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Holi 2023: सदमा- आखिर कैसा रिश्ता था नेहा और शलभ का? भाग 1

शलभआज औफिस लेट पहुंचा था. तेजी से अपने कैबिन की तरफ बढ़ा तो ऐसा लगा जैसे बगल से मदमस्त खुशबू का ?ांका गुजरा हो. शलभ ने तुरंत मुड़ कर देखा. वह एक लड़की थी जिस के काले घुंघराले लंबे बाल नागन की तरह उस की पीठ पर लहरा रहे थे. वह लिफ्ट की तरह बढ़ गई थी. उसे पीछे से देख कर ही शलभ सम?ा गया था कि लड़की बेहद खूबसूरत है और औफिस में नई आई है.

अभी अपनी सीट पर बैठ कर उस ने 2-4 मेल ही किए थे कि वही लड़की दरवाजा नौक करने लगी. शलभ ने उसे अंदर आने का इशारा किया. हलके पीले टौप और ब्लू जींस में उस का सुनहरा रंग खिल उठा था. ऐसा लगा जैसे कमरे में रोशनी फैल गई हो.

हौले से मुसकराती हुई वह शलभ के सामने बैठ गई और बोली, ‘‘दरअसल मैं इस कंपनी की नई ब्रैंड मैनेजर हूं और कुछ औफिशियल डिस्कशन के लिए आई थी.’’

‘‘जरूर मगर पहले हम एकदूसरे का नाम जान लेते तो बेहतर होता…’’ शलभ ने एकटक उस की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘जी हां, सौरी मैं नाम बताना भूल गई. मेरा नाम नेहा है और आप का नाम मैं जानती हूं. काफी तारीफ भी सुनी है आप की.’’

‘‘रियली. वैसे बहुत प्यारा है आप का नाम.’’

‘‘थैंक्स.’’

फिर दोनों देर तक डिस्कशन करते रहे. शलभ को नेहा पहली नजर में ही पसंद आ गई. जल्द ही दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता बन गया. 1-2 महीने के अंदर ही वे लंच एकसाथ करने लगे और शाम में घर के लिए भी एकसाथ ही निकलते. शलभ अपनी कार में नेहा को उस के घर के पास ड्रौप करता और फिर आगे बढ़ जाता. न कभी नेहा ने उसे घर आने का न्योता दिया और न ही शलभ ने इस के लिए कोई इंटरैस्ट दिखाया. नेहा भी कभी शलभ के घर नहीं गई. वे एकदूसरे की पर्सनल लाइफ के बारे में कभी डिस्कशन नहीं करते थे. एक डिस्टैंस मैंटेन करते हुए भी दोनों एकदूसरे का साथ ऐंजौय कर रहे थे.

एक दिन शलभ ने बताया कि उसे औफिशियल मीटिंग के लिए हैदराबाद

जाना है. उस ने नेहा को भी साथ चलने की सलाह दी. नेहा ने अपने टीम हैड से बात की और इस ट्रिप को बिजनैस मीटिंग के रूप में अप्रूव करा लिया. हैदराबाद में दोनों अलगअलग कमरे में रुके. औफिशियल काम निबटाने के बाद दोनों ने हैदराबाद में बहुत अच्छा समय साथ बिताया. खास जगहों की सैर की. मार्केट जा कर शौपिंग भी की.

अब तो अकसर दोनों औफिशियल मीटिंग के लिए साथ जाने लगे. कई दफा औफिस से जल्दी फ्री हो कर भी घूमने निकल जाते. कोई नई फिल्म लगती तो दोनों फिल्म देखने भी जाते. नेहा को कुछ शौपिंग करनी होती तो भी वह शलभ को ही साथ लेती. शलभ कहीं न कहीं अब नेहा को ले कर गंभीर होने लगा था. वह उसे अपनी जीवनसाथी बनाने के बारे में भी सोचने लगा था. मगर वह नेहा के दिल की बात नहीं जानता था. इधर नेहा भी शलभ के साथ दिल से जुड़ चुकी थी. शलभ के बिना रहने की वह कल्पना भी नहीं करना चाहती थी.

एक दिन नेहा शलभ के साथ बैठी कौफी पी रही थी. आज शलभ उस से अपने दिल की बात कहने का बहाना ढूंढ़ रहा था. काफी सोचविचार कर शलभ ने कहा, ‘‘यार नेहा मैं सोच रहा था कि अब तुम्हें अपने पेरैंट्स से मिलाने का समय आ गया है. आर यू कंफर्टेबल?’’

‘‘श्योर,’’ प्यार से नेहा ने जवाब दिया. उस के चेहरे पर हया की लाली फैल गई थी.

तभी अचानक उस का मोबाइल बजा. उस

ने जैसे ही कौल रिसीव किया कि उस का चेहरा बन गया. वह काफी परेशान दिखने लगी. तुरंत कुरसी से उठती हुई बोली, ‘‘यार शलभ कुछ इमरजैंसी है मु?ो तुरंत घर जाना पड़ेगा. मैं निकलती हूं.’’

‘‘मगर बात क्या है नेहा मु?ो बताओ? कोई परेशानी है? मैं ड्रौप कर देता हूं तुम्हें.’’

‘‘नहीं कोई ऐसी बात नहीं. मैं चली जाऊंगी. वैसे भी तुम्हारी एक मीटिंग है, इसलिए तुम परेशान मत हो. आई विल मैनेज,’’ कह कर वह तेजी से निकल गई.

नेहा ने एक कैब की और जल्द घर पहुंच गई. सूजी बरामदे में बहुत बेचैनी के साथ चहलकदमी कर रही थी. नेहा को देखते ही वह दरवाजा खोलते हुए बोली, दीदी पता नहीं पीयूष को क्या हो गया है. दोपहर से ही तेज बुखार है. आज तो उस ने खाना भी नहीं खाया.

‘‘मगर तुम ने पहले फोन क्यों नहीं किया?’’ पीयूष का माथा छूते हुए नेहा ने कहा.

‘‘दीदी मु?ो लगा डाक्टर अभिषेक की दवा से वह ठीक हो जाएगा. फिर आज आप की कोई अर्जेंट मीटिंग भी थी न.’’

‘‘पर मैं ने कहा हुआ है न सूजी कि पीयूष से बढ़ कर मेरे लिए कुछ नहीं. अच्छा यह बता डाक्टर अभिषेक आए थे चैकअप के लिए तो बीमारी क्या बताई उन्होंने?’’

‘‘कह रहे थे वायरल ही लग रहा है.’’

‘‘ठीक है तुम जाओ और जल्दी से जूस ले कर आओ,’’ सूजी को किचन में भेज कर वह डाक्टर को फोन लगाने लगी.

मेरी शादी होने वाली है लेकिन मेरा वजन कम नहीं हो रहा, अब मैं क्या करूं

सवाल

6 महीनों में मेरी शादी होने वाली है. वजन थोड़ा ज्यादा है इसलिए मंगेतर और घर वाले बारबार वजन कम करने की बात करते हैं. हालांकि कुछ समय से वजन कम करने की कोशिश कर रही हूं लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा है. इन सब के कारण मन दुखी रहने लगा है. ऐसा लगता है कुछ सही नहीं होगा. कृपया कोई समाधान बताएं?

जवाब

आप को कितना वजन कम करना है यह आप ने नहीं बताया है. आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है. वजन कम करने के लिए आप डांस का सहारा ले सकती हैं. दिन में 2 घंटे का डांस न सिर्फ वजन कम करेगा बल्कि तनाव मुक्त भी करेगा. आप किस प्रकार की डाइट फौलो करती हैं उस पर भी यह निर्भर करता है कि वजन कितनी जल्दी कम होगा.

ऐक्सरसाइज के साथ सही डाइट जरूरी है. अपने खाने से तेलघी बिलकुल खत्म कर दें. केवल उबला हुआ पौष्टिक खाना ही खाएं. इस के लिए आप डाइटीशियन की मदद ले सकती हैं. याद रखिए एक सही डाइट आप को शारीरिक रूप के साथ मानसिक रूप से भी फिट रखती है. अच्छा आहार व्यक्ति को तनावमुक्त रहने में मदद करता है. रात को सूप या केवल सलाद खा कर सोएं. दिन की शुरुआत कुनकुने पानी के सेवन से करें.

दिनभर कुनकुना पानी ही पीएं क्योंकि यह वजन कम करता है और कई बीमारियों से भी बचाए रखता है. सुबह ऐक्सरसाइज जरूर करें. वजन बहुत ज्यादा है तो जिम जौइन कर सकती हैं.

-डाक्टर गौरव गुप्ता साइकोलौजिस्ट, डाइरैक्टर, तुलसी  हैल्थकेयर 

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Valentine’s Special: गलतफहमी- क्या टूट गया रिया का रिश्ता

 कहानी- सुवर्णा पाटिल

आ ज नौकरी का पहला दिन था. रिया ने सुबह उठ कर तैयारी की और औफिस के लिए निकल पड़ी. पिताजी के गुजरने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उस पर ही थी. इंजीनियरिंग कालेज में अकसर अव्वल रहने वाली रिया के बड़ेबड़े सपने थे. लेकिन परिस्थितिवश उसे इस राह पर चलना पड़ा था. इस के पहले छोटी नौकरी में घर की जिम्मेदारियां पूरी न हो पाती थीं. ऐसे में एक दिन औनलाइन इंटरव्यू के इश्तिहार पर उस का ध्यान गया. उस ने फौर्म भर दिया और उस कंपनी में उसे चुन लिया गया.

रिया जब औफिस में पहुंची तो औफिस के कुछ कर्मी थोड़े समय से थोड़ा पहले ही आ गए थे. वहीं, रिसैप्शन पर बैठी अंजली ने रिया से पूछा, ‘‘गुडमौर्निंग मैडम, आप को किस से मिलना है?’’

‘‘मैं इस कंपनी में औनलाइन इंटरव्यू से चुनी गईर् हूं. आज से मु झे औफिस जौइन करने लिए कहा गया था, यह लैटर…’’

‘‘ओके, कौंग्रेट्स. आप का इस कंपनी में स्वागत है. थोड़ी देर बैठिए. मैं मैनेजर साहब से पूछ कर आप को बताती हूं.’’

रिया वहीं बैठ कर कंपनी का निरीक्षण करने लगी. उसी वक्त कंपनी में काफी जगह लगा हुआ आर जे का लोगो उस का बारबार ध्यान खींच रहा था. उतने में अंजली आई, ‘‘आप को मैनेजर साहब ने बुलाया है. वे आप को आगे का प्रोसीजर बताएंगे.’’

‘‘अंजली मैडम, एक सवाल पूछूं? कंपनी में जगहजगह आर जे लोगो क्यों लगाया गया है?’’

‘‘आर जे लोगो कंपनी के सर्वेसर्वा मजूमदार साहब के एकलौते सुपुत्र के नाम के अक्षर हैं. औनलाइन इंटरव्यू उन का ही आइडिया था. आज उन का भी कंपनी में पहला दिन है. चलो, अब हम अपने काम की ओर ध्यान दें.’’

‘‘हां, बिलकुल, चलो.’’

कंपनी के मैनेजर, सुलझे हुए इंसान थे. उन की बातों से और काम सम झाने के तरीके से रिया के मन का तनाव काफी कम हुआ. उस ने सबकुछ समझ लिया और काम शुरू कर लिया. शुरू के कुछ दिनों में ही रिया ने अपने हंसमुख स्वभाव से और काम के प्रति ईमानदारी से सब को अपना बना लिया. लेकिन अभी तक उस की कंपनी के मालिक आर जे सर से मुलाकात नहीं हुई थी. कंपनी की मीटिंग हो या और कोई अवसर, जहां पर उस की आर जे सर के साथ मुलाकात होने की गुंजाइश थी, वहां उसे जानबू झ कर इग्नोर किया जा रहा था. ऐसा क्यों, यह बात उस के लिए पहेली थी.

एक दिन रोज की फाइल्स देखते समय चपरासी ने संदेश दिया, ‘‘मैनेजर साहब, आप को बुला रहे हैं.’’

‘‘आइए, रिया मैडम, आप से काम के बारे में बात करनी थी. आज आप को इस कंपनी में आए कितने दिन हुए?’’

‘‘क्यों, क्या हुआ सर? मैं ने कुछ गलत किया क्या?’’

‘‘गलत हुआ, ऐसा मैं नहीं कह सकता, मगर अपने काम की गति बढ़ाइए और हां, इस जगह हम काम करने की तनख्वाह देते हैं, गपशप की नहीं. यह ध्यान में रखिए. जाइए आप.’’

रिया के मन को यह बात बहुत बुरी लगी. वैसे तो मैनेजर साहब ने कभी भी उस के साथ इस तरीके से बात नहीं की थी लेकिन वह कुछ नहीं बोल सकी. अपनी जगह पर वापस आ गई.

थोड़ी देर में चपरासी ने उस के विभाग की सारी फाइलें उस की टेबल पर रख दीं. ‘‘इस में जो सुधार करने के लिए कहे हैं वे आज ही पूरे करने हैं, ऐसा साहब ने कहा है.’’

‘‘लेकिन यह काम एक दिन में कैसे पूरा होगा?’’

‘‘बड़े साहब ने यही कहा है.’’

‘‘बड़े साहब…?’’

‘‘हां मैडम, बड़े साहब यानी अपने आर जे साहब, आप को नहीं मालूम?’’

अब रिया को सारी बातें ध्यान में आईं. उस के किए हुए काम में आर जे सर ने गलतियां निकाली थीं, हालांकि वह अब तक उन से मिली भी नहीं थी. फिर वे ऐसा बरताव क्यों कर रहे थे, यह सवाल रिया को परेशान कर रहा था.

उस ने मन के सारे विचारों को  झटक दिया और काम शुरू किया. औफिस का वक्त खत्म होने को था, फिर भी रिया का काम खत्म नहीं हुआ था. उस ने एक बार मैनेजर साहब से पूछा, मगर उन्होंने आज ही काम पूरा करने की कड़ी चेतावनी दी. बाकी सारा स्टाफ चला गया. अब औफिस में रिया, चपरासी और आर जे सर के केबिन की लाइट जल रही थी यानी वे भी औफिस में ही थे. काम पूरा करतेकरते रिया को काफी वक्त लगा.

उस दिन के बाद रिया को तकरीबन हर दिन ज्यादा काम करना पड़ता था. उस की बरदाश्त करने की ताकत अब खत्म हो रही थी. एक दिन उस ने तय किया कि आज अगर उसे हमेशा की तरह ज्यादा काम मिला तो सीधे जा कर आर जे सर से मिलेगी. हुआ भी वैसा ही. उसे आज भी काम के लिए रुकना था. उस ने काम बंद किया और आर जे सर के केबिन की ओर जाने लगी. चपरासी ने उसे रोका, मगर वह सीधे केबिन में घुस गई.

‘‘सौरी सर, मैं बिना पूछे आप से मिलने चली आई. क्या आप मु झे बता सकेंगे कि निश्चितरूप से मेरा कौन सा काम आप को गलत लगता है? मैं कहां गलत कर रही हूं? एक बार बता दीजिए. मैं उस के मुताबिक काम करूंगी, मगर बारबार ऐसा…’’

रिया के आगे के लफ्ज मुंह में ही रह गए क्योंकि रिया केबिन में आई थी तब आर जे सर कुरसी पर उस की ओर पीठ कर के बैठे थे. उन्होंने रिया के शुरुआती लफ्ज सुन लिए थे. बाद में उन की कुरसी रिया की ओर मुड़ी ‘‘सर…आप…तुम…राज…कैसे मुमकिन है? तुम यहां कैसे?’’ रिया हैरान रह गई. उस का अतीत अचानक उस के सामने आएगा, ऐसी कल्पना भी उस ने नहीं की थी. उसे लगने लगा कि वह चक्कर खा कर वहीं गिर जाएगी.

‘‘हां, बोलिए रिया मैडम, क्या तकलीफ है आप को?’’

राज के इस सवाल से वह अतीत से बाहर आई और चुपचाप केबिन के बाहर चली गई. उस का अतीत ऐसे अचानक उस के सामने आएगा, यह उस ने सोचा भी नहीं था.

आर जे सर कोई और नहीं उस का नजदीकी दोस्त राज था. उस दोस्ती में प्यार के धागे कब बुन गए, यह दोनों सम झे नहीं थे. रिया को वह कालेज का पहला दिन याद आया. कालेज के गेट के पास ही सीनियर लड़कों के एक गैंग ने उसे रोका था.

‘आइए मैडम, कहां जा रही हो? कालेज के नए छात्र को अपनी पहचान देनी होती है. उस के बाद आगे बढि़ए.’

रिया पहली बार गांव से पढ़ाई के लिए शहर आई थी और आते ही इस सामने आए संकट से वह घबरा गई.

‘अरे हीरो, तू कहां जा रहा है? तु झे दिख नहीं रहा यहां पहचान परेड चल रही है. चल, ऐसा कर ये मैडम जरा ज्यादा ही घबरा गई हैं. तू इन्हें प्रपोज कर. उन का डर भी चला जाएगा.’

अभीअभी आया राज जरा भी घबराया नहीं. उस ने तुरंत रिया की ओर देखा. एक स्माइल दे कर बोला. ‘हाय, मैं राज. घबराओ मत. बड़ेबड़े शहरों में ऐसी छोटीछोटी बातें होती रहती हैं.’

रिया उसे देखती ही रह गई.

‘आज हमारे कालेज का पहला दिन है. इस वर्षा ऋतु के साक्षी से मेरी दोस्ती को स्वीकार करोगी.’ रिया के मुंह से अनजाने में कब ‘हां’ निकल गई यह वह सम झ ही नहीं पाई. उस के हामी भरने से सीनियर गैंग  झूम उठा.

‘वाह, क्या बात है. यह है रियल हीरो. तुम से मोहब्बत के लैसंस लेने पड़ेंगे.’

‘बिलकुल… कभी भी…’

रिया की ओर एक नजर डाल कर राज कालेज की भीड़ में कब गुम हुआ, यह उसे मालूम ही नहीं हुआ. एक ही कालेज में, एक ही कक्षा में होने की वजह से वे बारबार मिलते थे. राज अपने स्वभाव के कारण सब को अच्छा लगता था. कालेज की हर लड़की उस से बात करने के लिए बेताब रहती थी. मगर राज किसी दूसरे ही रिश्ते में उल झ रहा था.

यह रिश्ता रिया के साथ जुड़ा था. एक अव्यक्त रिश्ता. उस का शांत स्वभाव, उस का मनमोहता रूप जिसे शहर की हवा छू भी नहीं पाई थी. उस का यही निरालापन राज को उस की ओर खींचता था.

एक दिन दोनों कालेज कैंटीन में बैठे थे. तब राज ने कहा, ‘रिया, तुम कितनी अलग हो. हमारा कालेज का तीसरा साल शुरू है. लेकिन तुम्हें यहां के लटके झटके अभी भी नहीं आते…’

‘मैं ऐसी ही ठीक हूं. वैसे भी मैं कालेज में पढ़ने आई हूं. पढ़ाई पूरी करने के बाद मु झे नौकरी कर के अपने पिताजी का सपना पूरा करना है. उन्होंने मेरे लिए काफी कष्ट उठाए हैं.’

रिया की बातें सुन कर राज को रिया के प्रति प्रेम के साथ आदर भी महसूस हुआ. तीसरे साल के आखिरी पेपर के समय राज ने रिया को बताया, ‘मु झे तुम्हें कुछ बताना है. शाम को मिलते हैं.’ हालांकि उस की आंखें ही सब बोल रही थीं. रिया भी इसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. इसी खुशी में वह होस्टल आई. मगर तभी मैट्रन ने बताया, ‘तुम्हारे घर से फोन था. तुम्हें तुरंत घर बुलाया है.’

रिया ने सामान बांधा और गांव की ओर निकल पड़ी. घर में क्या हुआ होगा, इस सोच में वह परेशान थी. इन सब बातों में वह राज को भूल गई. घर पहुंची तो सामने पिताजी का शव, उस सदमे से बेहोश पड़ी मां और रोता हुआ छोटा भाई. अब किसे संभाले, खुद की भावनाओं पर कैसे काबू पाए, यह उस की सम झ में नहीं आ रहा था. एक ऐक्सिडैंट में उस के पिताजी का देहांत हो गया था. घर में सब से बड़ी होने की वजह से उस ने अपनी भावनाओं पर बहुत ही मुश्किल से काबू पाया.

इस घटना के बाद उस ने पढ़ाई आधी ही छोड़ दी और एक छोटी नौकरी कर घर की जिम्मेदारी संभाली.

इधर राज बेचैन हो गया. सारी रात रिया का इंतजार करता रहा. मगर वह आई नहीं. उस ने कालेज, होस्टल सब जगह ढूंढ़ा मगर उस का कुछ पता नहीं चला. रिया ने ही ऐसी व्यवस्था कर रखी थी. वह राज पर बो झ नहीं बनना चाहती थी. पर राज इस सब से अनजान था. उस के दिल को ठेस पहुंची थी. इसलिए उस ने भी कालेज छोड़ दिया और आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया.

‘‘मैडम, आप का काम हो गया क्या? मु झे औफिस बंद करना है. बड़े साहब कब के चले गए.’’

चपरासी की आवाज से रिया यादों की दुनिया से बाहर आई. उस ने सब सामान इकट्ठा किया और घर के लिए निकल पड़ी. उस के मन में एक ही खयाल था कि राज की गलतफहमी कैसे दूर करे. उसे उस का कहना रास आएगा या नहीं? वह नौकरी भी छोड़ नहीं सकती. क्या करे. इन खयालों में वह पूरी रात जागती रही.

दूसरे दिन औफिस में अंजली ने रिसैप्शन पर ही रिया से पूछा, ‘‘अरे रिया, क्या हुआ? तुम्हारी आंखें ऐसी क्यों लग रही हैं? खैरियत तो है न?’’

‘‘अरे कुछ नहीं, थोड़ी थकान महसूस कर रही हूं, बस. आज का शैड्यूल क्या है?’’

‘‘आज अपनी कंपनी को एक बड़ा प्रोजैक्ट मिला है. इसलिए कल पूरे स्टाफ के लिए आर जे सर ने पार्टी रखी है. हरेक को पार्टी में आना ही है.’’

‘‘हां, आऊंगी.’’

दू सरे दिन शाम को पार्टी शुरू हुई. रिया बस केवल हाजिरी लगा कर निकलने की सोच रही थी. राज का पूरा ध्यान उसी पर था. अचानक उसे एक परिचित  आवाज आई.

‘‘हाय राज, तुम यहां कैसे? कितने दिनों बाद मिल रहे हो. मगर तुम्हारी हमेशा की मुसकराहट किधर गई?’’

‘‘ओ मेरी मां, हांहां, कितने सवाल पूछोगी. स्नेहल तुम तो बिलकुल नहीं बदलीं. कालेज में जैसी थीं वैसी ही हो, सवालों की खदान. अच्छा, तुम यहां कैसे…?’’

‘‘अरे, मैं अपने पति के साथ आई हूं. आज उन के आर जे सर ने पूरे स्टाफ को परिवार सहित बुलाया है. इसलिए मैं आई. तुम किस के साथ आए हो?’’

‘‘मैं अकेला ही आया हूं. मैं ही तुम्हारे पति का आर जे सर हूं.’’

‘‘सच, क्या कह रहे हो. तुम ने तो मु झे हैरान कर दिया. अरे हां, रिया भी इसी कंपनी में है न. तुम लोगों की सब गलतफहमियां दूर हो गईं न.’’

‘‘गलतफहमी? कौन सी गलतफहमी?’’

‘‘अरे, रिया अचानक कालेज छोड़ कर क्यों गई, उस के पिताजी का ऐक्सिडैंट में देहांत हो गया था, ये सब…’’

‘‘क्या, मैं तो ये सब जानता ही नहीं.’’

स्नेहल रिया और राज की कालेज की सहेली थी. उन दोनों की दोस्ती, प्यार, दूरी इन सब घटनाओं की साक्षी थी. उसे रिया के बारे में सब मालूम हुआ था. उस ने ये सब राज को बताया.

राज को यह सब सुन कर बहुत दुख हुआ. उस ने रिया के बारे में कितना गलत सोचा था. हालांकि, उस की इस में कुछ भी गलती नहीं थी. अब उस की नजर पार्टी में रिया को ढूंढ़ने लगी. मगर तब तक रिया वहां से निकल चुकी थी.

वह उसे ढूंढ़ने बसस्टौप की ओर भागा.

बारिश के दिन थे. रिया एक पेड़ के नीचे खड़ी थी. उस ने दूर से ही रिया को आवाज लगाई.

‘‘रिया…रिया…’’

‘‘क्या हुआ सर? आप यहां क्यों आए? आप को कुछ काम था क्या?’’

‘‘नहीं, सर मत पुकारो, मैं तुम्हारा पहले का राज ही हूं. अभीअभी मु झे स्नेहल ने सबकुछ बताया. मु झे माफ कर दो, रिया.’’

‘‘नहीं राज, इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है. उस समय हालात ही ऐसे थे.’’

‘‘रिया, आज मैं तुम से पूछता हूं, क्या मेरे प्यार को स्वीकार करोगी?’’

रिया की आंसूभरी आंखों से राज को जवाब मिल गया.

राज ने उसे अपनी बांहों में भर लिया. उन के इस मिलन में बारिश भी उन का साथ दे रही थी. इस बारिश की  झड़ी में उन के बीच की दूरियां, गलतफहमियां पूरी तरह बह गई थीं.

Valentine’s Special: मिठाई पर भारी पड़ती चौकलेट ब्राउनी

अगर आप वेलेंटाइन्स डे के मौके पर अपने पार्टनर के लिए कुछ टेस्टी बनाना चाहते हैं तो चौकलेट ब्राउनी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. भारत में चौकलेट अब सब से ज्यादा पसंद किया जाने लगा है. घर से ले कर बाजार तक हर जगह इस को ले कर नए प्रयोग हो रहेहैं. गुझिया चौकलेट इस का उदाहरण है. भारत में चौकलेट के इस्तेमाल से तैयार होने वाले व्यंजनों की तादाद बढ़ गई है. अब मिठाई की दुकानों में ज्यादा कुकीज और बिसकुट को देखा जाने लगा है यानी बहुत से लोग इस का बिजनेस घरों से करने लगे हैं. ऐसे में चौकलेट से तैयार होने वाले व्यंजनों का कारोबार बढ़ रहा है. फैस्टिवल सीजन में ही नहीं, बल्कि शादी, जन्मदिन और खुशियों की दूसरी पार्टियों में चौकलेट का कारोबार बढ़ गया है. इसीलिए आज हम आपको टेस्टी चौकलेट को घर पर बनाने की रेसिपी बताएंगे.

हमें चाहिए

2 कप मैदा,

2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

2 बड़े चम्मच कोको पाउडर

2 बड़े चम्मच दूध

1 छोटा चम्मच तेल

2 बड़े चम्मच कटे हुए मेवे जैसे काजू, बादाम, अखरोट,

2 बड़े चम्मच चौकलेट सिरप

बनाने का तरीका

-सबसे पहले एक कटोरे में मैदा, चीनी पाउडर, कोको पाउडर और सूखे मेवे डाल कर मिला लें. फिर इस में दूध, चौकलेट सिरप और तेल डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें.

-अब इस बरतन को 2 मिनट के लिए माइक्रोवेव में 180 डिगरी सैल्सियस पर रख कर बेक कर लें. चौकलेट ब्राउनी तैयार है. थोड़ा ठंडा होने के बाद खाने के लिए यह तैयार है.

-मेवे का इस्तेमाल इस के स्वाद को बढ़ाता?है. साथ ही,  इस को टेस्टी और हैल्दी भी बनाता है.

Women’s Day 2023: मां का घर- भाग 2

लगभग 2 घंटे बाद अजय भैया का फोन आया. फोन पर भैया ने जो कहा, सुन कर सुप्रिया के चेहरे का रंग बदलने लगा. पूजा उस के और पास चली आई. सुप्रिया ने पूरी बात सुन कर जैसे ही फोन रखा, पूजा ने उसे झकझोरा, ‘‘बता न सुप्रिया, अजय भैया ने क्या कहा?’’

सुप्रिया सोफे पर ढह गई. उस ने आंखें बंद कर लीं. पूजा ने चीखते हुए पूछा, ‘‘सुप्रिया, मां को कुछ हुआ तो नहीं?’’ सुप्रिया ने किसी तरह अपने को संभालते हुए कहना शुरू किया, ‘‘पूजा, तुम्हें यह खबर सुनने के लिए अपने को कंट्रोल करना होगा. सुनो…भैया बैंक गए थे. वहां पता चला कि अनुराधाजी ने पिछले महीने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया. तुम्हारी शादी और पढ़ाई के लिए उन्होंने बैंक से लोन लिया था, अपना फ्लैट बेच कर उन्होंने कर्ज चुका दिया और शायद उन्हीं बचे पैसों से तुम्हें 5 लाख रुपए भेजे.’’

पूजा की आंखें बरसने लगीं, ‘‘मां ने ऐसा क्यों किया? वे हैं कहां, सुप्रिया?’’ सुप्रिया ने धीरे से कहा, ‘‘वे अपनी मरजी से कहीं चली गई हैं, पूजा…’’

‘‘कहां?’’ दोनों सहेलियों के पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि मां कहां गईं. सुप्रिया ने पूजा के बालों में हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘मैं जहां तक तुम्हारी मां को जानती हूं वे संतुलित और आत्मविश्वासी महिला हैं. तुम्हारे पिताजी की मृत्यु के बाद जिस तरह से उन्होंने खुद को और तुम्हें संभाला वह तारीफ के काबिल है. तुम्हीं ने बताया था कि तुम्हारे ताऊजी और दादी ने मां से कहा था कि वे तुम्हारे चाचा से शादी कर लें…पर मां ने यह कह कर मना कर दिया था कि वे अपनी बेटी को खुद पाल सकती हैं. उन्होंने किसी से 1 रुपए की मदद नहीं ली.’’

पूजा ने हां में सिर हिलाया और बोली, ‘‘इस के बाद दादी और ताऊजी हम से मिलने कभी नहीं आए. मेरी शादी में भी नहीं.’’ सुप्रिया ने अचानक पूछा, ‘‘पूजा, तुम्हें याद है, हम जब 10वीं में थे तो एक दिन तुम मेरे घर रोती हुई आई थीं मुझे यह बताने कि तुम्हारी मां कहीं और शादी कर रही हैं और तुम ऐसा नहीं चाहतीं.’’

पूजा का चेहरा पीला पड़ गया. उस घटना ने तो पूजा को तोड़ ही दिया था. पूजा को हलकी सी याद है समीर अंकल की. मां के साथ बैंक में काम करते थे. हंसमुख और मिलनसार. जिस समय पापा गुजरे, मां की उम्र 35 साल से ज्यादा नहीं थी. मां बिलकुल अकेली थीं. न ससुराल से कोई उन से मिलने आता न मायके से. मायके में एक बड़ी और बीमार दीदी के अलावा दूसरा कोई था भी नहीं. समीर अंकल कभीकभी घर आते. मां और उसे पिक्चर दिखाने या रेस्तरां में ले जाते. वह मुंबई में अकेले रहते थे. मां ने ही कभी बताया था पूजा को कि बचपन में वे पोलियो का शिकार हो गए थे. एक पांव से लंगड़ा कर चलते थे. कभी शादी नहीं की यह सोच कर कि एक अपंग के साथ कोई कैसे निर्वाह करेगा. मां की तरह उन्हें भी शास्त्रीय गायन का बहुत शौक था. जब भी वे घर आते, मां के साथ मिल कर खूब गाते, कभी ध्रुपद तो कभी कोई गजल.

उसी दौरान एक दिन जब मां ने एक रात 15 साल की पूजा के सिर पर हाथ फेरते हुए प्यार से कहा था, ‘पूजा, मेरी गुडि़या, हर बच्चे को जिंदगी में मांपिताजी दोनों की जरूरत होती है. मैं भी तेरी उम्र की थी, जब मेरे पापा गुजर गए थे. मैं चाहती हूं कि तुझे कम से कम इस बात की कमी न खटके. पूजा, मेरी बच्ची, समीर तेरे पापा बनने को तैयार हैं…अगर तू चाहे…’

पूजा बिफर कर उठ बैठी थी और जोर से चिल्ला पड़ी थी, ‘मां, तुम बहुत बुरी हो. मुझे नहीं चाहिए कोई पापावापा. तुम बस मेरी हो और मेरी रहोगी. मैं समीर अंकल से नफरत करती हूं. उन को कभी यहां आने नहीं दूंगी.’ सुप्रिया ने तब पूजा को समझाया था कि जब समीर अंकल मां को अच्छे लगते हैं, उस का भी खयाल रखते हैं तो वह मां की शादी का विरोध क्यों कर रही है?

‘मैं मां को किसी के साथ बांट नहीं सकती, सुप्रिया. समीर अंकल के आते ही मां मुझे भूल जाएंगी. मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.’ इस के बाद सब शांत हो गया. मां ने कभी समीर अंकल की बात उठाई ही नहीं. जिंदगी पुराने ढर्रे पर आ गई. बस, समीर अंकल का उन के घर आना बंद हो गया. बाद में उस ने मां को किसी से फोन पर कहते सुना था कि समीरजी की तबीयत बहुत खराब हो गई है और वे कहीं और चले गए हैं.

पूजा ने सिर उठाया, ‘‘सुप्रिया, लेकिन मां के गायब होने का इस बात से क्या संबंध है?’’ सुप्रिया ने सिर हिलाया, ‘‘पता नहीं पूजा, लेकिन भाई कह रहे थे कि अनुराधाजी ने कई दिन से अपना घर बेचने और नौकरी छोड़ने की योजना बना रखी थी. अचानक एक दिन में कोई ऐसा नहीं करता. तुम बताओ कि तुम्हारी शादी के बाद वे यहां क्यों नहीं आईं?’’

‘‘मां हमेशा कहती थीं कि मैं तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी में दखल नहीं दूंगी. तुम्हारी अपनी जिंदगी है, अपनी तरह से चलाओ.’’ ‘‘हुंह, यह भी तो हो सकता है न पूजा कि वे तुम्हें अकेले रहने का मौका दे रही हों? तुम आज तक उन से अलग नहीं रहीं, यह पहला मौका है. वे हर बार तुम से पूछती थीं कि तुम खुश तो हो?’’

पूजा सोच में डूब गई. जिस दिन शादी के बाद वह दिल्ली के लिए निकल रही थी, मां अपने कमरे से बाहर ही नहीं आईं. टे्रन का समय हो गया था और उसे मां से बिना मिले ही निकलना पड़ा. रास्ते भर वह सोचती रही कि मां ने ऐसा क्यों किया? उस के टे्रन में बैठते ही मां का फोन आ गया कि उन्हें चक्कर सा आ गया था. शादी के कामों में वे बुरी तरह थक गई थीं. पूजा का मन हुआ कि मां के पास वापस लौट जाए, लेकिन जब बगल में बैठे पति सुवीर ने प्यार से उस का हाथ दबाया, तो सबकुछ भूल कर वह नई जिंदगी के सपनों की झंकार से ही रोमांचित हो गई. पहले मां से रोज ही उस की बात हो जाया करती थी, फिर बातचीत का सिलसिला कम हो गया. पूजा जब पूछती कि मां, तुम ने खाना खाया कि नहीं, रोज शाम को टहलने जाती हो कि नहीं, तो अनुराधा हंस देतीं, ‘मेरी इतनी फिक्र न कर पूजा, मैं बिलकुल ठीक हूं. मुझे अच्छा लग रहा है कि तुम को अपनी नई जिंदगी रास आ गई. खुश रहो और सुवीर को भी खुश रखो. बस, इस से ज्यादा और क्या चाहिए?’

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Valentine’s Special: यह कैसा प्यार- रमा और विजय के प्यार का क्या हुआ अंजाम

वे दोनों बचपन से एक ही कालोनी में आसपड़ोस में रहते हुए बड़े हुए थे. दोनों ने एकसाथ स्कूल व कालेज की पढ़ाई पूरी की. उन के संबंध मित्रता तक सीमित थे, वो भी सीमित मात्रा में. दोनों एक ही जाति के थे. सो, स्कूल समय तक एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. कालेज में भी एकदूसरे की पढ़ाई में मदद कर देते थे. एकदूसरे के छोटेमोटे कामों में भी सहयोग कर देते थे. लेकिन कालेज के समय से उन का एकदूसरे के घर आनाजाना बहुत कम हो गया. जाना हुआ भी तो अपने काम के साथ में एकदूसरे के परिवार से मिलना मुख्य होता था.

दोनों अपने समाज, जाति की मर्यादा जानते थे. अब दोनों जवानी की उम्र से गुजर रहे थे. रमा तभी विजय के घर जाती जब विजय की बहन से उसे काम होता. विजय से तो एक औपचारिक सी हैलो ही होती. कालेज में भी उन का मिलना बहुत जरूरत पर ही होता. रमा को यदि विजय से कोई काम होता तो वह विजय की बहन या मां से कहती. विजय को वैसे तो जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी रमा के घर, पर कई बार ऐसे मौके आते कि जाना पड़ता. जैसे रमा को नोट्स देने हों या कालेज की लाइब्रेरी से निकाल कर पुस्तकें देनी हों.

विजय जाता तो रमा के मम्मी या पापा घर पर मिलते. रमा चाय बना कर दे जाती. विजय पुस्तकें रमा के मातापिता को दे देता. रमा के मातापिता उसे बैठा कर घरपरिवार, पढ़ाईलिखाई, भविष्य की बातें पूछते, कुछ अपनी बताते. विजय वापस आ जाता.

रमा के मातापिता अपनी इकलौती बेटी के लिए अच्छे वर की तलाश में जुटे थे. बात विजय की भी निकली. रमा के पिता ने कहा, ‘‘लड़का तो ठीकठाक है लेकिन करता तो कुछ नहीं है फिलहाल.’’

रमा की मां ने कहा, ‘‘अभी तो पढ़ाई कर रहा है. पास का देखापरखा लड़का है. रमा से पटती भी है.’’ मां की बातें रमा के कानों से होती हुईं उस के दिल में पहुंचीं, पहली बार. और पहली बार ही रमा के हृदय में कंपन सी हुई. रमा के पिता ने एक सिरे से नकारते हुए कहा, ‘‘पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी की कोई गांरटी नहीं है और मैं अपनी इकलौती बेटी का विवाह किसी बेरोजगार से नहीं कर सकता. फिर इतनी पास रिश्ता करना भी ठीक नहीं है. अभी तो विजय की बहन बैठी हुई है शादी के लिए. मुझे विजय के पिता का व्यवहार और उन की क्लर्की की नौकरी दोनों खास पसंद नहीं हैं.’’

रमा की मां ने कहा, ‘‘मैं ने तो ऐसे ही बात कह दी थी. आप उस के परिवार के बारे में क्यों उलटासीधा कह रहे हैं?’’

रमा के पिता ने कहा, ‘‘उलटासीधा नहीं, सच कह रहा हूं. मैं अपनी हैसियत वाले घर में ही रिश्ता करूंगा. इंजीनियर हूं. क्लर्क के घर में क्यों रिश्ता करूं?’’

पति को आवेश में देख रमा की मां किचन में जा कर घरेलू कामों में जुट गई. विजय को जब मालूम हुआ कि रमा के लिए लड़के वाले देखने आ रहे हैं तो पता नहीं क्यों पहली बार उसे लगा कि उस की प्रियवस्तु कोई उस से छीन रहा है. उस ने हिम्मत कर के अपनी मां से रमा के साथ शादी की बात चलाने के लिए कहा.

विजय की मां ने कहा, ‘‘बेटा, पहले नौकरी करो. फिर बहन के हाथ पीले करो. उस के बाद अपनी शादी के विषय में सोचना.’’ मां ने कह तो दिया लेकिन बेटे के चेहरे को भी पढ़ लिया. उन्हें स्पष्ट नजर आया कि उन का बेटा रमा से प्रेम करता है. बेटे की तसल्ली के लिए मां ने कहा, ‘‘अच्छा, देखती हूं, तुम्हारे पिता से बात करती हूं.’’ विजय के चेहरे पर प्रसन्नता छा गई, जिसे मां से छिपाने के लिए वह दूसरे कमरे में चला गया.

विजय की मां ने रात को भोजन के बाद अपने कमरे में पति से बेटे के मन की बात कही. पति ने कहा, ‘‘वे लोग ऊंची हैसियत वाले हैं. अपने से बड़े घर की लड़की लाने का मतलब समझती हो. सह पाओगी बड़े घर की बेटी के नखरे. फिर इतनी पास में रिश्ता. घर में जवान बेटी बैठी है. बेटा बेरोजगार है. किस मुंह से शादी का रिश्ता ले कर जाएंगे. अपना अपमान नहीं कराना मुझे. फिर मैं ठहरा ईमानदार आदमी और मामूली सा क्लर्क. वे हैं इंजीनियर और 2 नंबर के पैसे वाले.’’

विजय की मां ने कहा, ‘‘वो मैं समझती हूं. बेटे के दिल में है कुछ रमा के लिए, इसलिए कहा.’’

विजय के पिता ने कुछ पल ठहर कर कहा, ‘‘मैं तो बात करने नहीं जाऊंगा. तुम चाहो तो किसी और के माध्यम से बात चलवा कर देख लो. बेटे की तरफदारी करने से अच्छा है, बेटे को समझाओ कि अपने पैरों पर खड़े हो कर उन के बराबर बन कर दिखाए.’’

पत्नी ने करवट ली और सोने का प्रयास करने लगी. वे इस बात को यहीं खत्म कर देना चाहती थी.

बाजार से जरूरी सामान मंगवाना था. रमा के पिता कुछ अस्वस्थ थे. रमा की मां ने विजय को आवाज दे कर बुलाया और कहा, ‘‘रमा को देखने वाले आ रहे हैं. यह लिस्ट ले जाओ. बाजार से सामान ले कर जल्दी आना.’’

सामान की लिस्ट और रुपए ले कर विजय बाजार की ओर चल दिया. लेकिन मन उस का उदास था. वह सोच रहा था कि रमा किस तरह उसे मिलेगी. कैसे वह रमा को अपना जीवनसाथी बनाएगा. एमएससी का अंतिम वर्ष था उस का. नौकरी मिलने में समय लगेगा.

विजय के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह रमा के पिता से अपने विवाह की बात कर पाता. मां ने अपने एक परिचित से रिश्ते की खबर भेजी थी, लेकिन उत्तर अनुकूल न था. बात औकात, हैसियत, बेरोजगारी पर आ कर अटक गई थी. विजय के मन में अजीब से अंधड़ चल रहे थे. स्वयं को संभालते हुए बाजार से सामान ला कर उस ने रमा के पिता को सौंप दिया. लड़के वाले आ चुके थे, इसलिए रमा के मातापिता ने विजय को बैठने को भी नहीं कहा.

विजय पास के गार्डन में पहुंचा. थकेहारे, टूटे हुए व्यक्ति की तरह मन में सोचने लगा, ‘रमा का ये रिश्ता टूट जाए, रमा का विवाह हो तो मुझ से, अन्यथा न हो.’

हार से गुस्सा उपजता है और गुस्से से मस्तिष्क बेकाबू हो कर किसी भी दिशा में भटकने लगता है. पास बैठे एक अंकल से उस ने कहा, ‘‘क्या जिंदगी में जिसे चाहो वह मिल जाता है?’’

अंकल ने रूखे स्वर में कहा ‘‘हां, शायद.’’

अंकल की बात से असंतुष्ट विजय उठ कर घर की तरफ चल दिया. रातभर वह यही सोचता रहा कि उसे रमा से इतना लगाव, इतना प्यार कैसे हो गया? यदि पहले से था तो उसे पता क्यों नहीं चला? यही तड़प पहले होती तो वह रमा से इस विषय में कालेज में बात कर लेता. क्या पता रमा के मन में कुछ है भी या नहीं. होता तो कभी तो वह कहती बातों में, इशारों में. प्रेम कहां छिपता है? कहीं यह एकतरफा प्यार का मामला तो नहीं. वह खुद से कहने लगा, ‘रमा का ग्रैजुएशन का अंतिम वर्ष है. शादी आज नहीं तो कल हो ही जाएगी. फिर मेरा क्या होगा? क्या मैं रमा से बात करूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि बात और बिगड़ जाए.’

विचारों के आंधीतूफान से उलझता विजय घर आ गया. रात में बिस्तर पर उसे नींद नहीं आई. वह करवटें बदलते हुए सोचने लगा कि रमा को कैसे हासिल किया जाए. पत्रपत्रिकाओं में छपने वाले तांत्रिक बाबाओं, वशीकरण विधा के जानकारों वाले विज्ञापन उस के दिमाग में कौंधने लगे. बाजार से उस ने कुछ तंत्रमंत्र की किताबें खरीद कर उन्हें आजमाने पर विचार किया. यदि लड़की वशीभूत हो कर विवाह के लिए तैयार हो जाए तो फिर कोई क्या कर सकता है?

तंत्रमंत्र की पुस्तकें पढ़ कर विजय को निराशा हाथ लगी. वशीकरण मंत्र के लाखों की संख्या में जाप कर के  उन्हें सिद्ध करना, फिर पूरे नियम से उन का दसवां हिस्सा हवनतर्पण, मार्जन करना, उस के बाद विशेष तिथि, योग में ऐसी सामग्री जुटाना जो उस के लिए क्या, किसी भी साधारण आदमी के लिए संभव नहीं थी. विजय ने पुस्तकें एकतरफ फेंक कर इंटरनैट पर वशीकरण संबंधी प्रयोग तलाशने शुरू किए, उसे मिले भी. सारे प्रयोग एकएक कर के किए भी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

विजय समझ गया कि सारे प्रयोग झूठे हैं. फिर उस ने तंत्रमंत्र, वशीकरण के विज्ञापनों पर दृष्टि डाली जहां 24 घंटे से ले कर 4 मिनट में वशीकरण के दावे किए गए थे. विजय ने कई बाबाओं से मुलाकात की. रुपए इधरउधर से इंतजाम कर के फीस भरी. कभी नीबू के प्रयोग, कभी नारियल वशीकरण, कभी लौंग वशीकरण प्रयोग बाबाओं द्वारा बताए गए. लेकिन नतीजा शून्य निकला.

रमा की तरफ से उसे कोई जवाब नहीं मिला. विजय समझ गया कि वशीकरण, तंत्रमंत्र जैसा कुछ नहीं, सब बेवकूफ बनाते हैं. लेकिन रमा की तरफ विजय का लगाव निरंतर बढ़ता जा रहा था. फिर वह सोचने लगा कि शायद मुझ से ही कोई चूक हो गई हो. सब तो गलत नहीं हो सकते. क्यों न अब की बार प्रयोग तांत्रिक से ही करवाया जाए.

विजय ने बंगाली बाबा नाम के व्यक्ति को फोन लगाया. बाबा ने कहा, ‘‘मैं सौ टके तुम्हारा काम कर दूंगा. लेकिन तुम्हें श्मशान की राख, उल्लू का जिगर, किसी मुर्दे की हड्डी लानी पड़ेगी. यदि नहीं ला सकते तो हम सामान की अलग से फीस लेंगे. साथ में, हमारी फीस. जिस का वशीकरण करना है उस की पूरी जानकारी नाम, पता, फोटो, मोबाइल सब हमारे मेल पर भेजना होगा. और अपना विवरण भी. फीस हमारे बताए अकाउंट में जमा करनी होगी.’’

विजय जानतेसमझते हुए भी बेवफूफ बन गया. रमा की फोटो कालेज फंक्शन के गु्रप में उस के पास थी. उस ने उस फोटो की एक और फोटो निकाल कर पोस्टकार्ड साइज में रमा की फोटो स्टूडियो से बनवा ली. सारी सामग्री बाबा को मेल कर दी. फीस अकाउंट में जमा कर दी. लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ. विजय समझ गया कि तंत्रमंत्र का बाजार झूठ और धोखे पर आधारित है.

रमा के पिता ने विजय को घर बुला कर कहा, ‘‘तुम घर के लड़के हो. रमा के लिए लड़के वाले देखने आए थे. उन्होंने रमा को पसंद कर लिया है. मैं चाहता हूं तुम मेरे साथ चलो. हम भी उन का घरपरिवार देख आएं.’’

विजय चाह कर भी मना न कर सका. लड़के वालों ने अच्छा स्वागतसत्कार किया. रमा के पिता ने विवाह की स्वीकृति दे दी.

विजय ने बातोंबातों में लड़के का मोबाइल नंबर ले लिया. साथ ही, घर का पता दिमाग में नोट कर लिया. विजय भलीभांति जानता था कि वह जो कर रहा है और करने वाला है, वह गलत है. लेकिन उस ने स्वयं को समझाया कि रास्ता गलत है, पर मकसद तो अपने प्यार को पाना है. विजय ने रमा के चरित्रहनन की झूठी कहानी बना कर लड़के के पते पर भेजी. साथ ही, रमा को पढ़ाने वाले प्रोफैसर, उस की सहेलियों को भी रमा के विषय में लिख भेजा.

एकदो पत्र तो उस ने महल्ले के लड़कों के नाम, एक अधेड़ प्रोफैसर के नाम इस तरह भेजे मानो रमा अपने प्रेम का इजहार कर रही हो. बात तेजी से फैली. कुछ लोगों ने रमा को पत्र का जवाब लिखा. कुछ लोगों ने उस के पिता को पत्र दिखाया. न जाने कितने प्रकार के अश्लील पत्र रमा की तरफ से विजय ने भेजे.

कालेज, महल्ले में तमाशा खड़ा हो गया. रमा को समझ ही नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है. जितनी सफाई रमा और उस का परिवार देता, मामला उतना ही उछलता. लड़कियों को ले कर भारतीय समाज संवेदनहीन है. सब मजे लेले कर एकदूसरे को किस्से सुना रहे थे.

हालांकि समझने वाले समझ गए थे कि किसी ने शरारत की है लेकिन समझने के बाद भी लोग अश्लील पत्रों का आनंद ले कर एकदूसरे को सुना रहे थे. प्रोफैसर ने तो अपने कक्ष में बुला कर रमा को अपने सीने से लगा लिया और कहा, ‘‘मैं भी तुम से प्यार करता हूं.’’ जब रमा ने थप्पड़ जमाया तब प्रोफैसर को समझ आया कि वे धोखा खा गए.

लड़के के मोबाइल पर अज्ञात नंबर से रमा का प्रेमी बन कर विजय ने यह कहते हुए जान से मारने की धमकी दी कि रमा और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं पर घर वाले उस की जबरदस्ती शादी कर रहे हैं. यदि तुम ने शादी की तो मार दिए जाओगे.

लड़के वालों के परिवार ने रिश्ता तोड़ दिया. अच्छीभली लड़की का पूरे महल्ले में तमाशा बन गया. बेगुनाह होते हुए भी रमा और उस का परिवार किसी से नजर नहीं मिला पा रहे थे.

विजय को अनोखा आनंद आ रहा था. उस के मातापिता का उजाड़ चेहरा देख कर उसे लग रहा था कि मंजिल अब करीब है.

रमा के पिता तो शहर छोड़ने का मन मना चुके थे. पुलिस में रिपोर्ट करने पर पुलिस अधिकारी ने उलटा उन्हें ही समझा दिया, ‘‘लड़की का मामला है, आप लोगों की खामोशी ही सब से बढि़या उत्तर है. जितनी आप सफाई देंगे, जांच करवाएंगे, आप की ही मुसीबत बढ़ेगी.’’

विजय को फोन कर के रमा के पिता ने अपने घर बुलाया. रमा की मां का रोरो कर बुरा हाल था. रमा के पिता ने उदास स्वर में विजय से कहा, ‘‘पता नहीं मेरी बेटी से किस की क्या दुश्मनी है कि उसे चरित्रहीन घोषित कर दिया. उस की शादी टूट गई. हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. बेटा, तुम तो जानते हो रमा को अच्छी तरह से.’’

विजय ने अपनी खुशी को छिपाते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘‘जी अकंलजी, मैं तो बचपन से देख रहा हूं. रमा पाकपवित्र लड़की है. मैं तो आंख बंद कर के विश्वास करता हूं रमा पर.’’

‘‘बेटा, तुम रमा से शादी कर लो,’’ रमा के पिता ने हाथ जोड़ते हुए विजय से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा जीवनभर ऋणी रहूंगा. अन्यथा हम तो शहर छोड़ कर जाने की सोच रहे हैं.’’ रमा दरवाजे के पास छिप कर सुन रही थी और देख रही थी अपने दबंग पिता को नतमस्तक होते हुए.

‘‘अंकल, आप कैसी बातें कर रहे हैं? आप की इज्जत मेरी इज्जत. रमा मेरी पत्नी बने, मेरे लिए गर्व की बात होगी.’’

विजय की बात सुन कर रमा के मन में फिर से एक बार कंपन हुई. इस कंपन में प्यार के साथ सम्मान भी था और आभार भी. विजय ने अपने घर में दोटूक उत्तर दिया, ‘‘मैं रमा से ही शादी करूंगा. यह मेरा पहला और आखिरी फैसला है. आप मना करेंगे तो भी मैं शादी करूंगा, चाहे कोर्ट में ही क्यों न करनी पडे़?’’

विजय के परिवार के लोग भी सहमत हो गए. शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. रमा खुश थी, बहुत खुश. उसे बचपन से जवानी तक देखाभला युवक पति के रूप में मिल रहा था. रही विजय के बेरोजगार होने की बात, तो रमा के पिता ने स्पष्ट कह दिया कि ऐसे नेक लड़के के रोजगार लगने की प्रतीक्षा की जा सकती है. यदि नौकरी नहीं मिली तो अपनी जमा पूंजी से विजय के लिए रोजगार की व्यवस्था मैं करूंगा.

रमा के मोबाइल की रिंगटोन बजी. रमा ने मोबाइल उठा कर पूछा ‘‘हैलो कौन?’’

‘‘आप का शुभचिंतक.’’

‘‘नाम बताइए.’’

‘‘मैं बंगाली बाबा. आप को वशीभूत करने के लिए एक व्यक्ति ने मुझे रुपए दिए थे. यदि आप नाम जानना चाहें तो 10 हजार रुपए मेरे अकाउंट में जमा करवा दीजिए.’’

‘‘मुझे नहीं जानना.’’

‘‘हो सकता है जो तंत्रमंत्र के द्वारा आप का वशीकरण चाहता हो, कल आप को दूसरे तरीके से भी नुकसान पहुंचा दे.’’

‘‘कौन है वह?’’

‘‘पहले अकाउंट में रुपए.’’

‘‘आप सच कह रहे हैं, इस का क्या सुबूत है?’’

‘‘मेरे पास आप का फोटो, घर का पता, मातापिता का नाम, सारी जानकारी है आप की.’’

रमा का माथा ठनका. पिछले दिनों जो कुछ उस के साथ हुआ कहीं ये सब उसी व्यक्ति का कियाधरा तो नहीं है. रमा ने उस के अकाउंट में रुपए जमा करवा कर नाम पूछा. नाम सुन कर रमा भौचक्की रह गई. रमा सीधे पुलिसस्टेशन पहुंची. थाना इंचार्ज सीमा तिवारी से मिली. अपनी बदनामी और उन पत्रों की जानकारी दे कर बाबा द्वारा बताया गया नाम भी बताया.

‘‘आप चिंता मत करिए. मैं बारीकी से जांच कर के अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगी.’’

पुलिस ने अपनी जांच शुरू की. रमा की शादी जिस लड़के से होने वाली थी उस लड़के और उस के परिवार वालों को थाने बुला कर पूछताछ की. लड़के को जिस नंबर से फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी, उस नंबर की जांच के साथ उन तमाम पत्रों की भी जांच की गई जो रमा के विरुद्ध महल्ले, कालेज में और लड़के वालों के घर भेजे गए थे. जांच का परिणाम यह निकला कि सबकुछ विजय द्वारा किया गया था. पुलिस की थर्ड डिगरी के आरंभिक दौर में ही विजय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. रमा ने गुस्से में आ कर कई थप्पड़ विजय को जड़ दिए.

‘‘क्यों किया तुम ने ऐसा?’’

‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं. तुम्हें पाने के लिए, तुम से शादी करने के लिए किया सब.’’

‘‘शर्म आनी चाहिए तुम्हें. जिस से प्यार करते हो उसी को सारे शहर में बदनाम कर दिया. यह कैसा प्यार है? यह प्यार है तो नफरत किसे कहते हो? कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा. मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती रही. तुम पर भरोसा करती रही और तुम ने भरोसा तोड़ा, मेरी शादी तुड़वाई. गिर चुके हो तुम मेरी नजरों से. मैं चाहूं तो जेल भिजवा सकती हूं अभी लेकिन फिर तुम्हारी बहन की शादी कैसे होगी? तुम्हारे मातापिता कैसे जी पाएंगे?’’

रमा ने थाना प्रभारी सीमा तिवारी से निवेदन किया, ‘‘मैडम, आप का बहुतबहुत धन्यवाद. मैं इस व्यक्ति के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं करना चाहती. इसे क्षमा करना ही इस की सब से बड़ी सजा होगी.’’

विजय नजरें झुकाएं हवालात में खड़ा था. रमा की डांट से, थप्पड़ से वह अंदर ही अंदर टूट चुका था. रमा थाने के बाहर आई. सामने शादी तोड़ने वाला परिवार खड़ा था. रमा से माफी मांग कर लड़के ने कहा, ‘‘दूसरे के बहकावे में आ कर मैं ने बहुत बड़ी गलती कर दी. मैं शादी करने को तैयार हूं.’’

‘‘लेकिन मैं तैयार नहीं हूं. किसी के बहकावे में आ कर शादी तोड़ने वालों पर विश्वास नहीं कर सकती. शादी के बाद यदि यही बातें तुम तक पहुंचतीं तब क्या करते, तलाक दे देते? विवाह के लिए भरोसा जरूरी है. पहले विश्वास करना सीखिए.’’

रमा ने अपनी स्कूटी उठाई और घर की ओर चल दी. धीरेधीरे यह बात सब जगह पहुंच गई कि रमा को बदनाम करने में विजय का हाथ था. वह तो रमा भली लड़की है जिस ने विजय के परिवार को ध्यान में रख कर उस पर कोई केस नहीं किया.

रमा अब सरकारी नौकरी करती है. इसी शहर में उस का विवाह हो चुका है एक डाक्टर से. रमा के 2 बच्चे हैं. वह खुशहाल भरापूरा जीवन जी रही है. पुलिस थाने से निकलने के बाद विजय न घर आया न किसी ने उसे देखा. विजय की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज है.

Serial Story: लाइफ कोच – भाग 4

अभी नकुल खाना खा कर सोने ही जा रहा था कि फिर किरण का फोन आ गया.

पूछने लगी कि उस ने खाना खाया या नहीं और खाया तो क्या खाया? बहुत ज्यादा कैलोरी वाला खाना तो नहीं खाया न? दवा तो याद से ले रहा है न?

‘‘हां, ले रहा हूं और खाना भी एकदम सादा ही खाया है, तुम चिंता मत करो,’’ मन झंझला उठा नकुल का, ‘अरे, मैं कोई छोटा बच्चा हूं जो हर वक्त मुझे समझती रहती है? खाना खाया कि नहीं, दवा ली या नहीं? इंसान को भूख लगेगी तो खाएगा ही, जरूरत है तो दवा भी लेगा. इस में पूछने वाली कौन सी बात है. सच कहता हूं, एकदो दिन दवा न खाने से शायद मैं बच भी जाऊं, परंतु किरण की कड़कती बातों से एक दिन जरूर मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा,’ मन में सोच नकुल ने तकिया उठा कर पलंग पर दे मारा.

लोगों के सामने वह जाहिर करती कि पैसे कमाने के अलावा नकुल को कुछ नहीं आता है. इसलिए घरबाहर सबकुछ उसे ही संभालना पड़ता है. हंसतेहंसते उस के दोस्तरिश्तेदारों के सामने उसे अपमानित कर देती और बेचारा नकुल दांत निपोर कर रह जाता. लेकिन अंदर से उस का दिल कितना रोता था वही जानता था. तंग आ चुका था वह अपने दोस्त और सहकर्मियों के चिढ़ाने से. जब वे कहते, ‘भई बीबी हो तो नकुल के जैसी. कितनी पढ़ीलिखी है, नकुल की तो जिंदगी ही बदल कर रख दी है भाभीजी ने वरना यह तो रमता जोगी, बहता पानी था.

लेकिन उन्हें कौन समझए कि वह पहले ही ठीक था. आजाद जिंदगी थी. जो मन आए करता था. जहां मन आए जाताआता था, कोई रोकटोक नहीं थी उस की जिंदगी में. लेकिन आज उस की जिंदगी झंड बन चुकी है. लगता है वह अपने घर में नहीं, बल्कि एक पिंजरे में कैद है, जिस की किरण पहरेदारी कर रही है.

नकुल के तो अपने कमाए पैसे पर भी अधिकार नहीं था, क्योंकि उस के कमाए पैसे का सारा हिसाबकिताब किरण ही रखती थी. रोज के खर्चे के लिए वह उसे पैसे तो देती थी पर 1-1 पैसे का हिसाब भी लेती थी कि उस ने कहां कितने पैसे खर्च किए. नकुल के लिए चाहे कपड़े हों, चप्पलें हों या अन्य कोई सामान किरण ही पसंद करती थी, क्योंकि उस के हिसाब से नकुल की पसंद ‘आउट औफ डेटेड’ हो चुकी थी. जब भी कोई नकुल के कपड़े, घड़ी या जूतों की तारीफ करता तो कैसे तन कर किरण कहती कि यह तो उस की पसंद है. नकुल को ये सब कहां आता है. मतलब लोगों के सामने उस ने तो नकुल को एकदम गंवार ही साबित कर दिया था.

नकुल के फोन चलाने पर भी उसे एतराज होता है. कहती है कि उस के कारण ही पीहू बिगड़ रही है. बेचारे नकुल की हिम्मत ही नहीं पड़ती है फिर किरण के सामने फोन छूने की भी, जबकि वह खुद घंटों मोबाइल पर हंसहंस कर अपने रिश्तेदार और सहेलियों से बातें करती रहती है. जब मन होता शौपिंग पर निकल पड़ती है. किट्टी पार्टी करती है. सहेलियों के सामने अपनी धाक जमाने के लिए हर महीने नई साड़ी और ज्वैलरी खरीदती है. अपने रूपरंग को निखारने के लिए ब्यूटीपार्लर जाती है.

नकुल के मेहनत से कमाए पैसों को पानी की तरह बहाती है. तब तो नकुल कुछ नहीं बोलता है, क्योंकि यह उस का जन्मसिद्ध अधिकार है और अगर पति कुछ बोल दे, तो पत्नी उस पर घरेलू हिंसा का आरोप लगा कर थाने तक घसीट ले जाती है. फिर पति और बच्चों के साथ इतनी रोकाटोका क्यों? सोच कर ही नकुल तिलमिला उठता था. लेकिन उस की हिम्मत नहीं होती थी किरण से कुछ पूछने की. इस घर में सिर्फ नकुल और पीहू के लिए ही अनुशासन संचालित था, किरण के लिए नहीं. वह तो आजाद थी अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जीने के लिए.

बचपन से ही नकुल ने देखा है, कैसे उस की मां उस के पापा से डरडर कर

जीती थी. हमेशा इस बात का डर लगा रहता था उसे कि जाने किस बात पर नकुल के पापा उस पर भड़क उठेंगे. कभी उस के बनाए खाने को ले कर तो कभी उस के पहनावे और बोलने के ढंग को ले कर नकुल के पापा अपनी पत्नी का अपमान करते रहते थे और वह बेचारी, सिर झकाए सब सुनती यह सोच कर कि शायद वे सही बोल रहे हैं. उसे विश्वास दिला दिया गया था कि वह एक अनपढ़गंवार औरत है, कुछ नहीं आता उसे. अपने पापा के कड़े व्यवहार के कारण ही नकुल 10वीं कक्षा के बाद बाहर पढ़ने निकल गया था.

लेकिन उसे नहीं पता था कि एक दिन उस की जिंदगी भी उस की मां जैसी बन जाएगी. तभी वह कहता अपनी मां से कि वह चुप क्यों रहती है, बोलती क्यों नहीं कुछ? विरोध क्यों नहीं करती उन की बातों का? लेकिन आज उसे समझ में आ रहा है कि घर की शांति भंग न हो, इसलिए एक इंसान चुप लगा जाता है. लेकिन कैसे दूसरा इंसान उस की इस चुप्पी का फायदा उठा जाता है वह भी अच्छे से देख रहा था. नकुल की चुप्पी का ही नतीजा है कि आज उस का परिवार उस से दूर हो गया.

पिछले साल रक्षाबंधन पर कैसे किरण ने नकुल की बहन सिम्मी को यह बोल कर अपने घर आने से रोक दिया था कि नकुल ही वहां चला जाएगा, उसे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है.

जाते वक्त नकुल को 500 रुपए पकड़ाते हुए कहा था कि बहुत हैं, इन से ज्यादा क्या दोगे. एक ही बहन है उस की और भाई इतने बड़ी कंपनी में काम करता है तो क्या यही दे सकता है वह अपनी एकलौती बहन को? बहुत दुख हुआ था उसे. लेकिन नकुल की मां सब समझती थी तभी तो अपनी तरफ से सिम्मी को उपहार दे कर बात संभाल ली. मगर कब तक? एक न एक दिन तो सब को पता चल ही जाता है न.

किरण के ऐसे डौमिनेटिंग व्यवहार के कारण ही नकुल के परिवार के लोगों ने उस के घर आना बंद कर दिया. नकुल को उस के घर में सब जोरू का गुलाम बुलाते हैं. उन्हें लगता है नकुल अपनी पत्नी से डरता है, जबकि वह उस की इज्जत करता है. मगर क्या किरण यह बात समझेगी कभी? उसे तो सिर्फ लोगों को बेइज्जत करना आता है.

नकुल को जब भी मन होता है अपने परिवार से मिलने वहां खुद चला जाता है, क्योंकि किरण को अपने घर में वे लोग पसंद नहीं. अपने ही घर में नकुल इतना पराया हो गया है कि उसे यह भी फैसला लेने का हक नहीं है कि उस के घर में कौन आ सकता है कौन नहीं, जबकि उस के मायके वाले जब मन हुआ तब आ धमकते हैं. किरण कैसे उन के स्वागत में पानी की तरह पैसे बहाती है. क्या ये सब देख कर नकुल को गुस्सा नहीं आता है? वह खून का घूंट पी कर रह जाता है.

हमेशा जताती है कि अगर वह नकुल की जिंदगी में न आई होती, तो आज वह इस मुकाम पर न होता. इस में भी सारा श्रेय खुद ले कर वह नकुल को जीरो साबित कर देती है. अपने दोस्तों और परिवार वालों के सामने नकुल का आत्मसम्मान, उस का आत्मविश्वास सब टूटने लगा था. जिस तरह से किरण उसे झिड़कती, उसे सच में लगता कि वह कुछ काम का नहीं है.

‘‘हाय, स्ट्रौंग मैन, आप अभी तक यहीं हो?’’ पीछे से किसी का स्पर्श पा कर जब नकुल मुड़ा तो वही बच्चा अपनी मां का हाथ थामे खड़ा मुसकरा रहा था.

‘मैं और स्ट्रौंग’ नकुल ने मन ही मन कहा कि वैसे गलती मेरी भी है. मैं ने खुद को इतना कमजोर बना लिया कि किरण मुझ पर हावी होती चली गई. ‘लाइफ कोच’ के नाम पर वह मेरा शोषण करती रही और मैं करवाता रहा. लेकिन अब नहीं, अब बहुत हो चुका. अब मैं अपना ‘लाइफ कोच’ खुद बनूंगा. अब न तो मैं खुद और न ही अपनी बेटी को किरण के जुल्मों का शिकार बनने दूंगा. अब से मैं वही करूंगा जो मुझे सही लगेगा. अगर उसे पसंद है तो ठीक, वरना हमारे रास्ते अलग होंगे. मन में सोच नकुल ने एक लंबी सांस ली.

Valentine’s Special: स्मार्ट मेकअप ट्रिक्स अपनाएं और रूप सजाएं

वैलेंटाइन डे यानी प्यार करने के लिए प्यार से बना दिन है. हर लडक़ी चाहती है कि वह इस दिन कुछ खास लगे. लेेकिन कामकाजी लड़कियां अपने बिजी शेड्यूल की वजह न तो वह अपनी स्किन को टाइम दे पातीं हैं न सैलून जाकर तैयार हो पाती हैं. अगर आप भी ऐसी ही कामकाजी महिलाएं हैं तो फिक्र न करें. पूरे दिन की ऑन लाइन मीटिंग के बावजूद पंद्रह मिनट की कुछ स्मार्ट मेकअप ट्रिक्स आजमाएंगी तो आपके वो खास आपके रूप को देखकर बस फिदा हो जाएंगे. रूप को निखारने के ट्रिक्स बता रहीं हैं ब्यूटी एक्सपर्ट और अरोमा थेरेपिस्ट नीति अरोड़ा.

ब्यूटी के स्मार्ट टिप्स और ट्रिक्स

फेस क्लीन

सबसे जरूरी बात कि दिनभर की थकान चेहरे पर नहीं दिखे इसके लिए आइस वॉटर से फेस धोएं, इसके बाद कॉफी और शुगर से स्क्रब करें.

परफेक्ट रेड

लिपस्टिक में रेड एक ऐसा रंग है जो फ्रैश लुक देगा.इसके अलावा आप  मैरून टोन भी ले सकती है. अगर आपको बिल्कुल मेकअप पसंद नहीं हैं तो टिंटेड ग्लॉस लगा सकती हैं. अगर आप रेड से होंठो को सजाती हैं तो आखों को ज्यादा हाइलाइट करने की जरूरत भी नही पड़ती.

हाथों में जब होगा हाथ

हाथों को फटाफट क्लीन करने के लिए फ्रैंच मेन्क्यिोर करें, आजकल मार्केट में रेडी टू यूज मैनिक्योर किट उपलब्ध हैं. फिर नेल पेंट लगाएं.

हाइलाइटर और ब्लशर

अगर आप को बहुत हैवी मेकअप नहीं करना तो सीसी और बीबी क्रीम को मॉश्चाइजर के साथ मिक्स करके लगाएं. यह नेचुरल कवरेज है. इसके ऊपर आप ब्लशर और हाइलाइटर का प्रयोग करें. डस्की स्किन है तो गोल्डन और फेयरटोन है तो सिल्वर कलर ही लगाएं.

आंखें कुछ कहती हैं

मोहब्बत में आंखों से भी कुछ कहा जाता है. ऐसे में इस मौके पर आंखों का मेकअप करना न भूलें. सिर्फ ब्लैक आइलाइनर ही क्यों. इंडियन टोन के हिसाब से डार्क ब्राउन और डार्क चैरी उन पर बिजलियां गिराने के लिए काफी है. आईशेड्स लगाने में तो समय लगता है ऐसे में स्पार्कल और शिमर आईलिड पर लगाएं. आईब्रो पेंसिल से आईब्रोज को शेप करें. इन सभी के बाद मस्कारा का एक स्ट्रोक ही काफी है.

हेयर स्टाइल

छोटे बाल हो तो उन्हें खुला छोड़ दे हल्के बालों को घना दिखाने के लिए कर्ल करे अपने फेस लुक के अनुसार बालों को स्ट्रेट भी कर सकती हैं लंबे बालों हाई पोनी बनाएं.

चलते-चलते

एक और टिप खुद को सजाने के बाद महकना न भूले. उनका पसंदीदा ड्यिू या परफ्यूम से महकें. बहुत स्ट्रांग परफ्यूम न लगाएं. हल्का फ्लोरल आपकी फ्रैगनेंस में चार-चांद लगा देगा.

Valentine’s Day: परिंदा- क्या भाग्या का उठाया कदम सही था

भाग्या के घर में उस की शादी की बातें हो रही थीं. उस के पापा राज ने अपने समाज के कुछ लड़के देखे थे. बात आगे बढ़ाने से पहले उन्होंने भाग्या से कहा, ‘‘यदि तुम्हें कोई लड़का पसंद हो तो बता दो, हम उस से मिल कर तुम्हारी शादी करवा देंगे.’’

जवाब में भाग्या ने घरवालों की बात पर अपनी मोहर लगाते हुए कहा, ‘‘पापा, कोई नहीं है. आप को जैसा ठीक लगे, मु झे मंजूर है.’’

‘‘ठीक है, फिर मैं लड़के वालों से बात कर के मिलने की तारीख तय कर देता हूं. आपस में तुम लोग एकदूसरे से मिल लो, फिर बात आगे बढ़ेगी.’’

घर पर शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. इधर भाग्या भी अपने काम में व्यस्त थी. समय पंख लगा कर उड़ रहा था. 2 दिनों बाद लड़के वालों से मिलने सब दूसरे शहर जाने वाले थे. आज सुबह भाग्या ने अपना बैग पैक किया व औफिस जाने के लिए जैसे ही बाहर निकली कि उस की मां मोना ने उसे आवाज दी, ‘‘भाग्या, आज अपने औफिस में छुट्टी की बात कर लेना, हमें परसों निकलना है.’’ भाग्या ने बिना पलटे ही, ‘‘ठीक है मां,’’ कहा और तेजी से घर से बाहर निकल गई.

रात के 9 बज चुके थे. सब के घर आने का समय हो गया था. मोना भोजन तैयार कर सब के घर आने की राह देख रही थी. भाग्या अभी तक घर नहीं आई तो मोना कुछ चिंतित सी हो गईं. साधारणतया वह 9 बजे तक आ जाती थी. 9.30 बज गए थे. राज भी घर पर आ गए. मोना को घर पर अकेली परेशान देख कर राज ने पूछा, ‘‘भाग्या अभी तक नहीं आई? क्या बात है?’’ मोना ने पलट कर कहा, ‘‘हां, आती होगी. आजकल काम ज्यादा है इसलिए जल्दी जाती है और देरी से घर आती है. मैं फोन लगा कर पूछती हूं कि कहां है.’’

उन्होंने भाग्या को फोन लगाया. घंटी जा रही थी किंतु उस ने फोन नहीं उठाया. सब परेशान हो रहे थे. समय गुजर रहा था. 10 बजे तक भाग्या घर नहीं आई तो राज ने कहा, ‘‘मैं देख कर आता हूं. चल संजू.’’ संजू भाग्या का छोटा भाई था. राज ने जैसे ही घर के बाहर कदम रखा कि मोना के फोन की घंटी बजी. मोना ने वहीं से आवाज दे कर कहा, ‘‘रुको, भाग्या का फोन है.’’ आवाज दे कर मोना ने फोन उठाया, ‘‘कब से तु झे फोन कर रहे हैं, उठा भी नहीं रही है, सब ठीक है न? कहां है, कब तक आएगी? सब परेशान हैं.’’ लेकिन भाग्या ने मोना की बात बीच में काट कर कहा, ‘‘मां, मेरी चिंता मत करो. मैं ठीक हूं. मैं ने शादी कर ली है. मु झे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. हम नहीं मिलेंगे. हम ने शहर भी छोड़ दिया है,’’ कह कर उस ने फोन काट दिया.

‘‘हैलो, भाग्या, सुन…’’ मोना बोलती रहीं और कंठ अवरुद्ध हो गया. फोन हाथ से छूट कर जमीन पर गिर गया. कटी हुई डाली की तरह मोना धम्म से जमीन पर गिर पड़ीं. यह देख कर सभी उन की तरफ दौड़े, ‘‘क्या हुआ?’’

मोना ने अस्फुटित शब्दों में कहा, ‘‘उस ने शादी कर ली है, और कहा है कि वह वापस नहीं आएगी, उसे मत ढूंढ़ना. वह यह शहर छोड़ कर चली गई है.’’

उस के इस कदम से घर के सभी लोग स्तब्ध हो गए. नींद उड़ गई थी सब की. भोजन ठंडा हो गया था. घर में भय से भरा सन्नाटा पसरा हुआ था. बाहर के कमरे में सभी लोग बैठे थे किंतु वे सभी कुछ कहनेसुनने व सोचने की स्थिति में नहीं थे. अब जाएं भी तो कहां जाएं. जवान लड़की का इस तरह चले जाना इज्जत का सवाल होता है. ऐसी खबरें भी आग की तरह फैलती हैं. मोना छाती पीट कर रो रही थीं. उधर राज का क्रोध सातवें आसमान पर था. वे मोना पर अपने क्रोध के अग्निबाण चला रहे थे.

‘‘सब तेरा ही सिखायापढ़ाया है, घर पर क्या करती हो, बच्चों का ध्यान नहीं रख सकती.’’ उस के पिता ने उन्हें बीच में टोक दिया, ‘‘अब लड़ने झगड़ने से क्या फायदा होगा. तुम्हारी इसी हरकत से वह चली गई है. जब देखो एकदूसरे को काटने के लिए दौड़ते हो. अब शांत हो कर आगे की सोचो. लड़की जात है, इस बात का ध्यान रखना कि बात घर से बाहर नहीं जाए. अब शादी कर ली है तो लड़की को घर लाने की बात सोचो. मन को शांत रखो. उसे सम झाबु झा कर घर लाना होगा.’’

उन की बात सुन कर सब लोग चुप थे. मन में उथलपुथल मची हुई थी और हारे हुए से अपने समय को कोस रहे थे. 2 दिन हो गए, भाग्या की कोई खबर नहीं मिली. परिवार के सभी लोग इस बात से चिंतित थे कि कहीं लड़की के साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ, कौन सी जाति का लड़का है? क्या करता है? आजकल समाज में जिस तरह की घटनाएं हो रही थीं, चिंता होना लाजमी थी. कहते हैं न इश्कमुश्क छिपाए नहीं छिपता है. इस बात को परिवार भरसक छिपाने का प्रयास कर रहा था, लेकिन जल्दी हवा में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. गांव में ऐसी बातें जल्दी फैलती हैं. इधरउधर से लड़के की जानकारी भी मिल रही थी कि इसे भाग्या के साथ देखा गया था. 2 दिन तक जब भाग्या की कोई खबर नहीं मिली तो सब ने पुलिस की मदद लेने का फैसला लिया. लेकिन तभी फोन की घंटी बजी. नया नंबर देख कर राज ने फोन उठाया. उधर से भाग्या की आवाज आई, ‘‘पुलिस में खबर करने की जरूरत नहीं है. मैं बहुत खुश हूं. हमें ढूंढ़ने की कोशिश मत करो. हम आप को नहीं मिलेंगे, न ही घर आएंगे.’’

राज ने मन शांत रख कर कहा, ‘‘ठीक है, तुम ने शादी कर ली है. अब तो घर आ जाओ. बैठ कर बात करेंगे. हम उसी लड़के से तुम्हारी शादी समाज के सामने करवा देंगे. ऐसे हम समाज में क्या मुंह दिखाएंगे. हमें भी तो लड़के से मिलने दो. नहीं आई तो मजबूरन हमें पुलिस की मदद लेनी पड़ेगी.’’

‘‘मैं ने कहा न कि मैं बहुत खुश हूं. हमें ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. हम ने शहर छोड़ दिया है. मैं अब बालिग हूं, अपना भलाबुरा सोच सकती हूं,’’ इस के बाद फोन बंद हो गया. आजकल सोशल मीडिया ने सब की जिंदगी में अपने पांव पसार रखे हैं. दुनिया में यह जीवन की खुली किताब का सब से आसान जरिया भी बन गया है. देररात भाग्या ने अपने सोशल अकाउंट पर शादी की तसवीरें पोस्ट कर के अपनी शादी को सार्वजनिक कर दिया. उस के बाद उस ने अपना फोन भी बंद कर दिया. परिवार जिस इज्जत की दुहाई दे रहा था, उसे उस ने पलभर में चकनाचूर कर दिया था. समाज रिश्तेदारों में यह बात आग की तरह फैल गई थी. जितने मुंह उतनी बातें. लड़के की तसवीर देख कर भाग्या के घरवालों ने लड़के के घर का पता ढूंढ़ना शुरू किया. गांव के कुछ शुभचिंतकों ने लड़केवालों का पता भी दे दिया था. ऐसे समय में शुभचिंतक भी बहुत पैदा हो जाते हैं. सब भागेभागे लड़के के घर गए व उस के मातापिता से कहा, ‘‘हमें हमारी लड़की से मिलने दो.’’ लेकिन, उन्होंने भी साफ कह दिया कि उन का लड़का भी घर से गायब है व उस का फोन भी बंद आ रहा है. वे भी बहुत परेशान हैं. उस से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. राज को गुस्सा आ गया, वे बोले,’’ आप को जैसे ही पता चले हमें भी अवगत कराएं. आप के लड़के ने हमारी लड़की को भगाया है. हम उसे नहीं छोड़ेंगे.’’ लड़के वाले भी घबरा गए. वे बोले, ‘‘देखिए, हम भी उतने ही परेशान हैं जितने आप. हमारा लड़का भी घर से भाग गया है. हम क्या कहें.’’

वे मायूस हो कर घर लौट गए. घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था. उधर लड़के वालों का भी संदेश आ गया, अच्छा हुआ लड़की शादी से पहले भाग गई. वरना हमारे बच्चे की जिंदगी खराब हो जाती.’

राज ने घर में सब से कह दिया, ‘‘इस लड़की ने हमारी नाक कटा कर रख दी है. अब हमें उस से कोई नाता नहीं रखना है.’’ इधर भाग्या के जीवन में बसंत ने खुशियों की दस्तक दी थी. पलाश के प्यार ने उस के जीवन को महका दिया था. आज वह दुनिया से चीखचीख कर कहना चाहती थी कि मैं आजाद हूं. जैसे कोई पंछी पिंजरे से बाहर निकल कर खुले आसमान में मदमस्त हो कर विचरण करता है, वैसे ही भाग्या का मन उड़ान भर रहा था. उमंगें जहां हृदय में हिलोरें मार रही थीं वहीं भय भी ग्रहण बन कर बैठा था. कब क्या होगा, कोई नहीं जानता था. उसे पता था कि उस का परिवार इतनी आसानी से उन्हें जीने नहीं देगा.

इधर पलाश हर कदम पर उस के साथ खड़ा था. हर 2 दिन में वे शहर बदलते रहे कि कहीं उन का नंबर ट्रेस कर के ढूंढ़ लिया तो पकड़े जा सकते हैं. इस भागमभाग में भी यह प्रेमिल जोड़ा अपनी दुनिया में खुशियों के रंग भर रहा था. भाग्या के माथे पर सिंदूर की लालिमा दमक रही थी. वहीं, आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने पल रहे थे. प्यार के रंग में रंगी उस की जिंदगी में इंद्रधनुषी रंग भर गए थे. उस के ससुराल वालों ने उसे अपनी पलकों पर बिठा कर इतना दुलार दिया कि उसे मातापिता की कमी महसूस नहीं हुई. उन के साथ के बिना यह शादी संभव नहीं थी. शादी की तसवीर पोस्ट करने के बाद दोनों गुजरात के एक होटल में 2 दिन के लिए रुक गए. रात को पलाश ने अपने घर फोन कर के मातापिता से स्थिति का जायजा लिया व उन्हें अपने सकुशल होने की सूचना दी.

नवविवाहित जोड़ा प्यार की खुमारी के रंग में रंगा हुआ अपने जीवन को सतरंगी बना रहा था. रात को पलाश थक कर सो गया, पर भाग्या की आंखों में नींद नहीं थी. पलाश की आगोश में लेटी हुई वह अपने अतीत में विचरण कर रही थी. बचपन से ही उस ने अपने घर में प्यार के दो शब्द भी नहीं सुने थे. मातापिता को हमेशा लड़ते देखा था. दोनों का गुस्सा भाग्या पर निकलता था. मां ने भी हमेशा संजू और उस में फर्क किया. जैसे उस का लड़की होना ही बुरा था. वे लड़की की जिम्मेदारियों से बचना चाहते थे. बातबात पर भाग्या को कोसना व मारना आम बात थी. मां हर वक्त उसे डांटती रहतीं, तो कभी गुस्से में उस का सिर दीवार से फोड़ देतीं.

पापा का दिल उस के माथे से निकलते हुए खून को देख कर भी कभी नहीं पसीजा. घर में भाग्या का बचपन सहमते हुए ही बीता. बचपन से ही ताने सुनसुन कर व मार खाखा कर वह कुछ ढीठ सी हो गई थी. उसे युवावस्था में आतेआते घरवालों की हर बात से फर्क पड़ना बंद हो गया था. पैसे की लालची उस की मां ने उसे पढ़ने के साथसाथ काम पर भी लगवा दिया था. उस की मां को बस मिलने वाले गिफ्ट व पैसे के अलावा किसी बात से कोई मतलब नहीं था कि भाग्या बाहर क्या करती है. भाग्या ने भी उन्हें पैसे व गिफ्ट दे कर उन का ध्यान खुद से हटा दिया.

घर में उपेक्षित बच्चों के कदम बाहर जल्दी बहकते हैं. अपनेपन व प्यार के लिए तरसती भाग्या के कदम कम उम्र में ही बहक गए थे. एक बार अपनी क्लास के मुसलमान सहपाठी के साथ पकड़ी गई तो घर से बाहर निकलने के साथ उस का कालेज भी बंद करवा दिया गया. उसे घर में बंधक बना कर नजरबंद कर दिया गया. उस के दोस्त को मारपीट कर धमका कर हवालात के दर्शन करवा दिए व लड़की को बहलानेफुसलाने की रपट करवा दी. दोनों तरफ पहरे हो गए थे. बहुत कोशिश करने के बाद भी वह घर से बाहर नहीं जा सकी.

कम उम्र में सहीगलत की सम झ ही कहां होती है. मामला शांत करने के लिए कुछ दिनों बाद उसे ननिहाल में भेज कर घरवालों ने उस की शादी करवाने का निर्णय लिया. लेकिन, शादी की बात सुनते ही उस ने आत्महत्या करने की कोशिश की. बमुश्किल से कुछ रिश्तेदारों ने बीचबचाव कर के कहा, ‘लड़की अभी छोटी है. पहले लड़की को लिखाओपढ़ाओ, प्यार से सम झाओ.’ भाग्या के पास भी दूसरा मार्ग नहीं था, या तो वह पढ़े या शादी करे. उस ने फिर से पढ़लिख कर कुछ करने का मन बनाया. घर वालों ने भी उस के प्रति थोड़ी नरमी बरतनी शुरू कर दी. घर वालों ने प्राइवेट परीक्षा देने की अनुमति प्रदान की. लेकिन घर से बाहर उसे अकेले आनेजाने की अनुमति नहीं थी. वह सिर्फ परीक्षा देने ही जाती थी. उस का जीवन एक कैदी की तरह बीतने लगा. 2 वर्षों तक यों ही चलता रहा. फिर घरवालों को लगा कि वह सुधर गई है, तो फिर से पढ़ाने के साथ उस के घर वालों ने उसे अपने करीबी रिश्तेदार के यहां काम पर भी रख दिया, जिस से आमदनी भी होती रहे व उस का भविष्य भी सुधर जाए. परिवार का कोई न कोई सदस्य पहले उसे खुद लेनेछोड़ने जाता था.

खुली हवा में सांस लेने के लिए तरसती भाग्या के जीवन में पलाश के आने से बसंत का आगमन शुरू हो गया था. प्यार की फगुनाहट दिल में दस्तक देने लगी थी. मन का मौसम चुपके से बदल रहा था. वह उस के औफिस में काम से आता था, वहां एकदूसरे से नजरें मिलीं और दिल चुपचाप धड़कने लगे. रोज औफिस में होती मुलाकातों ने उन्हें एकदूसरे के करीब ला दिया. एक दिन पलाश ने भाग्या को शादी के लिए प्रपोज किया तो बिना देर किए भाग्या ने अपने जीवन को बदलने का मन बना लिया.

औफिस लंच के समय भाग्या पलाश के घर वालों से भी कभीकभार मिलने लगी. इस बार वह सतर्क थी कि दिल में महकते हुए प्यार के फूलों की महक किसी तक न पहुंचे. फिर से कोई इन फूलों को न मसले. सुंदर, सलोनी लड़की पा कर पलाश के घर वालों ने उसे सहर्ष अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर आशीष व नेह की बारिश में भिगो दिया. प्यार के लिए तरसती भाग्या का समय सच में उस पर मेहरबान हो रहा था. इधर परिवार में उस की शादी के चर्चे शुरू हुए तो भाग्या ने घबरा कर पलाश व उस के परिवार को सब बात बता दी. वह उन्हें खोना नहीं चाहती थी. उस ने कहा जल्दी शादी करो वरना हमारी शादी कभी नहीं होगी. पलाश के मातापिता ने कहा, ‘बेटी तुम चिंता मत करो, हम तुम्हारे घरवालों से बात करेंगे.’ कहते हैं न दूध का जला छाछ भी फूंकफूंक कर पीता है. तब उस ने कहा, ‘नहीं, मेरे घर वाले नहीं मानेंगे. मेरे पापा बहुत गुस्से वाले हैं. वे पलाश के साथ कुछ भी कर सकते हैं. उन की यहां सब से बहुत जानपहचान है.’

भय से उस का चेहरा पीला पड़ रहा था. औफिस के काम में भी मन नहीं लग रहा था. औफिस का मालिक उन के परिवार का करीबी था. वह सब जानता था. उस ने भाग्या के जीवन में खुशियों की खातिर उस का साथ देने का फैसला लिया. उस ने भाग्या को दिलासा दिया कि वह उस की मदद करेगा. पर किसी को भी यह बात पता नहीं चलनी चाहिए. उस ने भाग्या के घर पर संदेश दिया कि आजकल औफिस में काम ज्यादा है, इसलिए औफिस जल्दी आना होगा व देर तक रुकना होगा. रिश्तेदार होने के कारण किसी को उस पर शक नहीं हुआ. इधर पलाश व उस के घर वालों ने गुपचुप तरीके से  झटपट शादी की तैयारियां शुरू कर दीं.

मातापिता बन कर वे बेटी को घर लाने की तैयारी कर रहे थे. किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई. भाग्या ने भी घर छोड़ने के कुछ दिनों पहले से अपना सामान चुपचाप ले जा कर अपने होने वाले नए घर में रखना शुरू कर दिया. चुपचाप सारी तैयारियों को अंजाम देते हुए अंत में दूसरे शहर जा कर कोर्टमैरिज कर ली.

भाग्या के सासससुर, ननदननदोई सब ने मिल कर उस की  झोली खुशियों से भर दी. उसी शाम दोनों पलाश की बहन के घर गुजरात चले गए. शेष सभी लोग देररात तक वापस शहर में आ गए. रात को राज ने उस के औफिस में जब पूछताछ की तो मालिक ने कह दिया, ‘मैं तो आज दिन में बाहर गया था, मु झे नहीं पता है.’ सब की कोशिशों ने भाग्या का जीवन बदल दिया था.

मामला ठंडा होने तक दोनों एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे. फिर पुलिस की मदद से अपने घर लौट आए. आज पंछी कैद से आजाद था, उसे पिंजरे के घुटनभरे माहौल से मुक्ति मिल गई थी. यहां सांस लेने के लिए खुला आसमान था, रहने के लिए घर था, जिसे वह अपना कह सकती थी. जो मन चाहे कर सकती थी. जीवन के नीरस रंग चटकीले रंगों में बदल गए थे. भय का कोई साया साथ नहीं था.

सुबहशाम घर में इतनी शांति उस ने कभी नहीं देखी थी. अब सुबह मधुर संगीत से होती थी तो शाम को घर में हंसी के ठहाके गूंजते थे. वह आज अपने घर में सुरक्षित थी. प्यार व दुलार का एहसास अब हो रहा था. सास के रूप में उसे मां मिली थीं जिन्होंने उसे अपने आंचल में छिपा कर अपनी ममता उस पर लुटा दी थी. जीवन पूर्ण सतरंगी हो गया था.

राज व मोना चाह कर भी कुछ नहीं कर सके. उन्होंने भाग्या से संबंध तोड़ लिए थे. लेकिन भाग्या ने मन बनाया कि कुछ समय बाद वह कोशिश करेगी कि अपने घर वालों के मन को भी मिठास का स्वाद चखा दे. पलाश के फूलों की महक सब के जीवन में ताउम्र महकती रहे. पंरिदे पिंजरे में कैद नहीं, खुले आसमान में विचरते ही अच्छे लगते हैं. कलरव की मधुरता ही जीवन को सुंदर बनाती है.

Valentine लुक को गॉर्जियस बनाए डिजाइनर साड़ी

वेलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी आ गया है. ऐसे में अपने लुक को स्टाइलिश बनाने और इस खास दिन को और खास बनाने के लिए ऐसी ड्रेस कैरी करें जो सबसे हट कर हो. तो क्यों न इस प्यार के मौसम में बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडेकर की तरह वाइट साड़ी पहन कर जलवा बिखेरा जाएं.

प्यार के इस मौसम में रेड कलर की धूम हर तरफ देखने को मिलती है. फिर चाहे वो ट्रेडिशनल ड्रेस हो या वेस्टर्न ड्रेस. आप रेड कलर पहन कर मॉडर्न और ट्रेंडी लुक तो दिखा सकती है लेकिन खास लुक पाने के लिए बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर की डिजाइनर वाइट साड़ी ट्राई कर सकती है.

 

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राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर अपनी फिल्म ‘बधाई दो’ के प्रमोशन के लिए कपिल शर्मा के शो में नजर आएंगे. चैनल ने एपीसोड का प्रोमो रिलीज कर दिया है. भूमि पेडनेकर शो में डिजाइनर साड़ी पहनकर पहुंची हैं. डिजाइनर अबु जानी-संदीप खोसला की डिज़ाइन की हुई इस वाइट ओर्गेंजा साड़ी में रेड कलर के धागे से लव शब्द को अलग-अलग भाषाओं में एम्ब्रॉयडर किया गया है. जो देखने में बहुत स्टाइलिश लग रहा है. साड़ी का कलर कॉम्बिनेशन भी अलग लुक दे रहा है.

 

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अब साड़ियों में एक्सपेरिमेंट होने लगे हैं. ट्रेडिशनल साड़ियों को मॉर्डन टच देने के लिए स्टाइलिश ब्लाउज आ गए हैं. भूमि पेडेकर ने वाइट साड़ी को प्लेन वाइट बस्टियर स्टाइल ब्रालेट के साथ पहना है साड़ी के साथ लुक को गॉर्जियस बनाने के लिए मेकअप  मिनिमल, मैट और न्यूड किया हुआ है और बालों को खुला छोड़ा हुआ है. इसके साथ डायमंड ब्रेसलेट और छोटे इयररिंग भूमि की खूबसूरती को और निखार रहे है.

अगर आपके लिए भूमि के जैसी डिजाइनर साड़ी खरीदना मुश्किल है तो कम बजट में आप ऐसे ही कलर कॉम्बिनेशन में दूसरा कोई मिनिमल पैटर्न भी चुन सकती हैं..अब बहुत से होमग्रोन ब्रैंड्स हैं जो आपकी पसंद और डिजाइन के हिसाब से साड़ियां कस्टमाइज़ कर सकते हैं. अब आपको जॉर्जेट,सिल्क, ऑर्गेंजा, बनारसी, सिफॉन नेट तरह तरह की साड़ियों की वैराइटी भी मिल जाती है.

अगर आप भी इस वेलेंटाइन डे को खास बनाना चाहती है तो इस तरह की साड़ी को जरूर ट्राई करें.

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