YRKKH : अक्षरा को देख अभिमन्यु हुआ शॉक, शो मे आएगा बड़ा ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) दर्शकों के दिलों पर राज कर रहा है. इस सीरियल में प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) और हर्षद चोपड़ा (Harshad Chopda) की जोड़ी नजर आ रही है. दोनों अक्षरा और अभिमन्यु का किरदार निभा रहे हैं. साथ ही जय सोनी भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस सीरियल में छह साल के लीप के बाद अक्षरा और अभिमम्यु का आमना-सामना हो चुका है. बीते एपिसोड में देखने को मिला था कि अभी अक्षु के घर पर डिनर करने पहुंचता है और यहां पर दोनों एक-दूसरे को देखकर हैरान रह जाते हैं.

 

नॉर्मल रहने की कोशिश करेंगे अक्षरा-अभिमन्यु

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अक्षरा और अभिमन्यु डिनर टेबल पर एक-दूसरे के साथ नॉर्मल रहने की कोशिश करेंगे. वहीं, इन सबके बीच अभिनव की खुशी का ठिकाना नहीं होगा, क्योंकि वह अभिमन्यु को अपने घर पर देखकर बहुत खुश है. वह खुद अभी को खाना परोसता है. दूसरी तरफ अक्षरा अपने बेटे अभीर में बिजी होती है. हालांकि, अभिमन्यु, अक्षु-अभीर और अभिनव को साथ देखकर कम्फर्टेबल हो जाता है.

 

अक्षरा के घर से जल्द निकलेगा अभिमन्यु

कहानी में ज्यादातर सीन्स टेबल के आसपास ही बीत जाएंगे. सीरियल में देखने को मिलेगा कि अक्षु को देखने को बाद अभिमन्यु जल्द से जल्द उस घर से जाने की कोशिश करेगा. लेकिन अभिनव ऐसा होने नहीं देता. इसी वजह से अभिमन्यु खाना खाने के तुरंत बाद वहां से निकल जाता है. हालांकि, इससे पहले वह तीनों को गिफ्ट भी देता है. साथ ही अभी अभिनव को उसके पैसे भी देता है. लेकिन अभिमन्यु के हाथ से कैश अक्षरा लेती है.

 

अभिनव को सच बताने को कोशिश करेगी अक्षरा

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में आगे देखने को मिलेगा कि अभिमन्यु अक्षरा के घर से बाहर निकलने के बाद काफी ज्यादा परेशान हो जाता है. उसे सारी पुरानी बातें याद आती हैं. दूसरी तरफ अक्षरा भी शॉक में गेट पर खड़ी रहती है. वहीं, जब वह अंदर आती है तो अभिनव को अभिमन्यु के बारे में बताने की कोशिश करती है. लेकिन ऐसा नहीं कर पाती, जिस वजह से वह और ज्यादा परेशान हो जाती है. हालांकि, कहानी में अक्षरा और अभिमन्यु का आमना-सामना एक और बार होगा.

‘‘सिर्फ औरतों के प्रति ही नहीं, बल्कि आज के वक्त में लड़कों के लिए भी आवाज उठाना चाहिए.’’ -रिद्धि डोगरा

मषहूर अदाकारा रिद्धि डोगरा पिछले 15 वर्षों से अभिनय जगत में काम कर रही हैं,जबकि वह अभिनेत्री बनना नहीं चाहती थी.वह तो डंास के षौक के चलते षाॅमक डावर से डांस की ट्ेनिंग ले रही थी.उसके बाद उन्हे एक चैनल पर नौकरी मिल गयी.पर एक दिन नौकरी छोड़ दी और अचानक दिया टोनी सिंह ने उन्हे सीरियल ‘‘मर्यादा’’ में अभिनय करने का अवसर दे दिया.उसके बाद से उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा.कई टीवी सीरियलांे में अभिनय करने के अलावा वह ‘नच बलिए’ और ‘खतरों के खिलाड़ी’ जैसे रियालिटी षो का भी हिस्सा बनी.फिर वेब सीरीज ‘असुर’,‘मैरीड ओमन’ व ‘पिचर्स’ में भी नजर आयीं.मगर वह फिल्मों से नहीं जुड़ना चाहती थी.लेकिन उनकी तकदीर उन्हे फिल्मों में ले आयी.बतौर हीरोईन उनकी पहली फिल्म ‘‘लकड़बग्घा’’ तेरह जनवरी 2023 को सिनेमाघरों में प्रदर्षित हो चुकी हंै.जबकि षाहरुख खान के साथ फिल्म ‘जवान’ और सलमान खान के साथ फिल्म ‘‘टाइगर 3’’ की षूटिंग कर चुकी हैं.

 

प्रस्तुत है रिद्धि डोगरा के साथ हुई बातचीत के अंष…

 

सवाल – आपके अंदर अभिनय के प्रति रूचि कहां से पैदा हुई थी?

जवाब – मुझे लगता है कि मेरे मम्मी पापा में कुछ तो रहा होगा.मेरी मम्मी ने स्कूल व कालेज में स्टेज पर बहुत काम किया है.तो वही मेरे खून में आ गया.मेरे पापा को फिल्मों का बहुत षौक था.उनको सिनेमा का काफी ज्ञान था.जब मैं व मेरा भाई बच्चे थे,तब वह हमें फिल्मों के बारे में बताया करते थे कि कौन सी फिल्म में क्या है और वह कहंा फिल्मायी गयी थी.तो आप कह सकते हैं कि हमें यह सिनेमा के प्रति लगाव व रचनात्मकता के प्रति झुकाव कहीं न कहीं हमें हमारे माता पिता से ही मिला है.पर यह सच है कि मुझे अभिनेत्री नही बनना था.पर तकदीर ने मुझे  अभिनेत्री बना दिया.

सवाल – 2007 से 2022 तक के अपने कैरियर को किस तरह से देखती हैं?

जवाब – मैं पीछे मुड़कर देखती नही हॅूं.मैं तो सिर्फ काम करते जा रही हॅूं.लेकिन अब मैं 2007 से पहले की बहुत सी चीजों को देख व समझ सकती हॅॅंू.मेरे अभिनेत्री बनने की बात अब मेरी समझ में आ रही है.हकीकत यही है कि मैं कभी भी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी.मैने कभी नहीं सोचा था कि मुझे बड़े होकर अभिनय को कैरियर बनाना है.जबकि षुरू से ही मैं स्टेज पर या लोगों के बीच सहज रही हूॅॅं,क्योंकि मैं डांसर रही हॅूं.जब मैं कालेज में थी,तो मैने सायकोलाॅजी आॅनर्स किया.इसी के चलते मानवीय व्यवहार की समझ विकसित हुई.कलाकार को बहुत आॅब्जर्व करना चाहिए,वह आदत मेरे अंदर भी है.हर कलाकार मानवीय भावनाओं से काफी जुड़ा रहता है.मैं कभी अकेले रहते हुए बोर नही होती.क्योंकि तब मैं लोगों को आॅब्जर्व करती रहती हॅूं.उनके बात करने के तरीके,चाल ढाल वगैरह पर मेरी नजर रहती है.तो अब मेरी समझ में आया कि मैने सायकोलाॅजी/मनोविज्ञान से पढ़ाई क्यों की थी? मैं जूम टीवी पर नौकरी कर रही थी,पर यह नौकरी छोड़ दी,क्योंकि मुझे लगा कि मुझे कोई ‘बाॅस’ कैसे बता सकता है कि मुझेक्या करना है और क्या नहीं करना है.अब मेरी समझ में आया कि वह नौकरी मुझे क्यों नही भायी और मैं अपनी बाॅस बन गयी.आज बतौर कलाकार मैं अपने निर्णय खुद ले रही हॅॅंू.तो अब 2007 से पहले की बातें मेरी समझ में आ रही हैं.

सवाल – कभी आपने कहा था कि आप टीवी पर काम करते हुए खुष हैं.फिल्म नही करना चाहती.पर अब आपकी पहली फिल्म ‘‘लकड़बग्घा’’ सिनेमाघर में पहुॅच चुकी है?

जवाब – मैने बहुत बड़े सपने कभी नही देखे.मैं तो अच्छा काम करना चाहती थी.टीवी पर मुझे सषक्त किरदार निभाने को मिल रहे थे.पर जब ओटीटी षुरू हुआ,तब भी मुझे उससे जुड़ने की इचछा नही हुई.लेकिन एक दिन मेरे पास वेब सीरीज ‘असुर’ का आफर आया,कहानी सुनकर मना नही कर पायी.फिर‘मैरीड ओमन’ ओर ‘पिचर्स’ भी की.फिर जब एक दिन मेरे पास अंषुमन झा व फिल्म ‘लकड़बग्घा’ के निर्देषक विक्टर मुखर्जी आए और मुझे कहानी सुनायी,तो कर लिया.अगर आप इस पर कोई लेबल लगाना चाहते हैं तो यह मेरी पहली फिल्म है.हालांकि, मुझे लगता है कि मैं हमेशा दर्शकों से जुड़ी रही हूं, इसलिए मुझे ऐसा नहीं लग रहा है कि मैं पहली बार दर्शकों से मिली.जब भी मैं कहती हूं कि यह मेरी पहली फिल्म है,तो कभी-कभी मुझे यह अजीब लगता है.लेकिन यह भी सच है कि मैं पहली बार बड़े पर्दे पर नजर आ रही हूं, जो मेरे लिए काफी रोमांचक है.मैने इस फिल्म को दो वजहों से किया.एक तो यह फिल्म जानवरों पर बनी है और दूसरी वजह यह कि मुझे क्राव मागा सीखना था,जो कि इस फिल्म के निर्माता ने मुझे क्राव मागा सीखने का अवसर दिया.

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सवाल – क्राव मागा सीखना कितना फायदेमंद रहा?

जवाब – मेरी समझ से क्राव मागा सभी को सीखना चाहिए,क्योंकि यह एक उस तरह का मार्शल आर्ट है,जिसमें हाथ से हाथ का मुकाबला होता है.यहां हथियार का उपयोग नहीं होता.क्राव मागा हमारे देष की महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है.वह इसका उपयोग आत्मरक्षा के लिए कर सकती हैं.

सवाल – अब तो आप षाहरुख खान और सलमान खान के साथ भी फिल्में कर रही हैं?

जवाब – जी हाॅ! जब मैने ‘लकड़बग्घा’ साइन की थी,उसके बाद ही मुझे षाहरुख खान के ेसाथ फिल्म ‘जवान’ और सलमान खान के ेसाथ ‘‘टाइगर 3’’ की है.इन फिल्मों को लेकर फिलहाल ज्यादा बात नही कर सकती.

सवाल – डांसर होने का अभिनय में कितनी मदद मिल रही है?

जवाब – मेरी राय में डांस और अभिनय सब परफार्मेंस ही हैं.डांस,अदाकारी में बहुत मदद करती हैं.हालांकि मैने क्लासिकल डांस कभी नही किया.क्लासिकल डांस से अभिनय करने में मदद बहुत मिलती है.लेकिन मुझे डांस से उर्जा मिलती है.जिसके चलते जब मैं कैमरे के सामने होती हॅूं,तो वह पल जाया नहीं होने देती.इतना ही नही डांस परफार्मेंस देते रहने के कारण जब मैं पहली बार कैमरे के ेसामने पहुॅची,तो मुझे डर नहीं लगा.जबकि तमाम कलाकार बताते हैं कि वह कैमरे के सामने फ्रिज हो गयी थी.या उन्हें डर लगा था.मंै तो सेट पर पूरी युनिट व कैमरे के सामने एकदम सहज थी.दूसरी बात स्टेज पर डांस करते रहने के कारण मेरे अंदर अनुषासन की भावना आ गयी है.मैंने षाॅमक डावर से नृत्य सीखा है. उन्होेने सिखाया था कि बिना अनुषासन के परफार्मेंस अच्छी हो ही नही सकती.सुबह से षाम तक एक ही डांस को बार बार करते रहना होता था.डांस करते समय हमें यह याद रखना होता था कि हर स्टेप सही होना चाहिए.तो डंास से मैंने हर छोटी छोटी चीज पर ध्यान देना सीखा.

सवाल – सायकोलाॅजी की पढ़ाई करने के कारण अभिनय में कितनी मदद मिल रही है?

जवाब – मुझे तो यही लगता है कि मैने सायकोलाॅजी मंे आॅनर्स किया, इसीलिए अभिनय मंे मेरा षौक बढ़ा.पहले मैं काॅमर्स स्टूडेंट थी.पर कालेज जाने पर मंैने साॅयकोलाॅजी ले ली.मेरे इस निर्णय से मेरे माता पिता भी हैरान हुए थे.अब जब मैं पटकथा पढ़ती हॅंू,अपने किरदार के बारे में पढ़ती हॅूं,या अलग अलग निर्देषक के साथ किरदार को लेकर विचार विमर्ष करती हॅूं,तो इंज्वाॅय करती हॅूं.सायकोलाॅजी पढ़ा है,इसलिए मैं किरदार का विष्लेषण करती हॅंूं कि यह इंसान ऐसा क्यों है?

मैं यहां पर बताना चाहॅूॅंगी कि जब मैं जूम टीवी में नौकरी कर रही थी,तो मेरा आफिस मंुबई में ही लोअर परेल में था.वहां से यहां अंध्ेारी तक लोकल ट्ेन से आती जाती थी.तो मैं हर किसी को आॅब्जर्व करती रहती थी.ट्ेन में मछली वाली मिलती थी.उनकी आपस की लड़ाईयों को आब्जर्व किया करती थी.घर आकर मैं मौसी को उसी तरह से एक्टिंग करके बताती थी कि आज ट्ेन में ऐसा हुआ.उन दिनों मैं अपनी मौसी के साथ रहती थी.तब मुझे अभिनेत्री नहीं बनना था.पर वह मेरे अंदर कहीं न कहीं था.क्यांेकि मैं आब्जर्व कर अभिनय कर रही थी.

सवाल- वैसे भी अभिनय में दो चीजमहत्वपूर्ण होती हैं.एक तो कलाकार के निजी जीवन के अनुभव व उसका अपना आब्जर्वेषन और दूसरा उसकी कल्पना षक्ति.आप इनमें से किसका कितना उपयोग करती हैं?

जवाब – कलाकार के तौर पर मैं दोनों का ही उपयोग करती हॅूं.आब्जर्वेषन और कल्पनाषक्ति दोनों का उपयोग करती हॅूं.मगर मैं अपनी निजी जिंदगी का ज्यादा उपयोग नहीं करती.क्यांेकि फिर मैं बहुत खर्च हो जाती हॅूं.इसलिए उससे बचने का प्रयास करती हॅूं.कई बार जब रोने का दृष्य हो,तो मैं अपनी निजी जिंदगी की घटना याद करती हॅूं,पर फिर लगता है कि मैं यह क्या कर रही हॅूं.मैं तो अपने गम को ही याद करके यूज करती हॅॅंू.पहले मैं अपनी निजी जिंदगी की घटनाओं का उपयोग करती थी,पर अब कम करती हॅूं.पहले मैं अपनी निजी जिंदगी के अनुभव,भावनाओं, अहसास का बहुत उपयोग करती थी,पर फिर लगा कि इसे अपने आप से अलग करना बहुत भारी हो जाता है.इसलिए षूटिंग से पहले वर्कषाॅप करना जरुरी है.वर्कषाॅप में हमंे समझ मंे आता है कि यह किरदार है,इसके यह चारित्रिक विषेषताएं हैं,इसकी यह बौडी लैंगवेज है और इस हिसाब से हमें चलना है.मैं मानती हॅूॅं कि कल्पना षक्ति काम आती है.कलाकार के तौर पर हमें किरदार में रूचि लेनी होती है.इसीलिए कहते हंै कि कलाकार भावुक होता है.कलाकार खुद को खर्च करने किए बगैर किरदार को समझ पाता है.

सवाल – आपने अब तक कई किरदार निभाए.कोई ऐसा किरदार जिसने आपकी निजी जिंदगी पर असर किया हो?

जवाब – टीवी पर तो लगभग सभी किरदार असर करते थे.क्योकि मैं ख्ुाद सीखती थी,मैं हर किरदार निभाते हुए बड़ी हो रही थी.षुरूआत में मेेरे हिस्से ऐसे किरदार आए,जहंा मैं कई संवाद बोलती थी,जो कि लड़कियों की जिंदगी के उत्थान के लिए होते थे.उस वक्त मैं भी बीस वर्ष की थी,तो उसका असर मुझ पर भी हो रहा था. उन चीजों,संवादों ने मुझे खुद को स्ट्ांग बनाने में बहुत प्रभावित किया था.फिर अभी मैने ओटीटी पर वेब सीरीज ‘‘मैरीड ओमन’’ किया,जिसका मुझ पर काफी असर हुआ.यदि हम औरतों की सेक्सुअल ओरिएंटेषन को नजरंदाज कर दें,तो समाज में कितनी औरते हैं,जो बोल नहीं पाती.तमाम औरतें बोल या बता नही पाती कि उनके दिल में क्या है?वह क्या अहसास करती हैं.मेरे मन में औरतों के प्रति संवेदना है.सिर्फ औरतों के प्रति ही नहीं,बल्कि आज के वक्त में लड़कों के लिए भी आवाज उठाना चाहिए.सभी ने अपने घर की बेटियों को सिखा दिया है कि आपको अपनी आवाज उठानी चाहिए.लड़कों को किसी ने नही सिखाया कि लड़कियां आवाज उठा रही हैं,उनकी इज्जत करो.लड़के तो अपने आप मंे जी रहे हैं.मुझे लगता है कि अब लड़कों को भी सिखाना चाहिए.बेचारे लड़के कन्फ्यूज हंै कि लड़कियां स्ट्ांग हो गयी,अब हम क्या करें?

सवाल – आप ओमन इम्पावरमेंट की बात कर रही हैं.पर आपको लगता है कि इसका समाज पर कुछ असर हो रहा है?

जवाब – फिल्म इंडस्ट्ी में ओमन इम्पावरमेंट तो कई वर्षों से चल रहा है.ब्लैक एंड व्हाइट के युग से स्ट्ांग ओमन किरदार फिल्मों में पेष किए जाते रहे हैं.मुझे लगता है कि समाज व फिल्म इंडस्ट्ी दोनों एक दूसरे के प्रतिबिंब ही हैं.लेकिन समाज ज्यादा बड़ा है.समाज की सोच ज्यादा बड़ी है.समाज में काफी बदलाव आया है.सोषल मीडिया की वजह से भी बदलाव आया है.अब उन्हे अपने मन की बात कहने की जगह मिल गयी है.पर अभी और बदलाव आने की जरुरत है.मैं टीवी से ओटीटी और फिल्म तक पहुॅची हॅूं,तो मैं बहुत ज्यादा आब्जर्व कर रही हॅूं.मैं अहसास कर रही हूॅॅं कि महिलाओं की आवाज उठाने का अवसर टीवी में ज्यादा था.फिल्मों में स्ट्ांग किरदार कम हैं, मुझे स्ट्ांग किरदार ढूढ़ने पड़ेंगे. इसके लिए मुझे ही लिखना पड़ेगा.नारी सषक्त है,पर समाज उन्हें दबा देता है.तो हम लड़कियों और औरतों को आवाज उठाते रहना पड़ेगा.दुनिया का दस्तूर तो औरतों को दबाते रहना ही है.

भगवान से उठ रहा भरोसा

भगवान को मानने और न मानने वालों को विश्वस्तरीय सर्वे के अनुसार विश्व में नास्तिकों का औसत हर साल बढ़ रहा है. नास्तिकों की सब से ज्यादा 50% संख्या चीन में है. भारत में भी नास्तिकों की संख्या बढ़ी है. इस के उलट पाकिस्तान में आस्तिकों की संख्या बढ़ी है. लेकिन अरबों की आबादी वाले देशों में महज कुछ लोगों की बातचीत के आधार पर एकाएक यह कैसे मान लिया जाए कि इन देशों में नास्तिकों अथवा आस्तिकों की संख्या परिवर्तित हो रही है?

आस्तिक और नास्तिकवाद के ताजा सूचकांक के मुताबिक इस तरह के भारतीयों ने भी बताया था कि वे धार्मिक नहीं और न ईश्वर में विश्वास रखते हैं. यह संख्या बढ़ रही है. पोप फ्रांसिस के देश अर्जेंटीना में खुद को धार्मिक कहने वालों की संख्या कम हुई है. इसी तरह खुद को धार्मिक बताने वालों की संख्या में दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, फ्रांस तथा वियतनाम में गिरावट भी आई है.

नास्तिक अथवा आस्तिकों की संख्या घटनेबढ़ने से देशों की सांस्कृतिक अस्मिताओं पर कोई ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में दुनिया की हकीकत यह है कि सहिष्णु शिक्षा के विस्तार और आधुनिकता के बावजूद धार्मिक कट्टरपन बढ़ रहा है, धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं.

यह कट्टरता इसलामिक देशों में कुछ ज्यादा ही देखने में आ रही है. कट्टरपंथी ताकतें अपने धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ मान कर भिन्न धर्मावलंबियों को दबा कर धर्म परिवर्तन तक के लिए मजबूर करती रही है. भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ यही हो रहा है. कश्मीर क्षेत्र में मुसलिमों का जनसंख्या घनत्व बढ़ जाने से करीब साढ़े चार लाख कश्मीरी हिंदुओं को अपने पुश्तैनी घरों से खदेड़ दिया गया.

अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला

पाकिस्तान में हालात इतने बदतर हैं कि वहां उदारता, सहिष्णुता और असहमतियों की आवाजों को कट्टरपंथी ताकतें हमेशा के लिए बंद कर देती हैं. यहां के महजबी कट्टरपंथियों ने कुछ साल पहले अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री शहबाज भट्टी को पाकिस्तान के विवादास्पद ईशनिंदा कानून में बदलाव की मांग करने पर मौत के घाट उतार दिया था. शहबाज भट्टी कैथोलिक ईसाई थे. यह सीधेसीधे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला था.

जनरल जिया उल हक की हुकूमत के समय बने इस अमानवीय कानून के तहत कुरान शरीफ, मजहब ए इसलाम और पैगंबर हजरत मोहम्मद व अन्य धार्मिक शक्तियों के बारे में कोई भी विपरीत टिप्पणी करने पर मौत की सजा सुनाई जा सकती है.

मलाला यूसुफ पर तो महज इसलिए आतंकवादी हमला हुआ था क्योंकि वह स्त्री शिक्षा की मुहिम चला रही थी.

चरम पर नस्लभेद

चीन में 50% नागरिकों का नास्तिक होना इस बात की तसदीक है कि नास्तिकता कोई गुनाह नहीं है क्योंकि चीन लगातार प्रगति कर रहा है. वहां की आर्थिक और औद्योगिक विकास दरें ऊंचाइयों पर है. अमेरिका के बाद अब चीन ही दुनिया की बड़ी महाशक्ति है. जाहिर है यदि नास्तिक होने के बावजूद किसी देश के नागरिक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हैं तो यह नास्तिकता देश के राष्ट्रीय हितों के लिए लाभकारी ही है.

यदि विकसित देशों की बात करें तो वहां केवल आर्थिक और भौतिक संपन्नता को ही विकास का मूल आधार माना जा रहा है, जबकि विकास का आधार चौमुखी होना चाहिए. सामाजिक, धार्मिक और शैक्षिक स्तर पर भी व्यक्ति की मानसिकता विकसित होनी चाहिए. पश्चिमी देशों में अमेरिका, ब्रिटेन और आस्टे्रलिया विकसित देश हैं. किंतु नास्तिकों की संख्या बढ़ने के बावजूद यहां रंगभेद और धर्मभेद के आधार पर वैमन्स्यता बढ़ रही है.

अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय सिखों पर हमले हो रहे हैं, जबकि आस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए भारतीय और पाकिस्तानी छात्रों पर हमलों की घटनाएं सामने आई हैं.

2014 से पहले धार्मिक स्वतंत्रता पर निगरानी रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय समिति के एक अध्ययन की रिपोर्ट में माना गया था कि धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में अपेक्षाकृत भारत अव्वल था क्योंकि यहां के लोग उदार थे.

सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर किसी भी किस्म की कानूनी पाबंदी नहीं हुई. अब उलटा हो रहा है. धर्म का उन्माद बढ़ रहा है. भारत की धर्मनिरपेक्षता की खोखली होती जड़ों से दुनिया सीख ले सकती है. जहां बहुधर्मी, बहुसंस्कृति और बहु जातीय समाज अपनीअपनी सांस्कृतिक विरासतों को सा?ा करते हुए साथ नहीं रह पा रहे हैं.

अनीश्वरवाद बनाम प्रत्यक्षवाद

कहने को भारतीय दर्शन के इतिहास में भौतिकवाद और आदर्शवाद की परस्पर विरोधी विचारधाराएं एक  साथ चली हैं. चार्वाक नास्तिक दर्शन का प्रबल प्रणेता था. चार्वाक ने बौद्धिक विकास के नए रास्ते खोले. उस ने अनीश्वरवाद बनाम प्रत्यक्षवाद को महत्ता दी. चार्वाक ने ही मुस्तैदी से कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु के अद्भुत समन्वय व संयोग से ही मनुष्य व अन्य जीव तथा वनस्पतियां अस्तित्व में आई हैं. जीवों में चेतना इन्हीं मौलिक तत्त्वों के परस्पर संयोग से प्रतिक्रियास्वरूप उत्पन्न हुई है. मगर चार्वाक ??के ग्रंथों को भी जला दिया गया और बौध मठों को भी तोड़ दिया गया.

विज्ञान मानता है कि संपूर्ण सृष्टि और उस के अनेक रूपों से उत्पन्न ऊर्जा का ही प्रतिफल है. जीवधारियों की रचना में अभौतिक सत्ता की कोई भूमिका नहीं है. चेतनाहीन पदार्थों से ही विचित्र व जटिल प्राणी जगत की रचना संभव हुई.

ईश्वर ने नहीं बनाया ब्रह्मांड

ब्रिटिश वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने कहा है कि ईश्वर ने ब्रह्मांड की रचना नहीं की है. इसे सम?ाने के लिए उन्होंने महामशीन ‘बिगबैंग’ में महाविस्फोट भी किया था. इस के जरीए उन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में भौतिक विज्ञान के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत को मान्यता दी है. इस सिद्धांत के अनुसार लगभग 12 से 14 अरब वर्ष पहले संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाणविक इकाई के रूप में था.

इस से पहले क्या था, यह कोई नहीं जानता क्योंकि उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई वस्तु अस्तित्व में नहीं थी, समस्त भौतिक पदार्थ और ऊर्जा एक बिंदु में सिमटे थे. फिर इस बिंदु ने फैलाना शुरू किया. नतीजतन आरंभिक ब्रह्मांड के कण समूचे अंतरिक्ष में फैल गए और एकदूसरे को दूर भगाने लगे. यह ऊर्जा इतनी अधिक थी कि आज तक ब्रह्मांड विस्तृत हो रहा है. सारी भौतिक मान्यताएं इस एक घटना में परिभाषित होती हैं, जिसे बिगबैंग सिद्धांत कहते हैं.

धर्म बन गया व्यापार

दर्शन के विभिन्न मतों के ही कारण भारत में भगवान को नहीं मानना अपराध तो नहीं माना गया, इस कारण से किसी को फांसी नहीं दी गई पर उस का सामाजिक बहिष्कार हो जाता है. फिर भी भारत व अन्य देशों में नास्तिक बढ़ रहे हैं, तो इस स्थिति को अथवा नास्तिकों को बुरी नजर से देखने की जरूरत नहीं है क्योंकि नास्तिक दर्शन या नास्तिक व्यक्ति परलोक की अलौकिक शक्तियों से कहीं ज्यादा इसी लोक को महत्त्व देता है, कर्मकांड से दूर रहता है. लेकिन इस दर्शन में उन्मुक्त भोग की जो परिकल्पना है, वह सामाजिक व्यवहार के अनुकूल नहीं है.

नास्तिकों का अस्तित्व असल में धर्म व्यापार पर गहरा असर डालता है. मंदिरों के पंडे, चर्चों के फादर, मसजिदों के मुल्ला आदि सब मुफ्त की खाते हैं. अफसोस यह है कि नास्तिक खत्म नहीं होते क्योंकि नास्तिवाद से पैसा नहीं मिलता. पैसा तो नास्तिकों के गुरुओं को मिलता है.

मैं जहां हूं वहीं अच्छा हूं

सर्दी और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां, कारण और रोकथाम

डॉक्टर बिपिन कुमार दुबे, HCMCT मनिपाल हॉस्पिटल, द्वारका , दिल्ली.

सर्दियों की शुरुआत को लेकर आम लोगों से मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. कुछ लोग ठंड के मौसम का स्वागत करते हैं जबकि अन्य लोग सर्दी के मौसम में फ्लू, श्वसन संबंधी बीमारियों, शीतदंश की चपेट में आने से डरते हैं. लेकिन चिंता का एक और कारण है जिसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी भी नहीं होगी. ठंड के मौसम में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं, दिल की धड़कन में वृद्धि हो सकती है जिससे सिम्पैथेटिक टोन बढ़ने से रक्तचाप बढ़ सकता है और शरीर में ब्लड क्लॉट होने की संभावना भी बढ़ जाती है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

वास्तव में, सर्दियों के दौरान दिल का दौरा पड़ने की संभावना लगभग 33 प्रतिशत बढ़ जाती है. कहने की जरूरत नहीं है, यह जरूरी है कि लोगों को सर्दियों के दौरान गर्म रहने के लिए पर्याप्त देखभाल करनी चाहिए. ठंड के इन महीनों में बुजुर्ग विशेष रूप से पीड़ित हो सकते हैं क्योंकि ठंड उनके शरीर के तापमान को नाटकीय रूप से गिरा सकती है जिससे हाइपोथर्मिया हो सकता है. यदि शरीर का तापमान 95 डिग्री से कम हो जाता है, तो इस से हाइपोथर्मिया दिल की मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा एंजाइना से पीड़ित रोगियों को खास तौर पर सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि ठंड के मौसम में कोरोनरी धमनियों में ऐंठन हो सकती है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. कुछ व्यक्तियों को ठंड के मौसम में दिल का दौरा पड़ने का अधिक खतरा होता है, जिनमें बुजुर्ग लोग भी शामिल हैं, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने, कोरोनरी हृदय रोगों, या हार्ट फेलर, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, धूम्रपान और सुस्त जीवनशैली का पूर्व इतिहास रहा है.

लक्षण

यह जानते हुए कि सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक होता है, सचेत रहना और दिल के दौरे का संकेत देने वाले लक्षणों को समझना समझदारी भरा फैसला होगा. सीने में तेज़ दर्द या बेचैनी आमतौर पर रेट्रोस्टेरनल को डिफ्यूज़ करती है लेकिन दांई या बांई तरफ की छाती, कंधे, गर्दन या निचले जबड़े, आमाशय पर हो सकती है, जो ऊपरी अंग तक विकीर्ण होती है.

मतली, उल्टी या चक्कर आना, सांस उखड़ने से जुड़े हो सकते हैं;
महिलाओं को खास तौर पर सतर्क रहना पड़ता है क्योंकि इसके लक्षण थोड़ी अलग तरह से दिखाई दे सकती हैं. इसलिए, भले ही वे असामान्य लक्षणों का अनुभव करें, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे हमेशा किसी भी संभावित लक्षण के प्रति सतर्क रहें.

कारण

ठंड की वज़ह से भले ही सिम्पैथेटिक सिस्टम एक्टिवेट होती हों, इनकी वज़ह से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, दिल की धड़कन में वृद्धि होती है इस प्रकार ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल पर भार भी. इसके अलावा दिल की रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने से हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की बेमेल मांग और आपूर्ति होती है और दिल का दौरा पड़ता है.

ठंड के मौसम में फाइब्रिनोजेन, फैक्टर 7 आदि जैसे खून को गाढ़ा करने वाले कारकों के बढ़ जाने से रक्त का थक्का जमने की संभावना की वज़ह से दिल और लोवर लिम्ब वेसल में थक्का जम जाता है है, जिससे दिल का दौरा पड़ता है और पैरों में गहरी वेनस थ्रॉम्बॉसिस होता है.

सर्दियों में सामान्य जुकाम, फ्लू, निमोनिया की वृद्धि की घटना होती है, जिससे हृदय वाहिका में एथेरोस्क्लेरोटिक प्लेक का डिस्टेबिलाइज़ेशन होता है, जिससे थक्का जमता है और दिल का दौरा पड़ता है.

इसके अलावा सर्दी के मौसम में लोग ज्यादा तला-भुना वसायुक्त भोजन और शराब खातेपीते हैं, ज्यादा धूम्रपान और कम व्यायाम करते हैं. इन सभी चीजों से हमारे समझे बिना दिल को नुकसान पहुंचता है.

प्रदूषण दिल का दौरा और ब्रेन स्ट्रोक के लिए एक और जोखिम वाला कारक है, जिसके बारे में सभी जानते हैं. सर्दियों में, कोहरे, धुंध, हवा में निलंबित कणों में वृद्धि के कारण, प्रदूषण बहुत उच्च स्तर तक चला जाता है जिससे दिल और फेफड़ों की बीमारी होती है और दिल का दौरा पड़ता है, विशेष रूप से प्रदूषण वाले महानगरों में.

रोकथाम

सेहतमंद खाएं: व्यक्ति को कम वसा, कम चीनी, कम नमक, ज्यादा प्रोटीन संतुलन वाला भोजन लेना चाहिए, जिसमें फल और सब्जियां, फाइबर युक्त साबुत अनाज, वसायुक्त-मछली (सालमन, सार्डिन), नट्स, फलियां और बीज शामिल होने चाहिए. शराब का सेवन भी कम करें, धूम्रपान बंद करें.

सक्रिय रहें: अत्यधिक ठंड में बाहरी गतिविधि और व्यायाम से बचें, इनडोर व्यायाम, इनडोर खेल और योग फिट और स्वस्थ रहेंगे.

पर्याप्त नींद लें: अच्छी सेहत के लिए 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद महत्वपूर्ण है.

मौसम के हिसाब से कपड़े पहनें: लोगों को किसी भी कीमत पर कम कपड़े पहने घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए. यह भी महत्वपूर्ण है कि लोग हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान का कम होना) से बचने के लिए काफी सारे कपड़े पहनकर खुद को ढंक लें, विशेष रूप से कोट, टोपी, दस्ताने और भारी मोजे पहने. चूंकि सिर से बहुत सारी गर्मी निकल जाती है, इसलिए बाहर कदम रखने से पहले दुपट्टा और/या टोपी पहनने की भी सिफारिश की जाती है.

बार-बार हाथ धोएं: यह बात काफी से जानी-मानी है कि श्वसन संक्रमण से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ सकती है. व्यक्ति को साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोकर ऐसी स्थिति से बचना चाहिए. इसके अलावा, यदि फ्लू के कोई लक्षण ध्यान देने योग्य हैं जैसे कि बुखार, वायरल खांसी, या शरीर में दर्द होना, तो फ्लू की दवा लेने के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

Athiya Shetty-KL Rahul Wedding: अथिया के लिए ऐसे सजा है ससुराल!

एक्ट्रेस अथिया शेट्टी (Athiya Shetty) जल्द ही अपने बॉयफ्रेंड और भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी केएल राहुल (KL Rahul) के साथ सात फेरे लेने वाली हैं. अथिया और केएल की शादी की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनील शेट्टी की बेटी 23 जनवरी को शादी रचाएंगी. अथिया और केएल राहुल की शादी के फंक्शन 3 दिनों तक चलेंगे. इस हॉट कपल की शादी की तारीख नजदीक आ गई है, ऐसे में सुनील शेट्टी के घर की सजावट भी शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह बेटी की विदाई के लिए सुनील शेट्टी का घर डेकोरेट हो रहा है

 

 

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फैंस की एक्साइमेंट दिखीं

केएल राहुल और अथिया शेट्टी (Athiya Shetty) की शादी की यह तैयारी मुंबई के पाली हिल में हो रही हैं. इस वीडियो के सामने आने के बाद फैंस की एक्साइमेंट दोगुनी हो गई है. एक यूजर ने कमेंट करते हुए अथिया और केएल राहुल को बधाई दी तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “यही असली प्यार है.

 

 

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अथिया शेट्टी (Athiya Shetty) और केएल राहुल (KL Rahul) की शादी के फंक्शन

अथिया शेट्टी और केएल राहुल जहां 23 जनवरी को सात फेरे लेगें तो वहीं 21 और 22 को हल्दी, मेहंदी और संगीत के फंक्शन होंगे. यह कपल सुनील शेट्टी के खंडाला वाले बंगले पर सात फेरे लेने वाला है. हालांकि शादी की खबरों को लेकर अभी तक अथिया शेट्टी और केएल राहुल के परिवार ने कोई जानकारी नहीं दी है.

अथिया और केएल राहुल का रिश्ता

बता दें कि अथिया शेट्टी और केएल राहुल काफी कई सालों से एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं. अथिया केएल राहुल के साथ इंटरनेशनल क्रिकेट टूर को भी अटैंड करती हैं. यह दोनों अक्सर सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के प्रति प्यार भी जाहिर करते नजर आ जाते हैं. हाल ही में दोनों दुबई से न्यू ईयर सेलिब्रेट करके लौटे हैं.

BB 16: इस वजह से शालीन पर भड़की टीना, बोलीं- थप्पड़ मार दूंगी

सलमान खान का कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो बिग बॉस 16 (Bigg Boss 16) में टीना दत्ता और शालीन भनोट (Shalin Bhanot) का रिश्ता किसी को समझ नहीं आया. सलमान से लेकर दर्शक तक, दोनों के रिश्ते को फेक और मतलब का बता चुके हैं. इतना ही नहीं, खुद बिग बॉस भी ये कहते हुए दिख चुके हैं कि उन्हें दोनों के बॉन्ड के बारे में बात ही नहीं करनी. इसकी वजह ये है कि शालीन और टीना कई बार खेल में करीब आए हैं और कई बार झगड़े भी हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में शालीन भनोट, टीना दत्ता (Tina Dutta) के कैरेक्टर पर ही सवाल उठाते दिखाई देंगे, जिससे एक्ट्रेस इतना भड़क जाएंगी कि वह इस मामले में शालीन की एक्स वाइफ दलजीत कौर को खींच लेंगी.

 

 

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शालीन ने टीना दत्ता पर लगाया ये आरोप

दरअसल, बिग बॉस 16 का नया प्रोमो सामने आ गया है, जिसमें शालीन टिकट टू फिनाले राउंड में निमृत कौर अहलूवालिया (Nimrit Kaur Ahluwalia) का साथ देते हैं, जिस वजह से टीना दत्ता और प्रियंका चाहर चौधरी भड़क जाती हैं. प्रोमो में देखा जा सकता है कि बिग बॉस घर के कैप्टन का नाम सभी कंटेस्टेंट्स से पूछते हैं तब शालीन निमृत का नाम लेते हैं, जिस वजह से टीना और प्रियंका भड़क जाती हैं. इस लड़ाई-झगड़े में टीना-शालीन को दोगला बोलती हैं और फिर एक्टर भड़क जाते हैं. शालीन कहते हैं कि प्लानिंग प्लॉटिंग तुमने की है. टीना कितनी झूठी हो तुम. आपके साथ एक लड़का खत्म होता तो आप दूसरे के साथ चिपकने लग जाते हो.’

टीना ने शालीन को दिया जवाब

शालीन भनोट की इस बात पर टीना दत्ता बुरी तरह भड़क जाती हैं और उसे को थप्पड़ मारने की बात कहती हैं. हालांकि, जब शालीन शांत नहीं होते तो टीना इस पूरे मामले में दलजीत कौर का नाम ले लेती हैं और कहती हैं कि जब वह अपनी पत्नी की गरीमा नहीं रख पाया. तो क्या ही उम्मीद करें. इसके बाद टीना दत्ता शो से जाने की जिद भी करती हैं. एक्ट्रेस का कहना है कि उसे अब इसी हफ्ते इस शो से बाहर जाना है. अब देखना है कि ये पूरा मामला कहां तक जाता है.

बेदाग त्वचा पाना मुश्किल नहीं

महिला कामकाजी हो या गृहिणी अकसर खुद पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. इस बारे में क्यूटीस स्किन स्टूडियो की कौस्मैटोलौजिस्ट और डर्मैटोलौजिस्ट डा. अप्रतिम गोयल कहती हैं कि हर महिला सब से सुंदर और आकर्षक दिखने की कोशिश करती है. यों खूबसूरत दिखना हर महिला की चाहती होती है मगर अपनी त्वचा में निखार लाने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता, तो कुछ ब्यूटी टिप्स आप के लिए बेहद उपायोगी साबित हो सकती हैं:

मौइस्चराइज
त्वचा को मौइस्चराइज करना सब से जरूरी और आसान कदम है, त्वचा को हाइड्रेटेड और ग्लोइंग दिखाने के लिए दिन में 2 बार मौइस्चराइज करें.

ऐक्सफौलिएट
माइल्ड स्क्रब से सप्ताह में 2 बार स्किन को ऐक्सफौलिएट करें. इस से त्वचा की बाहरी परत से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलती है. यह त्वचा से गंदगी की परत को हटा कर स्किन को चमकदार बनाता है और स्किन केयर प्रोडक्ट्स को त्वचा में गहराई से प्रवेश करने देता है.

क्लींजिंग
त्वचा के अनुसार सही क्लींजर का प्रयोग कर स्किन को क्लीयर करें. क्लींजिंग से पहले मेकअप को माईसैलर वाटर से साफ अवश्य
कर लें.

हैल्दी खाएं

– इस में शुगर और साल्ट को कट करें, हालांकि त्योहारों में यह करना मुश्किल है, लेकिन ऐसा कर पाने से रैडिएंट स्किन के साथसाथ पूरा दिन ऐनर्जेटिक रह सकेंगी.
-रिच ऐंटीऔक्सीडैंट्स फल जैसे साइट्रस फ्रूट्स, बेरीज, ऐवाकाडोस आदि लें.
– त्वचा को चमकदार बनाने के लिए विटामिन सी 1000 मिलीग्राम रोज लें. ग्लूटेथिओन टैबलेट्स के साथ लेने पर अच्छा परिणाम मिलता है.
-प्लंपी और हाइड्रेटेड त्वचा के लिए अधिक मात्रा में पानी पीएं. इस के अलावा ह्यायूरोनिक ऐसिड सीरम के प्रयोग से भी त्वचा हाइड्रेटेड और स्मूथ रहती है क्योंकि ह्यायूरोनिक ऐसिड एक शुगर मौलेक्यूल है, जो त्वचा में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है और यह त्वचा में फंसने पर पानी को कोलोजन से बांधने में मदद करता है, जिस से त्वचा खिली और अधिक हाइड्रेट दिखाई दे सकती है. ह्यायूरोनिक ऐसिड त्वचा के हाइड्रेशन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण है. फेस औयल भी ड्राई स्किन के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
-पैक्स या शीट मास्क भी सप्ताह में एक बार अवश्य लगा लें ताकि आप रिलैक्स हो कर थकान वाले चेहरे को अवौइड कर सकें.
– त्योहारों से पहले भरपूर नीद लें और रिलैक्स रहें ताकि आप की मुसकराती और खिली त्वचा से कोई नजर न हटा सके और आप का चेहरी त्योहार वाले दिन सब के अट्रैक्शन का केंद्र बने.

कुछ अफोर्डेबल होम केयर टिप्स:

रोजवाटर:  प्लेन रोजवाटर से चेहरे को सोने से पहले 10 से 15 मिनट तक पोंछ लें. इस से त्वचा की थकान मिट जाती है, जिस से त्वचा खोई हुई नमी को पा लेती है. रोजवाटर का स्प्रे कई बार चेहरे पर करने से भी थकान मिटती है.

ऐलोवेरा: ऐलोवेरा का पल्प सप्ताह में 1 या 2 दिन लगाने पर स्किन की नमी बनी रहती है.

कच्चा आलू: कच्चे आलू को कद्दूकस कर उसे चेहरे पर सप्ताह में 1 या 2 बार लगा कर 10 से 15 मिनट तक मालिश करें. इस के बाद चेहरे को धो लें. इस से त्वचा की अनइवन स्किन टोन में भी सुधार होता है.

हलदी: हलदी के साथ शहद मिला कर अधिक मुंहासे वाले चेहरे पर लगाने से हलदी
की ऐंटीसैप्टिक गुण की वजह से एक्ने को कम करने के अलावा स्किन को कम इरिटेशन करती है. एक चुटकी हलदी के साथ बेसन या चावल का आटा मिला कर पेस्ट बना लें और 15 दिन में एक बार चेहरे पर लगाएं. यह स्किन की औयलीनैस को कम कर मुंहासों को चेहरे पर आने से रोकती है.

13-14 साल की उम्र में प्यार, क्या करें पेरैंट्स

कहते हैं प्यार किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है. दिल ही तो है, कब किस पर आ जाए. किस्सेकहानियां कितनी पढ़ी हैं कि फलां को फलां से प्यार हो गया और इस के बाद ये हुआ, वो हुआ वगैरहवगैरह.

प्यार चीज ही ऐसी है. इंसान क्या, जानवर तक प्यार को पहचान जाते हैं. प्यार की अनुभूति से 60 साल का बूढ़ा दिल किशोरों के समान कुलांचें मारने लगता है. ऐसे में आप क्या कहेंगे यदि यही प्यार किशोरावस्था की पहली सीढ़ी पर कदम रखने वाले 14-15 साल के लड़केलड़की के बीच हो जाए तो?

तौबातौबा, उस लड़केलड़की के घर में तूफान आ जाता है जब उन के प्यार की भनक घर वालों को लग जाती है. बहुत ही कम सुनने में आता है कि 13-14 साल का प्यार परवान चढ़ता हुआ जवानी तक पहुंच गया हो और विवाह बंधन के सूत्र में उन के प्यार को घर व समाज वालों की स्वीकृति मिल जाए. क्या सोचा है कभी आप ने कि क्यों टीनएज लव सफल नहीं हो पाता. स्कूल के दिनों में हुआ यह प्यार किताबों के पन्नों में सिमट कर रह जाता है. परिपक्व प्यार या रिलेशनशिप में आने वाले विवादों को कपल्स सुल झाने की कोशिश करते हैं लेकिन अगर टीनएज में ऐसा कुछ होता है तो कपल्स एकदूसरे से किनारा करने के तरीके ढूंढ़ने शुरू कर देते हैं. ज्यादातर टीनएज लव असफल हो जाता है.

यह सही है कि शुरुआत में टीनएज लव चरम पर होता है. न जमाने की परवा, न समाज की बंदिशों का डर. शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इस से बच पाया हो. हर इंसान के अपने स्कूलटाइम में कोई न कोई क्रश रहा होगा. जिन में हिम्मत होती है वे अपने क्रश को प्यार में बदल लेते हैं और कुछ अपनी हसरत दिल में दबाए बैठे रहते हैं.

टीनएज लव एक सामान्य व स्वाभाविक प्रक्रिया है. हार्मोनल चेंजेस के कारण बच्चे में शारीरिक व मानसिक दोनों तरह के बदलाव आते हैं. जननांग विकसित होने के कारण सैक्स के प्रति इच्छाओं का बढ़ना स्वाभाविक हो जाता है. यह वह अवस्था होती है जब न वह बच्चा रह जाता है और न वयस्क. विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण होने लगता है और यह आकर्षण किसी भी किसी के प्रति हो सकता है. अपनी हमउम्र के साथ या अधिक उम्रवाले के साथ भी.

साल 2002 में एक फिल्म आई थी- ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’. इस में इस विषय को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई थी. एक 15 साल का लड़का कैसे अपने सामने वाले दूसरे फ्लैट में रहने वाली बड़ी उम्र की औरत के प्रति आकर्षित हो जाता है. वह रातदिन दूरबीन लगाए उस की हर गतिविधि देखता है. जब उस औरत का प्रेमी उस के घर आता है और जब वह प्रेमी और वह औरत सैक्स करते हैं,  तो उसे वह भी देखता है और गुस्सा भी आता है आखिरकार वह हिम्मत कर के उस महिला को बता देता है कि वह उस से प्यार करता है.

वह महिला उस लड़के को सम झाने की कोशिश करती है कि वह उस के लिए ठीक लड़की नहीं है. लेकिन वह कहता है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह तो उसे सिर्फ प्यार करता है.

आखिर में वह महिला उसे साफसाफ सम झाने की कोशिश करती है कि यह सिर्फ एक आकर्षण है अपोजिट सैक्स के प्रति. प्यारव्यार नहीं. सिर्फ 2 मिनट प्लेजर होता है. वह महिला अपने हाथों से उस का मास्टरबेशन कर के उसे भ्रम से निकाल कर वास्तविकता से रूबरू कराने की कोशिश करती है.

फिल्म में लड़के को भावुक दिखाया गया है और दिखाया गया है कि 15 साल की उम्र में दिमाग परिपक्व नहीं होता. बहुत बातें उस की सम झ से परे होती हैं. महिला द्वारा ऐसा करने पर वह बुरी तरह से हर्ट होता है और अपने हाथ की नस काट लेता है.

यह फिल्म थी, लेकिन हकीकत में भी ऐसा होता है. यह उम्र ही ऐसी होती है कि दिमाग में एक जनून सा छा जाता है प्यार को ले कर. सम झाने पर भी बात सम झ नहीं आती. दिमाग में प्यार का नशा छा जाता है. इस उम्र वालों के लिए यह एक मुश्किलभरा समय होता है जब वे न खुद को सम झ पाते हैं न यह जान पाते हैं कि आखिर उन की चाहत क्या है और वे चाहते क्या हैं? किस मंजिल तक जाना चाहते हैं?

स्टैप्स सिंबल बन रहा है बौयफ्रैंड-गर्लफ्रैंड बनाना

आज की आधुनिक जीवनशैली व बदलते लाइफस्टाल ने इस बात को और अधिक बढ़ावा दिया है. बीबीपीएम स्कूल में 7वीं क्लास की नम्रता ने बताया, ‘‘मेरी ज्यादातर सभी फ्रैंड्स के बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड हैं. सभी आपस में उन की बातें करते हैं. ऐसे में मेरा कोई बौयफ्रैंड न होना कई बार मु झे एम्बैरस फील कराता था. इसलिए मैं ने भी बौयफ्रैंड बना लिया. अब मैं भी बड़ी शान से कहीं घूमनेफिरने और फ्रैंड्स की पार्टियों में अपने बौयफ्रैंड के साथ जाती हूं.’’

इस में कोई अचरज की बात नहीं. आज गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड स्टेटस सिंबल हो गया है और जो इस से परे है वह दकियानूसी सम झा जाता है. लड़कियां सोचती हैं मु झ में कोई आकर्षण नहीं, इस कारण लड़के मेरी तरफ नहीं देख रहे.

वजह क्या हैं

– घरवालों का बच्चों को पर्याप्त समय न देना. अकसर मातापिता दोनों वर्किंग होते हैं और न्यूक्लिर फैमिली होने के कारण घर में बच्चा अकेला रहता है. बच्चे में अतृप्त जिज्ञासाएं उभर आती हैं.

बच्चे उन जिज्ञासाओं का जवाब चाहते हैं लेकिन मातापिता के पास न वक्त होता है और न जवाब और न ही उन में धैर्य होता है कि वे बच्चे की बात सुनें.

– बदलती जीवनशैली ने बच्चों को तनावग्रस्त बना दिया है. ऐसे में अपनेआप को तनावमुक्त करने के लिए वे अपनेपन का सहारा ढूंढ़ने लगते हैं.

– इस उम्र में जोश और उत्साह बहुत अधिक होता है, ऊपर से खानपान की बिगड़ती आदत और अधिक ऊर्जा उन में सैक्स इच्छा को बढ़ा देती है.

टीनएज लव कोई असामान्य बात नहीं. स्वाभाविक क्रिया है और एकाध को छोड़ कर सभी लोग इस दौर से गुजरते हैं. टीनएज लव बुरी बात नहीं लेकिन भटकना जरूर चिंतनीय विषय है.

मातापिता हैंडल कैसे करें

– मातापिता ही हैं जो अपने बच्चों को अच्छी परवरिश, अच्छे संस्कार दे सकते हैं. बच्चों के प्रति लापरवाह न रहें, बल्कि बच्चों के जीवन में क्या चल रहा है, उस से वे अवगत रहें.

– बच्चों के आगे सिर्फ ज्ञान न  झाड़ें. जरूरत होती है उन्हें सम झने और सम झाने की. ज्ञान की बातें तो वे किताबों से भी सीख लेंगे, इसलिए उन्हें सम झाने के लिए उपदेशात्मक रवैया न अपनाएं.

– मातापिता यह न भूलें कि वे भी इसी उम्र से गुजरे थे. ऐसे में उन्हें आप से ज्यादा भला कौन सम झेगा.

– उन के प्यार करने पर सजा देने के बजाय उन्हें माफ करना सीखें. उन्हें सम झाएं.

– मातापिता अपनी व्यस्तता के कारण बच्चों की हरकतों को नजरअंदाज न करें. उन के मूड, स्वभाव, इच्छाओं व अनिच्छाओं को जानें.

– बच्चे के प्रति आप का विश्वास ही उन्हें गलत रास्ते पर जाने से बचाएगा.

– परवरिश और संस्कार ही बच्चों के चरित्र का निर्माण करते हैं. उन्हें नैतिक मूल्यों से अवगत कराएं.

– कई बार भावुकता में टीनएजर्स परिणाम की फ्रिक किए बगैर तुरंत निर्णय ले कर कौन सा कदम कब उठा ले, कुछ कह नहीं सकते. कभीकभी बच्चे प्यार में धोखा खाना या दिल टूट जाना सहन नहीं कर पाते और वे मानसिक रूप से टूट जाते हैं. ऐसे में वे आत्महत्या या मानसिक संतुलन खो बैठें, उस से पहले उन्हें संभाल लें. इस के लिए उन की हर हरकत पर नजर रखना जरूरी है.

– बच्चा यदि गलत राह पर चलने लगा है तो उसे प्यार से सम झाया जा सकता है कि यह समय उस के लिए कितना जरूरी है. यदि यह समय गंवा दिया या कैरियर में रुकावट आ जाए तो वह अपने सब साथियों से पीछे रह जाएगा और जिंदगी में कुछ नहीं बन पाएगा. बच्चे पर आप की बातों का प्रभाव अवश्य पड़ेगा. बस, उस के साथ बने रहिए और एहसास दिलाते रहें कि आप उस के साथ हमेशा खड़े हैं. वे उन से अपनी कोई बात न छिपाएं.

– जब पता चल जाए कि आप के बच्चे को किसी से प्यार हो गया है तो उसे सम झाएं कि यह कच्ची उम्र का प्यार है. महज आकर्षण है जो शायद वक्त के साथ खत्म हो जाए.

– इस उम्र में बच्चे काफी संवेदनशील और भावुक होते हैं, इसलिए उन की भावनाओं को सम झना बहुत जरूरी है. प्यार में दिल टूटने पर उन का तिरस्कार न करें. उन्हें दोस्त की तरह सम झाएं. उन के गम को अपना गम सम झ कर उन्हें गले से लगा लें.

– बच्चे के गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें और घर पर बुला कर उन से बातचीत का रवैया अपनाएं, जिस में आप के बच्चे को आप से कुछ छिपाने की आवश्यकता न पड़े और वह अपनी हर बात शेयर करे.

आखिर में यही कहना चाहेंगे कि मातापिता की थोड़ी सी कोशिश बच्चों को सही राह दिखा सकती है. यह बच्चों की नाजुक उम्र का मोड़ है. ऐसे में जरूरत है कि मातापिता उन पर ध्यान दें, उन का मार्गदर्शन करें और उन्हें सम झें.

Winter Special: चाय के शौकीन बनाएं Cheese Tea

क्या आपके दिन की शुरूआत भी चाय के साथ होती है. मूड खराब होने या फिर थकान होने के दौरान चाय पीने से आपको सुकून मिलता है, तो इसका मतलब है कि आप चाय के शौकीन हैं. अगर आपको चाय पीना पसंद है, तो आपको इसकी नई -नई वैरायटीज के बारे में पता होना चाहिए.  इन दिनों एक नई तरह की चाय का ट्रेंड देखने को मिल रहा है. खासतौर से अगर आप पनीर के दीवाने हैं, तो आपको यह चाय बेहद पसंद आने वाली है. इसका नाम है “चीज टी” यानी पनीर वाली चाय. सुनकर अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह ताइवान की चाय है, जिसके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना हो. यह चाय आम चाय की तुलना में काफी अलग होती है. बता दें कि इसमें शामिल किया गया पनीर न केवल सैंडविड, नाचोस और पिज्जा पर डाला जाता है, बल्कि कई देसी खाद्य पदार्थों एक लिए एक पोषित एड ऑन बन गया है. कई अध्ययनों से पता चला है कि पनीर सेहत के लिए अच्छा होता है. कैल्शियम से भरपूर पनीर का एक क्यूब प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और हाई ब्लड प्रेशर से बचने के लिए जाना जाता है. पनीर में मौजूद गुणों के कारण यह चाय वजन घटाने में भी मददगार साबित हो सकती है. तो आइए जानते  हैं कि क्या है “चीज टी” और क्या चीज इसे इतना अनूठा बनाती है.

क्या है पनीर चाय

ताइवान चीज टी एक स्वादिष्ट मीठा और नमकीन ड्रिंक है, जो स्वाद और बनावट के लिहाज से बोबा चाय से काफी मिलता-जुलता है. लेकिन टी लवर्स इसे ग्रीन या ब्लैक टी से बनी चाय के मिश्रण में से एक मानते हैं. इसमें व्हीप्ड क्रीम चीज मिक्स , थोड़ा सा दूध अैर थोड़ा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. पनीर की चाय का चलन 2010 में ताइवान के नाइट मार्केट से शुरू हुआ था. लेकिन स्वाद और पनीर की बनावट ने इसे दुनियाभर के टी लवर्स के बीच पॉपुलर बना दिया है.

पनीर की चाय कैसे अलग है

अन्य झागदार ड्रिंक के विपरीत पनीर की चाय में मलाईदार और झागदार टॉपिंग होती है, जो इस ड्रिंक को एक स्वादिष्ट स्वाद देती है. लेकिन आम ड्रिंक के विपरीत इसे ठंडा ही सर्व किया जाता है. जो चीज इसे इतना स्वादिष्ट बनाती है वो ये कि इस ड्रिंक को स्वाद और पसंद के अनुसार बदला जा सकता है. पनीर चाय को लांच करने का मकसद एक ही समय में पनीर और चाय के अनूठे स्वाद का अनुभव करना है.

घर पर पनीर वाली चाय कैसे बनाएं

यह स्वादिष्ट क्रीमी चीज टी ग्रीन टी,ऊलांग टी का उपयोग करके बनाई जाती है. इसे पारंपीरिक तरीके से बनाने के लिए क्रीम चीज टॉपिंग को नमक के साथ मिलाया गया है. मलाईदार पनीर या व्हीप्ड दूध के साथ चाय के स्वाद का कॉम्बिनेशन इसे स्वादिष्ट बनाता है.

पनीर वाली चाय की रेसिपी-

सामग्री-

200 ग्राम- क्रीम चीज

100 मिली- कंडेस्ड मिल्क या फ्रेश मिल्क

200 मिली – व्हीप्ड क्रीम

1 चम्मच- सी सॉल्ट

100 ग्राम- चीनी

4- 5 – बर्फ के टुकड़े

पनीर की चाय बनाने की विधि

– एक साफ मिक्सिंग बाउल में क्रीम चीज के छोटे टुकड़ों को मैश कर लें.

– क्रीम चीज में चीनी और नमक डालें और चीनी के घुलने तक फेटें.

– अब पनीर के घोल में धीरे-धीरे दूध डालें और फेंटते रहें.

– इसे तब तक फेंटे जब तक की पनीर का घोल झागदार न हो जाए. इसे अब एक तरफ रख दें.

– एक अलग मिक्सिंग बाउल में व्हीपिंग क्रीम डालें.

– नोक बनने तक क्रीम को व्हीप करें.

– अब पनीर के घोल में व्हीप क्रीम मिलाएं और फेटें.

– झाग आने तक फेंटे और ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें.

– अब चाय को सर्विंग गिलास में डालें  साथ में बर्फ के टुकड़े भी डालें.

– अपनी पसंद के किसी भी पेय के साथ आप इसे सर्व कर सकते हैं और ऊपर से पनीर का घोल भी डाल सकते हैं.

टिप्स-

– जब भी उपयोग में न  हो, पनीर के झाग को ठंडा होने रख दें. फ्रिज में यह 3-5 दिनों तक चलता है.

-जब आप इसका उपयोग करने वाले हों, तो पनीर के घोल को अच्छी तरह से फेंट लें. इससे पीनर के झाग को बनाए रखने के लिए पानी और फैट एकसाथ मिल जाएगा.

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