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मजाक : खुशबू तो ऐसा ख्वाब थी जिस के लिए क्या कहें

दिल्ली से बैंगलुरु का सफर लंबा तो था ही, लेकिन जयंत की बेसब्री भी हद पार कर रही थी. 3 साल बाद खुशबू से मिलने का वक्त जो नजदीक आ रहा था. मुहब्बत में अगर कामयाबी मिल जाए तो इनसान को दुनिया जीत लेने का अहसास होने लगता है.

ट्रेन सरपट भाग रही थी लेकिन जयंत को उस की रफ्तार बैलगाड़ी सी धीमी लग रही थी. रात के 9 बज रहे थे. उस ने एक पत्रिका निकाल कर अपना ध्यान उस में बांटना चाहा लेकिन बेजान काले हर्फ और कागज खुशबू की कल्पना की क्या बराबरी करते?

खुशबू तो ऐसा ख्वाब थी, जिसे पूरा करने में जयंत ने खुद को झोंक दिया था. उस की हर शर्त, हर हिदायत को आज उस ने पूरा कर दिया था. अब फैसला खुशबू का था.

जयंत ने मोबाइल फोन निकाला. खुशबू का नंबर डायल किया लेकिन फिर अचानक फोन काट दिया. उसे याद आया कि खुशबू ने यही तो कहा था, ‘जब सच में कुछ बन जाओ तब मुहब्बत को पाने की बात करना. उस से पहले नहीं. मैं तब तक तुम्हारा इंतजार करूंगी.’

मोबाइल फोन वापस जेब के हवाले कर जयंत अपनी बर्थ पर लेट गया. सुख के इन लमहों को वह खुशबू की यादों में जीना चाहता था.

5 साल पहले जब जयंत दिल्ली आया था तो वह कुछ बनने के सपने साथ लाया था लेकिन दिल्ली की फिजाओं में उसे खुशबू क्या मिली, जिंदगी की दशा और दिशा ही बदल गई.

जयंत ने मुखर्जी नगर, दिल्ली के एक नामी इंस्टीट्यूट में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए दाखिला लिया तो वहां पढ़ाने वाली मैडम खुशबू का जादू पहली नजर में ही प्यार में बदल गया.

भरापूरा बदन और बेहद खूबसूरत. झील सी आंखें. घुंघराले लंबे बाल. बदन का हर अंग ऐसा कि सामने वाला देखता ही रह जाए.

जयंत ने खुशबू से बातचीत शुरू करने की कोशिश की. क्लास में वह अकसर मुश्किल सवाल रखता पर खुशबू की सब्जैक्ट पर गजब की पकड़ थी. जयंत उसे कभी अटका नहीं पाया. लेकिन उस में भी बहुत खूबियां थीं इसलिए खुशबू उसे स्पैशल समझने लगी.

उस दिन क्लास जल्दी खत्म हो गई. खुशबू ने जयंत को रुकने का इशारा किया. थोड़ी देर बाद वे दोनों एक कौफी हाउस में थे और वहां कहीअनकही बहुत सी बातें हो गईं. नजदीकियां बढ़ने लगीं तो समय पंख लगा कर उड़ने लगा.

एक दिन मौका देख कर जयंत ने खुशबू को प्रपोज भी कर दिया, लेकिन खुशबू ने वैसा जवाब नहीं दिया जैसी जयंत को उम्मीद थी.

खुशबू की बहन की शादी थी. उस ने जयंत को न्योता दिया तो जयंत भला ऐसा मौका क्यों छोड़ता? काफी अच्छा आयोजन था लेकिन जयंत को इस सब में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी.

दकियानूसी रस्में रातभर चलने वाली थीं, इसलिए जयंत मेहमानों के रुकने वाले हाल में जा कर सो गया. लोगों की आवाजें वहां भी आ रही थीं. सब बाहर मंडप में थे.

रात में अचानक किसी की छुअन की गरमाहट से जयंत की नींद खुली. हाल की लाइट बंद थी, लेकिन अपनी चादर में लड़की की छुअन वह अंधेरे में भी पहचान गया था.

खुशबू इस तरह उस के साथ… ऐसा सोचना भी मुश्किल था. लेकिन अपने प्यार को इतना करीब पा कर कौन मर्द अपनेआप पर कंट्रोल रख सकता है?

चंद लमहों में वे दोनों एकदूसरे में समा जाने को बेताब होने लगे. खुशबू के चुंबनों ने जयंत को मदहोश कर दिया. अपने करीब खुशबू को पा कर उसे जैसे जन्नत मिल गई.

तूफान थमा तो खुशबू वापस शादी की रस्मों में शामिल हो गई और जयंत उस की खुशबू में डूबा रहा.

कुछ दिन बाद ऐसा ही एक और वाकिआ हुआ. तेज बारिश थी. मंडी हाउस से गुजरते समय जयंत ने खुशबू को रोड पर खड़ा पाया.

जयंत ने फौरन उस के नजदीक पहुंच कर अपनी मोटरसाइकिल रोकी. दोनों उस पर सवार हो इंडिया गेट की ओर निकल गए.

खुशबू को रोमांचक जिंदगी पसंद थी इसलिए वह इस मौके का लुत्फ उठाना चाहती थी. बारिश का मजा रोमांच में बदल रहा था. प्यार में सराबोर वे घंटों सड़कों पर घूमते रहे.

जयंत और खुशबू की कहानी ऐसे ही आगे बढ़ती रही कि तभी अचानक इस कहानी में एक मोड़ आया. खुशबू ने जयंत को ग्रैंड होटल में बुलाया. डिनर की यह पार्टी अब तक की सब पार्टियों से अलग थी. खुशबू की खूबसूरती आज जानलेवा महसूस हो रही थी.

‘आज तुम्हारे लिए स्पैशल ट्रीट जयंत,’ मुसकरा कर खुशबू ने कहा.

‘किस खुशी में?’ जयंत ने पूछा.

‘मुझे नई नौकरी मिल गई… बैंगलुरु में असिस्टैंट प्रोफैसर की.’

जयंत का दिल टूट गया था. खुशबू को सरकारी नौकरी मिल गई थी, इस का मतलब उस की जुदाई भी था.

जयंत ने दुखी लहजे में खुशबू को उस की जुदाई का दर्द कह सुनाया.

खुशबू ने मुसकराते हुए कहा, ‘वादा करो तुम पहले कंपीटिशन पास करोगे, नौकरी मिलने के बाद ही मुझ से मिलने आओगे… उस से पहले नहीं… न मुझे फोन करोगे और न ही चैट…

‘मैं तुम्हारी टीचर रही हूं इसलिए मुझे यह गिफ्ट दोगे. फिर हम शादी करेंगे… एक नई जिंदगी… एक नई प्रेम कहानी… मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.

‘3 साल का समय… बस, तुम्हारी यादों के सहारे निकालूंगी.’

अचानक से सबकुछ खत्म हो गया. धीरेधीरे समय बीतने लगा. जयंत ने अपना वादा तोड़ खुशबू को फोन भी किए लेकिन उस ने मीठी झिड़की से उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा.

जयंत को भी यह बात चुभ गई. अब पूरा समय वह अपनी पढ़ाई पर देने लगा. प्यार में बड़ी ताकत होती है इसलिए मुहब्बत की कशिश इनसान से कोई भी काम करा लेती है.

जयंत को भारतीय सर्वेक्षण विभाग में अच्छी नौकरी मिल गई. अब खुशबू को पाने में कोई रुकावट नहीं बची थी. जयंत ने अपना वादा पूरा कर लिया था.

अचानक ट्रेन रुकी तो जयंत की नींद खुली. सुबह होने को थी. बैंगलुरु अभी दूर था. जयंत दोबारा आंखें मूंदे हसीन सपनों में खो गया.

टे्रन जब बैंगलुरु पहुंची, तब तक शाम हो चुकी थी. जयंत ने खुशबू को फोन मिलाया लेकिन फोन किसी अनजान ने उठाया. वह नंबर खुशबू का नहीं था. उस का नंबर अब बदल चुका था. दूसरे दिन वह मालूम करता हुआ खुशबू के कालेज पहुंचा.

लाल गुलाब और खुशबू के लिए गिफ्ट से भरे बैग जयंत के हाथों में लदे थे. वैसे भी जयंत को खुशबू को उपहार देने में बड़ा सुकून मिलता था. अपनी पौकेटमनी बचाबचा कर वह उस के लिए छोटेछोटे गिफ्ट लाता था जिन्हें पा कर खुशबू बहुत खुश होती थी.

खुशी से लबरेज जयंत कालेज गया. खुशबू के रूम में पहुंचा तो जयंत को देख वह उछल पड़ी. मिठाई का डब्बा आगे कर जयंत ने उसे खुशखबरी सुनाई.

खुशबू ने एक टुकड़ा मुंह में रखा और जयंत को शुभकामनाएं दीं.

जयंत में सब्र कहां था. उस ने आगे बढ़ उस का हाथ थामा और चुंबन रसीद कर दिया.

‘‘प्लीज जयंत… यह सब नहीं… प्लीज रुक जाओ,’’ अचानक खुशबू ने सख्त लहजे में जयंत को टोकते हुए रोका.

‘‘लेकिन यार, अब तो मैं ने अपना वादा पूरा कर दिया… तुम से मेरी शादी…’’ निराश जयंत ने पूछा.

‘‘सौरी जयंत… प्लीज… मैं ने शादी कर ली है. अब वे सब बातें तुम भूल जाओ..’’

‘‘क्या? भूल जाऊं… मतलब?’’ जयंत उसे घूरते हुए बोला.

‘‘हां, मुझे भूलना होगा,’’ मुसकराते हुए खुशबू बोली, ‘‘वे सब मजाक की बातें थीं… 3 साल पहले कही गई

बातें… क्या अब इतने दिन बाद… तुम्हें तो मुझ से भी अच्छी लड़कियां मिलेंगी…’’ मुसकराते हुए खुशबू बोली.

जयंत उलटे पैर लौट पड़ा. लाल गुलाब उस के भारी कदमों के नीचे कुचल रहे थे. मजाक की बातें शायद 3 साल में खत्म हो जाती हैं… माने खो देती हैं… जयंत समझने की नाकाम कोशिश करने लगा.

मुल्तानी मि‍ट्टी से निखारें खूबसूरती

दमकती त्वचा के लिए हमारे यहां मुल्तानी मि‍ट्टी का प्रयोग दादी-नानी की भी दादी-नानी के जमाने से हो रहा है. फिर ताज महल की खूबसूरती बढ़ाने और इस के पत्थर पर चढ़ी पीली परत हटाने के लिए भी इस पर मुल्तानी मिट्टी का लेप किया जा रहा है.

अब तो आप भी चाहेंगी इसके इस्तेमाल से त्वचा निखारी जाए. तो जानें इसे कैसे इस्तेमाल करें कि आपको हमेशा दमकती त्वचा मिले…

1. मुल्तानी मिट्टी में बादाम के कुछ टुकड़ों को कूटकर डाल दीजिए और उसी में कुछ मात्रा में दूध मिला लीजिए. इसे चेहरे पर लगाने से चेहरा कोमल भी बना रहेगा और साफ भी हो जाएगा.

2. पुदीने की कुछ पत्तियों को मिक्सर में पीस लीजिए. इसमें कुछ मात्रा में दही मिला लीजिए. इस पेस्ट को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं.

3. गुलाब जल को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. पेस्ट को तब तक चेहरे पर लगा रहने दें जब तक वो सूख न जाए. इस पेस्ट को लगाने से चेहरे पर मौजूद अतिरिक्त ऑयल साफ हो जाता है.

4. पपीते के एक चम्मच गूदे और एक से दो बूंद शहद को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर पेस्ट बना लीजिए. इस पेस्ट को लगाने से चेहरा निखर जाएगा.

5. चंदन पाउडर में एक चम्मच टमाटर का रस मिला लीजिए. अब इसे मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर पेस्ट तैयार कर लीजिए. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं.

डार्क सर्कल को दूर करने में कारगर

खीरे के रस को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर एक पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को आंखों के नीचे लगाकर छोड़ दें. जब ये पैक सूख जाए तो इसे धो लें. खीरे के रस और मुल्तानी मिट्टी की ठंडक आंखों को ताजगी तो देगी ही वहीं कुछ ही दिनों में काले घेरे भी दूर हो जाएंगे.

इसके अलावा आप मुल्तानी मिट्टी, बादाम और ग्ल‍िसरीन को मिलाकर एक पेस्ट बना सकती हैं. पेस्ट को आंखों के नीचे लगाकर छोड़ दें. आप चाहें तो इस पैक को पूरे चेहरे पर भी लगा सकती हैं. जब ये सूख जाए तो चेहरे को साफ पानी से धो लें.

आमतौर पर महिलाएं मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग सीधे अपनी त्वचा पर कर लेती हैं. लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेहनत और कर लें तो कहीं अधिक बेहतर परिणाम पा सकती हैं. ये चेहरे में कसावट लाने के साथ ही इसे साफ करने में भी बहुत कारगर है.

इसके इस्तेमाल से डेड स्‍क‍िन भी साफ हो जाती है. कई बार ऐसा होता है कि मुल्तानी मिट्टी के इस्तेमाल से चेहरा बहुत अधिक ड्राई हो जाता है. ऐसे में इसके इस्तेमाल का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

एक्टर्स का स्टार पावर आज भी है: श्वेता त्रिपाठी शर्मा

सिनेमा के परदे पर निरंतर जमीन से जुड़े और सशक्त नारी की तस्वीर पेश करने वाले किरदारों को निभाती आ रही नारीवादी और दिल से अति भावुक अदाकारा श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने महज अपने आठ वर्ष के कैरियर में काफी उपलब्धियां हासिल कर ली हैं. श्वेता त्रिपाठी शर्मा एकमात्र वह अदाकारा हैं, जो अपने कैरियर की पहली ही फिल्म ‘‘मसान’’ से कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में दस्तक देने में कामयाब हो गयी थी. जब उनका कैरियर सरपट भाग रहा था, तभी उन्होंने रैपर व म्यूजीशियन चैतन्य शर्मा उर्फ चीता के साथ 2018 में विवाह रचा लिया था. तब लोगों ने कहा था कि श्वेता ने अपने कैरियर पर कुल्हाड़ी मारी.

मगर श्वेता त्रिपाठी का कैरियर निरंतर उंचाई की ओर जा रहा है. उन्हे वेब सीरीज ‘मिर्जापुर सीजन दो’ में गोलू के किरदार में जबरदस्त शोहरत मिली. इसमें श्वेता त्रिपाठी शर्मा का गोलू का किरदार कालेज चुनाव जीतने से लेकर आत्म सुख व यौन सुख के लिए ‘मास्टर बैशन’ करते हुए नजर आता है. इन दिनों वह 24 मार्च से ‘जी 5’ पर स्ट्रीम हो रही फिल्म ‘‘कंजूस मक्खीचूस’’को लेकर उत्साहित हैं, जो कि उनके कैरियर की पहली कौमेडी फिल्म है.

प्रस्तुत है श्वेता त्रिपाठी शर्मा से हुई बातचीत के अंश…..

आपको अभिनय का चस्का कैसे लगा?

-अभिनय का कीड़ा जब किसी इंसान को काट लेता है, तो जब तक वह उसे पूरा नहीं करता, तब तक वह इंसान को तंग करता रहता है. मुझे अभिनय का कीड़ा बचपन से रहा है. मैं केजी से मैं स्टेज पर रही हॅूं. बचपन में स्टेज पर अलग अलग किरदार बनने में व करने में जो मजा आता था, उतना ही मजा मुझे अभी भी आता है. इसलिए यह तो होना ही था. फिर जैसे एसआरके कहते हैं- ‘जिस चीज को मांगो, उस पूरा करने में पूरी कायनात मदद करती है. ’तो मुझे लगता है कि मेरे साथ बिलकुल वैसा ही हुआ है.

पर आपको यह अभिनय का कीड़ा लगा कहां से?

-मुझे टीवी देखने का शौक रहा है. और टीवी पर जो विज्ञापन आते थे,  वह मुझे बहुत फैशिनेट करते थे. कई एड देखकर मुझे लगता था कि मुझे भी उसमें होना है. जब बड़ी हुई और नाटक देखना शुरू किया, तो उस वक्त भी ‘पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल’ हुआ करते थे. तब तक मुझे नहीं पता था कि पृथ्वी थिएटर क्या है, किसने कब शुरू किया. लेकिन मेरे मम्मी पापा ने कल्चर और कल्चर से जुड़ी चीजों को बहुत महत्व दिया.

सभी जानते है कि मरे पापा आईएएस आफिसर रहे हैं और मेरी मां अवकाश प्राप्त शिक्षक हैं. तो दिल्ली में रहते हुए हम अपने मम्मी पापा के साथ हेमा मालिनी की डांस परफार्मेंस और एनएसडी में नाटक देखने जाया करते थे. मुंबई आने पर इसी तरह से मैने ‘पृथ्वी फेस्टिवल’ में विश्वास जी का एक नाटक देखा था. उस नाटक को देखते हुए मैं उसी दुनिया में खो गयी थी. तो मुझे लगा कि यह तो मेरे साथ जादू हो गया. तब मैने सोचा कि इस नाटक ने जो जादू मेरे साथ किया है, मैं खुद जादूगर बन लोगों के साथ वैसा ही जादू करना चाहती हूं.

जबकि मैने कभी यह नही सोचा था कि मैं बड़ी होकर अभिनेत्री बनूंगी. मैने इस बात को गंभीरता से लिया ही नही था. मैं खुद को भाग्यशाली मानती हॅूं कि मेरे अंदर अभिनय का कीड़ा पैदा हुआ और मैं कलाकार बनी. अब मैं इस कीड़े को कहीं नही जाने दूंगी.

 

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लेकिन आपने मुंबई में अपने कैरियर की शुरूआत एक अंग्रेजी पत्रिका की फोटो एडीटर के रूप में किया था?

-देखिए, मुझे फोटोग्राफी का शौक रहा है. हकीकत में मेरी दीदी को सबसे अधिक फोटोग्राफी का शौक रहा है. मैं छोटी बहन होने के नाते अक्सर दीदी को छेड़ती रहती थी कि वह क्या फोटोग्राफी करती है? हमेशा उसके काम में नुक्स निकालती थी. जब मैं कालेज में पहुंची और मैने कैमरा उठाया तो मैने महसूस किया कि यह भी कहानी कहने का एक तरीका है.  उसके बाद मैं भी फाटोग्राफी करने लगी. फिर इंटर्नशिप करने के लिए मैं मुंबई आयी. मतलब मुझे फोटो एडीटर की नौकरी के लिए मुंबई आने का मौका मिला,  जिसने मेरे अंदर पुनः अभिनय का कीड़ा जगाया.

जब आप कैमरे के सामने होती हैं,  तब कैमरे की समझ कितनी मदद करता है?

-बहुत ज्यादा मदद मिलती है. अब मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया कि है कि किसी भी चीज के बारे में ज्ञान कभी भी जाया नही जाता. जो भी जानकारी होती है, वह कहीं न कहीं मदद कर देती है. इतना ही नही मेरे अंदर हर दिन कुछ नया सीखने की ललक रहती है. मैं कल पालनपुर जा रही हूं पॉटरी कला को सीखने के लिए. जबकि इसके पीछे पॉटरी के क्षेत्र में प्रोफेशनली कुछ करने की मंशा नही है. पर सीखने का कोई मौका नहीं छोड़ती. फोटोग्राफी की वजह से मुझे कैमरा एंगल की समझ विकसित हुई.

हर कलाकार के लिए कैमरे के एंगल की जानकारी होना आवश्यक है. फोटोग्राफी की समझ के चलते हमारे लिए खुद को कैमरे के सामने पेश करना आसान होता है. मैगजीन में नौकरी करते हुए मैं अक्सर सेलीब्रिटी को फोन कर एक सवाल पूछती थी, जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. आप भी जानते होंगे कि कैमरे के सामने किस तरह पेश आना है, यह सभी कलाकार जानते हैं, मगर कैमरे के पीछे कैसे पेश आना है, यह कम लोग जानते हैं. पर मेरे अंदर एक समझ विकसित हुई,  क्योंकिं मैं पत्रकारों के बीच रही.

आपका अपना ‘आल माई टी प्रोडक्षन’ नामक नाट्य ग्रुप रहा है. इसे शुरू करने के पीछे कोई वजह थी?

-जब मैं मैगजीन में नौकरी कर रही थी, तब इसे शुरू किया था. मैं दूसरे नाट्यकर्मियों को उनके नाटक में अभिनय करने के लिए फोन करती थी, तो समय की गड़बड़ी हो रही थी. तब मैने सोचा कि जब रास्ता नही दिख रहा है, तो क्यों न मैं अपना रास्ता बना लूं. तब मैंने कुछ लोगों के साथ इस नाट्य ग्रुप की शुरूआत की.

हम सभी अलग अलग जगहों पर नौकरी करते थे, शाम को एक जगह मिलकर नाटक की तैयारी करते थे. स्क्रिप्ट रीडिंग व रिहर्सल किया करते थे. मैं अपने इस ग्रुप में अभी भी नाटकों में अभिनय कर रही हूं. स्टेज पर अभिनय करने /लाइव परफार्म करने का जो मजा होता है, वह बहुत अलग होता है. मेरी राय में हर फिल्म कलाकार को प्रयोग करते रहना चाहिए. फिल्म के अलावा यदा कदा उसे थिएटर जरुर करना चाहिए. किसी एक प्लेटफार्म के साथ खुद को बांधकर नहीं रखना चाहिए. जितना आप अलग अलग माध्यम में काम करेंगे, आपकी प्रगति उनती तेज गति से होगी.

मुझे थिएटर से ही सब कुछ मिला है. मेरे पति, दोस्त, परिवार व काम सब कुछ मुझे थिएटर से ही मिला. वास्तव में आकर्ष खुराना एक नाटक निर्देशित कर रहे थे, जिसका शो दिल्ली में होना था और दो कलाकार मिले नही थे. उस नाटक से हम दोनो जुड़े और हमारी पहली मुलाकात हुई थी. इसलिए स्टेज मेरे लिए हमेशा बहुत महत्वपूर्ण रहेगा. मैं नाटकों में अभिनय करने के अलावा उनका निर्माण व लाइटिंग भी करती हूं. तो जिसने मुझे इतना कुछ दिया है,  उसे मैं अपनी तरफ से हमेशा कुछ न कुछ देते रहना चाहती हूं.

 

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किन नाटकों से आप जुड़ी रहीं, कुछ बताना चाहेंगी?

-अंडर द सायनाक्शी, चश्मेंवाला , कॉक सहित कुछ नाटकों का निर्माण किया है. हमने एक बार अपने नाटक के साथ ‘पृथ्वी फेस्टीवल’ का समापन किया था. आकर्ष खुराना के कई नाटकों में अभिनय किया है. उनके नाटकों के लिए भी मैने लाइटिंग की है. थिएटर का मजा यह है कि यहां हर कोई हर काम या यूं कहें कि सब काम करता है. थिएटर से जुड़ा कलाकार सिर्फ अभिनय नही बल्कि कास्ट्यूम,  प्रोडक्शन,  लाइटिंग से लेकर हर विभाग को सीखता है.

आपके कैरियर की पहली फिल्म ‘‘मसान’’ थी, जिसने आपको कांन्स फिल्म फेस्टिवल तक पहुंचा दिया था. तब से अब तक के अपने आठ वर्ष के कैरियर को किस तरह से देखती हैं?

-मेरा वर्क प्रोफाइल तो रिपोर्ट कार्ड का अहसास दिलाता है. मेरी कोशिश हर प्रोजेक्ट, हर किरदार के साथ न्याय करने की होती है. मुझे पंकज त्रिपाठी की यह बात हमेशा याद रहती है. उन्होने मुझसे कहा था-‘‘कलाकार का काम सेट पर होता है. प्रमोशन का मसला अलग है. पर कलाकार के तौर पर हमारा काम सेट पर ही खत्म हो जाता है. उसके बाद तो दर्शक तय करेगा कि उसे हमारा काम अच्छा लगा या बुरा लगा. ’’यह मेरे लिए सीखने वाली बात रही है.

मसलन- आप 24 मार्च को प्रदर्शित हो रही मेरी फिल्म ‘कंजूस मक्खीचूस’ को ही लीजिए. इस फिल्म के लिए मैं जो कर सकती थी, मैने अपनी तरफ से न्याय करने का पूरा प्रयास किया है. हो सकता है कि मैंने जो किया है, उससे बेहतर कर सकती थी. पर उस सिच्युएशन व माहौल मंे मेरे वश मंे जितना बेहतर करना संभव था, मैने किया है. और उससे मैं बहुत संतुष्ट हूूं. मेरी यह यात्रा काफी रोचक रही है. मुझे फिल्म इंडस्ट्ी में अच्छे लोगों के साथ काम करने का अवसर मिला. मैने काफी कुछ सीखा है.

आपके कैरियर पर नजर दौड़ाने पर यह बात साफ तौर पर उभर कर आती है कि आपने हर फिल्म के किरदार के लिए मेहनत की. आपके अभिनय की तारीफ भी हुई, मगर फिल्म की सफलता का सारा श्रेय आपके सह कलाकार बटौर ले गए? मसलन -‘मसान’का श्रेय विक्की कौशल व रिचा चड्ढा ले गए. तो ‘मिर्जापुर’ का श्रेय पंकज त्रिपाठी ले गए.

-देखिए, यह सभी बेहतरीन कलाकार व अच्छे इंसान हैं. मुझे लगता है कि हर इंसान को उसके हिस्से की मेहनत का फल अवश्य मिलता है. ‘मिर्जापुर’ में गोलू के किरदार में मुझे जो शोहरत मिली, उससे मैं खुश हूं. मैं कम या ज्यादा के बारे में नहीं सोचती. जो मेरे हाथ में है, उसे ही बेहतर करने की सोचती हूं. जो हमारे हाथ में नहीं है,  वह दूसरे के हाथ में है. तो जब मुझे लोगों का प्यार मिलना होगा, तो जरुर मिलेगा. मैं जबरदस्ती कुछ भी पाने के लिए नहीं कर सकती. सब कुछ दर्शकों पर निर्भर करता है.

वैसे बौलीवुड में मुझे भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. यहां लिंग भेद बहुत ज्यादा होता है. मगर मैं हमेशा अपने सम्मान के लिए लड़ती रहती हूं. मै हार मानने की बजाय अपने काम से उन्हे जवाब देती हॅूं.

आपने फिल्मों के अलावा वेब सीरीज में भी अभिनय किया है. दोनों अलग अलग माध्यम है. आप दोनों प्लेटफार्म में से किसे प्राथमिकता देना चाहेंगी?

-मुझे हर प्लेटफार्म पर काम करना है. पर मेरी पहली प्राथमिकता अच्छी कहानी च अच्छा किरदार होता है. मुझे उन किरदारों को निभाना है, जिनसे मैं अपने दर्शकों को कुछ अहसास करा सकॅूं. मैं बहुत लालची व भूखी कलाकार हूं. मैं चाहती हूं कि मैं अपने दर्शकों को बार बार कुछ नया व बेहतरीन दूं. मैं अलग अलग तेवर दिखा सकूं, फिर चाहे वह बड़ा परदा हो या छोटा परदा हो.

ओटीटी का फायदा यह है कि बिहार या बोस्टन में बैठा हुआ दर्शक अपने घर पर हमारी फिल्म या वेब सीरीज आराम से देख सकता है. ओटीटी का दूसरा फायदा यह है कि फिल्म या वेब सीरीज हमेशा जिंदा रहेगी. सिनेमाघर से तो कुछ हफ्ते में गायब हो जाती हैं. अगर दर्शक उतने समय में फिल्म नही देख पाया, तो फिर वह नही देख पाता था. पर ओटीटी पर वह जब चाहे कार, घर या आफिस कहीं भी बैठे बैठे अपने मोबाइल पर देख सकता है.

 

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आपको नहीं लगता कि ओटीटी पर कलाकार का स्टारडम खत्म हो गया है?

-मुझे ऐसा नही लगता. मुझे लगता है कि कलाकार का स्टार पॉवर आज भी है. अब लोग डेमोक्रेसी के तहत ही लाइक करते हैं. अब व्यू देना, लाइक करना या फिल्म की टिकट खरीदना पूरी तरह से वोट देने जैसा हो गया है.

आपने पहली बार कौमेडी फिल्म ‘‘कंजूस मक्खीचूस’’की है. कहीं यह अपनी इमेज को बदलने का मसला तो नही है?

-मैं किसी की जान लेने के लिए भाग नहीं रही थी. और न ही कोई मेरी जान लेने के लिए भाग रहा था. मेरे पास काम की कमी नही है. ‘मिर्जापुर सीजन 3’ व ‘कालकूट’ सहित काफी कुछ है. मैने अब तक ड्रामा ही ज्यादा किया है. तो मैं अपने दर्शकों को कुछ अलग देना चाहती थी. इसीलिए कौमेडी फिल्म ‘‘कंजूस मक्खीचूस’’की है. मैने यह फिल्म जान बूझकर की है. मगर इसकी वजह ईमेज बदलना नही है. मैने इससे पहले कौमेडी नहीं की थी, तो जब तक नही करेंगे, तब तक कैसे पता चलेगा कि क्या कठिन है.

फिल्म ‘‘कंजूस मक्खीचूस’’ के अपने किरदार पर रोशनी डालेंगी?

-मैने इसमें माधुरी पांडे का किरदार निभाया है. जिनके पति एक नंबर के कंजूस व मक्खीचूस हैं. लेकिन खामियां तो हर इंसान में होती हैं. पर दोस्त,  परिवार और जो रिश्ते होते हैं, वहां अनकंडीशनल प्यार की ही जरुरत होती है. तो पूरा पांडे परिवार बहुत प्यार से रहता है. बहुत सारी मस्ती करते हैं. हम सभी एक दूसरे के साथ प्यार से रहते हैं.

आप कंजूसी को अच्छा मानती हैं या नहीं?

-मुझे लगता है कि कंजूसी कोई बुरी चीज नही है. पर यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां किस तरह से कंजूसी कर रहे हो. अगर आप किसी को पैसा देने में या प्यार जताने मंे कंजूसी कर रहे हो बहुत गलत बात है. ज्ञान बटोरने में कंजूसी गलत बात है. अगर आप पानी बर्बाद नही कर रहे हैं अथवा आप इलेक्ट्सिटी बचाने के लिए कंजूसी कर रहे हंै, तो अच्छी बात है. यहां कंजूस होना बहुत जरुरी है. दुनिया को बचाने के लिए की गयी कंजूसी अच्छी बात है.

आज की तारीख में हम सभी लोग ‘टिशू पेपर’ का दुरूपयोग सबसे ज्यादाक रहे हैं. आप जानते हैं कि टिशू पेपर बनाने के लिए ही इन दिनों सबसे अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं. पेड़ों के काटे जाने से पर्यावरण पर बहुत खतरनाक असर हो रहा है. मेरा लोगों से कहना है कि कुछ आपको मुफ्त में मिल रहा है अथवा आप पैसा नहीं खर्च कर रहे है, पैसा किसी अन्य का लगा हुआ है, इसलिए आप उसे बेवजह बर्बाद करें, तो गलत है.

हर चीज की कद्र की जानी चाहिए. इमोशन की कद्र की जानी चाहिए. प्यार करने में कंजूसी नही होनी चाहिए. इस फिल्म में अभिनय करते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा और अब फिल्म का प्रमोशन करते हुए भी सीख रही हूं.

 

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कभी किसी किरदार ने आपकी जिंदगी पर असर किया?

-ऐसा तब हुआ था, जब मैने फिल्म ‘‘हरामखोर’’ की थी. उस वक्त मुझे किरदार में डूबने के बाद उससे निकलना नहीं पता था. ऐसा ही ‘मिर्जापुर’ के सीजन दो में भी हुआ, तब भी मुझे समझ नही थी. मुझे और मेरे आस पास वालों को भी काफी समय तक समझ में नही आया था कि आखिर मुझे हुआ क्या है?

छह सात माह तक गोलू मेरे साथ थी. फिर जब मैने ‘मिर्जापुर सीजन 3’ की शूटिंग की, तो उस वक्त मुझे लग रहा था कि मैं अच्छे से तैयार हूं. पर सीजन 3 में भी वैसा ही हुआ. इस बार मुझे काउंसलर से मिलना पड़ा.

किरदार में घुसना तो मुझे अच्छी तरह से आता है, पर उस किरदार से खुद को अलग कैसे किया जाए, यह नहीं पता था. इसमें मुझे काउंसलर से मदद मिली. अब मैं दूसरे कलाकारों, लेखकों व निर्देशक को मदद करने को तैयार हूं.

आप सोशल मीडिया पर फिटनेस पर लिखने के अलावा कविताएं पोस्ट करती रहती हैं ?

-जी हां! मगर सच यह है कि मैं खुद कविताएं नहीं लिखती. बल्कि दूसरों की कवितांए पढ़ती हूं और उनकी कविताओं को मैं सोशल मीडिया पर पोस्ट करती रहती हूं. मुझे कविता से प्रेरणा मिलती है. कविताओं में हमारे समय का जिक्र होता है, जिसमें हम रहते हैं.

आपके शौक क्या हैं?

-मुझे यात्राएं करना और नई चीजें सीखना बहुत पसंद है. मसलन अभी मैं पॉटरी सीखने के लिए पालनपुर जा रही हूं. मुझे एडवेंचरस स्पोर्ट्स बहुत पंसद हैं. मैने स्काइब ड्यविंग की है. मैं एक प्रमाणपत्र धारी स्कूबा डायवर हूं. मुझे ओसियन से बहुत प्यार है. मुझे नई चीजें सीखना पसंद है.

सच यह है कि मैं खाना नहीं बना पाती. फिर भी बहुत कुछ सीखने की ललक मेरे अंदर है. जुलाई में मेरा जन्मदिन आता है. पानी के किनारे रहना पसंद है. मैं पांडीचेरी जाकर पानी के अंदर तैरने की कला सीखी. मैं परफ्यूम बनाने का वर्कशॉप भी करने वाली हूं.

आपके पति तो गायक व म्यूजीशियन हैं. आपको संगीत का कितना शौक है?

-मुझे संगीत सुनने का शौक है. मेरे पति म्यूजीशियन हैं. तो वह हमेशा संगीत की महत्ता की ही बात करते रहते हैं.

किसी किरदार को निभाने में संगीत कितनी भूमिका निभाता है?

-मेरे लिए संगीत अहम भूमिका निभाता है. क्योंकि मैं संगीत से इमोशन लेती हूं. मसलन-नैना गाना सुनकर में अभी भी रो सकती हूं. संगीत से कल्पना करना आसान हो जाता है. मेरे पति जो कुछ लिखते हैं और जिस तरह से लिखते हैं, वह मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैं तो उनके गीत व गानों को पढ़ने के बाद उनसे समझती हूं कि वह क्या व किस तरह से लिखा है. मैं तो उनकी लेखनी व संगीत की बहुत बड़ी फैन हूं.

शाम के नाश्ते के लिए बनाएं चना दाल की मरोड़ी, दाल पुए और स्ट्राबेरी जैम

लाल रंग की दिल के आकार वाली स्ट्रॉबेरी दिखने में जितनी अच्छी लगती है खाने में भी उतनी ही स्वादिष्ट होती है. स्ट्रॉबेरी एक लो केलोरी फल है जिसमें पानी, एंटीओक्सीट्स कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, केल्शियम, मैग्नीशियम, फायबर और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह वजन घटाने, प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत करने के साथ साथ बालों, त्वचा और दिल को स्वस्थ रखने में भी सहायक है. इसे सलाद, जैम, आइसक्रीम और पुडिंग आदि के रूप में बड़ी आसानी से भोजन में शामिल किया जा सकता है. आज हम आपको स्ट्राबेरी जैम बनाना बता रहे हैं-

1- चना दाल की मरोड़ी

सामग्री

–  1 कप चना दाल

–  1/2 कप चावल का आटा

–  1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

– 1 चुटकी हींग

–  तेल तलने के लिए

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

चने की दाल को 1 कटोरी पानी के साथ उबाल लें. बचा पानी निथार लें. दाल में चावल का आटानमकहलदीहींग और अजवाइन डालें.

1 बड़ा चम्मच मोयन मिला कर आटा गूंध लें. आटा थोड़ा कड़ा होना चाहिए. आवश्यकता हो तो थोड़ा पानी मिला लें. इसे 10-15 मिनट ढक कर रख दें. अब इस आटे की छोटीछोटी लोइयां बना कर रोटी जैसा बेलें. थोड़ा मोटा रखें. अब चाकू की सहायता से रोटी की लंबी पट्टियां काट लें. इन्हें मनचाहा आकार दे कर तलें और चाय के साथ परोसें

2- दाल पुए और स्ट्राबेरी जैम

सामग्री दाल पुए की

–  1/2 कप उरद छिलका दाल

–  1/2 कप मूंग छिलका दाल

–  1/2 कप चावल

–  1 बड़ा चम्मच अदरक पिसा

– 1 हरीमिर्च

–  तलने के लिए तेल

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री स्ट्राबेरी जैम की

– 8-10 स्ट्राबेरी

–  1/2 कप चीनी

–  1 बड़ा चम्मच नींबू का रस.

विधि

दालों को अच्छी तरह धो कर रातभर पानी में भिगोए रखें. चावलों को भी अलग से धो कर पानी में भिगो दें. दालों का पानी निथार कर छिलके सहित पीस लें. चावलों में अदरक व हरीमिर्च मिला कर पीस लें. पिसी पीठी को अच्छी तरह मिला कर फेंट लें. फिर नमक मिलाएं. एक चपटे पैन में तेल गरम कर कलछी की सहायता से थोड़ीथोड़ी तैयार पीठी तेल में फैलाएं और कुरकुरे पुए तल लें.

विधि जैम की

स्ट्राबेरी को पीस लें. एक पैन में चीनी और स्ट्राबेरी को मिला कर गाढ़ा व चिकना होने तक पकाएंनीबू का रस मिलाएं. ठंडा होने दें. पुओं पर जैम लगा कर परोसें.

ब्रैस्ट फीडिंग: मां और बच्चे के लिए क्यों है सही

मांबनने का एहसास हर महिला के लिए सब से खास होता है. एक औरत से मां बनने के इस 9 महीने के सफर में महिलाएं कई मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजरती हैं. शिशु के जन्म लेने के बाद कई महिलाएं स्तनपान करवाने से डरती हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि स्तनपान कराने से शरीर का आकार खराब हो जाता है, जबकि यह सिर्फ भ्रम है.

स्तनपान मां और बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद होता है. स्तनपान से मां को शारीरिक और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है.

आइए, जानते हैं डाक्टर सुषमा, स्त्रीरोग विशेषज्ञा से बच्चा और मां के लिए ब्रैस्ट फीडिंग क्यों और कैसे जरूरी है:

शिशु के लिए जरूरी है मां का दूध

ब्रैस्ट फीडिंग के फायदे मां और बच्चा दोनों के लिए लाभदायक है. बच्चे के लिए मां का दूध बहुत जरूरी है. ऐसा कहा जाता है कि ब्रैस्ट फीडिंग यानी स्तनपान बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वास्थ्यप्रद भोजन है, जोकि पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है और यह बच्चे को इन्फैक्शनल और कई बीमारियों से बचा सकता है. डाक्टर सुषमा बताती हैं कि मां का दूध बच्चे को जन्म के

1 घंटे के भीतर दिया जाना चाहिए और उस के बाद बच्चे को शुरुआती 6 महीनों तक विशेष रूप से इसे जारी रखा जाना चाहिए.

जिन शिशु का समय से पहले जन्म हो जाता है यानी प्रीमैच्योर बेबीज उन के लिए भी यह बहुत फायदेमंद होता है. शिशु के जन्म के बाद मां के स्तनों से एक गाढ़े पीले रंग का पदार्थ निकलता है जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं. यह बच्चे को जरूरी पोषक देने के साथसाथ रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाता है. यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होता है. इस में रोगप्रतिरोधक क्षमता भी होती है.

आइए जानते हैं मां का दूध शिशु के लिए क्यों लाभकारी है:

-बच्चे के लिए मां का दूध ऐंटीबौडीज का काम करता है. जन्म लेने के बाद 6 महीने तक बच्चे को पानी या अन्य पदार्थ नहीं देने चाहिए. 6 महीने तक बच्चे के लिए मां का दूध ही जरूरी होता है. यह बच्चे में निमोनिया, डायरिया जैसी तमाम बीमारियों के होने के खतरे को काफी हद तक कम कर देता है.

– शिशु जन्म के तुरंत बाद से ले कर कुछ दिनों तक मां के स्तनों से निकलने वाला पतला गाढ़ा

दूध कोलेस्ट्रम कहलाता है. यह पीले रंग का चिपचिपा दूध होता है. इस दूध को अकसर लोग अंधविश्वास के चलते गंदा और खराब दूध कह कर नवजात को नहीं देते, जबकि डाक्टर सुषमा का कहना है कि कोलोस्ट्रम बच्चे के लिए सब से ज्यादा फायदेमंद होता है और इस में संक्रमण से बचाने वाले तत्त्व होते हैं. यह विटामिन 1 से भी भरपूर होता है एवं इस में 10% से अधिक प्रौटीन होता है.

– मां का दूध सुपाच्य होता है जिसे शिशु आसानी से पचा लेता है.

– मां का दूध बच्चों के दिमाग के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है. इस से बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है.

– बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से उसे पूरी तरह स्वच्छ दूध नहीं मिल पाता. ब्रैस्टफीड करने से मां को भी दूध को उबालने, बोतल को धोने, स्टरलाइज करने जैसे काम नहीं करने पड़़ते. ब्रैस्ट फीडिंग से बच्चे को संपूर्ण पोषण मिलता है.

ब्रैस्ट फीडिंग मां के लिए भी है लाभदायक

ब्रैस्ट फीडिंग सिर्फ बच्चे के लिए जरूरी नहीं बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद है. डाक्टर सुषमा बताती हैं कि ब्रैस्ट फीडिंग से जुड़े महिलाओं के दिमाग में कई तरह कि मिथ हैं, जिस वजह से वह ब्रैस्ट फीडिंग से डरती है. अधिकतर महिलाओं का मानना है कि ब्रैस्ट फीडिंग से ब्रैस्ट लटक जाती हैं, ब्रैस्ट फीडिंग से शरीर का आकार बदल जाता है, ब्रैस्टफीड कराते समय बहुत दर्द होता, बीमारी में फीड नहीं करवाना चाहिए आदि.

ये सभी बातें मांओं में ब्रैस्ट फीडिंग के खिलाफ भ्रम पैदा कर देती हैं, जबकि असलियत कुछ और ही है. दरअसल, प्र्रैगनैंसी के दौरान और बढ़ती उम्र के वजह से ब्रैस्ट लटकती है न कि ब्रैस्ट फीडिंग के कारण. ब्रैस्ट फीडिंग से शरीर के आकार में कोई बदलाव नहीं होता. जिन महिलाओं का मानना है कि ब्रैस्ट फीडिंग के समय ब्रैस्ट में बहुत ज्यादा दर्द होता है तो ऐसा नहीं है. यदि मां बच्चे को फीड सही ढंग से करवा रही है तो दर्द नहीं होगा. अगर मां बीमार है तो बच्चे को उस से पहले ही पता चल जाता है कि वह बीमार है.

मां का दूध बच्चे के लिए ऐंटीबौडी होता है जो उसे बीमारी से बचाता है. बच्चा बीमार हो जाता है तो इस दूध से उस की बीमारी ठीक हो जाती है. मां को बुखार या जुकाम हो जाए तो भी वह बच्चे को फीड करवा सकती है. मां तब बच्चे को फीड नहीं करवा सकती जब उसे एचआईवी, टीवी जैसी गंभीर बीमार हो.

मां को होने वाले फायदे

– ब्रैस्ट फीडिंग से मां को गर्भावस्था के बाद होने

वाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है. इस से तनाव कम होता है और डिलिवरी के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

– ब्रैस्ट फीडिंग कराने से हारमोन का संतुलन बना रहता है.

– इस से माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

– ब्रैस्ट फीडिंग से महिलाएं जल्दी प्रैगनेंट नहीं होतीं. यह एक तरह से प्राकृतिक गर्भनिरोधक उपाय है.

-महिलाओं में खून की कमी से होने वाले रोग ऐनीमिया का खतरा कम होता है.

– मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है. बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है.

– यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचाने में मदद करता है.

– स्तनपान कराने वाली मांओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम होता है.

ब्रैस्ट पंप का इस्तेमाल

हर मां अपने बच्चे को सही पोषण देना चाहती है. मां का दूध बच्चे के लिए शुरुआती समय में बहुत जरूरी होता है. लेकिन कई बार मांएं अपने बच्चे को ब्रैस्ट फीड करवाने में असहज महसूस करती हैं. कई महिलाएं कामकाजी होती हैं जिस वजह से वे बच्चे को सही ढंग से फीड नहीं करवा पातीं. ऐसे में ब्रैस्ट पंप उन मांओं के लिए किसी उपहार से कम नहीं.

ब्रैस्ट पंप की सहायता से मां अपने दूध को एक बोतल में निकाल सकती है. इस दूध को रैफीजरेटर में भी रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर बच्चे को मां का दूध आसानी से दिया जा सकता है.

खानेपीने का रखें खास ध्यान

सिर्फ प्रैगनैंसी के दौरान ही नहीं बल्कि डिलिवरी के बाद भी मां और बच्चा दोनों की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. मां अकसर बच्चे का ध्यान रखने में इतनी व्यस्त हो जाती है कि अपनी सेहत को नजरअंदाज करने लगती है. बच्चे को जन्म देना और इसे ब्रैस्ड फीडिंग कराना दोनों ही काम एक मां के शरीर के लिए स्ट्रैस से भरे हो सकते हैं. इसलिए ऐसे समय में मां को अपनी सेहत का भी खास ध्यान रखना चाहिए.

आइए, जानते हैं ब्रैस्ट फीडिंग कराने वाली मांओं को अपनी डाइट में क्याक्या शामिल करना चाहिए:

विटामिन ए: विटामिन ए ऐंटीऔक्सिडैंट है. यह इम्यूनिटी को मजबूत करता है और इन्फैक्शंस से लड़ने में मदद करता है. यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है. विटामिन ए के लिए संतरा, शकरकंद, पालक, केले आदि का सेवन कर सकती हैं.

आयरन: अगर बच्चे को दूध पिलाने वाली मां के शरीर में आयरन की कमी होगी तो उसे हमेशा थकान महसूस होगी, शरीर में एनर्जी की कमी रहेगी, बाल ज्यादा गिरेंगे, नजर कमजोर हो जाएगी. कई बार महिलाओं को पता ही नहीं होता है कि वे ऐनीमिया से पीडि़त हैं और उन के शरीर में आयरन की कमी हो गई है. कई बार प्रैगनैंसी के दौरान भी ऐनीमिया हो जाता है. आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आप हरी सब्जियां, अंडा, अंकुरित दाल आदि का सेवन जरूर करें.

विटामिन डी: यह आप की हड्डियों के विकास और संपूर्ण सेहत के लिए महत्त्वपूर्ण है. यह शरीर की कैल्सियम के अवशोषण में मदद करता है. धूप विटामि डी के उत्पादन में शरीर की मदद करती है, मगर अधिकांश महिलाओं को इतनी देर सूरज की किरणें नहीं मिल पातीं, जिस से कि पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बन सके. विटामिन डी के लिए आप संतरा, दलिया, मछली, मशरूम, दाल का सेवन करें.

कैल्सियम: कैल्सियम के लिए आप जैसे दूध और अन्य डेयरी फूड, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम या फिर कैल्सियम फोर्टिफाइड भोजन जैसेकि जूस, सोया और चावल के पेय और ब्रैड का सेवन कर सकती हैं.

ऐसे बनाएं हैप्पी मैरिड लाइफ

सफल खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुछ छोटीछोटी बातों को अपनाना जरूरी है. तो आइए जानते हैं उन छोटीछोटी बातों को जो रिश्ते को खूबसूरत, सफल और खुशहाल बनाती हैं:

एकदूसरे की भावनाओं को महत्त्व देना

एक वैवाहिक रिश्ते की मजबूत नींव इस बात पर टिकी रहती है कि आप एकदूसरे की भावनाओं का कितना आदर, सम्मान और महत्त्व देते हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि आप एकदूसरे की भावनाओं को बिना सम?ो अपनी बात एकदूसरे पर जबरन थोपते हैं? यदि हां तो यह आदत बदल लीजिए और एकदूसरे की भावनाओं को महत्त्व देना शुरू कीजिए. तभी आप के रिश्ते की नींव मजबूत होगी.

काम में मदद करना

आजकल अधिकतर कपल वर्किंग होते हैं. यदि आप ऐसे में केवल अपने काम के विषय में सोचेंगे तो बात बिगड़ भी सकती है. इसलिए एकदूसरे के काम को समान महत्त्व दें. यदि किसी दिन आप के पार्टनर को जल्दी जाना है तो आप उस के काम में थोड़ा हाथ बंटा दें यानी उस की काम में थोड़ी मदद कर दें ताकि काम जल्दी निबट जाए.

बताएं एकदूसरे के साथ क्वालिटी समय

वर्किंग कपल्स के पास हमेशा समय की कमी बनी रहती है. कभीकभी उन के औफिस का समय भी अलगअलग होता है. इसलिए उन को एकदूसरे के साथ एक अच्छा यानी क्वालिटी समय बिताने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए.

इस के लिए छुट्टी के दिन सुबह जिम, मौर्निंग वाक के लिए जा कर अपनी सेहत बना सकते हैं और एकदूसरे के साथ किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं तथा एकदूसरे की राय ले सकते हैं या फिर किचन में एकदूसरे के संग खाना बना सकते हैं अथवा कहीं बाहर घूमनेफिरने का प्रोग्राम बना कुछ यादगार पल एकदूसरे संग बिता कर अपने रिश्ते में मिठास घोल सकते हैं.

पैसे का सही प्रबंधन

शादी के बाद से ही कपल्स का एकदूसरे के लिए पैसे का सही प्रबंधन करना जरूरी होता है ताकि पैसा बुरे वक्त काम आ सके और आवश्यकता होने पर किसी तरह का तनाव न हो. इस के लिए एकदूसरे की राय से सही जगह पैसे का सही निवेश करें.

मी टाइम का रखें खयाल

एकदूसरे के मी टाइम का खयाल रखें. कई बार कपल्स भी रोज दिनभर की भागदौड़ के बाद कुछ समय खुद के लिए निकालना चाहते हैं ताकि वे अपनी पसंद या हौबी के अनुसार कुछ काम जैसे किताब पढ़ने का शौक, गार्डनिंग का शौक या कुछ और जिसे मी टाइम में पूरा कर सकें इस के लिए कपल्स को एकदूसरे के लिए मी टाइम जरूर दें.

रिश्ते की मजबूती के लिए

1- की गई मदद के लिए आभार व्यक्त करें.

2- एकदूसरे पर भरोसा करें.

3- एकदूसरे की परवाह करें.

4- एकदूसरे की बात को पूरी सुनें अपनी कोई बात जबरन न थोपें.

5- एकदूसरे को महत्त्व देना जरूरी.

6- एकदूसरे को समयसमय पर या विशेष मौके पर गिफ्ट देना न भूलें.

7- एकदूसरे पर आरोपप्रत्यरोप से बचें.

8- ईर्ष्या का भाव पैदा न होने दें.

 

मेरी बेटी को स्तन कैंसर है, सुना है कीमोथेरैपी के बाद मां बनना संभव नहीं होता है, क्या ये सच है?

सवाल 

मेरी बेटी को स्तन कैंसर है. अभी उस की शादी भी नहीं हुई है. सुना है कीमोथेरैपी के बाद मां बनना संभव नहीं होता है?

जवाब 

युवा मरीजों में कीमोथेरैपी के बाद अंडाशय के अंडे खत्म हो जाते हैं. ऐसी महिलाएं जिन की शादी नहीं हुई है या जिन का परिवार पूरा नहीं हुआ है और वे बच्चे की इच्छुक हैं तो उन्हें अपने ओवम या अंडे फ्रीज करा लेने चाहिए ताकि बाद में इन का इस्तेमाल किया जा सके. यह जरूरी नहीं है कि अंडे आप के शरीर में इंप्लांट हो जाएंलेकिन इस से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक (आईवीएफ) से बच्चा पाना संभव है.

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सवाल

पिछले कुछ दिनों से मेरे पेट में बहुत दर्द है. जांच कराने पर गर्भाशय में गांठ होने का पता चला है. यह गर्भाशय के कैंसर का संकेत तो नहीं है?

जवाब

आप ने यह नहीं बताया कि आप की माहवारी नियमित है या नहींमाहवारी के बीच में ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है या माहवारी बंद तो नहीं हुई है. आप तुरंत किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा को दिखाएं. सब से पहले आप के गर्भाशय में जो गांठ है उस की बायोप्सी कराई जाएगी. अगर उन्हें ऐंडोमीट्रियल कैंसर की आशंका होगी तो वे पेल्विस की एमआरआई कराने को कहेंगी. उस के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

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सवाल

मेरे परिवार में पिछले कुछ दिनों में 2 लोगों की कीमोथेरैपी हुई है. एक के बाल पूरे झड़ गए जबकि दूसरे के बिलकुल नहीं झड़े हैंऐसा क्यों?

जवाब

कीमोथेरैपी के बाद बाल उड़ना स्वाभाविक है. जिन के बाल ?ाड़े हैंउन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह स्थायी नहीं है. 60% मरीजों में ऐसा होता है. यह दवाइयों और आप के शरीर से संबंधित होता है. इस के बाद जो बाल आते हैं वे पहले से अच्छेघने और डार्क होते हैं. कीमोथेरैपी के बाद कुछ लोगों के बाल नहीं ?ाड़ते हैं. लेकिन घबराएं नहीं. इस का कतई यह मतलब नहीं है कि कीमोथेरैपी असर नहीं कर रही है.

 

टीवी ऐक्ट्रिस नीलू कोहली के पति का निधन, बाथरूम में मिली लाश

टीवी जगत से जुड़ी एक बुरी खबर सामने आ रही है. कई सीरियल्स और फिल्मों में काम कर चुकीं फेमस एक्ट्रेस नीलू कोहली के पति हरमिंदर सिंह कोहली का शुक्रवार को मुंबई में निधन हो गया. वो पूरी तरह से स्वस्थ थे. लेकिन आज दोपहर गुरुद्वारे से घर वापस लौटने के बाद वो बाथरूम गए और वहीं पर गिर पड़े. उस समय घर में सिर्फ हेल्पर मौजूद था. उसने बाथरूम जाकर देखा तो उन्हें अचेत अवस्था में पाया. जब तक उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

 

 

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बाथरूम में गिर पड़े और चली गई जान

Nilu Kohli के फोन पर नंबर पर उनकी बेस्ट फ्रेंड वंदना अरोड़ा ने हमसे बातचीत में इस दुखद खबर की जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘आज दोपहर करीब 1.30 बजे की बात है. वो सुबह गुरुद्वारा जाकर आए. वो वापस आए, बाथरूम गए और वहीं पर गिर पड़े. घर पर उनका सिर्फ हेल्पर था. वो भी खाने की तैयारी कर रहा था कि अभी आएंगे तो लंच लगा देगा, लेकिन काफी देर हो गई तो उसने सोचा कि वो कहीं कमरे में जाकर सो तो नहीं गए. रूम में नहीं मिले तो बाथरूम में देखा. उन्होंने बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं किया था. अंदर देखा तो वो मृत अवस्था में पड़े थे.’ नीलू की दोस्त ने ये भी बताया कि उन्हें डायबिटीज थी, लेकिन ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. वो चल-फिर रहे थे और हेल्थ भी ठीक थी. सबकुछ अचानक ही हो गया.

 

 

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रविवार को होगा पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार

नीलू कोहली की दोस्त ने ये भी बताया कि हरमिंदर सिंह कोहली का अंतिम संस्कार रविवार को होगा, क्योंकि उनका बेटा अभी बाहर है. उनके आने के बाद ही पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी जाएगी.

टीवी और फिल्मों में किया काम

59 साल की नीलू कोहली को पहला एक्टिंग ऑफर तब मिला था, जब उनकी बेटी का दांत टूट गया था और वो उसे लेकर डेंटल क्लिनिक गई थीं.  वो साल 1999 में ‘दिल क्या करे’ में सपोर्टिंग रोल में दिखीं. उन्होंने पंजाबी सीरियल ‘निम्मो ते विम्मो’ में भी काम किया. उन्होंने हिंदी सीरियल ‘जय हनुमान’ में भी एक्टिंग की. वो साल 2022 में पीरियड ड्रामा मूवी ‘जोगी’ में दिखी थीं. इसके अलावा वो ‘हिंदी मीडियम’, ‘हाउसफुल 2’ और ‘रन’ जैसी मूवीज का भी हिस्सा रह चुकी हैं.

अनुज के बाद अब अनुपमा ने छोड़ा घर, कपाड़िया एंपायर संभालेंगे पाखी-अधिक!

रुपाली गांगुली, सुधांशु पांडे और गौरव खन्ना स्टारर शो ‘अनुपमा’ (Anupamaa) का लेटेस्ट ट्रैक दर्शकों को कुछ खास रास नहीं आ रहा है. सीरियल को देखकर अनुपमा और अनुज के फैंस भड़के हुए हैं और इसे बंद करने तक की मांग कर रहे हैं. ट्विटर पर लगातार सीरियल को ट्रोल किया जा रहा है. ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की कहानी की बात करें तो इस साल के शुरुआत से इसमें बहुत बदलाव किए गए हैं. एक तरफ जहां नए साल के साथ सभी के रिश्ते अच्छे हुए थे तो वहीं अब ऐसी नौबत आ गई है कि अनुज कपाड़िया को अनुपमा से नफरत हो चुकी है.

माया और छोटी अनु के जाने के बिगड़ी कहानी

बीते दिनों माया की एंट्री और छोटी अनु की कहानी को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. इस दौरान शो की टीआरपी भी टॉप पर रही. लेकिन जब से छोटी अनु को लेकर माया गई है तब से दर्शकों को शो पसंद नहीं आ रहा है. सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि सीरियल में एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ भी दिखाया जा रहा है. दर्शकों का कहना है कि ऐसे कैसे अनुज और अनुपमा बिना किसी कानूनी कार्यवाही के छोटी अनु की कस्टडी माया को दे सकते हैं. वहीं छोटी अनु के जाने के बाद अनुज कपाड़िया का जैसा हाल दिखाया जा रहा है वो भी दर्शकों को रास नहीं आ रहा है.

वनराज से हो रह अनुज कपाड़िया की तुलना

ट्विटर पर एक यूजर ने अनुज कपाड़िया के किरदार को ट्रोल करते हुए लिखा, ‘अनुपमा का अनुज कपाड़िया वनराज शाह के जैसी हरकतें कर रहा है.’ एक दूसरे यूजर ने लिखा, ‘हमें अनुज-अनुपमा का प्यार देखना है, प्लीज इसे वनराज न बनाओ.’ एक यूजर ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘अनुपमा को अब अनुज कपाड़िया का घर छोड़कर वापस शाह हाउस चले जाना चाहिए. इस अनुज के घर रहने से अच्छा तो अनुपमा वनराज के साथ रहे.’ कुछ यूजर्स को ये भी लग रहा है कि आने वाले समय में बा के कहने पर अनुज और अनुपमा एक हो सकते हैं और काव्या को शाह परिवार से निकाल दिया जाएगा. अब देखना होगा शो को मिल रही ट्रोलिंग के बाद मेकर्स इसकी कहानी में कुछ बदलाव करते हैं या फिर इसी ट्रैक को आगे बढ़ाते हैं.

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