ये करेंगी हाउसफुल-3

जैकलीन की फिल्म ‘रौय’ तो कुछ कमाल दिखा नहीं पाई पर जैकलीन के लुक की तारीफ सब ने की. तभी तो साजिद नाडियाडवाला जैकलीन के साथ ‘हाउसफुल-3’ बनाना चाहते हैं. इस फिल्म में जैकलीन के साथ एमी जैक्सन और ऐली अवराम भी दिखेंगी. जैकलीन अक्षय के साथ होंगी तो एमी अभिषेक के साथ और ऐली रितेश के साथ रोमांस करती नजर आएंगी. अब देखना यह है कि पिछली ‘हाउसफुल’ की तरह यह फिल्म भी थिएटर हाउसफुल कर पाती है या नहीं.

कंगना बनना चाहती हैं औल इन वन

बौलीवुड में अगर किसी के अभिनय में परिपक्वता आई है तो वे हैं कंगना राणावत. उन्होंने अपनी संजीदा अभिनय अदायगी से एक अलग पहचान बनाई है. अभिनय के अलावा कंगना ने स्क्रिप्ट राइटिंग भी सीखी है और आजकल ऐडिटिंग भी सीख रही हैं, जिस का कोर्स वे न्यूयार्क से कर रही हैं. कंगना फिल्म निर्माण से पहले अपनेआप को पूरी तरह तैयार करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने पहले स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स किया था. उन का मानना है कि कलाकार को फिल्म निर्माण के सभी क्षेत्रों से परिचित होना चाहिए.

सनग्लासेज ;स्टाइल भी सुरक्षा भी

सुरभि जब कभी भी धूप में निकलती थी, तेज धूप से उस की आंखों को परेशानी होने लगती थी. उसे समझ में नहीं आ रहा था, क्या करे? घर के लोगों ने उसे सलाह दी कि सनग्लासेज लगा कर धूप में जाया करे. इस से धूप आंखों के सामने बेअसर रहेगी. सुरभि ने चश्मा लगाया तो वह अपनी उम्र से बड़ी नजर आने लगी. उस के साथ काम करने वाले उसे बहनजी कह कर चिढ़ाने लगे. सुरभि की एक सहेली ने उसे राह दिखाई और सनग्लासेज के अच्छे शोरूम में उसे ले कर गई. वहां सुरभि ने अपनी आंखों पर कई तरह के सनग्लासेज लगा कर देखे. उन में से एक बहुत अच्छा लगा. सुरभि ने उसे खरीद लिया. अब जब सनग्लासेज लगा कर सुरभि बाहर निकलती है तो लोग बस देखते ही रह जाते हैं.

कई बार देखा गया है कि आंखों पर लगाए जाने वाले चश्मे खरीदते समय लोग केवल उस के रूप और रंग को ही देखते हैं, जिस से वे खराब किस्म का चश्मा खरीद लेते हैं. इस का खराब प्रभाव आंखों और उस के आसपास की त्वचा पर पड़ता है. खराब चश्मा लगाने से दृष्टि दोष भी पैदा हो जाता है. इसलिए आंखों का चश्मा खरीदने से पहले कुछ बातों को जानना व कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है.

आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव

सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों के रैटिना पर सीधा प्रभाव डालती हैं. धूलमिट्टी, हवा में मौजूद बैक्टीरिया आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. चश्मा आंखों पर कवच के रूप में काम करता है, आंखों को इन सब परेशानियों से दूर रखता है. आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा बहुत ही जरूरी होता है, लेकिन इस का चुनाव बहुत ही सोचसमझ कर करना चाहिए. सस्ते किस्म का लैंस आंखों की सुरक्षा करने में सफल नहीं होता है.

सही किस्म के लैंस का चुनाव

लैंस चश्मे का सब से अहम हिस्सा होता है. सही किस्म के चश्मे का चुनाव करने के लिए लैंस को परखना जरूरी होता है. चश्मे के लैंस को आंखों से आधा फुट की दूरी पर रख कर सामने किसी एक वस्तु को देखें. चश्मे को थोड़ा इधरउधर हिला कर वस्तु को देखें. अगर यह वस्तु सही प्रकार से दिखाई दे तो यह समझना चाहिए कि चश्मे का लैंस सही है, अगर वस्तु का आकार सही तरह से न दिखाई दे तो लैंस को सही नहीं मानना चाहिए. खूबसूरत दिखने के लिए चश्मों का स्टाइलिश होना जरूरी होता है. इस से सामने वाले पर आप के स्टाइल और खूबसूरती का प्रभाव पड़ता है.

धूप से आंखों को बचाने वाले चश्मे कई तरह के फ्रेम और रंग वाले होते हैं. धूप के चश्मे के लिए बहुत गहरे और हलके रंग वाले लैंस सही नहीं माने जाते हैं. अगर लैंस का रंग गहरा है तो बाहर देखने के लिए आंखों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. इसी तरह हलके रंग में तेज रोशनी से आंखों का बचाव सही तरह से नहीं हो पाता है. लैंस के रंग का चुनाव कुछ इस तरह से करना चाहिए, जिस से आंखों का धूप से बचाव हो सके. आंखों को देखने में भी किसी तरह की कोई परेशानी का अनुभव न हो.

कई तरह के रंग छोड़ने वाले लैंस वाले चश्मे का प्रयोग किसी हालत में नहीं करना चाहिए. इसी तरह मरकरी लैंस वाले चश्मे धूप से आंखों का बचाव तो करते हैं पर ये सामने वाले को नुकसान पहुंचा सकते हैं. नुकसानदायक किरणें इन से टकरा कर तेजी से लौटती हैं, जो सामने वाले की आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं. सामने वाले ने अगर चश्मा लगाया है तो उस पर इस तरह का प्रभाव ज्यादा पड़ता है. फोटोक्रोमैटिक लैंस, जो प्रकाश के घटने और बढ़ने के साथसाथ हलके और गहरे रंग के होते हैं, वे आंखों के लिए सही माने जाते हैं. डबलशेड यानी ऊपर से गहरे रंग और नीचे से हलके रंग वाले चश्मे भी सही माने जाते हैं.

फ्रेम भी हो सुविधाजनक

लैंस के साथ ही चश्मे के फे्रम का चुनाव भी बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए. बाजार में सस्ते और महंगे किस्म के फ्रेम मौजूद हैं. इन के रंग और डिजाइन इतने खूबसूरत होते हैं कि सही और गलत का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है. अच्छे किस्म के फ्रेम का पता लगाने के लिए इस को हाथ में ले कर सावधानी से देखना चाहिए. जिन चश्मों की फ्रेमिंग एक तरह की न हो कर ऊंचीनीची होती है, वे आंखों के लिए सही नहीं होते हैं. अच्छे ब्रांड का चश्मा संतुलित होता है. आंखों पर उस की पकड़ भी सही प्रकार की होती है. आंखों को ठीक तरह से ढकने वाले चश्मे ही सही रहते हैं. इस तरह के चश्मे तेज धूप और धूलमिट्टी से आंखों का बचाव करते हैं. धूप के चश्मे की लंबाई भौंहों के किनारे तक होनी चाहिए ताकि आंखों का सही तरह से बचाव हो सके. ज्यादा छोटे या बहुत बड़े किस्म के फ्रेम आंखों के लिए सही नहीं होते हैं. ये आंखों का सही तरह से बचाव नहीं कर पाते हैं.

यदि फैशन के लिए चश्मा पहनना है तो उस का चुनाव भी सही तरह से करना चाहिए. अच्छे ब्रांड के मशहूर डिजाइन वाले चश्मे ही खरीदने चाहिए. ये आंखों की सुरक्षा का खयाल कर के ही बनाए जाते हैं. इन में प्रयोग होने वाले लैंस और फ्रेम की क्वालिटी अच्छी होती है.

नीता लुल्ला : फैशन डिजाइनर

फैशन की दुनिया का आइकोन समझी जाने वाली डिजाइनर नीता लुल्ला की शख्सीयत अनूठी है. वे भारत की पहली ऐसी कौस्ट्यूम डिजाइनर हैं, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति से 4 बार बैस्ट कौस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए नैशनल फिल्म अवार्ड मिला. इतना ही नहीं, उन्हें कई नैशनल और इंटरनैशनल अवार्ड भी फैशन और स्टाइल के लिए मिले. 28 साल से इस क्षेत्र में काम कर रहीं नीता ने हिंदी सिनेमा जगत के कई बड़ेबड़े निर्देशकों के साथ काम कर अपनी अमिट छाप छोड़ी.

उन की खास फिल्में ‘चांदनी’, ‘लम्हे’, ‘खलनायक’, ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, ‘ताल’, ‘किसना’, ‘डर’, ‘आईना’, ‘खुदा गवाह’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘देवदास’, ‘जोधा अकबर’ आदि हैं और हिंदी फिल्म जगत की जिन खास हीरोइनों ने नीता की डिजाइन की पोशाकों से अपनी अलग छवि बनाई, वे हैं श्रीदेवी, ऐश्वर्या राय बच्चन, जूही चावला, करीना कपूर खान, सुष्मिता सेन, शिल्पा शेट्टी, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा आदि. रजनीकांत, शहरुख खान, आमिर खान, रितिक रोशन आदि ने भी नीता की डिजाइन की पोशाकें फिल्मों में पहनी हैं.

नीता ने अपने कैरियर की शुरुआत उस समय की प्रसिद्ध फैशन कोरियोग्राफर जैन नौरोजी के साथ की थी. उन की पहली फिल्म ‘तमाशा’ थी. इस के बाद वे कामयाबी की सीढि़यां चढ़ती गईं. अभी उन्होंने निर्मातानिर्देशक सुभाष घई के साथ मिल कर वर्ल्ड क्लास फैशन स्कूल, व्हिसलिंग वुड खोला है.

इस अभियान से जुड़ने की खास वजह क्या है?

मैं करीब 28 साल से फैशन के बारे में युवाओं को पढ़ाती रही हूं और अब यहां पर उन्हें फैशन की शिक्षा के साथ मार्केटिंग, कारीगरी, नयापन आदि सभी विषयों पर शिक्षा देने का प्रावधान है, जिस से छात्र ढाई साल बाद पूरी तरह से अपनेआप को तैयार पाएंगे. 

जिस समय आप फैशन डिजाइनिंग में आईं, उस समय लोग फैशन में अधिक नहीं आते थे. आप के आने पर आप के परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?

यह बात सही है कि फैशन पौपुलर नहीं था, लेकिन कुछ डिजाइनर्स तब भी फिल्मों में यह काम करते थे. मैं उन के काम से बहुत प्रभावित थी, इसलिए मैं ने इस क्षेत्र को चुना.

तब कितना संघर्ष था?

जब मुझे पहली फिल्म ‘तमाशा’ के लिए ‘किमी काटकर’ की ड्रैस बनाने का औफर मिला, तो मैं बहुत खुश हुई. मैं ने उसे टेलरिंग के हिसाब से बनाया था. लेकिन जब उसे शूट पर ले गई थी, तो किमी काटकर की मां ने कहा था कि पता नहीं कहां से ये डिजाइनर आ जाते हैं जिन्हें ड्रैस बनाने का थोड़ा भी ज्ञान नहीं है. शूट कैंसल हो गया था. यह बात मुझे खराब लगी थी, लेकिन मैं ने पूरी रात मास्टर के साथ बैठ कर उस ड्रैस को ठीक किया था और उस की तकनीक भी सीखी थी. सुबह ड्रैस परफैक्ट बनी थी.

आज फैशन बहुत आगे बढ़ चुका है. ऐसे में आप के सामने चुनौतियां क्या होती हैं?

नई पीढ़ी को फैशन के बारे में समझाना मुश्किल होता है. जो सीखते हैं उन्हें भी पूरी जानकारी नहीं होती. इस में फैशन डिजाइनिंग के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी आगे आना होता है, जिस में मार्केटिंग, नए काम, स्टाइल आदि को जानना आवश्यक है.

फैशन में है कलर्ड ज्वैलरी

कपड़ों के फैशन के साथसाथ गहने भी बदलते रहते हैं. पहले जहां सोने और हीरे के आभूषण अधिक लोकप्रिय थे, वहीं आजकल रंगीन ज्वैलरी का क्रेज है. रंगीन ज्वैलरी पहनना आजकल लग्जरी की बात हो चली है. पहले गहने मूलरूप से भविष्य निधि के तहत आते थे, जिन में पत्थरों का प्रयोग किसी को अच्छा नहीं लगता था. लेकिन आज हर वर्ग रंगीन गहनों का चुनाव अपने आउटफिट के अनुसार करता है. रंगीन गहने व्यक्ति की अलग इमेज स्थापित करने के साथसाथ आकर्षण के भी केंद्र बनते हैं. हार, कंगन, बालियां, पायल, अंगूठी आदि सभी एक रंग या मल्टी कलर के पत्थरों से बनाए जाते हैं, जिन्हें हर कोई अपनी पोशाक के अनुसार पहनता है.

बढ़ रही है मांग

मुंबई के निकिता ज्वैलर्स के तुषार सप्रा कहते हैं कि आजकल कलर्ड ज्वैलरी की मांग तेजी से बढ़ रही है. स्टोन ही नहीं कुंदन, डायमंड में भी कलर आने लगे हैं. हरी, लाल, गुलाबी, नीली आदि कलर की ज्वैलरी को महिलाएं अपनी ड्रैस के अनुसार पहनती हैं. पर्ल व पिंक रंग भी काफी लोकप्रिय है. प्लेन गोल्ड आज कोई नहीं पहनना चाहता. हमारे यहां कलर्ड ज्वैलरी में भी काफी औप्शन हैं. आजकल के गहने लौकर में रखने के लिए नहीं, बल्कि पहनने के लिए होते हैं. इन दिनों मीनाकारी के साथ भी रंगीन पत्थरों का प्रयोग होने लगा है.

ऐसे करें रखरखाव

स्टोन ज्वैलरी काफी नाजुक होती है, इसलिए इस की साफसफाई और रखरखाव के दौरान ये टिप्स जरूर अपनाएं: 

यदि परफ्यूम या अन्य कोई बौडी स्प्रे इस्तेमाल करना है तो स्टोन ज्वैलरी पहनने से पहले ही करें. परफ्यूम के कैमिकल्स स्टोंस को नुकसान पहुंचाते हैं.

स्टोन ज्वैलरी को साफ करने के लिए हलका गरम पानी और सौफ्ट ब्रश इस्तेमाल करें. ज्वैलरी ज्यादा गंदी होने पर सुनार से ही साफ कराएं.

ज्वैलरी पर किसी भी तरह के हाउस क्लीनिंग उत्पाद का इस्तेमाल न करें.

स्टोन ज्वैलरी को किसी अन्य मैटल ज्वैलरी के साथ न रखें. इसे सूती कपड़े में लपेट कर अलग पाउच में रखें.

इस्तेमाल के बाद सूखे और साफ सूती कपड़े से पोंछने के बाद ही ज्वैलरी को पाउच में रखें.

स्टोन ज्वैलरी में यदि गंदगी फंसी हो तो उस निकालने के लिए सूई या दूसरी नुकीली चीज का इस्तेमाल न करें. ऐसा करने से नाजुक स्टोंस पर स्क्रैच आ सकता है. नरम ब्रश को हलके गरम पानी में डिप कर के गंदगी निकालने का प्रयास करें.

रिंगलैट हेयर से पाएं नया लुक

बालों के फैशन में हेयर पर्मिंग, डाइंग या स्ट्रेटनिंग कराना आम बात हो चुकी है. अगर आप इन सब से हट कर बालों को नया लुक देना चाहती हैं तो  रिंगलैट हेयरस्टाइल अपनाएं. यह हेयरस्टाइल आप के व्यक्तित्व में गजब का बदलाव ला सकता है. रिंगलैट्स लड़केलड़कियों दोनों को पसंद आ रहे हैं. जहां लड़के कंधों तक के बालों को हलका रिंग के आकार में करवाना पसंद कर रहे हैं, वहीं लड़कियों को शौर्ट्स व स्कर्ट के साथ यह लुक बहुत भा रहा है. अगर आप रिंगलैट हेयरस्टाइल करवाना चाहती हैं, तो इस में विविधता भी बहुत मिल जाएगी. जैसे, सौफ्ट स्पायरल, हार्ड पर्म, बौटम कर्ल्स, आउट कर्ल पर्म, टैक्स्चर रिंगलैट्स, परमानैंट ब्लो इत्यादि. वैसे इन दिनों चलन के मुताबिक सौफ्ट वेट व वेवी रिंगलैट्स पसंद किए जा रहे हैं.

हेयर विशेषज्ञ के मुताबिक रिंगलैट्स करवाने से आप को सौफ्ट व क्यूट लुक मिलता है और इस से आप के व्यक्तित्व में भी काफी बदलाव आ जाता है. किसी पार्टी या समारोह के लिए भी आप रिंगलैट्स ट्राई कर सकती हैं, क्योंकि ये गाउन, साड़ी या लहंगे के साथ बहुत जचते हैं.

रिंगलैट्स रोलर

रिंगलैट्स रोलर में फिश फार्म व चौपस्टिक रोलर का इस्तेमाल किया जाता है. इस में रोलर के डिजाइन पर निर्भर होता है कि बालों के कर्ल किस शेप में आएंगे. रिंगलैट्स करवाने से पहले इस के टैक्स्चर के बारे में जानना बहुत जरूरी है. इस में कई तरह के टैक्स्चर होते हैं. जैसे, क्रिंपिंग, स्पायरल व सौफ्ट लुक वाले रिंगलैट्स. बालों में रिंगलैट्स रोलर के टैक्स्चर के मुताबिक ही बनते हैं, इसलिए रोलर की चौड़ाई व मोटाई बहुत माने रखती है.

हेयरस्टाइल में रिंगलैट्स

आप स्टैप कट, यू कट व लेयर कट वगैरह हेयरस्टाइल में भी रिंगलैट्स बनवा सकती हैं. रिंगलैट्स बनवाने के लिए बालों की लंबाई मीडियम या लौंग होनी चाहिए, क्योंकि रिंगलैट्स से बालों की लंबाई आधी हो जाती है.

लड़कों के लिए रिंगलैट्स

लड़के रिंगलैट्स स्ट्रेट कट व स्पाइक कट में बनवा सकते हैं. यदि चेहरा पतला हो तो पीछे के बालों में रिंगलैट्स अच्छे लगते हैं और चेहरा भारी है, तो हलके रिंगलैट्स बनवाने चाहिए. वैसे लड़के ज्यादातर पिन रिंगलैट्स बनवाना पसंद करते हैं. इस में बालों की शेप नूडल्स की तरह होती है.

खर्चा व समय

स्थाई व अस्थाई 2 तरह के रिंगलैट्स मोड बनवाए जा सकते हैं. अस्थाई रिंगलैट्स में 1 घंटा समय लगता है और 500 से 1,000 तक खर्च आता है. यदि आप स्थाई रिंगलैट्स करवाते हैं तो उस में 3-4 घंटे लगते हैं और खर्चा क्व1,500 से ले कर क्व5,000 तक आता है.

रिंगलैट्स हेयर की देखभाल

रिंगलैट्स करवाने के बाद बालों में समयसमय पर कंघी करते रहना चाहिए. रिंगलैट्स करवाते समय बालों पर रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जिस से बाल शुष्क हो जाते हैं. इसलिए बालों की कंडीशनिंग पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है.

सावजी मटनकोंकणी स्वाद…

वडे की सामग्री

1 किलोग्राम जाडा चावल, 500 ग्राम जवारी, 1 कप उरद की दाल, 1/4 कप साबूत धनिया, 1 चम्मच मेथीदाना, 1 चम्मच कालीमिर्च.

विधि

चावल धो कर सुखा लें. चावल, जवारी, उरद की दाल, धनिया, मेथीदाना सब मिला कर चक्की से आटे जैसा पीस लें. वडे बनाते समय इस आटे में से 4-5 कप आटा ले कर उस में 1/2 चम्मच कालीमिर्च पाउडर व स्वादानुसार नमक डालें. गरम पानी में यह आटा भिगोएं. फिर यह आटा डब्बे में रख कर इस के बीचोबीच एक कप रखें. कोयला गरम कर के इस प्याले में डालें, उस पर चम्मच से तेल छोड़ें और जल्दी से डब्बे का ढक्कन बंद करें. 2 घंटे बाद प्लास्टिक थैली के ऊपर गोल वडा बनाएं और तेल में डीप फ्राई करें.

मुर्गी मसाले की सामग्री

2 किलोग्राम चिकन, 4 चम्मच तिल, 1/2 चम्मच जीरा, 2 प्याज, 1/2 कसा हुआ सूखा नारियल, 4-5 चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1 चम्मच तैयार मालवणी मसाला, 1 चम्मच गरममसाला, 8-10 लहसुन की कलियां, 1 कप तेल, 1 कप कसा हुआ ताजा नारियल, 2 इंच अदरक, हलदी व नमक स्वादानुसार.

विधि

प्याज, सूखा नारियल आंच पर भून लें. तिल, अदरक, लहसुन, धनिया, प्याज, सूखा नारियल व ताजा नारियल सब एकसाथ मिला कर मिक्सर में पीस लें. एक कड़ाही में तेल गरम करने के लिए रखें. फिर उस में पिसा हुआ मसाला अच्छी तरह भूनें. उस के बाद मिर्च पाउडर, गरममसाला, मालवणी मसाला, हलदी पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर चिकन के टुकडे़ डाल कर आवश्यकतानुसार गरम पानी डालें और चिकन गलने तक पकाएं. स्वादानुसार नमक डालें, ऊपर से धनियापत्ती डालें. ग्रेवी ज्यादा चाहिए हो तो पानी उसी के अनुसार डालें.

बौलीवुड बालाओं का हेयरस्टाइल

अक्षरा: अगर आज किसी का सब से हौट हेयरस्टाइल है तो वह है अक्षरा हासन का, जिसे पिक्सी शौर्ट हेयरस्टाइल कहते हैं. अपनी पहली ही फिल्म में अक्षरा ने करीब 12 तरह के हेयरस्टाइल को आजमा कर इस को अपनाया है. यह इंटरनैशनल स्टाइल है. हौलीवुड में जेनिफर लोपेज और किआरा नाइटले इस स्टाइल को आजमा चुकी हैं.

सोनाक्षी: अपनी फिल्म ‘तेवर’ के बाद सोनाक्षी ने भी अपने लंबे बालों को अलविदा कह कर शोल्डर लैंथ हेयरकट अपनाया है.

प्रियंका: प्रियंका ने पिछले दिनों ट्विटर पर अपने छोटे बालों वाली पिक्चर पोस्ट की है, जिस में उन्होंने  शोल्डर कट हेयरस्टाइल अपनाया है.

अनुष्का: इन ऐक्ट्रैस के अलावा अनुष्का ने फिल्म ‘पीके’ में शौर्ट हेयरस्टाइल किया हुआ है. कुल मिला कर इस बार बौलीवुड में शौर्ट हेयरस्टाइल का फैशन हौट है.

मुझे यह सब पसंद नहीं

पिछले दिनों ‘एआईबी नौकआउट’ शो की वजह से रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर और करण जौहर की खूब किरकिरी हुई. इस शो के लिए बौलीवुड के सभी सितारों के अलगअलग विचार थे. आमिर खान और नाना पाटेकर ने अर्जुन, रणवीर को शो में भाग लेने के लिए अच्छी लताड़ लगाई, तो महेश भट्ट ने इस शो का समर्थन किया. लेकिन बेबो ने इस शो से खुद को दूर रख कर समझदारी दिखाई. उन्होंने इस शो के बारे में कहा कि मेरा इस से लगाव नहीं है, न ही मुझे इस का वीडियो देखना है क्योंकि मैं समझती हूं कि इस शो के अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं, जो भारत के लिए माने रखती हैं. चैरिटी के लिए हुए इस शो के बारे में चर्चाएं इस का वीडियो सोशल साइट पर आने के बाद हुईं. इस शो में वीडियो में रणवीर और अर्जुन के साथ करण जौहर बड़ी बेबाकी से गालियां देते, भद्दी और फूहड़ बातें कहते हुए नजर आए. दर्शकों में दीपिका, सोनाक्षी, आलिया के साथ कई फिल्मी हस्तियां ठहाके लगाती दिखीं.

गुणों की खान पाम औयल

खाना पकाने के लिए आज पाम औयल तेजी से अपनी पैठ बनाता जा रहा है. यह न सिर्फ कौलेस्ट्रौल फ्री है बल्कि हमारे शरीर को ऊर्जा भी देता है. हम भारतीयों के लिए तो यह और भी बेहतर विकल्प है, क्योंकि हमारे यहां के भोजन में तेल का बहुलता से प्रयोग होता है. आज चूंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने खानपान को ले कर अधिक सजग हो गया है, ऐसे में किसी के भी मन को वही वस्तु लुभा सकती है, जो स्वास्थ्य के नजरिए से अधिक से अधिक लाभकारी विकल्प हो और पाम औयल इस कसौटी पर खरा उतरता है. प्रचुर मात्रा में व आसानी से उपलब्ध होने वाला पाम औयल सही माने में किसी भी आहार को संतुलित आहार बनाता है. आप को यह जान कर हैरानी होगी कि बाजार में कई चीजें, जो आप खाते हैं, पाम औयल से बनी होती हैं. जैसे, बेक्ड वस्तुएं, इंस्टैंट नूडल्स, बेबी फारमूला, केक मिक्स, ब्रेकफास्ट बार, पोटैटो चिप्स और ऐसे ही अन्य स्नैक्स. कुछ रेस्तरांओं में मिलने वाली फ्रैंच फ्राइस में भी पाम औयल का प्रयोग किया जाता है.

पूरे विश्व में मलेशिया पाम औयल का सब से बड़ा उत्पादक है. इस का उत्पादन 5,000 वर्ष पूर्व मिस्र में शुरू हो चुका था. आज यह 100 से अधिक देशों में अपनी अच्छी जगह बना चुका है विश्व के कुछ देशों में तो इसे बिना साफ किए (अनरिफाइंड) ही प्रयोग किया जाता है. यह व्यंजनों में सुनहरा लाल रंग और अनूठा स्वाद देता है.

पाम औयल के फायदे

यह ट्रांस फैट से मुक्त होता है.

पेस्ट्री, कुकीज, क्रैकर्स और लंबे समय तक स्टोर कर के रखे जाने वाले अन्य खाद्यपदार्थों के लिए आवश्यक ‘हार्ड या सौलिड’ फैट, इस में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होता है. बाकी खाद्य तेलों को इस के लिए विशेष प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

यह ऐंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर होता है.

इस में मौजूद टोकोट्राइनौल्स विटामिन ई का महत्त्वपूर्ण स्रोत है. यह कैंसर, ब्लड डिसऔर्डर आदि से तो बचाव तो करता ही है, त्वचा व प्रजनन हेतु भी अच्छा है.

पाम औयल में मौजूद बीटा केरोटिन के कारण इस का रंग लाल होता है. यह विटामिन ए का महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो अल्जाइमर, हृदय रोग, मोतियाबिंद, आर्थराइटिस और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से हमारी रक्षा करता है.

पाम औयल में एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) प्रचुर मात्रा में होता है. यह ‘गुड फैट’ की श्रेणी में आता है, जो कौलेस्ट्रौल बढ़ने से रोकता है.

स्वाद व सुगंध रहित होने के कारण यह बेकिंग के लिए सर्वथा उपयुक्त है.

यह अन्य सैचुरेटेड तेल, जैसे नारियल तेल से ज्यादा स्वास्थ्यप्रद तेल है, जो हृदय रोगों से रक्षा करता है.

कई प्रकार के पोषक तत्त्वों से भरपूर पाम औयल में हमारे शरीर के लिए आवश्यक कई प्रकार के फैटी ऐसिड्स का मिश्रण भी होता है.

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