छोटी छोटी बचत में बड़ी बड़ी खुशियां

एक दिन सीमा की बेटी कविता की तबीयत अचानक खराब हो गई. उस दिन रविवार था. बैंक बंद थे और एटीएम घर से बहुत दूर थे. घर में 6-7 सौ रुपए ही थे. सीमा के पति विवेक के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. उन्होंने कहा कि किसी से पैसा उधार लेना होगा. पता नहीं कोई देगा या नहीं. पति को बेचैन देख कर सीमा ने कहा कि मेरे पास कुछ रुपए हैं, उन से काम चल जाएगा. विवेक ने हैरानी से उस की ओर देख कर कहा कि तुम्हारे पास पैसे कहां से आए? जितने रुपए देता हूं वे तो खर्च ही हो जाते हैं? तब सीमा ने बताया कि वह हर महीने उन के दिए पैसों से कुछ बचा कर रख लेती थी. विवेक ने उसे गले से लगा लिया और कहा कि तुम ने तो मुझे किसी के सामने हाथ फैलाने से बचा लिया. इसी तरह प्रियंका बताती हैं कि एक रात उस की सास की तबीयत अचानक खराब हो गई. पति बाहर गए हुए थे. वे उसे कुछ रुपए दे कर गए थे, पर उतने कम रुपयों से सास का इलाज मुमकिन नहीं था. पड़ोसी एंबुलैंस मंगा कर सास को अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे. प्रियंका ने अपनी अलमारी खोली और अपने बचत किए गए पैसों को जोड़ा तो करीब 10 हजार रुपए निकल आए. तब जा कर उस की जान में जान आई. सासूमां को सही समय पर अस्पताल ले जाया गया और बेहतर इलाज कराया गया. 3 दिन के बाद प्रियंका के पति लौटे तो छूटते ही उन्होंने पूछा कि इतने रुपए कहां से आए? किसी से कर्ज लिया क्या? जब प्रियंका ने उन्हें सारा माजरा बताया तो बीवी की बचत करने की आदत पर फख्र से उन का सीना चौड़ा हो गया.

छोटी बचत बड़ा समाधान

इस तरह के वाकेआ यही सीख देते हैं कि छोटीछोटी बचत बूंदबूंद से सागर भरने की तरह ही है, जो ऐन मौके पर आई किसी परेशानी से बचाने में मददगार साबित होती है. आईसीआईसीआई बैंक के सीनियर अफसर संजीव दयाल कहते हैं कि छोटी बचत से बड़ी परेशानी से निबटा जा सकता है. हमारे आसपास इस के कई उदाहरण मिल जाते हैं. पुराने जमाने में गुल्लक का इस्तेमाल इसी के लिए किया जाता था. हमें अपने बच्चों में भी बचत करने की आदत डालनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि उन्हें जो भी जेबखर्च मिलता है, उस का 5-10% गुल्लक में डालने की आदत डालें. ज्यादातर पत्नियां पति से छिपा कर कुछ बचत करती रहती हैं और कठिन हालातों में उस रकम से अपने पति की मदद करती हैं. अनुपमा के किस्से से हरेक औरत सीख ले सकती है. अनुपमा बताती हैं कि शादी के बाद वह पति के साथ हनीमून मनाने नेपाल गई थी. वीरगंज, काठमांडू और पोखरा में घूमते हुए 7 दिन बीत गए. दोनों ने खूब मौजमस्ती की. बढि़या होटलों में ठहरे और जम कर शौपिंग की. वापसी के 1 दिन पहले अनुपमा ने पति को कुछ परेशान देखा. परेशानी की वजह पूछी तो पति ने कहा कि उन के सारे पैसे खर्च हो चुके हैं. होटल का बिल चुकाने और गाड़ी का भाड़ा तो हो जाएगा, फिर भी घर से इतनी दूर हैं, तो कुछ रुपए तो हाथ में होने चाहिए.

पति की परेशानी देख अनुपमा ने अपने पर्स से 7 हजार रुपए निकाल कर उन के हाथ में रख दिए. अनुपमा बताती है कि पति के दिल खोल कर खर्च करने के तरीके को देखते हुए उस ने शौपिंग के दौरान ही कुछ पैसे चुपके से बचा लिए थे.

नामुमकिन नहीं बचत करना

पारिवारिक खर्चों के बढ़ते बोझ का हवाला देते हुए कई औरतें यह तर्क देती हैं कि बचत करना मुमकिन ही नहीं है. जब घर का खर्च ही ठीक से नहीं चलता है, तो ऐसे में बचत की बात करना ही बेकार है. किराने का सामान, दूध, गैस, बच्चों के स्कूल की फीस, मकान का किराया आदि के बाद हाथ में कुछ बचता ही नहीं है. ऐसी सोच वाले लोगों के लिए एक बड़ी कंपनी के फाइनैंस मैनेजर रजनीश कहते हैं कि बचत करने की आदत और सोच से ही बचत की जा सकती है. हर महीने के तयशुदा खर्चे के बाद एक मिडिल क्लास फैमिली के हाथ में सच में कुछ नहीं बचता है, पर रोज 10-20 या हर महीने 500-1,000 रुपए तक की बचत की ही जा सकती है. कई औरतें तमाम खर्चों के बाद भी कुछ न कुछ बचत कर ही लेती हैं. खर्च का कोई अंत नहीं है और हर महीने कुछ न कुछ नया खर्च सामने आ खड़ा होता है. इस के बाद भी बचत करने की सोच हो तो कुछ न कुछ बचत की ही जा सकती है, जो मौकेबेमौके काम दे ही जाती है.

हर औरत को कुछ न कुछ बचत करने की आदत डालनी ही चाहिए. औरत को ही क्यों मर्द और बच्चों को भी बचत की आदत बना लेनी चाहिए. इस से अचानक आई माली परेशानी से बचा जा सकता है

अंडे खाने से पहले जान लें ये फायदे और नुकसान

एक अंडे में प्रोटीन, कैल्शियम व ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है. ‘संडे हो या मंडे रोज खाए अंडे’ ये लाईन आपको जरूर याद होंगी. अंडा ताकत बढ़ाने का अच्छा स्रोत माना जाता है. वो सभी पोषक तत्व जो अंडे में होते हैं, वे सभी हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी होते हैं.

प्रोटीन से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और ओमेगा 3 फैटी एसिड से, शरीर में कोलेस्ट्राल का निर्माण होता है. इसके अलावा कैल्शियम से दांत व हड्डियां मजबूत होती हैं. अगर आप अपने वजन को लेकर चिंता में हैं तो हम आपको ये बात बता देना चाहते हैं कि हमेशा वजन बढ़ने को लेकर चिंतित रहने वाले लोगों को अंडे खाना चाहिए क्येंकि इसमें जरा भी फैट नहीं होता है.

कई लोग अंडा खाने की सलाह देते हैं तो कई लोग अंडे से परहेज रखने के लिए कहते हैं. इसके कारण तो अनेक हैं. हम आपको बताते हैं कि अंडा खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं और क्यों कुछ लोग अंडा न खाने की सलाह देते हैं.

क्या हैं नुकसान अंडे खाने से

1. किसी अच्छी दुकान से ही अंडे खरीदने चाहिए, क्योंकि खाने संबंधी कई रोग साफ सफाई की कमी की वजह से आसानी से हो जाते हैं.
2. अंडे को उबालकर या पकाकर ही खाना चाहिए. हमेशा कच्चा अंडा खाने से बचना चाहिए. इसके अलावा अधपक्के अंडे से साल्मोनेला का खतरा भी रहता है, जिससे फूड प्वांजनिंग हो सकती है. अंडे को ठीक से नहीं पकाने के कारण सूजन, उल्टी व पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं.
3. अंडे का सेवन ज्यादा करने से आपको कैंसर हो जाने का डर रहता है. कई हैल्थ एक्सपर्टस के मुताबिक हफ्ते में तीन से ज्यादा अंडे खाने से प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा कई फीसदी तक बढ़ जाता है.
4. जिन लोगों को पहले ही हाई ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज़ या फिर हृदय संबंधी रोगों की शिकायत है, उन्हें अंडे का पीला वाला हिस्सा हरगिज नहीं खाना चाहिए. अंडे के इस भाग में बहुत ज्यादा मात्रा में कोलोस्ट्रोल होता है, जो हृदय के लिए नुकसानदेह होता है.
5. अधिक अंडे खाने से लकवा, पैरों में दर्द और मोटापे की समस्या भी हो सकती है.

अंडे खाने के फायदे
1. अंडा खाने से आपकी बॉडी हमेशा एक्टिव और ताकतवर बना रहता है. अंडा खाने से शरीर को जरूरी अमीनो एसिड मिलता है, जो आपके शरीर के आपका स्टैमिना को बढ़ाने में मदद करता है.
2. बालों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक विटामिन ए अंडे में पाया जाता है, जो आपके  बालों को मजबूत बनाने के साथ साथ, आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है.
3. इसके अलावा अंडे में फोलिक एसिड व विटामिन बी 12 भी पाया जाता है. यह महिलाओं को स्तन कैंसर से बचाता है. अंडे में मिलने वाला विटामिन बी 12 आपके दिमाग को अधिक तेज़ बनाने का काम औऱ साथ ही आपकी याददाश्त या स्मरण शक्ति को बढ़ाने का भी काम करता है.
4. जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें अपने खाने में अंडे को जरूर शामिल करना चाहिए यह भ्रूण के विकसित में मदद करता है.

5. आपको बता दें कि अंडे का सफेद वाला हिस्सा, जिसे अंडे की जर्दी कहते हैं, उसमें विटामिन डी होता है, जोकि हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानि कि इम्युनिटी को भी बढ़ाता है.

कोई भी चीज़ अगर सही मात्रा में खायी गई, तो वह नुकसानदेह नहीं होती है. ज्यादा मात्रा में खा लेने से वही चीज़ आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है. अच्छा होगा कि आप जो भी खाएं एक सही मात्रा में खाए. कोई भी चीज ना ज्यादा खाऐं और ना ही कम खाऐं.

कुछ तो लोग कहेंगे: क्यों अलग हुए अतुल और दिव्या

romantic story in hindi

समाज पहले लड़कों को सुधारे

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा असल में ‘बेटी बचाओ पढ़ाओं’ से होते हुए ‘बेटी बचाओ, बेटी रौंदो’ तक पहुंचा हुआ है. वैसे तो सदियों से औरतों को पकड़ कर जबरदस्ती रेप किया जाता रहा है और हर राज्य यही कहता रहा है कि दूसरे देश में हमला करने पर पैसा तो मिलेगा, औरतें भी मिलेंगी और तभी सैनिक जान का जोखिम लेने वाले मिलते थे पर एजूकेटड, लाअवाइडिग, पुलिस सेना से भरे देश में आसानी से लड़कियों का बलात्कार हो और कुछ न हो, यह बेहद अफसोस की बात है.

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर जिला में 5 अक्तूबर को एक 15 साला लड़क़ी ने सूसाइड कर लिया क्योंकि 2 दिन तक उसे रेप करने के बाद जब छोड़ा गया तो पुलिस शिकायत के बावजूद सिवाए मेडिकल एक्जामिनेशन के कुछ नहीं हुआ. नारा तो ‘बेटी बचाओ, बेटी रेप कराओ, बेटी मरने दो’ बन गया है.

रेप के बाद लड़कियां कितनी तड़पती हैं, यह सुप्रीम कोर्ट के एक हाल के जजमेंट से भी जाहिर है जिस में सुप्रीम कोर्ट ने संसद के कानून को सुधारते हुए कहा कि हर रेप की शिकार लडक़ी का औरत को 24 सप्ताह तक का गर्भ गिराने का मौलिक हक है और इस में मैरिड औरत भी शामिल है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, यही यह बताने के लिए काफी है कि देश में रेप आज भी सीरियस है और तमाम एजूकेशन के बाद लड़कियों को खुद को बंद कर रखना पड़ता है क्योंकि कब न जाने कौन उन के बदन का ही नहीं उन के जीने के हदों, उन की खुशियों का रेप कर जाए.

रेप के बहुत कम मामले सामने आते है क्योंकि रेप विक्टिम आमतौर पर चुप दर्द सहती रहती हैं, वे जानती है कि देश, समाज, घरपरिवार उन्हें रेप के लिए विक्टिम नहीं एक्यूज्ड मानेगा. ‘तुम बाहर गई क्यों’, ‘तुम लड़ी क्यों नहीं’, ‘तुम ने ऐसे दोस्त क्यों बनाए’, ‘तुम्हारी गलती जरूर होगी’, ‘तुम अपनी मर्जी से गई होगी और अब रेप का बहाना बना रही’, जैसे जुमले हर विक्टिम को सुनने को मिलेंगे.

पुलिस भी रेप के मामलों में कम काम करती है क्योंकि वह जानत है कि बहुत सारी शिकायत करने वालियां बाद में लंबी अदालती काररवाई से घबरा कर मामला बंद कराने के लिए शिकायत पलट देंगी. फिर पुलिस क्यों न मामला ठंडा होने दे. हां, पुलिस को रेपिस्ट से बहुत कुछ मिल ही जाता है.

रेप कानून का जितना मामला, उस से बढ़ कर समाज का है. लडक़े जबरदस्ती न करें यह उन्हें सिखाना होगा. यही लडक़े हर दुबलेपतले लडक़े का पर्स नहीं छीनते. रेप करने वालों को बचपन से सिखा दिया जाता है कि लड़कियां मजे लेने के लिए होती हैं. पौर्न लिटरेचर में यह भरा होता है.

रेप के बाद सूसाइड बहुत मामलों में विक्टिम के लिए ठीक होता है पर यह सूसाइड सारे घरवालों के मुंह पर कालिख पोत जाता है, यह विक्टिम समझ नहीं पातीं.

मीठे में बनाएं बेसन का हलवा

फेस्टिव सीजन में अगर आप हलवे की नई रेसिपी ट्राय करना चाहती हैं तो बेसन के हलवे की नई रेसिपी बनाएं.

सामग्री

एक चम्मच घी,

एक कप फ्रेश मलाई,

एक कप बेसन,

दो कप पानी,

एक कप चीनी

विधि

एक कड़ाही लें. इसमें घी और मलाई डाल लें, फिर इसे पांच से छह बार उबाल लें. अब इसमें बेसन डाल लें. जब तक इसका कलर ब्राउन न हो जाए, तब तक इसे भूनते रहें. एक अलग बरतन में चीनी और पानी को पकने रखें.

जब तक चीनी इसमें घुल न जाए, तब तक इसे आंच पर रखकर चलाते रहें. अब इस पके हुए सिरप को बेसन में डालें और अच्छी तरह से मिलाएं. फाइनली इसे ड्राई फ्रूट्स से सजाएं. गरमा-गरम बेसन का हलवा सर्व करने के लिए तैयार है. हां, अगर आप इसे कम फैटी बनाना चाहती हों, तो घी न डालें. क्योंकि मलाई से ऑयल निकलेगा ही.

Oscar के लिए नॉमिनेट हुए ‘छेल्लो शो’ के चाइल्ड एक्टर का 10 साल की उम्र में निधन

इन दिनों टीवी और फिल्म इंडस्ट्री से बुरी खबरें सुनने को मिल रही हैं. जहां हाल ही में कौमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन हुआ था तो वहीं अब एक चाइल्ड एक्टर के निधन की खबरें सोशलमीडिया पर छा गई हैं. दरअसल, गुजराती फिल्म ‘छेल्लो शो (Chhello Show)’ के चाइल्ड एक्टर राहुल कोली (Rahul Koli) का निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

कैंसर से हुआ निधन

खबरों की मानें तो काफी लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे चाइल्ड एक्टर राहुल कोली का 10 साल की छोटी उम्र में निधन हो गया है. वहीं एक्टर के पिता ने बताया है कि ल्यूकेमिया से जूझ रहे एक्टर को 2 अक्टूबर के बाद से बार-बार बुखार आ रहा था और वह तीन बार खून की उल्टी भी कर चुके थे, जिसके बाद उनका अहमदाबाद में देहांत हो गया.

ऑस्कर 2023 के लिए नॉमिनेट हुई फिल्म

चाइल्ड एक्टर राहुल कोली की जल्द ही फिल्म ‘छेल्लो शो’ 14 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है,  जिससे पहले ही वह दुनिया को छोड़कर चले गए. वहीं बेटे की मौत का दर्द जाहिर करते हुए उनके पिता ने कहा, “हमारा परिवार तबाह हो गया है, लेकिन हम उसकी फिल्म ‘छेल्लो शो’ 14 अक्टूबर को साथ देखेंगे.” वहीं फिल्म की बात करें तो एक्टर राहुल कोली की फिल्म छेल्लो शो साल 2023 के ऑस्कर नॉमिनेशन के लिए चुनी गई है, जिसमें वह लीड रोल में नजर आएंगे.

बता दें कि राहुल कोली की फिल्म को हाल ही में स्क्रीनिंग पर स्टैंडिंग ओवेशन मिला था. वहीं फैमिली की बात करें तो एक्टर के तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं और उनके पिता एक ऑटो रिक्शा चलाते हैं. वहीं एक्टिंग की बात करें तो फैंस एक्टर की तारीफ करते दिख रहे हैं.

Anupama को छोड़ शाह फैमिली के साथ मस्ती करता दिखा अनुज, देखें वीडियो

सीरियल अनुपमा (Anupama) में एक बार फिर फैमिली ड्रामा के बाद मस्ती का माहौल देखने को मिलने वाला है. दरअसल, जहां राखी दवे के बर्थडे पर शाह और कपाड़िया फैमिली की वूमन्स पिकनिक पर जाएंगी तो वहीं बीवी के जाने के बाद अनुज और वनराज मस्ती करते हुए दिखेंगे, जिसकी वीडियो इन दिनों सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है. (Anupama BTS Video) आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

वनराज-अनुज की शुरु हुई मस्ती

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sudhanshu Pandey (@sudanshu_pandey)

हाल ही में सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अनुज-और वनराज मिलकर समर, अंकुश, बापूजी और मामाजी के साथ डांस करते दिख रहे हैं. दरअसल, वीडियो में अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड की शूटिंग की झलक देखने को मिल रही है, जिसमें शाह और कपाड़िया फैमिली के मर्द रेलगाड़ी बनाकर पंजाबी गाने पर ठुमके लगाते हुए नजर आ रहे हैं. एक्टर्स का ये #bts वीडियो फैंस को काफी पसंद आ रहा है और वह जमकर सोशलमीडिया पर वीडियो को वायरल और कमेंट करते दिख रहे हैं.

मस्ती पर लगेगा भंग

 

View this post on Instagram

 

A post shared by MaAn (@maann.obsesed)


एक तरफ जहां तोषू के अफेयर ड्रामा खत्म होता हुआ शो में दिख रहा है तो वहीं शाह और कपाड़िया फैमिली जश्न के माहौल में नजर आ रही है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में ये खुशियां एक बार फिर बिखरने वाली है. दरअसल, पाखी के सिर पर एक बार फिर अधिक के प्यार का भूत चढ़ने वाला है. अपकमिंग एपिसोड में पाखी पढ़ाई के बहाने एक होटल रुम से अधिक के साथ बाहर निकलेगी. जहां पर बा और पूरी फैमिली दोनों को देख लेगी. वहीं पाखी एक बार फिर अपनी मां को खरी खोटी सुनाएगी.

बता दें, सीरियल अनुपमा में इन दिनों नई एंट्री की खबरें हैं. दरअसल, कहा जा रहा है शो में हैंडसम हंक जैन इमाम की एंट्री होने वाली है. हालांकि इस खबर को लेकर अभी कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है और न ही मेकर्स  ने कोई औफिशियन बयान जारी किया है.

दूध के दांत- भाग 3: क्या सही साबित हुई रोहित की तरकीब

‘‘चलिए, अमितजी, आज हम लोग आप का बर्थ डे सैलिबे्रट करेंगे,’’ यह कह कर एक बड़ा सा गिफ्ट पैक उन्होंने पापा को थमा दिया. साथ में एक छोटा सा उपहार और भी दिया.

पापा ने अपना उपहार खोल कर देखा तो वह नोकिया का सुंदर फोन था जिसे खरीदने की बात वे कई दिन से सोच रहे थे. शायद बातोंबातों में कभी रीता आंटी से कह दिया होगा. तभी तो उन्हें उसे लाने का मौका मिल गया.

पापा ने रीता आंटी को जन्मदिन उपहार के लिए धन्यवाद दिया तो आंटी ने कहा, ‘‘चलिए, आज हमारी शाम अशोक होटल में बुक है.’’

‘‘नहीं, मुझे तो कहीं और जाना है,’’ कह कर पापा ने टालना चाहा लेकिन आखिर उन्हें आंटी की बात माननी पड़ी.

‘‘चलो बेटा, तैयार हो जाओ, घूमने चलना है. पहले तुम्हारी पसंद का जू देखने चल रहे हैं. फिर आज का खाना बाहर खाएंगे,’’ फिर चिल्ला कर बोलीं, ‘‘रामू, आज कुछ नहीं बनेगा.’’

रोहित ने पहले तो साफ मना करना चाहा फिर ध्यान आया कि साथ न जाने से तो बड़ी गलती होगी. वह मां को उन की सारी बातें कैसे बता पाएगा. वह फौरन तैयार हो गया.

गाड़ी में रास्ते भर उस के पापा व डा. रीता आंटी उस की मां की कमियों पर ही बातें करते रहे. पापा कहते रहे, ‘‘मेरी पत्नी शोभा पढ़ीलिखी तो है पर बस घर में बैठी रहती है. किसी बात का उसे कोई शौक ही नहीं है और अपनी तरह रोहित को भी बना रही है. कहता भी हूं कि कभी बाहर निकल कर दुनिया देखो तो कितनी बड़ी है पर बस, कूपमंडूक ही बनी रहती है. रोहित 9 साल का हो गया लेकिन उस के बिना अपना एक काम नहीं कर सकता. ज्यादा कुछ कहो तो मुंह बना कर बैठ जाती है.’’

अमित की ओर देख कर रीता आंटी ने कहा, ‘‘रियली, दिस इज ए ग्रेट प्रौब्लम फौर यू. आप का एक ही बेटा है, उसे भी यों ही अपने जैसा बुद्धू बना कर छोड़ना चाहती हैं. कैसे सहन कर पा रहे हैं शोभा को आप?’’ फिर पीछे पलट कर रोहित को प्यार से बोलीं, ‘‘ओ, माई डियर. कब टूटेंगे तुम्हारे दूध के दांत?’’ रोहित कुछ न बोल पाया.

‘‘अब आप चिंता न करें अमितजी, रोहित की जिम्मेदारी मैं लेती हूं. सारे एटीकेट व मैनर्स मैं सिखा दूंगी,’’ रीता ने कहा.

रोहित को खुश रखने का प्रयास दोनों मिल कर करते रहे. कभी आइसक्रीम खिलाते, कभी जू दिखाते और फिर निश्चिंत हो कर बातें करते रहते. लेकिन उसे तो अपनी मां की गैर मौजूदगी में उन के लिए कही गई बातें बिलकुल भी पसंद नहीं आ रही थीं. पर वह कर भी क्या सकता था?

वे अशोक होटल पहुंच गए. डा. रीता ने अंदर का फैमिली केबिन बुक करवाया था. रोहित जा कर जैसे ही बैठा तो उसे बड़े जोरों की भूख का एहसास हुआ. पिछली बार मां के साथ भी वह इसी होटल में आया था तब जितना मजा आया था उसे आज तक वह कहां भूला है.

रीता आंटी ने बैठते ही पापा और अपनी पसंद का खाना मंगवा लिया.

रोहित को देख कर बैरे ने पूछा, ‘‘लिटल मास्टर, आप की पसंद का क्या ले कर आऊं? यहां तो आप की पसंद का बहुत कुछ मिलता है. आप ने तो अपनी पसंद बताई नहीं. अपने मम्मीपापा की पसंद का ही सब कुछ लेंगे क्या?’’

रोहित के अंदर का काफी देर से भरा गुस्सा फट पड़ा और वह चिल्ला कर बोला, ‘‘ये मेरी मम्मी नहीं हैं और मुझे कुछ भी पसंद नहीं है.’’

अमित व रीता यह सुन कर एकदम हड़बड़ा उठे. अच्छा हुआ कि वे अंदर केबिन में बैठे हैं नहीं तो आसपास के लोगों का ध्यान उधर जाता ही. बेटे का व्यवहार देख कर अमित अपने को रोक न सके और खिन्न हो कर एक जोरदार झापड लगा दिया.

रोहित आज पापा का यह रूप देख कर एकदम चुप्पी लगा गया. बातबात में रोने वाले उस बच्चे की आंखों से आंसू तक नहीं गिरा, न ही उस ने कुछ कहा. बस, सिर नीचे कर के बैठ गया.

‘‘ओफ, आप भी अमितजी, छोटे बच्चों को कैसे टैकिल करते हैं, समझते ही नहीं. इतना अच्छा दिन बिता कर अब हमारे रोहित का सारा मूड बिगाड़ रहे हैं,’’ कह कर रीता आंटी उसे गोद में बैठाना चाह रही थीं.

रोहित उन के हाथ को हटाता हुआ अंगरेजी में बोला, ‘‘आंटी प्लीज, आई एम ओ.के., सौरी टू मेक यू डिस्टर्ब्ड विद माई बैड मैनर्स. ऐंड आई नो, माई डैड नैवर लाइक्स दिस.’’ एकदम गंभीरता से कह कर रोहित ने अपनी प्लेट में खाना लगा लिया. उस के पापा और डा. रीता उसे देखते रह गए. फिर उन्होंने भी चुपचाप अपना खाना निकाल लिया. उन के पास कहने को कुछ नहीं बचा. अमित भी समझ गए कि बेटे के मन में क्या है. उन को यह अंदाज भी हो गया कि केवल उन को बताने के लिए ही बेटे ने यह व्यवहार किया है.

वे लोग होटल से घर पहुंचे तो अमित ने देखा कि बाहर वाले कमरे की सारी खिड़कियां खुली हैं और सारे बल्ब जल रहे हैं. रोहित को लगा जैसे उस का पूरा घर खुशी से भर उठा है. ‘‘हुर्रे, मम्मी आ गई हैं. मुझे पता था कि पापा के बर्थ डे के दिन तक मम्मी आ ही जाएंगी,’’ और यह कहता हुआ वह तेजी से गाड़ी से नीचे उतर कर दरवाजे की ओर दौड़ पड़ा.

डा. रीता और अमित चुपचाप गाड़ी में ही बैठे रह गए. अमित ने अपने बच्चे के व्यवहार के लिए रीता से माफी मांगी तो वे बोलीं, ‘‘अरे, इस में माफी मांगने की क्या बात है. वह मेरा भी तो बेटे जैसा है.’’

‘‘तुम कब आईं मम्मी,’’ कह कर रोहित अपनी मां से लिपट गया.

‘‘मैं तो सुबह ही आ गई थी,’’ शोभा उसे प्यार करते हुए बोली, ‘‘बेटा, यों समझो कि तुम यहां से निकले हो और मैं आ गई.’’

‘‘मम्मी, आज आप साथ रहतीं तो कितना मजा आता. मैं तो पूरे समय आप को ही याद करता रहा. पिछले साल आज के दिन हम ने कितना ऐंजौय किया था न. उसी जगह हम आज भी गए थे. पर तुम चलतीं तो…’’ इतना कह कर रोहित चुप हो गया.

तभी रोहित को कुछ याद आया तो वह बोला, ‘‘मम्मी, जब आप बनारस गईं तो मैं ने इतनी ढेर सारी ड्राइंग बनाई है कि आप देखोगी तो देखती ही रह जाओगी,’’ और इसी के साथ अपने बनाए चित्रों को ला कर मां के सामने रख दिया.

मां ने उस के बनाए सभी चित्रों को बहुत ध्यान से देखा और सब के नीचे पेंटिंग के अनुसार गीत बना कर 4-4 पंक्तियां लिख दीं तो रोहित को लगा, मम्मी ने उस के मन की ही बात लिख दी है.

‘‘ओह, वंडरफुल माई डियर मौम,’’ अपने पापा के अंदाज में रोहित ने कहा. फिर जैसे उसे कुछ याद आ गया हो, वह बोला, ‘‘मां, तुम ने खाना खा लिया. हम तो बाहर खा कर आए हैं, चलो, देखते हैं रामू ने क्या बनाया है.’’

‘‘बेटे, मुझे बिलकुल भूख नहीं है,’’ मां ने कहा, ‘‘तुम्हारे नानाजी की तबीयत अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई है. मैं तो कुछ दिन और रुकती पर मुझे तुम्हारी चिंता लगी थी इसलिए चली आई.’’

‘‘मम्मी अब आप मेरी चिंता करना छोड़ो. देखो, मैं कितना बड़ा हो गया हूं. अकेले रह सकता हूं, अपनी देखभाल कर सकता हूं. पापा का भी ध्यान रख सकता हूं,’’ कह कर वह खिलखिला कर जोरों से हंसा तो शोभा को लगा जैसे अमित हंस रहे हैं.

और मान बह गया- भाग 1: क्या दोबारा जुड़ पाया यशोधरा और गौतम का रिश्ता

लंबे इंतजार के बाद आज देश के नामी उद्योगपति गौतम खन्ना और विश्वसुंदरी यशोधरा 7 फेरे ले कर विवाह के बंधन में बंध गए थे. देखने वालों के होंठों पर यही बात थी कि ऐसी खूबसूरत जोड़ी दूसरी नहीं. भीड़ से बेपरवाह प्रेम पगी आंखों से वरवधू एकदूसरे को निहार रहे थे. दोनों का मिलना भी किसी इत्तफाक से कम नहीं था…

गौतम ब्यूटी कौंटैस्ट में जज बन कर क्या गया कि मिस वर्ल्ड की प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई ब्रेन और ब्यूटी की प्रतिमूर्ति यशोधरा उस की चाहत ही बन गई. जैसे भी हो विश्वसुंदरी का ताज यशोधरा के सिर पर सजे यशोधरा के साथ गौतम का भी जनून बन कर रह गया था.

2 महीने बाद विश्वस्तर पर होने वाली इस प्रतियोगिता के हर इवेंट की तैयारी के लिए यशोधरा को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने के लिए गौतम हर प्रकार से तैयार था. राहें आसान नहीं थीं. पर यह गौतम की कोशिशें और यशोधरा की साधना का परिणाम ही था कि 100 से ज्यादा सुंदरियों को पराजित कर के विश्वसुंदरी का ताज पहनने में सफल रही. यशोधरा की इस उपलब्धि में गौतम की भी बहुत बड़ी भागीदारी थी.

कितने महीनों के इंतजार के बाद खुशियों का सारी कायनात लिए आज का दिन आया था जब 2 तन कानूनन एक हो गए थे. वरवधू दोनों के मातापिता के चेहरों पर असीम खुशी थी.

2 हफ्ते का हनीमून मना कर गौतम और यशोधरा  लौट आए थे.

जीवन पुराने ढर्रे पर चल पड़ा था. गौतम अपने कारोबार में लग गया. विश्वसुंदरी बनने के बाद की गतिविधियों में यशोधरा के दिन व्यस्त से व्यस्तर होते गए. स्विट्जरलैंड के छोटे शहरों में भी तो यशोधरा के प्रशंसकों ने इस तरह से उसे घेर लिया था कि उन से पीछा छुड़ाने के लिए गौतम को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. हर शहर में होने वाले आए दिन के समारोहों में चीफ गैस्ट बन कर जाना तो आम बात हो गई थी. कहीं किसी ब्यूटीपार्लर के उद्घाटन का फीता काटना होता था तो कहीं नारी सशक्तीकरण के मंच को सुशोभित करना पड़ता था. ऐसे समारोहों में वे कभीकभी प्यारमनुहार से गौतम या अपनी सास को भी ले जाया करती थी. पूर्व विश्वसुंदरी हो जाने के बाद भी यशोधरा को शहर से बाहर के आमंत्रण भी स्वीकारने होते थे. विदेशों के चक्कर भी लगते. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से ब्यूटी प्रोडक्ट्स के प्रचार के लिए भी यशोधरा को जाना पड़ता था. मौडलिंग एवं फिल्मी औफर्स की भी भरमार हो गई थी. 2-4 फिल्मों में काम मिलने की बात चल रही थी. मीडिया वालों का घर पर हमेशा आनाजाना लगा रहता था. अपनी ख्याति और उपलब्धियों पर यशोधरा तो फूली नहीं समा रही थी.

शुरू में गौतम का सहयोग भी खूब रहा पर धीरेधीरे वह उस के कार्यक्रमों में बोर होने लगा, क्योंकि सब की नजरें तो उस की पत्नी पर होती थीं. वह फालतू का बाउंसर सा उस के इर्दगिर्द रहता था. कई बार तो उसे दूसरे बाउंसर की तरह भीड़ द्वारा धकेला भी गया. फिर भी गौतम को रंज न था. वह ट्रौफी वाइफ से खुश था.

इन सारी हलचलों को महीनों तक सभी ने तरजीह देते हुए खूब ऐंजौय किया. जब यशोधरा की रंगारंग गतिविधियां दिन दूनी रात चौगुनी होती गईं तो गौतम की मां अनिता एवं पिता रमेश खीज उठे. गौतम ने भी यशोधरा को प्यार से समझाते हुए उस की सीमाएं समझाईं, लेकिन यशोधरा अपने विश्वसुंदरी के ताज को घर चारदीवारी की शोभा किसी भी कीमत पर नहीं बनने देना चाहती थी. प्यार, विश्वास के पंखों के साथ उड़ने के लिए यशोधरा को उन्मुक्त गगन क्या मिला कि उस ने धूप के सारे हिस्से अपने नाम कर लिए.

उस की यह स्वार्थतता तूल ही पकड़ने वाली थी कि प्यार या प्रकृति जिस की भी भूल हो फिर जो कुछ घटित हुआ उस ने उस की सारी अवमाननाओं को बिसारते हुए पूरे परिवार पर खुशियों की बारिश ही कर दी. हालांकि इतनी जल्दी इस रूप में स्वयं को देखने की चाहत यशोधरा को नहीं थी. फिर भी परिवार में स्वयं को अहमियत के शीर्ष पर विराजते देख खामोश रही. उस की खुद की हिम्मत नहीं हुई कि अबौर्शन कराए. डाक्टर भी उस के खिलाफ थे. गौतम के परिवार ने एक बार फिर अति उत्साह व उमंग के साथ अपनी इस खुशी को सैलिब्रेट किया.

आयुष ने अभी अपने डगमगाते कदमों को संभाला भी नहीं था कि नन्हीं आशी आ गई.

फिर यशोधरा को एक लंबे समय तक अपनी रंगारंग गतिविधियों पर विराम लगाना पड़ा, जो उस जैसी महत्त्वाकांक्षिनी के लिए आसान नहीं था.

समय के साथ जब मां के रूप में उस की जिम्मेदारियां कम हुईं तो किसी धूमकेतु की तरह वह अपनी प्रसिद्धियों की राह पर एक बार फिर से चल पड़ी. प्यारदुलार, हारमनुहार, तकरार आदि सारी बाधाओं को, पारिवारिक विरोध के चट्टान को दृढ़ता से पार करती हुई निरंतर आगे बढ़ती चली गई. उस ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा कि उस की बच्चों और पति को जरूरत है.

राष्ट्रीय बाजार के फैशन की दुनिया में यशोधरा के अद्भुत प्रचार ने एक क्रांति सी ला दी. उस की प्रसिद्धि पहले ही अंतरर्राष्ट्रीय बाजार तक फैली थी. उन्होंने फिर यशोधरा से संपर्क किया और अपने बाजार में उसे उतार लिया. एक सुंदर सफल मां और पत्नी की असीमित योग्यता के साथ उस के शूट बहुत बोल्ड होने लगे. वह साबित करना चाहती थी कि मां बन कर भी उस का शरीर शादी से पहले जैसा ही है. ऐसे बाजार किसी पर वारेन्यारे होते हैं तो उसे अच्छी तरह भुनाते भी हैं. उन्होंने यशोधरा के प्रचार का बहुत सा नाजायज फायदा उठाना आरंभ किया.

बिजनैस के काम से न्यूयौर्क गए गौतम की नजर किसी मौल में यशोधरा के अर्धनग्न पोट्रैट पर पड़ी. फिर वह जिस भी मौल या ब्रैंडेड शौप में गया हंसतीमुसकराती अपनी दिलकश अदाओं में लोगों को लुभाती यशोधरा ही यशोधरा थी. यह शूट यशोधरा ने गौतम को दिखाया भी नहीं था. कैफियत के लिए गौतम ने यशोधरा से संपर्क करना चाहा पर वह किसी जरूरी फंक्शन में थी. गौतम की अनगिनत मिस्ड कौल्स को देख कर भी उस ने कौल बैक करने की आवश्यकता नहीं समझीं. झल्ला कर गौतम ने भी फिर उसे कौल नहीं की.

और मान बह गया- भाग 2: क्या दोबारा जुड़ पाया यशोधरा और गौतम का रिश्ता

वापसी में लंदन होते लौटना था. वहां भी लंदन के नामी मौल्स और शौप्स में यशोधरा के अर्धनग्न पोर्ट्रेट्स को देख कर वह बौखला गया. यहां के बाजारों ने भी यशोधरा के सौंदर्य की मादकता को जी भर कर भुनाया था. अब बाजार विदेशों का था तो मुंह पर घूंघट डाल कर पोर्ट्रेट तो बनवाते नहीं. जिस हद तक  वे यशोधरा के शारीरिक सौंदर्य को उघार कर भुना सकते थे, खुल कर भुनाया. यशोधरा ने भी बहुत खुल कर पोज दिए थे. ऐसे जो शायद गौतम ने अपने कमरे में भी न देखे होंगे. चूंकि यह सब कौंट्रैक्ट के अंतर्गत था, यशोधरा अपनी विदेश यात्राओं के दौरान यही सब करती रही.

धनदौलत की कोई कमी नहीं थी. ख्याति के लिए घर की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा कर इस हद तक चली जाएगी, ऐसा गौतम ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था. उस के संबंधी, मित्रगण सब से बढ़ कर उस के पिता का भी बिजनैस के कामों में लंदन, अमेरिका अनाजाना हमेशा होता रहता था. यशोधरा के इस तरह के पोट्रेट्स को देख कर उन की प्रतिक्रियाओं की कल्पना कर के गौतम इतनी ठंड में भी पसीने से भीग गया. उस ने यशोधरा को फोन पर ही बहुत जलीकटी सुनाई. वह अपनी निर्दोषिता बताती रही, लेकिन गौतम ने कुछ नहीं सुना और गरजता रहा. क्रोध के मारे सारे कामों को स्थगित कर वह लौट पड़ा.

गौतम के प्यार और विश्वास का अच्छा प्रतिदान दिया था यशोधरा ने.

कैसे वह यशोधरा के पास जल्द से जल्द पहुंच कर उस की इस हरकत का सबब मांगे सोच कर सारे रास्ते वह जलताभुनता रहा. घर पर जब यशोधरा ही नहीं मिली तब गौतम के क्रोध का पारा 7वें आसमान को छूने लगा. वह तो बच्चों के साथ शहर से बाहर गई हुई थी जबकि इस परिस्थिति में कम से कम गौतम के आने तक उसे घर में रहना था. मां को भी वह कुछ बता कर नहीं गई थी. उस ने गुस्से में अपने फोन को भी स्विच औफ कर रखा था. यशोधरा की जानकारी गौतम ने उस की मां से लेनी चाही तो उन्होंने भी अपनी अनभिज्ञता जताई.

2 दिन के बाद यशोधरा लौटी तो बैडरूम में जो बम फूटा वह सब कुछ ध्वंस कर गया.

‘‘अब मेरा वकील कोर्ट में ही तुम्हें देखेगा,’’ कहते हुए क्रोध से चीखती हुई यशोधरा बच्चों के साथ उसी समय घर से निकल गई. दूसरे दिन ही उस ने अपना और बच्चों की जरूरत का सामान मंगवा लिया. दोनों के बीच का घटित मामला किसी दावानल की तरह पूरे शहर में फैल गया. गौतम परिवार की प्रतिष्ठा गलियों, चौराहों की गप्प गोष्ठियां बन गई. उन के मानसम्मान से जलने वाले अफवाहों की आहुति देते हुए खूब हाथ सेंक रहे थे. खुशियों की प्रतिध्वनियां मातमी गूंज बन कर रह गई थीं. जो काम गौतम को करना था उसे यशोधरा ने कर दिखाया. महीने के अंदर ही अलग होने की काररवाई आंरभ हो गई. कोर्ट का नोटिस मिलते ही वह बौखला गया. अनिताजी ने स्वयं जा कर यशोधरा को हर तरह से समझाने की कोशिश की पर उस ने कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया.

पहली सुनवाई के दिन जज साहब ने गौतम और यशोधरा को अपने चैंबर में बुला कर सारे प्रतिवादों को भूल जाने को कहा. पारिवारिक प्रतिष्ठा के साथसाथ बच्चों की टूटन का भी एहसास दिलाया.

गौतम शांत रहा पर यशोधरा क्रोध से चीख रही थी, ‘‘नहीं जज साहब, इस ने मेरी एक भी नहीं सुनी. मुझे निर्दोषिता का कोई साक्ष्य नहीं देने दिया. मेरा विश्वास तक नहीं किया. मेरा साथ देने के बदले मुझ पर अपने बच्चों की मां पर हाथ उठाने की जुर्रत की. मैं इस के साथ नहीं रह सकती.’’

‘‘ठीक है तो आप दोनों आपसी सहमति से अलग हो जाएं. परिवार की इज्जत को सरेआम तमाशा न बनाइए. बच्चों पर आप दोनों का समान अधिकार है. उन की कस्टडी का निर्णय आप दोनों मिल कर विचार कर के ले लीजिए.’’

उस दिन कोर्ट में फिर सुनवाईर् नहीं हुई. तारीख को आगे बढ़ा दिया गया. लेकिन मीडिया वाले भी कहीं किसी के होते हैं. नमकमिर्च के साथ जो नहीं हुआ उसे भी खूब उछाला. कभी गौतम का नाम किसी अनजान से जोड़ा तो कभी यशोधरा को किसी और की बांहों में बांध अंकशायिनी ही बना कर रख दिया. कभी उस की गौतम से करोड़ों रुपए की मांग बात उड़ा. नित नई अफवाहें बिना पंख के ही चारों ओर उड़ रही थीं.

परिवार की खुशियों ने दम तोड़ दिया था. चारों ओर उदासी बिखरी थी. बच्चों के बिना सूना घर गौतम को काटने लगा था. अपने उतावलेपन में कहीं सच में उस से गलतियां तो नहीं हो गईं. गौतम रोज सोचता. यशोधरा की उपलब्धियों से तो वह भी अविभूत था. वह भी तो गर्व से फूला नहीं समाता था. कितने ही काम उस ने सिर्फ इसलिए कराए थे कि काम करने वाले को यशोधरा से मिलने का मौका मिला था.

‘‘गौतम, आ कर देखिए तो जरा तुम्हारे और यशोधरा के बारे में जो बातें कल तक न्यूज पेपर तक सीमित थीं आज टीवी पर किस धड़ल्ले से दिखाईर् जा रही हैं. तुम दोनों के संबंध में कैसी अभद्र अफवाहों को हवा दी जा रही है. शर्म से हम गले जा रहे हैं. आप के पापा ने तो बाहर ही निकलना छोड़ दिया है. फिर भी आए दिन मिलने वाले कोई न कोई चुभती बात उछाल ही जाते हैं. देश के नामी जिस उद्योगपति रमेश के समक्ष जिन लोगों का आने में पसीना छूट जाता था अब उन की भी हंसी का पात्र बनना पड़ रहा है. प्रतिद्वंद्वियों को अलग से नया मसाला मिल गया है,’’ अनिताजी कुछ और आगे कहतीं उस से पहले ही परेशान सा गौतम यह कहते हुए उन के पास आ कर बैठ गया.

‘‘बस कीजिए मां… धाराप्रवाह बोले ही जा रही हैं. आप ही बताएं इस विषवृक्ष के बीज क्या यशोधरा ने नहीं बोए हैं? इस के पीछे उस की कुटिल महत्त्वाकांक्षाएं नहीं हैं? कोर्ट में उस के पागल वकील ने मुझे जिस तरह से झूठी तोहमत लगाते हुए जलील किया है उसे देखते हुए मैं तो उसे छोड़ूंगा नहीं. सारी दलीलें झूठी हैं, इस सत्य को जानते हुए भी यशोधरा आए दिन मीडिया वालों को बुला कर कहानियां सुना रही है. यह उचित है क्या?’’

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें