शाम के नाश्ते के लिए बनाएं चना दाल की मरोड़ी, दाल पुए और स्ट्राबेरी जैम

लाल रंग की दिल के आकार वाली स्ट्रॉबेरी दिखने में जितनी अच्छी लगती है खाने में भी उतनी ही स्वादिष्ट होती है. स्ट्रॉबेरी एक लो केलोरी फल है जिसमें पानी, एंटीओक्सीट्स कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, केल्शियम, मैग्नीशियम, फायबर और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह वजन घटाने, प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत करने के साथ साथ बालों, त्वचा और दिल को स्वस्थ रखने में भी सहायक है. इसे सलाद, जैम, आइसक्रीम और पुडिंग आदि के रूप में बड़ी आसानी से भोजन में शामिल किया जा सकता है. आज हम आपको स्ट्राबेरी जैम बनाना बता रहे हैं-

1- चना दाल की मरोड़ी

सामग्री

–  1 कप चना दाल

–  1/2 कप चावल का आटा

–  1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

– 1 चुटकी हींग

–  तेल तलने के लिए

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

चने की दाल को 1 कटोरी पानी के साथ उबाल लें. बचा पानी निथार लें. दाल में चावल का आटानमकहलदीहींग और अजवाइन डालें.

1 बड़ा चम्मच मोयन मिला कर आटा गूंध लें. आटा थोड़ा कड़ा होना चाहिए. आवश्यकता हो तो थोड़ा पानी मिला लें. इसे 10-15 मिनट ढक कर रख दें. अब इस आटे की छोटीछोटी लोइयां बना कर रोटी जैसा बेलें. थोड़ा मोटा रखें. अब चाकू की सहायता से रोटी की लंबी पट्टियां काट लें. इन्हें मनचाहा आकार दे कर तलें और चाय के साथ परोसें

2- दाल पुए और स्ट्राबेरी जैम

सामग्री दाल पुए की

–  1/2 कप उरद छिलका दाल

–  1/2 कप मूंग छिलका दाल

–  1/2 कप चावल

–  1 बड़ा चम्मच अदरक पिसा

– 1 हरीमिर्च

–  तलने के लिए तेल

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री स्ट्राबेरी जैम की

– 8-10 स्ट्राबेरी

–  1/2 कप चीनी

–  1 बड़ा चम्मच नींबू का रस.

विधि

दालों को अच्छी तरह धो कर रातभर पानी में भिगोए रखें. चावलों को भी अलग से धो कर पानी में भिगो दें. दालों का पानी निथार कर छिलके सहित पीस लें. चावलों में अदरक व हरीमिर्च मिला कर पीस लें. पिसी पीठी को अच्छी तरह मिला कर फेंट लें. फिर नमक मिलाएं. एक चपटे पैन में तेल गरम कर कलछी की सहायता से थोड़ीथोड़ी तैयार पीठी तेल में फैलाएं और कुरकुरे पुए तल लें.

विधि जैम की

स्ट्राबेरी को पीस लें. एक पैन में चीनी और स्ट्राबेरी को मिला कर गाढ़ा व चिकना होने तक पकाएंनीबू का रस मिलाएं. ठंडा होने दें. पुओं पर जैम लगा कर परोसें.

ब्रैस्ट फीडिंग: मां और बच्चे के लिए क्यों है सही

मांबनने का एहसास हर महिला के लिए सब से खास होता है. एक औरत से मां बनने के इस 9 महीने के सफर में महिलाएं कई मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजरती हैं. शिशु के जन्म लेने के बाद कई महिलाएं स्तनपान करवाने से डरती हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि स्तनपान कराने से शरीर का आकार खराब हो जाता है, जबकि यह सिर्फ भ्रम है.

स्तनपान मां और बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद होता है. स्तनपान से मां को शारीरिक और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है.

आइए, जानते हैं डाक्टर सुषमा, स्त्रीरोग विशेषज्ञा से बच्चा और मां के लिए ब्रैस्ट फीडिंग क्यों और कैसे जरूरी है:

शिशु के लिए जरूरी है मां का दूध

ब्रैस्ट फीडिंग के फायदे मां और बच्चा दोनों के लिए लाभदायक है. बच्चे के लिए मां का दूध बहुत जरूरी है. ऐसा कहा जाता है कि ब्रैस्ट फीडिंग यानी स्तनपान बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वास्थ्यप्रद भोजन है, जोकि पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है और यह बच्चे को इन्फैक्शनल और कई बीमारियों से बचा सकता है. डाक्टर सुषमा बताती हैं कि मां का दूध बच्चे को जन्म के

1 घंटे के भीतर दिया जाना चाहिए और उस के बाद बच्चे को शुरुआती 6 महीनों तक विशेष रूप से इसे जारी रखा जाना चाहिए.

जिन शिशु का समय से पहले जन्म हो जाता है यानी प्रीमैच्योर बेबीज उन के लिए भी यह बहुत फायदेमंद होता है. शिशु के जन्म के बाद मां के स्तनों से एक गाढ़े पीले रंग का पदार्थ निकलता है जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं. यह बच्चे को जरूरी पोषक देने के साथसाथ रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाता है. यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होता है. इस में रोगप्रतिरोधक क्षमता भी होती है.

आइए जानते हैं मां का दूध शिशु के लिए क्यों लाभकारी है:

-बच्चे के लिए मां का दूध ऐंटीबौडीज का काम करता है. जन्म लेने के बाद 6 महीने तक बच्चे को पानी या अन्य पदार्थ नहीं देने चाहिए. 6 महीने तक बच्चे के लिए मां का दूध ही जरूरी होता है. यह बच्चे में निमोनिया, डायरिया जैसी तमाम बीमारियों के होने के खतरे को काफी हद तक कम कर देता है.

– शिशु जन्म के तुरंत बाद से ले कर कुछ दिनों तक मां के स्तनों से निकलने वाला पतला गाढ़ा

दूध कोलेस्ट्रम कहलाता है. यह पीले रंग का चिपचिपा दूध होता है. इस दूध को अकसर लोग अंधविश्वास के चलते गंदा और खराब दूध कह कर नवजात को नहीं देते, जबकि डाक्टर सुषमा का कहना है कि कोलोस्ट्रम बच्चे के लिए सब से ज्यादा फायदेमंद होता है और इस में संक्रमण से बचाने वाले तत्त्व होते हैं. यह विटामिन 1 से भी भरपूर होता है एवं इस में 10% से अधिक प्रौटीन होता है.

– मां का दूध सुपाच्य होता है जिसे शिशु आसानी से पचा लेता है.

– मां का दूध बच्चों के दिमाग के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है. इस से बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है.

– बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से उसे पूरी तरह स्वच्छ दूध नहीं मिल पाता. ब्रैस्टफीड करने से मां को भी दूध को उबालने, बोतल को धोने, स्टरलाइज करने जैसे काम नहीं करने पड़़ते. ब्रैस्ट फीडिंग से बच्चे को संपूर्ण पोषण मिलता है.

ब्रैस्ट फीडिंग मां के लिए भी है लाभदायक

ब्रैस्ट फीडिंग सिर्फ बच्चे के लिए जरूरी नहीं बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद है. डाक्टर सुषमा बताती हैं कि ब्रैस्ट फीडिंग से जुड़े महिलाओं के दिमाग में कई तरह कि मिथ हैं, जिस वजह से वह ब्रैस्ट फीडिंग से डरती है. अधिकतर महिलाओं का मानना है कि ब्रैस्ट फीडिंग से ब्रैस्ट लटक जाती हैं, ब्रैस्ट फीडिंग से शरीर का आकार बदल जाता है, ब्रैस्टफीड कराते समय बहुत दर्द होता, बीमारी में फीड नहीं करवाना चाहिए आदि.

ये सभी बातें मांओं में ब्रैस्ट फीडिंग के खिलाफ भ्रम पैदा कर देती हैं, जबकि असलियत कुछ और ही है. दरअसल, प्र्रैगनैंसी के दौरान और बढ़ती उम्र के वजह से ब्रैस्ट लटकती है न कि ब्रैस्ट फीडिंग के कारण. ब्रैस्ट फीडिंग से शरीर के आकार में कोई बदलाव नहीं होता. जिन महिलाओं का मानना है कि ब्रैस्ट फीडिंग के समय ब्रैस्ट में बहुत ज्यादा दर्द होता है तो ऐसा नहीं है. यदि मां बच्चे को फीड सही ढंग से करवा रही है तो दर्द नहीं होगा. अगर मां बीमार है तो बच्चे को उस से पहले ही पता चल जाता है कि वह बीमार है.

मां का दूध बच्चे के लिए ऐंटीबौडी होता है जो उसे बीमारी से बचाता है. बच्चा बीमार हो जाता है तो इस दूध से उस की बीमारी ठीक हो जाती है. मां को बुखार या जुकाम हो जाए तो भी वह बच्चे को फीड करवा सकती है. मां तब बच्चे को फीड नहीं करवा सकती जब उसे एचआईवी, टीवी जैसी गंभीर बीमार हो.

मां को होने वाले फायदे

– ब्रैस्ट फीडिंग से मां को गर्भावस्था के बाद होने

वाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है. इस से तनाव कम होता है और डिलिवरी के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

– ब्रैस्ट फीडिंग कराने से हारमोन का संतुलन बना रहता है.

– इस से माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

– ब्रैस्ट फीडिंग से महिलाएं जल्दी प्रैगनेंट नहीं होतीं. यह एक तरह से प्राकृतिक गर्भनिरोधक उपाय है.

-महिलाओं में खून की कमी से होने वाले रोग ऐनीमिया का खतरा कम होता है.

– मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है. बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है.

– यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचाने में मदद करता है.

– स्तनपान कराने वाली मांओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम होता है.

ब्रैस्ट पंप का इस्तेमाल

हर मां अपने बच्चे को सही पोषण देना चाहती है. मां का दूध बच्चे के लिए शुरुआती समय में बहुत जरूरी होता है. लेकिन कई बार मांएं अपने बच्चे को ब्रैस्ट फीड करवाने में असहज महसूस करती हैं. कई महिलाएं कामकाजी होती हैं जिस वजह से वे बच्चे को सही ढंग से फीड नहीं करवा पातीं. ऐसे में ब्रैस्ट पंप उन मांओं के लिए किसी उपहार से कम नहीं.

ब्रैस्ट पंप की सहायता से मां अपने दूध को एक बोतल में निकाल सकती है. इस दूध को रैफीजरेटर में भी रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर बच्चे को मां का दूध आसानी से दिया जा सकता है.

खानेपीने का रखें खास ध्यान

सिर्फ प्रैगनैंसी के दौरान ही नहीं बल्कि डिलिवरी के बाद भी मां और बच्चा दोनों की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. मां अकसर बच्चे का ध्यान रखने में इतनी व्यस्त हो जाती है कि अपनी सेहत को नजरअंदाज करने लगती है. बच्चे को जन्म देना और इसे ब्रैस्ड फीडिंग कराना दोनों ही काम एक मां के शरीर के लिए स्ट्रैस से भरे हो सकते हैं. इसलिए ऐसे समय में मां को अपनी सेहत का भी खास ध्यान रखना चाहिए.

आइए, जानते हैं ब्रैस्ट फीडिंग कराने वाली मांओं को अपनी डाइट में क्याक्या शामिल करना चाहिए:

विटामिन ए: विटामिन ए ऐंटीऔक्सिडैंट है. यह इम्यूनिटी को मजबूत करता है और इन्फैक्शंस से लड़ने में मदद करता है. यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है. विटामिन ए के लिए संतरा, शकरकंद, पालक, केले आदि का सेवन कर सकती हैं.

आयरन: अगर बच्चे को दूध पिलाने वाली मां के शरीर में आयरन की कमी होगी तो उसे हमेशा थकान महसूस होगी, शरीर में एनर्जी की कमी रहेगी, बाल ज्यादा गिरेंगे, नजर कमजोर हो जाएगी. कई बार महिलाओं को पता ही नहीं होता है कि वे ऐनीमिया से पीडि़त हैं और उन के शरीर में आयरन की कमी हो गई है. कई बार प्रैगनैंसी के दौरान भी ऐनीमिया हो जाता है. आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आप हरी सब्जियां, अंडा, अंकुरित दाल आदि का सेवन जरूर करें.

विटामिन डी: यह आप की हड्डियों के विकास और संपूर्ण सेहत के लिए महत्त्वपूर्ण है. यह शरीर की कैल्सियम के अवशोषण में मदद करता है. धूप विटामि डी के उत्पादन में शरीर की मदद करती है, मगर अधिकांश महिलाओं को इतनी देर सूरज की किरणें नहीं मिल पातीं, जिस से कि पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बन सके. विटामिन डी के लिए आप संतरा, दलिया, मछली, मशरूम, दाल का सेवन करें.

कैल्सियम: कैल्सियम के लिए आप जैसे दूध और अन्य डेयरी फूड, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम या फिर कैल्सियम फोर्टिफाइड भोजन जैसेकि जूस, सोया और चावल के पेय और ब्रैड का सेवन कर सकती हैं.

ऐसे बनाएं हैप्पी मैरिड लाइफ

सफल खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुछ छोटीछोटी बातों को अपनाना जरूरी है. तो आइए जानते हैं उन छोटीछोटी बातों को जो रिश्ते को खूबसूरत, सफल और खुशहाल बनाती हैं:

एकदूसरे की भावनाओं को महत्त्व देना

एक वैवाहिक रिश्ते की मजबूत नींव इस बात पर टिकी रहती है कि आप एकदूसरे की भावनाओं का कितना आदर, सम्मान और महत्त्व देते हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि आप एकदूसरे की भावनाओं को बिना सम?ो अपनी बात एकदूसरे पर जबरन थोपते हैं? यदि हां तो यह आदत बदल लीजिए और एकदूसरे की भावनाओं को महत्त्व देना शुरू कीजिए. तभी आप के रिश्ते की नींव मजबूत होगी.

काम में मदद करना

आजकल अधिकतर कपल वर्किंग होते हैं. यदि आप ऐसे में केवल अपने काम के विषय में सोचेंगे तो बात बिगड़ भी सकती है. इसलिए एकदूसरे के काम को समान महत्त्व दें. यदि किसी दिन आप के पार्टनर को जल्दी जाना है तो आप उस के काम में थोड़ा हाथ बंटा दें यानी उस की काम में थोड़ी मदद कर दें ताकि काम जल्दी निबट जाए.

बताएं एकदूसरे के साथ क्वालिटी समय

वर्किंग कपल्स के पास हमेशा समय की कमी बनी रहती है. कभीकभी उन के औफिस का समय भी अलगअलग होता है. इसलिए उन को एकदूसरे के साथ एक अच्छा यानी क्वालिटी समय बिताने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए.

इस के लिए छुट्टी के दिन सुबह जिम, मौर्निंग वाक के लिए जा कर अपनी सेहत बना सकते हैं और एकदूसरे के साथ किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं तथा एकदूसरे की राय ले सकते हैं या फिर किचन में एकदूसरे के संग खाना बना सकते हैं अथवा कहीं बाहर घूमनेफिरने का प्रोग्राम बना कुछ यादगार पल एकदूसरे संग बिता कर अपने रिश्ते में मिठास घोल सकते हैं.

पैसे का सही प्रबंधन

शादी के बाद से ही कपल्स का एकदूसरे के लिए पैसे का सही प्रबंधन करना जरूरी होता है ताकि पैसा बुरे वक्त काम आ सके और आवश्यकता होने पर किसी तरह का तनाव न हो. इस के लिए एकदूसरे की राय से सही जगह पैसे का सही निवेश करें.

मी टाइम का रखें खयाल

एकदूसरे के मी टाइम का खयाल रखें. कई बार कपल्स भी रोज दिनभर की भागदौड़ के बाद कुछ समय खुद के लिए निकालना चाहते हैं ताकि वे अपनी पसंद या हौबी के अनुसार कुछ काम जैसे किताब पढ़ने का शौक, गार्डनिंग का शौक या कुछ और जिसे मी टाइम में पूरा कर सकें इस के लिए कपल्स को एकदूसरे के लिए मी टाइम जरूर दें.

रिश्ते की मजबूती के लिए

1- की गई मदद के लिए आभार व्यक्त करें.

2- एकदूसरे पर भरोसा करें.

3- एकदूसरे की परवाह करें.

4- एकदूसरे की बात को पूरी सुनें अपनी कोई बात जबरन न थोपें.

5- एकदूसरे को महत्त्व देना जरूरी.

6- एकदूसरे को समयसमय पर या विशेष मौके पर गिफ्ट देना न भूलें.

7- एकदूसरे पर आरोपप्रत्यरोप से बचें.

8- ईर्ष्या का भाव पैदा न होने दें.

 

मेरी बेटी को स्तन कैंसर है, सुना है कीमोथेरैपी के बाद मां बनना संभव नहीं होता है, क्या ये सच है?

सवाल 

मेरी बेटी को स्तन कैंसर है. अभी उस की शादी भी नहीं हुई है. सुना है कीमोथेरैपी के बाद मां बनना संभव नहीं होता है?

जवाब 

युवा मरीजों में कीमोथेरैपी के बाद अंडाशय के अंडे खत्म हो जाते हैं. ऐसी महिलाएं जिन की शादी नहीं हुई है या जिन का परिवार पूरा नहीं हुआ है और वे बच्चे की इच्छुक हैं तो उन्हें अपने ओवम या अंडे फ्रीज करा लेने चाहिए ताकि बाद में इन का इस्तेमाल किया जा सके. यह जरूरी नहीं है कि अंडे आप के शरीर में इंप्लांट हो जाएंलेकिन इस से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक (आईवीएफ) से बच्चा पाना संभव है.

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सवाल

पिछले कुछ दिनों से मेरे पेट में बहुत दर्द है. जांच कराने पर गर्भाशय में गांठ होने का पता चला है. यह गर्भाशय के कैंसर का संकेत तो नहीं है?

जवाब

आप ने यह नहीं बताया कि आप की माहवारी नियमित है या नहींमाहवारी के बीच में ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है या माहवारी बंद तो नहीं हुई है. आप तुरंत किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा को दिखाएं. सब से पहले आप के गर्भाशय में जो गांठ है उस की बायोप्सी कराई जाएगी. अगर उन्हें ऐंडोमीट्रियल कैंसर की आशंका होगी तो वे पेल्विस की एमआरआई कराने को कहेंगी. उस के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

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सवाल

मेरे परिवार में पिछले कुछ दिनों में 2 लोगों की कीमोथेरैपी हुई है. एक के बाल पूरे झड़ गए जबकि दूसरे के बिलकुल नहीं झड़े हैंऐसा क्यों?

जवाब

कीमोथेरैपी के बाद बाल उड़ना स्वाभाविक है. जिन के बाल ?ाड़े हैंउन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह स्थायी नहीं है. 60% मरीजों में ऐसा होता है. यह दवाइयों और आप के शरीर से संबंधित होता है. इस के बाद जो बाल आते हैं वे पहले से अच्छेघने और डार्क होते हैं. कीमोथेरैपी के बाद कुछ लोगों के बाल नहीं ?ाड़ते हैं. लेकिन घबराएं नहीं. इस का कतई यह मतलब नहीं है कि कीमोथेरैपी असर नहीं कर रही है.

 

टीवी ऐक्ट्रिस नीलू कोहली के पति का निधन, बाथरूम में मिली लाश

टीवी जगत से जुड़ी एक बुरी खबर सामने आ रही है. कई सीरियल्स और फिल्मों में काम कर चुकीं फेमस एक्ट्रेस नीलू कोहली के पति हरमिंदर सिंह कोहली का शुक्रवार को मुंबई में निधन हो गया. वो पूरी तरह से स्वस्थ थे. लेकिन आज दोपहर गुरुद्वारे से घर वापस लौटने के बाद वो बाथरूम गए और वहीं पर गिर पड़े. उस समय घर में सिर्फ हेल्पर मौजूद था. उसने बाथरूम जाकर देखा तो उन्हें अचेत अवस्था में पाया. जब तक उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

 

 

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बाथरूम में गिर पड़े और चली गई जान

Nilu Kohli के फोन पर नंबर पर उनकी बेस्ट फ्रेंड वंदना अरोड़ा ने हमसे बातचीत में इस दुखद खबर की जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘आज दोपहर करीब 1.30 बजे की बात है. वो सुबह गुरुद्वारा जाकर आए. वो वापस आए, बाथरूम गए और वहीं पर गिर पड़े. घर पर उनका सिर्फ हेल्पर था. वो भी खाने की तैयारी कर रहा था कि अभी आएंगे तो लंच लगा देगा, लेकिन काफी देर हो गई तो उसने सोचा कि वो कहीं कमरे में जाकर सो तो नहीं गए. रूम में नहीं मिले तो बाथरूम में देखा. उन्होंने बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं किया था. अंदर देखा तो वो मृत अवस्था में पड़े थे.’ नीलू की दोस्त ने ये भी बताया कि उन्हें डायबिटीज थी, लेकिन ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. वो चल-फिर रहे थे और हेल्थ भी ठीक थी. सबकुछ अचानक ही हो गया.

 

 

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रविवार को होगा पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार

नीलू कोहली की दोस्त ने ये भी बताया कि हरमिंदर सिंह कोहली का अंतिम संस्कार रविवार को होगा, क्योंकि उनका बेटा अभी बाहर है. उनके आने के बाद ही पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी जाएगी.

टीवी और फिल्मों में किया काम

59 साल की नीलू कोहली को पहला एक्टिंग ऑफर तब मिला था, जब उनकी बेटी का दांत टूट गया था और वो उसे लेकर डेंटल क्लिनिक गई थीं.  वो साल 1999 में ‘दिल क्या करे’ में सपोर्टिंग रोल में दिखीं. उन्होंने पंजाबी सीरियल ‘निम्मो ते विम्मो’ में भी काम किया. उन्होंने हिंदी सीरियल ‘जय हनुमान’ में भी एक्टिंग की. वो साल 2022 में पीरियड ड्रामा मूवी ‘जोगी’ में दिखी थीं. इसके अलावा वो ‘हिंदी मीडियम’, ‘हाउसफुल 2’ और ‘रन’ जैसी मूवीज का भी हिस्सा रह चुकी हैं.

अनुज के बाद अब अनुपमा ने छोड़ा घर, कपाड़िया एंपायर संभालेंगे पाखी-अधिक!

रुपाली गांगुली, सुधांशु पांडे और गौरव खन्ना स्टारर शो ‘अनुपमा’ (Anupamaa) का लेटेस्ट ट्रैक दर्शकों को कुछ खास रास नहीं आ रहा है. सीरियल को देखकर अनुपमा और अनुज के फैंस भड़के हुए हैं और इसे बंद करने तक की मांग कर रहे हैं. ट्विटर पर लगातार सीरियल को ट्रोल किया जा रहा है. ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की कहानी की बात करें तो इस साल के शुरुआत से इसमें बहुत बदलाव किए गए हैं. एक तरफ जहां नए साल के साथ सभी के रिश्ते अच्छे हुए थे तो वहीं अब ऐसी नौबत आ गई है कि अनुज कपाड़िया को अनुपमा से नफरत हो चुकी है.

माया और छोटी अनु के जाने के बिगड़ी कहानी

बीते दिनों माया की एंट्री और छोटी अनु की कहानी को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. इस दौरान शो की टीआरपी भी टॉप पर रही. लेकिन जब से छोटी अनु को लेकर माया गई है तब से दर्शकों को शो पसंद नहीं आ रहा है. सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि सीरियल में एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ भी दिखाया जा रहा है. दर्शकों का कहना है कि ऐसे कैसे अनुज और अनुपमा बिना किसी कानूनी कार्यवाही के छोटी अनु की कस्टडी माया को दे सकते हैं. वहीं छोटी अनु के जाने के बाद अनुज कपाड़िया का जैसा हाल दिखाया जा रहा है वो भी दर्शकों को रास नहीं आ रहा है.

वनराज से हो रह अनुज कपाड़िया की तुलना

ट्विटर पर एक यूजर ने अनुज कपाड़िया के किरदार को ट्रोल करते हुए लिखा, ‘अनुपमा का अनुज कपाड़िया वनराज शाह के जैसी हरकतें कर रहा है.’ एक दूसरे यूजर ने लिखा, ‘हमें अनुज-अनुपमा का प्यार देखना है, प्लीज इसे वनराज न बनाओ.’ एक यूजर ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘अनुपमा को अब अनुज कपाड़िया का घर छोड़कर वापस शाह हाउस चले जाना चाहिए. इस अनुज के घर रहने से अच्छा तो अनुपमा वनराज के साथ रहे.’ कुछ यूजर्स को ये भी लग रहा है कि आने वाले समय में बा के कहने पर अनुज और अनुपमा एक हो सकते हैं और काव्या को शाह परिवार से निकाल दिया जाएगा. अब देखना होगा शो को मिल रही ट्रोलिंग के बाद मेकर्स इसकी कहानी में कुछ बदलाव करते हैं या फिर इसी ट्रैक को आगे बढ़ाते हैं.

ईवनिंग स्नैक्स में खाए उरद पकौड़ा और गट्टे के मंचुरियन

इन दिनों कुछ चटपटा और मसालेदार खाने का भी मन करने लगता है. आज हम आपको एक उरद पकौड़ा बनाना बता रहे हैं जिसे आप घर पर उपलब्ध सामग्री से बड़ी आसानी से बना तो सकते ही हैं साथ ही ये बहुत हैल्दी भी है क्योंकि इसे हमने बिना डीप फ्राई किये बनाया है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

ईवनिंग स्नैक्स

1- उरद पकौड़ा

सामग्री

–  1 कटोरी साबूत उरद

–  1/4 कप प्याज बारीक कटा

–  1/2 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

–  1 उबला आलू

–  1 हरीमिर्च कटी

–  1 छोटा चम्मच चाटमसाला

–  1/2 कप धनियापत्ती कटी

–  1/2 कप बेसन

– 1/4 कप चावल का आटा

-1 कप मूली के लच्छे

–  1 कप हरी चटनी

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

उरद दाल को आधा गलने तक पका लें. एक बाउल में प्याजअदरकलहसुन पेस्टमसला आलूहरीमिर्चनमकचाटमसाला व धनिया मिलाएं. दाल का पानी निथार कर इस में मिला दें. बेसन व चावल का आटा मिलाएं. अब थोड़ाथोड़ा पानी डाल कर भजिया बनाने जैसा घोल बना लें. थोड़ाथोड़ा तैयार बैटर हाथ या चम्मच की सहायता से उठा कर गरम तेल में पकौड़े जैसा तल लें. मूली के लच्छों व हरी चटनी के साथ परोसें.

2- गट्टे के ड्राई मंचूरियन

सामग्री

– 1 कप बेसन

– 1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

–  1 हरीमिर्च कटी

– 1 छोटा चम्मच हलदी

–  2 चुटकी मीठा सोडा

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री मंचूरियन की

– 1 शिमलामिर्च

– 1 गाजर

– 1 कप बंद गोभी कटी

– 2 हरे प्याज

–  1 प्याज

–  1 बड़ा चम्मच सोया सौस

– 1 बड़ा चम्मच हरी चिली सौस

– 1 बड़ा चम्मच तेल

– 1/2 पैकेट फ्राइड राइस मसाला.

विधि

गट्टे की सारी सामग्री मिला कर थोड़े पानी के साथ गूंध लें. इस के गट्टे बना कर उबलते पानी में डाल कर पका लें. पानी निथार कर गट्टों को टुकड़ों में काट कर गरम तेल में तल लें. एक कड़ाही में तेल गरम करें. सारी सब्जी को लच्छों में काट कर 1 मिनट गरम तेल में भूनें. सारी सौस व मसाले मिलाएं. थोड़ा सा पानी व गट्टे डाल कर अच्छी तरह मिलाएं और गरमगरम परोसें.

मेरी माहवारी बंद हुए 10 साल हो गए हैं, मुझे पिछले कुछ दिनों से सफेद पानी आ रहा है, यह कैंसर का लक्षण तो नहीं है?

सवाल

मेरी उम्र 60 साल है. मेरी माहवारी बंद हुए 10 साल हो गए हैं. मुझे पिछले कुछ दिनों से सफेद पानी आ रहा है. यह कैंसर का लक्षण तो नहीं है?

जवाब

मेनोपौज यानी माहवारी बंद होने के बाद सफेद पानी आ सकता है. योनी से सफेद पानी निकलना हमेशा कैंसर नहीं होता. यह सामान्य संक्रमण भी हो सकता है. लेकिन अगर बहुत समय से सफेद पानी आ रहा है और बीचबीच में ब्लीडिंग भी हो रही हो तो यह कैंसर का कारण हो सकता है. आप तुरंत किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा को दिखाएं. अल्ट्रासाउंड कराने के बाद ही पता चलेगा कि बच्चेदानी में कोई गांठ तो नहीं है.

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सवाल 

मेरी उम्र 45 साल है. पिछले कुछ समय से मेरे निप्पल से व्हीटिश फ्ल्यूड डिस्चार्ज हो रहा है. क्या करूं?

जवाब

निप्पल से व्हीटिश फ्ल्यूड डिस्चार्ज होना सामान्य नहीं है. यह स्तन कैंसर का संकेत हो सकता है. स्तन कैंसर से संबंधित जांच कराने में देरी न करें. अल्ट्रासाउंड और बाकी जांचें कराने पर ही पता चलेगा कि इस का कारण स्तन कैंसर है या नहीं.

सवाल

मेरी नानी और भाभी दोनों की लंग्स कैंसर के चलते मृत्यु हो चुकी है. मैं जानना चाहती हूं कि महिलाएं तो धूम्रपान नहीं करतींफिर भी उन्हें फेफड़ों का कैंसर क्यों हो जाता है?

जवाब

यह सही है कि जिन्हें फेफड़ों का कैंसर होता हैउन में से 90% लोग तो धूम्रपान करते हैं. मगर केवल धूम्रपान ही इस का एकमात्र कारण नहीं है. चूल्हे पर खाना बनानावायु प्रदूषणसीमेंट उद्योग में काम करनाज्यादा धूलमिट्टी वाले स्थान पर रहना भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है.

सवाल

मुझे डाक्टर ने रैडिएशन थेरैपी कराने के लिए कहा है. लेकिन मुझे डर लग रहा है?

जवाब

रैडिएशन थेरैपी कैंसर के उपचार की एक बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है. रैडिएशन हाई ऐनर्जी रेज होती हैं. इन में कोई करंट नहीं होता है. आप डरें नहीं क्योंकि इस में जलन या गरमी नहीं लगती है. सीटी स्कैन की तरह 5 मिनट के लिए मशीन में जाते हैंफिर बाहर आ जाते हैं.

सिएटल: यह शहर है बेमिसाल

आज मैं पाठकों को अमेरिका के वाशिंगटन राज्य के अपने प्रिय नगर सिएटल से परिचय करवाने जा रही हूं. सिएटल नगरी उत्तरी अमेरिका के पैसिफिक उत्तर पश्चिम प्रदेश में कनाडा और अमेरिका की सीमा के निकट, वाशिंगटन राज्य में प्रशांत महासागर के इनलेट पुजीट साउंड के किनारे स्थित है. सिएटल एक आधुनिक सुंदर पोर्ट सिटी है. पैसिफिक उत्तर पश्चिम प्रदेश के पहाड़ी इलाके, मनोहर ?ालें, बर्फ से घिरा माउंट रेनियर, कास्केड माउंटेन रेंज, ओलिंपिक माउंटेंस, रेन फौरैस्ट आदि अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं.

सदाबहार शहर

प्यार से सिएटल को डिजिटल सिटी (आईटी टैक्नोलौजी), जेट सिटी (बोइंग विमान कारखाना), ऐमराल्ड सिटी (सदाबहार हरे वृक्ष) इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. पिछले 30 सालों में इस शहर में बहुत बदलाव आया है.

ग्रेटर सिएटल का अमेरिका में अब प्रथम स्थान है जहां साइंस, टैक्नोलौजी, इंजीनियरिंग आदि में कुशल लोगों को नौकरियां उपलब्ध हैं. माइक्रोसौफ्ट, अमेजन, ऐक्सपीडिया, फेसबुक (मेटा), गूगल, ऐप्पल, स्टारबक कौफी, बोइंग इत्यादि ग्लोबल कंपनियों, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे चैरिटीज के कारोबार सिएटल और उस के उपनगरों से चलते हैं.

पूरी दुनिया के लोग इन कंपनियों में काम करने आते हैं. इन सारी कंपनियों में करीब 1 लाख प्रतिभाशाली भारतीय ऊंचे वेतन पर काम करते हैं. सिएटल की ‘यूनिवर्सिटी औफ वाशिंगटन’ अपने शिक्षा के स्तर तथा बायोलौजिकल विज्ञान विषयों के उत्तम संशोधन के लिए प्रसिद्ध है.

ग्रेटर सिएटल में अनेक भारतीयों की किराने की दुकानों के साथसाथ वहां भारतीय भोजनालय और संस्थाए भी हैं. भारतीय खाद्यपदार्थ सारे शहरवासियों में लोकप्रिय हैं.

ग्रेटर सिएटल रहने के लिए महंगा है. यहां भिन्नभिन्न जातियों, धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं. शहरवासी प्रगतिशील विचारों के साथसाथ स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक नागरिक हैं.

सब लोग अलगअलग संस्कृति के होते हुए भी दूसरी संस्कृति के लोगों के साथ शांतिपूर्वक रहते हैं. एकदूसरे की मदद करते हैं. यहां चेरी ब्लौसम, ट्यूलिप फैस्टिवल जैसे अनेक उत्सव मनाए जाते हैं.

मैं इस शहर में कई सालों से रह रही हूं. मु?ो सिएटल में रहने में कोई परेशानी नहीं हुई. अपनी जन्मभूमि छोड़ क र अमेरिका को कर्मभूमि बना कर रहना है तो थोड़ा समायोजन करना जरूरी है. मु?ो इस सुंदर नगर से प्यार है. बाहर से आने वालों के लिए शहर के स्पेस नीडल, पाइकप्लेस मार्केट, म्यूजियम औफ फ्लाइट्स इत्यादि स्थान लोकप्रिय हैं. यहां के नैसर्गिक सौंदर्य का रहस्य, उस का भौगोलिक स्थान, उत्तम तापमान, शरद से वसंत ऋतु तक चलने वाली हलकी रिम?िम बारिश और ज्वालामुखीय उपजाऊ जमीन की वजह से ही सिएटल में वसंत की बरात सजती है.

प्रकृति का चमत्कार

वसंत के बराती तो असंख्य हैं. रंगीन, शानदार वस्त्र पहने बरातियों का आना लगातार चलता रहता है. पौधों, लताओं, छोटे और विशाल वृक्षों पर नए नन्हें पत्ते खिलते हैं. कभी रंगीन, चमकीले और विविध रंगरूप के फूलपत्तों के पहले खिलते हैं तो कभी पत्तों के बाद. ये फूल कभी डालियों पर ?ामकों की तरह लटक कर ?ालते हैं तो कुछ सीधे पेड़ के तनों पर ही खिलते हैं. मैं सम?ाती थी रंग 7 प्रकार के होते हैं, लेकिन इन फूलों ने सिखाया है कि सातों रंगों की छटाएं अनगणित हैं. इन छटाओं से अनगिनत, अप्रतिम और विस्मयकारी रूप बन सकते हैं. प्रकृति के इस चमत्कार से मैं हैरान हूं.

वसंत की बरात मेक्राकसेस के बाद

ट्यूलिप और डैफोडिल्स के फूल आते हैं. उन के पीछेपीछे हयासिंथ्स, मस्कारी, कमेलिया आते हैं. हयासिंथ की मीठी खूशबू वातावरण को सुगंधित कर देती है.

खुशी के गीत गाती रंगीन तितलियां, मधुमक्खियां बरात के स्वागत में नृत्य करने लगती हैं. हमिंग बर्ड्स, रौबिनस, ब्लू जे इत्यादि पक्षियों की हलचल नजर में आने लगती है. गोल्डन रेन वृक्ष, गोल्डन चेन वृक्ष, अमरथ पेड़ वगैरह गोल्डन रंग के फूलों से सज कर मुसकराने लगते हैं.

डैफोडिल्स ट्यूलिप्स

बरात में अब चेरी, प्लम इत्यादि की बारी है. ये वृक्ष अपने सारे आभूषण पहन कर बरात में शामिल होते हैं. ये सारे वृक्ष गुलाबी या सफेद रंगों के फूलों से इतने ढक जाते हैं कि पूछो मत. पूरा शहर मानो गुलाबी दुपट्टे में लिपट गया हो. जहां देखो वहां चेरी के वृक्षों की मनोरम बहार नजर आती है. यह नजारा देख कर मेरा मन चाहता है कि मैं इन सभी वृक्षों को गले लगाऊं. यह नजारा आंखों से हटा भी नहीं था कि अपनी मीठी खुशबू के साथ परपल, गुलाबी, सफेद रंगों के फूलों से सज कर बरात आगे बढ़ाते हैं.

अब आ रहे हैं डांगवूड्स, मंगनोलिया और रोडहिडेनड्रांस. इन तीनों फूलों से भरे वृक्षों का सौंदर्य मनमोहक होता है. अब तक आप का बहुत से बडे़ बरातियों से परिचय हुआ. लेकिन धरती पर उतना ही रंगीन नजारा दिखाई देता है. नन्हेनन्हे रंगबिरंगे फूलों पियोनिया, आइरिस, ब्लूबेल्स, कोलंबाइन इत्यादि का जो बरात में शामिल हो कर उस की शोभा बढ़ाते हैं.

फूलों के रंग के साथसाथ उन की खुशबू भी विविधतापूर्ण होती है. कभी मीठी, कभी लैमनी, कभी इलायची जैसी कभी अजवाइन की तरह तो कभी मजेदार स्पाइसी.

प्रकृति की खासीयत

डांगवूड्स के फूल जब खिलने लगते हैं तो सम?ा जाइए कि वसंत की पूर्ण बरात आ पहुंची है. सिएटल की खासीयत यह है कि ग्रीष्म काल में भी वसंतोत्सव जारी रहता है. आइरिस, गुलाब, जैसमिन, ग्लैडियोलस, डहेलिया आदि फूल ग्रीष्मकाल में वसंत का एहसास दिलाते हैं.

यहां की एक खास बात है कि यहां बहुत तरह के नीले रंग के फूल देखने को मिलते हैं. वसंत के आते ही सिएटल में धूप, छांव, बादल, बारिश का आंखमिचौली का खेल शुरू होता है. आकाश में धूप और बारिश एकसाथ होते हैं.

नागरिकों की जिम्मेदारी

अचानक कहीं मनोहर इंद्रधनुष चमकने लगता है. कभीकभी 2 इंद्रधनुष एकसाथ दिखाई देते हैं. सिएटल के वसंत की यह रंगीन बरात हर साल मेरे मनमयूर को आनंदित कर जाती है. प्रकृति का यह करिश्मा हर साल नजर आता है. कैसी विस्मयकारी है यह सृष्टि. इस का पूर्णरूप से संरक्षण करना दुनिया के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है ताकि आने वाली पीढि़यां भी सृष्टि के सौंदर्य का आनंद ले सकें

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