दीपिका पादुकोण : अभिनेत्री

बौलीवुड में दमदार अभिनय से दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाली अभिनेत्री दीपिका पादुकोण मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण की बेटी हैं. दीपिका ने अपने कैरियर की शुरुआत मौडलिंग से की थी. 2006 में प्रदर्शित कन्नड़ फिल्म ‘ऐश्वर्या’ से दीपिका ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की. बौलीवुड की पहली फिल्म ‘ओम शांति ओम’ है. इस फिल्म से दीपिका को काफी लोकप्रियता मिली. शाहरुखदीपिका की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया. इस फिल्म से दीपिका को कई अवार्ड मिले. इस के बाद फिल्मों के लगातार औफर आने लगे. ‘बचना ऐ हसीनो’, ‘चांदनी चौक टू चाइना’, ‘कार्तिक कौलिंग कार्तिक’, ‘हाउसफुल’, ‘खेले हम जी जान से’, ‘लफंगे परिंदे’, ‘कौकटेल’, ‘चेन्नई ऐक्सप्रैस’, ‘गोलियों की रासलीला रामलीला’, ‘हैप्पी न्यू ईयर’ आदि फिल्में मिलती गईं. कुछ फिल्में औसतन, तो कुछ सुपरडुपर हिट रहीं.

2012 में प्रदर्शित फिल्म ‘कौकटेल’ दीपिका की महत्त्वपूर्ण फिल्मों में गिनी जाती है. इस फिल्म में उन की जोड़ी सैफ अली खान के साथ काफी पसंद की गई. 2013 दीपिका के कैरियर के लिए बेहतरीन वर्ष साबित हुआ. इस साल उन की फिल्म ‘रेस-2’, ‘ये जवानी है दीवानी’, ‘चेन्नई ऐक्सप्रैस’ और ‘गोलियों की रासलीला रामलीला’ आदि फिल्में रिलीज हुईं. सभी फिल्मों ने क्व100 करोड़ से ऊपर कमाई की. 2015 की सब से बड़ी फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ ने तो क्व200 करोड़ का आंकड़ा भी पार कर लिया. यह फिल्म दीपिका के जीवन की अब तक की सब से सफल फिल्म रही.

दीपिका से बात करना रोचक रहा. प्रस्तुत हैं, बातचीत के कुछ अंश:

आप सफल अभिनेत्री मानी जाती हैं, इस बात से कितनी सहमत हैं?

मुझे जो भी प्रोजैक्ट मिलता है. मैं उसे अच्छी तरह करने की कोशिश करती हूं. पर कई बार ऐसा नहीं हो पाता. उतारचढ़ाव आता रहता है. मैं इसे सहजता से लेती हूं.

जब आप ने पहली बार अभिनय करने की मंशा जताई तो परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?

मुझे फिल्मों में नहीं आना था. मैं बैंगलुरु में 12वीं कक्षा में पढ़ती थी. पिता के साथ बैडमिंटन खेलती थी. उसी समय हमारे परिचित ऐड गुरु प्रसाद बेडप्पा ने मेरा फोटो शूट किया. फोटो का रिजल्ट बहुत अच्छा आया था. फिर उन्होंने ही मुझे कुछ विज्ञापनों के औफर भी दिलवा दिए. शौकिया तौर पर काम करतेकरते मुझे अच्छा लगने लगा. एक दिन जब मैं ने पिता से कहा कि मैं फिल्मों में काम करूंगी तो उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि तुम बैडमिंटन अच्छा खेलती हो. इसी को प्रोफैशन बनाओ. फिर छोटी बहन भी धीरेधीरे इसी में आ जाएगी. तब मैं ने मां को समझाया कि अगर मैं अभिनय में सफल नहीं हो पाई तो वापस स्पोर्ट में आ जाऊंगी. मां ने पिता को राजी कर लिया. मैं अकेली मुंबई आ गई. मेरे पास प्रसाद बेडप्पा का शूट किया पोर्टफोलियो था, जिसे मैं ने सभी प्रोडक्शन हाउस में डाल दिया.  इसी दौरान फराह की निगाह मुझ पर पड़ी और मैं अभिनेत्री बन गई.

आने वाली फिल्में?

बड़ी फिल्म ‘पीकू’ है. जिस में मैं पहली बार अमिताभ बच्चन की बेटी की भूमिका निभा रही हूं. इस के अलावा संजय लीला भंसाली की ‘बाजी राव मस्तानी’ कर रही हूं.

वुडन फ्लावर कम खर्च ज्यादा मुनाफा

हुनर जहां भी होता है वह कोई न कोई रचनात्मक काम कर ही लेता है. जंगलों में पाए जाने वाले पेड़ों से टूट कर गिरने वाली पत्तियों और फलों का पहले कोई उपयोग नहीं होता था. लेकिन अब पहाड़ी इलाकों में रहने वालों ने इन पत्तियों और फलों का उपयोग कर के लकड़ी के फूल और फ्लावर पौट बना कर घरों की सजावट में इन का उपयोग करना शुरू कर दिया है. पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने वाले तो इन लकड़ी के फूलों को प्लास्टिक के सजावटी फूलों से भी ज्यादा पसंद करने लगे हैं. लकड़ी के फूलों के बढ़ते उपयोग ने पहाड़ों पर रहने वालों को रोजगार का नया रास्ता दिखा दिया है. जंगलों में पड़ी बेकार पत्तियां और फल अब मुनाफे का धंधा बन गए हैं.

मणिपुर के बिसुनपुर जिले में साइतोन गांव में रहने वाली अब्राहम प्रेमिला चानु कहती हैं, ‘‘लकड़ी के सजावटी फूल और फ्लावर पौट का निर्माण सिखाने का कोई स्कूल नहीं है. हमारे आसपास के लोग इन्हें बनाते हैं. उन्हें बनाते देख कर और उन के साथ काम कर के हम लोगों ने यह काम सीख लिया. ग्रामीण विकास विभाग देश के विभिन्न हिस्सों में हस्तकला को प्रोत्साहन देने के लिए जब प्रदर्शनियां लगाता है, तब हमें भी वहां अपने वुडन फ्लावर बेचने का मौका मिल जाता है.’’ प्रेमिला अपनी बहन मेघामला और भाई रमानंदा के साथ वुडन फ्लावर बनाने का काम करती हैं.

पेड़ों की पत्तियों का उपयोग

वुडन फ्लावर में लिए सब से ज्यादा इस्तेमाल पेड़ों की सूख चली पत्तियों का होता है. प्रेमिला चानु बताती हैं, ‘‘पीपल और साखू के पत्तों के अंदर पाए जाने वाले रेशे मजबूत होते हैं, इसलिए इन की पत्तियों को पानी में डाल कर सड़ाया जाता है. जब पत्तियों का हरा वाला हिस्सा पूरी तरह से सड़ जाता है तब उन्हें बहुत सावधानी से साफ किया जाता है. ‘‘साफ होने के बाद पत्तियों में केवल रेशे रह जाते हैं. तब इन पत्तियों को सूखने के लिए रख दिया जाता है. सूखने के बाद ये सफेद रंग की हो जाती हैं. अब इन्हें मनचाहे रंग में रंगा जा सकता है. इन्हें मोड़ कर लकड़ी की पतली सींक पर चिपका दिया जाता है. पत्तियां चिपकाने से पहले लकड़ी की सींक को पेंट कर के खूबसूरत बनाया जाता है. एक सींक 10 से 20 रुपए प्रति फ्लावर के हिसाब से बिकती है.’’

बी.ए. की पढ़ाई कर चुकी प्रेमिला कहती हैं, ‘‘वुडन फ्लावर खूब पसंद किए जा रहे हैं. विदेशों में भी इन्हें पसंद करने वालों की संख्या बहुत है. वे लोग जब घूमने आते हैं, तो ये वुडन फ्लावर जरूर खरीदते हैं. सरकार अगर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दे और इस कला  को और प्रोत्साहन मिले, तो पहाड़ों पर रहने वालों को घर बैठे धन अर्जित करने का अच्छा जरिया मिल सकता है.’’ वुडन फ्लावर बनाने वाली मेघामला कहती हैं, ‘‘वुडन फ्लावर के लिए बांस का फ्लावर पौट भी मिलता है. इसे बनाने के लिए पहाड़ों पर पाए जाने वाले बांस का उपयोग किया जाता है. बांस को वुडन पेंट से पौलिश कर के खूबसूरत बनाया जाता है. मक्के की पत्तियों को भी सजावट के काम में लाया जाता है. इस के लिए उन्हें भी सड़ा कर साफ किया जाता है. इस के बाद उन पर मनचाहा रंग किया जाता है. इस के अलावा सूरजमुखी के फूलों का बीच वाला हिस्सा भी सजावट के काम आता है.’’

कम लागत से बढ़ता मुनाफा

रमानंदा कहते हैं, ‘‘वुडन फ्लावर और फ्लावर पौट बनाने में जिस सामग्री का उपयोग किया जाता है वह पूरी तरह से जंगलों और खेतों में मिलती है. ये बेकार हो गई चीजें होती हैं. इसलिए इन्हें जुटाने में कोई खर्च नहीं करना पड़ता. अब कुछ लोग इन्हें जंगलों से इकट्ठा कर शहरों में बेचने भी लगे हैं. वे यह सामान सस्ते में दे जाते हैं. इस के बाद वुडन फ्लावर व फ्लावर पौट बनाने का काम किया जाता है. कम खर्च होने के कारण ही मुनाफा थोड़ा ज्यादा होता है.’’ वुडन फ्लावर की देखभाल के संबंध में प्रेमिला चानु कहती हैं, ‘‘इन्हें ब्रश से साफ किया जाता है. इस से इन की धूलमिट्टी साफ हो जाती है. इन्हें दोबारा रंग भी किया जा सकता है. लकड़ी से बनने वाले कुछ फूलों को वुडन पेंट से भी साफ कर लिया जाता है. इस से ये नए से लगने लगते हैं. कुछ लोग अब इन वुडन फ्लावर को बुके में भी देना पसंद करते हैं. जहां असली फूल जल्दी सूख जाते हैं वहीं वुडन फ्लावर जल्दी खराब नहीं होते हैं, इन्हें बहुत दिनों तक संभाल कर रखा जा सकता है.

‘‘पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए ये रोजगार के अच्छे साधन हैं. मैदानी इलाकों में इन्हें खूब पसंद किया जाता है. हम हर प्रदर्शनी में 30-40 हजार रुपए का सामान ले कर जाते हैं, जो सप्ताह भर में बिक जाता है. मणिपुर में हमारी दुकान भी है. वहां से भी कुछ लोग खरीद लेते हैं. दिल्ली हाट में भी हम वुडन फ्लावर सप्लाई करते हैं.’’ वुडन फ्लावर के कारोबार के लिए प्रेमिला चानू से उन के मोबाइल नंबर 09856505968 पर संपर्क कर सकते हैं.

अस्पताल का चयन सावधानी से

किसी के लिए भी अस्पताल का दौरा हमेशा योजनाबद्ध तरीके से नहीं होता, फिर भी कई मौके ऐसे आते हैं, जब हमें चुनना पड़ता है कि हमारे लिए कौन सा अस्पताल बेहतर है या हम अपने इलाज या फिर किसी भी प्रकार के टैस्ट के लिए किस अस्पताल को चुनें. आज देश में कई ऐसे अस्पताल हैं, जो बेहतर सुखसुविधा, इलाज और इलाज के परिणामों का भी दावा करते हैं. ऐसे में आप का दुविधा में पड़ना स्वाभाविक होता है, खासकर तब, जब बात किसी अपने किसी खास या परिवार की हो. अपना काम तो हम कैसे भी चला लेते हैं.

अकसर देखा जाता है कि लोग आपातकालीन परिस्थितियों में अपने निकटतम अस्पताल को ही चुनते हैं, लेकिन किसी भी अस्पताल को चुनते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आजकल अस्पतालों में भी संक्रमण के रूप में खतरा मौजूद है. साथ ही यह जरूर परख लें कि उस अस्पताल में आप को कौनकौन सी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.

सब से पहले अपने आसपास के अस्पतालों की एक सूची तैयार कर लें. उदाहरण के तौर पर यदि आप को बाईपास सर्जरी की जरूरत है, तो इतना तो निश्चित है कि यह सर्जरी किसी छोटे अस्पताल में उपलब्ध नहीं होगी.

बुनियादी सुविधाओं से ज्यादा माने रखता है कि वह अस्पताल आप के स्वास्थ्य से संबंधित सभी जानकारियों और गतिविधियों का एक डाक्युमेंट रखता हो, जिस से भविष्य में कभी आप को दोबारा उस की जरूरत पड़ने पर वह काम आ सके. मरीजों की देखभाल में सिर्फ चिकित्सकीय देखभाल ही नहीं, अपितु परीक्षण, दवाएं, नर्स, संक्रमण नियंत्रण प्रणाली जैसी और भी कई बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए.

अस्पताल चुनते समय यह तय कर लें कि किसे प्राथमिकता देनी है. जैसे अधिकांश लोग अस्पताल चुनते समय अपनी पसंद के डाक्टर या फिर इंश्योरैंस तक ही सीमित रहते हैं, जबकि अपनी पसंद के डाक्टर से ज्यादा अस्पताल को प्राथमिकता देनी चाहिए. एक अच्छे अस्पताल में एक अच्छे डाक्टर के

साथसाथ अच्छी चिकित्सा सेवा भी उपलब्ध होती है. आप के इलाज में डाक्टर के साथसाथ अस्पताल की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए इसे प्राथमिकता देनी चाहिए.

यह जान लेना भी सब से महत्त्वपूर्ण है कि जिस अस्पताल को आप ने चुना है उस में गुणवत्ता का कितना ध्यान रखा जाता है. इलाज के लिए अस्पताल को चुनने से पहले एक बार उस का दौरा कर के यह जान लें कि वहां पर साफसफाई का कितना ध्यान रखा जाता है. बेहतर हाईजीन होना अस्पताल में बहुत माने रखता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो बेहतर हाईजीन, मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं इत्यादि के आधार पर अस्पतालों को मान्यता प्रदान करती हैं. इस मान्यता की जानकारी प्राप्त करें.

क्यूसीआई यानी क्वालिटी काउंसिल औफ इंडिया और नैशनल ऐक्डेरेशन बोर्ड औफ हौस्पीटल ने मिल कर अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने वालों के लिए कड़े मानक तैयार किए हैं, जिन के आधार पर वे अस्पतालों को मान्यता देते हैं. इन मानकों में 500 से भी ज्यादा उद्देश्य तत्त्व शामिल हैं, जिन के आधार पर अस्पतालों को मान्यता दी जाती है.

जूनियर चैंबर इंटरनैशनल (जे.सी.आई.) रोगी के उपचार और संरक्षण में सर्वोच्च स्तरों को मान्यता देती है. इस मान्यता के मानदंड अंतर्राष्ट्रीय मानदंड सहमति पर आधारित हैं.

नभ (एन.ए.बी.एच.) किसी भी अस्पताल को मान्यता प्रदान करते वक्त कई बातों का ध्यान रखती है.

मरीजों का अधिकार और उन्हें लाभ.

मरीजों की सुरक्षा.

संक्रमण को नियंत्रित करना और उस से बचाव करने की क्षमता.

बेहतर और नियंत्रित नैदानिक परिणाम.

अलग से नर्सिंग सुविधा की उपलब्धता.

किसी अस्पताल को यह मान्यता मिली हुई है, तो आप इस बात को ले कर निश्चिंत रह सकती हैं कि उस में इन सब बातों का खास ध्यान रखा जाता होगा.

इस के अलावा आप निम्न बातों को ध्यान में रख कर भी अस्पताल का चयन कर सकती हैं:

क्या वह अस्पताल जौइंट कमिशन से मान्यता प्राप्त है?

अस्पताल साफसुथरा है और उस में मरीजों के सहूलियत का ध्यान रखा जाता है?

क्या उस अस्पताल में संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कोई टीम गठित हुई है?

अस्पताल में संक्रमण को रोकने के लिए योग्य नर्स को रखा गया है?

लैब को नैशनल ऐक्डेरेशन बोर्ड फौर टैस्टिंग ऐंड कैलीबरेशन लैबोटरीज यानी एन.ए.बी.एल. उन की गुणवत्ता के आधार पर मान्यता प्रदान करता है. जिस लैब को यह मान्यता चाहिए उसे स्टैंडर्ड पैथोेलोजी लैब के लिए निर्धारित सभी मापदंडों पर खरा उतरना पड़ता है.                                             

लुक को बनाएं कूल

यह जरूरी नहीं कि आप सिर्फ बालों को खोल कर ही स्टाइलिश दिखेंगी. बालों में डिफरैंट स्टाइल बना कर भी आप स्मार्ट और खूबसूरत दिख सकती हैं.

दिल्ली प्रैस भवन में आयोजित फेब मीटिंग में हेयर डिजाइनर व मेकअप ऐक्सपर्ट परमजीत सोई ने कुछ डिफरैंट हेयरस्टाइल की जानकारी दी:

नैट जूड़ा: बालों में अच्छी तरह कंघी कर के आगे से साइड पार्टिंग कर इयर टु इयर बालों का एक सैक्शन बनाएं. पीछे बीच से मांग निकाल कर अगलबगल 1-1 ऊंची पोनी बनाएं. फिर पोनी के बालों से 1-1 लट ले कर बैककौंबिंग करती जाएं और इस में दूर से ही स्पे्र करें. फिर दोनों पोनियों पर नैट लगाएं. जहां पोनी बनाने के लिए रबड़बैंड लगाया है वहां नीचे से पकड़ कर नैट को बौब पिन से लौक करें. अब पोनी के बालों को नैट के अंदर कर दें. फिर इस पर स्प्रे करें. अब नैट वाली पोनी को रोल कर के ऊपर रबड़बैंड के पास पिन से सैट कर दें. ऐसे ही दूसरी पोनी बनाएं. अब आगे के कुछ बालों को ले कर सौफ्टली बैककौंबिंग करें और बैककौंबिंग वाले बालों को हाथों से फैला दें. फिर इन में नीचे से स्पे्र करें. अब बैककौंबिंग वाले बालों को हलके हाथों से ब्रश करें और नीड लुक दें. फिर इसे रोल पोनी वाले जूड़े में फिक्स कर दें. अब नोजल पिन से दोनों रोल जूड़े को लौक कर के मिला दें. 2 का 1 बीच में जूड़ा बन जाएगा.

अब आगे के बचे बालों को साइड वी पार्टिंग करें और हलकी बैककौंबिंग कर स्पे्र कर ब्रश से नीड करें. फिर एक तरफ के बालों को उंगलियों से रोल कर ट्विस्ट करते हुए कान के ऊपर पिन से सैट करें. अब दूसरी साइड के बालों की 1-1 लेयर उठा कर बैककौंबिंग कर स्प्रे करें. अब नीड लुक देने के लिए इन बालों में ब्रश कर स्प्रे करें और फिर कान के ऊपर कर सैट करें. बचे बालों को ट्विस्ट कर के वहीं कान के पास ही सैट करें. अब बालों को डैकोरेट करने के लिए उन पर ड्रैस से मैचिंग ऐक्सैसरीज लगाएं. फ्लौवर ऐक्सैसरीज एक साइड ही लगाएं. 

शौर्ट हेयरस्टाइल: बालों में कंघी कर के इयर टु इयर सैक्शन अलग कर लें. टौप के बालों को छोड़ कर उन के बाद के बालों की एक तरफ पोनी बनाएं और उसी साइड पोनी पर आर्टिफिशियल बाल पिन से सैट करें. अब बीच से बाल ले कर लेयर्स में बैककौंबिंग करें और हलका स्प्रे करें. यह स्प्रे बालों को होल्ड करेगा. अब सारे बैककौंबिंग वाले बाल पोनी की तरफ ले कर आएं. इन्हें कंघी से नीड लुक दें. फिर इन बालों को पोनी पर ही सैट करें. अब आगे से साइड की मांग निकाल कर आगे की तरफ कंघी कर के जैल स्प्रे कर अनटाइडी लुक ट्विस्ट करते हुए दें. फिर उसे पिन से सैट कर दें. अब इस में जैल स्प्रे करें. नीचे के बालों की 1-1 लट ले कर जैल लगा कर ट्विस्ट करें. अब आगे के बालों की बैककौंबिंग करें. फिर नीड करते हुए एक साइड से बालों को प्लेन कर के पोनी में ही सैट करें और स्प्रे करें. अब पोनी को फ्लौवर ऐक्सैसरीज से सजाएं.

डोनेट हेयरस्टाइल: बालों में कंघी कर के पीछे तक सैंटर पार्टिंग करें. अब दोनों तरफ के बालों से 1-1 सैक्शन ले कर बैककौंबिंग करती जाएं. हर बैककौंबिंग के बाद बालों में स्प्रे करती जाएं. अब दोनों कानों के ऊपर 1-1 पोनी बनाएं और पोनी पर स्प्रे करें. अब पोनी पर ही डोनेट लगा दें (यह बालों से बना हुआ बैंड होता है जिस पर नैट चढ़ा होता है). डोनेट को बैंड के पास पिन से टाइट सैट करें. अब पोनी के बालों को डोनेट पर ही रोल करें. ऐसा ही दूसरी तरफ भी करें. दोनों साइड 2 खूबसूरत जूड़े बन जाएंगे. अब इन पर नैट चढ़ा कर पिन से सैट कर दें.

लेडी गागा मेकअप: सब से पहले चेहरे को साफ करें. अब सिल्वर कलर का ग्लिटर वाला आईशैडो पूरी आईबौल पर लगाएं. फिर आईब्रोज को बोल्ड लुक देने के लिए ब्लैक ऐक्वा कलर से चौड़ी लाइनर ऊपर से नीचे करते हुए लगाएं. अब आंखों में वाटरलाइन एरिया पर काजल की जगह व्हाइट पैंसिल से लाइनर लगाएं. फिर कलरफुल आईलैशेज ग्लू की सहायता से लगाएं. फिर चेहरे पर बेस लगाएं. उसे ब्रश या स्पौंज से लगाएं. फिर चेहरे का शार्प लुक दिखाने के लिए फेस कट, नोज कट, फोरहैड व चीक्स कट करें. मेकअप को सैट करने के लिए मेकअप फिक्सर स्प्रे करें. आउटलाइन बना कर लिपस्टिक लगाएं.

लेडी गागा हेयरस्टाइल: बालों में अच्छी तरह कंघी कर के वाटर स्प्रे डालें. सारे बालों को टौप पर ले कर पोनी बनाएं और उसे रोल करते हुए टौप जूड़ा बनाएं. अब कई क्यूब्स ले कर नैट से उन्हें जोड़ते हुए एक लंबी क्यूब्स चेन बना लें और उसे टौप जूड़े पर लपेट दें. यह हाई जूड़ा बन जाएगा. फिर इस में कलरफुल मल्टी फंकी ऐक्सैसरीज से सजाएं.

इस तरह मजाक न बनाओ

अपनी अदाकारी के बलबूते अपनी पहचान बनाने वाले काबिल कलाकारों में से एक नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी प्रतिभा के दम पर फिल्म ‘बदलापुर’ में जान डाल दी है, लेकिन सोशल मीडिया पर उन पर किए गए भद्दे कमैंट्स से वे आहत हैं. दरअसल, ट्विटर पर किसी ने नवाजुद्दीन का फोटो लगा कर गरीब आदमी नाम से एक हैंडल बनाया है, जिस पर कई लोगों के कमैंट्स आ रहे हैं. इस के जवाब में नवाज ने कहा कि मैं गरीब हूं, लेकिन उस के लिए शर्मिंदा नहीं हूं. मैं ने पहले वाचमैन की नौकरी की और धक्के खाए. पर आज जो भी हूं अपने टैलेंट के दम पर हूं.

कोल्हापुरी सूखा मटन

सामग्री

500 ग्राम उबला हुआ मटन, 1 कप ग्रेवी के लिए प्याज और सूखे नारियल को भून कर पीसा हुआ मसाला, 4 चम्मच कोल्हापुरी चटनी, गरममसाला पाउडर, कटा हुआ बारीक टमाटर, कटा हुआ बारीक प्याज, तेल आवश्यकतानुसार.

विधि

कड़ाही में तेल डालें. उस में बारीक कटा हुआ प्याज डाल कर चलाएं. उस के बाद टमाटर डाल कर गलने तक पकाएं. फिर प्याज और सूखे नारियल का मसाला डालें. यह सब अच्छी तरह चला लें. अब इस में कोल्हापुरी चटनी, गरममसाला पाउडर डालें. फिर मटन डालें. कड़ाही ढकें. एक भाप आने पर उस में कटी हुई धनियापत्ती डालें और सर्व करें.

ताकि जीवन में न लगे जंग

हिंदू भगवा मंडली 4, 5, 6 या 10 बच्चों की चाहे जितनी मांग हर औरत से करती रहे, यह पक्का है कि आज की औरत केवल 1 और ज्यादा से ज्यादा 2 बच्चों पर खुश है. आज औरत के जीवन में इतनी विविधताएं हैं और बच्चों को पालना इतना सघन व जटिल काम बन गया है कि 1 या 2 भी कई बार ज्यादा लगते हैं. फिर भी समस्या तब आती है जब अकेला बच्चा या 2 में से 1 घर छोड़ कर अपना नया संसार ढूंढ़ने निकलता है. पहले उस की पढ़ाई, फिर नौकरी, फिर विवाह, उस के बाद जो खालीपन एक औरत के घर में ही नहीं दिल में भी आता है उस का मुकाबला करना आसान नहीं होता. आमतौर पर बच्चों के घर से निकलने के बाद, सूरज के ढलने के बाद जैसा अंधेरा घर में पसर जाता है. लाख बत्तियां जलाने पर भी दिल की रोशनी गुम ही रहती है. किचन में काम करने को मन नहीं करता. कमरों की सफाई करते हुए बेतरतीब फैले कपड़े याद आते हैं. सिनेमा हौल में खुदबखुद कोक या पौपकौर्न लाना है, बाहर खाने में अकेले में एक डिश में पतिपत्नी दोनों शेयर करते हैं और आधाअधूरा खा कर उठ जाते हैं.

पर जीवन इसी का नाम है. हर पेड़पौधे का जीवन भी लगभग इसी तरह का होता है. वह बढ़ता है, फल देता है, फिर खत्म हो जाता है. नया लगा लिया तो उसे बढ़ते देख लो वरना खाली जगह को ताको. अब ऐसे में हतोत्साहित होना, बच्चों को याद करना, उन्हें परेशान करना, उलाहना देना कि वे उन्हें याद नहीं करते, ठीक नहीं. इस खालीपन को प्राकृतिक समझें. इस के लिए अपनेआप को तैयार रखें. दोस्तमित्र हों तो ठीक वरना उन के बिना ही जीवन को जंग लगने से बचाने के तरीके ढूंढ़ने होंगे. जब तक आदमी खेतों पर काम करता था वह अकेला कभी न था क्योंकि पशुपक्षी साथ थे. हर नई फसल एक उमंग देती थी. सूखा व बरसात बदलाव लाता था. आज का शहरी जीवन थोड़ा कठिन होने लगा है. बचाए पैसे से सारी भौतिक सुविधाएं पूरी हो जाएं तो करने को कुछ ज्यादा नहीं रहता. आसपास वालों से बातचीत निरर्थक व निरुद्देश्य लगती है.

ऐसे में जो किया जा सकता है उस की तैयारी जवानी में करें. जो भी शौक हैं उन्हें समय रहते पालें. बच्चों से प्यार रखें. ‘36 चौरंगी लेन’ की टीचर की तरह अनजाने ही सही, धोखेबाज ही सही, युवाओं को दोस्त बनाएं और उन के लिए कुछ करें. रिश्तेदारों को फिर से जोड़ें. जिन्हें भुला दिया था उन भाईबहन, जीजासाली, ममेरेचचेरे भाई को फिर जीवन में लाएं. उन्हें भी आप की जरूरत है. हाथ पकड़ना सब को अच्छा लगता है, ढलती उम्र में खासतौर पर. कोई पुरुष प्रेमीप्रेमिका हो उसे भी याद करें. फिर जोड़ें. पेड़ के नीचे बिताए दिन याद करें. जीवनसाथी के साथ उन की दोस्ती ताजा करें. जीवन का हर क्षण कीमती है. अपने लिए नहीं तो किसी और के लिए काम आए ऐसा सोचें. चंडीगढ़ के नेकचंद को याद करें, जिस ने पब्लिक पार्क में टूटे कपप्यालों से  अवकाश प्राप्ति के बाद एक अद्भुत रौक गार्डन बना डाला.

यह न भूलें कि बहुतों को आप की जरूरत है. बस थोड़ा स्वार्थ छोड़ें. अपनी वरीयता कम करें. आप का समय परिंदों की तरह उड़ने लगेगा 

Ace of Nails

Hi Girls, Here’s an exciting video for you all. Wanna sport a quirky nail art? Well than this tutorial is for all you gals. Yes, in this video we will teach you how to sport a chic ace nail art design. Its simple yet chic. For more Nailart tips subscribe to our channel on the link below for regular updates. SUBSCRIBE FOR MORE SUCH VIDEOS https://www.youtube.com/GSBoldNBeautiful

हनी चिली पोटैटो

सामग्री

3 मध्यम आकार के आलू छिले हुए

2 मध्यम आकार के प्याज कटे हुए

1 छोटा चम्मच अदरक का पेस्ट

2 छोटे चम्मच लहसुन का पेस्ट

2 छोटे चम्मच सोया सौस

2 छोटे चम्मच सिरका

1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच चिली सौस

2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

1 बड़ा चम्मच शहद

3 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

तलने के लिए तेल

पानी आवश्यकतानुसार

नमक स्वादानुसार

सजाने के लिए सीसेम सीड और हरा प्याज.

विधि

आलुओं को उंगली के आकार में काटें. एक बरतन में कौर्नफ्लोर, नमक और कुछ बूंदें पानी की मिला कर गाढ़ा घोल बनाएं और कुछ देर अलग रख दें. एक पैन में तेल गरम करें और तैयार घोल में आलुओं को डुबो कर तेल में तब तक तलें, जब तक वे सुनहरे न हो जाएं. तले आलुओं को टिशू पेपर से सुखाएं. फिर उसी पैन में 2-3 बड़े चम्मच तेल डालें. तेल गरम होने पर इस में प्याज, अदरक व लहसुन का पेस्ट डाल कर मुलायम होने तक पकाएं. फिर सोया सौस, सिरका, लालमिर्च पाउडर, चिली सौस, टोमैटो सौस और शहद अच्छी तरह मिलाएं. कुछ मिनट पकाएं फिर इस मिश्रण में तले आलुओं को डाल कर धीमी आंच पर पकाएं. पकने पर आंच से उतार कर उन्हें लालमिर्च, सीसेम सीड और हरे प्याज से सजा कर गरमगरम सर्व करें.

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