GHKKPM: विनायक छोड़ेगा विराट का घर, सई पर लगेगा इल्जाम

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में इन दिनों सवि और विनायक की दोस्ती से चौह्वाण परिवार परेशान होता नजर आ रहा है. वहीं सई पूरी कोशिश कर रही है कि वह अपनी बेटी को विराट से दूर रख सके. इसी बीच सई के सामने विनायक के अनाथ होने का सच सामने आ गया है. हालांकि विराट ने उससे सच छिपाने की बात कही है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में विनायक के सामने ये सच आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे(Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Serial Update) …

सवि को मनाएगा विराट

अब तक आपने देखा कि भवानी के लाख मना करने के बावजूद विराट और पाखी, सवि को अपनी मैरिज एनिवर्सरी में विनायक के लिए बुलाने के लिए तैयार हो जाते हैं. हालांकि सई अपनी बेटी को चौह्वाण हाउस भेजने के लिए राजी नहीं होती और विराट को उससे दूर रहने की सलाह देती है. हालांकि सवि के लिए वह उसे भेजने के लिए तैयार हो जाती है.

सवि पहुंचेगी चौह्वाण हाउस

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सवि चौह्वाण हाउस में जाएगी. जहां एक बार भवानी उससे रुखेपन में बात करेगी. हालांकि विराट और पाखी उसका ख्याल रखते हुए दिखेंगे. वहीं सवि पूरी फैमिली के साथ मस्ती करती हुई दिखेगी. हालांकि भवानी उसे हर बात पर टोकती रहेगी. दूसरी तरफ सवि को भेजने के बाद सई परेशान होती नजर आएगी.

 

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गायब होगा विनायक

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि विराट और पाखी, सई के घर गुस्से में जाएंगे और विनायक को गोद लेने के बारे में बताने के लिए सई पर भड़कते दिखेंगे. साथ ही पाखी और विराट, सई पर उनके बेटे विनायक को उनसे छीनने का आरोप लगाएंगे. हालांकि सई अपने ऊपर लगे इल्जामों को नकारेगी और विनायक को खोजने की घोषणा करेगी. वहीं विराट भी उसका साथ देगा. दूसरी तरफ सई और विराट को साथ देखकर पाखी परेशान होती नजर आएगी.

दूध के दांत- भाग 2: क्या सही साबित हुई रोहित की तरकीब

तभी बाहर से शेखूभाई ने पुकारा और रोहित एक सांस में आधा गिलास दूध पी कर बिना कुछ कहे बाहर भाग गया. रामू पीछे से कहता रहा, ‘‘बाबा, यह टिफिन तो ले लो,’’ पर उस ने अनसुना कर दिया.’’

अब रोहित खामोश रहता है. पहले की तरह न तो बातबात पर गुस्सा करता न बहुत बोलता है. बस, अपनी ड्राइंग की कौपी में चित्र बनाता रहता है. मन की सारी बातें उसी के जरीए जाहिर करता है. पापा ने घर में वीडियो गेम ला कर रख दिया पर उस ने उसे छुआ तक नहीं है. यहां तक कि अब वह रामू से कोई झगड़ा भी नहीं करता और न ही पापा से कोई जिद करता है. मम्मी को गए आज 15 दिन हो गए हैं. उसे विश्वास है कि मम्मी का मन वहां नहीं लग रहा होगा. पर आश्चर्य है कि वे आ क्यों नहीं रहीं?

हां, आजकल पापा पहले की तरह देर से नहीं आते बल्कि जल्दी आ जाते हैं और थोड़ी देर तक उस के साथ खेल कर शाम होते ही सामने वाली रीता आंटी के घर चले जाते हैं या वे खुद ही आ जाती हैं. वे रोज यहीं खाना खाती हैं. पापा यह कहते हुए उन को रोक लेते हैं कि आप कहां अकेली खाना बनाएंगी. रामू भी कितना खुश रहता है, हंसहंस कर उन की बात खूब मानता है.

पापा और रीता आंटी अकसर अंगरेजी में ही बातें करते रहते हैं. रोहित जब भी उन की बातें ध्यान से सुनता है, तो उसे बहुत कुछ समझ में आ जाता है. वह उन की बातों पर तब अधिक ध्यान देता है जब वे उस की मां के बारे में बात करते हैं. उसे तब बेहद गुस्सा आता है जब वे मां को पिछड़ा, गंवार या फूहड़ कहते हैं पर वह कुछ नहीं कर पाता.

रोहित सोचता, कब मां आएं और कब वह इस रीता आंटी की सब बातें उन से कहे. जब देखो तब उस से लाड़ लड़ाती हैं, पर वह क्या समझता नहीं कि पापा को दिखाने के लिए ही वे यह सब करती हैं. एक तो उसे रीता आंटी की डै्रस बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती. जब देखो लड़कों की तरह पैंटशर्ट पहन कर चली आती हैं जबकि मम्मी साड़ी पहन कर कितनी प्यारी लगती हैं और उन के लंबे बालों को देख कर तो सभी दंग रह जाते हैं.

वैसे तो उस के पापा बहुत अच्छे हैं पर मां को हमेशा क्यों सब के सामने ही जोर से डांट देते हैं? लेकिन मां शायद ज्यादा बोलना नहीं चाहतीं, इसलिए चुप ही रहती हैं.

रीता आंटी इस औफिसर्स कालोनी में पहले से रहती हैं. रोहित को याद है कि जब वह मम्मीपापा के साथ यहां आया था तो वे उस के घर आ गई थीं और उन के साथ ही उन का नौकर चाय भी ले कर आया था. उन्होंने अपने बारे में पापा को बताया था कि मैं यहीं के सरकारी अस्पताल में सी.एम.एस. हूं. मेरा नाम रीता शर्मा है. कोई भी जरूरत पड़े तो आप दोनों बेझिझक कहिएगा, अपना समझ कर.

रोहित को आज भी यह याद है कि उस दिन मां ने कहा था, ‘बेटा, मौसीजी को प्रणाम करो,’ तो उन्होंने बड़े तमक कर कहा था, ‘नहीं, मैं इस तरह के किसी रिश्ते को पसंद नहीं करती. तुम मुझे सिर्फ आंटी कहना, रोहित.’

रीता आंटी के जाते ही पापा, मां से सख्त नाराज हो कर बोले थे, ‘पहले ही दिन तुम ने अपना पिछड़ापन जता दिया न. सामने वाले को देख कर बातें किया करो कि किस से क्या बोलना है.’

इस के बाद तो रीता आंटी अकसर बिना समय देखे घर चली आतीं. एक दिन अचानक आ कर पापा से कहने लगीं, ‘आज मैं बहुत डिस्टर्ब हूं. घर से फोन आया था. बहन का ऐक्सीडैंट हो गया है. डाक्टर हो कर भी कुछ नहीं कर पा रही हूं,’ और फिर देर तक बैठी रही थीं.

पापा ने मां से कहा था, ‘आज इन का यहीं बिस्तर लगा दो. इन का घर में अकेले में मन और घबराएगा.’ मां ने बिना कुछ सोचेसमझे सामने के ड्राइंगरूम में उन के सोने का इंतजाम तुरंत कर दिया.

इस तरह रीता आंटी का उस के घर आने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह चलता चला आ रहा है. पापा भी उन को आया देख कर बड़े खुश रहते. उन दोनों की देर तक बातें होतीं. पर मां जब कभी वहां जा कर बैठ जातीं तो उन के सामने वे अंगरेजी में ही बातें किया करते. मां को लगता कि उन का अपमान हो रहा है पर वे कुछ कह नहीं पाती थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि पापा रीता आंटी के सामने ही उन को डांटने लगेंगे.

मां अपने नन्हे से बेटे से अपने मन की व्यथा कैसे कहें पर रोहित अपनी मां के मन की बात समझने की कोशिश करता. सोचता, सब लोगों की नजरों में मैं बहुत छोटा हूं पर अब मैं उन की बातों को खूब अच्छी तरह से समझने लगा हूं.

इधर अचानक जब से मां को बनारस जाना पड़ा है रीता आंटी के तो पूरे मजे हो गए हैं. पूरे समय आंटी उसे भी उस के पापा की तरह खुश रखना चाहती हैं. उस की पसंदनापसंद का खयाल वे रामू और पापा से पूछ कर खूब रखतीं पर पता नहीं क्यों उन के ऐसा करने से वे उसे और भी बुरी लगने लगतीं.

रोहित अब अपनेआप को खूब बड़ा समझने लगा है. पहली बार उस ने सोचा कि चलो, अच्छा हुआ जो मैं मां के साथ बनारस नहीं गया वरना यहां मेरे पापा को तो… नहीं अपने से बड़ों के बारे में मुझे यह सब कुछ नहीं सोचना चाहिए. मेरे लिए इतना ही सोचना काफी है कि रीता आंटी ठीक नहीं हैं.

एक दिन रीता आंटी आईं और आते ही पापा को विश किया. रोहित को पता है कि आज उस के पापा का बर्थ डे है. उस की मां पापा के साथ मिल कर उन का जन्मदिन हमेशा अपने तरीके से मनाती रही हैं. इस बार उन के यहां न होने से उस ने कहीं जाने का कोई कार्यक्रम नहीं बनाया, न ही पापा से इस बारे में कुछ कहा. पर रीता आंटी को भला क्या पड़ी है जो सजधज कर चली आई हैं.

करवा चौथ 2022: वैक्सिंग करने के घरेलू उपाय

इन दिनों ज्यादातर लड़कियां (महिलायें) अपने शरीर के अनचाहे बालों को निकालने के लिए वैक्सिंग का इस्तेमाल करती हैं. हालांकि वैक्सिंग कराना कष्टकारी होता है लेकिन यदि सही तरीके से किया जाय तो यह कष्ट काफी हद तक कम हो सकता है . इसलिए यह वैक्सिंग करने वाले पर निर्भर करता है कि वह कितना एक्सर्प्ट है.

लेकिन यदि आप खुद घर पर ही वैक्सिंग करना चाहें तो बाजार में उपलब्ध वक्सिंग मैटेरियल से ऐसा कर सकती हैं. और यदि आप चाहे तो खुद ही घर पर वक्सिंग तैयार कर कर सकती है जो कि बेहतर हो और आपको सूट भी करे.

वैक्सिंग करने के फायदे

वैक्सिंग करने से शरीर के अनचाहे बालों से छुटकारा पाया जाता है. ऐसा करने से बाल पहले से कम और मुलायम आते हैं.

हॉट वैक्स

हॉट वैक्स को सीधे आग पर रखकर गर्म किया जाता है. शरीर के नाजुक अंगों पर इस्तेमाल किया जाता है. जैसे चेहरे, गर्दन व गालों पर.

हॉट वैक्स करने तरीका

वैक्स को आग पर गर्म करें. जिस जगह वैक्सिंग करनी है उस जगह पाउडर लगाएं. जिस दिशा में बाल उग रहे हैं उससे विपरीत दिशा में वैक्स लगा दें. स्किन को कस कर पकड़ें और धीरे-धीरे बालों की दिशा में वैक्स निकाल दें.

कोल्ड वैक्स

कोल्ड वैक्स बांहों, टांगों और बगलों के लिए सही है. जिस जगह से बाल हटाना है उसी जगह वैक्स लगा लें और पट्टी चिपका कर उल्टी दिशा में कस कर खींचे.

कोल्ड वेक्स बनाने का तरीका

1/2 कप चीनी

1/2 कप पानी

1/2 कप साइट्रिक एसिड या नींबू

1 चम्मच ग्लिसरीन

विधि

चीनी और पानी की चाशनी बना लें.

फिर साइट्रिक एसिड डाल दें और गाढ़ा होने पर उतार दें.

फिर उसमें एक चम्मच ग्लिसरीन डॉल दें.

वैक्स करने के बाद पाँच मिनट कोल्ड क्रीम से मालिश करें.

वैक्‍सिंग के दौरान लड़कियां दर्द तो सह जाती हैं लेकिन वैक्‍सिंग के बाद जब उन्‍हें फुंसियां निकलती हैं तब वह अपना निशान छोड़ जाती हैं. यह फुंसिया, तब निकलती हैं जब वैक्‍स द्वारा आपके शरीर से बाल को कस कर खींचा जाता है.

कुछ केस में तो ये फुंसियां कुछ ही घंटों में गायब हो जाती हैं, लेकिन कुछ केस में ये लंबे समय तक रह जाती हैं और सूखने के बाद खुजलाती हैं. वैक्‍सिंग के बाद आपको इन तकलीफों से मुक्‍ति मिले, इसके लिये हम आपको कुछ टिप्‍स बताएंगे.

1. वैक्‍सिंग से पहले ट्राई कर लें कि वैक्स आपको सूट भी कर रहा है या नहीं.

2. वैक्‍सिंग वाले दिन अपनी स्‍किन को प्‍यूमिक स्‍टोन से बिल्‍कुल ना रगड़ें.

3. प्रभावित एरिया पर एंटीबायोटिक क्रीम लगाइये जिससे जर्म और मार्क ना फैलें.

4. वैक्‍सिंग वाले दिन हार्श सोप का यूज ना करें. बल्‍कि सादे पानी से नहांए और लूफा का प्रयोग करें.

5. ढीले ढाले कपड़े पहने क्‍योंकि टाइट जींस या कपड़े पहनने से त्‍वचा में रगड़ होती है, जिससे छाले निकल सकते हैं.

6. वैक्‍सिंग के तुरंत बाद त्‍वचा पर आइस क्‍यूब्‍स लगाएं और उसके बाद अच्‍छा मॉइस्‍चराइजर लगाएं.

7. ताजा नींबू, नारियल तेल या टी ट्री ऑइल लगाना अच्‍छा होता है. आप चाहें तो प्रभावित त्‍वचा पर थोड़ा सा बेबी पावडर लगा सकती हैं.

8. अपने नाखूनों से वैक्‍सिंग वाली त्‍वचा को ना खरोंचे.अगर आपको बहुत ज्‍यादा खुजली होती है तो आप उस जगह को किसी मुलायम कपड़े से सहला लें.

लॉकडाउन सरप्राइज: क्या हुआ था रमा की बेटी के साथ

“ये देखो जी ,अब कल से शराब की दुकान भी खुल जाएगी .अब देखना लोग मधुमक्खी की तरह , दुकानों पर टूट पड़ेंगे .जमकर उड़ने लगेगी सोशल डिस्टेंस की धज्जियां .सड़क एक्सीडेंट भी बढ़ेगी और घरों के अंदर की हिंसा भी ” रमा ने चिढ़कर अखबार पटक दिया .

“हर बात को ,नकारात्मक दृष्टिकोण से ,नहीं देखना चाहिए .इससे राजस्व आय बढ़ेगी .सरकार इतने सारे ,सामाजिक कार्यक्रम,जो सभी के हित में चला रही है उसके लिए घन की आपूर्ति के स्रोत भी तो होने चाहिए ” सुरेश ने समझाया.

“हां हां ,आप तो पक्ष लेंगे ही न पिछले चालीस दिनों से ,मधुशाला खुलने का इंतजार ,ही तो कर रहे है .अपनी फैक्ट्री में ताला लगा है उसका इतना गम नहीं है जितना मधुशाला बन्द होने का हैं ”

“ये सब छोड़ो ,अपनी दिल्ली में बैठी बिटिया का,  दो दिन से फोन नहीं आया ,उसे जरा पूछो तो ,,क्या हाल है उसके ?” सुरेश ने टॉपिक बदला .

“वीकेंड में नेट पर फिल्म ,सीरिज देखने या फिर नीद निकाल कर समय बिता रही होगी ,बता रही थी कि सारे सरकारी , अर्धसरकारी ऑफिस में भी ऑनलाइन काम होने से , सॉफ्टवेयर कम्पनियों के ऊपर, अधिक कार्य भार बढ़ गया है .इसी से उसका कार्य भी, बहुत बढ़ गया है ” रमा ने जानकारी दी .

“यह अच्छा है कि दिल्ली में, उसके साथ चार लड़कियां फ्लैट शेयर कर रह रही है एक दूसरे का सहारा बनी है. हम इतनी दूर बाराबंकी , से उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकते ” सुरेश परेशान हो उठा .

“हां हमने भी उसकी शिक्षा दीक्षा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. ग्यारहवीं कक्षा से उसे लखनऊ भेज दिया था उसने भी वहीं से इंजीियरिंग के बाद ,तुरंत दिल्ली  में सॉफ्ट वेयर कंपनी ज्वाइन कर ली . बड़ी होशियार है अपनी बेटी” रमा ने बड़े गर्व से कहा .

“मैंने तो कई बार ,उसका मन टटोलने की कोशिश कर ली मगर वो कुछ बताती नहीं , अगर उसकी नज़र में कोई लड़का  नहीं है तो हम उसके लिए रिश्ते की बातचीत ,उचित घर वर देख कर शुरू करें “सुरेश ने चिंतित स्वर में कहा.

“हां जब छोटी थी तो हमेशा कहती थी, पापा आप अपने जैसा ही लड़का मेरे लिए ढूंढना ,बहुत बकबक करती रहती थी .मगर अब चुप चुप रहती हैं ज्यादा बात नहीं करती .पता नहीं पिछले दो सालों से ,जबसे दिल्ली गई है कुछ ज्यादा ही चुप रहने लगी है ” रमा उदास होकर बोली .

“तुम फिर निगेटिव बातें करने लगी ,अरे बड़ी हो गई है अब ,बचकानी बातों की, फुर्सत कहा है उसे ,अच्छा चलो अभी बात कर लेते हैं लगाओ अपनी लाडली  सुप्रिया को फोन”

“सुबह के दस बज गए हैं .वो ऑनलाइन कार्य में व्यस्त हो गई होगी अगर आज उसका फोन,  शाम तक न आया तो फिर मैं स्वयं, बात कर लूंगी”.

रविवार शाम को सुप्रिया ने ,अपने कुशल मंगल होने की ,सूचना दी और बोली “अच्छा फोन रखती हूं अभी हम फिल्म देख रहे हैं ”

रमा ने ,डायनिंग टेबल से बर्तन समेटते हुए सुरेश, से कहा “सुनिए जी मुझे तो कुछ दाल में काला लग रहा है वो जरूर हमसे कुछ छिपा रही हैं ”

बर्तन सिंक में रखकर ,सुरेश चुपचाप बर्तन धुलने लगा .उसका मन भी अब अपनी इकलौती संतान के प्रति चिंतित हो उठा था .रमा सच कहती हैं, अब सुप्रिया पहले की तरह मुखर नहीं रही .पहले अपनी पूरी दिनचर्या बताती थी ,उसे रोकना  पड़ता था कि भई बस कर ,मगर अब ,उसे न जाने क्या हो गया है . इकलौती संतान होने के बावजूद सुप्रिया , अनुशासन प्रिय और मेधावी छात्रा रही हैं  .उनके लाड़ प्यार का उसने कभी गलत फायदा नहीं उठाया .

दूसरे दिन सुबह रमा , समाचार सुनने के लिए , टी. वी के आगे चाय ,नाश्ता लेकर बैठ गई.पूरे देश से ,अलग अलग राज्यों के , कोरोना मरीजों के आंकड़े पेश होने लगे लेकिन कुछ देर बाद ही , जगह जगह सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने की खबरें आने लगी .शराब की दुकानों के आगे उमड़ी भीड़ ने ,बेकाबू होना शुरू कर दिया था .

“अब क्या होगा ?लगता है सभी “शराब के साथ , कोरोना हैं मुफ़्त “,वाले ऑफर को लेने आए हैं “रमा बड़बड़ाई .

“अजी सुनते हो , यहां आकर तमाशा देखो “कोई प्रतिउत्तर न पाकर रमा घबरा उठी कि कहीं सुरेश भी मधुशाला की तरफ , न दौड़ गया हो .

उसने उठकर बेडरूम ,बाथरूम सब जगह, तलाशी लेना शुरू कर दिया .सुरेश को कहीं न पाकर वो छत की सीढियां जल्दी , जल्दी चड़ने लगी .तेजी से छत में पहुंचने के चक्कर में उसकी सांस फूल गई .

“अरे ऐसी भी क्या जल्दी है आराम से भी आ सकती थी ”

सुरेश ,रमा की धौंकनी की तरह से चलती सांस को देख कर बोला .

“मुझे टी. वी.की भीड़ देखकर ,ऐसा लगा मानों  किसी मुनि की चालीस दिन की तपस्या को ,सुरासुंदरी ने भंग कर दिया है और उसने सुरासुंदरी को शापित कर दिया कि जा, जो तुझे लेने को, संयम तोड़कर आए है ,तू उन्हें  कोरान्ना फैलाने का माध्यम बना .मुझे बहुत डर लग गया , इसीलिए मैं आपको ढूंढने निकल पड़ी ”

“इतनी अक्ल मुझे भी है. पता था ,आज ही दुकान खुली हैं लोग दौड़ पड़ेंगे . भीड़ भी होगी ,लंबी लाइन में भी लगना पड़ेगा और कहीं भगदड़ मची तो ,दो चार लाठी भी पड़ जाएगी . मैं तो कल आराम से जाऊंगा .  न भीड़  होगी और न वायरस पीछे पीछे घर आएगा “सुरेश ने छत में रखे गमलों में पानी डालते हुए कहा .

” सुनो जी , मैं सोच रही हूं कि एक पी पी ई किट तुम्हारे लिए खरीद लूं जब कभी भीड़ में जाओ तो पहन लेना ,पिछली गली में जो सरकारी सिलाई केंद्र है वहीं आजकल मास्क और किट बन रहे हैं “रमा की बात सुनकर सुरेश मन ही मन बहुत हंसा .फिर बोला “अरे मेरे पास दस्ताने ,मास्क और सैनिटाइजर मौजूद हैं जो बाहर जाकर, सामान लाने के लिए पर्याप्त हैं .वैसे भी ,मै किसी भीड़ भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाता हूं ”

रमा को तसल्ली हो गई दोनों छत से नीचे उतर कर आ गए .

सुरेश टी.वी समाचार सुनने में और रमा कपड़ों के ढेर को धुलने में व्यस्त हो गई . शाम गहराती गई और सुरेश के हृदय में दुःख की कालिमा छाती गई वो बेसब्री से शाम के आठ बजने का इंतजार करने लगा .रोज शाम को आठ बजे का समय, उनकी बेटी ने ही फोन करने का तय किया था इससे पूर्व जब वो लखनऊ में थी तो कॉलेज के समय के अतिरिक्त उसका फोन कभी भी आ जाता या वे ही कॉल कर लेते .कभी तो सुबह ही बात होती मगर शाम को वो घर पहुंच जाती फिर कहती “सरप्राइज “.अब कहो तो कहती हैं वो  तो मेरा बचपना था .पता नहीं बच्चे इतनी जल्दी बड़े क्यों हो जाते हैं .सुरेश ने ठंडी सांस भरी .

शाम सात बजे ही फोन की घंटी बज उठी .सुरेश चौंक उठा .आज सात बजे ही सुप्रिया का फोन कैसे आ गया .

“सरप्राइज ,देखो पापा ,अब लॉक डाउन में घर नहीं आ सकती तो क्या ?जल्दी फोन कर सरप्राईज तो ,दे ही सकती हूं न “सुप्रिया चहकी . सुप्रिया की वीडियो कॉल की आवाज सुनकर रमा भी किचन से सब्जी काटने का सामान , उठाकर ले आई और सुरेश के बगल में बैठ कर बोली

“प्रिया तुम लोगों को सारा सामान उपलब्ध तो हो पा रहा हैं न ”

“अरे मम्मी ,आप भी किस दुनिया में रहती हैं यहां तो कॉल करो ,सामान तुरन्त हाज़िर हो जाता हैं .पापा अाई लव यू , आप वर्ड के बेस्ट पापा हो . आई लव यू मम्मी , आप वर्ड की बेस्ट मम्मी हो . सॉरी मम्मी अगर मेरी कोई गलती हो तो मुझे माफ़ कर देना ,पापा आप भी मुझे माफ कर देना .क्या पता ,कल मुझे वायरस ने जकड़ लिया और मै आपसे अपनी गलतियों की माफ़ी भी न मांग पाऊं . इसीलिए आज ही मांग ले रही हूं .मम्मी मुझे आपका बनाया खाना हमेशा याद आता है .पापा मुझे आपने कभी किसी बात के लिए नहीं रोका ,पापा आपने मुझे, हमेशा प्रोत्साहित ही किया .पापा आज मुझे घर आने का मन कर रहा है,मम्मी मै अपने हाथ का बना ,खाकर ऊब चुकी हूं “तभी उसके हाथ फोन छीन कर ,उसकी सहेली ऋचा ने कहा “सॉरी आंटी जी और अंकल जी,आप लोग प्रिया से ,कल आराम से ,बात कर लीजिएगा .आज इसकी तबियत कुछ ठीक नहीं है तभी बहकी बहकी बातें कर रही हैं “फिर फोन काट दिया .

रमा का तो दिल ही बैठ गया वो तो यूं भी मामूली बातों पर ट्सूएं बहाने लगती हैं आज तो महामारी काल है ऐसे में उसका अपनी बेटी का बड़बड़ाना ,दिल में खौफ पैदा कर गया . उसने देखा सुरेश मोबाइल पर सन्देश लिखने में लगा है .

“बड़े अजीब हैं आप ,बेटी की कोई चिंता नहीं हैं ? मैसेज मैसेज खेलने लगे ” रमा गुस्से से बोली “बेटी की हालत देखी ?कितनी बकवास कर रही हैं ”

अपने मोबाइल की ओर देखते हुए , सन्देश  की प्रतीक्षा में ,बैचेनी से पहलू बदलते हुए सुरेश ने अपनी पत्नी की ओर ताका ,कुछ कहना चाहा मगर फिर चुप्पी साध ली .

रमा का पारा चढ़ गया .कुछ समय के सन्नाटे के बाद सुरेश के फोन की मैसेज टोन  बज उठी .

मैसेज पढ़ कर सुरेश ने रमा की ओर ठंडी सांस भरकर कहा “बाप हूं मैं ,मुझे भी फिक्र हैं , परियों की तरह रखा हैं उसे ,आज  टी वी पर ,सुबह के समाचार में, लाल टीशर्ट और काली नेकर के साथ ही, उसके  मुंह पर बधे स्कार्फ को भी ,पहचान गया था .बस खुद को झूटी तसल्ली देता रहा कि वो हमारी सुप्रिया नहीं , कोई और ही है .अब उससे बात करके और उसकी दोस्त को मैसेज कर बात को कन्फर्म भी कर लिया है”

“अरे पहेलियां क्या बुझा रहे हो ? साफ साफ कहो “रमा बौखला कर बोली .

“टी . वी पर लगी शराब खरीदने की होड़ में,तुम्हारी बिटिया सबसे आगे लगी थी ,उसका नतीजा भी तुमने बात करके ,देख लिया है “सुरेश ने यह बात कहकर रमा की प्रतिक्रिया जाननी चाही .

“अच्छा सरप्राईज दिया आज तो, मैं तो उसकी हरकतों से डर गई थी  . इस बार जब घर लौट कर आएगी तो अच्छे से ख़बर लूंगी .फिर सुरेश की तरफ डबडबाई आंखों से देख कर बोली “वो सही सलामत घर लौट आयेगी न?”.

महिलाएं रखें इन सामान्य कानून की जानकारी

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी समृद्ध सुंदर संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है. भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का स्थान दिया गया है. लेकिन पिछले कुछ सालों में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को देखकर लगता है कि महिलाओं की सुरक्षा दांव पर लगी है. जैसा कि हम सचमुच देख सकते हैं कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध हर मिनट होते हैं. प्राचीन काल से मध्यकाल तक महिलाओं की स्थिति में गिरावट आई है जो इतने उन्नत युग में जारी है.

प्रत्येक दिन एक अकेली महिला, एक बालिका, एक युवा लड़की, एक मां और जीवन के सभी क्षेत्रों की महिलाओं के साथ मारपीट, छेड़छाड़ और उत्पीड़न किया जा रहा है. सड़कें, सार्वजनिक परिवहन, सार्वजनिक स्थान, विशेष रूप से, शिकारियों का क्षेत्र बन गए हैं. महिलाओं के खिलाफ कुछ सामान्य अपराध हैं बलात्कार, दहेज हत्या, घर या कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, अपहरण और अपहरण, पति, रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, एक महिला पर हमला, बच्चे और सेक्स, तस्करी, हमला, बाल विवाह और कई अन्य.

यद्यपि भारत के संविधान ने समानता और लैंगिक भेदभाव से मुक्ति के समान अधिकार दिए हैं, लेकिन भारतीय महिलाओं को खुद इन अधिकारों के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी नहीं है जिसके कारण वह खुद को कमज़ोर और पिछड़ा समझती आयीं हैं. बेहतर यही है की महिलाएं कानून एवम अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखें ताकि स्वयं या किसी और महिला को जरूरत पढ़ने पर वह सही कदम उठा सकें.

निम्नलिखित सामान्य कानून हैं जिनकी जानकारी  हर भारतीय महिला को होनी चाहिए:

मुफ्त सहायता का अधिकार

जब कोई महिला बिना किसी वकील के साथ पुलिस थाने जाती है तो उसे इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उसे कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है और उसे इसकी मांग करनी चाहिए.

एकान्तता का अधिकार

बलात्कार की शिकार महिला को यह अधिकार है कि वह बिना किसी और की बात सुने या किसी महिला कांस्टेबल या पुलिस अधिकारी के साथ व्यक्तिगत रूप से मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करा सकती है. आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत, पुलिस को पीड़िता को जनता के सामने तनाव दिए बिना उसकी गोपनीयता देनी होगी.

जीरो एफआईआर का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, एक बलात्कार पीड़िता जीरो एफआईआर के तहत किसी भी पुलिस स्टेशन से अपनी पुलिस शिकायत दर्ज करा सकती है.

गिरफ्तारी का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक, किसी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. सिवाय, अगर महिला ने गंभीर अपराध किया है, तो पुलिस को मजिस्ट्रेट से लिखित रूप में यह बताना होगा कि रात के दौरान गिरफ्तारी क्यों जरूरी है.

थाने न बुलाने का अधिकार

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के अनुसार महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने नहीं बुलाया जा सकता है. पुलिस महिला कांस्टेबल और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की मौजूदगी में किसी महिला से उसके आवास पर पूछताछ कर सकती है.

गोपनीयता का अधिकार

किसी भी स्थिति में बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है. न तो पुलिस और न ही मीडिया पीड़िता का नाम सार्वजनिक कर सकता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए पीड़ित की पहचान के प्रकटीकरण को दंडनीय अपराध बनाती है.

कुछ कानूनों में हालिया संशोधन:

16 दिसंबर 2012 की रात को हुए सामूहिक बलात्कार ने पूरे देश को इस कदर आक्रोश की स्थिति में ले लिया कि इसने बहुप्रतीक्षित अधिनियम यानी आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम द्वारा आपराधिक कानून को एक नया आकार देने के लिए मजबूर कर दिया. २०१३ इस प्रकार अधिनियम में निम्नलिखित धाराएं शामिल हैं:

-धारा 354ए में यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के लिए सजा का प्रावधान है.

-धारा 354बी में कपड़े उतारने के इरादे से महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने का प्रावधान है.

-धारा 354सी में तांत्रिकता का प्रावधान है.

-धारा 354डी में पीछा करने का प्रावधान है.

-धारा 376 के तहत ‘बलात्कार’ की परिभाषा में संशोधन किया गया है.

-मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 किसी भी रूप में तत्काल “तीन तलाक” को “अवैध और शून्य” बनाता है.

कोर्ट मैरिज के लिए हमें क्या करना होगा?

सवाल-

मैं कुछ दिन पहले ही 18 वर्ष की हुई हूं. मैं जानना चाहती हूं कि क्या अब मैं कोर्ट मैरिज कर सकती हूं? यह भी बताएं कि इस के लिए हमें क्या करना होगा?

जवाब-

कोर्ट मैरिज करने के लिए आप को वकील के पास जाना होगा. वह कागज बना कर मैरिज रजिस्ट्रार के सामने रखेगा. फिर वही पूरी बात बताएगा. यह मामला जीवन का है पर गुप्त नहीं रह पाता, यह ध्यान रखें.

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प्यार करने वालों को अक्सर घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ता है. यह ऐतराज कई बार औनर किलिंग जैसी हैवानियत की वजह भी बन जाता है जो प्यार करने वालों के सपनों को तहस नहस कर देता है. इस समस्या से निबटने का एक आसान रास्ता है , कोर्ट मैरिज.

इस संदर्भ में 2 अलग धर्म के बौलिवुड सितारे सैफ और करीना की शादी का उदाहरण लिया जा सकता है जिन्होंने शादी के लिए कानूनी रास्ता अख्तियार किया. बांद्रा स्थित रजिस्ट्रार औफिस जा कर उन्होंने शादी से सम्बंधित जरूरी कागजात जमा किए और आवेदन के 30 दिनों के भीतर कोर्ट मैरिज कर ली.

स्पेशल मैरिज एक्ट 1945 के अंतर्गत होने वाले विवाह को कोर्ट मैरिज कहते हैं. कोर्ट मैरिज में 2 लोगों के धर्म ,जाति या उम्र को नहीं देखा जाता बल्कि उन की सहमति और पात्रता देखी जाती है .

पात्रता

युवक-युवती दिमागी तौर स्वस्थ हों. संतानोत्पति में समर्थ हों.

लड़के की उम्र काम से काम 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए. दोनों ने अपनी इच्छा से पूरे होशोहवाश में शादी की सहमति दी हो. विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन न हो.

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक और युवती को इस बाबत एक फौर्म भर कर लिखित सूचना अपने क्षेत्र के जिला विवाह अधिकारी को देनी होती है. फिर नोटिस जारी करने का शुल्क जमा करना होता है जो काफी कम होता है. इस आवेदन के साथ युवकयुवती को फोटो पहचान पत्र, और एड्रैस प्रूफ भी प्रस्तुत करना होता है. उस के बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है. इस नोटिस को कार्यालय के नोटिस बोर्ड और किसी सार्वजनिक जगह पर चिपकाया जाता है. ताकि किसी को आपत्ति हो तो वह अपना पक्ष रख सके.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जब कोर्ट मैरिज हो जरूरी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

तौबा

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डेजर्ट में परोसें मूंग सेंवई पुडिंग

आपने मार्केट और रेस्टोरेंट में कई तरह की पुडिंग खाई होगी. लेकिन क्या आपने इंडियन स्टाइल में मूंग सेवई पुडिंग ट्राय की है.

सामग्री

1/4 कप मूंग दाल धुली

1/2 कप सेंवइयां भुनी

1 लिटर फुलक्रीम मिल्क

1/4 कप खजूर गुड़ कद्दूकस किया

1/4 छोटा चम्मच छोटी इलायची चूर्ण

10-12 काजू के टुकड़े

1 बड़ा चम्मच पिस्ता व बादाम कतरा

चीनी स्वादानुसार

3 छोटे चम्मच देशी घी.

विधि

दाल को पानी से अच्छी तरह धो कर छलनी में रखें. एक प्रैशरपैन में 2 चम्मच घी गरम कर के काजू भून कर निकाल लें. बचे घी में दाल को हलका भूरा होने तक धीमी आंच पर भूनें. फिर उस में 1/2 कप पानी डाल कर ढक्कन लगाएं और 3 सीटियां आने तक पकाएं. एक अलग भारी तले की नौनस्टिक कड़ाही में बचा घी गरम कर के भुनी सेंवइयों को सौते करें और उस में दूध डाल कर पकने रखें. 1/2 कप कुनकुने पानी में गुड़ को भिगो दें. प्रैशरपैन का ढक्कन खोलें. दाल को आलू मैशर से मैश करें व उबलते दूध में डाल दें. दोनों चीजों को खूब गाढ़ा होने तक पकाएं. गुड़ को छान कर पुडिंग में डालें. चीनी डालनी हो तो डाल दें. जब पुडिंग गाढ़ी हो जाए तो उस में इलायची चूर्ण व काजू डाल दें. ठंडा कर के या गरम ही सर्विंग बाउल में डालें और बादाम व पिस्ता से सजा कर सर्व करें.

प्यूबर्टी के दौरान होने वाले भावनात्मक बदलाव

प्यूबर्टी (यौवनारम्‍भ) के दौरान आपके बच्चे की भावनाएं ज्यादा मजबूत और तीव्र हो सकती हैं. उनमें बार-बार, बिना वजह और अचानक ही मूड स्विंग्स हो सकते हैं. पहली बार में आपके बच्चे को बहुत ही मजबूत भावनाएं महसूस हो सकती हैं. यह सामान्य बात है कि उन्हें अनजान दुविधा, डर और गुस्सा महसूस हो. इसके साथ ही हो सकता है, वे सामान्य से ज्यादा संवेनदनशील और चिड़चिड़े हो जाएं. इस बारे में बता रही हैं- डॉ. मंजू गुप्ता, सीनियर कंसल्‍टेंट, प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा.

आपके बच्चे का दिमाग इन नए हॉर्मोन्‍स के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रहा होता है, वहीं उनका शरीर भी यही काम कर रहा होता है. उनके दिमाग के हिस्से जो उन्हें मजबूत, जटिल भावनाओं का अनुभव करने में सक्षम बनाते हैं, प्यूबर्टी के दौरान मजबूत होने लगते हैं. हालांकि, मस्तिष्क का वह क्षेत्र जो भावनाओं, गहन विचार, तर्क और निर्णय लेने को नियंत्रित करता है, अक्सर अंत में विकसित होता है. आपका बच्चा ऐसा महसूस कर सकता है कि जैसे उनकी भावनाएं नियंत्रण से बाहर हो गई हैं.

यहां कुछ ऐसे भावनात्मक बदलावों के बारे में बताया गया है जोकि प्यूबर्टी के दौरान होते हैं

1. अत्यधिक संवेदनशीलता-

चूंकि, प्यूबर्टी के दौरान आपके शरीर में काफी सारे बदलाव होते हैं, इसलिए उन्हें खुद को लेकर असहजता महसूस हो सकती है और अपने लुक को लेकर ज्यादा सतर्क हो सकते हैं. इसकी वजह से आप जल्द चिड़चिड़े हो सकते हैं, लोगों पर भड़क सकते हैं या फिर डिप्रेशन महसूस हो सकता है. इसलिए यह जानना फायदेमंद होगा कि आप किन व्यावहारात्मक बदलावों से होकर गुजर रहे हैं और उनके बारे में आत्मविश्वास से बात कर पाएं.

2. अपनी पहचान ढूंढने की कोशिश कर रहे होते हैं-

चूंकि, आप वयस्क होने की तरफ बढ़ रहे होते हैं, हो सकता है आप यह जानने के लिये बाध्य हो जाएं कि आपको क्या चीज खास बनाती है. इसके साथ ही, आमतौर पर अपने परिवार से ज्यादा अपने दोस्तों से जुड़ने की प्रवृत्ति हो जाती है. यह बात शायद इस मनोविज्ञान से जुड़ी है कि आप और आपके दोस्त एक ही पड़ाव से होकर गुजर रहे हैं. आप शायद यह जानने की कोशिश कर सकते हैं कि आप औरों से किस तरह अलग हैं और दुनिया में आपकी क्या जगह है. इसकी वजह से हो सकता है कि आप खुद को अपने माता-पिता और परिवार के बाकी सदस्यों से दूर कर लें.

3. हिचकिचाहट आ सकती है-

प्यूबर्टी के परिणामस्वरूप समय अनिश्चित हो जाता है, क्योंकि आप ना तो पूरी तरह से वयस्क होते हैं और ना ही बच्चे. आप बदलाव के इस पड़ाव के दौरान जीवन के अनजाने पहलुओं जैसे कॅरियर, कमाई और शादी के बारे में जानकर और समझकर हैरान हो जाते हैं. जब आप इस तरह से सोचना शुरू करते हैं तो हर चीज नई और अनजानी लगती है, तो आपको भविष्य को लेकर अनिश्चितता महसूस हो सकती है.

जब आपसे जुड़े आपके करीबियों की अपेक्षाएं भी बदल जाती हैं तो यह दुविधा होना और भी लाजिमी है. एक बच्चे के रूप में आपसे जिन दायित्वों की अपेक्षा की जाती थी, अब वह अपेक्षाएं बदल गई हैं. इस स्थिति में आपकी प्रतिक्रिया यह निर्धारित करेगी कि आप अपनी नई भूमिकाओं के लिये कितनी जल्दी या धीरे-धीरे ढलते हैं और आपको खुद पर कितना यकीन है.

4. साथियों का प्रभाव-

जैसे ही प्यूबर्टी आती है आपका अपने दोस्तों के साथ संवाद बढ़ जाता है. लोकप्रिय माध्यमों में आप अपने आस-पास जो देखते हैं और उनके माध्यम से जिस संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसका आप पर और साथी समूह पर प्रभाव पड़ने की संभावना है. आप जो देखते हैं उसके आधार पर, आपके बोलने, आपके कपड़े पहनने का तौर-तरीका और आप कैसे व्यवहार करते हैं, उसका सामान्य तौर पर चुनाव करते हैं.

कई बार यह असहज हो सकता है और हो सकता है कई बार आपकी पसंद बदल जाए. साथ ही यह उन तरीकों में से एक है, जिससे आपको अपने साथियों से घुलने-मिलने में परेशानी हो सकती है.

5. विचारों में टकराव-

आपको ऐसा लग सकता है कि जब आप बच्चे थे और अब जब आप एक वयस्क बनना चाहते हैं, उन दोनों के बीच फंस गए हैं, क्योंकि जब आप एक टीनएजर के रूप में प्यूबर्टी के दौर से गुजर रहे हैं, आप बदलाव के पड़ाव पर हैं. जैसे, आप ज्यादा आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं, वहीं आप पेरेंट्स का साथ भी चाहते हैं. एक दूसरा उदाहरण यह हो सकता है कि आप अपने दोस्तों के बीच घुलने-मिलने के लिये बचपन की रूचियों को छोड़ देना चाहें. आपको दुविधा महसूस हो सकती है और आप इसका स्पष्टीकरण मांग सकते हैं.

6. मूड में बदलाव-

आपको अक्सर और कभी-कभी अचानक ही अपने मूड में बदलाव महसूस हो सकता है और इसके साथ ही आपको अनिश्चिता और परस्पर-विरोधी ख्याल भी आ सकते हैं. जैसे, कई बार आपका मूड एकदम से बदल जाएगा, आप आश्वस्त और आनंदित से चिड़चिड़े और उदास हो जाएं. आप कैसा महसूस करते हैं, ये मूड स्विंग उसके अनुसार बदलता रहता है. यह आपके शरीर में होने वाले हॉर्मोन के स्तर के बदलाव के कारण हो सकता है या फिर प्यूबर्टी से जुड़े बदलावों के कारण.

7. संकोची महसूस करना-

हर इंसान अलग-अलग समय में प्यूबर्टी का अनुभव करता है. इसकी वजह से आपके दोस्त से आपका विकास अलग हो सकता है. आप अपने शरीर के बारे में और इसके परिणामस्वरूप आप जिस तरह से विकसित हो रहे हैं, उसके बारे में अधिक जागरूक हो सकते हैं.

चूंकि, लड़कियां, लड़कों की तुलना में पहले और जल्दी परिपक्व हो जाती हैं तो ये अनुभव उनमें ज्यादा स्पष्ट होते हैं. इसके साथ ही, उनमें शारीरक बदलाव जैसे नितंबों का आकार बड़ा होना और उनके ब्रेस्ट का विकसित होना- बहुत ही स्वाभाविक है. उनके साथियों के बीच, जोकि एक ही आयु वर्ग के हैं, उन्हें अपने अपीयरेंस को लेकर संकोची बना सकते हैं.

8. यौन इच्छा महसूस होना-

साथ ही, यौन परिपक्वता, प्यूबर्टी के बाद विकसित होती है. जब आप यौन परिपक्वता तक पहुंचते हैं तो आप परिवार शुरू करने के बारे में सोचने लगते हैं. सेक्स को लेकर और जिनके प्रति आप आकर्षित हैं उनकी ओर शारीरिक आकर्षण होना, यौन परिपक्वता का एक लक्षण है. एक लड़के या लड़की के लिये उन लोगों के प्रति यौन आकर्षण का अनुभव करना आम है, जो प्यूबर्टी के आने से “सिर्फ दोस्त” से अधिक बनना चाहते हैं.

सुरक्षित सेक्स के बारे में जानकारी-

नियमित दैनिक गतिविधियां जैसे रोमांटिक उपन्यास पढ़ना या टेलीविजन पर रोमांटिक दृश्य देखना भी आपके बच्चे की कामोत्तेजना को जगा सकता है. इन भावनाओं के लिये दोषी महसूस करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि वे सामान्य हैं. सेक्स को लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल हो सकते हैं. एक परिपक्व वयस्क जिसके साथ आप सेक्स पर चर्चा करने में सहज महसूस करते हैं (जैसे, आपकी मां, डॉक्टर, या परामर्शदाता) उसके साथ बात करना एक अच्छा विकल्प है. आपको अपने सवालों के जवाब मिलने चाहिए और सुरक्षित सेक्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

यदि आपका बच्चा लगातार उदास रहता है, तो कोई और समस्या हो सकती है. यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अत्यधिक और लंबे समय तक मूड स्विंग, डिप्रेशन या अन्य मानसिक समस्या का संकेत हो सकता है.

आम और अधिक गंभीर मूड स्विंग के बीच अंतर करने में मदद के लिये, यहां तीन बातें बताई गई हैं:-

1-दो हफ्ते से ज्यादा वक्त तक मूड वैसा ही रहे.

2-व्यवहार, भावनाओं और विचारों में अत्यधिक बदलाव को गंभीर माना जाता है.

3-जीवन के कई पहलुओं पर प्रभाव पड़ रहा हो (घर, स्कूल और दोस्ती)

अपने बच्चे से बात करना और यदि इस तरह के लक्षण उनमें नजर आ रहे हैं तो डॉक्टर से मदद लेना जरूरी है.

11 Tips: वार्डरोब रखें व्यवस्थित ऐसे

मैं क्या पहनूं कुछ मिल ही नहीं रहा पहनने को… मेरी वह वाली ड्रैस कहां गई?

क्या वार्डरोब के आगे खड़ी हो कर आप भी अकसर यह सवाल खुद से करती हैं? यदि हां, तो आप को जरूरत है अपने वार्डरोब को मैनेज करने की. वैसे तो आप हर महीने यह काम करती ही होंगी, लेकिन यदि वार्डरोब को सलीके से मैनेज किया जाए तो चीजें आसानी से और जल्दी मिल जाती हैं. आइए, हम आप को वार्डरोब मैनेजमैंट से जुड़े कुछ टिप्स बताते हैं:

1.  सब से पहले वार्डरोब में रखा सारा सामान बाहर निकालें. फिर वार्डरोब को अच्छी तरह साफ करें. उस के बाद हर कपड़े को अच्छी तरह तह लगा कर वार्डरोब में रखें. यदि कपड़ों के अलावा भी दूसरा सामान वार्डरोब में रखती हैं, तो उसे भी साफ कर के ही रखें.

2. कपड़ों को वार्डरोब में ठूंसें नहीं. यह आप को भी पता होगा कि आप के वार्डरोब में कितनी स्पेस है? स्पेस के हिसाब से ही वार्डरोब में कपड़े रखें. कपड़ों की अच्छी तरह तह लगा कर एक के ऊपर एक रखें. लेकिन यह ध्यान रहे कि कपड़ों का ढेर ज्यादा न हो. इस के लिए थोड़ीथोड़ी दूरी पर कपड़ों की गड्डी बना कर रखें.

3. जरूरी नहीं कि हर कपड़े को तह लगा कर वार्डरोब में रखा जाए. कुछ कपड़ों को हैंगर में भी टांगा जा सकता है. खासतौर पर कोट, ब्लेजर, साडि़यां, ईवनिंग ड्रैसेज आदि को हैंगर में ही टांगें, क्योंकि इन्हें तह लगा कर रखने पर इन में क्रीज बन जाती हैं. हैंगर में टांगने पर ऐसा नहीं होता.

4. बाजार में वुडन, स्टील, प्लास्टिक आदि के अलगअलग कपड़ों के लिए अलगअलग हैंगर उपलब्ध हैं. मसलन, कोट को टांगने के लिए चौड़े हैंगर मिलते हैं, तो साड़ी टांगने के हैंगर पतले होते हैं. शर्ट और ट्राउजर्स के लिए क्लिप वाले हैंगर बाजार में उपलब्ध हैं.

5. यदि आप किसी ड्रैस को लंबे समय से नहीं पहन रहीं या फिर अब उसे आप कभी नहीं पहनना चाहतीं, तो ऐसे कपड़ों को वार्डरोब में रख कर उसे भरें नहीं, बल्कि उन्हें हटा दें ताकि नए कपड़ों के लिए वार्डरोब में जगह बन सके.

6. यदि आप के वार्डरोब में कपड़ों के साथ ही जूते रखने की भी जगह है, तो जूतों को खुला न रखें. उन्हें कैनवास के डब्बे के अंदर रखें. इस से कपड़ों से जूतों की गंध नहीं आएगी.

7. यदि कपड़ों को तह लगा कर सैल्फ में रखना है, तो एकजैसे कपड़ों को एकसाथ रखें यानी बौटम के साथ बौटम और टौप के साथ टौप रखें. इस से कपड़ों को खोजने में आसानी होगी.

8. जिस ड्रैस या आइटम का आप सब से अधिक इस्तेमाल करती हैं उसे वार्डरोब में ऐसी जगह रखें जहां से आसानी से निकाल सकें यानी उसे निकालते समय अन्य सामान डिस्टर्ब न हो.

9. यदि आप के वार्डरोब में ड्रैसेज और जूतों के अलावा बैडलाइन और तौलिए भी रखें हैं, तो उन्हें तह लगा कर रखें. इस से उन में सिलवटें नहीं पड़ेंगी और जगह की भी बचत होगी.

10. यदि आप के वार्डरोब में लाइट की व्यवस्था हो सके तो अच्छा होगा, क्योंकि रोशनी होने से आप को सामान आसानी से मिल जाएगा और दूसरा सामान डिस्टर्ब भी नहीं होगा.

11. यदि आप के वार्डरोब में बहुत स्पेस नहीं है, तो आप उस में हुक्स अटैच करवा सकती हैं. इस से कुछ कपड़ों को, जिन में सिलवटें नहीं पड़तीं उन्हें उन पर टांग सकती हैं. 

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