‘‘सब तेरा ही कियाधरा तो है निक्की, सो तुझे ही भुगतना भी पड़ेगा,’’ अर्पिता ने रुखाई से कह कर फोन रख दिया.
वैसे अर्पिता का कहना था भी सही. निक्की तो उस रोज जिद कर के सब को सूरजकुंड मेला दिखाने ले गई थी. मेले में घूमते हुए अचानक पापा की ममेरी बहन रूपा बूआ मिल गईं. कई वर्ष पहले एक सरकारी आवासीय कालोनी में वे पड़ोस में ही रहती थीं. रातदिन का आनाजाना था. लेखाकार फूफाजी अर्पिता और निक्की को गणित पढ़ाते थे. फिर पापा ने नोएडा में फ्लैट खरीद लिया और फूफाजी ने द्वारका में, धीरेधीरे संपर्क खत्म हो गए. आज मिल कर सब बहुत खुश हुए और गपशप करने के लिए एक रेस्तरां में जा कर बैठ गए.
‘‘अर्पिता तो सौफ्टवेयर इंजीनियर बन गई, तू क्या बनेगी निक्की?’’ फूफाजी ने पूछा.
‘‘आप की दी शिक्षा को सार्थक कर रही हूं फूफाजी, कौमर्स कालेज में लेक्चरर हूं और पीएच.डी. की तैयारी भी कर रही हूं.’’
‘‘बड़ी खुशी हुई यह सुन कर,’’ रूपा बोलीं, ‘‘लेकिन इन के शादीब्याह के बारे में क्या कर रहे हो उदय भैया?’’
‘‘अभी तो कुछ सोचा नहीं. दोनों ही अपनेअपने कैरियर को बनाने में व्यस्त हैं,’’ उदय शंकर ने कहा.
‘‘कैरियर तो उम्र भर बनता रहेगा, लेकिन शादी की एक खास उम्र होती है और अच्छे लड़केलड़कियों के रिश्ते इसी उम्र में हो जाते हैं. अर्पिता 27 साल की हो रही है, जल्दी से इस के लिए लड़का तलाश करो वरना तुम्हें भी शंभु दयालजी वाली परेशानी होगी,’’ रूपा बोलीं.
‘‘शंभु दयाल कौन? वही पंडारा रोड वाले आप के मुंहबोले जेठ?’’ मम्मी ने पूछा, ‘‘कहां हैं वे आजकल?’’
‘‘उन का बेटा ओमी रामजस कालेज में व्याख्याता है न, कालेज के पास ही राजेंद्र नगर में रहते हैं,’’ रूपा बोलीं.
‘‘और उन की परेशानी क्या है?’’ उदय शंकर ने पूछा.
‘‘लड़कियों की शादी को ले कर परेशान होंगे,’’ मम्मी बोलीं, ‘‘4 लड़कियां थीं न उन की.’’
‘‘लड़कियां तो सब ब्याह गईं अनीता भाभी,’’ रूपा उसांस ले कर बोलीं, ‘‘बहनों को ब्याहने और डिगरियां लेने के चक्कर में ओमी कुंआरा रह गया है. सर्वगुण संपन्न लड़का है लेकिन 33 साल की उम्र की वजह से अच्छी लड़की ही नहीं मिल रही. बहुत परेशान हैं सब.’’
‘‘तो आप सब की परेशानी हल कर दो न रूपा बूआ,’’ निक्की ने चुटकी ली, ‘‘27 साल की अर्पिता दीदी और 33 साल के ओमी भाई की शादी करवा कर.’’
‘‘अरे, क्या कमाल का आइडिया दिया है री छोरी तू ने,’’ रूपा बूआ फड़क कर बोलीं.
‘‘और संयोग से वे सब भी यहां आए हुए हैं,’’ फूफाजी चहके, ‘‘शंभु से मोबाइल पर बात करवाता हूं…यह लो… उधर देखो, वह रहे वे लोग, अपनी टेबल पर बुला लेते हैं,’’ फूफाजी के साथ उदय शंकर, अनीता और रूपा भी लपक लीं.
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‘‘यह क्या बदतमीजी है, निक्की?’’ अर्पिता ने आंखें तरेरीं, ‘‘पहले तो खरीदारी के बहाने यहां ला कर शाम खराब की और अब यह शादी का शोशा छोड़ दिया.’’
इस से पहले कि निक्की कुछ बोलती, अर्पिता की नजर अपनी सहेली ओमी की छोटी बहन सरला पर पड़ी और वह लपक कर उस से मिलने चली गई.
2-3 मेजों को जोड़ कर एक लंबी मेज बनाई गई और चायनाश्ते का और्डर कर सब बातों में तल्लीन हो गए. केवल ओमी और निकिता उर्फ निक्की चुप थे. उम्र में फर्क जरूर था लेकिन बचपन की जान- पहचान तो थी ही, सो ओमी ने अपनी कुरसी निकिता के पास सरका ली.
यह सुन कर कि निकिता भी उसी के विषय की लेक्चरर है, ओमी बड़ा प्रभावित लगा. उस ने बातोंबातों में यह बताया कि वह अगले दिन लंदन स्कूल औफ इकोनोमिक्स में हो रहे सेमिनार में भाग लेने जा रहा है. निकिता को इस सेमिनार के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ओमी ने उसे उन वैबसाइटों के बारे में बताया जिन पर इस तरह की जानकारियां मिलती थीं और ज्ञान को अपडेट किया जा सकता था. निकिता बड़ी दिलचस्पी से ओमी की बातें सुन रही थी और भी बहुत कुछ पूछना चाहती थी लेकिन अर्पिता और सरला उसे अपने साथ शौपिंग के लिए ले गईं, बाकी सब लोग वहीं बैठे रहे.
उन की खरीदारी अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि सरला को ओमी का फोन आ गया कि सब लोग जाने के लिए मेले के गेट के पास उन का इंतजार कर रहे हैं. उन के वहां पहुंचते ही सब ने जल्दीजल्दी विदा ली, निकिता चाह कर भी ओमी से बात नहीं कर सकी. उसे यह तो यकीन था कि पापा ने शंभु अंकल से फोन नंबर लिया होगा लेकिन उस ने पूछना मुनासिब नहीं समझा.
सरला से मिलने के बाद अर्पिता का सुधरा मूड ओमी का नाम सुन कर फिर बिगड़ सकता था. वैसे भी जब अर्पिता गाड़ी चलाती थी तो मम्मीपापा काफी तनाव में रहते थे और आज तो ट्रैफिक भी और दिनों के मुकाबले अधिक था, सो रास्ते भर सब चुप रहे. घर आते ही निक्की तो कंप्यूटर पर ओमी की बताई वैबसाइट देखने में व्यस्त हो गई और अर्पिता मोबाइल पर बात करने में. मम्मीपापा टीवी देखने लगे और मेले में मिले लोगों के बारे में कोई बात नहीं हुई.
रविवार था, इसलिए अगली सुबह सभी रोज के मुकाबले देर से उठे और नाश्ता भी देर से बना.
‘‘तुम दोनों का आज क्या प्रोग्राम है?’’ मां ने नाश्ते के दौरान पूछा.
‘‘मुझे तो लंच के बाद कुछ देर को बाहर जाना है,’’ अर्पिता बोली, ‘‘निक्की तो कंप्यूटर से चिपकी रहेगी शायद.’’
निक्की ने राहत की सांस ली. अर्पिता के जाने के बाद वह पापा से नंबर ले कर ओमी से बात करेगी. उसे अपनी कुछ शंकाओं का निवारण करना था. लेकिन इस से पहले कि वह कुछ बोलती, दरवाजे की घंटी बजी. नौकर ने दरवाजा खोला. सामने शंभु दयाल सपरिवार खड़े थे.
‘‘माफ करना उदय भाई, इस तरह बिना बताए आ धमकने को, लेकिन मजबूरी है. सरला को दोपहर की गाड़ी से लखनऊ वापस जाना है और हम तीनों को लंदन, सो जो बात कल शुरू की थी उसे जाने से पहले पूरी करना चाह रहे हैं,’’ शंभु दयाल सांस लेने को रुके, ‘‘ओमी की रजामंदी तो मैं ने ले ली है, तुम ने अर्पिता से बात कर ली होगी?’’
हतप्रभ से खड़े उदय शंकर ने इनकार में सिर हिलाया, ‘‘अभी तो नहीं…’’
‘‘कोई बात नहीं,’’ शंभु दयाल ने आराम से सोफे पर बैठते हुए कहा, ‘‘अब कर लेंगे. वैसे अर्पिता सरला को बता चुकी है कि शादी तो वह भी करना चाह रही है लेकिन यही सोच कर डरती है कि कहीं शादी के बाद इतनी मेहनत से बनाए कैरियर का बंटाधार न हो जाए. ओमी से शादी कर के ऐसा नहीं होगा.’’
‘‘मैं इस बात की गारंटी देने को तैयार हूं,’’ ओमी हंसा, ‘‘क्योंकि न तो मैं अवार्ड विनिंग किताबें लिखने का मोह छोड़ सकता हूं और न मम्मी अपनी गृहस्थी की बागडोर का. सो हमें तो अपने कैरियर को सर्वोपरि मानने वाली लड़की ही चाहिए.’’
‘‘इस के बाद कहनेसुनने को कुछ रह ही नहीं जाता,’’ सरला बोली, ‘‘ओमी भैया और परिवार के बारे में तो तुम अच्छी तरह से जानती हो अर्पिता, फिर भी कुछ पूछना है तो पूछ लो. ओमी भैया से यहीं या अकेले में.’’
‘‘यहीं पूछूंगी सब के सामने कि शादी के बाद राजेंद्र नगर से रोज सुबह 9 बजे नोएडा आफिस पहुंचने के लिए कितने बजे घर से निकलना होगा और शाम को 7-8 बजे छूटने के बाद घर कब पहुंचा करूंगी?’’ अर्पिता ने चुनौती के स्वर में पूछा.
‘‘सवाल तो वाजिब है लेकिन उस के जवाब में उलझने के बजाय मैं यह बताना चाहूंगा कि लंदन से लौटने के बाद मैं यह नौकरी छोड़ रहा हूं,’’ ओमी ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘मुझे नोएडा में एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान में बेहतर नौकरी मिल चुकी है और मेरे पास 3 महीने का जौइनिंग टाइम है. मैं अपनी अर्जित छुट्टियों का सदुपयोग मांपापा को लंदन दिखाने में करना चाहता हूं, सो लौटने के बाद रामजस कालेज की नौकरी छोड़ूंगा.’’
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‘‘और कोई शंका तो नहीं रही अब?’’ शंभु दयाल ने सब की ओर देखा, ‘‘सो समय व्यर्थ मत करो सुभद्रा, पकड़ाओ बहू को शगुन और पक्का करो रिश्ता.’’
‘‘ठहरिए, भाई साहब,’’ अनीता पहली बार बोलीं, ‘‘ऐसे थोड़े ही रिश्ते पक्के होते हैं, आप तो शगुन ले कर आ गए, मगर हमारे पास तो कोई तैयारी नहीं है.’’
‘‘तो हमारे पास ही कौन सी तैयारी है?’’ सुभद्रा बोलीं, ‘‘हम भी नकद दे रहे हैं, आप भी नकद दे दो. नकद नहीं है तो चैक पकड़ा दो, 2 महीने बाद आ कर कैश करवा लेगा.’’
‘‘तो यह शगुन भी 2 महीने बाद ही कर लें…’’
‘‘नहीं, भाई उदय शंकर,’’ शंभु दयाल ने बात काटी, ‘‘शगुन यानी बात पक्की तो हम अभी कर के ही जाएंगे. अब तुम से क्या छिपाना, तुम्हें तो पता ही है कि मेरे भाई व बहनोई इंगलैंड में रहते हैं, वे जबतब ओमी को वहां बसाने के लिए, उस के लिए वहां की लड़कियों के रिश्ते सुझाते रहते हैं, जो हम नहीं चाहते. अब जब वहां जाने से पहले संयोग से ओमी के उपयुक्त लड़की भी मिल गई है तो क्यों न बात पक्की कर के जाऊं और इस से पहले कि वे कोई लड़की सुझाएं, मैं उन्हें यह खुशखबरी दे दूं कि तुम्हारी बेटी मेरी बहू बन रही है.’’
‘‘यह बात तो सोलह आने सही है,’’ उदय शंकर ने अर्पिता की ओर देखा, ‘‘तू क्या कहती है बेटी?’’
‘‘मैं क्या कहूं पापा?’’ अर्पिता ने असहाय भाव से कहा, ‘‘मेरी बस एक विनती है कि यहां शादी की बात अभी किसी को न बताई जाए.’’
‘‘हमारे पास तो किसी को बताने का समय है नहीं क्योंकि हम तो आज रात को ही लंदन जा रहे हैं,’’ सुभद्रा बोलीं, ‘‘तुम्हारे घर वाले क्या करते हैं, यह तुम जानो.’’
‘‘मम्मी का कैश तो तैयार पड़ा है, आंटीजी. आप को भी जो देना है जल्दी से लाओ ताकि ‘रोके’ की रस्म करें. मिठाईविठाई के चक्कर में मत पडि़ए, मेज पर अंगूर रखे हैं उन से मुंह मीठा करवा दीजिए सब का,’’ सरला ने कहा, ‘‘चल अर्पि, इधर बैठ सोफे पर, आप भी इधर आ जाओ ओमी भैया.’’
‘‘दीदी को कपड़े तो बदलने दीजिए,’’ निकिता हंसी.
‘‘रहने दे, इस के कपड़े बदलने के चक्कर में मेरी ट्रेन छूट जाएगी. सोच क्या रही हो मम्मी, खोलो अपना बटुआ,’’ सरला ने जल्दी मचाई.
उस के बाद घर में जो था वही जल्दीजल्दी खा कर, 2 महीने बाद मिलने का वादा कर के सब लोग चले गए.
‘‘यह सरला भी न…बिलकुल नहीं बदली, किसी को कुछ सोचने का मौका ही नहीं देती,’’ अनीता ने लंबी सांस ले कर कहा, ‘‘तू क्या कहती है अर्पि, जो हुआ ठीक ही हुआ न?’’
‘‘यह मैं कैसे कह सकती हूं मम्मी, क्योंकि मैं इस परिवार में किसी को इतना नहीं जानती कि उन्हें तुरंत नकार या स्वीकार कर सकूं,’’ अर्पिता के स्वर में तल्खी थी.
‘‘घरवर के अच्छे होने के बारे में तो खैर कोई शक ही नहीं है लेकिन अर्पि जो कह रही है वह भी ठीक है. फिक्र मत कर बेटी, हम अगला फैसला करने से पहले तुझे और ओमी को एकदूसरे को जानने का मौका देंगे,’’ उदय शंकर ने आश्वासन दिया.
‘‘और इस दौरान हम इस बारे में कोई बात नहीं करेंगे,’’ अर्पिता ने धीरे से कहा.
लंच के बाद अर्पिता को बाहर जाते देख कर अनीता ने शंकित स्वर में पूछा, ‘‘कहां जा रही है?’’
‘‘आप को बताया तो था मम्मी कि दोपहर को कुछ देर के लिए बाहर जाऊंगी,’’ कह कर अर्पिता चली गई और जब वह लौट कर आई तो बिलकुल सामान्य लग रही थी.
‘‘घर में जो फल थे मम्मी, वे तो आप के बिनबुलाए मेहमान खा गए. सो मैं फल ले आई हूं,’’ उस ने लिफाफे मेज पर रखते हुए कहा.
‘‘बड़ा अच्छा किया अर्पि, मैं सोच रही थी कि बापबेटियों में से किस से कहूं कि मुझे बाजार ले चलो.’’
‘‘आप को बाजार जाना है तो अभी चलिए, तू भी चल निक्की, कल जो कपड़े लाए हैं, वे टेलर को भी तो देने हैं.’’
इस के बाद जीवन पुरानी गति से चलने लगा. केवल पतिपत्नी अकेले में कितना और क्या खर्च करेंगे, इस पर बातचीत करते थे. शंभु दयाल के परिवार के लौटने से कुछ सप्ताह पहले एक शाम अर्पिता अपने सहकर्मी प्रणय के साथ आई. प्रणय अकेला रहता था, सो अकसर अनीता उसे खाने पर बुला लिया करती थी, उदय शंकर को भी उस के साथ शतरंज खेलना पसंद था.
‘‘पापा आ गए हैं मम्मी?’’ अर्पिता ने उतावली से पूछा विश्वास की जड़ें- जब टूटा रमन और राधा का वैवाहिक रिश्ता
‘‘हां, अपनी स्टडी में हैं, बुलाती हूं.’’
‘‘नहीं मम्मी, हम सब वहीं चलते हैं, निक्की आ गई हो तो उसे भी बुला लीजिए, मुझे आप सब को कुछ बताना है,’’ अर्पिता ने पापा के कमरे में जाते हुए कहा.
‘‘ऐसा क्या है जो उन के कमरे में ही बताएगी?’’पूर्व कथा
सूरजकुंड मेले में उदय शंकर अपने परिवार के साथ घूमने गए तो संयोगवश वहां रूपा बूआ और उन के मुंहबोले जेठ शंभु दयाल का परिवार मिल गया. बातोंबातों में उदयशंकर की बेटी निक्की ने अपनी बहन अर्पिता की शादी का प्रस्ताव शंभु दयाल के लेक्चरर बेटे ओमी के साथ करवाने का प्रस्ताव रख दिया. बात सब को जंच गई और आननफानन में अगले दिन ओमी और अर्पिता का रिश्ता पक्का हो गया क्योंकि उन्हें उसी रात 3 माह के लिए लंदन जाना था. एक दिन अर्पिता अपने सहकर्मी प्रणय के साथ घर आई और सब को कुछ बताने लगी…
अब आगे पढि़ए.
‘‘ड्राइंगरूम में नौकरों के सामने मैं बताना नहीं चाहती थी कि मैं ने और प्रणय ने आज कोर्ट में शादी कर ली है,’’ अर्पिता ने मैरिज सर्टिफिकेट पिता की ओर बढ़ाया.?
अनीता ने हैरानी से बेटी की सूनी मांग को देखा. निक्की भी भौचक्की सी खड़ी थी लेकिन उदय शंकर ने संयत स्वर में कहा, ‘‘चुपचाप कोर्ट मैरिज की क्या जरूरत थी बेटी? हम से कहतीं तो हम धूमधाम से तुम्हारी शादी प्रणय से कर देते…’’
‘‘अगर ओमी वाला ड्रामा होने से पहले कहती तो,’’ अर्पिता ने बात काटी, ‘‘मैं और प्रणय शादी इसलिए टाल रहे थे कि इस का असर हमारे कैरियर पर पड़ेगा. जब सरला ने, जो स्वयं एक सफल सौफ्टवेयर इंजीनियर है और एक बच्चे की मां भी है, बताया कि यदि पतिपत्नी के बीच सही तालमेल हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. वह बच्चे को सास और पति के पास छोड़ कर यहां आई हुई थी, तो मुझे बात समझ में आई और फिर यह डर था कि कहीं आप लोग निक्की के शोशे को गंभीरता से न ले लो. सो, मैं ने रात को प्रणय को सब बताया. इस ने कहा कि कल मिलने पर बात करेंगे लेकिन इस से मिलने के पहले ही ‘रोका’ हो गया.’’
‘‘दीदी, यह बात आप को ‘रोके’ की रस्म होने से पहले सब को बता देनी चाहिए थी,’’ निक्की बोली.
‘‘प्रणय से बगैर पूछे मैं कैसे कुछ वादा करती और फिर मौका भी नहीं मिला. ‘रोके’ को रोकने को जोे भी हम कहते थे उसे वे लोग काट देते थे. खैर, मुझे यही सही लगा कि इस बात को गुप्त रखने को कहूं और फिर खारिज करवा दूं. लेकिन आप सब जिस तरह ओमी पर लट्टू हो मुझे नहीं लगा कि आप यह रिश्ता तोड़ना मानोगे, सो हम ने कोर्ट मैरिज कर ली…’’
‘‘सिर्फ कागजी कार्यवाही,’’ अब तक चुप प्रणय बोला, ‘‘सिवा हमारे उन दोस्तों के जिन्हें गवाह बनाना जरूरी था, किसी को इस शादी के बारे में पता नहीं है. आप जब और जिस विधि से शादी करवाना चाहेंगे, हम शादी कर लेंगे और तब तक अर्पिता आप के पास ही रहेगी. बस, आप कहीं और इस की शादी नहीं कर सकेंगे.’’
‘‘उस का तो खैर सवाल ही नहीं उठता,’’ अनीता ने कहा, ‘‘लेकिन तुम्हारे घरवालों की रजामंदी, प्रणय?’’
‘‘मेरे परिवार में तो सिर्फ भाईभाभी हैं, उन्हें अर्पिता पसंद है. आप जब कहेंगे उन लोगों को बुला लूंगा,’’ प्रणय ने कहा.
‘‘तुम दोनों अपनी छुट्टियों का हिसाबकिताब बताओ उसी के मुताबिक हम तैयारी करेंगे,’’ उदय शंकर ने कहा.
‘‘छुट्टी तो कभी भी एक हफ्ते की नोटिस पर मिल जाएगी.’’
‘‘तो ठीक है, अपने भाई का फोन नंबर दो, उन से बात करता हूं,’’ उदय शंकर ने कहा. इतनी शांति से सब होता देख कर अर्पिता द्रवित हो उठी.
‘‘लेकिन शंभु दयाल अंकल से कैसे निबटेंगे, पापा. और रूपा बूआ भी बहुत नाराज होंगी.’’
‘‘होती रहें, जब रूपा ने बात छेड़ी थी, मैं ने तभी कह दिया था कि मैं अर्पिता से बात करने के बाद ही बात आगे बढ़ाऊंगा. मेरे लिए सिर्फ मेरी बेटी की खुशी माने रखती है. रिश्तेदारों की नाराजगी नहीं,’’ उदय शंकर ने दृढ़ स्वर में कहा.
शादी धूमधाम से हो गई. रूपा को ‘रोके’ के बारे में कुछ पता नहीं था, सो उस ने इतना ही कहा कि अचानक अर्पिता की शादी तय हो जाने से ऐसा लगता है कि ओमी के जीवन में शादी लिखी ही नहीं है.
‘‘बेचारा,’’ निक्की के मुंह से अचानक ही निकला.
शंभु दयाल के विदेश से लौटने से पहले ही अर्पिता और प्रणय हनीमून पर जा चुके थे. उदय शंकर ने शंभु दयाल को पत्र लिख कर रिश्ते का अंत कर दिया था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. एक रविवार की सुबह शंभु दयाल और सुभद्रा को देख कर उदय और अनीता बुरी तरह सकपका गए. शंभु दयाल दंपती ने बड़ी शालीनता से अर्पिता की शादी के लिए उन्हें मुबारकबाद दी, जिस से वे लोग और भी संकुचित हो गए. वातावरण को सहज करने के लिए निक्की उन से उन के लंदन प्रवास के बारे में पूछने लगी. उन्होंने वहां क्या अच्छा लगा और क्या नहीं, विस्तार से बताया, फिर उस की रिसर्च के बारे में बात करतेकरते अचानक पूछा, ‘‘तुझे भी कोई पसंद है शादी के लिए तो अभी से उदय को बता दे.’’
‘‘नहीं, अंकल, इस रिसर्च के चक्कर में कपड़े तक तो पसंद करने का समय नहीं मिलता. थीसिस पूरी कर लूं, फिर आस- पास देखूंगी और कोई पसंद आया तो आप को बता दूंगी.’’
‘‘पक्का…अभी कोई पसंद नहीं है?’’
‘‘शतप्रतिशत, अंकल.’’
‘‘अगर इसे कोई पसंद होता न तो यह कब का ढिंढोरा पीट चुकी होती भाई साहब,’’ अनीता ने कहा, ‘‘यह अर्पिता की तरह धीरगंभीर नहीं है. सच मानिए, प्रणय को हम बरसों से जानते हैं मगर कभी खयाल ही नहीं आया कि उस से रिश्ता जुड़ सकता है वरना हम आप को परेशान नहीं करते.’’
‘‘परेशानी तो अब होगी अनीताजी, जब लंदन वाले सगाई व शादी की तारीख पूछेंगे. क्या बताएंगे उन्हें कि जिस लड़की से रिश्ता कर के हम ने उन के सुझाए रिश्तों को नकारा था, उस की तो कहीं और शादी हो गई,’’ सुभद्रा ने कहा, ‘‘आप चाहें तो हमें इस परेशानी से नजात मिल सकती है. निक्की का रिश्ता ओमी से कर दीजिए.’’
निक्की सिहर उठी. अपने से 9 साल बड़े ओमी से शादी. उस ने तुरंत फैसला किया कि वह अर्पिता की तरह चुप नहीं रहेगी. यह उस की जिंदगी है और वह इस के बारे में शंभु अंकल से खुद बात करेगी.
‘‘आप को शायद मेरी उम्र मालूम नहीं है? मेरी और ओमीजी की उम्र में 9 साल का फर्क है, ऐसी बेमेल जोड़ी बनाने की बात तो सोची भी नहीं जा सकती,’’ निक्की मम्मीपापा के बोलने से पहले ही बोल पड़ी.
‘‘वर्षों के अंतराल को तो नकारा नहीं जा सकता बेटी,’’ शंभु दयाल ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘लेकिन न तो ओमी 33 वर्ष का लगता है और न ही कुंआरा होने की वजह से उस की सोच भी उम्र के मुताबिक धीरगंभीर है. वह खुशमिजाज और शौकीन है. तुम भी छिछोरी नहीं हो और तुम दोनों का विषय भी एक ही है. सो, खुश रहोगे एकदूसरे के साथ. यह हमारा नहीं ओमी का कहना है.’’
‘‘क्या मतलब? यह प्रस्ताव ओमी का है?’’ अनीता ने चौंक कर पूछा.
‘‘सुझाव कहना बेहतर होगा. असल में मैं यह सोच कर परेशान हो रहा था कि मैं अपने रिश्तेदारों को किस मुंह से रिश्ता तोड़ने की बात बताऊं तो ओमी ने सुझाया कि हम निक्की का हाथ मांग लें, रिश्तेदारों को यह तो नहीं बताया था कि उदय अंकल की बड़ी बेटी से रिश्ता तय किया है या छोटी से. वैसे भी निकिता मुझे पसंद है और फिर हम दोनों पढ़ाते भी एक ही विषय हैं, सो एकदूसरे को सहयोग भी दिया करेंगे यानी खुश रहेंगे एकदूसरे के साथ,’’ शंभु दयाल ने कहा, ‘‘मुझे उस का यह कहना गलत नहीं लगा.’’
‘‘ओमी का कहना बिलकुल सही है,’’ उदय शंकर कहे बिना न रह सके.
‘‘फिर भी इस बार हम आप पर कोई जोरजबरदस्ती नहीं करेंगे. आप लोग आपस में विचारविमर्श कर के हमें बता दीजिएगा,’’ कह कर शंभु दयाल उठ खड़े हुए.
‘‘अरे, ऐसे कैसे बिना चायपानी पीए चले जाएंगे,’’ अनीता ने प्रतिवाद किया.
‘‘आप बैठिए मम्मी, मैं अभी चाय भिजवाती हूं,’’ निकिता ने उठते हुए कहा और नौकर से चाय बनाने को कह कर अपने कमरे में आ गई. मम्मीपापा के रवैए से तो लग रहा था कि वे उसे आसानी से ओमी के सुझाव को नकारने नहीं देंगे. जिस सहृदयता से अर्पिता की खुशी की खातिर उन्होंने रिश्तेदारी की परवा नहीं की थी, उसी रिश्तेदारी के लिए उसे अपने से कहीं बड़े पुरुष से विवाह कर के अपने अरमानों का बलिदान करने को कहा जाएगा.
उस ने अर्पिता को फोन किया, पर उस के शुष्क जवाब ने उस का इरादा दृढ़ कर दिया कि यह उस की निजी समस्या है और उसे अकेले ही सुलझानी होगी. वह ओमी से मिलेगी, अपनी रिसर्च के बारे में उस से जितनी मदद मिल सकेगी, बटोर लेगी और फिर ऐसी बचकानी हरकतें करेगी कि ओमी खुद ही उस से शादी करने को मना कर देगा.
ये उदय शंकर और अनीता के पूछने पर उस ने कहा कि कुछ फैसला करने से पहले वह ओमी से मिलना चाहेगी और फिर मुलाकातों और फोन पर बातें करने का सिलसिला शुरू हो गया. उसे लगने लगा कि केवल उन के विषय ही नहीं, शौक और पसंद भी प्राय: एक सी थीं. ओमी परिपक्व था, सो शालीनता व मनोरंजन के बीच सामंजस्य बनाना जानता था. उस के कहने से पहले ही उस की पसंद जान जाता था. उसे वह अच्छा लगने लगा था मगर इतना अच्छा भी नहीं कि उम्र भर के बंधन में बंध जाए.
‘‘तू ने क्या सोचा, निक्की?’’ एक रोज अनीता ने पूछा, ‘‘ओमी को तो तू बहुत पसंद है, वह कहता है कि कमाल की जोड़ी बननी थी, सो उस रोज संयोग से हम दूरदराज रहने वाले लोग सूरजकुंड मेले में चले गए. मुझे भी उस की बातें सही लगती हैं. वरना क्यों तू रूपा को उस के और अर्पिता के बारे में सुझाती और अर्पिता कोर्ट मैरिज करने की हिम्मत करती?’’
‘‘यह तो है मम्मी, है तो सब संयोग ही,’’ निकिता ने स्वीकार किया.
‘‘और इसे नकारना बेवकूफी होगी जो मेरी समझदार बेटी कभी नहीं करेगी,’’ उदय शंकर ने अंदर आते हुए कहा.
निकिता ने शरमा कर सिर झुका लिया. मम्मीपापा उस से बलिदान नहीं मांग रहे थे बल्कि उसे वरदान दे रहे थे.