अधूरी मौत- भाग 1: शीतल का खेल जब उस पर पड़ा भारी

‘‘मेरे दिल ने जो मांगा मिल गया, जो कुछ भी चाहा मिला.’’ शीतल उस हिल स्टेशन के होटल के कमरे में खुदबखुद गुनगुना रही थी.

‘‘क्या बात है शीतू, बहुत खुश नजर आ रही हो.’’ अनल उस के पास आ कर कंधे पर हाथ रखते हुए बोला.

‘‘हां अनल, मैं आज बहुत खुश हूं. तुम मुझे मेरे मनपसंद के हिल स्टेशन पर जो ले आए हो. मेरे लिए तो यह सब एक सपने के जैसा था.

‘‘पिताजी एक फैक्ट्री में छोटामोटा काम करते थे. ऊपर से हम 6 भाईबहन. ना खाने का अतापता होता था ना पहनने के लिए ढंग के कपड़े थे. किसी तरह सरकारी स्कूल में इंटर तक पढ़ पाई. हम लोगों को स्कूल में वजीफे के पैसे मिल जाते थे, उन्हीं पैसों से कपड़े वगैरह खरीद लेते थे.

‘‘एक बार पिताजी कोई सामान लाए थे, जिस कागज में सामान था, उसी में इस पर्वतीय स्थल के बारे में लिखा था. तभी से यहां आने की दिली इच्छा थी मेरी. और आज यहां पर आ गई.’’ शीतल होटल के कमरे की बड़ी सी खिड़की के कांच से बाहर बनते बादलों को देखते हुए बोली.

‘‘क्यों पिछली बातों को याद कर के अपने दिल को छोटा करती हो शीतू. जो बीत गया वह भूत था. आज के बारे में सोचो और भविष्य की योजना बनाओ. वर्तमान में जियो.’’ अनल शीतल के गालों को थपथपाते हुए बोला.

‘‘बिलकुल ठीक है अनल. हमारी शादी को 9 महीने हो गए हैं. और इन 9 महीनों में तुम ने अपने बिजनैस के बारे में इतना सिखापढ़ा दिया है कि मैं तुम्हारे मैनेजर्स से सारी रिपोर्ट्स भी लेती हूं और उन्हें इंसट्रक्शंस भी देती हूं. हिसाबकिताब भी देख लेती हूं.’’ शीतल बोली.

‘‘हां शीतू यह सब तो तुम्हें संभालना ही था. 5 साल पहले मां की मौत के बाद पिताजी इतने टूट गए कि उन्हें पैरालिसिस हो गया. कंपनी से जुड़े सौ परिवारों को सहारा देने वाले खुद दूसरे के सहारे के मोहताज हो गए.

‘‘नौकरों के भरोसे पिताजी की सेहत गिरती ही जा रही थी. तुम नई थीं, इसीलिए पिताजी का बोझ तुम पर न डाल कर तुम्हें बिजनैस में ट्रेंड करना ज्यादा उचित समझा. पिताजी के साथ मेरे लगातार रहने के कारण उन की सेहत भी काफी अच्छी हो गई है. हालांकि बोल अब भी नहीं पाते हैं.

‘‘मैं चाहता हूं कि इस हिल स्टेशन से हम एक निशानी ले कर जाएं जो हमारे अपने लिए और उस के दादाजी के लिए जीने का सहारा बने.’’ अनल शीतल के पीछे खड़ा था. वह दोनों हाथों का हार बना कर गले में डालते हुए बोला.

‘‘वह सब बातें बाद में करेंगे. अभी तो 7 दिन हैं, खूब मौके मिलेंगे.’’ शीतल बोली.

अगली सुबह अनल ने कहा, ‘‘देखो, आज 5 विजिटिंग पौइंट्स पर चलना है. 9 बजे टैक्सी आ जाएगी. हम यहां से नाश्ता कर के निकलते हैं. लंच किसी सूटेबल पौइंट पर ले लेंगे.’’

‘‘हां, मैं तैयार होती हूं.’’ शीतल बोली.

‘‘सर, आप की टैक्सी आ गई है.’’ नाश्ते के बाद होटल के रिसैप्शन से फोन आया.

‘‘ठीक है हम नीचे पहुंचते हैं.’’ अनल बोला.

दिन भर घुमाने के बाद ड्राइवर ने दोनों को होटल में छोड़ दिया. शीतल अनल के कंधे का सहारा ले कर टैक्सी से निकलते हुए बोली, ‘‘अनल, जब हम घूम कर लौट रहे थे तब उस संकरे रास्ते पर क्या एक्सीडेंट हो गया था? ट्रैफिक जाम था. तुम देखने भी तो उतरे थे.’’

‘‘एक टैक्सी वाले से एक बुजुर्ग को हलकी सी टक्कर लग गई. बुजुर्ग इलाज के लिए पैसे मांग रहा था. इसीलिए पूरा रास्ता जाम था.’’ अनल ने बताया. ‘‘ऐसा ही एक एक्सीडेंट हमारी जिंदगी में भी हुआ था, जिस से हमारी जिंदगी ही बदल गई.’’ अनल ने आगे जोड़ा.

‘‘हां मुझे याद है. उस दिन पापा मेरे रिश्ते की बात करने कहीं जा रहे थे. तभी सड़क पार करते समय तुम्हारे खास दोस्त वीर की स्पीड से आती हुई कार ने उन्हें टक्कर मार दी. जिस से उन के पैर की हड्डी टूट गई और वह चलने से लाचार हो गए.’’ शीतल बोली.

‘‘हां, और तुम्हारे पिताजी ने हरजाने के तौर पर तुम्हारी शादी वीर से करने की मांग रखी.’’

‘‘मेरा रिश्ते टूटने की सारी जवाबदारी वीर की ही थी. इसलिए हरजाना तो उसी को देना था न.’’ शीतल अपने पिता की मांग को जायज ठहराते हुए बोली.

‘‘वीर तो बेचारा पहले से ही शादीशुदा था, वह कैसे शादी कर सकता था? मेरी मम्मी की मौत के बाद वीर की मां ने मुझे बहुत संभाला और पिताजी को पैरालिसिस होने के बाद तो वह मेरे लिए मां से भी बढ़ कर हो गईं.

‘‘कई मौकों पर उन्होंने मुझे वीर से भी ज्यादा प्राथमिकता दी. उस परिवार को मुसीबत से बचाने के लिए ही मैं ने तुम से शादी की.

‘‘मेरे बिजनैस की पोजीशन को देखते हुए कोई भी पैसे वाली लड़की मुझे मिल जाती. मैं किसी गरीब घर की लड़की से शादी करने के पक्ष में था ताकि वह पिताजी की देखभाल कर सके.’’

‘‘मतलब तुम्हें एक नौकरानी चाहिए थी जो बीवी की तरह रह सके.‘‘शीतल के स्वर में कुछ कड़वापन था.

‘‘बड़ेबुजुर्गों के मुंह से सुना था कि जोडि़यां स्वर्ग में बनती हैं. मगर हमारी जोड़ी सड़क पर बनी. लेकिन मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं हैं. मैं ने पिछले 9 महीनों में एक नई शीतल गढ़ दी है, जो मेरा बिजनैस हैंडल कर सकती है. बस एक ही ख्वाहिश और है जिसे तुम पूरा कर सकती हो.’’ अनल हसरतभरी निगाहों से शीतल की तरफ देखते हुए बोला.

‘‘अनल, पहाड़ों पर चढ़नेउतरने के कारण बदन दर्द से टूट रहा है. कोई पेनकिलर ले कर आराम से सोते हैं. वैसे भी सुबह 4 बजे उठना पड़ेगा सनराइज पौइंट जाने के लिए. यहां सूर्योदय साढ़े 5 बजे तक हो ही जाता है.’’ शीतल सपाट मगर चुभने वाले लहजे में बोली.

अनल अपना सा मुंह ले कर बिस्तर में दुबक गया.

अगली सुबह ड्राइवर आया तो शीतल उस से बोली, ‘‘ड्राइवर भैया, आज ऐसी जगह ले चलो जो एकदम से अलग सा एहसास देती हो.’’

‘‘जी मैडम, यहां से 20 किलोमीटर दूर है. इस टूरिस्ट प्लेस की सब से ऊंची जगह. वहां से आप सारा शहर देख सकती हैं, करीब एक हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है.

‘‘वहां पर आप टेंट लगा कर कैंपिंग भी कर सकते है. यहां टेंट में रात को रुकने का अपना ही रोमांच है. वहां आप को डिस्टर्ब करने के लिए कोई नहीं होगा.’’ ड्राइवर ने उस जगह के बारे में बताया.

‘‘और लोग भी तो होते होंगे वहां पर?’’ अनल ने पूछा.

‘‘सामान्यत: भीड़ वाले समय में 2 टेंटों के बीच लगभग 100 मीटर की दूरी रखी जाती है. आप की इच्छानुसार आप का टेंट नो डिस्टर्ब वाले जोन में लगा देंगे.’’ ड्राइवर ने बताया.

‘‘चलो ना अनल. ऐसी जगह पर तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो जाएगी.’’ शीतल जोर देते हुए बोली.

‘‘चलो भैया आज उसी टेंट में रुकते हैं.’’ अनल खुश होते हुए बोला.

लगभग एक घंटे के बाद वह लोग उस जगह पर पहुंच गए.

‘‘साहब, यहां से लगभग एक किलोमीटर आप को संकरे रास्ते से चढ़ाई करनी है.’’ ड्राइवर गाड़ी पार्किंग में लगाते हुए बोला.

‘‘अच्छा होता तुम भी हमारे साथ ऊपर चलते. एक टेंट तुम्हारे लिए भी लगवा देते.’’ अनल गाड़ी से उतरते हुए बोला.

‘‘नहीं साहब, मैं नहीं चल सकता. मैं आज अपने परिवार के साथ रहूंगा. यहां आप को टेंट 24 घंटे के लिए दिया जाएगा. उस में सभी सुविधाएं होती हैं. आप खाना बनाना चाहें तो सामान की पूरी व्यवस्था कर दी जाती है और मंगवाना चाहें तो ये लोग बताए समय पर खाना डिलीवर भी कर देते हैं. यहां कैंप फायर का अपना ही  मजा है. इस से जंगली जानवरों का खतरा भी कम रहता है.’’ ड्राइवर ने बताया.

KBC 14 को लेकर क्या कहते हैं 79 साल के अमिताभ बच्चन, पढ़ें इंटरव्यू

सोनी टीवी पर शुरू होने वाला शो ‘कौन बनेगा करोडपति 14वां सीजन शुरू होने वाला है. ये शो सभी रियलिटी शो में सबसे अधिक लोकप्रिय शो है और इसकी टीआरपी भी सबसे अधिक रहती है, इसकी वजह इस शो के होस्ट महानायक अमिताभ बच्चन है, जिन्हें हर वर्ग का आदमी चाहे बच्चा हो या बुजुर्गसभी इनको बेहद पसंद करते है. इनके अनगिनत चाहने वाले है, क्योंकि इनकी अदा, इनकी आवाज, इनकी एक्टिंग का हर कोई दीवाना है.

बहु प्रतिभा के धनी

यही नहीं इनका व्यवहार जो हर किसी से एक सा हैऔर ये अपने फैन्स के लिये अगर मुंबई में रहते है, तो हर रविवार समय निकाल कर उन सभी से मिलने अपने घर के बाहर आते है. इनको बॉलीवुड का किंग या शहंशाह, सदी के महानायक जैसी कई उपाधियां दी गई है. उन्हें सम्मानित पुरस्कार “पदम विभूषण”भी मिल चुका है. इंग्लिश के साथ इनकी हिन्दी भी बहुत अच्छी है, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता हरिवंशराय बच्चन से मिली है. अमिताभ बहुत अच्छे एक्टर, सिंगर, लेखक, एंकर, निर्देशक और उससे भी ज्यादा बहुत अच्छे इंसान है. इनकी पहली आय मात्र तीन सौ रूपये थी, जो आज करोड़ो मे बदल गई है. इसमें फिल्मों के अलावा ‘कौन बनेगा करोडपति’ शो की भी मुख्य भूमिका है. नब्बे का दशक ऐसा था जब इनके ऊपर बहुत कर्जा हो गया था, इनकी फिल्में भी फ्लॉप हो रहीं थी. तभी वर्ष 2000 में टेलीविजन शो मे होस्ट के रूप मे एक ऑफर मिला, जिसे उन्होंने स्वीकार किया वह शो था “कौन बनेगा करोड़पति”. इस शो से उनके जीवन मे फिर बदलाव आया और तब से आज तक उन्हें जब भी मौका मिलता है, शो को होस्ट करते है.

मिलती है नौकरी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Amitabh Bachchan (@amitabhbachchan)

एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि इस शो में कंटेस्टेंट्स के साथ जुड़ाव उनके लिए सबसे अहम होती है. शो में वापसी को लेकर उनका कहना है कि हर बार मुझे लगता है कि मुझे एक नौकरी मिल गयी है और आने वाले हर कंटेस्टेंट के साथ रिलेट करने की कोशिश करता हूं. लोग सोचते होंगे कि, मैं ये सिर्फ प्रभाव को लेकर कह रहा हूं, लेकिन सभी जानते हैं कि मुंबई में मेरा भी शुरुआती चरण काफी संघर्ष पूर्ण था. इसलिए, जब कंटेस्टेंट अपनी जर्नी शेयर करता है तो मैं उससे खुद को कनेक्ट कर सकता हूं. कुछ प्रतियोगी ऐसे होते है, जिनकी बातें सुनकर मैं हैरान हो जाता हूं, जिसमे स्टार्टअप शुरू करने वाले नौजवान, 43 गोली को अपने अंदर लेकर जी रहे आर्म फ़ोर्स के जवान का गर्व से कहना कि उन्हें गोलिया सीने पर लगी, पीठ पर नहीं, उनका खून जो अपना नहीं, सारे हिन्दुस्तानी का है, जिन्होंने खून देकर जान बचायी. ये सब मुझे इनके त्याग को समझने का मौका देती है. इसके अलावा इस शो के ज़रिये अमिताभ बच्चन कंटेस्टेंट के संघर्षमय जीवन के बारें में भी दर्शकों को बताते है, ताकि वे भी उनकी कहानी से प्रेरित हो.

नर्वस होता हूं आज भी

अमिताभ बच्चन इस शो को करते हुए आज भी बहुत नर्वस होते है. उनका कहना है कि  शो की शुरुआत से पहले उनके हाथ-पैर कांपने लग जाते हैं.काम से घर वापस जाने पर कल की शो के बारे में सोचते है, ताकि सब सही तरह से मैनेज हो जाय. ऐसा अनुभव उन्हें शो की शुरुआत से पहले हर बार होता है. इसके अलावा इस शो को क्रिएट करने वालों की टीम को भी अमिताभ धन्यवाद देते है, क्योंकि उनके परिश्रम से ही इतनी खूबसूरत शो को वे प्रस्तुत कर पाते है. आजादी के 75 वां वर्ष मनाने के उपलक्ष्य पर इस शो में मेजर डीपी सिंह, कर्नल मिताली मधुमिता, मैरिकोम, सुनील क्षेत्री जैसे लोग गेस्ट है.

बहरहाल ये शो सभी के लिए इतनी प्रिय होने की वजह अमिताभ बच्चन की बुलंद आवाज है, जिसे 79 वर्षीय अभिनेता ने कभी कम होने नहीं दिया. उम्र के हिसाब और बिमारियों ने उनकी चाल भले ही थोड़ी धीमी कर दी हो, लेकिन उनकी आवाज की खनक सभी दर्शकों को आकर्षित करने में आज भी सफल है, तभी वे कहे जाते है, इस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन.

Anupama की बेइज्जती करने के बाद अनुज के घर पहुंची पाखी, सुननी पड़ी खरी-खोटी

सीरियल अनुपमा (Anupama) में पाखी के शाह हाउस में ड्रामे के ट्रैक के चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. वहीं हाल ही में अनुज के पैरालाइज होने का प्रोमो दर्शकों को पसंद आ रहा है. इसी बीच सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक में वनराज का बदला और अनुपमा, पाखी को सबक सिखाते हुए नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे (Anupama Serial Update)…

अनुज के घर पहुंची शाह फैमिली

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Queen Anupama (@anupam.maaa)

अब तक आपने देखा कि सीरियल राखी सेलिब्रेशन देखने को मिलता है. जहां पाखी, तोषू को राखी बांधती है तो वहीं समर, अनुपमा के घर पहुंचता है, जिसके चलते सभी बेहद खुश होते हैं. वहीं छोटी अनु शाह फैमिली को फोन करके घर बुलाती है, जिसके चलते वनराज, बा और तोषू को छोड़कर पूरी फैमिली अनुज के घर पहुंचती है. दूसरी तरफ, अनुज के समर को बिजनेस में मदद करने की बात पर बरखा को जलन होती है और अंकुश के कान भरती दिखती है.

पाखी को सुनाएगी अनुपमा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Queen Anupama (@anupam.maaa)

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज के रोकने के बावजूद पाखी, अनुज के घर जाएगी. जहां पूरे परिवार को देखकर अनुपमा खुश होगी तो वहीं पाखी की कपाड़िया हाउस में एंट्री से अनुपमा और अनुज गुस्से में दिखेंगे. दरअसल, पाखी को खरीखोटी सुनाते हुए अनुपमा कहेगी कि वह यहां क्यों आई, अगर वह उसे मां को अपमानित करने में कोई कमी रह गई है, जो यहां उसका और अपमान करने आई. साथ ही वह पूछेगी कि अगर उसने अपनी याददाश्त खो दी है तो अपने पिता वनराज और भाई को बुला सकती है. हालांकि छोटी अनु अपनी मां को पाखी को घर में आने के लिए कहती है, जिसके चलते वह उसे कपाड़िया हाउस में आने देती है. लेकिन छोटी अनु के जाते ही वह पाखी को खरी खोटी सुनाती है.

वनराज को आएगा गुस्सा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by @mylove_.maan

पूरे परिवार के अनुपमा के पास जाने से वनराज गुस्से में नजर आएगा और कहेगा कि रोते हुए अनुपमा पर आरोप लगाएगा कि उसने उसका परिवार छीन लिया. वहीं बरखा, अनुज के फैसले को जानने के लिए अंकुश से कहेगी और अपने बच्चों की फाइनेंशल स्टेटस को सुनिश्चित करने की बात कहेगी. दूसरी तरफ वनराज पूरे परिवार को ताना मारते हुए दिखेगा.

संयोगिता पुराण: संगीता को किसका था इंतजार- भाग 2

‘‘आंटी, आप को संगीता और संयोगिता में कौन सा नाम अधिक पसंद है?’’ एक दिन अचानक वह हमारी संरक्षक मेरी मम्मी से पूछ बैठी तो लगा कमरे की हवा थम सी गई है. मुंह की ओर खाना ले जाते हुए हमारे हाथों पर बे्रक लग गया.

दोनों ही नाम अच्छे हैं. पर तू क्यों पूछ रही है?’’ मम्मी ने उस की बात पर ध्यान दिए बिना पूछा.

‘‘मुझे तो संगीता बिलकुल पसंद नहीं है. संयोगिता की तो बात ही कुछ और है. कितना रोमांटिक नाम है,’’ कह संगीता ने गहरी सांस ली.

‘‘लो भला… नाम में क्या रखा है… किसी भी नाम से गुलाब तो गुलाब ही कहलाएगा,’’ मम्मी को शेक्सपियर याद आ गया था.

‘‘हां, पर कमल को गुलाब कहने पर भी वह तो कमल ही रहेगा न?’’ संगीता ने तर्क दिया.

‘‘बात तो पते की कह रही है मेरी बेटी. शेक्सपियर से भी अधिक बुद्धिमान है मेरी संगीता. ऐसे ही कोई बोर्ड में टौप नहीं कर लेता,’’ मम्मी निहाल हो उठी थीं. पर हम सब की जान पर बन आई थी.

‘‘फिर शुरू हो गया तेरा संयोगिता पुराण?’’ मम्मी के कक्ष से बाहर जाते ही हम तीनों उस पर टूट पड़े.

‘‘अरे वाह, तुम लोग हो कौन इस तरह की बातें करने वाले? अब क्या संयोगिता का नाम लेना भी गुनाह हो गया,’’ संगीता रोंआसी हो उठी.

‘‘वही समझ ले. हमारे मातापिता को इस काल्पनिक परीकथा की भनक भी पड़ गई तो शीघ्र ही यहां से हम सब का बोरियाबिस्तर बंध जाएगा और हम सब को प्राइवेट परीक्षा देनी पड़ेगी,’’ मैं संगीता पर बरस पड़ी.

‘‘वही तो,’’ नीरजा ने मेरी हां में हां मिलाई.

‘‘समझ में नहीं आ रहा है कि तुम लोग मेरी मित्र हो या शत्रु? मेरी छोटी सी खुशी भी तुम लोगों से सहन नहीं होती. मैं ने ऐसा क्या कर दिया है कि तुम सब को अपना बिस्तर बंध जाने की चिंता सताने लगी है. मैं ने भी तय कर लिया है कि तुम लोगों से कुछ नहीं कहूंगी,’’ संगीता ने अपना मुंह फुला लिया.

हम सब ने चैन की सांस ली. संगीता कुछ नहीं कहेगी तो संयोगिता का भूत भी शीघ्र ही उस के सिर से उतर जाएगा. कुछ ही देर में वह सामान्य हो गई. उसे मनाने के लिए हमें अधिक मनुहार नहीं करनी पड़ी. पर संगीतासंयोगिता के बीच संघर्ष चलता रहा. हम सब भी अब उस की बातों को उपहास समझ कर टालने लगे थे.

यों दिवास्वप्न तो हम सब देखते थे. सब के मन में अपने सपनों के राजकुमार की धुंधली ही सही पर एक काल्पनिक छवि थी अवश्य. पर संगीता सब से अधिक मुखर थी और अपने मन की बात डंके की चोट पर कहने में विश्वास रखती थी. पर परीक्षा पास आते ही वह इस तरह पढ़ाई में डूब जाती थी कि हम सब दंग रह जाते थे. बी.एससी. औनर्स के अंतिम वर्ष में वह पूरे विश्वविद्यालय में तीसरे स्थान पर आई जबकि हम सब पूरे मनोयोग से पढ़ाई करने पर भी मैरिट लिस्ट में कहीं नहीं थे.

‘‘देखा, कुछ सीखो संगीता से,’’ हर बार अपने परिवार के सम्मान में चार चांद लगा देती है,’’ मेरी मम्मी ने हमें थोड़ा और परिश्रम करने की सलाह दी तो नीरजा मुंह फुला कर बैठ गई.

‘‘अब तुझे क्या हुआ?’’ मैं ने उसे शांत करना चाहा.

‘‘होने को रह भी क्या गया है? सुना नहीं आंटी क्या कह रही थीं? अब मेरी समझ में भी कुछ आ रहा है,’’ वह गंभीर स्वर में बोली.

‘‘क्या समझ में आ रहा है तुम्हें?’’

‘‘यही कि अपनी काल्पनिक प्रेम कहानी सुना कर संगीता हमारा ध्यान बंटा देती है और स्वयं डट कर पढ़ाई कर बाजी मार ले जाती है. यह सब उस की चाल है हम से आगे निकलने की… आगे से हम उस की एक नहीं सुनेंगे. स्वयं को बड़ा तीसमारखां समझती है,’’ नीरजा बहुत क्रोध में थी.

‘‘यह तू नहीं, तेरी ईर्ष्या बोल रही है,’’ हम सब ने किसी प्रकार उसे शांत किया.

अब हम सब अपनी स्नातकोत्तर पढ़ाई में व्यस्त हो गए थे. गाहेबगाहे संगीता संयोगिता को याद कर लेती थी. मैं और सपना उस की बातों को मजाक समझ कर टाल देते पर नीरजा आगबबूला हो उठती.

एक दिन अचानक संगीता दनदनाती हुई आई. अपना बैग एक ओर फेंका और कुरसी पर पालथी लगा कर बैठ गई. उस के हावभाव देख कर लगा कि वह कुछ कहने के लिए आतुर है. नीरजा ने इशारे में ही पूछ लिया कि माजरा क्या है? उस ने आंखों ही आंखों में समझा दिया कि मेरी मम्मी की मौजूदगी में वह अपने मन की बात नहीं कह सकती.

अब तो हमारी उत्सुकता की सीमा न रही. मेरी मम्मी उस की अभिभावक ही नहीं, बल्कि अच्छी मित्र भी थीं. जिस बात को वह अपनी मम्मी से नहीं कह पाती थी उसे मेरी मम्मी से बेधड़क कह देती थी. फिर आज यह कौन सी गुप्त बात थी जो वह मेरी मम्मी के सामने कहने से हिचक रही थी.

मम्मी हम सब को नाश्ता करा कर पास के पार्क में घूमने चली गईं. वहां उन्होंने अपनी मित्रमंडली बना ली थी. वे वहां घूमफिर कर सब्जी खरीद कर घर लौटती थीं. उन के जाते मैं और सपना लपक कर संगीता के पास पहुंचे. नीरजा दूर बैठी सब देख रही थी पर उस के हावभाव से साफ था कि उस के कान हमारी ओर ही लगे हुए हैं.

‘‘क्या हुआ? ऐसी कौन सी बात है जो तू मम्मी के सामने नहीं कह सकती थी?’’ हम ने एक स्वर में पूछा.

‘‘दिल थाम कर बैठो. आज तो कमाल हो गया. साक्षात पृथ्वीराज मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया. मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ.’’

‘‘क्या? पृथ्वीराज? कौन सा पृथ्वीराज?’’ न चाहते हुए भी हम सब की हंसी छूट गई.

‘‘संयोगिता का पृथ्वीराज. इस में इतना खीखी करने की क्या बात है. तुम सब मेरी घनिष्ठ सहेलियां हैं पर काश तुम मेरी भावनाएं समझ पातीं. पर नहीं तुम्हें तो बस मेरी कमियां नजर आती हैं. पर मैं चुप नहीं रहूंगी. आज तुम्हें मेरी बात ध्यान से सुननी पड़ेगी. आज पहली बार जब साक्षात पृथ्वीराज मेरे सामने आ खड़ा हुआ तो न जाने कितनी देर तक मैं मूर्ति सी खड़ी रही. ऐसा प्रभावशाली व्यक्तित्व है उस का कि देखने वाले के होश उड़ा दे. मुझे तो लगा मानों संयोगिता का पृथ्वीराज इतिहास के पन्नों से बाहर आ गया. बस एक ही अंतर था…’’

‘‘वह क्या? नीरजा ने उसे बीच में टोक दिया.’’

‘‘यही कि वह घोड़े पर नहीं बाइक पर आया था.’’

‘‘उफ, कितने दुख की बात है. पर अब तू क्या करेगी? तेरा इतिहास में अमर होने का सपना तो अधूरा ही रह जाएगा,’’ नीरजा हंसी.

‘‘तुम लोग चिंता न करो. मैं अपना कोई भी सपना अधूरा नहीं रहने दूंगी,’’ संगीता बड़ी अदा से बोली.

‘‘पर है कौन यह पृथ्वीराज और यह संगीता को कहां मिल गया? अरे, कोई समझाओ इसे क्यों ओखली में सिर डालने पर तुली है यह. खुद तो मरेगी ही हमें भी मरवाएगी,’’ नीरजा बडे़ ही नाटकीय स्वर में बोली.

‘‘तुम समझती क्या हो स्वयं को? जब देखो तब उलटासीधा बोलती रहती हो. मैं कुछ बोलती नहीं हूं, तो तुम स्वयं को तीसमारखां समझ बैठी हो? पर मैं क्या समझती नहीं कि तुम सदा मुझे नीचा दिखाने का प्रयास करती रहती हो,’’ पहली बार हम ने संगीता को नीरजा पर बरसते देखा वरना तो सदा उस की बात को चुपचाप सुन लेती थी.

‘‘लो मुझे क्या पड़ी है? तुम्हारे मामलों में टांग अड़ाने का कोई शौक नहीं है मुझे,’’ नीरजा भी उतनी ही कड़वाहट से बोली.

‘‘नीरजा की बातों पर न जा तू… हमें बता कौन है यह पृथ्वीराज और तुझे कहां मिला?’’ मैं ने बात संभालनी चाही.

‘‘हमारी क्विज टीम का सदस्य है. एम.बी.ए. कर रहा है. बड़ा स्मार्ट है. प्रश्न पूछने से पहले ही उत्तर दे देता था. मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गई. हमारे शहर की 8 टीमों में से केवल हमारी टीम ही अगले राउंड में पहुंची है. यह संभव हुआ केवल पृथ्वीराज के कारण.’’

‘‘बुद्धिमान तो तू भी कम नहीं है. तूने क्यों नहीं दिए प्रश्नों के उत्तर? हम लड़कियों की तो नाक ही कटवा दी तूने,’’ सपना बोली.

‘‘मैं तो पृथ्वीराज का नाम सुनते ही होश खो बैठी. लगा जैसे 7वें आसमान पर पहुंच कर हवा में उड़ रही हूं. उस के बाद तो न प्रश्न समझ में आए न उन के उत्तर.’’

‘‘इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना तो हम भी आदमी थे काम के,’’ नीरजा अपने विशेष अंदाज में बोली.

‘‘और इश्क भी एकतरफा. इसे तो यह भी पता नहीं कि यह पृथ्वीराज नाम का प्राणी इस के बारे में सोचता क्या है,’’ सपना खिलखिला कर हंसी.

‘‘जी नहीं, वह मेरे बारे में सब जानता है. मुझे देखते ही बोला कि उस ने मेरा फोटो कालेज पत्रिका में देखा था. विश्वविद्यालय में तीसरे स्थान पर आने का कुछ तो लाभ मिला. आज पहली बार प्रथम न आ पाने का दुख हुआ. काश, थोड़ा और परिश्रम किया होता मैं ने. पर कोई बात नहीं इस बार मैं नहीं चूकने वाली,’’ संगीता बड़ी अदा से बोली.

‘‘और क्या कहा पृथ्वीराज ने?’’ मैं ने हंसते हुए पूछा.

‘‘उस ने कहा कि रूप और गुण का ऐसा संगम उस ने पहले कहीं नहीं देखा. आज पहली बार किसी ने मेरे सौंदर्य की प्रशंसा की,’’ वह अपने स्थान से उठ कर नाचने लगी.

‘‘यह तो गई काम से,’’ नीरजा व्यंग्य से मुसकराई.

तब तक मम्मी भी सैर कर के लौट आई थीं. अत: पृथ्वीराज की बात को वहीं विराम देना पड़ा.

उस के बाद तो कालेज से लौटते ही हमें संगीतापृथ्वीराज की प्रेम कहानी से रोज दोचार होना पड़ता.

Raksha bandhan Special: फैमिली और फ्रैंड्स के लिए बनाएं ये इंस्टेंट बॉल्स

किसी भी खास अवसर को मीठे के साथ ही मनाया जाता है. अगस्त माह को मित्रता दिवस और भाई बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन के लिए जाना जाता है. एक तरफ मित्रता दिवस पर हम दोस्तों को मीठा खिलाकर अपनी दोस्ती को मजबूत करते हैं तो वहीं रक्षाबंधन पर भाई की कलाई में राखी बांधकर अपने भाई का मुंह मीठा कराते हैं. दोस्ती और भाई बहन के रिश्ते को आप मजबूत कीजिये घर पर ही बड़ी आसानी के बनने वाली इन बॉल्स के साथ. क्योंकि बाजार से लाई गई मिठाइयों की अपेक्षा हाथ से बनाई गई मिठाईयां हमेशा प्यार और अपनत्व सहेजे हुए रहतीं हैं तो क्यों न आप भी इन खास अवसरों पर मीठा बनाएं वह भी मिनटों में. आज हम आपको ऐसी ही कुछ इंस्टेंट बनने वाली बॉल्स को बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप घर में उपलब्ध सामग्री से ही झटपट बनाकर अपने दोस्तों को खिला सकतीं हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-चाको चिक पी बॉल्स

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय     20 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

भुने चने की दाल             1 कप

डार्क चॉकलेट               1/2 कप

कोको पाउडर                1/4 कप

मिल्क चॉकलेट             1/2 कप

सिल्वर बॉल्स(सजाने के लिए)  10-12

विधि

चने की दाल को बिना घी तेल के कड़ाही में हल्का सा रोस्ट कर लें. दोनों चॉकलेट को बारीक काटकर एक बाउल में डालें. एक भगौने में पानी गर्म होने रखें अब इस कटोरे को भगौने में इस तरह रखें कि कटोरा भगौने में अच्छी तरह फिट हो जाये. लगातार चलाते हुए चॉकलेट के पूरी तरह घुलने तक पकाएं. जब चॉकलेट घुल जाए तो गैस बंद कर दें.अब इस पिघली चॉकलेट में चने की दाल और कोको पाउडर अच्छी तरह मिलाएं. थोड़ा ठंडा सा होने पर मनचाहे आकार में बॉल्स बनाएं. सिल्वर बॉल्स से सजाकर सर्व करें. आप चाहें तो दोनों चॉकलेट को एक साथ माइक्रोवेव में भी 2 मिनट में पिघला सकतीं हैं.

-पीनट बॉल्स

कितने लोगों के लिए          6

बनने में लगने वाला समय    15 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

छिल्का उतरी मूंगफली        डेढ़ कप

शकर                               1/2 कप

बारीक कटी मेवा             1/4 कप

इलायची पाउडर              1/4 टीस्पून

घी                                 1 टीस्पून

विधि

मूंगफली दाना और शकर को एकसाथ पल्स  मोड पर मिक्सी में पीस लें. एक पैन में घी गरम करें और उसमें पिसे मिश्रण को डाल दें , धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए मिश्रण के गाढ़ा होने तक पकाएं. जब मिश्रण पैन के किनारे छोड़ने लगे तो मेवा और इलायची पाउडर मिलाकर गैस बंद कर दे. गुनगुने में ही बॉल्स बनाकर सर्व करें.

-आलमंड कोकोनट बॉल्स

कितने लोगों के लिए              6

बनने में लगने वाला समय       20 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

नारियल लच्छा                1 कप

नारियल बुरादा                 1 कप

मिल्क मेड                     1/2 कप

बारीक कटे बादाम         1/4 कप

बादाम पाउडर              1/4 कप

गुलाब की सूखी पत्तियां     2

घी                               1 टीस्पून

विधि

गुलाब की पत्ती और घी को छोड़कर समस्त सामग्री को एक साथ एक बाउल में अच्छी तरह मिक्स कर लें. हाथों में घी लगाकर तैयार मिश्रण से बॉल्स बनाएं. गुलाब की पत्तियों को हल्का सा क्रश करें और तैयार बॉल्स पर चिपकाकर सर्व करें.

-ओरियो बॉल्स

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय      20 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री

ओरियो बिस्किट                  1 पैकेट

गुनगुना दूध                        1/4 कप

मिल्क पाउडर                     1 टीस्पून

सफेद चाको चिप्स              1 टीस्पून

नारियल लच्छा                   1 टीस्पून

विधि

ओरियो बिस्किट को बीच से अलग करके क्रीम को चम्मच से अलग कर दें. सभी बिस्किट को मिक्सी में बारीक पीस लें. अब इस पिसे मिश्रण में दूध, मिल्क पाउडर, चाको चिप्स और नारियल लच्छा को अच्छी तरह मिक्स करें. अब तैयार मिश्रण से मनचाहे आकार में बॉल्स बनाएं.

Raksha bandhan Special: जानें मेकअप के 8 सीक्रेट्स

ऐसी कौन सी महिला होगी जो रूपमती नहीं दिखना चाहेगी. इसी प्रयत्न में महिलाएं मेकअप करती हैं, लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि कुछ युवतियां इतनी आकर्षक क्यों लगती हैं जबकि कुछ को देख कर लगता है मानो काजलपाउडर की दुकान चली आ रही हो. मनमोहक मेकअप के कुछ राज आप भी जानिए.

1. पंखुड़ी से होंठ

होंठों पर शुगर स्क्रब (एक चम्मच चीनी, शहद और जैतून का तेल) रगड़ने से उन में खून का संचार बढ़ता है और होंठ मुलायम व गुलाबी हो उठते हैं. फिर आप लिपस्टिक लगाएंगी तो लगेगा मानो मक्खन लगा रही हों. इस से लिपस्टिक अधिक देर तक टिकेगी.

2. उजला, चमकता रूप

चेहरे के जिन भागों पर रोशनी पड़ती है, उन को हाईलाइट करें, जिस से आप का रूप दमक उठेगा. इसे हैलो हाईलाइट तकनीक कहा जाता है. गालों के ऊपर, भवों के सहारे और नाक के सिरे पर हाईलाइटर पाउडर लगा कर उंगलियों को गोलाकार तरीके से घुमाते हुए फैलाएं.

3. सजग नयन

आंखों को बड़ी, जानदार व चमकदार दिखाने के लिए बाजार में उपलब्ध सफेद काजल आंखों की निचली पलकों तथा कोरों पर लगाएं. ऊपरी पलकों पर गहरे रंग का काला काजल या फिर आप की पोशाक से मेल खाता रंग जैसे हरा, नीला, सुनहरा काजल या आईलाइनर लगाएं और अंत में पलकों पर मसकारा लगाएं.

4. फोकस

आप को अपने कजरारे नयनों की ओर ध्यान आकर्षित करना है या रसीले होंठों की ओर, इस बात का निर्णय कर लें. किंतु मेकअप ऐसा हो कि इन दोनों में से किसी एक को अधिक बोल्ड बनाएं. इस के लिए आप को अपनी पोशाक का भी ध्यान रखना होगा. उदाहरणस्वरूप, यदि आप ने साधारण जींस व टौप पहना है तो होंठों को गहरा बरगेंडी रंग दें या अगर आप ने अपनी पसंदीदा काली ड्रैस पहनी है तो आंखों को काजल मसकारे से उभार लें.

5. चमकदार पोशाक तो मैट मेकअप

यदि आप की ड्रैस अधिक चमकदमक वाली है तो ऐसे में मेकअप को मैट फिनिश रखें. कपड़ों और मेकअप दोनों को ही चमचमाचम रखने से आप डिस्को बौल दिख सकती हैं. इसलिए चमकदार पोशाक के साथ मैट आईलाइनर और मैट लिपस्टिक का प्रयोग करें. इस से आप सजीली व फैशनपरस्त दिखेंगी.

6. सिंडरेला इफैक्ट का इलाज

जब पार्टी देर तक चलती हो तो मेकअप का खास खयाल रखें. आप जानती ही होंगी कि मेकअप कितना भी बढि़या हो कुछ घंटे बाद स्वयं ही गायब हो जाता है. इसी को सिंडरेला इफैक्ट कहते हैं. इस का हल भी है. गीले मेकअप के ऊपर सूखे मेकअप की तह चढ़ा लें. जैसे, आईलाइनर के ऊपर आई शैडो की लेयर, फाउंडेशन के ऊपर सूखा कौंपैक्ट तथा हाईलाइटर के ऊपर चमकदार पाउडर फिरा लें.

7. गाढ़े फाउंडेशन का खूबसूरत हल

अकसर फाउंडेशन गाढ़े होते हैं. उन के इस्तेमाल से आप का चेहरा पैन केक सा दिखने का डर रहता है. अपने फाउंडेशन को लगाने से पूर्व आप अपनी हथेलियों को सौंदर्य तेल (जैतून, लैवेंडर, लैमन आदि) की 2 बूदों से हलका गीला कर लें. सौंदर्य तेल मिलने से फाउंडेशन का गाढ़ापन कम हो जाएगा और तेल की चिकनाई से आप की त्वचा भी चमक उठेगी.

8. ब्रश भी उतने ही जरूरी

मेकअप करने के लिए सही प्रकार के ब्रश पर ध्यान देना भी उतना ही आवश्यक है जितना सही मेकअप प्रोडक्ट्स पर. ब्रश चुनने के लिए आप को थोड़ी समझदारी चाहिए, केवल महंगे ब्रश खरीदने से काम नहीं चलेगा बल्कि आप को यह जान कर खुशी होगी कि सस्ते ब्रश भी उतना ही बेहतर काम कर सकते हैं. फाउंडेशन को चेहरे पर एकसार लगाने के लिए मोटा, बढि़या स्पंज इस्तेमाल करें, चेहरे पर पाउडर लगाने के लिए मोटे ब्रश व हाईलाइटर लगाने के लिए कोणीय ब्रश लें.

तो देखा आप ने, कैसे छोटीछोटी सावधानियां साधारण से रंगरूप को उभार कर रमणीय बना सकती हैं. तो रखिए खयाल, बनिए खूबसूरत.

श्रीजा के संघर्ष और हौसले को सलाम

मां की मौत के बाद पिता भी मुंह मोड़ ले तो बच्चों का वर्तमान और भविष्य खराब हो जाना निश्चित ही है पर बिहार की श्रीजा ने 10वीं कक्षा में 99.8′ अंक ला कर मां और बाप दोनों के अभावों में मामा के घर रह कर न केवल जीना सीखा. उसे चैलेंज के रूप में ला कर दिखाया. आमतौर पर सोच यही है कि मां और बाप दोनों के जाने के बाद चाचाताऊ या मामामौसी के यहां पले बच्चे घर में नौकरों की तरह के रह जाते हैं पर सिर्फ किसान चाचा और साधारण से मामा के बल पर श्रीजा बिहार की टौपर बन गई.

श्रीजा सिर्फ 4 साल की थी जब मां की मृत्यु हो गई और कुछ समय बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली और श्रीजा व उस की छोटी बहन को नानानानी के पास छोड़ कर कभी देखभाल तक नहीं की. मामाओं ने ही उसे पाला और पढऩे के मौके दिए.

एक युग था जब सौतेले या पराए बच्चे घरों में ऐसे ही पलबढ़ जाते थे क्योंकि बहुत से बच्चे होते थे और घर भरापूरा होता था. आज जरूरतें बढ़ गईं और कम बच्चे घर में होने की वजह से हर बच्चा पूरी अटैंशन चाहता है. आज मांबाप की ज्यादा ङ्क्षजदगी छोटे बच्चों के चारों ओर घूमती है. ऐसे में जिन के मां या बाप या दोनों न हों, वे बेहद कुंठा में रहते हैं और दूसरों के मिलते प्यार को देख कर उन्हें अपने अभाव कचोटते हैं.

आज बच्चों की जरूरतें बढ़ गई हैं. हैंड मी डाउन यानी उतारे हुए कपड़े पहनने की परंपरा समाप्त होने लगी है. मोबाइल, बदलती किताबें, कोङ्क्षचग, ट्यूटर, पीटीए मीङ्क्षटगों, पिकनिकें, स्कूल ट्रिप, फिल्म, रेस्ट्रा आदि मौजूद नहीं हैं आकर्षक हैं और हरेक को अट्रैक्ट करते हैं. ऐसे में जो उन घरों में पल रहे हैं जहां अगर छत और खाना मिल भी रहा हो तो प्यार और मनुहार का हक न मिले तो बहुत खलता है.

गनीमत है श्रीजा के मामा चंदन और उनके भाई ने श्रीजा और उस की बहन को ढंग से रखा और आज उन का स्थान समाज में ऊंचा है.

असल में पराए बच्चों को अपनाना और उन को पूरा प्यार देना, लाखों करोड़ों के दान से ज्यादा है पर हमारी संस्कृति में भाग्य में लिखा हुआ है कि मान्यता इतनी है कि सगेसंबंधी भी प्यार व सहारे के मारों की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं यह सोच कर कि चाहे अबोध बच्चे ही क्यों न हों, अगर मां और बाप न हों तो वे पिछले जन्मों के कर्मों का फल भोग रहे हैं. उन की जिम्मेदारी नहीं है.

पराए बच्चों को पालना एक अजीब सुख देता है. अपने बच्चों के साथ जब दूसरे भी हों और खुश हो तो ही जीवन संपूर्ण होता है. इसीलिए आज दुनियाभर में गोद लेने वालोंं  की कतारें लगी हैं और लोग बच्चों को गरीब इलाकों से गोद ले रहे हैं चाहे उन की शक्ल, रंग, कद अलग क्यों न हो. ये बच्चे अपने पालने वाले मांबाप से खुश रहते हैं. नाराज तो पादरी पंडे होते हैं जिन्हें लगता है कि इन बच्चों पर उन का अधिकार है और अगर वे…….., मदरसों और चर्चों में होती तो सेवा करते और उन के नाम पर भक्तों का बहका कर पैसे वसूल किया जाता. अनाथालय सदियों से अपनी क्रूरता के लिए जाने जाते हैं. सरकारों द्वार चलाए जा रहे बालगृहों में बेहद लापरवाही और सैक्सुअल शोषण होता है. मामाचाचा के हाथों फिर भी जीवन सुरक्षित है और श्रीजा ने साबित किया है कि ऐसे तनाव में प्रतिभा निखर कर आती है.

औनलाइन फ्रैंड: रिया ने कौनसी बेवकूफी की थी

romantic story in hindi

स्पाइनल स्टेनोसिस के इलाज के औप्शन कौनसे हैं?

सवाल-

मैं 52 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मुझे स्पाइनल स्टेनोसिस डायग्नोज हुआ है. मैं जानना चाहती हूं कि यह समस्या क्या है और इस के उपचार के कौनकौन से विकल्प उपलब्ध हैं?

जवाब-

स्पाइन में स्पाइनल कार्ड और उस से निकलने वाली तंत्रिकाओं के लिए स्थान होते हैं. ये तंत्रिकाएं संकेतों और संदेशों को मस्तिष्क से शरीर में और शरीर के विभिन्न भागों से मस्तिष्क में पहुंचाती हैं. जब ये स्थान सिकुड़ जाते हैं तब हड्डियों के कारण ये तंत्रिकाएं दब सकती हैं. इस के कारण दर्द हो सकता है, झनझनी आ सकती है या सुन्नपन हो सकता है अथवा मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है. स्पाइनल स्टेनोसिस का सब से प्रमुख कारण औस्टियोअर्थ्राइटिस है. दवा और फिजियोथेरैपी से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है. स्थिति गंभीर होने पर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है ताकि तंत्रिकाओं के लिए स्थान बनाया जा सके.

ये भी पढ़ें-

स्पाइनल इंजरी किसी के भी जीवन की त्रासदपूर्ण घटना हो सकती है. इस से व्यक्ति एक तरह से लकवाग्रस्त हो सकता है. इंजरी जब गरदन में हो तो इस से टेट्राप्लेजिया हो सकता है. यदि इंजरी गरदन के नीचे हो तो इस से पाराप्लेजिया यानी दोनों टांगों और इंजरी से निचले धड़ में लकवा हो सकता है. केंद्रीय स्नायुतंत्र का हिस्सा होने के कारण स्पाइनल कौर्ड की सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है. इंजरी से यौन सक्रियता भी प्रभावित हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना, हिंसक या खेल की घटनाओं के कारण हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी के नौनट्रोमेटिक कारणों में स्पाइन और ट्यूमर के टीबी जैसे संक्रमण शामिल हैं.

यौन सक्रियता जरूरी

स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति को यथासंभव आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से में यौन स्वास्थ्य पर चर्चा करना हमेशा वर्जित विषय माना जाता रहा है, इसलिए इस विषय पर बात करने से लोग कतराते हैं और मरीज खामोशी से इसे सहता रहता है. शिक्षा, ज्ञान और जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे मरीजों के बारे में यह समझने लगते हैं कि वे यौनेच्छा एवं यौन उत्कंठा से पीडि़त हैं. लेकिन सच यह है कि सामान्य व्यक्ति की तरह ही स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति के लिए भी यौन सक्रियता उतनी ही जरूरी है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- स्पाइनल इंजरी और मैरिड लाइफ

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दिल वर्सेस दौलत- भाग 2: क्या पूरा हुआ लाली और अबीर का प्यार

अगले दिन लाली के मातापिता ने बेटी को सामने बैठा उस से अबीर के रिश्ते को ले कर अपने खयालात शेयर किए.

लाली के पिता ने लाली से कहा, ‘सब से पहले तो तुम मु झे यह बताओ, अबीर के बारे में तुम्हारी क्या राय है?’

‘पापा, वह एक सीधासादा, बेहद सैंटीमैंटल और सुल झा हुआ लड़का लगा मु झे. यह निश्चित मानिए, वह कभी दुख नहीं देगा मु झे. मेरी हर बात मानता है. बेहद केयरिंग है. दादागीरी, ईगो, गुस्से जैसी कोई नैगेटिव बात मु झे उस में नजर नहीं आई. मु झे यकीन है, उस के साथ हंसीखुशी जिंदगी बीत जाएगी. सो, मु झे इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं.’

तभी लाली की मां बोल पड़ीं, ‘लेकिन, मु झे औब्जेक्शन है.’

‘यह क्या कह रही हैं मम्मा? हम दोनों अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. अब मैं इस रिश्ते से अपने कदम वापस नहीं खींच सकती. आखिर बात क्या है? आप ने ही तो कहा था, मु झे अपना लाइफपार्टनर चुनने की पूरीपूरी आजादी होगी. फिर, अब आप यह क्या कह रही हैं?’

‘लाली, मैं तुम्हारी मां हूं. तुम्हारा भला ही सोचूंगी. मेरे खयाल से तुम्हें यह शादी कतई नहीं करनी चाहिए.’

‘मौम, सीधेसीधे मुद्दे पर आएं, पहेलियां न बु झाएं.’

‘तो सुनो, एक तो उन का स्टेटस, स्टैंडर्ड हम से बहुत कमतर है. पैसे की बहुत खींचातानी लगी मु झे उन के घर में. क्यों जी, आप ने देखा नहीं, शाम को दादी ने अबीर से कहा, एसी बंद कर दे. सुबह से चल रहा है. आज तो सुबह से मीटर भाग रहा होगा. तौबा उन के यहां तो एसी चलाने पर भी रोकटोक है.

‘फिर दूसरी बात, मु झे अबीर की दादी बहुत डौमिनेटिंग लगीं. बातबात पर अपनी बहू पर रोब जमा रही थीं. अबीर की मां बेचारी चुपचाप मुंह सीए हुए उन के हुक्म की तामील में जुटी हुई थी. दादी मेरे सामने ही बहू से फुसफुसाने लगी थीं, बहू मीठे में गाजर का हलवा ही बना लेती. नाहक इतनी महंगी दुकान से इतना महंगी मूंग की दाल का हलवा और काजू की बर्फी मंगवाई. शायद कल हमारे सामने हमें इंप्रैस करने के लिए ही इतनी वैराइटी का खानापीना परोसा था. मु झे नहीं लगता यह उन का असली चेहरा है.’

‘अरे मां, आप भी न, राई का पहाड़ बना देती हैं. ऐसा कुछ नहीं है. खातेपीते लोग हैं. अबीर के पापा ऐसे कोई गएगुजरे भी नहीं. क्लास वन सरकारी अफसर हैं. हां, हम जैसे पैसेवाले नहीं हैं. इस से क्या फर्क पड़ता है?’

‘लेकिन मैं सोच रही हूं अगर अबीर भी दादी की तरह हुआ तो क्या तू खर्चे को ले कर उस की तरफ से किसी भी तरह की टोकाटाकी सह पाएगी? खुद कमाएगी नहीं, खर्चे के लिए अबीर का मुंह देखेगी. याद रख लड़की, बच्चे अपने बड़ेबुजुर्गों से ही आदतें विरासत में पाते हैं. अबीर ने भी अगर तेरे खर्चे पर बंदिशें लगाईं तो क्या करेगी? सोच जरा.’

‘अरे मां, क्या फुजूल की हाइपोथेटिकल बातें कर रही हैं? क्यों लगाएगा वह मु झ पर इतनी बंदिशें? इतना बढि़या पैकेज है उस का. फिर अबीर मु झे अपनी दादी के बारे में बताता रहता है. कहता है, वे बहुत स्नेही हैं. पहली बार जब वे लोग हमारे घर आए थे, दादी ने मु झे कितनी गर्माहट से अपने सीने से चिपकाया था. मेरे हाथों को चूमा था.’

‘तो लाली बेटा, तुम ने पूरापूरा मन बना लिया है कि तुम अबीर से ही शादी करना चाहती हो. सोच लो बेटा, तुम्हारी मम्मा की बातों में भी वजन है. ये पूरी तरह से गलत नहीं. उन के और हमारे घर के रहनसहन में मु झे भी बहुत अंतर लगा. तुम कैसे ऐडजस्ट करोगी?’’ पापा ने कहा था.

‘अरे पापा, मैं सब ऐडजस्ट कर लूंगी. जिंदगी तो मु झे अबीर के साथ काटनी है न. और वह बेहद अच्छा व जैनुइन लड़का है. कोई नशा नहीं है उस में. मैं ने सोच लिया है, मैं अबीर से ही शादी करूंगी.’

‘लाली बेटा, यह क्या कह रही हो? मैं ने दुनिया देखी है. तुम तो अभी बच्ची हो. यह सीने से चिपकाना, आशीष देना, चुम्माचाटी थोड़े दिनों के शादी से पहले के चोंचले हैं. बाद में तो, बस, उन की रोकटोक, हेकड़ी और बंधन रह जाएंगे. फिर रोती झींकती मत आना मेरे पास कि आज सास ने यह कह दिया और दादी सास ने यह कह दिया.

‘और एक बात जो मु झे खाए जा रही है वह है उन का टू बैडरूम का दड़बेनुमा फ्लैट. हर बार त्योहार के मौके पर तु झे ससुराल तो जाना ही पड़ेगा. एक बैडरूम में अबीर के पेरैंट्स रहते हैं, दूसरे में उस की दादी. फिर तू कहां रहेगी? तेरे हिस्से में ड्राइंगरूम ही आएगा? न न न, शादी के बाद मेरी नईनवेली लाडो को अपना अलग एक कमरा भी नसीब न हो, यह मु झे बिलकुल बरदाश्त नहीं होगा.

‘सम झा कर बेटा, हमारे सामने यह खानदान एक चिंदी खानदान है. कदमकदम पर तु झे इस वजह से बहू के तौर पर बहुत स्ट्रगल करनी पड़ेगी. न न, कोई और लड़का देखते हैं तेरे लिए. गलती कर दी हम ने, तु झे अबीर से मिलाने से पहले हमें उन का घरबार देख कर आना चाहिए था. खैर, अभी भी देर नहीं हुई है. मेरी बिट्टो के लिए लड़कों की कोई कमी है क्या?’

‘अरे मम्मा, आप मेरी बात नहीं सम झ रहीं हैं. इन कुछ दिनों में मैं अबीर को पसंद करने लगी हूं. उसे अब मैं अपनी जिंदगी में वह जगह दे चुकी हूं जो किसी और को दे पाना मेरी लिए नामुमकिन होगा. अब मैं अबीर के बिना नहीं रह सकती. मैं उस से इमोशनली अटैच्ड हो गई हूं.’

‘यह क्या नासम झी की बातें कर रही है, लाली? तू तो मेरी इतनी सम झदार बेटी है. मु झे तु झ से यह उम्मीद न थी. जिंदगी में सक्सैसफुल होने के लिए प्रैक्टिकल बनना पड़ता है. कोरी भावनाओं से जिंदगी नहीं चला करती, बेटा. बात सम झ. इमोशंस में बह कर आज अगर तू ने यह शादी कर ली तो भविष्य में बहुत दुख पाएगी. तु झे खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी नहीं मारने दूंगी. मैं ने बहुत सोचा इस बारे में, लेकिन इस रिश्ते के लिए मेरा मन हरगिज नहीं मान रहा.’

‘मम्मा, यह आप क्या कह रही हैं? मैं अब इस रिश्ते में पीछे नहीं मुड़ सकती. मैं अबीर के साथ पूरी जिंदगी बिताने का वादा कर चुकी हूं. उस से प्यार करने लगी हूं. पापा, आप चुप क्यों बैठे हैं? सम झाएं न मां को. फिर मैं पक्का डिसाइड कर चुकी हूं कि मु झे अबीर से ही शादी करनी है.’

‘अरे भई, क्यों जिद कर रही हो जब यह कह रही है कि इसे अबीर से ही शादी करनी है तो क्यों बेबात अड़ंगा लगा रही हो? अबीर के साथ जिंदगी इसे बितानी है या तुम्हें?’ लाली के पिता ने कहा.

‘आप तो चुप ही रहिए इस मामले में. आप को तो दुनियादारी की सम झ है नहीं. चले हैं बेटी की हिमायत करने. मैं अच्छी तरह से सोच चुकी हूं. उस घर में शादी कर मेरी बेटी कोई सुख नहीं पाएगी. सास और ददिया सास के राज में 2 दिन में ही टेसू बहाते आ जाएगी. जाइए, आप के औफिस का टाइम हो गया. मु झे हैंडल कर लेने दीजिए यह मसला.’

इस के साथ लाली की मां ने पति को वहां से जबरन उठने के लिए विवश कर दिया और फिर बेटी से बोलीं, ‘यह क्या बेवकूफी है, लाली? यह तेरा प्यार पप्पी लव से ज्यादा और कुछ नहीं. अगर तू ने मेरी बात नहीं मानी तो सच कह रही हूं, मैं तु झ से सारे रिश्ते तोड़ लूंगी. न मैं तेरी मां, न तू मेरी बेटी. जिंदगीभर तेरी शक्ल नहीं देखूंगी. सम झ लेना, मैं तेरे लिए मर गई.’ यह कह कर लाली की मां अतीव क्रोध में पांव पटकते हुए कमरे से बाहर चली गईं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें