GHKKPM: 8 साल बाद सई या पाखी किसके साथ होगा विराट, नया प्रोमो देख चौंके फैंस

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’  (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में ट्विस्ट के चलते जहां मेकर्स ने लीप लाने का फैसला किया था तो वहीं अब 8 साल के लीप का नया प्रोमो फैंस के सामने आ गया है, जिसके चलते फैंस काफी एक्साइटेड नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin  के नए प्रोमो में खास…

बच्चों को पालती दिखी सई-पाखी

 

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हाल ही में लीप की खबरों के बीच ‘गुम है किसी के प्यार में’ के मेकर्स ने शो का नया प्रोमो रिलीज किया है. वीडियो में 8 साल के बाद सई की बेटी अपने पिता की तस्वीर बनाती दिख रही है तो वहीं पाखी का बेटा गेम खेलता नजर आ रहा है. वहीं दोनों अपने पिता का इंतजार करते दिख रहे हैं. तो दूसरी तरफ विराट बच्चों की पसंद के खिलौने लेता हुआ नजर आ रहा है. लेकिन आखिर में वह सई के पास जाता है या पाखी के पास, यह प्रोमो में नहीं दिखाया गया है, जिसके चलते फैंस काफी एक्साइटेड हैं.

 

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खुदखुशी की कोशिश करेगी पाखी

 

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सीरियल की बात करें तो अब तक आपने देखा कि किन्नरों के आने से पाखी को सई से कम अहमियत मिलने लगती है, जिसके चलते वह एक नया प्लान बनाती है और खुदखुशी करने का नाटक करती है. हालांकि सई आकर उसे रोकती है. लेकिन डौक्टर के डिप्रेशन वाली बात पर भवानी, पाखी को बच्चा संभालने की बात करती दिखेगी, जिसे सुनकर सई और विराट समेत पूरा चौह्वाण परिवार जहां हैरान होगा तो वहीं पाखी बेहद खुश नजर आएगी.

 

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पाखी को जेल भेजेगी सई

इसके अलावा आप देखेंगे कि पाखी की चालों का जवाब देते हुए सई पुलिस को बुलाएगी और सरोगेसी के मामले में पाखी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाएगी और उसे जेल भेजेगी. वहीं सई के इस फैसले से विराट नाराज होता दिखेगा. हालांकि सई, विराट को धमकी देगी कि अगर उसने इस फैसले पर पाखी का साथ दिया तो वह घर छोड़कर अपने बच्चे को साथ लेकर चली जाएगी, जिसे सुनकर विराट चौंक जाएगा.

DNA टैस्ट खोलता है कई गहरे राज

2008 में रोहित एनडी तिवारी के खिलाफ अदालत पहुंचे थे. रोहित ने दावा किया था कि वह पूर्व कांग्रेस नेता और अपनी मां उज्ज्वला शर्मा का बेटा है. एनडी तिवारी ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले को खारिज करने की गुहार भी लगाई थी हालांकि कोर्ट ने 2010 में तिवारी की इस गुहार को खारिज कर दिया था.

23 दिसंबर, 2010 को हाई कोर्ट ने सचाई जानने के लिए दोनों को डीएनए टैस्ट कराने का आदेश दिया. हालांकि एनडी तिवारी ने इस के खिलाफ भी खूब हाथपांव मारे और सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा था.

इस के बाद उन्होंने अपना खून तो दिया, लेकिन उस के रिजल्ट को सार्वजनिक न करने की सिफारिश की थी, जिसे कोर्ट ने नहीं माना और रोहित का दावा सही निकला. डीएनए टैस्ट के बाद रोहित को बेटे का हक मिला, लेकिन दुर्भाग्यवश 39 साल की उम्र में रोहित का हृदयगति रुकने से मौत हो गई.

इस के अलावा एक बार छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में एक बेटे को पिता की पहचान जानने के लिए डीएनए टैस्ट कराना पड़ा क्योंकि पुलिस को एकसाथ 2 सड़ेगले शव छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में मिले थे. परिवार वाले उसे पहचान नहीं पा रहे थे. यह जानने के लिए पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने डीएनए टैस्ट करवाया और बाद में संबंधित शव परिवार को सौप दिया.

किया शोध

फ्रेडरिक मिशर ने 1869 में डीएनए की खोज की थी और उन्होंने इस का नाम न्यूक्लिन रखा. इस के बाद 1881 में अल्ब्रेक्ट कोसेल ने न्यूक्लिन को न्यूक्लिक एसिड की तरह पाया. तब इसे डीऔक्सीराइबोज न्यूक्लिन ऐसिड नाम दिया गया था और इसे ही डीएनए की फुलफौर्म कहा जाता है.

संरचना

डीएनए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डीऔक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डीएनए कहते हैं. इस में जैनेटिक कोड निबद्ध रहता है. डीएनए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है.

डरें नहीं डीएनए जांच से 

इस बारे में मुंबई के अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल की जनरल फिजिशियन डा. छाया वजा कहती हैं कि असल में किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए कई प्रकार की जांचें की जाती हैं. इन में डीएनए जांच का नाम सुन कर अच्छेभले लोग भी डर जाते हैं. यह एक ऐसा टैस्टल है, जो हमारे जीन्स के बारे में एकदम सटीक जानकारी देता है. आज के बदलते जमाने में हत्या और बलात्कार जैसे कई अपराधों को सुलझने के लिए डीएनए परीक्षण का उपयोग किया जाता है. इसलिए ज्यादातर लोग इस के बारे में थोड़ाबहुत जानते हैं.

डीएनए क्या है

डाक्टर छाया कहती हैं कि हर व्यक्ति का डीएनए अलग होता है. डीएनए में 4 घटक होते हैं- एडेनिन (ए), थायमिन (टी), ग्वानिन (जी) और साइटोसिन (सी). यह डीएनए जांच के लिए किया जाता है. एक अपराधी का पता लगाने और मातापिता अपने हैं या नहीं यह जानने के लिए इस जांच को करना पड़ता है क्योंकि बच्चे का डीएनए उस के मातापिता से बनता है, लेकिन बच्चे और उस के मातापिता का डीएनए एकजैसा नहीं होता है, बल्कि कुछ हिस्सा मिलता हुआ हो सकता है.

एक डीएनए जांच द्वारा पितृत्व परीक्षण किया जाता है और यह लगभग 100% सटीक होता है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के बच्चे का पिता है या नहीं. डीएनए टैस्ट में चीक स्वैब या ब्लड टैस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि आप को कानूनी कारणों से परिणाम की आवश्यकता है, तो आप को चिकित्सा सैटिंग में परीक्षण करवाना चाहिए. प्रसवपूर्व पितृत्व परीक्षण, गर्भावस्था के दौरान पितृत्व का निर्धारण कर सकते हैं.

डीएनए है क्या

डीएनए एक बहुत ही साइंटिफिक टर्म है, इसलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं. व्यक्ति के शरीर में एक डीएनए कोडिंग होती है और यह कोडिंग जिस तरह से होती है, शरीर उसी तरह से बनता है अर्थात कोडिंग ही तय करती है कि बच्चे की आंखों का रंग कैसा होगा, उस की स्किन का रंग कैसा होगा, लंबाईचौड़ाई कैसी होगी, मसल्स कितनी मजबूत होंगी, बाल कैसे होंगे, सीना कितने इंच का होगा और बच्चा भविष्य में किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी का शिकार हो सकता है या नहीं आदि.

पितृत्व का निर्धारण

पितृत्व का परीक्षण बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है, लेकिन गर्भावस्था में भी यह जांच की जा सकती है. इस के 3 अलगअलग तरीके हैं:

गैर-इनवेसिव प्रीनेटल पितृत्व परीक्षण (एनआईपीपी): यह परीक्षण पहली तिमाही के दौरान गर्भवती महिला के रक्त में पाए जाने वाले भू्रण के डीएनए से किया जाता है. इसे जांचने के लिए पिता के चिक सैल के नमूने को भू्रण के डीएनए से मिलाया जाता है.

कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस): यह प्रक्रिया मां की गर्भाशय ग्रीवा या पेट के माध्यम से होती है. इस जांच के लिए मां और पिता का डीएनए मिलाया जाता है. सीवीएस आमतौर पर एक महिला के आखिरी मासिकधर्म के 10 से 13 सप्ताह के बीच होता है. इस प्रक्रिया में गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान का थोड़ा रिस्क होता है.

एमनियोसैंटेसिस: एमनियोसैंटेसिस के दौरान ऐक्सपर्ट थोड़ी मात्रा में एमनियोटिक फ्लूइड निकालते हैं. इस टैस्ट के लिए प्रैगनैंट मां के पेट में एक नीडल डाली जाती है, फिर प्रयोगशाला में इस फ्लूइड के सैंपल को मां और संभावित पिता के डीएनए से तुलना की जाती है. एमनियोसैंटेसिस गर्भधारण के 15 से 20 सप्ताह के बीच में किया जाता है. इस टैस्ट से मिस्कैरिज की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है.

समय डीएनए रिपोर्ट आने का

जांच कराने के लगभग 1 हफ्ते बाद डीएनए की रिपोर्ट आती है और किसी बीमारी की जांच के लिए किए जाने वाली जांच में करीब 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है.

तरीके डीएनए टैस्ट के

व्यक्ति के शरीर से खून की कुछ बूंदें ले कर इस टैस्ट को किया जाता है. इस के अलावा मुंह से स्वाब, हेयर, स्किन आदि से भी जांच की जा सकती है. डीएनए जांच देती है परिचय मातापिता का:

– इस टैस्ट से बच्चा संबंधित मातापिता का है या नहीं यह पता लगाया जा सकता है.

– मातापिता को कोई बायोलौजिकल बीमारी अगर है, तो इस बीमारी का बच्चे में जाने की संभावना है या नहीं.

– इस टैस्ट के द्वारा व्यक्ति सगेसंबंधी और ब्लड रिलेटिव्स का पता लगा सकता है.

– क्राइम की छानबीन और आरोपी को दबोचने के लिए डीएनए टैस्ट किया जाता है.

– डीएनए टैस्ट के जरीए किसी भी व्यक्ति को किस बीमारी से खतरा है इस का पता लगाया जा सकता है.

प्रैग्नेंसी में मूड स्विंग्स से काफी परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 26 साल की और 3 महीनों से प्रैगनेंट हूं. मुझे मूड स्विंग्स की समस्या हो रही है. अगर कोई मेरी बात न सुने या मेरे मन का न हो तो मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और मैं किसी से भी लड़ने लगती हूं. यह हरकत मेरे लिए प्रौब्लम क्रिएट कर रही है. प्लीज, बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

प्रैगनैंसी के समय हारमोनल फ्लक्चुएशंस की वजह से मूड स्विंग्स होना नौर्मल है. आप अच्छी नींद लें, अपने को रैस्ट दें, माइल्ड ऐक्सरसाइजेज की मदद लें. तनाव बिलकुल न लें, अपने पार्टनर से बातें शेयर करें, उन की हैल्प लें और पौष्टिक खाना खाएं.

ये भी पढ़ें- 

आमतौर पर प्रैग्नेंसी के दौरान और बाद एक महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं. प्रैग्नेंसी के बाद स्तनों में बदलाव होता ही है. क्‍या आप जानते हैं, स्तन लोब्‍युल्‍स से बने होते हैं, जो दूध बनाने वाली ग्रंथियाँ होती है और इनमें नलिकाएँ  हुती हैं, जो दूध को निप्‍पल तक ले जाती हैं और उनके इर्द-गिर्द ग्रंथीय, नसों वाले और चर्बीदार ऊत्‍तक होते हैं. उम्र बढ़ने के साथ ग्रंथीय ऊत्‍तक का आकार घटता है. प्रैग्नेंसी के दौरान स्‍तन का विकास इस प्रक्रिया का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है, क्‍योंकि उसे शिशु के लिये दूध बनाने के लिये बदलाव से गुजरना होता है. प्रैग्नेंसी से पहले के हॉर्मोन स्‍तन के ऊतकों में बदलाव लाते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान मिलने वाले शुरूआती संकेतों में स्‍तनों को संवेदी अनुभव होना शामिल है, जो शरीर में अतिरिक्‍त हॉर्मोन्‍स के बहने से होता है.

डॉ. तनवीर औजला, सीनियर कंसल्‍टेन्‍ट ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एवं गाइनेकलॉजिस्‍ट, मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा की बता रही हैं गर्भावस्था के दौरान स्तनों में क्या बदलाव होते है.

प्रैग्नेंसी के दौरान हमारे स्‍तनों में शिशु को दूध देने के लिये बदलाव होते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान होने वाले इन बदलावों में स्‍तनों का आकार बढ़ना और स्‍तनों तथा निप्‍पल का मुलायम या संवेदनशील होना शामिल है. इसमें निप्‍पलों और एरीयोला का रंग भी बदलता है और मोंटगोमरी ग्रंथियाँ स्‍पष्‍ट और बड़ी दिखाई देती हैं. स्‍तनों में ज्‍यादा खून आने लगता है, जिससे उनकी नसें गहरे रंग की हो जाती हैं. इस अवस्‍था में एस्‍ट्रोजेन और प्रोजेस्‍टेरॉन की मात्रा बढ़ जाती है और इन दोनों हॉर्मोन्‍स के मिलने से दूध बनने लगता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- प्रैग्नेंसी के बाद आपके ब्रैस्ट में वास्तव में क्‍या होता है

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मैडमजी: लिफाफे में क्या लिखा था

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Raksha bandhan Special: बनाएं पंजाबी भिंडी मसाला

फेस्टिव सीजन में अगर हैल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो पंजाबी भिंडी मसाला की ये आसान और हेल्दी रेसिपी आपकी फैमिली को बेहद पसंद आएगी.

सामग्री

250 ग्राम भिंडी

1 बारीक कटा प्याज

1 बारीक कटा टमाटर

1 टीस्पून अदरक-लहसुन का पेस्ट

1/2 टीस्पून हरी मिर्च का पेस्ट

1/4 टीस्पून हल्दी पाउडर

3/4 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर

3/4 टीस्पून धनिया पाउडर

1/4 टीस्पून अमचूर पाउडर

1/4 टीस्पून कसूरी मेथी

चुटकी भर गरम मसाला पाउडर

1/2 टीस्पून जीरा

तेल

नमक स्वादानुसार

गार्निशिंग के लिए धनिया

विधि

भिंडी को मध्यम आंच पर 8 मिनट तक सॉते करने के बाद प्लेट में निकाल लें. कड़ाही में जीरा भूनें. उसमें प्याज और हरी मिर्च का पेस्ट डालकर 4 मिनट तक सॉते करें.

अब उसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर 3 मिनट तक सॉते करें, फिर लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, अमचूर पाउडर और कसूरी मेथी मिलाएं.

उसमें टमाटर डालने के बाद 6-7 मिनट तक सॉते करें. ऊपर से ढक दें. भिंडी मिलाकर 10 मिनट तक पकाएं (ढक्कन हटा दें). उसमें नमक और गरम मसाला पाउडर मिलाकर गैस बंद कर दें.

सर्विंग बाउल में निकालें और धनिया से गार्निश कर गर्मागर्म सर्व करें.

अधूरी मौत- भाग 5: शीतल का खेल जब उस पर पड़ा भारी

‘‘ठीक है, बताओ कहां मिलना है?’’ शीतल ने पूछा, ‘‘मैं भी इस डरडर के जीने वाली जिंदगी से परेशान हो गई हूं.’’ शीतल ने कहा.

‘‘शहर के बाहर सुनसान पहाड़ी पर जो टीला है, उसी पर मिलते हैं, आखिरी बार.’’ अनल बोला,  ‘‘दोपहर 12 बजे.’’

‘‘ठीक है मैं आती हूं.’’ शीतल बोली.

शीतल अब निश्चिंत हो गई. वह सोचने लगी, इस स्थिति से कैसे निपटा जाए. अगर वह सचमुच एक आत्मा हुई तो..? अरे उस ने खुद ने ही तो बता दिया है कि जहां भगवान होते हैं, वहां वह ठहर ही नहीं सकता. मतलब भगवान को साथ ले जाना होगा. और अगर वह खुद कोई फ्रौड हुआ, तो अपनी आत्मरक्षा के लिए रिवौल्वर साथ ले जाऊंगी. शीतल ने निर्णय लिया.

सुबह उठ कर उस ने अपने दोनों हाथों की कलाइयों, बाजुओं, गले यहां तक कि कमर में भी भगवान के फोटो वाली लौकेट पहन लिए, ताकि वह आत्मा उसे छूने से पहले ही समाप्त हो जाए. साथ ही रिवौल्वर भी अपने पर्स में रख ली.

ड्राइवर आज छुट्टी पर था. उस ने खुद गाड़ी चलाने का निर्णय लिया. वह निर्धारित समय से 15 मिनट पहले ही सुनसान पहाड़ी पर पहुंच गई. लेकिन अनल उस से भी पहले से वहां पहुंचा हुआ था.

‘‘ऐसा लगता है, तुम सुबह से ही यहां आ गए हो.’’ शीतल अनल की तरफ देखते हुए बोली.

‘‘शीतू, मैं तो रात से ही तुम्हारे इंतजार में बैठा हूं.’’ अनल बोला.

‘‘कौन सी इच्छा पूरी करना चाहते हो अनल?’’ शीतल अपने आप को संभालती हुई बोली.

‘‘बस एक ही इच्छा है, जो मैं मर कर भी नहीं जान पाया…’’ अनल थोड़ा रुकता हुआ बड़ी संजीदगी से बोला, ‘‘…कि तुम ने मुझे उस ऊंची पहाड़ी से धक्का क्यों दिया? इस का जवाब दो, इस के बाद मैं सदासदा के लिए तुम्हारी जिंदगी से दूर चला जाऊंगा.’’

‘‘हां, तुम्हें यह जवाब जानने का पूरा हक है. और यह सुनसान जगह उस के लिए उपयुक्त भी है. अनल तुम तो मेरी पारिवारिक स्थिति अच्छी तरह से जानते ही हो. मैं बचपन से बहनों के उतारे हुए पुराने कपड़े और बचीखुची रोटियों के दम पर ही जीवित रही हूं. लेकिन किस्मत ने मुझे उस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया, जहां मेरे चारों ओर खानेपीने और पहनने ओढ़ने की बेशुमार चीजें बिखरी पड़ी थीं.

‘‘यह सब वे खुशियां थीं जिस का इंतजार मैं पिछले 23 साल से कर रही थी. एक तुम थे कि मुझे मां बनाने पर तुले थे. और मैं जानती थी, एक बार मां बनाने के बाद मेरी सारी इच्छाएं बच्चे के नाम पर कुरबान हो जातीं. और यह भी संभव था कि एक बच्चे के 3-4 साल का होने के बाद मुझ से दूसरे बच्चे की मांग की जाती.

‘‘अब तुम ही बताओ मेरी अपनी सारी इच्छाओं का क्या होता? क्या बच्चे और परिवार के नाम पर मेरी ख्वाहिशें अधूरी नहीं रह जातीं?

‘‘मैं अपनी इच्छाओं को किसी के साथ भी बांटना नहीं चाहती थी. न तुम्हारे साथ न बच्चों के साथ. मैं भरपूर जिंदगी जीना चाहती हूं सिर्फ अपने और अपने लिए.

‘‘उस पहाड़ी को देखते ही मैं ने मन ही मन योजना बना ली थी. इसी कारण स्टाइलिश फोटो के नाम पर ऐसा पोज बनवाया, जिस से मुझे धक्का देने में आसानी हो.’’

शीतल ने अपनी योजना का खुलासा किया, ‘‘मैं अब तक इस बात को भी अच्छी तरह से समझ चुकी हूं कि तुम कोई आत्मा नहीं हो. लेकिन मैं तुम्हें इसी पल आत्मा में तब्दील कर दूंगी.’’ कहते हुए शीतल ने अपने पर्स से रिवौल्वर निकालते हुए कहा, ‘‘हां, तुम्हारी लाश पुलिस को मिल जाएगी, तो मुझे बीमे का क्लेम भी आसानी से मिल जाएगा.’’ शीतल ने आगे जोड़ा.

‘‘देखो शीतल, दोबारा ऐसी गलती मत करो. तुम्हारे पीछे पुलिस यहां पर पहुंच ही चुकी है.’’ अनल शीतल को चेताते हुए बोला.

‘‘मूर्ख, मुझे छोटा बच्चा समझ रखा है क्या? तुम कहोगे पीछे देखो और मैं पीछे देखूंगी तो मेरी पिस्तौल छीन लोगे.’’ शीतल कातिल हंसी हंसते हुए बोली.

शीतल गोली चलाती, इस से पहले ही उस के पैर के निचले हिस्से पर किसी भारी चीज से प्रहार हुआ.

‘‘आ आ आ मर गई… ’’ कहते हुए शीतल जमीन पर गिर गई और हाथों से रिवौल्वर छूट गई. उस ने पीछे पलट कर देखा तो सचमुच में पुलिस खड़ी थी और साथ में वीर भी था.

‘‘आप का कंफेशन लेने के लिए ही यह ड्रामा रचा गया था मैडम. इस सारे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी कर ली गई है. अनल ने कपड़ों में 3-4 स्पाइ कैमरे लगा रखे थे.’’ इंसपेक्टर ने कहा, ‘‘आप को कुछ जानना है?’’

‘‘हां इंसपेक्टर, मैं यह जानना चाहती हूं कि अनल का भूत कैसे पैदा किया गया? वह मेरी गैलरी में कैसे चढ़ा और उतरा? वह मेरे अलावा किसी और को दिखाई क्यों नहीं दिया?’’ शीतल ने अपनी जिज्ञासा रखी.

‘‘यह वास्तव में ठीक उसी तरह का शो था जैसा कि कई शहरों में होता है. लाइट एंड साउंड शो के जैसा लेजर लाइट से चलने वाला. इस की वीडियो अनल व वीर ने ही बनाई थी और इस का संचालन आप के बंगले के सामने बन रही एक निर्माणाधीन बिल्डिंग से किया जाता था.’’ इंसपेक्टर ने बताया, ‘‘और आप के ड्राइवर और चौकीदार तो बेचारे इस योजना में शामिल हो कर आप के साथ नमकहरामी नहीं करना चाहते थे. लेकिन जब उन्हें थाने बुलाया और पूरा मामला समझाया गया तो वह साथ देने को तैयार हो गए. ड्राइवर की आज की छुट्टी भी इसी पटकथा का एक हिस्सा है.’’

‘‘पहाड़ी पर इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी अनल बच कैसे गया?’’ शीतल ने हैरानी से पूछा.

‘‘यह सारी कहानी तो मिस्टर अनल ही बेहतर बता सकेंगे.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

‘‘शीतल, मैं 50 मीटर लुढ़कने के बाद खाई में उगे एक पेड़ पर अटक गया. इतना लुढ़कने और कई छोटेबड़े पत्थरों से टकराने के कारण मैं बेहोश हो गया. तुम ने लगभग 100 मीटर दूर पुलिस को घटनास्थल बताया. तुम चाहती थी कि मेरी लाश किसी भी स्थिति में न मिले.

‘‘पहले दिन पुलिस तुम्हारे बताए स्थान पर ढूंढती रही, मगर अंधेरा होने के कारण चली गई. लेकिन दूसरे दिन पुलिस ने उस पूरे इलाके में सर्चिंग की तो मैं एक पेड़ पर अटका हुआ बेहोश हालत में दिखाई दिया. चूंकि यह स्थान तुम्हारे बताए गए स्थान से काफी दूर और अलग था, अत: पुलिस को तुम पर शक पहले दिन से ही हो गया था. और वह मेरे बयान लेना चाहती थी. पुलिस ने तुम्हें बताए बिना मुझे अस्पताल में भरती करवा दिया. कुछ समय बेहोश रहने के बाद मैं कोमा में चला गया.

‘‘लगभग एक महीने के बाद मुझे होश आया और मैं ने अपना बयान पुलिस को दिया. तुम से गुनाह कबूल करवाना मुश्किल था, इसीलिए पुलिस से मिल कर यह नाटक करना पड़ा.’’ अनल ने बताया.

‘‘चलो, अब समझ में आ गया भूत जैसी कोई चीज नहीं होती.’’ शीतल बोली.

‘‘मैं ने तुम से वायदा किया था कि आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे तो यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी. मेरी अनुपस्थिति में  पिताजी का खयाल रखने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद.’’ अनल हाथ जोड़ते हुए बोला.

इक घड़ी दीवार की- भाग 3: क्या थी चेष्ठा की कहानी

सात्वत ने जेब से चाबी निकाल कर चेष्टा की ओर बढ़ा दी. दरवाजा खोल कर दोनों अंदर बैठ गए तो गाड़ी स्टार्ट करते हुए चेष्टा ने पूछा, ‘‘कहां जाना है? पहले अस्पताल चलें, ड्रेसिंग करवाने?’’

सात्वत जल्दी से बोला, ‘‘नहींनहीं, मेरे फ्लैट में ड्रेसिंग का सामान है. मैं कर लूंगा…अभी मुझे तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाना है.’’ कुछ पल की खामोशी रही. चेष्टा बिना कुछ बोले सामने की ओर देखती कार चलाती रही तो सात्वत ने पूछा, ‘‘तुम यहां क्या कर रही हो? तुम तो पूना में थीं?’’

चेष्टा ने उस की ओर तीखी निगाहों से देखा फिर लंबा निश्वास ले कर उस ने कार को आगे बढ़ा दिया. लालबत्ती पार कर के कार सफदरजंग अस्पताल पहुंची. लेकिन चेष्टा ने वहां कार नहीं रोकी. उस ने आगे बढ़ कर सफदरजंग एनक्लेव में एक दोमंजिला भवन के गेट के अंदर जा कर पोर्टिको में कार रोकी. सात्वत इस बीच सीट पर पीछे सिर टिकाए खामोश बैठा रहा. केवल बीचबीच में वह 1-2 पल के लिए तिरछी निगाहों से चेष्टा की ओर देख लेता था.

चेष्टा ने कार का दरवाजा खोल कर बाहर आते हुए कहा, ‘‘चलो,’’ तो सात्वत चौंक कर दरवाजा खोल कर बाहर निकला. चेष्टा ने सीढि़यां चढ़ते हुए आने का इशारा किया. दोनों पहली मंजिल में बरामदे के दाईं ओर एक आफिस के बाहर पहुंचे. चपरासी ने झट से दरवाजा खोला और चेष्टा के पीछे सात्वत अंदर गया. थोड़ा आश्चर्यचकित सा, हलका सा लंगड़ाता हुआ.

छोटा सा आफिस का कमरा था. एक मेज, कई कुरसियां, स्टूल, अलमारी, फाइलिंग कैबिनेट, एक टेलीफोन और एक कंप्यूटर आदि.

चेष्टा ने अपनी कुरसी पर बैठते हुए इशारा किया तो सात्वत भी सामने पड़ी दूसरी कुरसी खींच कर बैठ गया. चेष्टा ने जाते वक्त चपरासी से कहा कि डे्रसिंग का सामान और 2 कप चाय भेज देना. सात्वत ने सोचा कि चेष्टा यहां दिल्ली में इस आफिस में क्या कर रही है?

एक औरत तुरंत डे्रसिंग का सामान टे्र में ले कर आई. चेष्टा के इशारा करने पर उस ने सात्वत का जख्म साफ कर के दवा लगा कर पट्टी बांध दी. सात्वत ने लंबी सांस ले कर कहा, ‘‘थैंक यू.’’

तब तक चाय आ गई और दोनों खामोश चाय पीने लगे, अपनेअपने खयालों में घिरे हुए.

सात्वत ने चेष्टा के सिर की ओर देखते हुए चौंक कर पूछा, ‘‘तुम्हारे हसबैंड?’’

चेष्टा ने सात्वत की ओर व्यथित नजरों से देखा, फिर अपने सूने सीमंत पर हाथ फेरती हुए, मुसकराने की नाकाम कोशिश करते हुए मंद स्वर में बोली, ‘‘मेरे पति जिंदा हैं, यानी जब तक जानती हूं तब तक थे, अब पता नहीं.’’

‘‘डाइवोर्स?’’

चेष्टा ने नकारात्मक सिर हिलाया और बिना जवाब दिए चाय की प्याली में कुछ तलाशती हुई सी खामोश बैठी रही.

‘‘सौरी, आई एम सौरी,’’ सात्वत को लगा कि उसे यह व्यक्तिगत प्रश्न नहीं पूछना चाहिए था.

चाय खत्म हो गई तो सात्वत ने बातों का सूत्र पुन: जोड़ने के लिए पूछा, ‘‘तुम पूना से यहां कब आईं? रहती कहां हो? अपना पता और टेलीफोन नंबर दे दो.’’

चेष्टा एक पल उस की ओर देख कर फिर नीचे देखने लगी, मानो पलकों के कोरों पर आए आंसुओं को वापस ढकेलने की कोशिश कर रही हो. फिर अचानक उस ने हंस कर कहा, ‘‘मेरी शादी के बारे में तो तुम्हें मालूम ही होगा?’’

‘‘हां, मैं पटना गया था मिलने.  तुम्हारी ही एक सहेली ने बताया कि शादी हो गई.’’

‘‘मालूम है,’’ चेष्टा बोली, ‘‘शायद तुम्हारे फोन कौल्स ने ही ममीडैडी को मेरी शादी करने के लिए फोर्स किया. उन्हें हम दोनों के प्रेम के बारे में मालूम हो गया था. शायद वे नहीं चाहते थे…कह नहीं सकती,’’ चेष्टा के चेहरे पर गहरी पीड़ा और वेदना की छाया उभरी. उस ने सात्वत के मन में उठते प्रश्नों को जान लिया और आगे बोली, ‘‘इनकार करना बहुत मुश्किल होता है. खासकर उन मांबाप की बात जिन्होंने जिंदगी में कुछ भी इनकार नहीं किया, कभी डांटा तक नहीं, हमेशा पूरी तरह से सपोर्ट किया. केवल एक के अलावा. वे तो मन में अच्छा ही चाहते होंगे. लेकिन हमेशा अच्छा नहीं होता. हजारों शादियां ऐसे ही होती हैं.’’

चेष्टा चुप हो गई मानो उस ने कुछ गलत कह दिया हो. सात्वत भी खामोश रहा क्योंकि उस के पास शब्द नहीं थे. कुछ क्षण गहरी खामोशी छाई रही. चेष्टा ने अचानक सात्वत की ओर देखा और बोली, ‘‘लंच का समय हो गया है,’’ मानो वह चेतना पर बोझ बनती इस खामोशी को दूर हटाना चाहती हो.

सात्वत चौंका फिर उस ने कहा, ‘‘नहीं, मैं लंच नहीं करता. हैवी ब्रेकफास्ट कर के निकलता हूं. दिन में कभीकभार कुछ स्नैक्स ले लेता हूं.’’

चेष्टा ने कौल बेल बजाई और चपरासी के अंदर आते ही उस से कहा, ‘‘2 कप चाय और कुछ बिस्कुट ले आओ.’’

दोनों थोड़ा सहज हुए. चेष्टा ने सात्वत की ओर देख कर उस की आंखों में उभरे प्रश्न को पढ़ लिया और बोली, ‘‘डैडी ने तुरंत रिश्ता तय कर दिया और 15 दिन बाद शादी कर दी.

‘‘मैं पूना आ गई. पति एक फर्म में एग्जीक्यूटिव थे. ससुर डी.जी. पुलिस थे. अब रिटायर्ड हैं. समाज की नजरों में तो सबकुछ परफेक्ट था. शिकायत की कोई वजह नहीं थी. पति ऊंची पोस्ट पर, अच्छी तनख्वाह. मैं शादी के 3 महीने बाद ही गर्भवती हो गई. डिलिवरी हुई तो बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ.’’

चेष्टा चुप हो गई और चाय पीने लगी. सात्वत व्यथित, अवाक् उस की ओर देखता रहा. फिर चेष्टा के इशारा करने पर वह बिस्कुट और चाय पीने लगा.

चेष्टा ने आगे कहा, ‘‘1 साल के बाद मैं दोबारा गर्भवती हो गई,’’ वह कुछ देर रुकी फिर फुसफुसा कर बोली, ‘‘वह भी मरा हुआ पैदा हुआ.’’

सात्वत के अंतर में पीड़ा का ऐसा वेग उभरा कि उस की जबान जड़ हो गई, सांत्वना के शब्द भी नहीं निकले और वह चुपचाप नीचे देखता रहा. चेष्टा ने सहज स्वर में आगे कहा, ‘‘तब डाक्टर ने ब्लड टेस्ट किया…इमैजिन, गर्भावस्था में नहीं किया और मैं एच.आई.वी. पाजिटिव थी.’’

‘‘ह्वाट?’’ सात्वत ने वेदना से अभिभूत हो कर चेष्टा की ओर देखा. उस के बदन में कंपकंपी सी दौड़ गई.

चेष्टा धीरे से मुसकराई, मानो वह सात्वत को ढाढ़स दे रही हो. वह बोली,  ‘‘एड्स नहीं, केवल एच.आई.वी. पाजिटिव. मैं ने जिंदगी में कभी कोई इंजेक्शन नहीं लिया था. कभी ब्लड ट्रांसफ्यूजन नहीं लिया था, कभी किसी पुरुष के साथ संबंध बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं था. फिर शादी के बाद एच.आई.वी. पाजिटिव कैसे हो गई? समझ सकते हो?

‘‘उस डाक्टर को पहली बार गर्भवती होने पर टेस्ट कराना चाहिए था. मेरे पति का भी ब्लड टेस्ट कराना चाहिए था…उस ने टेस्ट की रिपोर्ट मेरे पति, सासससुर को दे दी और उन लोगों ने मुझे घर से निकाल दिया, बिना कुछ पूछे, बिना कुछ जाने, बिना अपने बेटे के बारे में कुछ पता लगाए.’’

‘‘तुम ने केस नहीं किया?’’

‘‘केस…मुकदमा?’’ वह हंसी, जिस में केवल असीम व्यथा और निराशा की झलक और ध्वनि थी, ‘‘उस समय मुझे कुछ नहीं सूझा. मैं गहरे अंधकार में चली गई. बस, एक ही बात मन में आ रही थी, आत्महत्या…लेकिन उस समय मेरे मम्मीडैडी ने बहुत सहारा दिया. वे मुझे अपने साथ पटना ले आए. मुझे उस गहरे अंधकार से निकलने में महीनों लग गए. मैं धीरेधीरे सहारा ले कर, झिझकते, रुकते इस राह पर चल पड़ी. मैं ने एक एन.जी.ओ. ज्वाइन किया, डब्लू.एच.ओ. का सपोर्ट है. मैं ने एच.आई.वी. एड्स की टे्रनिंग ली. काउंसलर बनी. पूरे देश में घूमती हूं, टे्रनिंग और काउंसलिंग के लिए. समय कट जाता है, अब मन लग गया है. अब लगता है कि इस जीवन में कोई लक्ष्य है, कोई काम है.’’

लुकाछिपी- भाग 3: क्या हो पाई कियारा औक अनमोल की शादी

कियारा अपने अनुभाग में आते ही फौरन सलोनी के पास जा पहुंची और उसे अपना हाले दिल व अनमोल के बारे में बताने लगी.

यह सुनते ही सलोनी हंसती हुई बोली, ‘‘वाऊ… आखिर तु झे भी प्यार हो ही गया. अनमोल और तु झे मिलाने में मैं तेरी मदद कर सकती हूं.’’

यह सुनते ही कियारा बोली, ‘‘प्लीज बता न कैसे?’’

तब सलोनी थोड़ा इतराती हुई बोली, ‘‘मैं अनमोल के रूममेट को जानती हूं. पहले

वह तेरा दीवाना था और आजकल मेरा है.’’

कियारा आश्चर्य से बोली, ‘‘कौन?’’

सलोनी मुसकराती हुई बोली, ‘‘अजय.’’

कियारा मुंह बनाती हुई बोली, ‘‘वह… अजय.’’

‘‘हां अजय… अजय और अनमोल रूममेट भी हैं और फ्रैंड भी. अनमोल से तो मैं उस के रूम में कई बार मिल चुकी हूं. जब भी अजय से मिलने जाती हूं अकसर मेरी मुलाकात अनमोल से होती है और अनमोल तो तु झे भी अच्छी तरह से जानता है.’’

यह सुन कर कियारा को थोड़ा अजीब सा लगा क्योंकि अनमोल से बातें करते हुए उसे एक क्षण के लिए भी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि अनमोल उसे जानता है.

वह यह सोच ही रही थी की कियारा के क्लासमेट संदीप का फोन आ गया. संदीप उस का स्कूल फ्रैंड था, उस के शहर दिल्ली से था और वह भी यहां बैंगलुरु की ही एक आईटी कंपनी में था. अकसर संदीप वीकैंड पर या फिर जब भी फ्री होता कियारा के साथ समय स्पैंड करने आ जाता या कियारा उस के पास चली जाती. दोनों के बीच इतना अच्छा तालमेल था कि लोगों को संदेह होता कि शायद संदीप और कियारा के बीच संबंध है.

कियारा के फोन रिसीव करते ही संदीप बोला, ‘‘हाय? किया क्या कर रही हो?’’

यहां बैंगलुरु में संदीप ही था जो कियारा को किया नाम से पुकारता था. उस के केवल कुछ खास दोस्त ही थे जो उसे किया पुकारते थे. उन में से एक संदीप भी था.

‘‘कुछ नहीं बस औफिस में हूं.’’

‘‘आज शाम मैं फ्री हूं डिनर पर चलोगी? बहुत दिनों से हम ने साथ डिनर नहीं किया है,’’ संदीप खुश होते हुए बोला.

कियारा डिनर के लिए मना कर देना चाहती थी क्योंकि उस का मन विचलित था, लेकिन वह संदीप को दुखी नहीं करना चाहती थी इसलिए बोली, ‘‘हां ठीक है. कहो मु झे कहां आना है?’’

‘‘अरे यार तुम्हें कहीं आने की जरूरत नहीं. मैं आ जाऊंगा तु झे लेने फिर साथ चलेंगे,’’ संदीप आत्मीयता और अपना पूरा हक जताते हुए बोला.

‘‘ओके आई विल वेट,’’ कह कर कियारा ने फोन रख दिया.

कियारा के फोन रखते ही सलोनी शरारती अंदाज में मुसकराती हुई बोली, ‘‘संदीप का फोन था?’’

कियारा के हां कहने पर सलोनी उसे छेड़ती हुई बोली, ‘‘क्या बात है कहां चलने को कह रहा है हीरो… तेरी तो ऐश है यार, संदीप जैसा हैंडसम लड़का भी तु झ पर ही मरता है और मु झ से ठीक से बात भी नहीं करता.’’

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है वी आर जस्ट ए गुड फ्रैंड. तू भी साथ चलना… मजा आएगा.’’

डेढ़ साल पहले जब सलोनी संदीप से मिली थी तब से वह संदीप को आकर्षित करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन विफल ही रही. उसे इस बात से बहुत चिढ़ है कि संदीप का ध्यान केवल कियारा की ओर ही रहता है, लेकिन उस ने कभी कियारा को इस बात का आभास नहीं होने दिया.

‘‘ठीक है तू कह रही है तो मैं भी चलती हूं वरना संदीप के साथ कहीं जाना मु झे पसंद नहीं.’’

सलोनी के ऐसा कहने पर कियारा ने कोई जवाब नहीं दिया और फिर दोनों अपनेअपने काम में लग गईं.

शाम को औफिस से लौटने के बाद कियारा डिनर पर जाने के लिए तैयार होने लगी.

तभी उस ने देखा सलोनी हैडफोन लगा कर शांत बैठी हुई है. यह देख कियारा ने कहा, ‘‘अरे संदीप आने ही वाला है तू रैडी कब होगी?’’

‘‘नहीं मैं नहीं चल रही, मेरा मन नहीं कर रहा. तुम जाओ मेरी वजह से तुम अपना प्रोग्राम ड्राप मत करो,’’ सलोनी गंभीर होती हुई बोली.

‘‘क्या हुआ? कुछ है तो बता न मैं संदीप को डिनर के लिए मना कर दूंगी,’’ कियारा बोली.

‘‘अरे कुछ नहीं तू जा न… आई विल मैनेज,’’ सलोनी के ऐसा कहने पर कियारा अकेले ही संदीप के साथ डिनर पर चली गई.

जब वह डिनर से लौटी तो उस ने देखा सलोनी काफी खुश लग रही थी. कियारा को कुछ सम झ नहीं आया कि आखिर इन 2 घंटों में ऐसी क्या बात हो गई जो शांत उदास सलोनी अचानक इतनी खुश लग रही है. कियारा उस से यह जानना चाहती थी लेकिन चुप रही.

अगले दिन औफिस में अभी कियारा ने अपना डैस्कटौप खोला ही था कि वहां अनमोल आ गया. अनमोल को देखते ही सलोनी की धड़कनें तेज हो गईं. ऐसा पहली बार हुआ था

जब कियारा का दिल किसी के लिए इतना अधीर हुए जा रहा था. कियारा अपनी सीट से उठ खड़ी हुई और बोली, ‘‘अनमोल तुम? कहो कुछ काम है?’’

अनमोल ने सपाट सा जवाब दिया, ‘‘नहीं बस यों ही तुम से मिलने आ गया.’’

यह सुनते ही कियारा के आंखों में चमक आ गई और औफिस के बाकी लोगों के कान खड़े हो गए, कियारा थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली, ‘‘ प्लीज हेव ए सीट.’’

कियारा के ऐसा कहते ही अनमोल बैठ गया और थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच गहरी शांति ने स्थान ले लिया जिसे तोड़ते हुए अनमोल ने कहा, ‘‘कियारा कल रात मैं तुम से मिलने तुम्हारे फ्लैट पर आने वाला हूं यह जानते हुए भी तुम किसी संदीप के साथ डिनर पर चली गई, अगर तुम्हें मु झ से नहीं मिलना था तो फोन कर के मु झे बता भी सकती थी. सलोनी के पास तो मेरा और मेरे रूममेट अजय हम दोनों का नंबर है, लेकिन तुम इस तरह बिना बताए.

कियारा बीच में ही अनमोल को रोकती हुई बोली, ‘‘एक मिनट. एक मिनट. तुम ने मु झ से कब कहा कि तुम मु झ से मिलने आ रहे हो?’’

‘‘अरे… मैं ने सलोनी से फोन कर के कहा तो था कि मैं आ रहा हूं… तुम्हारा मोबाइल नंबर मेरे पास नहीं था, इसलिए मैं ने सलोनी से कहा था,’’ अनमोल थोड़ा हैरान होते हुए बोला.

कियारा को बात सम झने में देर नहीं लगी कि कल सलोनी उन के साथ डिनर पर क्यों नहीं गई और वह इतनी खुश क्यों लग रही थी.

कियारा के चेहरे पर दुख के भाव आ गए और वह बोली, ‘‘आई एम सौरी अनमोल मु झे नहीं पता था तुम आने वाले हो, सलोनी मु झे बताना भूल गई होगी.’’

अनमोल मुसकराते हुए बोला, ‘‘इट्स ओके अच्छा अब मैं चलता हूं.’’

अनमोल जैसे ही जाने लगा कियारा ने कहा ‘‘अनमोल फिर कभी आना हो तो…’’ ऐसा कहते हुए एक कागज का टुकड़ा उस की ओर बढ़ा दिया, जिस पर उस का फोन नंबर लिखा था. उस के बाद क्या था अनमोल और कियारा की प्यार की गाड़ी सुपरफास्ट ऐक्सप्रैस की तरह दौड़ने लगी. औफिस में भी अफसाने बनने लगे. किसी को कुछ सम झ नहीं आ रहा था. सभी के सम झ से परे थी यह बात कि आखिर किस का रिश्ता किस के साथ है.

कियारा का रिश्ता संदीप के संग है या अनमोल के संग, सलोनी कभी अजय के साथ नजर आती तो कभी अनमोल के साथ, लोगों को यह अंदाजा लगाना मुश्किल था. आखिर इन सभी पांचों में किस का संबंध किस के साथ. कियारा पहले की ही तरह संदीप के साथ आउटिंग पर जाती उस के साथ मूवी जाती और कभीकभी डिनर पर भी जाती, लेकिन जब संदीप और कियारा साथ जाते उन के साथ कोई तीसरा नहीं होता क्योंकि कोई भी संदीप के साथ कहीं जाना पसंद नहीं करता, लेकिन जब कियारा अनमोल के साथ कहीं जाती संदीप को छोड़ कर सलोनी और अजय भी साथ होते.

काला अतीत- भाग 2: क्या देवेन का पूरा हुआ बदला

मर्द गलती कर माफी मांगने को अपना हक समझता है, लेकिन औरत की एक गलती पर सजा देने को आतुर रहता है. मर्द पराई औरतों को घूर सकता है, सिगरेटशराब पी सकता है, शराब के नशे में पत्नी को पीट सकता है, बातबात पर उस के मायके वालों को कोस सकता है, लेकिन अगर यही सब एक औरत करे तो वह बदचलन, बदमाश और न जाने क्याक्या बन जाती है.

कहने को तो जमाना बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है, पर कहीं न कहीं आज भी औरतें मर्दों की पांव की जूती ही समझी जाती हैं. उन की जगह पति के पैरों में होती है. लेकिन मैं जानती हूं, मेरे देवेन ऐसे नहीं हैं बल्कि उन का तो कहना है कि पति और पत्नी दोनों गाड़ी के 2 पहिए की तरह होते हैं, एकदम बराबर. लेकिन अगर मैं कहूं कि उस महिला की तरह कभी मेरा भी बलात्कार हुआ था, तो क्या देवेन इस बात को हलके से ले सकेंगे? कहने को भले ही कह दिया कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन पड़ता है. हर मर्द को पड़ता है.

जब एक धोबी के कहने पर मर्यादापुरुषोत्तम राम ने ही अपनी पत्नी सीता को घर से निकाल दिया था वह भी तब जब वह उन के बच्चे की मां बनने वाली थीं तो फिर देवेन पर मैं कैसे भरोसा कर लूं कि वे मुझे माफ कर देंगे? नहीं, मुझ में इतनी ताकत नहीं और इसलिए मैं ने अपना काला अतीत हमेशा के लिए अपने अंदर ही दफन कर लिया. भरेपूरे परिवार में मैं एकलौती बेटी थी. मैं घर में सब की प्यारी थी. दादी का प्यार, मां का दुलार और पापा का प्यार हमेशा मुझ पर बरसता रहता. लेकिन इस प्यार का मैं ने कभी नाजायज फायदा नहीं उठाया. पढ़ने में मैं हमेशा होशियार रही थी.

स्कूल में मेरे अच्छे नंबर आते थे. लेकिन औरों की तरह कभी मुझे डाक्टरइंजीनियर बनने का शौक नहीं रहा. मैं तो आईएएस बनना चाहती थी. जब भी किसी लड़की के बारे में पढ़ती या सुनती कि वह आईएएस बन गई, तो सोचती मैं भी आईएएस बनूंगी एक दिन.

दिनरात मेरी आंखों में बस एक ही सपना पलता कि मुझे आईएएस बनना है. पापा से बोल भी दिया था कि 12वीं कक्षा के बाद मैं यहां गोरखपुर में नहीं पढ़ूंगी. मुझे अपनी आगे की पढ़ाई दिल्ली जा कर करनी है. उस पर पापा ने कहा था कि जहां मेरा मन करे जा कर पढ़ाई कर सकती हूं, पर मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि आईएएस बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है. उस पर मैं ने कहा था कि हां पता है मुझे और मैं खूब मेहनत करूंगी.

एक दिन जब मैं ने यह बात अपने दोस्त मोहन का बताया, जो की मेरे साथ मेरे ही क्लास में पड़ता था, तो उस का चेहरा उतर आया. कहने लगा कि वह मेरे जैसा पढ़ने में होशियार नहीं है. लेकिन उस का भी मन करता है दिल्ली जा कर पढ़ाई करने का. पढ़ाई क्या करनी थी, उसे तो बस मस्ती करने दिल्ली जाना था और यह बात उस के बाबूजी भी अच्छे से समझ रहे थे. तभी तो कहा था कि पैसे की बरबादी नहीं करनी है उन्हें. अभी 2-2 बेटियां ब्याहने को हैं और जब पता है कि लड़का पढ़ने वाला ही नहीं है, फिर गोबर में घी डालने का क्या फायदा.

उस की बात पर मुझे हंसी आ गई थी. सो छेड़ते हुए कह दिया, ‘‘हां, सही तो कह रहे हैं चाचाजी. गोबर में घी डालने का क्या फायदा. गोबर कहीं का. इस से तो अच्छा तू अपने बाबूजी का चूडि़यों का बिजनैस संभाल ले. पढ़ने से भी बच जाएगा और डांट भी नहीं पड़ेगी तुझे,’’ बोल कर मैं खिलखिला कर हंस पड़ी थी. लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी बातें उसे इतनी बुरी लग जाएंगी कि वह मेरे साथ स्कूल जाना ही छोड़ देगा.

मोहन का और मेरा घर आसपास ही थे. उस की मां और मेरी मां की आपस में खूब बनती थी. हम दोनों साथ ही स्कूल आयाजाया करते थे. मोहन के साथ स्कूल जाने से मां के मन को एक तसल्ली रहती कि साथ में कोई है, रक्षक के तौर पर. लेकिन उस दिन की बात को ले कर मोहन मुझ से गुस्सा था. मुझे भी लगा, मैं ने गलत बोल दिया, ऐसे नहीं बोलना चाहिए था मुझे.

मैं उस से माफी मांगने उस के घर गई तो उस के सामने ही उस के मांबाबूजी उसे ताना मारते हुए कहने लगे कि एक सुमन को देखो, पढ़ने में कितनी होशियार है और एक तुम. किसी काम के नहीं हो.

मुझे बुरा भी लगा कि बेचारा, बेकार में डांट खा रहा है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि इस बार अगर वह 12वीं कक्षा में पास नहीं हुआ, तो उसे चूडि़यों की दुकान पर बैठा देंगे. और हुआ भी वही. मोहन 12वीं कक्षा में फेल हो गया और वहीं मैं 96% अंक ला कर पूरे स्कूल में टौपर बन गई.

मेरे इतने अच्छे अंकों से पास होने पर मोहन मुझ से इतना जलभुन गया कि उस ने मुझ से बात करना ही छोड़ दिया. लेकिन इस में मेरी क्या गलती थी. फिर भी मैं उसे धैर्य बंधाती कि कोई बात नहीं, मेहनत करो, इस बार पास हो जाओगे.

मेरा दिल्ली के एक अच्छे कालेज में एडमिशन हो गया था और 2 दिन बाद ही मुझे दिल्ली के लिए निकलना था. इसलिए सोचा बाजार से थोड़ीबहुत खरीदारी कर लेती हूं. पीछे से किसी का स्पर्श पा कर चौंकी तो मोहन खड़ा था. वह मुझे देख कर मुसकराया तो मैं भी हंस पड़ी.

राहत की सांस ली कि अब यह मुझ से गुस्सा नहीं है. दोस्त रूठा रहे, अच्छा लगता है क्या?

‘‘क्या बात है बहुत खरीदारी हो रही है. वैसे क्याक्या खरीदा?’’

मेरे बैग के अंदर झांकते हुए उस ने पूछा, तो मैं ने कहा कि कुछ खास नहीं, बस जरूरी सामान है. वह कहने लगा कि अब तो मैं चली ही जाऊंगी इसलिए उस के साथ चाटपकौड़ी खाने चलूं. चाटपकौड़ी के नाम से ही मेरे मुंह में पानी आ गया और फिर मोहन जैसे दोस्त को मैं खोना नहीं चाहती थी. इसलिए बिना मांपापा को बताए उस के साथ चल पड़ी. एक हाथ से बैग थामे और दूसरा हाथ उस के कंधे पर रख मैं बस बोलती जा रही थी कि दिल्ली के अच्छे कालेज में मेरा एडमिशन हो गया और 2 दिन बाद जाना है. लेकिन मेरी बात पर वह बस हांहूं किए जा रहा था. उस ने जब अपनी बाइक चाटपकौड़ी की दुकान पर न रोक कर कहीं और मोड दी, तो थोड़ा अजीब लगा. टोका भी कि कहां ले जा रहे हो मुझे? तब हंसते हुए बोला कि क्या मुझे उस पर भरोसा नहीं है.

‘‘ऐसी बात नहीं है मोहन… वह मांपापा चिंता करेंगे न,’’ मैं ने कहा.

वह कहने लगा कि वह मुझे एक अच्छी जगह ले जा रहा है. लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे ले कर उस की नीयत में खोट आ चुका है. वह हीनभावना से इतना ग्रस्त हो चुका था कि उस ने मुझे बरबाद करने की सोच ली थी. वह मुझे शहर से दूर एक खंडहरनुमा घर में ले गया और बोला कि इस घर से बाहर का नजारा बहुत ही सुंदर दिखता है. मैं ने कहा कि मुझे डर लग रहा है मोहन, चलो यहां से. लेकिन वह कहने लगा कि जब वह साथ है, तो डर कैसा.

जैसे ही हम खंडहर के अंदर गए और जब तक मैं कुछ समझ पाती उस ने मेरा मुंह दबा दिया और मेरे साथ यह कह कर वह मेरा बलात्कार करता रहा कि बहुत घमंड है न तुझे अपनी पढ़ाई पर. बड़ा आईएएस बनना चाहती हो तो देखते हैं कैसे बनती हो आईएएस. कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं छोड़ूंगा तुझे. वह मेरे शरीर को नोचता रहा और मैं दर्द से कराहती रही. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस मोहन को मैं ने अपना भाई माना वह मेरे साथ ऐसा कर सकता है. उस ने मेरी दोस्ती का ही नहीं बल्कि मेरे विश्वास का भी गला घोंट दिया था. मेरा बलात्कार करने के बाद वह मुझे वहीं छोड़ कर भाग गया. मेरा सारा सामान मेरे सपनों की तरह बिखर चुका था. मैं उठ भी नहीं पा रही थी. किसी तरह खुद को घसीटते हुए कपड़ों को अपनी तरफ खींचा और अपने बदन को ढकने लगी.

Shehnaaz का मजेदार रिएक्शन, Salman की फिल्म से बाहर होने पर कही ये बात

‘बिग बॉस 13’ फेम शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) इन दिनों अपने बौलीवुड डेब्यू को लेकर सुर्खियों में बनी हुईं हैं. इन दिनों खबरें थीं कि एक्ट्रेस शहनाज गिल अपने फेवरेट स्टार सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म ‘कभी ईद कभी दिवाली’ (Kabhi Eid Kabhi Diwali) में नजर आने वाली है. हालांकि अब खबरें आ रही हैं कि एक्ट्रेस को फिल्म से बाहर कर दिया गया है. हालांकि अब इस खबर पर एक्ट्रेस शहनाज गिल का मजेदार रिएक्शन सामने आया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

स्टोरी शेयर करके कही ये बात

हाल ही में ‘कभी ईद कभी दिवाली’ से बाहर होने की अफवाहों पर एक्ट्रेस शहनाज गिल ने मजेदार रिएक्शन देते हुए इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर की है, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘बीते कुछ हफ्तों से इस तरह की अफवाहों हर दिन मुझे एंटरटेन करती हैं. मैं लोगों के फिल्म को देखने के लिए बेकरार हूं. इतना ही नहीं मैं खुद को भी उस फिल्म में देखना चाहती हूं.’ शहनाज गिल के इस पोस्ट ने जहां अफवाहों पर विराम लगा दिया है तो वहीं शहनाज गिल की फिल्म का इंतजार कर रहे लोगों को राहत मिली है.

 

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जस्सी गिल संग दिखेंगी एक्ट्रेस

 

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खबरों की मानें तो आयुष शर्मा की बजाय एक्ट्रेस शहनाज गिल पंजाबी एक्टर जस्सी गिल के अपोजिट दिखेंगी. वहीं सलमान खान फिल्म में पूजा हेगड़े संग औनस्क्रीन रोमांस करते हुए दिखने वाली हैं, जिसके चलते फैंस फिल्म देखने के लिए बेताब हैं.

बता दें, एक्ट्रेस शहनाज गिल इन दिनों अपनी प्रौफेशनल लाइफ के चलते सुर्खियों में रहती हैं. बीते दिनों वह एक अवौर्ड शो में डांस करती हुई दिखीं थीं, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. वहीं टीवी पर एक्ट्रेस को देखने के लिए फैंस काफी एक्साइटेड रहते हैं.

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