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Holi 2023: हां सीखा मैं ने जीना- भाग 2

नवनी ने जब पिकनिक की बात पति दिव्य और बेटी सौम्या को बताई तो दोनों ने मुंह बिचका दिए.

“पिकनिक और वह भी उन गंवारू औरतों के साथ? मौम प्लीज… अपने बोरिंग प्रोग्राम्स से मुझे तो कम से कम दूर ही रखा करो… वैसे भी मैं फ्रैंड्स के साथ मूवी देखने जा रही हूं… प्लीज… सौरी…” सौम्या ने अपना फैसला सुना दिया.

“तुम भी न यार, उड़ते तीर लेती फिरती हो… पता नहीं कहां से यह समाजसेवा का भूत सवार हुआ है… अरे भई, सप्ताह का एकमात्र दिन जब मुझे घोड़े बेच कर सोने को मिलता है… वह भी मैं तुम्हारे सिरफिरे कार्यक्रम की भेंट चढ़ा दूं… इतना बेवकूफ मैं बेशक दिखता हूं लेकिन हूं नहीं…” दिव्य ने भी उसे टका सा जवाब दे कर हमेशा की तरह जमीन दिखा दी. लेकिन आज नवनी निराश नहीं हुई. कुंतल का मुसकराता हुआ चेहरा उसे प्रोत्साहित कर रहा था. वह तैयारी में जुट गई.

महीने के लास्ट संडे को शहर के शोरशराबे से दूर एक फौर्महाउस में पिकनिक पर जाना निश्चित किया गया. संस्था से जुडी महिलाओं के लिए एक बड़ी बस किराए पर ली गई. नवनी और कुंतल ने कुंतल की गाड़ी से जाना निश्चित किया.

संडे को जब सब पिकनिक जाने के लिए औफिस के कंपाउंड में जमा हुए तो नवनी देखती ही रह गई. संस्था की यूनिफार्म से बिलकुल अलग, विभिन्न तरह के रंगों में सजी महिलाएं काफी खूबसूरत लग रही थीं. कुछ खुद के ओढ़े हुए और कुछ परिवारसमाज के बांधे हुए बंधनों से आजाद पहली बार यों बेफिक्री से सिर्फ खुद के लिए जीने के एहसास मात्र से सब के चेहरे खिले हुए थे. सब को टटोलती हुई उस की आंखें सीधे जा कर कुंतल पर टिक गईं. आसमानी रंग की टीशर्ट और काली जींस में वह काफी कूल दिख रहा था. नवनी कुंतल की तरफ बढ़ गई.

“आइए नवनीजी, आप ही का इंतजार हो रहा था. आप के परिवार वाले दिखाई नहीं दे रहे… कहां हैं? मिलवाइए न…” कुंतल ने अपनी चिरपरिचित मुसकान बिखेरी.

“जी वे लोग नहीं आए… लेकिन मैं हूं न… सब की कमी पूरी कर दूंगी… लेकिन दिखाई तो आप भी अकेले दे रहे हैं… मैडम कहां हैं?” नवनी ने प्रश्न के जवाब में प्रश्न उछाल दिया.

“परिवार से दूर हूं इसलिए तो यहां परिवार तलाश रहा हूं,” कुंतल ने भी नहले पर दहला मारा और दोनों खिलखिला दिए. गाड़ियां गंतव्य की ओर चल दीं. नवनी और कुंतल गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे थे. रास्तेभर दोनों ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जुड़े मुद्दों और सरकारी लाभ से वंचितों की दशादुर्दशा पर गंभीर बातचीत में लगे रहे. तभी अचानक एक ब्लाइंड मोड़ पर गाड़ी घूम गई. लापरवाही से बैठी नवनी लुढ़क कर कुंतल के सीने से जा लगी.

“जरा संभाल कर गाड़ी चलाओ यार, मैडम को लग जाती तो?” कुंतल अपने ड्राइवर पर नाराज हुआ.

“कोई बात नहीं… उस ने भी कहां जानबूझ कर ऐसा किया है… हो जाता है कभीकभी…” नवनी ने उसे शांत रहने का इशारा किया. ड्राइवर ने आगे चलती बस के रुकते ही गाड़ी रोक दी.

“ओसम, नेवर सीन बीफोर…” कुंतल ने गाड़ी से बाहर निकलते ही मौसम को देख कर अपनी प्रतिक्रिया दी. नवनी सिर्फ मुसकरा दी. बारिश तो नहीं हुई लेकिन आसमान में अच्छेखासे काले बादलों की आवाजाही थी. ठंडीठंडी हवा शरीर को सिहरा कर अपने होने का एहसास दिला रही थी. महिलाओं ने शुरुआती संकोच के बाद इतनी मस्ती करनी शुरू की कि सारा वातावरण उन्मुक्त खिलखिलाहटों से गूंज उठा. तरहतरह के आंचलिक खेलों और गीतसंगीत ने समां बांध दिया. उस के बाद लंच के लिए जब सब ने अपनीअपनी पोटलियां खोलीं तो छप्पन भोग का नजारा साकार हो उठा. सब ने ठेठ देसी व्यंजनों का जीभर कर लुत्फ उठाया. कुंतल तो कितनी ही देर तक नवनी को मोहक नजरों से ताड़ता हुआ अपनी उंगलियां चाटता रहा. वह आंखों ही आंखों में उसे इस सफल आयोजन के लिए बधाई दे रहा था.

वापसी में थकी हुई नवनी कुंतल के कंधे पर लुढ़क गई. उस के बालों की लापरवाह लटें कुंतल के चेहरे से अठखेलियां करने लगी. तभी एक ढीठ लट कुंतल के नाक में सरसराई. कुंतल जोर से छींक पङा. नवनी ने हड़बड़ा कर आंखें खोलीं और “सौरी” कहते हुए अपनेआप को दुरुस्त किया. ऐसी परिस्थिति में भी कुंतल को मसखरी ही सूझ रही थी.

नवनी ने पिकनिक पर कुंतल की विभिन्न मुद्राओं को चुपकेचुपके अपने कैमरे में कैद कर लिया था. उस ने कुछ पिक्स छांट कर उसे व्हाट्सऐप पर भेजे.

“इन में से किसी को डीपी पर लगाइए न,” एक मनुहार भरा टैक्स्ट भी लिखा.

“वह भी आप ही सिलैक्ट कर दीजिए,” कुंतल चुहल का कोई मौका नहीं छोड़ता था.

“तो फिर इसे लगाइए,” नवनी ने भी मजाक को आगे बढ़ाते हुए खुद की एक पिक भेज कर कहा.

“कभी मौका मिला तो आप की यह इच्छा भी अवश्य पूरी करेंगे,” कुंतल ने आंख दबाती हुई इमोजी के साथ टैक्स्ट भेजा तो नवनी ने चैट बंद करने में ही भलाई समझी.

दिन बीत रहे थे. नवनी अपनी संस्था में बने उत्पाद सब से पहले क्वालिटी चैक करने के लिए कुंतल को टैस्ट करवाती थी. उस के पास करने के बाद ही वह मार्केट में बिक्री के लिए जाते थे. नतीजन, उत्पादों की गुणवत्ता में निरंतर सुधार होने लगा और इस के साथ ही संस्था को मिलने वाले और्डर्स में भी बढ़ोत्तरी हो रही थी. सरकारी अनुदान और अन्य सोर्स से मिलने वाली सहायता राशि में भी कुंतल उस की भरपूर मदद करता था.

एक तरफ जहां कुंतल के सहयोग और मार्गदर्शन से नवनी की संस्था ने अपना एक खास मुकाम बना लिया था, वहीं दूसरी तरफ औपचारिक ‘हायहैलो’ से शुरू हुई उन की चैटिंग भी धीरेधीरे अंतरंग होने लगी. हालांकि सार्वजनिक रूप से मिलने पर दोनों का आपसी व्यवहार बहुत ही संयमित और व्यावसायिक होता था लेकिन मोबाइल पर उन की छेड़छाड़ लगातार जारी रहती थी. हर बार एक कदम आगे बढ़ जाती नवनी सोचती थी कि बस, अब और नहीं… अब उसे अपने कदम रोक लेने चाहिए लेकिन दिल्लगी तो धीरेधीरे दिल की लगी में बदलती जा रही थी. कमोवेश यही हाल कुंतल का भी था. किसी रोज यदि नवनी का मैसेज न आए तो उसे बेचैनी होने लगती थी. बारबार मोबाइल चैक करता कुंतल आखिर झुंझला कर उसे मैसेज करता तो नवनी अपनेआप पर इतरा उठती. और फिर यों ही एक दिन फोन पर ही प्रेम का इजहार और इकरार भी हो गया.

बेचैनी, बेकरारी और तड़प दोनों से ही सही नहीं जा रही थी. 2 बेताब दिल एकांत में मिलने के बहाने तलाशने लगे. “अगले महीने के लास्ट संडे को दिल्ली में एक सैमिनार है. वैसे तो उस में प्रोजैक्ट औफिसर और ब्लौक अधिकारी लैवल के लोग ही शामिल होंगे लेकिन कुछ एनजीओ संचालकों को भी आमंत्रित किया जाएगा. क्या आप आना चाहेंगी?” एक दिन कुंतल ने नवनी को मैसेज किया.

“आप कहें और हम न आएं… ऐसे तो हालात नहीं…” नवनी ने अपनी आदत के अनुसार गाने की पंक्तियों से उसे रिप्लाई दिया.

“तो ठीक है… 2 दिन का प्रोग्राम है… पूरी तैयारी के साथ आइएगा… और हां, आज के बाद मेरे नाम के साथ यह जी जी… वाला पुछल्ला मत लगाना प्लीज,” कुंतल ने टैक्स्ट के साथ आंखें दबाती इमोजी भेजी.

“वह तो ठीक है लेकिन आयोजक तो मुझे जानते तक नहीं, फिर मुझे वहां क्यों बुलाया जाएगा?” नवनी ने मन में उभरे सवाल को साझा किया.

तुम्हें आम खाने हैं या पेड़ गिनने? इनविटेशन तुम तक पहुंच जाएगा. तुम तो बस मिलने की तैयारी करो,” कुंतल ने उस के सारे सवालों को एक ही जवाब में समेट दिया.

“तो ठीक है साब, वैसे भी हमें तो सिर्फ आप से ही… सौरीसौरी, आम से ही मतलब है.”

“तो क्या यह आम इस बंदे को भी चूसने मिलेंगे?” कुंतल शरारत के मूड में था.

“धत्त, बेशर्म कहीं के…” नवनी लाज से गड़ गई और चैट बंद कर दी लेकिन दिल तो मिलन की कल्पना से ही गुदगुदा उठा था.

क्या है शेफ गरिमा अरोड़ा के जीवन के ‘लो फेज’, पढ़े इंटरव्यू

मुंबई की शेफ गरिमा अरोड़ा ने इस मुकाम पर पहुँचने के लिए काफी संघर्ष किये है. पहले वह एक फार्मा जौर्नलिस्ट थी, लेकिन उन्हें तरह के खाना बनाना पसंद रहा. वह अपनी कुकिंग स्किल्स बढ़ाने के लिए वर्ष 2008 में पेरिस गई. असल में गरिमा के माता-पिता चाहते थे कि वह दुनिया की बेहतरीन डिशेज बनाना सीखें. वहां उन्होंने कई जानी – मानी शेफ के साथ काम किया, जिसमे शेफ गगन आनंद, गॉर्डोन रामसे आदि है. ग्रेजुएशन के बाद करीब एक साल तक शेफ गगन आनंद के रेस्तरां में काम करने के बाद उन्होंने बैंकाक में अपनी रेस्तरां खोली और इंडियन कुइजिन को प्रधानता दी.

उन्हें वर्ष 2018 में मिचेलिन स्टार का ग्रेड मिला, यह एक रेटिंग सिस्टम है, जिसके तहत रेस्तरां की गुणवत्ता की ग्रेडिंग की जाती है. गरिमा को 26 मार्च को एशिया के 50 बेस्ट रेस्तरां की सेरेमनी में यह अवॉर्ड दिया गया. इस पुरस्कार को पाने वाली वह पहली महिला शेफ बनी, जिसे इस अवार्ड से नवाजा गया. गरिमा की मेन्यू में काफी विभिन्नता है, यही वजह है कि लोग उनतक पहुँचते है. यहाँ कस्टमर्स 10-14 कोर्स का टेस्टिंग मेन्यू चुन सकते हैं. डक डोनट और रोटी-अचार के साथ जैकफ्रूट उनके यहां काफी पसंद किया जाता है. भारतीय की गरिमा अरोड़ा का एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला शेफ चुनी जाना उनके लिए गर्व की बात थी. इस समय गरिमा आबुधाबी में सोनी टीवी पर मास्टर शेफ इंडिया में शूटिंग कर रही है. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार है.

पसंद है मुझे वैरायटी

गरिमा कहती है कि टीवी पर मास्टर शेफ इंडिया का मेरा पहला सीजन है, पहली बार मैं टीवी के सामने हूँ. मेरे लिए सब कुछ नया है. बहुत रुचिपूर्ण और मोटिवेट करने वाली ये शो है. टैलेंटेड होम कुक्स को देखने का ये मौका मेरे लिए बहुत अधिक अच्छी है. इसमें भाग लेने वाले सभी शेफ अलग-अलग कम्युनिटी से आये है और कम्युनिटी पकवान को सबके साथ शेयर कर रहे है. सबमे बहुत उत्साह है और मुझे इंडियन खाने में इतनी वैरायटी और प्राइड देखने को मिलेगी, ये पता नहीं था. 15 साल बाद मैं इंडिया में कुछ कर रही हूँ और मेरे लिए ये बहुत अधिक ख़ुशी की बात है.

सही सपोर्ट सिस्टम

गरिमा आगे कहती है कि शेफ में पुरुष और महिला में कोई अंतर नहीं होता, दोनों की चुनौतियाँ एक जैसी ही होती है. महिला शेफ के चेलेंज पुरुष शेफ से नहीं होती, उनके आसपास के लोगों से आते है. असल में सबकी स्किल और ड्रीम्स अलग होती है. सबके गोल्स भी पता होते है. समस्या तब आती है, जब आपके परिवार वाले आपको सपोर्ट नहीं करते. हमेशा मैंने देखा है कि औरतों को उनके आसपास के लोग रोकते है, उनकी एबिलिटी कभी उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोकती. मेरे लिए लकी ये है कि मेरे माता-पिता, पति, भाई सभी ने मेरा साथ दिया है. मैंने जो भी अचीव किया है, वह महिला या पुरुष होने से नहीं मेरे सपोर्ट सिस्टम की वजह से है. कोविड का समय था कठिन कठिन समय के बारें में गरिमा का कहना है कि एक उद्यमी के जीवन में बहुत सारी बाधाएं या समस्याएं आती है, लेकिन एक शेफ की जीवन में इतनी कठिन परिस्थियाँ नहीं आती है.

मेरे लिए कोविड के दो साल बहुत मुश्किल भरे थे. जब पूरा व्यवसाय खुद सम्हालना पड़ा, तब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि 40 एम्प्लोयी का भी ध्यान रखना पड़ा. उनके वित्तीय समस्या को देखना पड़ा. तब उनकी समस्या मेरी समस्या हो गई. उन डेढ़ सालों तक मैं बैंकाक में अकेली थी, मेरे पति साथ में नहीं थे, मेरे पेरेंट्स मुझे देख नहीं पा रहे थे. उन डेढ़ साल तक मेरी और बाकी सभी की उत्तरदायित्व को लेना कठिन समय था, लेकिन उससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. हर एक ‘लो मोमेंट’ एक पाठ जरुर पढ़ाती है, क्योंकि वही आपको एक शेप में लाती है, सुदृढ़ बनाती है और वही आपके चरित्र का निर्माण भी करती है.

बेकाबू: बिग बॉस 16 के बाद शालीन भनोट के हाथ लगा बड़ा प्रोजेक्ट, देखें प्रोमो

‘बिग बॉस 16’ के जरिए सुर्खियां बटोरने वाले एक्टर शालीन भनोट और एक्ट्रेस ईशा सिंह जल्द ही कलर्स टीवी के सीरियल ‘बेकाबू’ में नजर आने वाले हैं. शो सुपरनैचुरल शक्तियों पर आधारित है. इसमें जहां शालीन भनोट (Shalin Bhanot) राक्षस के रोल में दिखाई देंगे तो वहीं ईशा सिंह परी की भूमिका अदा करती नजर आएंगी. खास बात तो यह है कि ‘बेकाबू‘ (Beqaboo) से जुड़ा प्रोमो वीडियो भी रिलीज हो चुका है, जिसे देख फैंस की एक्साइटमेंट सातवें आसमान पर पहुंच गई है. इस प्रोमो वीडियो को देखकर फैंस ने न केवल जमकर प्यार लुटाया, बल्कि शो के शुरू होने का बेसब्री से इंतजार करते नजर आए.

शालीन भनोट और एक्ट्रेस ईशा सिंह का ‘बेकाबू’ राक्षस और परी की प्रेम कहानी है. प्रोमो वीडियो के मुताबिक, राक्षस लोक को रोकने और उसका प्रभाव धरती से खत्म करने के लिए धरती पर एक परी उतरेगी। जो किसी और से नहीं बल्कि शालीन भनोट के किरदार से टक्कर लेती नजर आएगी. प्रोमो वीडियो में दिखाया गया कि जब इनकी शक्तियां आपस में टकराएंगी तो पूरी कायनात ‘बेकाबू’ हो जाएगी.

 

 

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बेकाबूका प्रोमो देख फैंस ने दिया रिएक्शन

‘बेकाबू’ का प्रोमो वीडियो देखने के बाद फैंस भी जमकर तारीफें कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “वीएफएक्स काफी अच्छा है, इससे यह बिल्कुल असली लग रहा है. यह एक शानदार शो होने वाला है.” वहीं दूसरे यूजर ने चुटकी लेते हुए लिखा, “बिग बॉस 16′ के बाकी कंटेस्टेंट्स केवल बाइट दे रहे हैं. यहां शालीन का पूरा एक सीरियल आ चुका है.” एक यूजर ने शालीन की तारीफ करते हुए लिखा, “यह इस रोल को धमाकेदार बनाने वाला है. क्योंकि इसमें शालीन को पॉजिटिव और नेगेटिव, दोनों ही किरदार निभाने पड़ेंगे. शालीन की फिटनेस इस रोल पर काफी सूट होगी.”

शिवांगी जोशी और जैन इमाम करेंगे कैमियो

‘बेकाबू’ को लेकर खबर आ रही है कि शो में शिवांगी जोशी और जैन इमाम भी एंट्री करेंगे. हालांकि इसमें उनका कैमियो होगा. लेकिन इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है.

परियों और राक्षसों की दुनिया

रिपोर्ट के अनुसार, यह शो परियों और राक्षसों की दो अलग-अलग दुनिया के इर्द-गिर्द घूमता है. शो में परी की भूमिका निभाने को लेकर अपनी उत्तेजना व्यक्त करते हुए, ‘एक था राजा एक थी रानी’ की अभिनेत्री ईशा सिंह ने साझा किया, मैं परी की भूमिका निभाने को लेकर रोमांचित हूं. यह एक ड्रीम रोल है, जो चैनल में मेरी घर वापसी का प्रतीक है, जिसने टेलीविजन पर फैंटेसी जेनरे को अग्रणी बनाया है.

मोनालिसा का होगा अलग लुक 

दूसरी ओर कई भोजपुरी, हिंदी, बांग्ला, ओडिया, तमिल, कन्नड़ और तेलुगू भाषा की फिल्मों में काम करने वाली मोनालिसा ने कहा कि वह एक नई शैली को खोजने और एक नकारात्मक किरदार निभाने में खुश हैं. मुझे पूरी तरह से अलग लुक में देखा जाएगा और मैं यह जानने के लिए इंतजार नहीं कर सकती कि दर्शक इसके बारे में क्या सोचते हैं.

 

अनुज की गलती की सजा भुगतेगा परिवार! बढ़ेगी अनुपमा की मुश्किलें

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना का ‘अनुपमा’ इन दिनों काफी सुर्खियों में बना हुआ है. शो ने टीआरपी लिस्ट में तो नंबर वन पर जगह बनाई ही है, साथ ही यह दर्शकों के दिलों में भी बखूबी बस चुका है. ‘अनुपमा‘ (Anupama) में आने वाले ट्विस्ट और टर्न्स से न केवल टीआरपी रेटिंग पर असर पड़ता है, बल्कि दर्शकों पर भी इसका काफी असर पड़ता है. बीते दिन ‘अनुपमा’ में दिखाया गया कि अनुज, छोटी और माया के साथ पिकनिक पर एंजॉय करता है. वहीं शाह हाउस में सबके साथ होकर भी अनुपमा का दिल उन दोनों में ही लगा रहता है. वह अनुज से बात भी करती है, लेकिन छोटी गेम के चक्कर में उसे बात नहीं करने देती और यह बात अनुपमा को पसंद नहीं आती. लेकिन गौरव खन्ना (Gaurav Khanna) के ‘अनुपमा’ में आने वाले ट्विस्ट यहीं पर खत्म नहीं होते हैं.

 

कपाड़िया हाउस में एक महीने और डेरा डालेगी माया

‘अनुपमा’ में माया अनुज को इमोशनल ब्लैकमेल करती है. वह उससे कपाड़िया हाउस में एक महीना और रहने की गुजारिश करती है. माया अनुज से कहती है कि यह एक महीना किसी का भी आखिरी हो सकता है, इसलिए मैं तुमसे यह मोहलत मांग रही हूं. माया की बातें सुनने के बाद अनुज भी उसे वहां एक महीने और रहने की इजाजत दे देता है.

 

अनुज करेगा बड़ी गलती

आज के एपिसोड में अनुपमा शाह हाउस में तो माया पिकनिक पर मनवा लागे गाने पर डांस करती है. अनुपमा डांस करते हुए अनुज को याद करती है तो अनुज माया में अनुपमा को देखता है. दोनों का ही डांस देखकर सभी लोग तालिया बजाते हैं।उधर माया मौका मिलते ही अनुज के पास पहुंच जाती है. वो अनुज से डांस के बारे में पूछती है तो अनुज उसकी तारीफ करता है. माया कहती है कि आज वो बहुत खुश है क्योंकि उसने बहुत सारा समय अपनी बेटी के साथ बिताया लेकिन अब 15 दिन खत्म होने वाले हैं और मैं नहीं चाहती हूं कि उसे किसी एक को चुनना पड़े। माया अनुज से 1 महीने का और समय मांगती है। वो अनुज पर बहुत दबाव बनाती है और अनुज हां कर देता है.

अनुपमा के खिलाफ अनुज के कान भरेगी माया

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) के ‘अनुपमा’ में दिखाया जाएगा कि माया अनुपमा के खिलाफ अनुज के कान भरने की कोशिश करेगी. वह कहेगी कि अनुपमा को भी यहां होना चाहिए था, लेकिन उसके भी तीन बच्चे हैं. अनुज पहले तो अनुपमा की माया के सामने तारीफ करेगा, लेकिन बाद में बोल पड़ेगा कि मैंने अनुपमा की स्थिति देखकर उससे शादी की थी. पहले केवल मैं था, लेकिन अब मेरे साथ मेरी बेटी भी है. अनुज के मन की भड़ास देखकर माया मन ही मन खुश हो जाएगी. वहीं जब अनुपमा अनुज के पास फोन करेगी तो माया फोन काटकर उसे छुपा देगी.

 

वनराज कहेगा अनुपमा से गलत बात

माया अनुज के सामने अनुपमा को बेचारी कहती है लेकिन अनुज कहता है कि वो मेरे कहने पर नहीं आई है, क्योंकि वो बहुत अच्छी है, वो किसी को भी न नहीं कहती है और लोग इसी बात का फायदा उठाते हैं. तभी अनुपमा अनुज को फोन करती है लेकिन माया काट लेती है , जो जानबूझकर अनुपमा का फोन नहीं उठाती है. अनुपमा को परेशान देखकर वनराज उसके पास पहुंच जाता है और अनुपमा को थैंक्यू बोलता है. वो कहता है कि बहुत दिनों बाद बच्चों को हंसते हुए देखा है…बरसो बाद गुजरा हुआ पल लौट कर आ गया.

 

बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया

जब बच्चे न हो रहे हों तो आसपास के लोग कहने लगते है कि किसी को गोद ले लो. गोद लेने की सलाह देेने वाले नहीं जानते कि यह प्रोसीजर बहुत पेचीदा और सरकारी उलजुलूल नियमों वाला है जिस में आमतौर पर गोद लेने वाले मांबाप थक जाते हैं. कुछ ही महीनों, सालों की मेहनत के बाद एक बच्चा पाते हैं और उस में भी चुनने की गुंजाइश नहीं होती क्योंकि कानून समझता है, जो सही भी है, कि छोटे बच्चे कोई खिलौने नहीं है कि उन्हें पसंद किया जाए.

इस से ज्यादा मुश्किल गोद हुए बच्चे की होती है. वह नए घर में कैसे फिट बैठता है, यह पता करना असंभव सा है. अमेरिका की अनुप्रिया पांडेय ने कुछ बच्चों से बात की जिन्हें बचपन में भारत से गोद लिया गया था और वे अमेरिका में गोरोंकालों के बीच बड़े हुए. इन में से एक है लीला ब्लैक अब 41 साल की है. 1982 में उसे अकेली अमेरिकी नर्स ने एडोप्ट किया था. लीला ने अपना बचपन एक कौन पिताक्ट में गुजारा पर उसे खुशी थी कि जिस तरह उस की 2 माह की उम्र में हालत थी, वह बचती ही नहीं. अब अमेरिकी प्यार भी मिला, सुखसुविधाएं और हीयङ्क्षरग लौस व सेरीब्रल प्लासी रोग का ट्रीटमैंट भी.

2 बच्चों की एक अमेरिकी गोरे युवक से शादी के बाद लीला ने अपनी जड़ें खोजने की कोशिश की. उस ने भारतीय खाना बनाया, खाया, भारत की सैर 2-3 बार की, होलीदीवाली मनाई, अपने डीएनए टैस्ट से अपने जैसे 3-4 कङ्क्षजस को ढूंढा (न जाने वे चचेरे भाईबहन थे या नहीं पर भारतीय खून उन में है). अमेरिका में हर साल 200 से ज्यादा बच्चे भारत से एडोप्ट किए जाते हैं और उन की एक बिरादरी सी बन गई है. भारत में गोद लिए गए बच्चों के सामने मांबाप से मिलतेजुलते रंग, भाषा, कदकाठी के अलावा जाति का सवाल भी आ खड़ा होता है. कुंडलियों में आज भी विश्वास रखने वाला ङ्क्षहदू समाज यहां किसी भी गोद लिए बच्चो को आसानी से अपने में मिलाता है. पिछले जन्म के कर्मों का फल सोच कर हमेशा भारी रहता है.

अमेरिका यूरोप उदार देश हैं वहां जो भी कहीं से भी आएं. उन्हें खुले मन से स्वीकार किया जाता है पर फिर भी इशूस होते है. नैटफ्लिक्स पर चल रही ‘रौंग साइड औफ ट्रैक’ में एक स्पेनिश परिवार द्वारा नियटनामी लडक़ी को गोद लेना जो बड़ी हो कर विद्रोही हो जाते है, बहुत अच्छी तरह से दिखाया गया है. इस सीरीज में मुख्य पात्र दादा होता है जो इस वियटनामी लडक़ी के चीनी फीचर्स का मजाक उड़ाता है पर जब वह ड्रग टे्रडर्स के चुंगल में फंसने लगती है तो अपनी जान की बाजी लगा कर, पुलिस की आंखों में धूल डाल कर, पोती को बचा कर निकलता है जबकि उस को गोद लेने कभी उस की बेटी उस से तंग आ कर उसे किसी मंहगे होस्टल में भेजना चाह रही थी.

अब जब अकेलों की संख्या बढ़ रहे है. अनाथ कम हो रहे हैं, भारत में गर्भपात की सुविधाएं हैं, गोद लिए जा सकने वाले बच्चे कम मिलेंगे पर जो मिलेंगे उन्हें सही वातावरण मिलेगा, संदेह है. हम मूलत: कट्टरपंथी हैं और गोद लेने में मरने के बाद, मरने की रीतिरिवाजों की फिक्र ज्यादा रहती है, बजाए ङ्क्षजदगी के खालीपन को भरने की.

टेस्टी बाइट्स: पनीर भुर्जी सैंडविच

ब्रेकफास्ट करना बेहद जरूरी है लेकिन यह अक्सर मिस हो जाता है क्योंकि सुबह-सुबह इतना टाइम नहीं मिल पाता. हम आपको बताने जा रहे हैं, झट से तैयार होने वाले हेल्दी टेस्टी पनीर भुर्जी सैंडविच की रेसिपी.

सामग्री

– 200 ग्राम पनीर

– 1/2 कप हरीपीली शिमलामिर्च बारीक कटी

– 2 चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

– 1/4 कप प्याज बारीक कटा

– 1/2 कप बीज रहित टमाटर छोटे क्यूब में कटा

-1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

– 1 चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– 8 ब्रैड स्लाइस

-50 ग्राम मक्खन

– नमक स्वादानुसार.

विधि

एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के प्याज भूनें. इस में अदरकहरीमिर्चटमाटर और शिमलामिर्च डाल कर थोड़ा गलने तक पकाएं. फिर पनीर को हाथों से क्रंबल कर के मिलाएं और नमक भी डाल दें. मध्यम आंच पर 5 मिनट उलटेपलटें. अब इस में कालीमिर्च पाउडर व धनियापत्ती मिला कर मिश्रण ठंडा करें. ब्रैड स्लाइसेज में मक्खन लगा कर पनीर भुर्जी की लेयर लगाएं और सैंडविच तैयार करें. ग्रिल कर के मनपसंद सौस के साथ सर्व करें.

2- बालिनेज रा मैंगो प्रौंस

सामग्री

– 100 ग्राम कच्चे आम के टुकड़े

-3 ग्राम फ्रैश रैड चिली जूलिएन

– 10 ग्राम गाजर कटी

– 4 पत्तियां काफिरलाइम की

-15 ग्राम धनियापत्ती कटी

– 10 ग्राम पात्र जिग्गेरी

– 10 एमएल सेब का सिरका.

सामग्री फ्राई की

– 250 ग्राम मीडियम आकार के प्रौंस

– 20 ग्राम प्याज का जूलिएन

-5 ग्राम अदरक का जूलिएन

– थोड़ा से करी पत्ते

– 10 ग्राम अंकुरित फलियां

– 10 ग्राम हरा प्याज

– 5 ग्राम मूंगफली भुनी

– 10 एमएल लाइट सोया सौस

– 5 एमएल फिश सौस

– 15 ग्राम भीगी गिलास नूडल्स

–  8 ग्राम मद्रास करी पाउडर

-थोड़ी सी पुदीनापत्ती कटी

-20 एमएल औयल

– 2 चम्मच पानी

– नमक स्वादानुसार.

विधि

रा मैंगो स्ला बनाने के लिए सारी सामग्री को अच्छी तरह मिक्स कर के 2 घंटों के लिए एक तरफ रख दें. फिर एक कड़ाही में तेल डाल कर प्याजअदरक और कड़ी पत्ते डाल कर 2 मिनट तक भूनें. फिर इस में प्रौंस और अंकुरित फलियों में 2 चम्मच पानी डाल कर पकने तक चलाएं. फिर मूंगफलीकाजूसोया सौसफिश सौसनमकहरा प्याजनूडल्समद्रास करी पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. जब प्रौंस मिक्सचर अच्छी तरह पक जाए तो उसे आंच से उतार कर उस में रा मैंगो स्ला डाल कर 10 सैकंड तक पकाएं फिर धनिया व पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

मेरे बाल बहुत ही कम हो गए हैं, खासकर मांग पर तो बाल रह ही नहीं गए,मैं क्या करूं कि मेरे बाल घने लगें?

सवाल 

मेरे बाल बहुत ही कम हो गए हैं. खासकर मांग पर तो बाल रह ही नहीं गए. जब भी कहीं जाती हूं तो मुझे कौन्फिडैंस ही नहीं आता. हमारे घर में अभी अगले हफ्ते शादी है. मैं क्या करूं कि मेरे बाल घने लगें?

जवाब

1 हफ्ते में लंबे बाल पाने  के लिए घरेलू इलाज या पार्लर में करने वाले इलाज से फायदा नहीं हो सकता. आप को हेयर टौपर खरीदने की जरूरत है. आजकल शतप्रतिशत ह्यूमन हेयर के टौपर मिल जाते हैं जिन के अंदर क्लिप लगे होते हैं. बस 2 क्लिप को क्लिप औन करना पड़ता है और आप के बाल घने व खूबसूरत लगने लग जाते हैं.

अगर लंबा करना हो तो आप लंबे बालों वाला हेयर टौपर खरीद कर लगा सकती हैं जिस से आप के बाल घने लंबे और खूबसूरत दिखेंगे. इन्हें लगाना बहुत ही आसान होता है. वैसे हेयर ग्रो करने के लिए आप धीरेधीरे इलाज कर सकती हैं.

बाल बने होते हैं प्रोटीन के. अत: अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं. आप हफ्ते में एक बार हैड मसाज जरूर करें. उस के लिए कोई अरोमैटिक औयल इस्तेमाल करें जिस से कि अरोमाथेरैपी औयल्स आप की स्कैल्प के अंदर जा कर बालों को बढ़ाने में हैल्प करें. आप चाहें तो घर में पैक भी लगा सकती हैंजिस के लिए रात को मेथीदाने को दही में भिगो कर रख दें.

सुबह उसे पीस उस के अंदर ऐलोवेरा जैलअदरक व लहसुन का पेस्ट मिला कर बालों की जड़ों पर लगाएं. आधे घंटे बाद हलके गरम पानी से धो लें. लगातार ऐसा करने से आप के बाल लंबे होने शुरू हो जाएंगे.

-समस्याओं के समाधान

ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा   

11 बेबी मसाज टिप्स: मालिश के दौरान इन बातों का रखें खास ख्याल

सर्दियों में छोटे बच्चों की स्किन रूखी हो जाती है, ऐसे में उन की स्किन को मुलायम रखने के लिए तेल से मालिश की जा सकती है. रूखेपन के साथ ही यह किसी संक्रमण से भी बचाती है. नवजातों की मालिश के लिए औलिव औयल भी अच्छा माना जाता है. इस से बच्चों की स्किन सौफ्ट होती है.

अधिकतर देखा गया है कि जन्म के बाद से ही बच्चे की तेल मालिश को ले कर आसपास की सभी महिलाएं व्यस्त हो जाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि परंपरागत तरीके से की गई तेल मालिश से बच्चे की हड्डियां मजबूत होंगी, ग्रोथ जल्दी होगी और वह जल्दी चलना सीखेगा, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जिन में तेल मालिश करते समय बच्चे को चोट पहुंच जाती है.

सही मसाज बच्चे को आराम देती है, लेकिन कैसे, क्या है सही मसाज? इस बारे में नवी मुंबई की ‘स्पर्श चाइल्ड केयर क्लीनिक’ की बाल रोग विशेषज्ञ डा. शिल्पा आरोस्कर कहती हैं कि न्यू बोर्न बेबीज की मसाज करना एक कल्चरल ट्रैडिशन है, जबकि इस का कोई साइंटिफिक लाभ आज तक देखने को नहीं मिला है.

मसलन हड्डियों या मसल्स का मजबूत होना या जल्दी ग्रोथ होना. यह केवल बेबी को आराम पहुंचाती है और उसे एक अच्छी नींद लेने में सहयक होती है. ये बातें बच्चे की मसाज से पहले न्यू मौम्स को जान लेना आवश्यक है:

  •  बच्चे को मालिश फीड कराने के तुरंत बाद या जब शिशु नींद में हो तब न करें, जब बच्चा जाग रहा हो तब मालिश करें ताकि उसे मसाज से अच्छा अनुभव हो.
  •  कोकोनट औयल और विटामिन औयल मसाज के लिए सब से अच्छे औयल माने जाते हैं. सरसों के तेल या अन्य किसी तेल की मालिश से बचना चाहिए क्योंकि इस से बच्चे की स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाने का खतरा होता है, जिस से बच्चे को रैशेज हो सकते हैं.
  •  अधिकतर महिलाएं बच्चे की मालिश के लिए मेड सर्वेंट रखती हैं, जिन के अधिक प्रैशर से मालिश करने से बच्चे को फ्रैक्चर,सूजन या जगहजगह खून जमने का खतरा रहता है.
  •  मसाज के समय कभी कान, नाक एरिया में तेल का प्रयोग न करें.
  • बेबी की मसाज मां, दादी, नानी के हाथों से होनी अच्छी मानी जाती है, जिस में प्यार और टच थेरैपी होने की वजह से बच्चे की सेहत और ग्रोथ में सुधार जल्दी होता है और यह वैज्ञानिक रूप से पू्रव भी हो चुका है.
  •  ‘इंटरनैशनल एसोसिएशन औफ इन्फैंट मसाज’ के अनुसार मालिश से बच्चे के शरीर का ब्लड सर्कुलेशन और पाचनक्रिया अच्छी हो जाती है, उसे गैस, ऐंठन, कब्ज आदि समस्याओं से राहत मिलती है.
  • दिन में एक बार मालिश करना बच्चे के लिए काफी होता है.
  •  1 साल की उम्र के बाद बच्चे की मालिश करने से कुछ खास फर्क उस में दिखाई नहीं पड़ता है क्योंकि इस समय बच्चा प्लेफुल हो जाता है और उसे मालिश से अधिक लाभ नहीं होता. न्यू मौम्स को यह सम?ाना जरूरी है कि तेल मालिश एक इंडियन ट्रैडिशन ही है, जिसे दिन में एक बार कभी भी किया जाना सही होता है.
  •  मालिश करते समय हाथों और उंगलियों का आराम से इस्तेमाल करना चाहिए. बहुत प्यार से बच्चे के पैरों को अपनी हथेली पर रखें और उंगलियों से जांघ से ले कर पैरों तक लाते हुए मालिश करें. कुछ मिनट तक इसी तरह मालिश करें.
  •  हलकी स्ट्रैचिंग मसाज फायदेमंद रहती है. टांगों को थोड़ा स्ट्रैच करें, दोनों तलवों को एकसाथ मिलाएं और फिर जमीन से छूएं. इस प्रक्रिया से बच्चे की मांसपेशियों को आराम मिलेगा.
  •  फुट मसाज से शरीर को बहुत आराम और रिलैक्सेशन मिलता है और इस से दिमाग को भी सुकून महसूस होता है. बच्चों की फुट मसाज करने से उन्हें नींद अच्छी आती है. फुट मसाज करते समय अपने अंगूठे से तलवों पर कुछ पौइंट्स पर हलका दबाव बनाएं. इस से शरीर का स्ट्रैस रिलीज हो जाता है.

निटिंग टिप्स: बाजारी रैडीमेड स्वैटरों से बेहतर हैं हाथों से बुने स्वैटर

बाजारी रैडीमेड स्वैटरों से बेहतर हैं हाथों से बुने स्वैटर. बुनाई के लिए इन बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है:

बुनाई के टिप्स

  •  ऊन हमेशा अच्छी क्वालिटी का खरीदें.
  •  ऊन आवश्यकता से 1-2 गोले ज्यादा ही खरीदें ताकि ऊन के कम पड़ने की संभावना न रहे. वैसे भी बचा ऊन वापस हो जाता है.
  •  बुनाई से पहले खिंचाव की जांच करें. इस के लिए 10 फं. पर 10 सलाइयां बुन कर बुने भाग की लंबाईचौड़ाई नाप लें.
  •  ध्यान रहे गार्टर स्टिच व स्टाकिंग स्टिच की बुनाई का खिंचाव अलगअलग होता है. गार्टर स्टिच की बुनाई स्टाकिंग स्टिच की बुनाई की तुलना में चौड़ाई में अधिक फैलती है व लंबाई में कम बढ़ती है.
  • कुछ महिलाएं सीधी सलाई की तुलना में उलटी सलाई ढीली बुनती हैं. यदि यह समस्या आप के साथ भी है तो आप उलटी सलाई बुनते समय कम नंबर की सलाई काम में लें.
  •  बुनाई करते समय प्रत्येक सलाई का पहला फं. बिना बुने उतारें. इस से किनारों पर सफाई आएगी व सिलाई आसानी से होगी.
  •  ऊन का नया गोला सलाई के शुरू में जोड़ें, बीच में नहीं. ऐसा करने से स्वैटर अधिक सफाई से बनेगा.
  •  ऊन जोड़ने के लिए उन के सिरों को उधेड़ कर 8 या 10 अंगुल लंबाई तक आधेआधे ऊन के रेशों को निकाल कर दोनों ऊन के सिरों को आपस में मिला कर बट देना चाहिए. फिर इस बटे हुए ऊन से कुछ फं. बुन कर आगे बुनते जाना चाहिए. 4 ऊन के टुकड़ों को आपस में जोड़ने के लिए कभी गांठ नहीं लगानी चाहिए. गांठ लगाने से स्वैटर में सफाई नहीं आती.
  •  यदि आप एक से अधिक रंग का ऊन काम में ले रही हैं तो उन्हें पौलिथीन की अलगअलग थैलियों में रखें या फिर उन के लिए छेदों वाले प्लास्टिक बैग को काम में लें. एक छेद वाले प्लास्टिक बैग को काम में लें. एक छेद में से एक रंग का ऊन निकालें. इस से वह उलझेगा नहीं.
  •  यदि आप ने एक ही रंग का ऊन 2 बार अलगअलग डाई लाट से खरीदा है तो आप एक सलाई एक लाट के ऊन की व दूसरी सलाई दूसरे लाट के ऊन की बुनें.
  •  यदि बुनते समय कोई फं. गिर जाए तो उसे उठाने के लिए क्रोशिया हुक को काम में लें.
  •  सफेद ऊन से बुनाई करते समय हाथों पर टैलकम पाउडर लगा लें. इस से सफेद ऊन पर मैलापन नहीं आएगा.
  •  कभी भी गीले हाथों से बुनाई न करें वरना नहीं तो उस स्थान से बुने हुए स्वैटर का लचीलापन मारा जाएगा.
  •  सलाई अधूरी छोड़ कर बुनाई बंद न करें. ऐसा करने से बुनाई में सफाई नहीं आएगी.
  •  2 आस्तीनों व आगेपीछे के भागों की लंबाई नापते समय सलाइयां गिनना जरूरी है. ऐसे ही नाप लेने से दोनों भागों की लंबाई छोटीबड़ी हो सकती है.
  •  बारबार धुलने पर सिकुड़ जाते हैं. इससे बचने के लिए ऊन को 3-4 घंटे तक पानी में भिगो कर सुखा दें. ऐसा करने से ऊन को जितना सिकुड़ना होगा वह पहले ही सिकुड़ जाएगा.
  • ऊन लच्छों में खरीदा है तो उस के गोले ढीले बनाने चाहिए. कस कर लपेटा ऊन खिंचने के कारण पतला व खराब हो जाता है. 3-4 उंगलियां बीच में रख कर उन के ऊपर से ऊन लपेटिए. गोले का अच्छा आकार बनाने के लिए उंगलियों को बारबार निकाल कर जगह बदल कर रखना चाहिए.

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