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मोहब्बत से नफरत

धर्म के नाम पर प्रेम का गला किस तरह घोंटा जा रहा है, उस का एक एक्जांपल दिल्ली के पास नोएड़ा में मिला. एक युवती की दोस्ती जिम मालिक से हुई और दोनों में प्रेम पनपने लगा. लडक़ी की शिकायत है कि उस ने अपना नाम ऐसा बताया जिस से धर्म का पता नहीं चलता था पर वह सच बोल रही है, यह मुश्किल है. जिस से प्रेम होता है उस की बहुत सी बातें पता चल जाती हैं खासतौर पर जब उस के घर तक जाना हो जाए.

अगर युवतियां इतनी अंधी हों कि जिस के फ्लैट में अकेले जा रही हैं, उस का आगापीछा उन्हें नहीं मालूम, तो उस से कोई हमदर्दी नहीं होनी चाहिए. इस मामले में युवती ने बाद में जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश और शादी का झांसा दे कर रेप करने का चार्ज लगा कर लडक़े को गिरफ्तार करा दिया. पूरा मामला संदेह के घेरे में लगता है. यह तो हो ही सकता है कि जब लडक़ी के घरवालों को पता चले कि लडक़ा पैसे वाला जिम मालिक है पर मुसलमान है तो उन्हें विरादरी से आपत्तियां मिलने लगें. जिस तरह का हिंदूमुसलिम माहौल आज बना दिया गया है, उस से लडक़ेलड़कियों को चाहे फर्क नहीं पड़ता लेकिन उन दोनों के रिश्तेदारों को अवश्य पड़ता है.

आजकल कानून भी ऐसे बना दिए गए हैं कि हिंदूमुसलिम की शादी, जो सिर्फ स्पैशल मैरिज एक्ट में हो सकती है, में मजिस्ट्रेट ही हजार औब्जैक्शन लगा देता है. लडक़ेलडक़ी को कई अवसरों में नो औब्जैक्शन सर्टिफिकेट लाने पड़ेंगे जो बिना परिवार की सहायता से मिलने असंभव हैं. उत्तर प्रदेश तो हिंदूमुसलिम विवाह पर बहुत ही नाकभौं चढ़ाता है. मुसलिम मौलवी भी इस तरह की शादी नहीं चाहते क्योंकि वे भी चाहते हैं कि शादी में उन का कमीशन बना रहे. नए युवा समाज, परिवार व कानून के दबाव को नहीं झेल पाते. दोनों के रिश्तेदारों को धमकियां दी जाने लगती हैं. पुलिस दोनों तरफ के रिश्तेदारों को गिरफ्तार करने की बात करने लगती है. बुलडोजर तो है ही जो शादी के सपनों को कैसे ही एक झपट्टे में तोड़ सकता है.
प्रेम हिंदूमुसलिम दोनों के धर्मों के ठेकेदारों को नहीं भाता. वे चाहते हैं कि शादियां तो धर्म के बिचौलियों से ही तय हों ताकि जिंदगीभर उन्हें घर से कुछ न कुछ मिलता रहे. स्पैशल मैरिज एक्ट में हुई शादी के बच्चों का कोई धर्म नहीं रह जाता है और यह धर्म को कैसे मंजूर होगा. इसलिए वे प्रेम ही नहीं चाहते और शादी पर धर्मांतरण का शिगूफा छेड़ देते हैं.

Mirzapur के एक्टर शाहनवाज का हार्ट अटैक से निधन, शो में बने थे ‘गुड्डू भैया’ के ससुर

बॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम कर चुके एक्टर शाहनवाज प्रधान अब इस दुनिया में नहीं रहे. महज 56 साल की उम्र में हार्ट अटैक से उनकी जान चली गई. उन्होंने ‘मिर्जापुर’ वेब सीरीज में ‘गुड्डू भैया’ (अली फजल) के ससुर का दमदार किरदार निभाया था. बताया जा रहा है कि वो किसी फंक्शन में थे और वहीं पर उनके सीने में तेज दर्द उठा और वो बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

 

शाहनवाज को स्ट्रेचर पर हॉस्पिटल लाया गया था

जिस समय Shahnawaz Pradhan को स्ट्रेचर पर हॉस्पिटल लेकर जाया गया, उसी समय वहां पर टीवी एक्ट्रेस सुरभि तिवारी भी मौजूद थीं. वो अपने भाई के इलाज के लिए वहां पर थीं. उन्होंने नवभारत टाइम्स से बताया, ‘मेरा भाई कल शिवरात्रि के लिए कुछ सामान खरीदने गया था. उसका फोन आया कि उसका एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए जल्दी आओ. मैं और मम्मी तुरंत हॉस्पिटल (कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी) पहुंचे. वहां पर मेरे भाई के शोल्डर का एक्सरे होना था. उसमें टाइम लग रहा था। इतने में मैंने देखा कि स्ट्रेचर पर शाहनवाज प्रधान जी को लाया गया. उसमें से मेरे एक या दो ही जानकार लोग थे. उन्हें तुरंत अंदर लेकर गए. मेरे भाई और शाहनवाज जी का बेड एकदम अपोजिट था. बीच में थोड़ा-सा ही पार्टिशन था, इसलिए मैं सारी बात सुन पा रही थी.’

 

कुछ महीने पहले ही हुई थी बाई पास सर्जरी

सुरभि तिवारी ने आगे कहा, ‘डॉक्टर बोल रहे थे कि उनका (शाहनवाज प्रधान) पल्स नहीं मिल रहा है. उनका हार्ट बिल्कुल काम नहीं कर रहा है. फिर उनको अंदर लेकर गए बोला कि हम उनको रिवाइव करने की कोशिश कर रहे हैं. हम देखते हैं कि क्या कर सकते हैं. डॉक्टर ने पूछा कि आप लोग कहां थे? किसी ने बताया कि वो किसी फंक्शन में थे, जहां पर उनको कोलैप्स हुआ. बाद में मैंने पूछा कि कैसे हो गया ये? तो बताया कि उनको हार्ट अटैक आया था. थोड़े महीने पहले उनका बाई पास सर्जरी हुआ था.’ बता दें कि सुरभि तिवारी ने शाहनवाज प्रधान के साथ 2-3 टीवी शोज में साथ काम किया था. उन्होंने बताया कि वो बहुत अच्छे इंसान थे. वो मैसेज करते रहते थे. बताया जा रहा है कि उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार आज (18 फरवरी) होगा.

 

सेलेब्स ने कहा- भाई आखिरी सलाम

शाहनवाज के निधन की खबर सुनकर फिल्म जगत में शोक की लहर है. फेमस एक्टर राजेश तैलंग, जोकि खुद ‘मिर्जापुर’ में अहम किरदार निभा चुके हैं, उन्होंने सोशल मीडिया पर दुख जताते हुए लिखा, ‘शाहनवाज भाई आखिरी सलाम!!! क्या गजब के जहीन इंसान और कितने बेहतर अदाकार थे आप. मिर्जापुर के दौरान कितना सुंदर वक्त गुजरा आपके साथ, यकीन नहीं हो रहा.’

तारक मेहता में हुई नये टप्पू की एंट्री,भड़के दर्शक बोलें- ‘बंद करो इसे’

टीवी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा लगातार किसी न किसी वजह से चर्चा में बना हुआ है. इस सीरियल को टेलीकास्ट होते हुए 14 साल हो गए हैं और इतने समय में इस सीरियल को कई कलाकारों ने अलविदा कह दिया है. एक्टर राज अनादकट (Raj Anadkat) सीरियल में टप्पू का किरदार निभा रहे थे, जो शो को छोड़कर जा चुके हैं और अब तारक मेहता का उल्टा चश्मा में नए टप्पू के रूप में एक्टर नीतीश भलूनी (Nitish Bhaluni) की एंट्री हुई है. कुछ समय पहले ही शो के मेकर्स ने नीतीश की ऑफिशियल एंट्री का ऐलान किया, जिसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इस सीरियल के मेकर्स ट्रोल हो रहे हैं.

 

 

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ट्रोल हुए मेकर्स

दरअसल, तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Tarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) को साल 2017 में दिशा वकानी ने अलविदा कहा था, जिसके बाद इस सीरियल को कई पॉपुलर चेहरों ने टाटा बाय बाय कह दिया है. एक समय पर फैंस तक कलाकारों के जाने पर सवाल उठाने लगे थे और इन सब चीजों के बीच राज अनादकट ने भी शो को छोड़ने का फैसला लिया, जिस वजह से दर्शकों का कहना है कि अब तारक मेहता का उल्टा चश्मा को बंद कर देना चाहिए. सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, ‘कैरेक्टर इतने बदल रहे हैं. शो ही बदल दो यार.’ दूसरे ने लिखा, ‘अरे बंद कर बंद कर शो.’ इसी तरह एक और यूजर ने लिखा, ‘अब कुछ नहीं बचा शो में. बस जेठालाल की वजह से ही टिका हुआ है.’ वहीं, कुछ यूजर्स का यह भी कहना है कि सीरियल कचरा कर दिया.

 

कौन हैं नीतीश भलूनी?

बता दें कि 25 साल के नीतीश भलूनी ने कुछ समय पहले ही एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा है. वह मेरी डोली मेरे अंगना में नजर आए थे. इसके अलावा, उन्होंने पंकज त्रिपाठी की वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस में भी काम किया है. वह सीरीज के कुछ एपिसोड में थे.

शो में जल्द लौटेगी दयाबेन

इसके आगे असित मोदी ने कहा कि अब उनका एक पारिवारिक जीवन है और वो अपने पारिवारिक जीवन को प्राथमिकता दे रही हैं. इसी वजह से उनका आना मुश्किल लग रहा है। लेकिन अब टप्पू आ गया है. तो अब नई दया भाभी भी जल्दी आएगी. दया भाभी का वही गरबा, डांडिया, सब गोकुलधाम सोसाइटी में शुरू होगा. थोड़ा समय इंतजार कीजिए. दया भाभी के किरदार के लिए कलाकार को ढूंढना भी एक मुश्किल काम है और हमें रोज एपिसोड भी बनाना होता है. इसी वजह से इस पर काम इतना धीरे चल रहा है. लेकिन मैं दर्शकों की मांग को समझता हूं कि दया भाभी को मिस कर रहा हैं. मैं और मेरा परिवार भी मिस करता है. अभी ज्यादा देर नहीं हुई है. अब दया भाभी जल्दी दिखेंगी। बता दें कि दिशा वकानी ने साल 2017 में इस सीरियल को अलविदा कहा था, जिसके बाद से ही वह अपनी निजी जिदंगी में बिजी हैं. एक्ट्रेस दो बच्चों की मां बन गई हैं.

सर्दी में रूखी फेस स्किन की देखभाल

दे खते ही देखते मौसम करवट बदलने लगा है. कड़ाके की ठंड पड़ रही है. बदलाव का यह मौसम हमें सुकून तो देता है पर साथ ही यह चेतावनी भी देता है कि सर्दी में अपनी फेस स्किन की देखभाल करते रहना जरूरी है सर्दी में भी आप का चेहरा रूखेपन का एहसास करा देगा.

घबराने की कोई बात नहीं है. अब बाजार में कई तरह की प्रसाधन सामग्रियां आसानी से मिल जाती हैं जो आप की फेस स्किन के रूखेपन को दूर कर देंगी पर अगर कोरोना के चलते आप बाजार की खाक नहीं छानना चाहती हैं तो घर पर भी कुछ चीजों के इस्तेमाल से अपने फेस की बिगड़ती स्किन को बेहतर बना सकती हैं.

इस बारे में डाइटीशियन और मेकअप आर्टिस्ट नेहा सागर ने बताया, ‘‘हर तरह की फेस स्किन के लिए महिलाएं घर में ही काम आने वाली कई चीजों से फेसमास्क बना सकती हैं.

‘‘अगर आप की औयली स्किन है तो बेसन, हलदी, दही, मुलतानी मिट्टी, टमाटर, खीरा, गुलाबजल और नीबू जैसी चीजों को फेसपैक बनाने के लिए यूज कर सकती हैं.

‘‘मुलतानी मिट्टी या बेसन (1 टेबल स्पून) में कुछ भी सामग्री मिला कर हफ्ते में 2-3 बार लगा सकती हैं. हफ्ते में 2-3 बार एक टमाटर की स्लाइस को फेस पर रब कर के और सूखने पर उसे नौर्मल पानी से धो लें.

‘‘अगर आप की नौर्मल और कौम्बिनेशन स्किन है तो चंदन पाउडर, कच्चा दूध, चावल का आटा, बेसन, गुलाबजल, खीरे के रस या नीबू और दही का इस्तेमाल किया जा सकता है.

‘‘चावल के आटे में बेसन के साथ दूध, दही या गुलाबजल मिला कर हफ्ते में 3-4 बार इस्तेमाल कर सकती हैं.’’

सर्दी आतेआते फेस स्किन सूखी होने लगती है और जिन की स्किन हमेशा सूखी रहती है उन्हें और भी ज्यादा दिक्कत होती है.

ड्राई स्किन के बारे में नेहा सागर ने बताया, ‘‘सूखी फेस स्किन के लिए सब से अच्छा औप्शन शहद होता है. 1-2 टेबल स्पून गुलाबजल, एक टेबल स्पून शहद और 2-3 बूंदें नीबू के रस की (अगर चाहें तो) मिला कर रोजाना 15 मिनट के लिए लगाएं. इस से चेहरे पर चमक आती है और शहद सूखी त्वचा को न्यूट्रिशन देता है.

‘‘इस के अलावा दही में एक चुटकी हलदी मिला कर रोजाना चेहरे पर लगा सकती हैं और बाद में चेहरे को साफ करने के लिए फेसवाश या क्लींजर इस्तेमाल करें या नौर्मल दूध भी यूज कर सकती हैं. इस के अलावा बादाम को दरदरा पीस कर घर में ही स्क्रब बना सकती हैं.

‘‘जिन महिलाओं की सैंसिटिव स्किन होती है उन्हें अपना खास खयाल रखना चाहिए, क्योंकि उन पर बहुत कम चीजें सूट करती हैं. उन्हें भीगे हुए चावल के पानी को टोनर की तरह इस्तेमाल करना चाहिए या चावल के पानी में मुलतानी मिट्टी और चंदन पाउडर मिला कर हफ्ते में 2 बार लगाया जा सकता है.

फैमिली के लिए बनाएं साबूदाना टिक्की

अगर आप भी फलाहार में बनाइए कुछ टेस्टी और हेल्दी बनाना चाहते हैं तो साबूदाना टिक्की आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. आज हम आपको साबूदाना टिक्की की खास रेसिपी बताएंगे, जिसे आप गरबे के दौरान बनाकर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को सर्व कर सकती हैं.

हमें चाहिए

साबूदाना – आधा कप (6 घंटे भीगा हुआ),

आलू – 02 कप (उबले हुए),

दही– 01 कप फेटा हुआ

कुटु का आटा– 2 बड़े चम्मच,

मूंगफली के दाने– 02 बड़े चम्मच,

हरी मिर्च– 02 बारीक़ कटी हुई

गरम मसाला– 01 छोटा चम्मच,

मिर्च पाउडर– 1/2 छोटा चम्मच,

हरी चटनी– आवश्‍यकतानुसार,

मीठी चटनी– आवश्‍यकतानुसार,

सेंधा नमक– स्वादानुसार,

रिफाइंड तेल– तलने के लिए

बनाने का तरीका

सबसे पहले उबले हुए आलुओं को छील कर मैश कर लें. मूंगफली के दानों को दरदरा पीस लें और दही को अच्‍छी तरह से फेंट लें.

अब एक बड़े बर्तन में मैश किये हुए आलू, भीगा हुआ साबूदाना, पिसे हुए मूंगफली के दाने, कुटु का आटा और सभी मसाले डाल कर अच्‍छे से मिक्स कर लें.

इसके बाद हाथों को पानी में गीला करके एक बड़े नींबू के आकार का मिश्रण लें और उसे गोल बनाकर हथेली के बीच में दबाएं और चपटा कर लें. ऐसे ही सारे मिश्रण की टिक्‍की बना लें.

अब एक कड़ाई में रिफइंड डाल कर गर्म करें. तेल गर्म होने पर आंच धीमी कर दें. तेल में जितनी टिक्‍की आएं, उतनी डालें और उलट-पुलट कर गोल्‍डेन फ्राई कर लें. ऐसे ही सारी टिक्‍की तल लें और गरमागरम चटनी के साथ सर्व करें.

Valentine’s Special: मन का बोझ- क्या हुआ आखिर अवनि और अंबर के बीच

अंबर से उस के विवाह को हुए एक माह होने को आया था. इस दौरान कितनी नाटकीय घटना या कितने सपने सच हुए थे. इस घटनाक्रम को अवनि ने बहुत नजदीक से जाना था. अगर ऐसा न होता तो निखिला से विवाह होतेहोते अंबर उस का कैसे हो जाता? हां, सच ही तो था यह. विवाह से एक दिन पहले तक किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि निखिला की जगह अवनि दुलहन बन कर विवाहमंडप में बैठेगी. विवाह की तैयारियां लगभग पूर्ण हो चुकी थीं. सारे मेहमान आ चुके थे. अचानक ही इस समाचार ने सब को बुरी तरह चौंका दिया था कि भावी वधू यानी निखिला ने अपने सहकर्मी विधु से कचहरी में विवाह कर लिया है. सब हतप्रभ रह गए थे. खुशी के मौके पर यह कैसी अनहोनी हो गई थी.

अंबर तो बुरी तरह हैरान, परेशान हो गया था. अमेरिका से उस की बहन शालिनी आई हुई थी और विवाह के ठीक 2 दिन बाद उस की वापसी का टिकट आरक्षित था. मांजी की आंखों में पढ़ी- लिखी, सुंदर बहू के आने का जो सपना तैर रहा था वह क्षण भर में बिखर गया था. वैसे ही अकसर बीमार रहती थीं. अब सब यही सोच रहे थे कि कहीं से जल्दी से जल्दी दूसरी लड़की को अंबर के लिए ढूंढ़ा जाए, लेकिन मांजी नहीं चाहती थीं कि जल्दबाजी में उन के सुयोग्य बेटे के गले कोई ऐसीवैसी लड़की बांध दी जाए.

अंबर के ही मकान में किराएदार की हैसियत से रहने वाली साधारण सी लड़की अवनि तो अपने को अंबर के योग्य कभी भी नहीं समझती थी. वैसे अंबर को उस ने चाहा था, पर उसे सदैव के लिए पाने की इच्छा वह जुटा ही नहीं पाती थी. वह सोचती थी, ‘कहां अंबर और कहां वह. कितना सुदर्शन और शिक्षित है अंबर. इतना बड़ा इंजीनियर हो कर भी पद का घमंड उसे कतई नहीं है. सुंदर से सुंदर लड़की उसे पा कर गर्व कर सकती है और वह तो रूप और शिक्षा दोनों में ही साधारण है.’

अवनि तो एकाएक चौंक ही गई थी मां से सुन कर, ‘‘सुना तुम ने अवनि, अंबर की मां ने अंबर के लिए तुझे मांगा है. चल जल्दी से दुलहन बनने की तैयारी कर और हां…सरला बहन 5 मिनट के लिए तुम से मिलना चाहती हैं.’’ अवनि तो जैसे जड़ हो गई थी. उस का सपना इस प्रकार साकार हो जाएगा, ऐसा तो उस ने सोचा भी न था. अचानक उस की आंखों से आंसू बहने लगे तो उस की मां घबरा गईं, ‘‘क्या बात है, अवनि, क्या तुझे अंबर पसंद नहीं? सच बता बेटी, तू क्यों रो रही है?’’

‘‘कुछ नहीं मां, बस ऐसे ही दिल घबरा सा गया था.’’ तभी मांजी कमरे में आ गईं, ‘‘अवनि, बता तुझे यह विवाह मंजूर है न? देखो, कोई जबरदस्ती नहीं है. अंबर से भी मैं ने पूछ लिया है. इतने सारे चिरपरिचित चेहरों में मुझे तुम ही अपनी बहू बनाने योग्य लगी हो. इनकार मत करना बेटी.’’

‘‘यह आप क्या कह रही हैं, मांजी,’’ इस से आगे अवनि एक शब्द भी न कह सकी और आगे बढ़ कर उस ने मांजी के चरण छू लिए. अगले दिन विवाह भी हो गया. कैसे सब एकदम से घटित हो गया, आज भी अवनि समझ नहीं पाती. वह दिन भी उसे अच्छी तरह याद है जब अंबर की बहन नेहा और अंबर लड़की देखने गए थे. आते ही नेहा ने उसे नीचे से आवाज लगाई थी, ‘‘अवनि दीदी, नीचे आओ.’’

‘‘क्या है, नेहा?’’ नीचे आ कर उस ने पूछा, ‘‘बड़ी खुश नजर आ रही हो.’’ ‘‘खुश तो होना ही है दीदी, अपने लिए भाभी जो पसंद कर के आ रही हूं.’’

‘‘सच, क्या नाम है उन का?’’ ‘‘निखिला, बड़ी सुंदर है मेरी भाभी.’’

‘‘यह तो बड़ी खुशी की बात है. बधाई हो नेहा…और आप को भी,’’ पास बैठे मंदमंद मुसकरा रहे अंबर की ओर मुखातिब हो कर अवनि ने कहा था. ‘‘धन्यवाद अवनि,’’ कह कर अंबर दूसरे कमरे में चला गया था.

अंबर की खुशी से अवनि भी खुश थी. कैसा विचित्र प्यार था उस का, जिसे चाहती थी उसे पाने की कामना नहीं करती थी, पर अपने मन की थाह तक वह खुद ही नहीं पहुंच सकी थी. बस एक ही तो चाह थी कि अंबर हमेशा खुश रहे. एक ही घर में रहने के कारण अवनि का रोज ही तो अंबर से मिलना होता था. अंबर के परिवार में थे नेहा, मांजी, अंबर, छोटा भाई सृजन तथा शालिनी दीदी, जो विवाह होने के बाद अमेरिका में रह रही थीं. सृजन बाहर छात्रावास में रह कर पढ़ाई कर रहा था. अंबर तो अकसर दौरों पर रहता था.

पर अंबर को देखते ही अवनि उन के घर से खिसक आती थी. शांत, सौम्य सा व्यक्तित्व था उस का, परंतु उस की उपस्थिति में अवनि की मुखरता, जड़ता का रूप ले लेती थी. वैसे जब कभी भी अनजाने में अंबर की आंखें अवनि को अपने पर टिकी सी लगतीं, वह सिहर जाती थी. जाने कब उसे अंबर बहुत अच्छा लगने लगा था. अंबर के मन तक उस की पहुंच नहीं थी. कभीकभी उसे लगता भी था कि अंबर के मन में भी एक कोमल कोना उस के लिए है. फिर वह सोचने लगती, ‘नहीं, भला अंबर व अवनि (धरती) का भी कभी मिलन हुआ है.’ जब कभी दौरे से लौटने में अंबर को देर हो जाती तो मांजी और नेहा के साथसाथ अवनि भी चिंतित हो जाती थी. कभीकभी उसे खुद ही आश्चर्य होता था कि आखिर वह अंबर की इतनी चिंता क्यों करती है, भला उस का क्या रिश्ता है उस से? कहीं उस की आंखों में किसी ने प्रेम की भाषा पढ़ ली तो? फिर वह स्वयं ही अपने मन को समझाती, ‘जो राह मंजिल तक न पहुंचा सके, उस पर चलना ही नहीं चाहिए.’

अवनि भी तो खुशीखुशी अंबर के विवाह की तैयारियां नेहा के साथ मिल कर कर रही थी. विवाह का अधिकांश सामान नेहा और उस ने मिल कर ही खरीदा था. निखिला की हर साड़ी पर उस की स्वीकृति की मुहर लगी थी. अवनि का दिल चुपके से चटका था, पर उस की आवाज किसी ने नहीं सुनी थी. आंसू आंखों में ही छिप कर ठहर गए थे. बाबूजी उस के लिए भी लड़का ढूंढ़ रहे थे. पर संयोगिक घटनाओं की विचित्रता को भला कौन समझ सकता है. नेहा और मांजी ने उसे खुले मन से स्वीकार कर लिया था. मांजी का तो बहूबहू कहते मुंह न थकता था.

एक अंबर ही ऐसा था जिसे पा कर भी अवनि उस के मन तक नहीं पहुंची थी. शादी के बाद वह कुछ ज्यादा ही व्यस्त दिखाई दे रहा था. कितना चाहा था अवनि ने कि अंबर से दो घड़ी मन की बातें कर ले. उस के मन पर एक बोझ था कि कहीं अंबर उसे पा कर नाखुश तो नहीं था. वैसे भी परिस्थितियों से समझौता कर के किसी को स्वीकार करना, स्वीकार करना तो नहीं कहा जा सकता. हो सकता है मांजी और शालिनी दीदी ने उस पर दबाव डाला हो या अपनी मां के स्वास्थ्य का खयाल कर के उस ने शादी कर ली हो.

अवनि के परिवार ने विवाह के दूसरे दिन ही अपने लिए दूसरा मकान किराए पर ले लिया था. शालिनी दीदी को भी दूसरे दिन दिल्ली जाना था. अंबर उन्हें छोड़ने चला गया था. मेहमान भी लगभग जा चुके थे.

अवनि मांजी के पास रहते हुए भी मानो कहीं दूर थी. काश, वह किसी भी तरह अंबर के मन तक पहुंच पाती. दिल्ली से लौट कर अंबर अपने दफ्तर के कामों में व्यस्त हो गया था. स्वयं तो अवनि अंबर से कुछ पूछने का साहस ही नहीं जुटा पा रही थी. प्रारंभ में अंबर की व्यस्ततावश और फिर संकोचवश चाह कर भी वह कुछ न पूछ सकी थी. अंबर भी अपने मन की बातें उस से कम ही करता था. इस से भी अवनि का मन और अधिक शंकित हो जाता था कि पता नहीं अंबर उसे पसंद करता है या नहीं.

अंबर शायद मन से अवनि को स्वीकार नहीं कर पाया था. वैसे वह उस के सामने सामान्य ही बने रहने का प्रयास करता था. कभी भी उस ने अपने मन के अनमनेपन को अवनि को महसूस नहीं होने दिया था. ऊपरी तौर से उसे अवनि में कोई कमी दिखती भी नहीं थी, पर जबजब वह उस की तुलना निखिला से करता तो कुछ परेशान हो जाता. निखिला की सुंदरता, योग्यता आदि सभी कुछ तो उस के मन के अनुकूल था. अवनि को अंबर प्रारंभ से ही एक अच्छी लड़की के रूप में पसंद करता था, पर जीवनसाथी बनाने की कल्पना तो उस ने कभी नहीं की थी. सबकुछ कितने अप्रत्याशित ढंग से घटित हो गया था.

दिन बीत रहे थे. धीरेधीरे अवनि का सुंदर, सरल रूप अंबर के समक्ष उद्घाटित होता जा रहा था. घरभर को अवनि ने अपने मधुर व्यवहार से मोह लिया था. मांजी और नेहा उस की प्रशंसा करते न थकती थीं. उस के समस्त गुण अब साथ रहने से अंबर के सामने आ रहे थे, जिन्हें वह पहले एक ही घर में रहने पर भी नहीं देख पाया था. उन दिनों नेहा की परीक्षाएं चल रही थीं और मां भी अस्वस्थ थीं. अवनि के पिताजी एकाएक उसे लेने आ गए थे, क्योंकि उन्होंने नया घर बनवाया था. पीहर जाने की लालसा किस लड़की में नहीं होती, पर अवनि ने जाने से इनकार कर दिया था. मांजी ने कहा था, ‘‘चली जाओ, दोचार दिन की ही तो बात है, सब ठीक हो जाएगा.’’

पर अवनि ही तैयार नहीं हुई थी. वह नहीं चाहती थी कि नेहा की पढ़ाई में व्यवधान पड़े. अंबर सोचने लगा, जिस तरह अवनि ने उस के घरपरिवार के साथ सामंजस्य बैठा लिया था, क्या निखिला भी वैसा कर पाती? मांबाप की इकलौती बेटी, धनऐश्वर्य, लाड़प्यार में पली, उच्च शिक्षित, रूपगर्विता निखिला क्या इतना कुछ कर सकती थी? शायद कभी नहीं. वह व्यर्थ ही भटक रहा था. जो कुछ भी हुआ, ठीक ही हुआ. अंबर अब महसूस करने लगा था कि मां ने सोचसमझ कर ही अवनि का हाथ उस के हाथ में दिया था.

फिर एक दिन स्वयं ही अंबर कह उठा था, ‘‘सच अवनि, मैं बहुत खुश हूं कि मुझे तुम्हारे जैसी पत्नी मिली. वैसे तुम से मेरा विवाह होना आज भी स्वप्न जैसा ही लगता है.’’ ‘‘क्या आप को निखिला से विवाह टूटने का दुख नहीं हुआ. कहां निखिला और कहां मैं.’’

‘‘नहीं अवनि, ऐसा नहीं है,’’ अंबर ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘निखिला से जब मेरा रिश्ता तय हुआ तो उस से लगाव भी स्वाभाविक रूप से हो गया था. फिर शादी से एक दिन पूर्व ही रिश्ता टूटने से ठेस भी बहुत लगी थी. वैसे भी निखिला से मैं काफी प्रभावित था. ‘‘सच कहूं, प्रारंभ में मैं एकाएक तुम से विवाह हो जाने पर बहुत प्रसन्न हुआ हूं, ऐसा नहीं था क्योंकि एक ही घर में रहते हुए तुम्हें जानता तो था, पर उतना नहीं, जितना तुम्हें अपनी सहचरी बना कर जाना. तुम्हारे वास्तविक गुण भी तभी मेरे सामने आए. तुम्हें एक अच्छी लड़की के रूप में मैं सदा ही पसंद करता रहा था. तुम्हारी सौम्यता मेरे आकर्षण का केंद्र भी रही थी, पर विवाह करने का मेरा मापदंड दूसरा ही था. इसीलिए मैं शायद तुम्हारे गुणों व नैसर्गिक सौंदर्य को अनदेखा करता रहा था, पर अब मुझे एहसास हो रहा है कि शायद मैं ही गलत था.

‘‘वैसे भी अवनि और अंबर को तो एक दिन क्षितिज पर मिलना ही था,’’ अंबर ने मुसकराते हुए कहा. ‘‘सच,’’ अंबर की स्पष्ट रूप से कही गई बातों से अवनि के मन का बोझ भी उतर गया था.

Serial Story: अंत भला तो सब भला – भाग 4

विनय सर की बात सुन कर सासससुर को तो जैसे सांप सूंघ गया. उन्होंने ऐसी चुप्पी लगाई कि आधे घंटे तक इंतजार के बाद भी विनय सर कोई उत्तर न पा सके और चुपचाप उठ कर चले गए. उस के बाद घर का माहौल अजीब सा हो गया. सासससुर ने उस से बातचीत करनी बंद कर दी. एक दिन जब ग्रीष्मा स्कूल से लौटी तो सासससुर का आपसी वार्त्तालाप उस के कानों में पड़ा. ‘‘देखो तो हम ने हमेशा इसे अपनी बेटी समझा और आज इस ने हमें ही बेसहारा करने की ठान ली. बेटे के जाते ही इस ने रंगरलियां मनानी शुरू कर दीं और ऊपर से लड़का भी छोटी जाति का. हम ब्राह्मण. क्या इज्जत रह जाएगी समाज में हमारी? कैसे सब को मुंह दिखाएंगे? इस ने तो हमें कहीं का नहीं छोड़ा..सही ही कहा जाता है कि बहू कभी अपनी नहीं हो सकती,’’ कहते हुए सास ससुर के सामने रो रही थीं.

सासससुर की यह मनोदशा देख ग्रीष्मा का मन जारजार रोने को हो चला. वह सोचने लगी कि यह क्या तूफान ला दिया सर ने उस की जिंदगी में. सासससुर शायद अपने भविष्य को ले कर चिंतित हो उठे थे. सच भी है वृद्धावस्था में असुरक्षा की भावना के कारण इंसान अपनी वास्तविक उम्र से अधिक का दिखने लगता है. वहीं बेटेबहू और नातीपोतों के भरेपूरे परिवार में रहने वाला इंसान अपनी उम्र से कम का ही लगता है.

किसी तरह रात काट कर वह स्कूल पहुंची. बिना कुछ सोचे सीधी सर के कैबिन में पहुंची और बोली, ‘‘कभीकभी इंसान अच्छा करने चलता है और कर उस का बुरा देता है. वही आप ने मेरे साथ किया है.’’

‘‘क्या हुआ?’’ सर ने उत्सुकतावश पूछा. ‘‘सब गड़गड़ हो गया है. शाम को आप कौफी हाउस में मिलिए. वहां बताती हूं.’’

स्कूल की छुट्टी के बाद कौफी हाउस में उस ने सारी बात सर को बता दी. सर कुछ देर गंभीरतापूर्वक सोचते रहे फिर बोले, ‘‘मैं शाम को घर आता हूं.’’

‘‘आप आएंगे तो वे और अधिक क्रोधित हो जाएंगे…उन्हें आप की जाति से भी तो समस्या है…’’ ‘‘अरे कुछ नहीं होगा, मुझ पर भरोसा रखो, अभी तुम जाओ.’’

लगभग 7 बजे विनय सर घर आए तो हमेशा हंस कर उन का स्वागतसत्कार करने वाले सासससुर आज उन के साथ अजनबियों सा व्यवहार कर रहे थे जैसे वे कोई बहुत बड़े अपराधी हों. पर विनय सर ने सदा की भांति उन के पांव छुए और कुछ औपचारिक बातचीत के बाद बाबूजी का हाथ अपने हाथ में ले कर बोले, ‘‘बाबूजी, क्या मैं आप का बेटा नहीं बन सकता? यदि आप अपनी बहू को बेटी बना कर इतना प्यार दे सकते हो कि वह अपने से पहले आप के बारे में सोचे, तो क्या मैं जिंदगी भर के लिए आप की बेटी का सहयोगी नहीं बन सकता? मैं मानता हूं कि मेरी जाति आप की जाति से भिन्न है, परंतु क्या जाति ही सब कुछ है बाबूजी? मैं और आप की बहू मिल कर इस घर की सारी जिम्मेदारियां उठाएंगे.’’ ‘‘वह अपनी मरजी की मालिक है. हम ने उसे कब रोका है? उस की जिंदगी उसे कैसे बितानी है, इस का निर्णय लेने के लिए वह पूरी तरह स्वतंत्र है,’’ ससुर ने अपनी बात रखते हुए कठोर स्वर में कहा और कमरे में चल गए.

‘‘बहू और कुणाल के जाने से हम तो बिलकुल अकेले हो जाएंगे. इस बुढ़ापे में हमारा क्या होगा? बेटा तो पहले ही साथ छोड़ गया और अब बहू भी…’’ कह कर सासूमां तो सर के सामने ही फूटफूट कर रोने लगीं. विनय सर मां के पास जा कर बोले, ‘‘मां आप ने यह कैसे सोच लिया कि मैं आप की बहू और पोते को ले कर अलग रहूंगा. मैं तो यहीं आप सब के साथ इसी घर में रहूंगा. आप की बहू ने तो सर्वप्रथम यही शर्त रखी थी कि मांबाबूजी उस की जिम्मेदारी हैं और वह उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकती. मैं तो आप सब के जीवन का हिस्सा भर बनना चाहता हूं.

‘‘मैं सिर्फ आप की बेटी की जिम्मेदारियों में उस का हाथ बंटाना चाहता हूं. मुझ पर भरोसा रखिए. आजीवन आप को निराश नहीं करूंगा. यदि आप मुझे अपनाते हैं तो मुझे एकसाथ कई रिश्ते जीने को मिलेंगे. मेरा भी एक भरापूरा पूरिवार होगा. मेरा इस संसार में कोई नहीं है. कभीकभी अकेलापन काटने को दौड़ता है. मैं तो आप का बेटा बन कर रहना चाहता हूं. आप के जीवन की समस्त परेशानियों को अपने ऊपर ले कर आप का जीवन खुशियों से भर देना चाहता हूं. परंतु यह सब होगा तभी जब आप और बाबूजी की अनुमति होगी,’’ कह कर विनय सर बाहर चले गए. कुछ विचार करते हुए ससुर विश्वनाथ अपनी पत्नी से बोले, ‘‘मुझे लगता है हमें इन दोनों की शादी करा देनी चाहिए.’’

‘‘कैसी बातें करते हो? हम ब्राह्मण और वह नीची जाति का… नहीं, मुझे तो कुछ ठीक नहीं लग रहा,’’ सास कुछ उत्तेजित स्वर में बोलीं.

‘‘जाति को खुद से चिपका कर क्या मिलेगा हमें? ऊंचीनीची जाति से क्या फर्क पड़ता है हमें? हमारा तो बुढ़ापा अच्छा कटना चाहिए. बेचारी बहू कब तक दे पाएगी हमारा साथ. दोनों कमाएंगे और मिल कर जिम्मेदारियां उठाएंगे तभी तो हम चैन से रह पाएंगे.’’

‘‘यह बात तो आप की सही है… हमें जाति से क्या करना. इंसान तो विनय अच्छा ही है. हमें मातापिता सा मान भी देता है,’’ सास ने भी अपने पति के सुर में सुर मिलाते हुए कहा. अगले दिन रविवार था, सुबहसुबह ही विश्वनाथ ने विनय को फोन कर के बुला लिया. जैसे ही विनय आए औपचारिक वार्त्तालाप के बाद वे बोले, ‘‘बेटा, हम ने तुम्हें गलत समझा. शायद हम स्वार्थी हो गए थे. क्या करें बेटा बुढ़ापा ऐसी चीज है जो आदमी को स्वार्थी बना देती है.

‘‘वृद्ध सब से पहले अपनी सुरक्षा और हितों के बारे में सोचने लगते हैं. हम ने भी अपनी बेटे जैसी बहू के भविष्य के बारे में न सोच कर सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में ही सोचा, जबकि उस ने सदा पहले हमारे बारे में सोचा. कौन कहता है कि बहू कभी बेटी नहीं हो सकती? मेरी बहू तो मिसाल है उन लोगों के लिए जो बहू और बेटी में फर्क करते हैं. ‘‘इस घर की बहू होने के बाद भी उस ने सदा बेटे की ही भांति सारे फर्ज निभाए हैं.

आज तक उस ने बस दुख ही दुख देखा है और आज जब तुम उस की झोली में खुशियां डालना चाहते हो, उस की जिम्मेदारियां बांटना चाहते हो, तो हम उस के मातापिता ही उस के बैरी हो गए. बस मेरी बेटी को सदा खुश रखना,’’ कह कर विश्वनाथ जी ने विनय सर के आगे हाथ जोड़ दिए.

परदे की ओट में खड़ी ग्रीष्मा सासससुर का यह बदला रूप देख कर हैरान थी. पर अंत भला तो सब भला सोच दौड़ कर अपने सासससुर के गले लग गई. ‘‘हम आप को कभी निराश नहीं करेंगे,’’ कह कर विनय सर और ग्रीष्मा ने झुक कर दोनों के जब पैर छुए तो विश्वनाथ और उन की पत्नी ने खुश हो कर अपने आशीष भरे हाथ उन की पीठ पर रख दिए.

पति फहद अहमद को ‘भाई’ कहने पर ट्रोल हो रही स्वरा भास्कर, लोगों ने किए ऐसे कमेंट

स्वरा भास्कर ने अपनी शादी की घोषणा करके सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया. एक्ट्रेस ने एक पोस्ट कर बताया कि वो राजनेता फहद अहमद के साथ शादी के बंधन में बंध गईं हैं. जोड़े ने 16 फरवरी को अपनी शादी रजिस्टर की और इस खास मौके को अपने परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों के साथ सेलिब्रेट किया. सोशल मीडिया पर अब स्वरा का एक पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अपने पति फहद को भाई कहकर संबोधित किया था.

 

 

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स्वरा भास्कर ने रचाई शादी

2 फरवरी, 2023 को स्वरा और फहद के बीच ट्विटर पर एक हल्का फुल्का मजाक हुआ. फहद का बर्थडे था और स्वरा ने समाजवादी पार्टी के यूथ विंग, समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष को हार्दिक शुभकामनाएं दीं थीं. स्वरा ने ट्वीट में लिखा, ‘हैप्पी बर्थडे फहाद मियां! भाई का आत्मविश्वास बरकरार रहे, फहद अहमद खुश रहो, सेटल हो जाओ.. तुम बूढ़े हो रहे हो, अब शादी करो. तुम्हारा बर्थडे और साल, शानदार रहे दोस्त।’

 

 

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स्वरा भास्कर को बधाई दे रहे फैंस

स्वरा भास्कर की शादी की खबर से फैंस भी काफी खुश हैं. एक्ट्रेस के पोस्ट पर लोग जबरदस्त तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं स्वरा के पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, “आखिरकार, यह आपके फेवरेट सीरीज का इंतजार करने जैसा था. आप दोनों को बहुत-बहुत बधाइयां. भगवान आप पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें और आप दोनों हमेशा खुश रहें.” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “शादी मुबारक, विरोध और राजनीति में पैदा हुई प्रेम कहानियां हमेशा खास होती हैं.”

फहद को कहा था भैया

जिस पर फहद ने जवाब दिया था, ‘शुक्रिया जर्रानवाजी का दोस्त भाई के कॉन्फिडेंस ने तो झंडे गाड़े है वो तो बरकरार रहना जरूरी है और हां, तुमने वादा किया था तुम मेरी शादी में आओगी तो वक़्त निकालो…लड़की मैंने ढूंढ ली है..

2 फरवरी की ट्वीट हो रही वायरल

सोशल मीडिया पर लोग हैरान है कि जब इन दोनों ने शादी का तय कर लिया था तो इंटरनेट पर एक दूसरे को भाई-बहन क्यों बोल रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘भैय्या से सीधा सैयां,’ जबकि दूसरे यूजर ने कमेंट किया, ‘अरे तुम दोनो तो भाई बहन थे ना.’ एक अन्य यूजर ने कहा, ‘मतलब खिचड़ी पहले से कुकर में थी..पाकी अब है…बधाई हो.’

फहद ने दिया था ये जवाब

स्वरा ने अपनी शादी की खबर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, ‘कभी-कभी आप दूर-दूर तक किसी ऐसी चीज की तलाश करते हैं, जो आपके बिल्कुल बगल में थी. हम प्यार की तलाश में थे, लेकिन हमें पहले दोस्ती मिली. और फिर हमने एक-दूसरे को पाया! मेरे दिल में आपका स्वागत है फहद…

शाहीन बाग प्रोटेस्ट के दौरान हुई थी मुलाकात

बताते चलें कि स्वरा भास्कर और फहाद अहमद ने 6 जनवरी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी रचाई थी. हालांकि शादी के लगभग डेढ़ महीने बाद स्वरा ने इस बात की जानकारी फैंस को दी है. बता दें कि स्वरा और फहाद की मुलाकात शाहीन बाग प्रोटेस्ट के दौरान हुई थी. प्रोटेस्ट में हिस्सा लेते-लेते स्वरा और फहाद में दोस्ती हुई और धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई.

अनुपमा को माया ने दिखाया घर के बाहर का रास्ता, बा पर फूटा राखी दवे का गुस्सा

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ ने लोगों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. शो में आए दिन ऐसे-ऐसे ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं, जिसने दर्शकों को भी हैरान करके रख दिया है. हालांकि ‘अनुपमा‘ (Anupama) में आ रहे मोड़ के लिए खुद अनुपमा ही दर्शकों के निशाने पर आ गई है. बीते दिन भी रुपाली गांगुली के शो में दिखाया गया कि बा रोते-बिलखते कपाड़िया हाउस पहुंच जाती हैं और अनुपमा को चलने के लिए बोलती हैं. अनुपमा के तैयार हो जाने पर अनुज हताश हो जाता है और उसकी ओर देखता तक नहीं है. लेकिन रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ में आने वाले मोड़ यहीं पर खत्म नहीं होते हैं.

 

अनुपमा की पीठ पीछे साजिशों को अंजाम देगी माया

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और गौरव खन्ना के ‘अनुपमा’ में दिखाया जाएगा कि अनुपमा छोटी अनु के हाथ पर संदेश लिखती है और अनुज के लिए आई लव यू का मैसेज छोड़ती है. लेकिन माया मौका मिलते ही वो संदेश हटा देती है. इतना ही नहीं, वह खुद अनुपमा का सामान पैक करके उसे शाह हाउस भेजती है. वहीं अनुपमा के जाने से अनुज के चेहरे पर नाराजगी छा जाती है, लेकिन अनुपमा मुड़कर भी उसकी ओर नहीं देखती.

 

अनुज के कान भरेंगे बरखा और अंकुश

एंटरटेनमेंट से भरपूर ‘अनुपमा‘ में दिखाया जाएगा कि अनुपमा के जाने से अनुज परेशान होता है. ऐसे में बरखा और अंकुश भी उसके कान भरने से पीछे नहीं हटते. वह अनुज से कहते हैं कि वह तुम्हें और अनुपमा को गालियां देते हैं और जरूरत पड़ने पर उसे लेकर चले जाते हैं. अंकुश, अनुज को समझाता है कि उसे भी अनुपमा को ना बोलना सीखना होगा. वहीं माया बार-बार अनुज को याद दिलाती है कि वह अनुपमा की गैर मौजूदगी में घर संभाल लेगी.

शाह हाउस में अनुपमा को देख चढ़ेगा बापूजी का पारा

गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में देखने को मिलेगा कि अनुपमा को शाह हाउस में देखकर बापूजी नाराजगी जाहिर करेंगे। वह बा पर चिल्लाएंगे कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. इसके साथ ही वह अनुपमा को भी वापिस जाने के लिए कहेंगे और बोलेंगे कि तेरा एक पति और बेटी भी है. बापूजी की बातों पर बा किंजल और काव्या को ताने मारती हैं कि इन दोनों से कुछ नहीं होता. इसपर राखी दवे उनकी बोलती बंद करती है और कहती है, “तीन-तीन घंटे लड़ाई करने में उम्र याद नहीं आती, वहां नहीं थकतीं.”

 

प्रेम और ब्रेकअप

मुंबई के शो वर्ल्ड में प्रेम और ब्रेकअप आम बात है पर अब यह खतरनाक भी बनता जा रहा है क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की तरह कोई भी ऐक्टर या ऐक्ट्रेस अगर सूसाइड कर ले तो उस के साथवालों पर पुलिस बड़ी मुस्तैदी से पीछे पड़ जाती है मानो देश व सोसायटी के साथ कोई साजिश का हिस्सा था यह सूसाइड. सुशांत सिंह राजपूत के मामले में धर्मभक्त टीवी चैनलों ने हफ्तों तक उस का गाना बजाबजा कर उसे राष्ट्रीय शोक साबित करने की कोशिश की. ऐसा ही अब टीवी सीरियलों में काम करने वाली तुनिशा शर्मा सूसाइड से हो सकता है जिस का अफेयर शीजान मोहम्मद खान और पार्थ जुत्शी के साथ चल रहा था. तूनिशा शर्मा ने कोई सूसाइड नोट नहीं छोड़ा. वसई में शूटिंग के दौरान ही वह एक बाथरूम में घुसी और वहां फांसी लगा कर जाने दे दी.

अब उस की मां इन दोनों ऐक्टरों को दोषी ठहरा रही है. और पुलिस को शो बिजनैस में दखल देने का एक अच्छा मौका मिला है जिसे वह पूरी तरह भुनाएगी. फिल्म और शो वर्ल्ड में कंपीटिशन बहुत ज्यादा होता है. ऐक्टर व ऐक्ट्रेस तुनकमिजाज भी होते हैं और अंदर से डरे भी रहते हैं कि कहीं शो या फिल्म पिट न जाए. वहीं, उन को खराब रोल न दे दिया जाए, कहीं उन का फ्रैंड किसी और के साथ गलबहियां न डालने लगे. यह दुनिया ऐसी ही है जिस में सफलता की गारंटी नहीं है. अच्छे से अच्छे को बुरे दिन देखने पड़ते है और ये बुरे दिन फाइनैंशियल स्ट्रैस भी डालते हैं और इमोशनल भी. जब भी बुरा वक्त होता है तब प्रेमी या प्रेमिका, जो रातभर बांहों में रहने को तैयार हो, अचानक फोन न उठाए तो बड़ी बात नहीं है. तुनिशा शर्मा इतनी बड़ी स्टार नहीं थी कि लोगों को उस के बारे में पहले से सबकुछ पता हो. पर अब सूसाइड करने के बाद खोदखोद कर पुरानी बातें निकाली जाएंगी और टीवी व प्रिंट मीडिया पर खूब मामला उछलेगा. असल में प्रेम में सूसाइड एक बहुत आम बात है क्योंकि प्रेमीप्रेमिका साथी को ले कर बहुत इमोशनल और पजैसिव हो जाते हैं. उन्हें एकदूसरे में न सुनने की आदत ही नहीं रहती है. इमोशनल मामलों में उन की डिपैंडेंसी बहुत ज्यादा होती है खासतौर पर जब साथी लोकप्रिय हो, जिस के साथ चलने पर लोग रश्क करते हों, जैलेसी से भर उठते हों. इन तीनों में से कौन ज्यादा पौपुलर है या था, इस बात को जाने दें. बात तो यह है कि तीनों स्मार्ट थे और जिन 2 की गहरी छन रही थी उन का मतभेद दूसरे या तीसरे को खाए, तो यह स्वाभाविक है. ऐसी आत्महत्याएं आम लोगों में भी होती रहती हैं. पर परिवार के सदस्य रोधो कर चुप हो जाते हैं क्योंकि किसी के ऊपर दोष लगाने में अपने प्रिय की ही मौत के बाद खिल्ली उड़ाना होता है. प्रेम करना अच्छा है पर प्रेम भी सोचसमझ कर करना चाहिए, फिल्मी या किताबी नहीं कि किसी को देखा और प्रेम हो गया और एकदूसरे के लिए जान हाजिर हो जाए. प्रेम बेस जमीन पर टिका होगा तो ही आनंददायक होगा और स्थिर होगा. दूसरे की सीमाएं समझना भी जरूरी है और ब्रेकअप के लिए तैयार रहना भी.

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