ट्रियो बेल पेपर टोस्ट

सामग्री

40 ग्राम पनीर

40 ग्राम मोजरेला पनीर

लाल व पीली शिमलामिर्च थोड़ी सी

5 पार्सले

1 ब्रैडस्लाइस.

विधि

ब्रैड को एकतरफ टोस्ट करें. फिर दूसरी तरफ सभी सामग्री डालें. ब्रैडस्लाइस को पनीर को सुनहरा भूरा होने तक बेक करें. अब टोस्ट के 4 टुकड़े कर के टोमैटो कैचअप के साथ सर्व करें.

स्क्रंबल्ड कौटेज चीज टोस्ट

सामग्री

20 ग्राम पनीर

20 ग्राम मोजरेला पनीर

100 ग्राम कौटेज चीज

5 ग्राम हरीमिर्च

20 ग्राम टमाटर कटे

20 ग्राम प्याज कटे

5 ग्राम गरममसाला

1 ब्रैडस्लाइस

5 ग्राम अदरकलहसुन पेस्ट

10 मि.लि. रिफाइंड तेल

धनियापत्ती.

विधि

एक फ्राईपैन में तेल डाल कर गरम करें. फिर इस में प्याज, अदरकलहसुन पेस्ट, टमाटर, कौटेज पनीर, हरीमिर्च, धनियापत्ती भून कर एक तरफ ठंडा होने के लिए रख दें. एक तरफ टोस्ट किए ब्रैड के दूसरी तरफ पका मिश्रण, पनीर के साथ लगा कर ओवन में बेक करें. अब टोस्ट को 4 टुकड़ों में काटें और पुदीना चटनी के साथ सर्व करें.

वैजिटेबल टेमपुरा

सामग्री

100 ग्राम सब्जियां (बैगन, कद्दू, लालमिर्च, गाजर, ऐसपेरगस और तुरई) तलने के लिए मूंगफली या सनफ्लौवर तेल

1/2 कप मैदा

1 अंडा

टेमपुरा बैटर

आवश्यकतानुसार ठंडा पानी.

सौस के लिए

3 बड़े चम्मच सोया सौस

1 बड़ा चम्मच चीनी

1 नीबू.

विधि

मैदा और अंडे की जर्दी फेंट कर ठंडा पानी मिला कर गाढ़ा घोल तैयार करें. सब्जी को मैदे के घोल में डुबो कर गरम तेल में तल लें. फिर इस पर नमक और मिर्च छिड़क कर नीबू के टुकड़ों और सोया डिप के साथ सर्व करें. सोया सौस और चीनी को अच्छी तरह मिला कर सोया डिप तैयार करें.

ट्रिओ औफ टोफू पोटैटो ऐंड मशरूम

सामग्री

2 बड़े चम्मच तेल

3 लौंग

3 लहसुन की कलियां

1 प्याज कटा हुआ

2 आलू कटे हुए

10-12 बटन मशरूम

100 ग्राम टोफू क्यूब

1 बड़ा चम्मच मिर्च का पेस्ट

1 बड़ा चम्मच फिश सौस

1 बड़ा चम्मच हलका सोया सौस

1 बड़ा चम्मच ओयस्टर सौस

1 छोटा चम्मच कौर्नस्टार्च

3 बड़े चम्मच पानी

1 लालमिर्च कटी हुई

1/4 कप धनियापत्ती कटी हुई.

विधि

एक कड़ाही में मध्यम आंच पर तेल गरम करें. गरम तेल में लहसुन डाल कर 5-7 मिनट सुनहरा भूरा होने तक पकाएं. अब इस में प्याज डालें और तब तक पकाएं, जब तक वह ट्रांसपेरैंट न हो जाए. फिर इस में आलू, टोफू और मशरूम अच्छी तरह मिला कर 2 मिनट हलका पकाएं. फिर फिश सौस, सोया सौस, चिली पेस्ट और ओयस्टर सौस को मिश्रण में डालें. कौर्नस्टार्च और पानी को एक छोटे बरतन में तब तक मिलाएं, जब तक कौर्न अच्छी तरह पानी में मिल न जाए. फिर इस में मिश्रण को डालें और तब तक पकाएं, जब तक वह गाढ़ा न हो जाए. फिर इसे सर्विंग डिश में डालें और चिली पेपर और धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

पापड़मटर की टिक्की

सामग्री

5 पापड़

175 ग्राम मटर

100 ग्राम आलू

5 ग्राम किचनकिंग

2 ग्राम कसूरीमेथी

2 ग्राम गरममसाला

2 ग्राम जीरा पाउडर

5 ग्राम कतरा अदरक

5 ग्राम लहसुन

2 हरीमिर्चें

5 ग्राम भुना चना

रिफाइंड तेल जरूरत के अनुसार

थोड़ी सी धनियापत्ती

नमक स्वादानुसार.

विधि

फ्राईपैन में थोड़ा सा तेल डाल कर गरम करें. फिर उस में जीरा पाउडर डाल कर भूनें. फिर मटर व थोड़ा सा नमक डाल कर टौपिंग करें और निकाल कर अलग बाउल में रखें. अब आलुओं को डीप फ्राई कर के अलग निकालें. फिर दोनों को मिला लें. उस के बाद उस में नमक, कसूरीमेथी, किचनकिंग, गरममसाला, जीरा पाउडर, हरीमिर्च कटी, अदरक बारीक कटा, धनियापत्ती और 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर मिला लें. फिर पापड़ फ्राई कर के मिला लें. अब छोटीछोटी टिक्की बना कर डीप फ्राई कर लेने के बाद धनियापत्ती और चाटमसाला से सजा कर अपनी पसंद की चटनी के साथ सर्व करें.

जब जाएं बैंक

आजकल छीनाझपटी, लूटपाट की घटनाएं दिनबदिन बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में अगर आप पैसे निकालने या जमा कराने के लिए बैंक जा रही हैं, तब तो और भी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. निम्न बातों को अमल में ला कर अनचाही किसी घटना को आप रोक सकती हैं:

जहां तक संभव हो, अपने घर के किसी सदस्य के साथ ही बैंक जाएं और रास्ते में अपना ध्यान न बंटने दें.

रुपए जमा करने अथवा निकालने का फार्म घर पर ला कर रखें और घर से ही भर कर ले जाएं. ऐसा करने से बैंक में आप के समय की भी बचत होगी तथा फार्म भरते वक्त ध्यान बंटने पर जमा करने वाले रुपयों को भी किसी के द्वारा लूटने की संभावना नहीं रहेगी.

बैंक जाते वक्त अगर रास्ते में आप का कोई परिचित मिल जाए, तो उसे अपने बैंक जाने के बारे में न बताएं.

अगर आप रुपए जमा करने हेतु लाइन में खड़ी हैं, तो रुपयों वाला पर्स या बैग अच्छी तरह संभाल कर रखें.

अगर कोई अजनबी यह कहे कि वह आप का काम जल्दी करा देगा, तो उस की बातों में न आएं.

बैंक में जहां तक हो सके, मोबाइल पर या किसी अनजान व्यक्ति से बातें न करें. ऐसा करने से दुर्घटना की संभावना बढ़ सकती है.

अगर आप को रुपए निकालने अथवा जमा कराने के साथसाथ लौकर में भी कुछ रखना है, तो पहले लौकर का काम निबटाएं. उस के बाद दूसरा काम करें. इसी तरह अगर आप को लौकर से कुछ निकालना हो जैसे अपने गहने तो उन्हें निकालने के बाद सीधे घर वापस आएं.

अगर आप एटीएम जा रही हैं, तो यथासंभव दिन में ही जाएं, रात में नहीं. दिन में रुपए निकालना आप के लिए अच्छा रहेगा. संभव हो तो घर के किसी सदस्य के साथ ही जाएं.

एटीएम में न किसी को अपना पिन नंबर बताएं और न ही रुपए गिनने के लिए दें.

कलनी की भाकरी और बैगन भरता

भाकरी की सामग्री

1 किलोग्राम जवारी, 1 किलोग्राम उरद दाल, 1 किलोग्राम गेहूं, 1 किलोग्राम बाजरा.

विधि

अनाजों को एक साथ चक्की में पीस लें. इस आटे की जितनी भाकरी बनानी हो उस हिसाब से परात में पानी लें. पानी में नमक डाल कर आटा मिला लें. फिर आटा गूंध लें. इस आटे से भाकरी बेल कर तवे पर सेंक लें. भाकरी तैयार है.

बैगन भरता की सामग्री

1 बड़ा बैगन, बारीक कटी हरे प्याज की पत्ती, भुनी हुई मूंगफली पाउडर, हरीमिर्च, टमाटर, थोड़ा सा ताजा नारियल, धनियापत्ती, नमक, हलदी, चीनी, तेल आवश्यकतानुसार.

विधि

बैगन आंच पर भून लें. ठंडा होने पर उस का छिलका निकाल कर मसल लें. फ्राइंग पैन में तेल डाल कर हींग, जीरा, राई, लहसुन का तड़का दें. उस में मूंगफली का पाउडर और प्याज की पत्ती डाल कर चला लें. बाद में मसला हुआ बैगन, हलदी, नमक, चीनी, नारियल डालें. 2 मिनट भाप आने के लिए ढक्कन रखें. बाद में भाकरी के साथ बैगन भरता सर्व करें.

संभल कर सोनम

लग रहा है इन दिनों वसंत की बयार बौलीवुड ऐक्ट्रैसों को मदहोश कर रही है, तभी तो सभी के कदम लड़खड़ा रहे हैं. पहले अनुष्का के साथ फिल्म ‘एनएच-10’ में एक हादसा हुआ, अब खबर है कि सोनम कपूर बड़जात्या की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ की शूटिंग के दौरान चोटिल हो गईं. राजस्थान में इस फिल्म का गाना फिल्माते समय सोनम गिर पड़ीं तो उन का घुटना घायल हो गया. सोनम ने उस समय राजस्थानी कौस्ट्यूम पहना हुआ था और कठपुतलियों के साथ उन का गाना फिल्माया जा रहा था. हैवी ज्वैलरी और लहंगे का बोझ सोनम संभाल नहीं सकीं और गिर पड़ीं. लेकिन सोनम ने शूटिंग कैंसिल नहीं की.

कब रुकेगा यह सिलसिला

साल 2015 में रोहतक में एक नेपाली मूल की 25 वर्षीय औरत के साथ जिस तरह से बलात्कार हुआ और फिर जिस तरह से उसे मार कर सुनसान खेत में फेंक दिया गया, जहां उस की लाश 3 दिन तक सड़ती रही और पक्षियों व कुत्तों का खाना बनती रही, रोंगटे खड़े करने वाला है. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों का कहना है कि उस के अंग में कोई लंबा डंडा डाला गया था. उस के पिछले अंग में पत्थर था, तो उस के अंग से कई कंडोम भी मिले. शरीर के कई अंग गायब भी थे.

यह औरत अर्धविक्षिप्त थी पर फिर भी अपनेआप चलफिर सकती थी और हलद्वानी इलाज के लिए आई थी. वह रोहतक में घरेलू काम करने वाली अपनी एक बहन से मिलने आई थी. उसे रास्ते में कहीं अगवा कर लिया गया. फिर बेरहमी से उस के साथ दुष्कर्म किया गया. ऐसा घिनौना काम करने वाले मर्द आज के युग में भी मौजूद हैं. जब हर तरफ पुलिस का खौफ हो, यह एक भयावह बात है. एक औरत को देखते ही कईयों की नीयत क्यों खराब होने लगती है? क्यों वे समाज के नियमों का आदर नहीं कर पाते? ऐसे सवाल बारबार उठते हैं. जहां औरत स्वयं निमंत्रण दे वहां की बात दूसरी है, पर जहां अनजानी औरत हो वहां उस की सुरक्षा करने की जगह उस के दुरुपयोग की आखिर कोई कैसे सोच सकता है? यह कहां का पाठ है कि हर औरत एक निरीह जानवर है जिसे जब चाहो जैसे चाहो इस्तेमाल किया जा सकता है.

वैसे इस में धर्मों का बहुत योगदान है, जो सैक्स के मामलों में औरतों को ही गुनहगार मानते हैं. ज्यादातर धर्मों में पुरुषों के अनाचार की पीडि़ता को ही सजा दी जाती है. शायद ही कोई ऐसा धर्म हो, जो पुरुष को दंड देता हो. यह तो आधुनिक कानूनों की देन है कि बलात्कार का मामला बनता है और पुरुष जेल में जाता है. धर्मों की जब तक चलती थी तो ऐसी औरतों को दूषित, कलंकित मान कर घर से निकाल दिया जाता था. आज भी दुनियाभर में कहीं बलात्कार के लिए चर्चित लड़की से हंसीखुशी विवाह होते हों, लगता नहीं है. पुरुष बीसियों के साथ सो लें, वे शुद्ध रहते हैं पर औरत को विवाह की पहली रात अपने अक्षत होने का सुबूत आज भी समाज में देना पड़ता है. तलाकशुदा का विवाह अभी कुछ दशकों में वैध हुआ पर समाज ने बलात्कार की पीडि़ता से विवाह आज भी वैध नहीं किया है. यही बात बलात्कारियों को अतिरिक्त बल देती है, परपीड़न सुख देती है.

निर्भया दीदी

गृहशोभा आप का परिचय कराने जा रही है एक ऐसी बहादुर और सफल महिला से जिन्होंने अपराध और अन्याय की शिकार हो चुकी महिलाओं को जीने का नया रास्ता दिखाया. ये महिला हैं श्रीरूपा मित्रा चौधरी जिन को ‘निर्भया दीदी’ के नाम से भी जाना जाता है. हजारों महिलाएं, जिन को श्रीरूपा की वजह से आजादी हासिल हुई, इन का काफी सम्मान करती हैं और इन के दिखाए रास्ते पर चलती हैं.

लेखक व डाक्यूमेंटरी फिल्म निर्मात्री, टाइम्स औफ इंडिया की भूतपूर्व क्राइम जर्नलिस्ट और समाजसेविका श्रीरूपा मित्रा चौधरी वाकई में एक निडर महिला हैं. अपने पत्रकारिता के कार्यकाल में इन के लेखों में अपराध के शिकार लोगों की दुर्दशा का वर्णन विस्तार से होता था और आज लगभग 10 वर्षों के बाद वे लाखों गांव वालों के बीच निर्भया दीदी बन कर उभरी हैं. पश्चिम बंगाल के गरीबी और अपराध से प्रभावित गांवों में निर्भया दीदी काफी प्रचलित हैं. मालदा से सटे गांवों में इन को लोग अपना रक्षक मानते हैं. अल्पसंख्यक और जनजातियों की महिलाएं और लड़कियां इन से एक बार मिलने को उत्सुक रहती हैं ताकि अपनी समस्याओं का समाधान और न्याय पा सकें. निर्भया दीदी भी प्यार और सेवा की प्रतिमूर्ति हैं. वे सही माने में शांति की दूत हैं. वे रहती तो दिल्ली में हैं पर ज्यादातर समय वे अपने समाजसेवा के कार्यक्षेत्र में ही बिताती हैं. उन का दिल मालदा में ही बसता है क्योंकि इसी जिले में उन्होंने अपना बचपन गुजारा, वह भी प्रतिकूल परिस्थितियों में.

शांतिदूत और पर्यावरण संरक्षक

आज निर्भया दीदी एक नामी समाजसेविका, पर्यावरण संरक्षक और शांति की दूत के रूप में जानी जाती हैं. इन्होंने बंगाल के 3,000 गांवों को गोद ले रखा है और बांग्लादेश सीमा पर बसे लोगों को भयमुक्त वातावरण दिलाने में सहायता कर रही हैं. वे ऐसे गांव वालों के लिए एक हीरो की तरह हैं, जो शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और इस के लिए वर्षों से लड़ रहे हैं. गरीब जनजातियों की महिलाएं, अल्पसंख्यक महिलाएं और दलित समाज की महिलाएं ऐसे लोगों में ज्यादा हैं. निर्भया दीदी को जितना बंगाल के लोग प्यार करते हैं, उतना ही तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और जम्मूकश्मीर के भी.

कश्मीर से कन्याकुमारी तक शांतिप्रिय और शांति दूत के तौर पर निर्भया दीदी को जाना जाता है. लोग उन को ऐसी महिला के रूप में पहचानते हैं, जो गरीबों और समाज से अलग कर दिए गए लोगों के चेहरों पर मुसकान लाती हैं. प्रेम और सेवा की प्रतिमूर्ति निर्भया दीदी शांति और न्याय की अमिट मिसाल हैं. आजकल निर्भया दीदी श्रीरूपा योजना के अंतर्गत शांति का संदेश देने के लिए 1 लाख पेड़ लगवाने के अभियान में व्यस्त हैं. निर्भया दीदी ने ‘निर्भया ग्राम अभियान’ की शुरुआत भारत के सब से पिछड़े इलाके मालदा से की. लोगों को भयमुक्त बनाने के लिए इन्होंने निर्भया स्कूल, निर्भया कालेज की स्थापना की. इस के अलावा विद्यार्थियों का एक बड़ा स्वयंसेवक समूह भी तैयार किया.

निर्भया दीदी की अगुवाई वाला निर्भया ग्राम अभियान गरीबों को सामाजिक और आर्थिक अभाव से मुक्ति दिलाने और मालदा के लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए कटिबद्ध है, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के लिए. अपराध, प्रताड़ना, बलात्कार, ऐसिड अटैक की शिकार महिलाओं को निर्भया दीदी के सान्निध्य में सही सांत्वना मिलती है. महिलाओं के लिए न्याय और सुरक्षा की पैरवी करने वाली निर्भया दीदी ने स्वयं शौचालयों और सड़कों का निर्माण करा कर आम नागरिकों को गांवों के प्रति संवेदनशील होने का संदेश दिया है.

निर्भया की मृत्यु के बाद निर्भया दीदी को महिलाओं से बलात्कार, उन की तस्करी और हिंसा की रोकथाम के लिए भारतीय महिला आयोग के संरक्षण में बनी स्पैशल टास्क फोर्स का अध्यक्ष बनाया गया. अपने सराहनीय कामों के लिए निर्भया दीदी को कई सम्मान मिले हैं. साल 2006 में यूनाइटेड नेशन ने यूनाइटेड नेशन की मानव अधिकारों के दशक की 60वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में निर्भया दीदी के ऊपर एक फोटोग्राफी मोनोग्राफ और एक किताब प्रकाशित की है. निर्भया दीदी के कामों से जुड़ी कई फोटो प्रदर्शनियां इंडिया इंटरनैशनल सैंटर, इंडिया हैबिटेट सैंटर, त्रावणकोर भवन, यू.एन. हैडक्वार्टर और इंडिया टूरिज्म डैवलपमैंट कौरपोरेशन में लग चुकी हैं.

संघर्ष भरा सफर

बचपन में निर्भया दीदी 21 किलोमीटर पैदल चल कर स्कूल पढ़ने जाती थीं. इतना ही नहीं, उन को अपनी जगह व पहचान बनाने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा. उन के सराहनीय कामों के लिए कई पत्रपत्रिकाओं में भी उन को स्थान मिला. जी न्यूज चैनल ने उन को ‘पायनरिंग पर्सनैलिटी अवार्ड’ से सम्मानित किया. निर्भया दीदी ने महिलाओं की सुरक्षा और शांति विषय पर अफगानिस्तान, ताइवान, साउथ कोरिया, अमेरिका और दूसरे देशों में भाषण भी दिया है. खासतौर पर विवादों और विनाश से प्रभावित थाइलैंड और फिलिपिंस में. इन के सब से प्रचलित अभियान हैं: वाक फौर पीस, वाक फौर जस्टिस और वाक अलोन. न जाने कितने गांवों की यात्रा इन्होंने पैदल चल कर पूरी की.

दूसरों के प्रति समर्पण की भावना रखने वाली निर्भया दीदी सच में दूसरों के लिए ही जीती हैं. दिल्ली पुलिस ने निर्भया दीदी को ‘कम्युनिटी लीडरशिप अवार्ड’ प्रदान किया और ‘रेप क्राइसिस इंटरवैंशन सैंटर’ का चीफ कोआर्डिनेटर भी बनाया. वे केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की भी सम्मानित सदस्या हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने इन को साल 2013 में ‘उत्कृष्ट महिला’ का सम्मान दिया है. इन की डाक्यूमेंटरी ‘चेंड चाइल्डहुड इन दि लेन औफ नबी करीम’ दिल्ली में गुलामी से बंधे बच्चों की आजादी का एक सराहनीय प्रयास है. एक पत्रिका ने इन्हें साल 2012 में ‘तेजस्विनी’ की उपाधि दी थी. परित्यक्त, मानसिक रूप से बीमार, आघात की शिकार महिलाओं को उबारने के निर्भया दीदी के सराहनीय काम के ऊपर जी टीवी ने ‘पहल’ नाम की टीवी फिल्म का निर्माण किया है. निर्भया दीदी ने सड़कों और शरणगाहों से महिलाओं को निकाल कर उन के खानेपीने, रहने और जीवन स्तर सुधारने का काम किया है. इन के निडर कामों की चर्चा समाज, पुलिस, न्याय विभाग हर जगह पर है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें