सवाल-
मैं अपने बौयफ्रैंड के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहती हूं. मैं जानना चाहती हूं कि इस दौरान जब हम शारीरिक संबंध बनाएं तो हमें क्याक्या सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि मैं गर्भवती न होऊं?
जवाब-
शारीरिक संबंध बनाने के उपरांत गर्भधारण से बचने के लिए आप को अपनी सुविधानुसार कोई गर्भनिरोधक प्रयोग करना चाहिए.
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आज राहुल के दोस्त विनय के बेटे का नामकरण था, इसलिए वह औफिस से सीधे उस के घर चला गया था.
वैसे, राहुल को ऐसे उत्सव पसंद नहीं आते थे, पर विनय के आग्रह पर उसे वहां जाना ही पड़ा, क्योंकि विनय उस का जिगरी दोस्त जो था.
‘‘यार, अब तू भी सैटल हो ही जा, आखिर कब तक यों ही भटकता रहेगा,’’ फंक्शन खत्म होने के बाद नुक्कड़ वाली पान की दुकान पर पान खाते हुए विनय ने राहुल से कहा. ‘‘नहीं यार,’’ राहुल पान चबाता हुआ बोला, ‘‘तुझे तो पता है न कि मुझे इन सब झमेलों से कितनी कोफ्त होती है?
‘‘भई, मैं तो अपनी पूरी जिंदगी पति नाम का पालतू जीव बन कर नहीं गुजार सकता. मैं सच कहूं तो मुझे शादी के नाम से ही चिढ़ है और बच्चा… न भई न.’’
‘‘अच्छा यार, जैसी तेरी मरजी,’’ इतना कह कर विनय खड़ा हुआ, ‘‘पर हां, एक बात तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि मेरी पत्नी राशि की मुंहबोली बहन करिश्मा फिदा है तुझ पर. उस बेचारी ने जब से तुझे मेरी शादी में देखा है तब से वह तेरे नाम की रट लगाए बैठी है. उस ने जो मुझ से कहा वह मैं ने तुझे बता दिया, अब आगे तेरी मरजी.’’
उस के बाद काफी समय तक दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई, क्योंकि अपने घर वालों के तानों से तंग आ कर अब राहुल ज्यादातर टूर पर ही रहता था.
‘‘न जाने क्या है हमारे बेटे के मन में, लगता है पोते का मुंह देखे बिना ही मैं इस दुनिया से चली जाऊंगी,’’ जबजब राहुल की मां उस से यह कहतीं, तबतब राहुल की बेचैनी बहुत बढ़ जाती.
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एक दिन शाम को नीरज जब काम से लौटा तो पंकज का कान पकड़े हुए उसे घसीटते हुए लाया और बरामदे में पटक दिया. मैं दोपहर का काम निबटा कर लेटी हुई एक पत्रिका पढ़तेपढ़ते शायद सो गई थी.
अचानक ही पंकज की चिल्लाहट से हड़बड़ा कर उठ बैठी. ‘‘देखा नहीं तुम ने, वहां बड़े मजे से उन लड़कों की साइकिल में धक्का लगा रहा था, जैसे गुलाम हो उन का. शर्म नहीं आती. मारमार कर खाल उतार दूंगा अगर आगे से उन के पास गया या कोई ऐसी हरकत की तो…’’ उस की गाल पर एक थप्पड़ और मारते हुए नीरज पंकज को मेरी ओर धकेलते हुए अंदर चला गया.
नीरज के इतने क्रोधित होने पर आश्चर्य हो रहा था मुझे. आखिर इस में पंकज का क्या दोष? उसे साइकिल नहीं मिली तो वह बच्चों के साथ साइकिल को धक्का लगा कर ही अपनी अतृप्त भावना की तृप्ति करने पहुंच गया. वह क्या जाने गुलाम या बादशाह को? बच्चे का दिल तो निर्दोष होता है. मुझे दुख था तो नीरज के सोचने के ढंग पर. ऊंचनीच की भावना उसे परेशान कर रही थी.
मैं समझ गई कि कोई ऐसा भाव उस के हृदय में घर कर गया था जो हर समय उन लोगों की नजरों में उसे हीन बना रहा था और दूसरों के धनदौलत का महत्त्व उस के मस्तिष्क में बढ़ता ही जा रहा था. यद्यपि हीन हम लोग किसी भी प्रकार से नहीं थे. जब तक यह गलत भावना नीरज के मन से दूर न होगी, हमारा इस कालोनी में रहना दूभर हो जाएगा. ऐसा मुझे दिखाई देने लगा था. मैं ने भी सोच लिया कि मुझे उसी बदहाली में जाने की अपेक्षा नीरज के मन में बैठी उस भावना से लड़ाई करनी है.
बड़े सोचविचार के बाद मैं ने एक कदम उठाया. नीरज के दफ्तर चले जाने के बाद मैं उन बड़े लोगों के संपर्क में आने का प्रयत्न करती रही. उन के घर में प्रवेश करने के साथ ही उन के हृदयों में प्रवेश कर के यह जानने की कोशिश करती रही कि क्या हम अपने साधारण से वेतन व साधारण जीवन स्तर के साथ उन के समाज में आदर पा सकते हैं.
सब से पहले मैं ने अपना परिचय बढ़ाया कोठी नंबर 5 की सौदामिनी से. उन के पति एक बड़ी फर्म के मालिक हैं. अनेक वर्ष विदेश रह कर आए हैं और उन के नीचे कार्य करने वाले अनेक कर्मचारी भी विदेशों से प्रशिक्षित हैं. कई सुंदर नवयुवतियां भी इन के नीचे स्टेनो, टाइपिस्ट व रिसैप्शनिस्ट का कार्य करती हैं. स्वाभाविक है कि गांगुली साहब पार्टियों और क्लबों में अधिक व्यस्त रहते हैं.
एक दिन सौदामिनी ने अपने हृदय की व्यथा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘क्या करूं, शीलाजी? अपने एक बच्चे को तो इन के इसी व्यसन के पीछे गंवा बैठी हूं. हर समय इन के साथ या तो बाहर रहना पड़ता था या घर में ही डिनर व पार्टियों में व्यस्त रहती थी. बच्चे की देखरेख कर ही नहीं पाई, आया के भरोसे ही रहा. वह न जाने कैसा बासी व गंदा दूध पिलाती रही कि बच्चे का जिगर खराब हो गया और काफी इलाज के बावजूद चल बसा.
‘‘अब प्रदीप 2 वर्ष का हो गया है. उसे छोड़ते मुझे डर लगता है. जब से यह हुआ, इन के और मेरे संबंधों में दरार पड़ती जा रही है. ये बाहर रहते हैं और मैं घर में पड़ी जलती रहती हूं.’’ वे लगभग रो पड़ीं.
‘‘अरे, इस समस्या का हल तो बहुत आसान है. आप प्रदीप को पंकज के साथ हमारे यहां भेज दिया कीजिए. दोनों खेलते रहेंगे. प्रदीप जब पंकज के साथ हिल जाएगा तो आप के पीछे से हमारे घर ठहर भी जाया करेगा. फिर आप शौक से गांगुली साहब के साथ बाहर जाइए.’’
सौदामिनी का मुंह एक ओर तो हर्ष से दमक उठा, दूसरी ओर वे आश्चर्य से मेरे मुंह की ओर देखती रह गईं, ‘‘आप कैसे करेंगी इतना सब मेरे लिए? आप को परेशानी होगी.’’
‘‘नहीं, आप बिलकुल चिंता न कीजिए. मैं प्रदीप को जरा भी कष्ट नहीं होने दूंगी और मुझे भी उस के कारण कोई परेशानी नहीं होगी. फिर हमारे पंकज का दिल भी तो उस के साथ बहल जाएगा. वह भी तो बेचारा अकेला सा रहता है.’’ मैं ने हंसते हुए उन से विदा ली थी और अगली ही शाम को वे स्वयं प्रदीप को ले कर हमारे यहां आ गई थीं. कितनी ही देर बैठीबैठी वे हमारे छोटे से घर की गृहसज्जा की प्रशंसा करती रही थीं.
प्रदीप प्रतिदिन हमारे यहां आने लगा. अपने ढेर सारे खिलौने भी ले आता. दोनों बच्चे खेल में ही मस्त रहते. मैं बीचबीच में दोनों को खानेपीने को देती रहती. कभीकभी कहानियां भी सुनाती और पुस्तकों में से तसवीरें भी दिखाती. अब जब भी सौदामिनी चाहतीं, बड़े शौक से प्रदीप को हमारे यहां छोड़ जातीं.
आरंभ में नीरज ने बहुत आपत्ति उठाई थी, ‘‘देख लेना, भलाई के बदले में बुराई ही मिलेगी. ये बड़े लोग किसी का एहसान थोड़े ही मानते हैं.’’
‘‘मैं कोई भी कार्य बदले की भावना से नहीं करती. बस, इतना ही जानती हूं कि इंसान को इंसानियत के नाते अपने चारों ओर के लोगों के प्रति अपना थोड़ाबहुत फर्ज निभाते रहना चाहिए. फिर, इस से हमारा पंकज भी तो बहल जाता है. मुझे तो फायदा ही है.’’
‘‘खाक बहल जाता है, देखूंगा कितने दिन ऐसे बहलाओगी उसे,’’ नीरज चिढ़ते हुए अंदर चला गया था.
परंतु नीरज को यह अभी तक मालूम नहीं था कि जब से प्रदीप हमारे यहां आने लगा था, तब से पंकज मानसिक रूप से बहुत स्वस्थ रहने लगा था. वह अधिकतर प्रदीप या उस के खिलौनों में व्यस्त रहता. मुझे भी घर का कार्य करने में सहूलियत हो गई. पहले पंकज ही मुझे अधिक व्यस्त रखता था. मैं दिन में कुछ कढ़ाईसिलाई व अपने लेखन का कार्य भी नियमित रूप से करने लगी.
एक दिन शाम को हम घूमने निकले तो गांगुली साहब सुयोगवश बाहर ही खड़े मिल गए. बड़े ही विनम्र हो कर हाथ जोड़ते हुए स्वयं ही आगे बढ़ कर बोले, ‘‘आइए, शीलाजी, आप ने हम पर जो एहसान किया है वह कभी भी उतार नहीं पाऊंगा. सच, अकेले में कितना बुरा लगता था बाहर जाना. आप ने हमारी समस्या हल कर दी.’’
‘‘मुझे शर्मिंदा न कीजिए, गांगुली साहब, पड़ोसी के नाते यह तो मेरा फर्ज था.’’
‘‘आइए, अंदर आइए.’’ वे हमें अंदर ले गए. सौदामिनी भी आ गईं. काफी देर बैठे बातें करते रहे. बातों के दौरान ही मैं ने गांगुली साहब को जब अपना छोटा सा यह सुझाव दिया कि आधुनिक युग में रहते हुए भी घर से बाहर उन्हें इतना व्यस्त नहीं रहना चाहिए कि पत्नी घर में ऊब जाए. वे कहने लगे, ‘‘हां, मैं स्वयं ही आप के इस सुझाव के बारे में सोच चुका हूं. मैं ने परसों ही आप का लेख पढ़ा था. आप के विचार वास्तव में सराहनीय हैं. मैं तो बहुत खुश हूं कि आप जैसे योग्य, प्रतिभावान और कर्तव्यनिष्ठ हस्ती इस कालोनी में आई.’’ इतना कह कर वे जोर से हंस दिए.
रीवा ने अपने करियर की शुरुआत महज डेढ़ साल की उम्र में 2011 में आयी बॉलीवुड की फिल्म ‘रॉकस्टार’ से किया था. इसके बाद उन्होंने फिल्म उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, सेक्शन 375, मेरे पापा हीरो हीलाल, मोम आदि कई फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा उन्होंने कई शोर्ट फिल्में और म्यूजिक एल्बम में भी काम किया है. उनकी सोशल प्लेटफॉर्म पर लोकप्रियता के कारण उन्हें छोटी उम्र से ही बहुत से विज्ञापनों के लिए भी काम मिला. रीवा अरोड़ा का अपना यू ट्यूब चैनल भी है, जहाँ वह अपने व्लॉग्स और विडिओ अपलोड करती है, इस पर लगभग 1 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर है.
दिल्ली में जन्मी रीवा की प्रारम्भिक शिक्षा और व पालन-पोषण दिल्ली में ही हुआ है. रीवा ने जितनी भी फिल्में की है, हर में उनके किरदार को आलोचकों ने काफी सराहा है. रीवा की मां का नाम निशा अरोड़ा है और वह वकील हैं. रीवा देखने में बेहद ही क्यूट और खूबसूरत है और सोशल मीडिया पर लाखों की संख्या में उनके फैन फोलोवर्स हैं. उनके उम्र को लेकर पिछले दिनों काफी चर्चा हुई, और जब उनसे इस बारें में बात की गई तो उन्होंने इस विषय पर कुछ बोलने से इनकार किया. उनकी भावनात्मक शोर्ट फिल्म ‘मिलेंगे जन्नत में’ रिलीज़ हो चुकी है, जिसमे उन्होंने शाहीन की भूमिका निभाई है.
इस फिल्म में काम करने की खास वजह के बारें में पूछने पर रीवा बताती है, कि ये एक अलग तरीके की फिल्म की कहानी है, जो बहुत अलग है. साथ ही इसमें उन चीजों को दिखाया गया है, जहाँ एक लड़की अपने मन की कुछ भी नहीं कर सकती और वह अगर करने गई भी, तो उन्हें रोक दिया जाता है. फिल्म में शाहीन की गलती यही है कि वह अपनी माँ की कब्र पर प्रार्थना करना चाहती है, लेकिन उसे वहां जाने से रोका जाता है, क्योंकि महिलाओं को कब्रगाह पर जाना मना है. यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है. ये एक कठिन फिल्म है, लेकिन इसे करते हुए रीवा को किसी प्रकार की समस्या नहीं आई.
करीब हूँ माँ की
इससे कितना खुद को जोड़ पाती है? पूछने पर रीवा कहती है कि मैं इस भूमिका से खुद को कुछ हद तक जोड़ पाती हूँ. मैंने जब इस भूमिका को किया तो बहुत इमोशनल हो रही थी और फील कर पा रही थी, क्योंकि मैं अपने माँ के बहुत करीब हूँ और ये एक सामाजिक कारणों को दिखा रही है, जो गलत है. असल में आज भी महिलाओं को अपनी भावनाओं को जाहिर करने की आज़ादी नहीं है. मैं खुद दिल्ली में एक संस्था चलाती हूँ , जहाँ जरुरतमंदों को भोजन खिलाया जाता है.
मिली प्रेरणा
अभिनय की प्रेरणा के बारें में रीवा कहती है कि मेरे परिवार में सभी की प्रोफेशन अलग-अलग है, मेरी माँ वकील है, मेरी बहन मेकअप आर्टिस्ट है मेरी नानी का खुद का व्यवसाय है, कोई भी एक्ट्रेस नहीं है. एक्टिंग मुझे बचपन से ही पसंद था और मैं इस सपने और पैशन को पूरा कर रही हूँ. मै बहुत कम उम्र में एक्टिंग में आई, बहुत कम उम्र में मैंने रॉकस्टार फिल्म की थी. इसके बाद मैंने एड फिल्म्स की इसके बाद ‘मॉम’ फिल्म की, इसके बाद काम मिलना शुरू हो गया. छोटी उम्र में काम करने में बहुत मज़ा आता था, क्योंकि मुझे सभी ने बहुत पैम्पर किया, जो बहुत अच्छा लगता था. आज भी मैं एक्टिंग के हर पहलू को एन्जॉय करती हूँ.
शिक्षा पर दिया ध्यान
वह आगे कहती है कि एक्टिंग के साथ-साथ मैंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की है. शूट पर जाकर समय मिलने पर कोर्स पूरा करती थी. मुझे पढ़ना है, क्योंकि मैं हर कक्षा में टॉप करती हूँ. सेट्स पर साथी कलाकारों और निर्देशकों ने भी मेरे कठिन पाठ को हल किया है. काम के साथ मैं आज भी पढ़ाई करती हूँ.
परिवार का सहयोग
रीवा का कहना है कि परिवार का सहयोग मुझे बहुत मिला है, क्योंकि मेरी माँ एंटरटेनमेंट लॉयर है. सारा सबकुछ वही देखती है, वह मुझे कभी अकेला नहीं छोडती. स्क्रिप्ट्स भी वही देखती है. मेरी नानी ज्योति वाधवा सबसे बड़ी सपोर्टर है, मैं जहाँ भी हूँ, मेरी नानी और माँ की वजह से हूँ.
कैमरा फेस करना था एक्साइटमेंट
रीवा हंसती हुई कहती है कि पहली बार कैमरा फेस करते हुए मैं बहुत अधिक एक्साइटेड थी. मॉम फिल्म में अभिनेत्री श्री देवी के साथ काम करने का बहुत अलग अनुभव था. उन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया है. वह एक प्रतिभाशाली महिला थी. मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला.
किये संघर्ष
इंडस्ट्री में संघर्ष के बारें में रीवा का कहना है कि 8 साल पहले जब मैं दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हुई तो बहुत संघर्ष किया , क्योंकि मैंने तब 160 जगहों पर ऑडिशन दिए, पर मैं कही भी चुनी नहीं गई. कैसे क्या होगा, खर्चा कैसे चलेगा आदि कई समस्याएं खड़ी हो गयी थी, लेकिन धीरे-धीरे जब एक बार काम मिलना शुरू हुआ, तो काम मिलने का सिलसिला चलता ही रहा. मैंने दिल्ली से मॉडलिंग शुरू किया था. अभी इंडस्ट्री में मेरी 16 साल हो चुके है. मुंबई बाद में शिफ्ट हुई, क्योंकि माँ की सोच थी कि मुंबई आने पर मुझे अधिक अच्छा काम मिलेगा, क्योंकि यहाँ पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री है. मेरे लिए संघर्ष एक अच्छी स्क्रिप्ट और भूमिका का मिलना होता है. इसमें मेरी माँ ने हमेशा साथ दिया है. मैने माँ की बात हमेशा माना है.
करना नहीं चाहती टीवी सीरियल
रीवा कहती है कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आने के बाद मैं टीवी सीरियल नहीं करना चाहती. बाकी जो अच्छा होगा करुँगी. ‘उरी… द सर्जिकल स्ट्राइक’ मेरी सबसे बेहतरीन फिल्म है, जिसमे मेरी भूमिका बहुत ही इंटेंस थी और अब तक के मेरे काम का सबसे बेस्ट सीन है. बहुत इमोशनल दृश्य था. आगे शोर्ट फिल्म ‘सुंदर वन की सुंदरी’, ‘फ्रेंडशिप एंथम’ वेब सीरीज ‘कांस्टेबल गिर पड़े’, आदि कई है, इंटिमेट सीन्स के लिए मैं सहज नहीं. कंट्रोवर्सी को मैं अधिक महत्व नहीं देती.
फैशन है पसंद
फैशन रीवा को बहुत पसंद है, वह खुद अपने कपडे डिजाईन करती है और खुद को फैशन आइकॉन कहती है. किसी डिज़ाइनर को फोलो नहीं करती. वह कहती है कि पहले एक डिज़ाइनर थे, लेकिन अब मुझे अपना ऑउटफिट खुद डिजाईन करना अच्छा लगता है. मुझे शोपिंग मेनिया है, एक महीने के कपडे एक साथ लाती हूँ, क्योंकि मैं किसी कपडे को रिपीट नहीं करती. फिर उसे अपने हिसाब से डिजाईन करती हूँ. मुझे ब्लू और ब्लैक कलर बहुत पसंद है और इस रंग के कपडे मेरे वारड्राप में अवश्य मिलते है. मुझे गोल्ड और डायमंड के ज्वेलरी बहुत पसंद है. उसे खरीदने से मैं खुद को रोक नहीं सकती. मुझे शूज का बहुत शौक है और जो भी मिल जाए और मुझे पसंद हो, तो मैं अवश्य खरीद लेती हूँ.
ब्यूटी मंत्र
रीवा का कहना है कि स्किन और हेयर केयर मैं हमेशा करती हूँ. मेरी नानी मेरे बालों में आयल मसाज करती है. यही मेरी ब्यूटी सीक्रेट है. मेकअप मेरी बहन या फिर मैं कर लेती हूँ. इसके अलावा मैं बहुत फूडी हूँ, दाल मखनी, पनीर, पानी पूरी आदि मुझे बहुत पसंद है, माँ के हाथ का बनाया हुआ मंचूरियन, पाँव भाजी, हेल्दी पास्ता और नानी के हाथ का बना हुआ कुछ भी बहुत पसंद है. नानी के हाथ का बना हुआ दही की सब्जी यानि दही तड़का मुझे बहुत पसंद है.
घूमने की शौकीन रीवा कहती है कि इंडिया में केरल और विदेशा में मालद्वीप, पेरिस, कोरिया आदि मुझे बहुत पसंद है. मेरी ड्रीम संजय लीला भंसाली और आर आर राजामौली के साथ, उनके प्रोजेक्ट्स पर काम करूँ और हिंदी सिनेमा से हॉलीवुड जाऊं और उसके बाद कोरियन इंडस्ट्री में भी अभिनय करूँ. मैं कोरियन बोल भी सकती हूँ. इसके अलावा मेरा मेसेज सभी यूथ से यह है कि आप हमेशा अपनी ड्रीम को फोलो करें, उससे पीछे नहीं हटें. संभव नहीं होगा, ये कभी न सोचे, अगर आपने हार्ड वर्क किया है, तो संभव अवश्य होगा.
अपने इस सस्पेंस थ्रिलर पर समीक्षा भटनागर का कहना है कि “एक कलाकार के जीवन में बहुत कम ही ऐसा किरदार मिलता है जिससे आप डरे और उत्साहित होते हो. मुझे पानी से बहुत डर लगता है, जिसे अब मैंने दूर कर लिया है. यह डरावना था और मैं उस पल को नहीं भूल सकता जब मुझे पानी से भरे टब में गिरा दिया गया था.
मेरे हाथ और पैर बंधे हुए थे. सही शॉट पाने के लिए शॉट को कई बार दोहराया जाना था और मुझे एक ब्रेकपॉइंट पर ले जाया गया. बाद में मुझे एहसास हुआ कि यह सबसे यथार्थवादी अभिव्यक्ति पाने की योजना थी. क्या यह इसके लायक था हाँ! हिमांशु, आभास, और मैंने सेट पर और बाहर दोनों तरह से एक ऐसा बॉन्ड बनाया है जो वास्तव में कमाल का है. गोवा में शूटिंग करना सोने पर सुहागा था. मैं उत्साहित हु यह जानने के लिए कि दर्शकों को हमारा शो बेहद पसंद आएगा.”
कालेज कैंटीन में अपने मित्रों के संग मस्ती के आलम में था.
‘‘चलो मित्रो, सिनेमा देखने का बहुत मन कर रहा है. थोड़ा मौल घूमते हैं, फिर फिल्म भी देख लेंगे,’’ रोहन ने अपनी राय रखी.
‘‘हूं, वैसे मेरा भी क्लास अटैंड करने का मन नहीं,’’ अनिरुद्ध ने रोहन की बात का समर्थन किया.
मुदित ने कुछ सोचा और फिर हामी भर दी, ‘‘चलो मित्रो, लेकिन किधर चलने का इरादा है?’’
तीनों मित्र कालेज से बाहर आए. औटो में बैठ कर 3-4 मिनट में सिटी वौकमौल पहुंच गए.
तीनों मित्रों ने समय व्यतीत करना था. एक बार पूरा मौल घूम लिया और उस के बाद फूड कोर्ट में बैठ कर लंच किया.
मौल में ही पीवीआर था, वहीं मूवी देखने चले गए. मूवी के इंटरवल के दौरान रोहन पौपकौर्न खरीद रहा था. मुदित वौशरूम गया.
यह क्या एकदम सामने उस के पिता शूशू कर रहे थे. बृजेश का मुंह दीवार की ओर था. उन्होंने मुदित को नहीं देखा. लेकिन मुदित पिता को देख कर घबरा गया और चुपचाप बिना शूशू किए अपनी सीट पर बैठ गया.
मुदित का ध्यान अब सिनेमा स्क्रीन के स्थान पर अपने पिता पर था. वे फिल्म देख रहे हैं. उन का औफिस तो नेहरू प्लेस में है. यहां साकेत में क्या कर रहे हैं? माना किसी क्लाइंट से मिलने आए होंगे लेकिन फिल्म देखने में 3 घंटे क्यों खराब करेंगे? वह तो कालेज स्टूडैंट है. कालेज में मौजमस्ती चलती है, लेकिन उस के पिता भी औफिस छोड़ मौजमस्ती करते हैं इस बात का खयाल मुदित को पहले कभी नहीं आया. उस की नजर अंदर आने वाले गेट पर टिकी हुई थी.
यह क्या? उन के साथ एक महिला भी है. महिला की कमर में हाथ डाले बृजेश दूसरी ओर की सीट पर बैठ गए.
अब मुदित का पूरा ध्यान फिल्म से हट गया. हाल के भीतर अंधेरा हो गया. फिल्म इंटरवल के बाद शुरू हो गई. उस के पिता इस महिला के साथ क्या कर रहे हैं? इस प्रश्न ने उस का दिमाग खराब कर दिया.
फिल्म समाप्ति पर बृजेश अपनी महिला मित्र के साथ आगे चल रहा था. बृजेश का हाथ महिला की कमर पर था.
मुदित सोच रहा था. 20 का वह खुद है. बृजेश 50 पार कर गया है. यह उम्र उस के इश्क लड़ाने की है, उस की तो कोई गर्लफ्रैंड है नहीं, उस के पिताश्री इश्क लड़ाते फिर रहे हैं. उस का दिमाग गरम हो गया. उस ने अपने मित्रों रोहन और अनिरुद्ध के साथ बाकी कार्यक्रम रद्द किया और मालवीय नगर मैट्रो स्टेशन से गुरुग्राम की मैट्रो पकड़ी.
मुदित ने अपने पिता को देख कर थोड़ी दूरी बना ली थी, कहीं उसे देख कर नाराज न हो जाएं, क्लास छोड़ कर फिल्म देख रहा है. बृजेश महिला मित्र के साथ इतना डूबा हुआ था कि उसे एहसास ही नहीं हुआ, उस की हरकत उस के बेटे ने देख ली है.
गुरुग्राम अपने घर पहुंच कर मुदित अपने कमरे में कैद हो गया. बिस्तर पर लेटे हुए घूमते पंखे को देखते हुए उस की आंखें के सामने उस के पिता और उस महिला की शक्ल ही घूम रही थी. उस की मां साधारण गृहिणी हैं. उन की तुलना में वह महिला जवान है और खूबसूरत भी है. इस का यह मतलब तो कतई नहीं है, उस की मां और उस की अनदेखी हो.
बृजेश के पिता का ऐक्सपोर्ट का बढि़या काम है और औफिस नेहरू प्लेस में है. मुदित सोचने लगा, क्या वह महिला औफिस में कार्यरत है या कोई और चक्कर है?
रात को बृजेश अकसर 10 बजे के आसपास आते थे. मुदित की मां बृजेश की प्रतीक्षा करती मिलतीं.
आज मुदित भी पिता की प्रतीक्षा करने लगा. उस के पिता रात 11 बजे आए. फोन कर के पहले ही देर से आने का बता दिया, काम अधिक है. क्लाइंट के साथ मीटिंग है. डिनर औफिस में कर लेंगे. मुदित की मां सो गई थीं. उन्हें बृजेश की काली करतूतों का कोई भी इल्म नहीं था.
आज मुदित का कालेज क्लास छोड़ना एक करिश्माई ही रहा. उस की मौजमस्ती ने पिता का दूसरा रूप दिखला दिया. वह जागता रहा.
मुदित की आंखों से नींद गायब थी. वह ड्राइंगरूम में बैठा पिता की प्रतीक्षा कर रहा था. छोटी लाइट जल रही थी. मुदित टीवी पर मूवी देख रहा था. टीवी की आवाज बंद थी.
बृजेश ने फ्लैट का मेन गेट अपनी चाबी से खोला. मुदित को देख कर चौंके. पूछा, ‘‘आज सोया नहीं?’’
‘‘बस नींद नहीं आ रही थी.’’
‘‘और कालेज कैसा चल रहा है?’’
‘‘ठीक चल रहा है.’’
‘‘कालेज के बाद क्या सोचा है?’’
‘‘आप बताइए पापा, एमबीए करूं या आप का औफिस जौइन करूं?’’
‘‘एमबीए जरूर करो. फिर तो मेरा
औफिस तुम्हारा ही है. रात बहुत हो गईर् है. मैं
भी थका हुआ हूं. सुबह फिर औफिस जल्दी
जाना है. एक कन्साइनमैंट कल ही भेजना है. गुड नाइट मुदित.’’
मुदित ड्राइंगरूम में ही बुत बना बैठा रहा. बृजेश चले गए. मुदित की यही सोच थी कि क्या उस के पिता सचमुच औफिस में व्यस्त थे या फिर उस महिला के साथ?
मुदित के मन में हलचल शुरू हो गई. अगले दिन कालेज में क्लास अटैंड कर के नेहरू प्लेस पहुंच गया. दोपहर का 1 बज रहा था. बिल्डिंग की पार्किंग में उसे पिता की न तो हौंडा सिटी कार नजर नहीं आई और न ही औडी. तीसरी कार मारुति डिजायर तो मम्मी के लिए घर पर रहती है. वह कालेज मैट्रो में आताजाता है. उस का दिमाग घूम गया. क्या आज फिर उस के पिता महिला मित्र के साथ हैं या फिर औफिस के काम से कहीं गए हैं? इस प्रश्न के जवाब के लिए वह औफिस पहुंच गया.
छोटे साहब को देख कर स्टाफ ने मुदित की आवभगत की. एक सरसरी नजर स्टाफ
पर मारी. वह महिला नजर नहीं आई, जो कल पिता के साथ थी.
मुदित कुछ देर औफिस में बैठा. कन्साइनमैंट का पूछा, जो जाना था. जान कर हैरानी हुई, कन्साइनमैंट तो 2 दिन पहले ही जा चुका है. अगला कन्साइनमैंट 10 दिन बाद जाएगा, इसलिए औफिस में बेफिक्री है.
बुझे मन मुदित घर पहुंच कर बिस्तर पर औंधा लेट गया. पापा शर्तिया उस महिला के संग ही होंगे. यदि ऐसा ही है तब पापा मम्मी और उस के साथ गलत कर रहे हैं. लेकिन इस बात का सत्यापन होना आवश्यक है वरना उस को झूठा घोषित कर दिया जाएगा.
मुदित का दिमाग फिर से घूम गया कि अगर वह महिला पापा की बिजनैस क्लाइंट है
तब उस के साथ कमर में हाथ डाल कर फिल्म नहीं देखी जाती है. बिजनैस क्लाइंट के संग फाइवस्टार होटल में लंच और डिनर होते हैं. पापा उसे और मम्मी को भी 2-3 बार ऐसे डिनर पर ले गए थे.
मुदित पापा की प्रतीक्षा करता रहा. आज भी पापा रात के 12 बजे आए. मम्मी सो गई थीं. कल की भांति मुदित ड्राइंगरूम में हलकी मध्यम रोशनी में टीवी देख रहा था. टीवी की आवाज बंद थी और दिमाग कहीं और था.
बृजेश रात के 12 बजे आए. अपनी चाबी से फ्लैट का मेन गेट खोला. मुदित को बैठा देख ठिठके. पूछा, ‘‘क्या बात है, बंद आवाज में टीवी देख रहे हो?’’
‘‘बस यों ही पापा. नींद नहीं आ रही थी. शाम को सो गया था.’’
‘‘गुड नाइट,’’ कह कर बृजेश अपने कमरे में चले गए. उन्हें इस बात का इल्म नहीं था, मुदित औफिस गया था.
मुदित का दिमाग खराब होता जा रहा था. हालांकि मुदित कालेज मैट्रो से जाता था. बाइक को मैट्रो पार्किंग में खड़ी करता था. लेकिन अगले दिन उस ने बाइक स्टार्ट की लेकिन कालेज नहीं गया.
मुदित नेहरू प्लेस पहुंच गया. उस ने बाइक को पार्किंग में खड़ा किया और अपने पिता की प्रतीक्षा करने लगा.
बृजेश 12 बजे औफिस पहुंचे. 2 घंटे औफिस में रहे.
मुदित पार्किंग में खड़ा हौंडा सिटी कार
पर नजरें गड़ाए था. एक महिला
कार के पास आई और उस ने फोन किया.
मुदित ने उस महिला के आगे से गुजरते हुए उस की शक्ल देखी. फिर मन ही मन बड़ाया कि
अरे यह तो वही है, जो पापा के साथ फिल्म
देख रही थी. मुदित कुछ दूर खड़ा था. बृजेश आए, उस महिला के गले मिले और फिर कार में बैठ गए.
मुदित के देखतेदेखते कार उस के आगे से निकल गई. कुछ देर वह सोचता रहा फिर औफिस चला गया.
‘‘पापा हैं?’’
‘‘पापा तो बाहर मीटिंग में गए हैं,’’ सैक्रेटरी ने बताया.
‘‘ओह नो, मैं ने अपने मित्रों के साथ लंच करना है, फिर फिल्म देखनी है. मेरी पौकेट मनी खत्म हो गई. पापा से 2 हजार रुपए लेने के लिए औफिस आया हूं.’’
सेक्रेटरी ने बृजेश को फोन पर अनुमति
ले कर कैशियर से 2 हजार रुपए मुदित को दिलवा दिए.
मुदित के पास पैसे थे लेकिन वह जासूसी करने औफिस आया था. 2 हजार रुपए जेब में रख कर कुछ देर तक नेहरू प्लेस की कंप्यूटर मार्केट घूमता रहा, फिर घर चला गया.
रात को मुदित ने अपने पिता की प्रतीक्षा नहीं की. रात का डिनर 8 बजे कर लिया और अपने कमरे में टीवी पर फिल्म देखने लगा.
बृजेश भी 10 बजे आ गए. पत्नी संग डिनर किया. फिर मुदित के कमरे में जा कर पूछा, ‘‘औफिस गए थे?’’
‘‘वह क्या है पापा, फ्रैंड्स के साथ फिल्म देखनी थी और लंच भी करना था.’’
‘‘प्रोग्राम था तो मम्मी से सुबह रुपए ले लेते?’’
‘‘बस अचानक प्रोग्राम बना.’’
‘‘गुड नाइट,’’ बृजेश को अभी भी कोई खटका नहीं लगा.
मुदित ने उस महिला का फोटो पार्किंग में दूर से खींचा था. वह फोटो देख रहा था, दूरी के कारण फोटो अस्पष्ट सा था.
जहां लड़के को गर्लफ्रैंड के साथ घूमना चाहिए था, वहां पिताश्री घूम रहे हैं. मुदित ने भी ठान लिया. फसाद की जड़ तक पहुंच कर ही सांस लेगा.
मुदित ने कालेज जाना छोड़ दिया. अपने मित्रों को बोल दिया कि कुछ दिनों के लिए परिवार के साथ बाहर जा रहा है.
मुदित बाइक ले कर पार्किंग में खड़ा हो जाता. वह महिला दोपहर को आती और बृजेश
के साथ कार में चली जाती. मुदित ने उन के मोबाइल से फोटो खींच लिए. मुदित ने उन का पीछा कर के उन के क्रियाकलापों को 1 सप्ताह तक देखा. एक दिन वह महिला नहीं आई. बृजेश कार से कालकाजी एक फ्लैट में गए और शाम को बाहर आए.
बृजेश के जाने के बाद मुदित ने उस फ्लैट की डोरबैल बजाई. 2-3 बार डोरबैल बजाने के बाद फ्लैट गेट खुला. उस महिला ने गेट खोला. उस के वस्त्र अस्तव्यस्त थे.
‘‘तुम कौन?’’
‘‘यही प्रश्न मैं पूछता हं?’’
महिला ने दरवाजा बंद करने की कोशिश की तो मुदित फुरती से फ्लैट के भीतर हो गया.
‘‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई भीतर आने की?’’ वह महिला बिगड़ गई.
मुदित ने फ्लैट का गेट बंद कर दिया,
‘‘मेरी बात ध्यान से सुनो… बृजेश से मिलना बंद कर दो.’’
‘‘फौरन निकल जाओ, तुम हो कौन?’’ महिला मुदित का हाथ पकड़ कर फ्लैट का गेट खोलने लगी.
‘‘बृजेश मेरे पिताश्री हैं, इसलिए कह रहा हूं. तुम्हारे इरादे पूरे नहीं होने दूंगा. सारे संबंध तोड़ दो वरना वैसे भी टूटे समझो. आज नहीं तो कल टूटे ही समझ. हमारे पिताश्री जो काम चोरीछिपे कर रहे हैं. मैं शर्त लगा कर कहता हूं कल से मिलना छोड़ देंगे.’’
मुदित ने फ्लैट का गेट खोला और दनदनाता सीढि़यां उतर गया.
बृजेश शाम के 7 बजे ही घर पहुंच गए.
इस समय पिता को घर पर देख कर
मुदित को हैरानी हुई. उस महिला ने बृजेश को फोन पर बता दिया था.
बृजेश ने मुदित को तोलना चाहा, ‘‘आजकल कालेज नहीं जा रहे हो क्या बात है?’’
‘‘रोज जाता हूं.’’
‘‘लगता नहीं है. आजकल बड़ी फिल्में देखी जा रही हैं. औफिस भी गए थे.’’
‘‘वह क्या है, आजकल 2 प्रोफैसर छुट्टी
पर हैं, इस कारण कुछ फिल्म देखने चले जाते. इस चक्कर में पौकेट मनी जल्दी खत्म हो गई,
तो आप से पैसे लेने आया था. फ्रैंड्स को पार्टी देनी थी.’’
‘‘फिल्म और पार्टी में थोड़ा ध्यान कम करो. पढ़ने में ध्यान लगाओ.’’
मुदित ने इस महिला के साथ उन के फोटो व्हाट्सऐप कर दिए, ‘‘पापा, आप इसे छोड़ दो. मैं पीछा करना छोड़ दूंगा.’’
मुदित की मां पितापुत्र के वार्त्तालाप को सम?ाने में असमर्थ थीं.
बृजेश स्तब्ध हो गया. अपने हावभाव को काबू करते हुए कहा, ‘‘मैं सोचता हूं, तुम्हारी ट्रेनिंग अभी से स्टार्ट कर दूं. आखिर मेरा व्यापार तुम ने ही संभालना है. औफिस पैसे मांगने नहीं, काम सीखने आया करो.’’
‘‘कालेज की क्लास अटैंड करने के बाद आ सकता हूं.’’
‘‘कल से आना शुरू करो.’’
‘‘जी पापा.’’
कमरे में जाते ही मुदित ने एक और व्हाट्सऐप और भेजा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं, अब से आप मम्मी के साथ रहेंगे. उस महिला को छोड़ देंगे साथ में अन्य के साथ भी ऐसा किसी प्रकार का संबंध नहीं रखेंगे. आप को पक्के वाला वादा करना होगा.’’
‘‘मेरा वादा है,’’ बृजेश ने उत्तर भेजा.
दो शब्दों में सिमटी दुनिया मेरी क्या कहूं, क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा. शुक्रिया शब्द तो बहुत छोटा है आपकी दी हुई परवरिश और संस्कार के सामने. पिता और बेटी का रिश्ता बड़ा अनोखा होता हैं. दोनों लड़ते भी बहुत है और प्यार भी असीमित होता है. मुझे याद है पापा जब मैं आपसे गुस्सा हो जाती थी तो खाना नहीं खाती थी और मम्मी कहती थी मत खाने दो, लेकिन आप जब तक मुझे कुछ खिला नहीं देते थे सोते नहीं थे. मम्मी कहती बहुत सिर चढ़ा रखा है इसको.
आपसे से सीखा खुद पर भरोसा करना…
आप से मैंने सीखा कैसे रिश्तों मे प्यार और अपनापन बना कर रखा जाये. आपसे सीखा विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे हंसकर जिया जा सकता है. हमारी जिदंगी में भी एक तूफान आया था ना पापा लेकिन आपने कभी भी भगवान के ऊपर से अपना विश्वास नहीं उठने दिया और शायद इसी भरोसे की वजह से आज हम उस तूफान से निकलकर किनारे पर आ गये. उन विपरीत परिस्थितियों में भी आप सकारात्मक रहे ये बहुत बडी बात थी. आपके जैसे ही मजबूत बनाना चाहती हूं मैं पापा.
पूरी की भाई की लव-स्टोरी…
आपने कभी भी हमें किसी तरह की कोई कमी नहीं रहने दी चाहे खुद कैसे भी रहे और हां एक बात और मुझे तो भाई की शादी के दस साल बाद पता चला की आपने भाभी की कुंडली भाई की कुंडली से मिलाने के लिए पंडित को मनाया था क्योंकि अगर कुंडली नहीं मिलती तो माताजी मना कर देती और उन दोनों की लव स्टोरी अधूरी रह जाती. पर अब तो मम्मी को भी पता है और इस बात पर मम्मी को भी बहुत हंसी आती हैं. पर वाकई भाभी है बहुत अच्छी सबको साथ लेकर चलने वाली. थैंक्स पापा हर एक कदम पर हम सभी का साथ देने के लिए. और मेरी प्यारी सी मम्मी का हमेशा ध्यान रखने के लिए.
हर कदम पर संभाला…
याद है पापा, जब मैं छोटी थी चलना, बोलना और बाक़ी सब कुछ देरी से सीखा मैंने पर आपने और मम्मी ने हिम्मत नहीं हारी. मुझे याद है मेरा एक तिपहिया लकड़ी वाला खिलौना था साइकिल जैसा जिस पर आप मुझे चलना सिखाते थे. कई बार गिरी साईकिल से, चोट लगी पर आपने हर बार संभाला जैसे आज संभाल लेते हो और जब पहली बार चलना सीखा तो आपकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था.
अक्सर बच्चे पहला शब्द “मां” बोलते हैं, पर मैंने जो पहला वर्ड सीखा वो “पा, पा और जाने कितनी बार बोला हुआ पा शब्द था शायद इसलिए आप मेरे बेहद क़रीब हो. जब भी आप स्कूल में बच्चों से कहते कि “आप सब मेरे लिए अपने बच्चों जैसे हो” तो मुझे लगता मेरे हिस्से का प्यार बंट रहा है पर जब बड़ी हुई तो अपने बचपन की बात सोच बहुत हंसी आती है.
जिम्मेदारी नहीं होती बेटियां…
मेरे बचपन से लेकर अब तक मेरी ज़िन्दगी के हर उतार-चढ़ाव में आपने और मम्मा ने मेरा साथ दिया हैं , और आप जब हमेशा कहते हो “तू, क्यों चिंता करती है, तेरा पापा है न तेरे लिए हमेशा “तो हमेशा सोचती हूं हर बेटी को आपके जैसे पेरेंट्स मिले ताकि बेटियां कभी उसके माता-पिता को परायी न लगे, न शादी से पहले न शादी के बाद. आप और मम्मी हर उन माता -पिता के लिए उदाहरण हो जो ये सोचते हैं कि बेटियों की जिम्मेदारी शादी के बाद पूरी हो जाती है. काश हर कोई आपकी तरह सोचे कि बेटियां जिम्मेदारी नहीं होती, उन्हें बुरे वक्त में जिम्मेदार बनाना माता-पिता का फर्ज होता हैं.
सबके लिए एक मिसाल हो आप…
आपके और मेरे कई बार मतभेद हुए, कई बातों में आज भी हैं पर प्यार हमेशा मतभेद और झगड़े के बाद बढ़ाता ही है. काश ऐसा हर रिश्ते में होता तो कोई रिश्ता टूटने के कगार पर नहीं आता कभी. वैसे तो कहते हैं कि बेटियां पिता के करीब होती हैं, दिल का टुकड़ा होती है एक पिता के लिए, पर जब कन्या भ्रूण हत्या की बात आती हैं तब एक पिता का अपनी अजन्मी बच्ची के लिए प्यार कहां चला जाता है. पापा आप हर उस शख्स के लिए उदहारण हो जो सोचता हैं कि “बेटियां बोझ होती हैं, बस पराया धन होती है”. बचपन से अब तक सबने मुझमे आपकी ही परछाई देखीं हैं, सब यही कहते “अंजलि, तू बिलकुल सर के जैसी है ” तो लगता इससे बेहतर कौम्पलिमेंट तो हो ही नहीं सकता और आज भी ये मेरी ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन कौम्पलिमेंट है. आप ही मेरे रोल मौडल, मेरे हीरो, सुपरमैन, वैलेंटाइन, बेस्टेस्ट फ्रेंड, मेरे सांता क्लौस, मेरे सब कुछ हो. मेरी पूरी दुनिया बस दो ही शब्दों में सिमटी है “पापा”. (शिक्षक) तो हो ही पर मेरी तो पहली पाठशाला भी आप ही हो. जब कभी जीवन में मेरे मुश्किल आई बस आपका और मम्मी का चेहरा ही हमेशा सामने दिखता ये कहते हुए कि “तू तो मेरी शेर बेटी है ना, बहादुर बेटी है न और यही शब्द मेरी डूबती नाव की खिवय्या बन जाते.
आपने कभी जताया नहीं पर मैं महसूस कर सकती हूं कि मेरे जीवन में जो उतार-चढ़ाव आप दोनों ने देखे उससे बहुत तकलीफ हुई है आपको ठीक वैसे जैसे बचपन में अगर बीमार पड़ जाती तो आंखों-आंखों में आप और मम्मी मेरे सिरहाने बैठे रहते पर मुझे महसूस नहीं होने देते कि मेरी बीमारी से आप बीमार महसूस कर रहे हो.
गर्व है आप पर पापा…
जब कभी साथ पढ़े हुए साथी मिल जाते या जब भी मुझे सब कहते कि “हमारा भविष्य बनाने में सर का बहुत बड़ा योगदान है” या जब कभी कोई आपका पढ़ाया हुआ विद्यार्थी पढ़-लिखकर ऊंचा ओहदा पाकर कहता कि “ये सब हमारे सर, हमारे गुरु की वजह से हैं” तो बहुत गर्व होता है आप पर पापा.
बच्चे के लिए तो हर मां-बाप करते हैं, पर आपने अपने शिक्षक होने का फ़र्ज बखूबी निभाया. देश के भविष्य में योगदान देने के लिए अपने विद्यार्थियों को भी कामयाब और क़ाबिल इंसान बनाया. आपके और मम्मी के रूप में भगवान ने मुझे सबसे बड़ा तोहफा दिया है, जिसे पाकर मैं गर्व महसूस करती हूं हमेशा. अपने पिता और शिक्षक के लिए जितना कहूं उतना कम है इसलिए यही कहूंगी की इन दो शब्दों में ही सिमटी हुई है मेरी ज़िंदगी.
हर गलती के लिए सौरी पापा…
जाने-अनजाने में बहुत सी गलतियां की होंगी, बहुत बार दिल दुखाया होगा आपका पर बाद में खुद पर ही गुस्सा हो जाती की भला क्यों दुखी किया, पर सब बेवकूफियों के लिए सौरी पापा जैसे हमेशा कान पकड़ कर कहती हूं “सौरी, पापा”
हमारे बच्चों के साथ आप भी बच्चे बन जाते हो, बच्चों को कैसे रखा जाता है कोई आपसे सीखें. आप एक अच्छे पिता, अच्छे जीवनसाथी, अच्छे दादा और नाना हो. हैप्पी फादर्स डे पापा.
यौन उत्पीड़न एक तरह का व्यवहार है. इसे यौन प्रकृति के एक अवांछित व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है. कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न दुनिया में एक व्यापक समस्या है चाहे वह विकसित राष्ट्र हो या विकासशील राष्ट्र या अविकसित राष्ट्र, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार हर जगह आम है. यह पुरुषों और महिलाओं दोनों पर नकारात्मक प्रभाव देने वाली एक सार्वभौमिक समस्या है. यह विशेष रूप से महिला लिंग के साथ अधिक हो रहा है.
कोई कितना भी बचाव, निषेध, रोकथाम और उपचार देने का प्रयास करता है, फिर भी ऐसा उल्लंघन हमेशा होता रहता है. यह महिलाओं के खिलाफ अपराध है, जिन्हें समाज का सबसे कमजोर तबका माना जाता है. इसलिए उन्हें कन्या भ्रूण हत्या, मानव तस्करी, पीछा करना, यौन शोषण, यौन उत्पीड़न से लेकर सबसे जघन्य अपराध बलात्कार तक, इन सभी प्रतिरक्षाओं को सहना पड़ता है. किसी व्यक्ति को उसके लिंग के कारण परेशान करना गैरकानूनी है.
यौन उत्पीड़न अवांछित यौन व्यवहार है, जिससे किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने की उम्मीद की जा सकती है जो आहत, अपमानित या डरा हुआ महसूस करता है. यह शारीरिक, मौखिक और लिखित भी हो सकता है.
यौन उत्पीड़न में कई चीज़ें शामिल हैं:
कार्यस्थल छोड़ने का मुख्य कारण :
सितंबर 2022 में जारी यूएनडीपी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में काम करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2021 में लगभग 36% से घटकर 2022 में 33% हो गया। कई प्रकाशनों ने कई मूल कारणों की पहचान की, जिनमें महामारी, घरेलू दायित्वों में वृद्धि और शादी एक बाधा के रूप में शामिल है. लेकिन क्या यही एकमात्र कारण हैं? नहीं, जिन अंतर्निहित कारणों पर हम अक्सर विचार करने में विफल रहे हैं उनमें से एक कार्यस्थल में उत्पीड़न है, जिसके कारण महिलाएं या तो कार्यबल छोड़ देती हैं या इसमें प्रवेश करने के लिए अनिच्छुक होती हैं.
महिलाओं ने वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनकर, सरकारी, निजी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों में काम करके समाज के मानकों को तोड़ने की कोशिश की है, जो उन्हें मालिकों, सहकर्मियों और तीसरे पक्ष से उत्पीड़न के लिए उजागर करता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यस्थल या कार्यालय में यौन उत्पीड़न के 418 मामले दर्ज किए गए. लेकिन ये संख्या केवल एक उत्पीड़न को इंगित करती है. अधिकांश लोगों का मानना है कि कार्यस्थल उत्पीड़न केवल यौन प्रकृति का हो सकता है लेकिन वास्तव में, विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न से संबंधित विभिन्न श्रेणियां हैं, जो सभी कर्मचारी को मानसिक रूप से प्रभावित करती हैं, जिससे अपमान और मानसिक यातना होती है जिसके परिणामस्वरूप उनकी कार्य क्षमता में कमी आती है और काम से छूटना होता है.
कुछ महिलाएं अभी भी कार्यस्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कारवाही करने से डरती हैं. उन्ही महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की कुछ उल्लेखनीय शिकायतें जो राष्ट्रीय सुर्खियों में आईं, निम्नलिखित द्वारा दायर की गईं:
शिकायत कैसे दर्ज कर सकते हैं :
सवाल-
मैं 18 वर्षीय युवती हूं. धूप में जाने की वजह से मेरे चेहरे पर बहुत टैनिंग हो गई है. मैं ब्लीच का प्रयोग करना चाहती हूं पर ब्लीच के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. कृपया बताएं किस त्वचा पर कौन से ब्लीच का प्रयोग बेहतर रहेगा?
जवाब-
अगर त्वचा सैंसिटिव है तो उसे लैक्टो ब्लीच का प्रयोग करना चाहिए. लैक्टो ब्लीच हार्श नहीं होता, इसलिए इस से त्वचा पर ऐलर्जी होने के चांस कम होते हैं. औक्सी ब्लीच हर प्रकार की त्वचा के लिए उपयुक्त रहता है, जबकि गोरी रंगत वालों के लिए केसर युक्त ब्लीच बेहतर रहता है. गहरे रंग वालों को पर्ल ब्लीच का प्रयोग करना चाहिए. अगर किसी खास अवसर जैसे शादी, पार्टी के लिए ब्लीच का प्रयोग करना चाहती हैं तो इंस्टैंट ग्लो के लिए गोल्ड ब्लीच का प्रयोग करें.
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गर्मियों के मौसम में अधिकतर लोगों को धूप में बैठना पसंद होता है. कई बार ज्यादा समय तक धूप में बैठने से टैनिंग की समस्या भी हो जाती है. गर्मी का मौसम दस्तक दे चुका है, ऐसे में हम आपको बता रहे हैं टैन से राहत पाने के कुछ कारगर तरीके.
गर्मियों की कड़ी धूप से टैन होता है. लेकिन, शायद ही लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि उनकी यह कयावद उन्हें टैनिंग की परेशानी दे सकती है. स्किन टैन या सनबर्न की समस्या सर्दियों में भी हो सकती हैं. इसलिए स्किन एक्सपर्ट सर्दियों में भी हमेशा बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन का उपयोग करने की सलाह देते हैं. सूर्य की पराबैंगनी किरणें इस मौमस में भी आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकती हैं. कुछ साधारण घरेलू उपचार गर्मियों के मौसम में स्किन टैन से राहत देने मददगार साबित हो सकते हैं.
1. नहाना
जब टैन आपकी स्किन की बाहरी परत पर हो जाए, तो रोज नहाने से पुरानी स्किन कोशिकाओं को निकालने में मदद करती है. टैन दूर करने के लिए आप नहाते समय सोप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. गर्म पानी से स्नान करने से टैन जल्दी ठीक होता है. यह ध्यान रखें कि नहाने का पानी ज्यादा गर्म न हो. ज्यादा गर्म पानी आपकी स्किन को खुश्क बना सकता है.
2. शहद-नींबू
स्किन से टैनिंग हटाने के लिए शहद बहुत फायदेमंद है. नींबू के रस में शहद मिलाकर इसे टैन हुई स्किन पर लगाएं, टैनिंग से राहत मिलेगी.
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