे भी खुशी से जी कर दिखा दें कि उस की इन धमकियों से आप की लाइफ रुकने वाली नहीं है.

सोशल साइट्स से दूरी सही

ब्लैकमेलिंग के दौरान खुद को सोशल साइट्स से दूर कर लें, क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि वह आप के फोटो के साथ छेड़छाड़ कर के आप के प्रोफाइल पर टैग कर दे या फिर कुछ अश्लील बातें लिख कर आप को लोगों के सामने बदनाम करने की कोशिश करे. ऐसे में आप हर किसी को तो सफाई देने से रहीं और जरूरी भी नहीं कि हर कोई आप की बात पर विश्वास करे. इस से अच्छा है कि सोशल साइट्स से खुद को दूर ही रखें.

गलत कदम न उठाएं

हो सकता है कि आप ने भावनाओं में बह कर अपने प्रेमी के साथ एक रात बिता ली हो और इन अंतरंग पलों की वीडियो आप के पार्टनर ने चोरीछिपे बना ली हो और उसी के आधार पर वह आप को ब्लैकमेल कर रहा हो कि अगर तुम ने मेरे दोस्तों को खुश नहीं किया तो मैं यह वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल कर दूंगा और आप इस डर से सुसाइड जैसा कदम उठा बैठें जो सही नहीं है, क्योंकि इस से नुकसान आप का ही होगा. दुनिया आप को ही गलत ठहराएगी. इस से अच्छा है कि डट कर उस का मुकाबला करें और उसे सबक सिखाएं, ताकि वह भविष्य में किसी और से ऐसी हरकत न कर पाए.

सोसायटी की चिंता न करें

जब आप ने बौयफ्रैंड बनाते वक्त सोसायटी की चिंता नहीं की थी तो अब क्या परवा.

अगर आप इस डर के मारे अकेले ही उस के सारे जुल्म सहती रहेंगी तो वह आप को और सताएगा. इसलिए जब भी वह आप को धमकी दे कि अगर मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हारी कालोनी में आ कर तुम्हारा तमाशा बनाऊंगा तो आप खुलेआम इस चैलेंज को ऐक्सैप्ट करें. फिर अगर उस ने आप के एरिया में आ कर सचाई बताने या फिर आप को फंसाने की कोशिश की तो आप इस बात को स्वीकार न करें कि आप के बीच रिलेशन था और उलटा उसे ही फंसा कर भीड़ के हवाले कर दें, जिस से भविष्य में वह किसी भी लड़की के साथ ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा.

अकेले में मिलना यानी खतरा

हो सकता है कि आप का बौयफ्रैंड खुद को सुधारने की बात कहे और अपनी गलती का पश्चात्ताप करने के लिए आप को ऐसी अनजान जगह पर बुलाए जिस के बारे में आप ने पहले कभी नहीं सुना हो तो ऐसे में आप उस से बिलकुल न मिलें, क्योंकि भले ही आप उस की मीठीमीठी बातों में आ कर उसे माफ करने के बारे में सोच भी लें, लेकिन उस के मन में आप के प्रति क्या चल रहा है इस बारे में सिर्फ वही जानता है इसलिए उस पर दोबारा विश्वास करने की भूल न करें. साथ ही उस के दोस्तों की बातों में भी न आएं, क्योंकि हो सकता है कि यह भी उसी की कोई नई चाल हो, जिस में आप को फंसाने की साजिश हो. इसलिए भावुकता में आ कर होश न खोएं.

पुलिस से मदद लें

ब्लैकमेलिंग की सूचना तुरंत पुलिस को दें और पुलिस को पूरी बात से अवगत कराएं. इस बात से डरें नहीं कि अगर आप के साथी को पता चल गया तो वह आप को और तंग करेगा, क्योंकि पुलिस इस तरह से जांच करेगी कि आप का नुकसान भी नहीं होगा और अपराधी पकड़ा भी जाएगा.

इन बातों का रखें ध्यान

कोई आप को बाद में ब्लैकमेल न करे इस के लिए रिलेशन के दौरान इन बातों का ध्यान रखें :

पर्सनल बातें न बताएं : हम ब्लैकमेलिंग का शिकार तभी होते हैं जब अपने पार्टनर पर खुद से भी ज्यादा विश्वास कर उसे अपनी हर पर्सनल बात बता देते हैं, जिस से जब रिलेशन टूटता है तो वह इन्ही सब बातों से हमें ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है. इसलिए कोशिश करें कुछ बातों को गुप्त रखने की.

खुद पर संयम रखना सीखें :  यह सच है कि जब 2 विपरीत सैक्स आमनेसामने होते हैं तो उन में एकदूसरे को पा लेने की इच्छा होती है और कई बार इसी इच्छा के चलते सारी हदें पार हो जाती हैं. भले ही उस दौरान आप खुद पर कंट्रोल न रख पाएं लेकिन अगर पार्टनर उन पलों को कैमरे में कैद करने को कहे तो साफ इनकार कर दें, क्योंकि वह इसी के जरिए आप को ब्लैकमेल कर सकता है.

अलर्ट रहें : अगर आप अपने बौयफ्रैंड को कुछ गलत करते देखें तो चुप न रहें, बल्कि उसे टोकें और खुद भी अलर्ट रहें.

लिखित प्रूफ न दें : आप चाहे अपने बौयफ्रैंड से कितना भी प्यार और उस पर कितना भी विश्वास करें लेकिन फिर भी लिखित में कोई ऐसा प्रूफ न छोड़ें जो आप को आगे चल कर मुसीबत में डाल दे.

इस तरह आप खुद को ब्लैकमेलिंग का शिकार होने से बचा सकती हैं.

Monsoon Special: बरसात में होने वाले फ्लू से बचने के उपाय खोज रही हैं आप?

गर्मी का मौसम लगभग जा चुका है और अब तो मौसम मिनट-मिनट में बदलने भी लगा है. हम जुलाई के महीने में कदम रख चुके हैं, तो जाहिर सी बात है कि आप मौनसून की पहली बारिश का भी बड़े मन से इंतजार कर रही होगीं. कहीं कहीं तो लोग इसका आनंद ले चुके हैं.लेकिन इस दौरान आपको अपनी सेहत को ले कर थोड़ा चौकन्‍ना भी रहना होगा क्‍योंकि इस मौसम में ठंड और फ्लू बड़ी तेजी के साथ फैलते हैं. बरसात के मौसम के साथ फ्लू का भी साथ में आना कोई नई बात नहीं है.

फ्लू एक अच्‍छे खासे इंसान को भी बिस्‍तर पर ला कर पटक देती है. इसलिये आपको कुछ जरुरी सावधानियां रखनी चाहिये. यहां पर हम ने कुछ आसान से नुस्‍खे दिये हुए हैं, जिसे आजमा कर आप बरसात के मौसम में होने वाले फ्लू से खुद को और अपने परिवार को बचा सकती हैं.

1. हाथों को धोएं

हाथों को खाना खाने से पहले जरुर धोना चाहिये. अगर आप किसी जगह पर साबुन का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं, तो सेनिटाइजर का प्रयोग करें.

2. अपने मुंह को बाहर हमेशा ढंक कर रखें

चाहे आपका दोस्‍त बीमार हो या फिर आप खुद, अपने चेहरे को रुमाल से या किसी कपड़े से ढंक कर रखें. इससे बीमारी एक दूसरे तक नहीं पहुंचेगी.

3. ठंडे खाद्य पदार्थ ना खाएं

इन दिनों आइस क्रीम, गोला, कोल्‍ड ड्रिंक या फिर कोई अन्‍या ठंडा खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें. इस मौसम में वाइरल इंफेक्‍शन तुरंत फैलता है.

4. स्‍वस्‍थ भोजन खाएं

यदि आप इन दिनों स्‍वस्‍थ भोजन खाएंगी जिसमें हरी सब्‍जियां, प्रोटीन युक्‍त आहार, ताजे फल और साबुत अनाज शामिल रहेगा, तो आपका इम्‍यून सिस्‍टम और ज्‍यादा मजबूत बनेगा. इससे आप बुखार, कम और अन्‍य इंफेक्‍शन से डट कर मुकाबला कर सकते हैं.

5. खूब पानी पियें

पानी एक सस्‍ता इलाज है जिससे आप फ्लू से बच सकती हैं. रिसर्च से पता चला है कि जो लोग लगभग 3 गिलास पानी पीते हैं उन्‍हें दर्द भरे गले और नाक जाम होने की शिकायत उन लोगों की तुलना में ज्‍यादा होती है जो दिनभर में 8 गिलास पानी पीते हैं.

6. गरम चाय पियें

बरसात के समय आपको कम से कम एक कप चाय जरुर पीनी चाहिये. अच्‍छा होगा कि आप चाय में अदरक और इलायची भी डाल लें तो. पर चाय के आदि मत बनियेगा. यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करती है.

7. तनाव से दूर रहें

तनाव लेने से स्‍वास्‍थ्‍य को हानि पहुंच सकती है. इससे आपको फ्लू और भी तेजी से जकड़ लेगा. स्‍ट्रेस लेने से इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने लगता है और आपके ठीक होने के चांस कम हो सकते हैं.

8. धूम्रपान छोडें

स्‍मोकिंग करने से तो वैसे भी कई समस्‍याएं हो जाती हैं. लेकिन इससे खास कर के सांस संबन्‍धि समस्‍या जैसे ब्रोंकाइटिस होने की समस्‍या सबसे ज्‍यादा रहती है. यह इम्‍यून सिस्‍टम को भी कमजोर बना देता है.

प्रेम विवाह: भाग 3- अभिजित ने क्यों लिया तलाक का फैसला?

‘यह सब क्या है?’ अभिजित ने पूछा. ‘अभि,’ उस की आंखों से आंसू बह निकले, ‘मैं ने तुम्हें बताया तो था कि मेरा बौस बेहूदा हरकतें करता रहता है. आज वह सारी हदें पार कर गया.’

‘यह खबर और तुम्हारी शक्ल आज सैकड़ों लोगों ने टीवी पर देखी होगी. मेरी तो इज्जत उतर गई. मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहा. कल कालेज में लोग तुम्हारे बारे में उलटेसीधे सवाल करेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगा?’ अभि ने अपना सिर थाम लिया.

कुछ देर बाद उस ने कहा, ‘जाहिर है, मैं अब यहां नौकरी नहीं कर सकता. मुझे अमेरिका से एक औफर आया है विजिटिंग प्रोफैसर की जौब के लिए,  हम वहीं चलेंगे.’

‘और तुम्हारा परिवार?’

‘मैं उन्हें हर महीने पैसे भेजता रहूंगा और साल में एक बार आ कर उन की खोजखबर लेता रहूंगा.’

प्लेन में बैठी कैथरीन बहुत खुश हो रही थी. उस ने अपने मन की मुराद पा ली थी. वह अपनी ससुराल के घुटन भरे माहौल से निकल आई थी. उस ने अभि को देखा, जो मुंह लटकाए बैठा था. उसे अपने घर वालों से बिछड़ने का बहुत दुख था. कैथरीन ने उस के कंधों को घेरते हुए उस की दिलजोई की, ‘उदास क्यों होते हो

डार्लिंग. तुम अपने परिवार के भले के लिए ही तो विदेश जा रहे हो. अमेरिका में मैं भी कोई नौकरी कर लूंगी. हम दोनों जन मिल कर कमाएंगे. मेरे पैसों से घर चलेगा और तुम अपने पैसे घर वालों के लिए जमा करते रहना.’

अभि ने उसे स्नेहसिक्त आंखों से देखा. फिर बोला, ‘तुम मेरे लिए यह सब करोगी?’

‘क्यों नहीं, बीवी हूं तुम्हारी. तुम्हारे सुखदुख की साथी.’

अभि ने उस का हाथ अपने हाथों में ले कर सहलाया, उसे चूमा. वह भावविभोर हो गया था, ‘ओह कैथरीन, आई रियली लव यू. तुम कितनी भली हो. तुम्हें पत्नी के रूप में पा कर मुझे सब कुछ मिल गया.’

कैथरीन खुशी से भर उठी. वह अभि के ऊपर सिर्फ अपना अधिकार चाहती थी. अभि उस के रूप का दीवाना तो था ही पर वह चाहती थी कि उस का पति सिर्फ उसी का हो कर रहे. वह अपने घर वालों को भुला कर केवल उस की ही माला जपे.

अमेरिका में आ कर उसे ऐसा लगा जैसे वह एक निराली दुनिया में आ गई है. उसे और अभि को रहने के लिए एक सुंदर सा बंगला मिल गया. कैथरीन ने एक डिपार्टमैंटल स्टोर में सेल्स गर्ल की नौकरी कर ली और वहीं उस की कुछ गहरी दोस्त बन गईं. वे लंच टाइम में साथ बैठ कर गपशप करतीं.

अभि अपनी नौकरी में व्यस्त रहता पर जब भी अपने घर वालों से फोन पर बात करता तो बहुत उदास हो जाता.

एक दिन कैथरीन ने उसे बियर का गिलास थमाया.

‘यह क्या? तुम तो जानती हो कि मैं शराब नहीं पीता.’

‘लेकिन यह शराब नहीं है. इस से नशा बिलकुल नहीं होता. कम औन डियर. मुझे कंपनी देने के लिए ही सही, एकआध घूंट तो पियो.’

गम भुलाने के लिए अभि ने बियर पी तो ली मगर धीरेधीरे उसे इस की लत पड़

गई. बियर से नशा चढ़ना कम हुआ तो शराब का सहारा लिया. कैथरीन भी उस का साथ देती.

समय बीतता गया. कुछ ही साल में अभि ने अपनी बहनों की शादी कर दी. उस की दादी, नानी व पिता एक के बाद एक चल बसे. बूआ के बेटों की नौकरी लग गई और वे अपनी मां को ले कर चले गए.

अभि को मां की चिंता लगी. मां का अमेरिका आने का बिलकुल मन न था. कुछ साल वे बेटियों के घर पर रहीं. जब बहुत अशक्त हो गईं तो उन्होंने बेटे को पत्र लिखा कि अब खानाबदोशों की तरह इधरउधर भटका नहीं जा रहा, शरीर बहुत कमजोर हो गया है. मुझे लगता है कि मेरा अंतिम समय आ पहुंचा है. मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं अपने बेटे की गोद में सिर रख कर मरूं. इसलिए मैं ने अमेरिका आने का फैसला कर लिया है.

अभि खुशी से नाच उठा. पर कैथरीन चिंतित हो गई. उस ने अपनी सहेलियों को यह समाचार दिया तो वे सब एक सुर में बोलीं, ‘अरी कैथरीन, अपनी सास को बुलाने की गलती न करना वरना पछताएगी. तू अपनी नौकरी करेगी, घर संभालेगी या बीमार सास की सेवाटहल करेगी?’

कैथरीन ने मन ही मन तय कर लिया कि यदि अभि की मां यहां आ धमकीं तो वह उन से साफ शब्दों में कह देगी कि अम्मां, यह मेरा घर है और यहां सिर्फ मेरी मरजी चलेगी. मैं अपने घर में जो चाहे करूं, जो चाहे पकाऊंखाऊं, जो चाहे पहनूं मिनी ड्रैस या टौपलैस, मुझे पूरा हक है.

पर इस की नौबत ही नहीं आई. कुछ ही दिनों में अभि को समाचार मिला कि उस की मां का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

फूटफूट कर रोता अभि अपनेआप को कोसता रहा. ‘अब मेरा यहां बिलकुल मन नहीं लगता. बहुत अकेलापन महसूस होता है,’ वह बोला.

‘ऐसा मत कहो डार्लिंग,’ कैथरीन ने उस से लिपट कर कहा.

‘हम ने यहां आ कर कौन सी जायदाद खड़ी कर ली. अपने परिवार से दूर बेगानों

की तरह पड़े हैं. दिन भर जानवरों की तरह खटते हैं. क्यों करते हैं हम इतनी दौड़धूप, इतनी मेहनतमशक्कत? किस के लिए करते हैं? मुझे तो लगता है कि अब हमारा एक बच्चा होना चाहिए. बिना बच्चे के घर सूना लगता है.

‘तुम ठीक कहते हो.’

दूसरे दिन कैथरीन ने अपनी सहेलियों से कहा, ‘मेरा पति चाहता है कि हमारा एक बच्चा हो.’

‘और तू क्या चाहती है?’ डोरिस ने पूछा.

‘मैं अभी से यह जंजाल पालना नहीं चाहती.’

‘बिलकुल ठीक. बच्चा होने के बाद औरत घर से बंध कर रह जाती है. उस का बदन ढीला पड़ जाता है. मर्दों का क्या जाता है. बस हुक्म चला दिया कि एक बच्चा होना चाहिए. आफत तो हम औरतों की होती है.

जरा सोचो, शिशु को 9 महीने कोख में रखो, प्रसव पीड़ा सहो, मरमर कर उसे पालो और जब वह बड़ा हो जाए और मुंह फेर कर चल दे तो कुछ न कर सको. ‘होता तो यही है. बच्चे पीछे मुड़ कर देखते भी नहीं कि मांबाप जी रहे हैं कि मर गए. मांबाप बूढ़े और लाचार हो जाएं तो उन्हें वृद्धाश्रम में डाल कर सोचते हैं कि उन का कर्तव्य पूरा हो गया. ऐसी औलाद होने से तो बेऔलाद ही भले.’

‘हां,’ रूबी ने डोरिस की हां में हां मिलाई, ‘घरघर की यही कहानी है, लेकिन वे भी क्या करें. यहां एक आदमी की तनख्वाह से गुजारा होता नहीं.’ मियांबीवी दोनों को नौकरी करनी पड़ती है. मांबाप की देखभाल करना उन के लिए मुमकिन नहीं, इसीलिए वृद्धाश्रम की शरण लेते हैं. इस देश की यही प्रथा है.

‘हमारी युवा पीढ़ी तो हम से भी एक कदम आगे है. उन की तो शादी की संस्था में भी आस्था नहीं है. किसी से प्रेम हुआ तो साथ रहने लगे. तकरार हुई तो अलग हो गए. बच्चों की चाह हुई तो ही शादी करते हैं नहीं तो वे सिर्फ अपने लिए ही जीते हैं. भरपूर ऐश करते हैं. खूब मौजमस्ती करते हैं. जिंदगी का पूरा लुत्फ उठाते हैं.’

‘यही तो सही अंदाज है जीने का.

लेकिन इधर मेरा पति बच्चे के लिए मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ा है,’ कैथरीन मुंह बना कर बोली.

‘उसे बहलाना कौन सी बड़ी बात है. तू चुपचाप गर्भनिरोधक गोलियां खाती रह.

उसे पता भी न चलेगा. अब तुझे इतनी सी बात भी समझानी पड़ेगी क्या?’ डोरिस बोली.

‘मेरी मान, तू अपने पति को एक कुत्ते का पिल्ला भेंट कर दे. उस का दिल लग जाएगा. किस्सा खत्म,’ रूबी बोली तो सभी ठहाका लगा कर हंस पड़े.

दिन अच्छेभले गुजरते जा रहे थे. कैथरीन अपनी ही दुनिया में मस्त थी. तंद्रा भंग होते ही कैथरीन अभि और सुहानी के बीच जो खिचड़ी पक रही थी उस के बारे में सोचने लगी. उसे बिलकुल भी इस स्थिति का अंदाजा न था. अभि ने सहसा तलाक का नाम उछाल कर उसे सकते में डाल दिया था.

अभि का हाथ थाम कर वह अपने परिवार से दूर, अपने देश को छोड़ इतनी दूर चली आई थी. उसी अभि ने उसे बीच भंवर में ला कर उस से किनारा कर लिया था. कहां गए उस के लंबेचौड़े वादे. आजन्म साथ निभाने की कसमें. एक क्षण में उस का प्यार काफूर हो गया था.

उसे अपने हाल पर रोना आया. उस ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उसे यहसजा मिली? उस ने सोचा. उस के मन ने उस की भर्त्सना की. क्या उस ने चौधरी पर झूठा इलजाम लगा कर उसे बेइज्जत नहीं किया? उसे नौकरी छोड़ने पर मजबूर नहीं किया? उस का पारिवारिक सुखचैन नष्ट नहीं किया? उस ने सुना था कि चौधरी की पत्नी ने उसे तलाक दे दिया था. यह सब मेरी वजह से हुआ, उस ने अपनेआप को धिक्कारा.

उसे बाद में जा कर पता लगा था कि दफ्तर में कुछ लोगों की चौधरी से दुश्मनी थी. उन्होंने जानबूझ कर उसे सरेआम बेइज्जत करने का प्लान बनाया था और इस काम के लिए कैथरीन को मुहरा बनाया गया था.

चंद रुपयों की खातिर मैं ने ऐसा किया, उस ने सोचा. आज मेरे पास पैसा है पर मन की शांति नहीं. मैं ने किसी और का घर उजाड़ कर अपना आशियाना बसाना चाहा था, आज मेरे पास घर है पर घर वाला जा चुका है.

कैथरीन ने चारों तरफ नजरें घुमाईं. शाम के झुटपुटे में उस का घर उजड़ा हुआ लग रहा था और उस के अंतरमन में एक गहन सन्नाटा पसरा हुआ था. उस के मन से एक हूक निकली, उस का इतनी लगन से सजाया घर आज सूना पड़ा था. अब उसे इस घर में अकेले रहना था. बिलकुल अकेले.

बिग बॉस फेम Rahul Mahajan ने तोड़ी तीसरी शादी, नतालया से लेने वाले हैं तलाक!

बिग बॉस फेम राहुल महाजन अपनी तीसरी पत्नी नताल्या इलीना से तलाक लेने जा रहे हैं. जी हां! मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार साल तक शादीशुदा रहने के बाद,  इस जोड़े ने पिछले साल तलाक के लिए अर्जी दी. एक विश्वसनीय सूत्र ने मीडिया को बताया कि दोनों के बीच शुरू से ही तालमेल के मुद्दे थे.

हालांकि उन्होंने अपनी शादी को जैसे-तैसे लंबे समय तक बढ़ाया. तीसरी शादी टूट रही है.

तीसरी शादी टूट रही है

दरअसल, ये दावा किया जी रहा है कि राहुल पिछले साल अपनी तीसरी शादी की विफलता के बाद पूरी तरह से टूट गए थे, लेकिन वह फिर से जीवन में वापस आ रहे हैं और फिर से प्यार पाने की उम्मीद कर रहे हैं. राहुल महाजन ने मीडिया से बात करते हुए कहा- ‘मैं अपनी निजी जिंदगी को निजी रखना चाहता हूं. मैं किसी भी चीज पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. मेरी निजी जिंदगी में क्या हो रहा है, इस पर मैं अपने दोस्तों से भी चर्चा नहीं करता.’ उन्होंने अंत में कहा, ‘वैसे मैं अच्छा कर रहा हूं.’

 

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 राहुल महाजन कर चुके है 3 शादी

इस मामले में अभी तक नताल्या ने कुछ टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया. राहुल महाजन की पहली शादी 2006-2008 तक श्वेता सिंह से हुई थी. इसके बाद उन्होंने 2010 में डिंपी गांगुली से शादी की, जिनसे उनकी मुलाकात एक वैवाहिक रियलिटी शो में हुई थी, लेकिन 2015 में दोनों का तलाक हो गया. फिर नताल्या इलीना, जो कजाकिस्तान की मॉडल हैं, उनकी तीसरी पत्नी थीं.

 

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हालांकि दोनों ने पिछले साल कागजी कार्रवाई के लिए आवेदन किया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि तलाक का अंतिम रूप दिया गया है या अभी भी चल रहा है.  वहीं राहुल महाजन ने एक इंटरव्यू में नताल्या के साथ तलाक लेने की अफवाहों पर बात की. हालांकि, उन्होंने नताल्या से अलग होने की बात न तो स्वीकार की और न ही इससे इनकार किया.

BB Ott 2: शो में आते ही ट्रोल हुए Mahesh Bhatt, बेबिका पर हाथ फेरना पड़ गया भारी

सलमान खान का कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो बिग बॉस ओटीटी 2 इन दिनों काफी सुर्खियों में है. शो को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. वहीं बिग बॉस ओटीटी 2 अपने फिनाले के नजदीक आ रहा है. इन दिनों बिग बॉस ओटीटी 2 में फैमिली वीक चल रहा है.

अब तक इस फैमिली वीक में अभिषेक मल्हान की मां, मनीषा रानी के पिता, जिया शंकर की मां, एल्विश यादव के पिता और पूजा भट्ट के पिता महेश भट्ट एंट्री ले चुके हैं. लेकिन, जब पूजा भट्ट के पिता फिल्ममेकर महेश भट्ट बिग बॉस हाउस में एंट्री करते हैं. इस दौरान वह बेबिका और मनीषा रानी पर खूब प्यार बरसाते है. लेकिन अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है. जिसको लेकर महेश भट्ट ट्रोल्स के निशाने पर आ गए है.

महेश भट्ट ने फेरा बेबिका के हाथ पर हाथ

महेश भट्ट बिग बॉस ओटीटी 2 में पूजा भट्ट को सपोर्ट करने आए. इस दौरान उन्होंने एल्विश से लेकर बेबिका और मनीषा रानी की जमकर तारीफ की. वहीं सोशल मीडिया पर ‘बिग बॉस ओटीटी 2’ का एक वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में देखा जा सकता है, जिसके कारण लोग सोशल मीडिया पर महेश भट्ट के खिलाफ अपशब्द लिख रहे हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि महेश भट्ट घरवालों के साथ बैठे हैं और उनके बगल में बेबिका बैठी हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि महेश बेबिका के हाथ पर हाथ फेर रहे हैं.

महेश भट्ट हुए ट्रोल

इंटरनेट पर तेजी से यह वीडियो वायरल हो रहा है इस पर लोग प्रतिक्रिया दे रहे है. लोग महेश भट्ट को खारी-खोटी सुना रहे है. इस वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “यार, यह कितना विकृत व्यक्ति है, शर्म आनी चाहिए. यह राष्ट्रीय टेलीविजन पर क्या कर रहा है, अपनी बेटी के सामने बेशर्मी से व्यवहार कर रहा है.” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “यार जब उसने एल्विश के लिए अच्छे शब्दों का इस्तेमाल किया था तो मुझे लगा कि यह उतना भी बुरा नहीं है. लेकिन यह बहुत ठरकी आदमी है.” एक और यूजर ने लिखा, “इसने कहा था कि यह मनीषा से अकेले में मिलना चाहता है.”

 

साथ: भाग 2- पति से दूर होने के बाद कौन आया शिवानी की जिंदगी में

‘‘आप मांजी को अकेला ही छोड़ कर आए हैं, यह तो ठीक नहीं है,’’ फिर पता नहीं क्या सोच कर मैं ने साहिल से कहा, ‘‘आप काम कीजिए, मैं आप के घर जा रही हूं. मुझे आज वैसे भी कुछ खास काम नहीं, आप मांजी को फोन कर दीजिए.’’

पूरे हक से कही मेरी यह बात सुन कर साहिल हैरान था पर उस ने मुझे मना नहीं किया. अगले 30 मिनट बाद मैं मांजी के पास थी. मैं ने उन को दवा दी और उन के पास बैठी रही. वे बोलीं, ‘‘बेटा, अब मैं ठीक हूं, साहिल तो ऐसे ही परेशान हो जाता है.’’

‘‘मांजी, आप साहिल की शादी कर दो, ताकि आप की सेवा करने के लिए कोई आप के पास रहे,’’ मैं ने मांजी के सिर को दबाते हुए कहा.

मांजी ने आंखें बंद करते हुए कहा, ‘‘यह सपना तो मैं कब से देख रही हूं पर साहिल को कोई पसंद ही नहीं आती. कहता है कि आजकल की लड़कियां सिर्फ दिखावटी जिंदगी जीती हैं, सचाई तो उन में है ही नहीं.’’

कुछ देर में मांजी की आंख लग गई और मैं साहिल के बारे में सोचती रही. उस में कोई दिखावा नहीं था. सादगी भरी थी उस की जिंदगी. शाम को साहिल के घर लौटते ही मैं वापस आ गई.

अगला दिन रविवार था, औफिस की छुट्टी थी. मेरा मन हुआ कि मांजी की तबीयत का हाल पूछ लूं. मैं ने साहिल को फोन किया तो मांजी ने ही फोन उठाया. उन्होंने बहुत जोर दिया कि मैं लंच उन के साथ ही करूं. तो मैं ने मान लिया क्योंकि घर पर अकेले रहने को दिल नहीं कर रहा था. मैं झट से तैयार हो कर मांजी के पास पहुंच गई. दरवाजे की कालबैल बजाते ही साहिल को अपने सामने खड़ा पाया.

सफेद कुरतेपाजामे में वह बहुत आकर्षित लग रहा था. मेरी नजर उस पर 1 मिनट टिकी फिर मैं ने नजरें हटा ली. सारा दिन मांजी और साहिल के साथ ही बीता. रात का खाना भी उन के साथ ही खाया. रात को काफी देर हो गई तो साहिल मुझे घर छोड़ आया. उस रात मुझे सिर्फ साहिल का ही खयाल आता रहा. अगले दिन मैं औफिस पहुंच कर सब से पहले साहिल के पास गई.

‘‘गुड मौर्निंग साहिल,’’ मैं ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘वेरी गुड मौर्निंग शिवी.’’

साहिल के मुंह से शिवी सुन कर मुझे अजीब लगा पर अगले ही मिनट साहिल फिर बोला, ‘‘ओ सौरी, शिवानीजी,’’ मेरा ध्यान कहीं और था.

‘‘कोई बात नहीं, पर ये शिवी कौन है?’’ मैं ने साहिल से पूछा.

‘‘अरे कोई नहीं, आप ही हैं. कल रात मांजी से आप की बात कर रहा था तो मांजी ने आप को प्यार से बारबार शिवी कहा था. इसलिए मेरे मुंह से यह निकल गया, सौरी,’’ साहिल ने थोड़ा घबरा कर कहा पर मैं उस के मुंह से शिवी सुन कर बहुत खुश थी. हम ने उस दिन भी लंच साथ किया और शाम को घर आने से पहले मैं साहिल के घर मांजी से मिलने भी गई.

धीरेधीरे यह एक सिलसिला सा बन गया. अब साहिल मुझे शिवी ही कहता था. हम साथसाथ लंच करते, साथसाथ घर वापस आते. हमारी नजदीकियां बढ़ने लगी थीं. मुझे पता नहीं चला कि कब मुझे साहिल का साथ इतना पसंद आने लगा कि मैं भूल गई कि मैं शादीशुदा हूं.

पुणे से वापस आ कर और भी बिजी हो गए थे. उन को अपनी मेहनत का फल भी मिला. उन का प्रमोशन हो गया. हम दोनों में बात न के बराबर होती थी. लेकिन जब कभी उन के औफिस की कोई पार्टी वगैरह होती थी तो मैं उन के साथ जरूर जाती थी और उन के दोस्त जब मेरी तारीफ करते थे तो उन का चेहरा चमक उठता था.

उस दिन साहिल का फोन आया कि मांजी की तबीयत बहुत खराब हो गई है, वह उन को अस्पताल ले जा रहा है. मैं ने अमन को फोन कर कह दिया कि मेरी एक सहेली की मां बहुत बीमार हैं, मैं उन को देखने जाऊंगी, इसलिए रात को देर से आऊंगी. अमन ने सिर्फ ओके कह कर फोन काट दिया. मांजी आईसीयू में थीं. डाक्टर ने कहा कि यहां कोई और नहीं रुक सकता, आप कल सुबह आना. मैं समझबुझ कर साहिल को घर ले आई. रात काफी हो चुकी थी. साहिल मांजी को ले कर बहुत परेशान था. उस को ऐसी हालत में छोड़ कर मैं घर कैसे जाऊं, समझ नहीं आ रहा था. पर घर तो जाना ही था.

‘‘अब मैं चलती हूं साहिल, कल सुबह आती हूं,’’ मैं ने अपना पर्स उठाते हुए कहा.

‘‘प्लीज मत जाओ शिवी, मुझे तुम्हारी जरूरत है,’’ साहिल की आंखों में आंसू थे, उस ने मुझे अपनी ओर खींच लिया.

‘‘साहिल मुझे जाने दो रात बहुत हो चुकी है,’’ मैं ने अपनेआप को छुड़ाते हुए कहा. लेकिन चाह कर भी वहां से घर नहीं आ पाई. सारी रात साहिल सिर्फ मेरी गोद में सिर रख कर रोता रहा और कहता रहा कि वह मांजी और मेरे बिना नहीं जी पाएगा.

मैं सुबह घर जा रही थी तो लग रहा था कि अमन की बातों को झेलना पड़ेगा. पर घर पर अमन अभी तक सो रहे थे. मैं नहाने चली गई. वापस आई तो देखा अमन अब भी सो रहे थे. मैं किचन में चली गई. इतने में साहिल का फोन आया. उस ने कांपती हुई आवाज में मुझे मांजी के न होने की खबर दी. मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े. दिल किया कि जोर से रो लूं पर खुद पर नियंत्रण किया. साहिल कैसे सहेगा इस दुख को. सोचते हुए मैं ने अमन को जगाया और बताया कि मेरी सहेली की मांजी नहीं रहीं.

‘‘अरे ये तो बुरा हुआ,’’ उन्होंने आंखें मलते हुए कहा.

‘‘मैं जा रही हूं अमन, आप प्लीज नाश्ता बाहर कर लेना,’’ मैं ने जल्दी से उन को कहा.

‘‘हां, ठीक है. अरे सुनो, आज पवन के घर पार्टी है तुम जल्दी आ जाना,’’ अमन ने चादर मुंह पर लेते हुए कहा तो मैं थोड़ी सोचती हुई वहीं खड़ी रह गई कि ये इंसान हैं या पत्थर. किसी की मां नहीं रहीं और इन को पार्टी में जाना है. पर इन का भी क्या कुसूर ये तो अपनों का दर्द ही नहीं समझते, परायों का क्या समझेंगे.

मैं अपनी शादी से खुश नहीं हूं और पति से अलग होना चाहती हूं, मैं क्या करू?

सवाल

मेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं. एक बेटा भी है. मैं अपनी शादी से खुश नहीं हूं और पति से अलग होना चाहती हूं पर वे मुझे छोड़ना नहीं चाहते, बावजूद इस के कि वे मुझे पसंद नहीं करते. हमेशा लड़ते रहते हैं. कई बार तो मारते पीटते भी हैं. मुझे समझ में नहीं आता कि उन से छुटकारा कैसे पाऊं? कृपया मेरी समस्या का कोई समुचित हल बताएं?

जवाब

आप ने पूरा खुलासा नहीं किया कि आप के पति आप को नापसंद क्यों करते हैं और आप लोगों में झगड़ा क्यों होता है? जहां तक आप के पति के आप को मारनेपीटने की बात है तो वह उचित नहीं है. इस के लिए पहली बार ही जब उन्होंने आप पर हाथ उठाया था आप को अपने सासससुर से इस की शिकायत करनी चाहिए थी.

आप की शादी को 3 साल हो चुके हैं. इतने सालों में आप पति के स्वभाव को जान चुकी होंगी, इसलिए कोशिश कर सकती हैं कि कोई ऐसा काम न करें, जिस से गृहकलह की नौबत आए. अब आप का बच्चा भी है और घर की अशांति का बच्चों की परवरिश पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. जहां तक आप के द्वारा पति को छोड़ने की बात है तो हम परिवार जोड़ने की सलाह देते हैं तोड़ने की नहीं. अत: पति को छोड़ने का विचार मन से निकाल दें. पति से तालमेल बैठाने का प्रयास करें.

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कमजोरों पर भारी पड़ता तलाक तलाक तलाक

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ इलाके की रहने वाली रेहाना की शादी 16 साल की उम्र में लखनऊ के परवेज से हो गई थी. रेहाना का परिवार गांव में रहता था. वह वहां के रहनसहन की आदी थी. 5वीं जमात तक पढ़ी रेहाना को पढ़नेलिखने का शौक था. उस के वालिद ने आगे स्कूल भेजने से बेहतर उस की शादी करना मुनासिब समझा. रेहाना को समझा दिया गया कि निकाह के बाद लखनऊ जाना, तो वहां पढ़ने के लिए अच्छेअच्छे स्कूल मिलेंगे.

रेहाना निकाह के बाद लखनऊ आ गई. वहां पर उस ने अपनी पढ़ाई की बात की, तो किसी ने उस की बात को तवज्जुह नहीं दी. धीरेधीरे वह रोजमर्रा की जिंदगी में उलझ गई. शादी के सालभर बाद ही रेहाना को एक बच्चा भी हो गया. रेहाना का पति नौकरी करने विदेश चला गया. अब वह कुछ दिन लखनऊ रहती, तो कुछ दिन मायके हैदरगढ़ चली जाती. इस बीच ससुराल में उस का कुछ मनमुटाव भी होने लगा. यह बात विदेश में नौकरी करने गए रेहाना के पति परवेज को भी पता चली, तो वह उसी को जिम्मेदार ठहराने लगा. रेहाना को यह पता नहीं था कि परवेज के मन में क्या है?

एक दिन फोन पर बात करते ही दोनों के बीच झगड़ा होने लगा. गुस्से में आ कर परवेज ने रेहाना को ‘तलाक तलाक तलाक’ कह कर तलाक दे दिया.इस बात की जानकारी रेहाना के मायके और ससुराल वालों को भी हुई. उन लोगों ने बात को संभालने के बजाय दोनों का अलगाव कराने का फैसला कर लिया. निकाह के 4 साल के अंदर ही 20 साल की रेहाना तलाकशुदा औरत बन कर ही मायके में रह कर मेहनतमजदूरी कर के अपना पेट पालने को मजबूर हो रही है.

यह केवल रेहाना की बात नहीं है. गांवों और कसबों में रहने वाली कमजोर परिवार की बहुत सारी मुसलिम लड़कियां इस तरह की परेशानियों से गुजर रही हैं. कुछ सालों में उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवकसबों में रहने वाली लड़कियों के मातापिता उन की शादी शहरों में करने लगे हैं, ताकि वे सुखी जिंदगी गुजरबसर कर सकें. शादी के समय अपनी अच्छी माली हालत बताने वाले लड़कों के परिवार शादी के बाद लड़कों को नौकरी करने किसी और देश या शहर भेज देते हैं, जहां पर वे नौकरी करते हैं. घर में उन का रहना कम होने लगता है.पतिपत्नी के अलग रहने से दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं. एक समय ऐसा आता है कि ये दूरियां तनाव, लड़ाईझगड़े में बदल जाती हैं. फोन, ह्वाट्सऐप और सोशल मीडिया के बढ़ते चलन से बातबात पर तलाक देने की घटनाएं बढ़ गई हैं. छोटीछोटी बातचीत और लड़ाईझगड़े में ये मर्द अपनी औरतों को तलाक देने लगे हैं. मुसलिम तलाक कानून 3 तलाक को ले कर पसोपेश की हालत में है. ऐसे में इस का खमियाजा औरतों को उठाना पड़ता है.

आंकड़े बताते हैं कि साल 2014 में महिला शरीआ अदालतों में 235 तलाक के मामले आए थे. इन में से 66 फीसदी मामलों में बातचीत करतेकरते मुंहजबानी तलाक ही लिया गया था. जिन औरतों को तलाक मिला, उन में से 90 फीसदी से ज्यादा औरतें इस तरह के तलाक से खुश नहीं हैं. मुसलिम समाज में आज भी 55 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में ही कर दी जाती है. इन में से आधी औरतों के पास निकाहनामा नहीं होता है. मुसलिम समुदाय में इस तरह के तलाक की अहम वजह किसी और से शादी भी होती है. 90 फीसदी औरतें अपने पतियों की दूसरी शादी के खिलाफ हैं. मुसलिम समाज में घरेलू हिंसा के मामले भी बढ़े हैं. औरतें बातबात पर तलाक के डर से अपनी बात किसी से कहने में डरती हैं. उन को लगता है कि इस से उन का पति उन को तलाक दे देगा. तलाक के डर से वे मारपीट को चुपचाप सहती रहती हैं.

छोटी छोटी वजहें

बातबात पर तलाक देने के मामलों को देखा जाए, तो बहुत छोटीछोटी वजहें सामने आती हैं. रेहाना ने बताया कि उस के पति ने लड़ाईझगड़ा शुरू करने से पहले कहा था कि तुम को खाना बनाना नहीं आता. जब भी तुम गोश्त बनाती हो, उस में तेल ज्यादा रहता है. उस को खाने के बाद हमारे घर वालों का पेट खराब हो जाएगा. वे बीमार हो जाएंगे. जब तुम घर के लोगों के लिए खाना तक नहीं बना सकती हो, तो तुम्हारे साथ निकाह कर के रहने का क्या फायदा? इस के बाद ही उस ने तलाक दे कर रेहाना को छोड़ दिया. दरअसल, मुसलिम कानून में औरतों के बजाय आदमियों को ज्यादा हक दिए गए हैं. ऐसे में औरतें हमेशा अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं. आदमियों को लगता है कि 3 बार तलाक कहने से उन को बीवी से छुटकारा मिल जाएगा. एक बार तलाक हो जाने के बाद कोई भी औरत की बात को सही नहीं मानता. ऐसे में आदमियों के हौसले बढ़ते जाते हैं.

समाज के दूसरे तबकों को देख कर मुसलिम बिरादरी की लड़कियां भी फैशनेबल पोशाक में रहना चाहती हैं. जब वे ऐसा करती हैं, तो उन के समाज के कट्टरवादी लोग एतराज करते हैं. यहीं से औरतों का विरोध होने लगता है.

20 साल की फरहाना ने बताया कि उस ने इंटर तक की पढ़ाई पूरी की थी. शादी के बाद वह अपनी सहेलियों से मिलती, तो वे सब फैशन से रहती थीं. एक बार उस ने भी फैशनेबल पोशाक पहन ली. इस से उस की सास नाराज हो गईं और इस बात की शिकायत उस के पति को कर दी, जिस के बाद मारपीट से शुरू हुई कहानी तलाक तक पहुंच गई. इस तरह के हालात का सामना कर रही रजिया ने बताया कि उस का तलाक इसलिए हो गया, क्योंकि अपनी ननद की शादी में उस ने कपड़ों और गहनों की खरीदारी की थी. यह बात ननद की ससुराल वालों को पसंद नहीं आई. ननद की ससुराल वालों की शिकायत पर उसे तलाक दे दिया.

पहले भारतीय समाज में शादी टूटने की घटनाएं कम होती थीं. हाल के कुछ सालों में ये घटनाएं बढ़ चुकी हैं. शादी टूटने की सब से ज्यादा घटनाएं मुसलिम बिरादरी में बढ़ रही हैं. महज 10 सालों के अंदर शादी टूटने की घटनाएं 3 गुना ज्यादा बढ़ गई हैं. छोटेबड़े सभी शहरों में एकजैसे हालात हैं. देश में सब से ज्यादा तलाक मुंबई में होते हैं. एक साल में मुंबई में औसतन 11 हजार, दिल्ली में 8 हजार और लखनऊ में 3 हजार तलाक होते हैं. दिल्ली में हर साल फैमिली कोर्ट में 15 हजार से ज्यादा अर्जियां तलाक के लिए डाली जाती हैं. केरल, पंजाब और हरियाणा में तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं. वहां हर साल 3 से 6 हजार तलाक के केस फाइल होते हैं.

तलाक की कहानी

मुसलिम तबके में किसी आदमी को अपनी पत्नी से छुटकारा पाने के लिए तलाक शब्द को कहने का हक हासिल है. 3 बार तलाक शब्द को दोहरा कर वह पत्नी को तलाक दे सकता है. मुसलिम धर्म के जानकार मानते हैं कि इस तरह बातबात पर तलाक लेना सही नहीं है. तलाक शब्द को एकसाथ ही 3 बार में नहीं बोला जा सकता है. एक महीने में एक बार ही तलाक बोला जा सकता है. इस से पतिपत्नी को तलाक लेने में 3 महीने तक का समय मिल जाता है.

सही बात यह है कि लोग इस बात का पालन नहीं करना चाहते. लोग एक बार में ही तलाक शब्द को 3 बार में बोल कर तलाक लेना पसंद करते हैं. मुसलिम तबके के लोग भी इस बात को ज्यादा प्रचारित नहीं करना चाहते कि तलाक को किस तरह से देना होता है. मर्द इस भ्रम को बनाए रखना चाहते हैं, जिस से वे औरतों का शोषण कर सकें.

कम पढ़ीलिखी लड़की इस तरह के दबाव में आ कर टूट जाती है. वह 3 बार कहे गए तलाक को ही सही मान लेती है. वह इस को अपनी किस्मत मान कर समझौता कर लेती है. कम उम्र में तलाक होने से औरतें जिंदगीभर दुख भोगती रहती हैं. इस में से कई दिमागी बीमारियों का शिकार हो कर टूट जाती हैं.

रेहाना कहती है, ‘‘तलाक देने के तरीकों से मुसलिम औरत हमेशा नुकसान में रहती है. जब तक 3 तलाक को सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, तब तक मर्द मनमानी करते रहेंगे.’’ तलाक को ले कर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुझाव दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शादी का रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही शादी में दिए गए स्त्रीधन और मिलने वाले सामान की पूरी लिस्ट भी बनाई जाए.

इस के बाद भी अभी तक इस बात पर अमल नहीं किया गया है. अगर 3 तलाक के गलत इस्तेमाल से शादियों को टूटने से बचाना है, तो सुप्रीम कोर्ट की बात को मानना ही पडे़गा. मर्दों को लगता है कि अगर तलाक देने के तरीके में कोई रुकावट आएगी, तो उन की मनमानी पर असर पड़ेगा, जिस से वे औरत को आसानी से तलाक दे कर दूसरी शादी नहीं कर सकेंगे.

सोशल साइटें बनीं सौतन

पिछले 4-5 सालों में सोशल साइटों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिस में आदमी और औरत दोनों ही अलगअलग दोस्त बनाते हैं. सब से बड़ा जरीया फेसबुक और ह्वाट्सऐप हैं. पहले यह लत शहरों तक ही सिमटी थी, पर अब मोबाइल फोन, फेसबुक और ह्वाट्सऐप गांवकसबों तक पहुंच गए हैं. बातबात पर तलाक के मामलों को अलग कर के देखा जाए, तो सोशल साइटें तलाक की अहम वजहें बन रही हैं. स्कूल में पढ़ाने वाली सलमा फेसबुक और वाट्सऐप दोनों का इस्तेमाल करती थीं.

वे जब स्कूल से वापस आतीं, तो कुछ देर सोशल साइट्स पर बिताती थीं. एक बार उन के पति ने उन का फोन देखा तो पता चला कि सलमा रात को किसी मर्द दोस्त से चैटिंग कर रही थी. पति ने इस बात को ले कर पहले झगड़ा शुरू किया और बाद में सलमा को तलाक दे दिया. मुसलिम बिरादरी में अभी भी औरतों पर तमाम तरह की पाबंदी हैं. ऐसे में सोशल साइटें सौतन बन गई हैं. बातबात पर होने वाले तलाक में फेसबुक और ह्वाट्सऐप की बातों को सुबूत की तरह से पेश किया जाने लगा है. 50 फीसदी से ज्यादा लोग अपने साथी के अकाउंट पर नजर रखते हैं. 60 फीसदी लोग यह चाहते है कि उन की पत्नी अपने मोबाइल फोन में किसी तरह का पासवर्ड लौक न लगाएं.

30 फीसदी लोगों में फेसबुक और वाट्सऐप को ले कर हफ्ते में एक बार झगड़ा जरूर होता है. सोशल साइटों ने शादीशुदा जिंदगी में परेशानी खड़ी कर दी है. इस का सब से ज्यादा असर मुसलिम बिरादरी पर पड़ रहा है. अब मुसलिम बिरादरी भी इन मामलों को ले कर जागरूक होने लगी है. 3 तलाक कानून से उस की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ती जा रही हैं.

मुसलिम देश भी हैं परेशान

भारत में 3 तलाक भले ही चल रहा हो, पर मुसलिम देशों में इस पर बैन लगाया जाना शुरू हो गया है. पाकिस्तान में 3 तलाक को बंद कर दिया गया है. मुसलिम देशों में गुस्से, नशे और जोश में दिए गए तलाक को सही नहीं माना जाता है. अलगअलग देशों में तलाक को ले कर अलगअलग कानून हैं. मुसलिम देशों में औरतों की हालत बेहद खराब है. यूरोपीय देशों में मुसलिम जोड़ों के लिए अलग कानून है. 3 तलाक को वहां भी अच्छा नहीं माना जाता है. इस को रोकने के वहां भी अलगअलग कानून बने हैं. उन देशों में रहने वालों के माली और सामाजिक हालात भारत से अलग हैं.

ऐसे में भारत में 3 तलाक को ले कर ज्यादा जागरूकता नहीं है. भारत में तमाम औरतों ने अपने संगठन बना कर 3 तलाक  का विरोध करना शुरू किया है. इस से समाज में जागरूकता तो आ रही है, पर अभी भी बड़ा हिस्सा 3 तलाक को सही मानता है. आपसी विरोधऔर सहमति के बीच 3 तलाक का प्रचलन जारी रहने से औरतों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सब से ज्यादा परेशानी गांवकसबों में रहने वाली औरतों के सामने आती है. कम पढ़ीलिखी गरीब औरतें अपनी शिकायत तक सही से नहीं करा पाती हैं. 3 तलाक ने इस तरह की औरतों की जिंदगी को बरबाद कर दिया है.

 

 

अल्पविराम: शादीशुदा स्वरा जब अपने दोस्त के प्यार में पड़ गई

शादीके 10 साल के बाद प्रेम क्या मर जाता है? रिश्ता भी विवाहित जोड़े क्या यंत्रचालित ढंग से निभाने लगते हैं? अब यह सब विवाहितों पर लागू होता है अथवा नहीं, यह तो वे ही जानें, स्वरा और आलोक के लिए तो यह पूर्णतया सत्य है. स्वरा और आलोक के विवाह को 9 साल से कुछ महीने ज्यादा ही हो गए थे. उन का एक 8 साल का प्यारा बेटा शिव था. आलोक एक उच्च पद पर कार्यरत था, इसलिए घर में वह सब कुछ मौजूद था, जो उसे आधुनिक और संपन्न बनाता था. शिव के जन्म के बाद स्वरा ने अपनी स्कूल की जौब छोड़ दी थी और अब जब शिव तीसरी कक्षा का छात्र है, वह अपना खाली समय शौपिंग, गौसिप वगैरह में गुजारती. आज वह घर में ही थी और इधरउधर की बातें सोचतेसोचते थक गई थी. शिव के आने में काफी समय था अभी. और आलोक के आने का कोई तय समय नहीं था. जब बैठेबैठे ऊब गई तो महाराज को खाना क्या बनाना है, बता कर गाड़ी ले कर निकल गई.

मौल में घूमते हुए उस का ध्यान कई जोड़ों पर गया. कितना समय बीत गया था आलोक और उसे ऐसे घूमे हुए. अब तो आलोक रोमांटिक बातों पर हंसता है और फैमिली आउटिंग को टालता है. प्रेम भी वे मशीनी तरीके से करते हैं और इस प्रेम का दिन भी फिक्स हो गया है, शनिवार की रात. अब तो हालत यह हो गई है कि शनिवार की रात जब आलोक उस की तरफ बढ़ता, तो उसे उबकाई आ जाती. वह कोई न कोई बहाना बनाने की कोशिश करती. कभीकभी वह जीत जाती, तो कभीकभी आलोक जीत जाता. तब वह सोचती कि प्रेम क्या कभी तय कर के किया जाता है? वह तो एक उन्माद की तरह आता है और सुख दे जाता है. लेकिन आलोक को यह बात कौन समझाए? वह तो प्रेम भी अपनी मीटिंग की तरह करने लगा था. ऐसा पहले तो नहीं था. क्या उसे अपना बाकी जीवन ऐसे ही गुजारना होगा.

‘‘मैडम, ऐक्सक्यूज मी, आप एक फौर्म भर देंगी?’’ एक युवक उस के पास आ कर बोला, तो उस की विचारों की तंद्रा भंग हुई और वह वर्तमान दुनिया में लौट आई.

‘‘क्या है यह?’’

‘‘यह हमारी कंपनी की स्पैशल स्कीम है. सभी फौर्म में से एक सिलैक्ट होगा और उसे भरने वाले को 3 दिन और 2 रातों का गोवा का पैकेज मिलेगा.’’

‘‘बाद में आना, अभी मैं बिजी हूं,’’ स्वरा ने उसे टालते हुए कहा.

‘‘परंतु मैं तो बिलकुल फ्री हूं,’’ कोई अचानक उन के बीच आ कर बोला तो स्वरा और वह लड़का दोनों चौंक गए.

अरे यह तो कमल है, उस के कालेज के दिनों का सहपाठी. स्वरा को याद आया, कितना स्मार्ट हो गया है यह लल्लू. फिर उस लड़के से उस का नंबर ले कर स्वरा ने उसे बाद में आने को कहा.

उस लड़के के जाने के बाद स्वरा और कमल मौल में ही एक रैस्टोरैंट में बैठे तो बात करतेकरते कब शाम हो गई उन्हें पता ही नहीं चला. अगले दिन मिलने का वादा कर के स्वरा घर आ गई, परंतु घर आ कर भी कमल की बातों को भूल नहीं पा रही थी. कितने दिनों के बाद किसी ने उस की इस तरह से तारीफ की थी. रात में खाना खा कर अभी वह लेटी ही थी कि फोन की घंटी बजी. फोन कमल का था. उस ने सोचा कि कमल को डांट दे कि अभी फोन करने का क्या मतलब? परंतु कर नहीं पाई. उन की बात जब खत्म हुई तो पता चला कि रात का 1 बज गया है.

फिर तो यह रोज का सिलसिला बन गया. या तो वे दिन में मिल लेते या घंटों फोन पर बातें करते रहते. स्वरा काफी खुश रहने लगी थी, क्योंकि कमल और उस की सोच काफी मिलती थी. वह कमल से उन सभी टौपिक पर बात करती, जिन पर वह अकेली बैठे सोचती रहती. फिर उसे लगता कि कमल आलोक से कितना अलग, कितना संवेदनशील है. ऐसा होने से दोनों ही एकदूसरे का साथ ज्यादा से ज्यादा चाहने लगे थे. एक दिन कमल ने अचानक स्वरा को फोन कर के मौल में बुला लिया और वह पहुंची तो बोला, ‘‘स्वरा, कल मैं कंपनी के काम से न्यू जर्सी जा रहा हूं. 1 महीने बाद आऊंगा.’’

‘‘क्या इतने दिन…’’

‘‘हां, लगेंगे तो इतने ही दिन. जाना तो मैं भी नहीं चाहता था पर तुम तो जानती ही हो मेरे बिजनैस की प्रौब्लम.’’

‘‘नहींनहीं कमल तुम जरूर जाओ. हम फोन पर तो बात करते रहेंगे.’’

‘‘स्वरा, मैं एक बात सोच रहा था.’’

‘‘हां, बोलो.’’

‘‘जाने से पहले तुम्हारे साथ कुछ वक्त गुजारना चाहता था.’’

‘‘गुजार तो रहे हो.’’

‘‘नहीं, ऐसे नहीं अकेले कहीं… तुम समझ रही हो न?’’

कुछ सोच कर स्वरा ने कहा, ‘‘बोलो, कहां चलें?’’

‘‘तुम कोई सवाल मत करो, बस चलो. मुझ पर तुम्हें भरोसा तो है न?’’

‘‘चलो, फिर चलें.’’

कमल ने गाड़ी एक आलीशान होटल के सामने रोकी.

‘‘ये कहां आ गए हम?’’ स्वरा गाड़ी से उतरते हुए बोली. वह खुद को असहज महसूस कर रही थी.

‘‘स्वरा, मुझे तुम से जो बात करनी है, उस के लिए एकांत जरूरी है.’’

होटल की लौबी से कमरे तक पहुंचने का रास्ता स्वरा को काफी लंबा महसूस हो रहा था, परंतु वह अंदर से एक अलग रोमांच का भी अनुभव कर रही थी. शादी के पहले कालेज बंक कर के जब स्वरा आलोक से मिलने जाया करती थी, तब भी कुछ ऐसा ही महसूस करती थी. परंतु एक अंतर यह था कि तब उस के कदम तेजी से बढ़ते थे, लेकिन आज बड़ी मुश्किल से उठ रहे थे.

‘‘आओ स्वरा, अंदर आओ. कहां खो गईं, भरोसा तो है न मुझ पर?’’

‘‘कमल, यह तुम ने दूसरी बार पूछा है. औफकोर्स है यार. न होता तो यहां तक आती क्या?’’

अंदर पहुंच कर कमल ने स्वरा को बिस्तर पर बैठाया और खुद उस के घुटनों के पास नीचे बैठ गया.

‘‘यह क्या कमल, तुम यहां क्यों बैठ रहे हो?’’

‘‘मुझे यहीं बैठने दो स्वरा, क्योंकि मुझे जो कहना है वह मैं तुम्हारी आंखों में आंखें डाल कर कहना चाहता हूं.’’

‘‘ऐसा क्या?’’

‘‘स्वरा, तुम से मिलने से पहले मैं सोचता था कि मेरी जिंदगी यों ही कट जाएगी. औफिस से घर व घर से औफिस. और एक ऐसी बीवी जो मुझ से ज्यादा किट्टी पार्टी और शौपिंग में रुचि रखती है. मैं शायद अपने दोनों बेटों की खातिर जी रहा था यह जिंदगी. लेकिन तुम मिलीं तो सब कुछ बदल गया. हम दोनों शादी की बेमजा जिंदगी में कैद हैं, इसलिए मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं,’’ ऐसा कहते हुए कमल स्वरा के एकदम करीब आ गया. इतना करीब कि उस की गरम सांसें स्वरा के कोमल कपोलों को सुलगाने गीं.

स्वरा ने इस क्षण के आने के बारे में सोचा न हो ऐसा न था. वह सोचती थी कि जब यह क्षण आएगा तो वह रोमांचित हो जाएगी. जो रिक्तता उस की शादीशुदा जिंदगी में आ गई थी, शायद वह भर जाएगी. परंतु यह क्या? कमल का पास आना उसे बिलकुलअच्छा नहीं लगा. उसे ऐसा लगा जैसे आलोक की कोई बहुत प्यारी चीज, कमल उस से छीनना चाहता है और वह ऐसा होने नहीं देना चाहती. उसी पल उस को यह भी एहसास हुआ कि अंदरूनी रूप से तो वह कभी भी आलोक से दूर हुई ही नहीं थी.

एक झटके में वह कमल को पीछे कर के खड़ी हो गई.

‘‘क्या हुआ स्वरा, मुझ से कोई भूल हो गई?’’

‘‘भूल, नहीं कमल, हुआ तो यह है कि तुम्हारी वजह से मैं समझ पाई कि मैं आलोक से कितना प्यार करती हूं. हमारी शादी में एक अल्पविराम जरूर लग गया था, परंतु प्रयास कर के मैं उसे हटा दूंगी. अल्पविराम को पूर्णविराम समझने की भूल से उबारने के लिए धन्यवाद दोस्त.’’

कमल को जड़ छोड़ कर स्वरा होटल से बाहर आ गई और औटो में बैठ कर उस ने 3 फोन किए. पहला, टूअर पैकेज वाले लड़के को और उस से गोवा की अगले हफ्ते की बुकिंग करवाई. दूसरा, अपनी मां को ताकि शिव उस पूरे हफ्ते किसी भरोसेमंद के पास रहे और तीसरा फोन किया आलोक को.

महत्त्वाकांक्षा: आधुनिकता की चमक में जब मीत ने आया को सौंपी बेटी की परवरिश

आजमीता का औफिस में कतई मन नहीं लग रहा था. सिर भारी हो गया था, आंखें सूजी हुई थीं. रात में वह सो जो नहीं पाई थी. पति से काफी नोकझोंक हुई थी. उस की पूरी रात टैंशन में गुजरी थी.

‘‘तुम औफिस से छुट्टी क्यों नहीं ले लेतीं.’’

‘‘आप क्यों नहीं ले लेते? पिछली दफा मैं ने लंबी छुट्टी नहीं ली थी क्या?’’ पति के कहने पर मीता फट पड़ी.

‘‘उस के पहले मैं ने भी तो लंबी छुट्टी ली थी.’’

उस के बाद दोनों के बीच खूब झगड़ा हुआ और फिर दोनों बिना कुछ खाएपीए सो गए.

सुबह उठने पर दोनों के चेहरों पर कई सवालिया निशान थे. बिना एकदूसरे से बोले और कुछ खाएपीए दोनों औफिस चले गए.

‘पूरी जिम्मेदारी औरत के सिर ही क्यों थोप दी जाती है.’ रहरह कर यही सवाल उसे बुरी तरह मथे जा रहा था. हर बार औरत ही समझौता करे? पत्नी की प्रौब्लम से पति को सरोकार क्यों नहीं? क्यों पुरुष इतना खुदगरज, लालची और हठधर्मी बन जाता है?

‘‘अरे, क्या हुआ? यह मुंह क्यों लटका हुआ है?’’ मैडम सारिका ने पूछा.

‘‘क्या बताऊं मैडम, बेटी को ले कर हम दोनों में रोज झगड़ा होता है. वह बीमार है. मुझे दफ्तर की ओर से विदेश यात्रा पर जाना है. ऐसे में मैं कैसे छुट्टी ले सकती हूं. पति मेरी कोई मदद नहीं करते, उलटे गृहिणी बनने की सलाह दे कर मेरा और मूड खराब कर देते हैं.’’

‘‘बेटी को क्या हुआ है?’’

‘‘उस ने हंसनाखेलना छोड़ दिया है. हमेशा उनींदी सी रहती है. रहरह कर दांत किटकिटाती है. हर समय शून्य में निहारती रहती है.’’

‘‘किसी चाइल्ड स्पैशलिस्ट को दिखाओ,’’ मैडम सारिका घबरा कर बोलीं.

‘‘मैं छुट्टी नहीं ले सकती… मेरी टेबल पर बहुत काम पड़ा है.’’

‘‘उस की तुम टैंशन मत लो… मैं सब संभाल लूंगी… तुम बेटी को किसी अच्छे डाक्टर को दिखाओ.’’

मीता को यह जान कर अच्छा लगा कि पति ने भी अगले दिन की छुट्टी ले ली है. अगली सुबह आया की राह देखी, उस के न आने पर पड़ोसिन को घर की चाबी दे कर डाक्टर के पास रवाना हो गए.

डिस्पैंसरी में बहुत भीड़ थी. प्राइवेट डिस्पैंसरी में भी सरकारी अस्पतालों जैसी भीड़ देख कर मीता दंग रह गई. उसे अपना नंबर आना नामुमकिन सा लगने लगा, क्योंकि शनिवार होने के कारण डिस्पैंसरी 1 बजे बंद हो जानी थी.

मीता को आज पता चला कि छुट्टी की कितनी अहमियत है. सरकारी और प्राइवेट औफिसों में कितना अंतर है. प्राइवेट औफिस सैलरी तो अच्छी देते हैं पर खून चूस लेते हैं. जरा भी आजादी नहीं… कितना मन मार कर काम करना पड़ता है… इंसान मशीन बन जाता है. अपनी आजादी पर ग्रहण लग जाता है.

इस बीच पड़ोसिन का फोन आया कि आया अभी तक नहीं आई है. पता नहीं क्या हो गया था उसे जो बिना बताए छुट्टी कर गई.

बड़ी देर बाद मीता का नंबर आया. बच्ची की हालत देख कर एक बार को डाक्टर भी चौंक गया. उस ने बच्ची की बीमारी से संबंधित बहुत सारे प्रश्न पूछे, जिन के मीता आधेअधूरे उत्तर ही दे पाई. जितना आया जानती थी उतना मीता कहां जानती थी… बच्ची का खानापीना, खेलनाखिलाना सब कुछ उसी के जिम्मे जो था. वह दिन भर आया के पास ही तो रहती थी.

बच्ची का मुआयना कर डाक्टर ने कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी और बच्ची को ज्यादा से ज्यादा अपने पास रखने की ताकीद भी की. साथ ही यह भी कहा कि आया पर पूरी नजर रखें. यह सुन मीता घबरा गई.

अब पतिपत्नी दोनों को एहसास हो रहा था कि उन से बच्ची की उपेक्षा हुई है. उन्होंने अपनी बेटी से ज्यादा नौकरी को अहमियत दी. यह उसी का दुष्परिणाम है, जो बच्ची की हालत बद से बदतर हो गई.

‘‘सुनो जी, मैं 1 सप्ताह की छुट्टी ले लेती हूं… सैलरी कटे तो कटे… बच्ची को इस समय मेरी सख्त जरूरत है,’’ मीता कहतेकहते रो पड़ी.

‘‘मैं भी छुट्टी ले लेता हूं मीता. मेरी भी बराबर की जिम्मेदारी है… कहीं का नहीं छोड़ा इस नौकरी ने हमें, महत्त्वाकांक्षी बन कर रह गए थे हम.’’

‘‘बच्ची को कुछ हो गया तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी. विदेश जाने की धुन ने मुझे एक तरह से अंधा बना दिया था,’’ मीता अपने पति के कंधे पर सिर रख कर रोने लगी.

 

बच्ची की आंखें थोड़ी खुलतीं, फिर बंद हो जातीं. वह अपनी अधखुली आंखों से शून्य में निहारती. अपनी मां को अर्धबेहोशी में देखते रहने का वह पूरा प्रयत्न करती.

‘‘बेटी आंखें खोल… अपनी ममा से बातें कर… देख तो तेरी ममा कितनी दुखी हो रही है… अब तुझे कभी आया के पास नहीं छोड़ेगी तेरी ममा… जरा तो देख..’’ कहतेकहते मीता का कंठ पूरी तरह अवरुद्ध हो गया.

रोतेबिलखते कब उस की आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला. दरवाजे पर आहट से वह जागी. दरवाजा खोला तो सामने पति हाथ में लिफाफा लिए खड़े थे. पति के हाथों से लगभग उसे छीन कर बच्ची की ब्लड रिपोर्ट पढ़ने लगी.

‘‘ड्रग्स,’’ उस ने प्रश्नवाचक दृष्टि से पति की ओर ताका.

‘‘हां, ड्रग्स. बच्ची को धीमा जहर दिया जा रहा था. जरूर यह आया का काम है. तभी तो वह अब नहीं आ रही है.’’

‘‘बेबी के शरीर ने फंक्शन करना बंद कर दिया है,’’ मीता को डाक्टर का यह कहना याद आ गया और वह चक्कर खा कर बिस्तर पर जा गिरी.

कुछ समय बाद अचानक डाक्टर का फोन आया. बच्ची को ले कर क्लीनिक बुलाया. डाक्टर ने पुलिस को फोन कर आया को गिरफ्तार भी करा दिया था. पुलिस आया को ले कर क्लीनिक आ गई थी. उन के वहां पहुंचने पर आया उन से मुंह छिपाने का प्रयास करने लगी. तब पुलिस ने उन के सामने ही आया से पूछताछ शुरू की.

‘‘क्या आप की आया यही है?’’

‘‘जी, यही है,’’ दोनों ने एकसाथ जवाब दिया.

‘‘बच्ची पूरा दिन आया के पास ही रहती थी क्या?’’

‘‘जी हां, हम दोनों तो अपनेअपने औफिस चले जाते थे.’’

‘‘क्या आप ने इसे नौकरी पर रखते समय पुलिस थाने में जानकारी दी थी?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘यही आप से बहुत बड़ी गलती हुई है…’’ पुलिस इंस्पैक्टर ने दो टूक शब्दों में कहा और फिर आया की ओर मुखातिब हुए, ‘‘पतिपत्नी के औफिस जाने के बाद तुम बच्ची को कहां ले जाती थी?’’

‘‘जी, कहीं नहीं, मैं पूरा समय घर पर ही रहती थी.’’

‘‘झूठ… इन को जानती हो?’’ पुलिस ने पास के पार्क के माली की ओर इशारा कर के पूछा तो आया का चेहरा उतर गया. पार्क में बीमार बच्ची के नाम पर भीख मांगती थी. बच्ची बीमार सी लगे, इसलिए उसे भूखा रखती, ऊपर से धीमे जहर ने बच्ची पर और कहर ढा दिया था. पर समय रहते डाक्टर के रिपोर्ट करने पर पुलिस ने उसे रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया था.

अब आया जेल में थी और बच्ची अस्पताल में जीवनमृत्यु के बीच झूल रही थी. वह अपने मातापिता की महत्त्वाकांक्षा की बलि जो चढ़ गई थी.

 

अपशकुनी: अवनि को पहली नजर में ही दिल दे बैठा था अनन्य

अनन्य पार्किंग में अपनी कार खड़ी कर के उतर ही रहा था कि सामने से स्कूटी से उतरती लड़की को देख कर ठगा सा रह गया. उस लड़की ने बड़ी अदा से हैलमेट उतार कर बालों को झटका तो मानो बिजली सी कौंध गई.

उस के स्कूटी खड़ा कर आगे बढ़ने तक वह बड़े ध्यान से उसे देखता रहा. सलीके से पहनी हैंडलूम की साड़ी, कंधों तक लहराते काले बाल और एकएक कदम नापतौल कर रखती गरिमा से भरी चाल उस के व्यक्तित्व को अद्भुत आभा प्रदान कर रहे थे.

अपनी मौसेरी बहन के बेटे चिरायु के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने के लिए अनन्य उत्सव रिजोर्ट आया था. वह लड़की भी उत्सव की ओर जा रही थी. अनन्य को कुछ और देर तक उसे निहारने का सुख मिल गया.

उत्सव के गेट में घुसते ही वह लपक कर लिफ्ट की ओर दौड़ गई. जब तक अनन्य को होश आता, लिफ्ट ऊपर जा चुकी थी. अनन्य के पास अब इंतजार करने के अलावा दूसरा कोई चारा भी नहीं था. पहली बार उसे धीमी गति से चलने के कारण खुद पर गुस्सा आया.

जब वह तीसरी मंजिल पर पार्टी वाले हौल में पहुंचा तो उसी लड़की को अपनी बहन सुजाता से बात करते देख हैरान रह गया. उसे देखते ही सुजाता खिलखिला कर हंस दी.

‘‘तुम शायद इसी की शिकायत कर रही हो. यही पीछा कर रहा था न तुम्हारा? ठहरो, अभी इस के कान पकड़ती हूं,’’ सुजाता नाटकीय अंदाज में बोली थी.

‘‘मैं खुद कान पकड़ता हूं, दीदी. मैं किसी का पीछा नहीं कर रहा था. मैं तो चिरायु के जन्मदिन की पार्टी में आ रहा था. कोई मेरे आगे चल रहा हो तो मैं क्या करूं.’’

‘‘मैं ऐसे दिलफेंक लड़कों के लटके- झटके खूब समझती हूं. जरा पूछिए इन से कि ये महाशय मेरे पीछे ही क्यों चल रहे थे? तेज कदमों से चल कर मेरे आगे क्यों नहीं निकल गए थे?’’

‘‘अनन्य, तुम्हें अवनि के इस सवाल का जवाब तो देना ही पड़ेगा. अब बोलो, क्या कहना है तुम्हारा?’’ सुजाता को न्यायाधीश बनने में आनंद आने लगा था.

‘‘ऐसा कोई नियम है क्या दीदी कि सड़क पर किसी लड़की के पीछे नहीं चल सकते?’’ अनन्य ने जवाब में सवाल खड़ा कर दिया.

‘‘नियम तो नहीं है, पर इसे पीछा करना कहते हैं, बच्चू. और इस के लिए दंड भुगतना पड़ता है,’’ सुजाता मुसकराते हुए बोली.

‘‘ठीक है, आप का यही निर्णय है तो मैं दंड भुगतने के लिए तैयार हूं,’’ अनन्य जोर से हंसा, पर तभी चिरायु आ धमका था और बात बीच में ही रह गई थी.

‘‘मामा, कितनी देर से आए हो. मेरा गिफ्ट कहां है?’’ चिरायु अनन्य की बांहों में झूल गया.

अनन्य ने छोटा सा पैकेट निकाल कर चिरायु को थमा दिया था.

‘‘इतना छोटा सा  गिफ्ट?’’ चिरायु ने मुंह बनाया.

‘‘खोल कर तो देख. आंखें खुली की खुली रह जाएंगी.’’

चिरायु ने बड़े यत्न से कागज में लपेटा हुआ पैकेट एक झटके में फाड़ा तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा.

‘‘ओह, वाह वीडियो गेम? मामा, आप सचमुच ग्रेट हो. पापा, देखो, अनु मामा मेरे लिए क्या लाए हैं.’’

ध्रुव वीडियो गेम को देखने में व्यस्त हो गए. सुजाता भी दूसरे मेहमानों की आवभगत में जुट गई.

अनन्य का ध्यान फिर पास ही बैठी अवनि की ओर आकर्षित हो गया. उस के लिए मानो अन्य अतिथि वहां हो कर भी नहीं थे. उस का मन कर रहा था कि वह बस अवनि को निहारता रहे. एकदो बार कनखियों से देखते हुए उस की दृष्टि अवनि से मिली तो लगा जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो.

जन्मदिन का उत्सव समाप्त होते ही उस ने सुजाता से पूछा, ‘‘दीदी, कौन है वह? पहले तो उसे कभी नहीं देखा.’’

‘‘किस की बात कर रहा है तू?’’ सब कुछ समझते हुए भी सुजाता मुसकराई.

‘‘वही जो आप से मेरी शिकायत कर रही थी,’’ अनन्य भी मुसकरा दिया.

‘‘तुझे क्या करना है? तू तो विवाह के नाम से ही दूर भागता है. कैरियर बनाना है. जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते में तो विवाह तो सब से बड़ी बाधा है न?’’ सुजाता ने अनन्य के ही शब्द दोहरा दिए थे.

‘‘पर दीदी अवनि को देखते ही मैं ने अपना खयाल बदल दिया है. पता नहीं क्या जादू है उस के व्यक्तित्व में. कुछ बताइए न उस के बारे में.’’

‘‘यही तो रोना है…जिस अवनि को देख कर तुम सम्मोहित हुए हो उस ने अपने चारों तरफ वैराग्य और वासनारहित ऐसा आवरण ओढ़ रखा है कि उस तक पहुंचना कठिन ही नहीं असंभव है. और क्यों न हो, इस संसार ने भी तो उस के साथ ऐसा ही व्यवहार किया है,’’ सुजाता का दर्दीला स्वर सुन कर अनन्य चौंक उठा.

‘‘ऐसा क्या कर दिया संसार ने अवनि के साथ?’’ क्षणमात्र में ही अब तक की सुनी हुई समस्त अनहोनी घटनाएं अनन्य के मानसपटल पर कौंध गई.

‘‘पता नहीं तुम्हें याद है या नहीं, हमारे पुराने गौलीगुड़ा वाले घर के सामने डा. निशीथ राय रहा करते थे…’’

‘‘खूब याद है,’’ अनन्य सुजाता की बात पूरी होने से पहले ही बोल उठा, ‘‘हां, बचपन में बीमार पड़ने पर मां उन्हीं के पास इलाज के लिए ले जाती थीं.’’

‘‘वे हमारे दूर के रिश्ते के चाचा थे. अवनि उन की बहन सुनंदा की छोटी बेटी है.’’

‘‘लेकिन हुआ क्या उस के साथ?’’ अनन्य उतावला हो बैठा. वह उस के बारे में सब कुछ जान लेना चाहता था.

‘‘5 वर्ष पहले की बात है. अवनि का विवाह एक बड़े संपन्न परिवार में तय हुआ था. गोदभराई की रस्म के बाद जब वर पक्ष के लोग वापस लौट रहे थे तो उन की कार को सामने से आते ट्रक ने टक्कर मार दी. उस दुर्घटना में भावी वर और उस के पिता दोनों की मौत हो गई.’’

‘‘ओह, कितना अप्रत्याशित रहा होगा यह सब?’’

‘‘अप्रत्याशित? यह कहो कि बिजली गिरी थी अवनि और उस के परिवार पर. अवनि तो पत्थर हो गई थी यह सब देख कर. उस के मातापिता सांत्वना देने गए थे पर वर पक्ष ने उन का मुंह भी देखना पसंद नहीं किया, बैठने के लिए पूछना तो दूर की बात है,’’ सुजाता ने बताया.

‘‘कितना संताप झेलना पड़ा होगा बेचारी को,’’ अनन्य बुझे स्वर में बोला.

‘‘2-3 वर्ष इलाज करवाया गया अवनि का तब कहीं जा कर वह सामान्य हुई. अब भी छोटी सी बात से डर जाती है. जैसे तुम उस के पीछे चल रहे थे पर उस को लगा कि तुम उस का पीछा कर रहे थे. कोई जोर से बोल दे या रात के सन्नाटे के उभरते स्वर, सब से वह छोटी बच्ची की तरह डर जाती है.’’

‘‘मातापिता ने फिर से विवाह की कोशिश नहीं की?’’

‘‘की थी, पर उस के अपशकुनी होने की बात कुछ ऐसी फैल गई थी कि कोई तैयार ही नहीं होता था. मातापिता ने उसे बहुत प्रोत्साहित किया, ढाढ़स बंधाया तब कहीं जा कर फिर से उस ने पढ़ाई प्रारंभ की. अर्थशास्त्र में एमफिल करते ही यहां महिला कालेज में व्याख्याता बन गई. मुश्किल से 6 माह हुए हैं यहां आए. कालेज के छात्रावास में ही रहती है. कहीं खास आनाजाना भी नहीं है. कभी बहुत आग्रह करने पर हमारे यहां चली आती है.’’

‘‘कितने दुख की बात है. जीवन ने उस के साथ बड़ा क्रूर उपहास किया है,’’ अनन्य को उस से हमदर्दी हो आई थी.

‘‘जीवन से अधिक क्रूर मजाक तो उस के अपनों ने किया है. 2 बड़े भाई हैं, एक बड़ी बहन है. तीनों अपनी गृहस्थी में इतने मगन हैं कि छोटी बहन के संबंध में सोचते तक नहीं. मेरी बूआ यानी अवनि की मां बिलकुल अकेली पड़ गई हैं. एक ओर बीमार पति की तीमारदारी तो दूसरी ओर अवनि की समस्या. उन का हाल पूछने वाला तो कोई है ही नहीं,’’ सुजाता का गला भर आया. आंखें भीग गईं.

‘‘जो हुआ, बहुत दुखद था, पर दीदी, इस का अर्थ यह तो नहीं कि पूरा जीवन एक दुर्घटना की भेंट चढ़ा दिया जाए,’’ अनन्य को अपनी बात कहने के लिए शब्द नहीं मिल रहे थे.

‘‘तुम सही कह रहे हो अनन्य, पर यह सब उसे बताएगा कौन? अभी तक तो सब ने उस के घावों पर नमक छिड़कने का ही काम किया है.

एक दिन अचानक वह मुझ से मिलने चली आई. बातों ही बातों में पता चला कि तैयार हो कर कालेज के लिए निकली तो कुछ छात्राएं उस के सामने पड़ गईं.

अवनि को देखते ही वे आपस में ऊंचे स्वर में बातें करने लगीं कि आज सवेरेसवेरे अवनि मैडम का मुंह देख लिया है, पता नहीं दिन कैसा गुजरेगा. यह बताते हुए वह रो पड़ी,’’ सुजाता ने बताया.

‘‘इस तरह कमजोर पड़ने से काम कैसे चलेगा. उन छात्राओं को तभी इतनी खरीखोटी सुनानी चाहिए थी कि फिर से ऐसी बेहूदा बात कहने का साहस न कर पाएं,’’ अनन्य क्रोध से भर उठा.

‘‘कहना बहुत सरल होता है, अपनी ही बात ले लो. कुछ ही देर पहले तुम अवनि के व्यक्तित्व से पूर्णतया अभिभूत लग रहे थे. पर मुझे नहीं लगता कि यह सब कुछ जानने के बाद भी तुम्हारे मन में उस के प्रति वही भावनाएं होंगी?’’ सुजाता व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोली.

‘‘आप के इस प्रश्न का उत्तर अभी तो मेरे पास नहीं है. सबकुछ जाननेसमझने के लिए समय तो चाहिए न दीदी,’’ अनन्य के हर शब्द में गहराई थी, अवनि के प्रति सहानुभूति थी.

सुजाता बस मुसकरा कर रह गई थी. अनन्य के जाने के बाद सुजाता सोच में डूब गई.

उस के मन में विचारों का तेजी से मंथन चल रहा था. कभी वह अनन्य के बारे में सोचती तो कभी अवनि के बारे में.

‘‘कब तक यों ही बैठी रहोगी? ढेरों काम पड़े हैं,’’ तभी ध्रुव ने उस की तंद्रा भंग की.

‘‘क्या करूं, फिर वही कहानी दोहराई जा रही है. पता नहीं अवनि को कोई सहारा देने का साहस जुटा पाएगा या नहीं?’’ निराश स्वर में बोल सुजाता उठ खड़ी हुई.

‘‘इस चिंता में घुलना छोड़ दो सुजाता. अवनि पढ़ीलिखी है, समझदार है, आत्मनिर्भर है. धीरेधीरे अपने बलबूते जीना सीख जाएगी,’’ ध्रुव ने समझाना चाहा था.

कुछ माह भी नहीं बीते थे कि एक दिन अचानक ही शुभदा मौसी का फोन आ गया. इधरउधर की बात करने के बाद वे बोलीं, ‘‘क्या कहूं सुजाता, मन रोने को हो रहा है. पर सोचा पहले तुम से बात कर लूं. शायद तुम्हीं कोई राह सुझा सको.’’

‘‘क्या हुआ, मौसी? सब खैरियत तो है?’’ सुजाता बोली.

‘‘मेरी कुशलता की इतनी चिंता कब से होने लगी तुम्हें? काश, तुम ने मुझे समय से सचेत कर दिया होता.’’

‘‘क्या कह रही हो मौसी? मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा,’’ सुजाता परेशान हो उठी.

‘‘मैं उस मुई अवनि की बात कर रही हूं. पता नहीं कब से प्रेमलीला चल रही है दोनों की. अब अनन्य जिद ठाने बैठा है कि विवाह करेगा तो अवनि से ही, नहीं तो कुंआरा रहेगा.’’

‘‘मेरा विश्वास करो मौसी. मुझे तो इस संबंध में कुछ भी पता नहीं है.’’

‘‘पर अनन्य तो कह रहा था कि वह अवनि से पहली बार चिरायु के जन्मदिन पर ही मिला था.’’

‘‘उस समारोह में तो बहुत से लोग आमंत्रित थे. कहां क्या चल रहा था, मैं कैसे बता सकती हूं.’’

‘‘ठीक है, मान ली तुम्हारी बात. पर अब तो कुछ करो, सुजाता. मेरा तो एक ही बेटा है. उसे कुछ हो गया तो मैं बरबाद हो जाऊंगी,’’ शुभदा फोन पर ही रो पड़ीं.

‘‘ऐसा मत बोलो मौसी, ऐसा कुछ नहीं होगा. क्या पता इस में भी कोई अच्छाई ही हो,’’ सुजाता ने उन्हें ढाढ़स बंधाया.

‘‘इस में क्या अच्छाई होगी. मेरी तो सारी उमंगों पर पानी फिर गया. इस से तो अनन्य कुंआरा ही रह जाता तो मैं संतोष कर लेती. सुजाता, वादा कर कि तू अनन्य को समझा लेगी.’’

‘‘ठीक है, मैं प्रयत्न करूंगी मौसी. पर कोई वादा नहीं करती. तुम तो जानती ही हो, आजकल कौन किस की सुनता है. जब अनन्य तुम्हारी बात नहीं मान रहा तो मेरी क्या मानेगा,’’ सुजाता ने अपनी विवशता जताई थी.

‘‘प्रयत्न करने में क्या बुराई है? तुझे तो बहुत मान देता है. शायद मान जाए. अपनी मौसी के लिए तू इतना भी नहीं करेगी?’’ शुभदा ने जोर डालते हुए कहा था.

‘‘क्यों शर्मिंदा करती हो, मौसी. मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगी.’’

सुजाता ने शुभदा को आश्वस्त तो कर दिया पर अति व्यस्तता के कारण अगले 2 महीने तक अवनि और अनन्य से मिलने तक का समय नहीं निकाल पाई. पर एक दिन अचानक शुभदा मौसी को आया देख उस के आश्चर्य की सीमा न रही.

‘‘आओ मौसी, तुम्हारा फोन आने के बाद व्यस्तता के कारण अनन्य से मिलने का समय ही नहीं निकाल पाई. मैं आज ही अनन्य से मिलने की कोशिश करूंगी,’’ सुजाता मौसी को अचानक आया देख वह अचकचा कर बोली.

‘‘अब उस की कोई आवश्यकता नहीं, बेटी. मैं तो उन दोनों के विवाह का निमंत्रण देने आई हूं. अनन्य को बहुत समझायाबुझाया, लेकिन वह माना ही नहीं. पता नहीं उस जादूगरनी ने क्या जादू कर दिया. बेटे की जिद के आगे झुकना ही पड़ा,’’ शुभदा मौसी भरे गले से बोलीं और निमंत्रणपत्र दे कर उलटे पांव लौट गईं.  बहुत प्रयत्न करने पर भी उन्हें रोक नहीं पाई सुजाता. शायद वे अनन्य और अवनि के विवाह के लिए सुजाता को भी दोषी मान रही थीं.

शुभदा मौसी तो निमंत्रणपत्र दे कर चली गईं पर सुजाता के मन में बेचैनी हो रही थी कि आखिर अनन्य क्यों अवनि के बारे में सबकुछ जानने के बाद विवाह के लिए राजी हो गया और अवनि कैसे अपनी पुरानी यादों को भूल कर विवाह के लिए तैयार हो गई? सुजाता ने अनन्य और अवनि से बात की तो दोनों ने ही कहा, ‘‘दीदी, हम दोनों ने एकदूसरे को अच्छी तरह समझ लिया है. साथ ही हम यह भी समझ गए हैं कि शकुनअपशकुन कुछ नहीं होता. जीवनसाथी अगर अच्छा हो तो जिंदगी अच्छी गुजरती है. अत: एकदूसरे को समझने के बाद ही हम ने शादी का फैसला लिया है.

सुजाता ने अपने में कई ताजगी का अनुभव किया.

अनन्य और अवनि का विवाह बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ था. य-पि शुभदा मौसी किसी अशुभ की आशंका से सोते हुए भी चौंक जाती थीं.

अनन्य और अवनि के विवाह को अब 5 वर्ष का समय बीत चुका है. 2 नन्हेमुन्नों के साथ दोनों अपनी गृहस्थी में कुछ ऐसे रमे हैं कि दीनदुनिया का होश ही नहीं है उन्हें. पर शुभदा मौसी हर परिचित को यह समझाना नहीं भूलतीं कि शकुनअपशकुन कुछ नहीं होता. यह तो केवल पंडों का फैलाया वहम है.

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