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मैं अकेली हूं पर मोहित की यादें अकसर ही मुझ से बातें करने आ जाया करती हैं. लगता जैसे मोहित आते ही मुझे चिढ़ाने लगते हैं. वास्तव में तुम्हारी हिम्मत न होती थी हकीकत की जमीन पर मुझे चिढ़ाने की, लेकिन खयालों में तुम कोई मौका न छोड़ते. मैं खयालों में ही रह जाती हूं, जवाब नहीं दे पाती तुम्हें. पता नहीं पिछले कुछ दिनों से जाने क्यों मुझे रहरह कर कमल की भी याद आ रही है. मै जानती हूं वह कभी नहीं आएगा. अगर आया तो भी उस के लिए मेरी जिंदगी में कोई जगह नहीं है. आखिर मैं ने ही तो छोड़ा था उसे, फिर क्यों याद कर रही हूं मैं उस को. मैं खुश हूं अपनी जिंदगी में. क्या फर्क पड़ता है किसी के जाने से? कौन सी मैं ने मोहब्बत ही की थी उस से.

छल… हां, छल ही तो किया था उस ने मुझ से और खुद से. फिर क्यों याद बन कर सता रहा है मुझे. शायद असीम और अभिलाषा के एकदूसरे के प्रति लगन के कारण कमल का स्मरण हो आया है. मुझे अच्छी तरह से याद है. मैं ही उस के प्रति आकर्षित हुई थी पहले. कमल गोरा, लंबा आकर्षक पुरुष था. वह शादीशुदा नहीं था. मेरे पति मोहित पहले दिन ही कमल से मिलवाते हुए बता चुके थे. मुझे काफी दिलकश इंसान लगा था. खूबी होगी कुछ उस में. तभी दरवाजे की घंटी बजी. मैं खोलने चली गई.

सामने असीम खड़ा था. ‘‘अरे असीम, आ जाओ. तुम्हें ही याद कर रही थी.’’ ‘‘मुझे, पर क्यों भाभी?’’ असीम भाभी ही कहता हैं मुझे. वैसे तो हम रिश्तेदार बनने वाले हैं. उस की शादी मेरी छोटी बहन अभिलाषा से होने वाली है. लेकिन देवरभाभी का रिश्ता कमल का दिया हुआ था. असीम कमल को बड़ा भाई मानता था. ‘‘जस्ट जोकिंग डियर. अच्छा, तैयारी कैसी चल रही है शादी की?’’ ‘‘हा हा हा, तैयारी करने के लिए जब आपलोग हैं ही, फिर मुझे क्या चिंता?’’ ‘‘हींहींहीं मत कर. घोड़ी चढ़ कर भी क्या हम लोग ही आ जाएंगे.’’ ‘‘हा हा हा, लड़की आप की है, फिर आप घोड़ी चढ़ें या गदही चढ़ें, मेरी तरफ से सब मुबारका.’’

‘‘मस्ती सूझ रही दूल्हे मियां को.’’ ‘‘सोचता हूं कि कर ही लूं, फिर मौका मिले या न मिले’’, दांत निपोरते हुए असीम फिर बोला, ‘‘क्या बात है भाभी, मैं तब से आप को हंसाने की कोशिश कर रहा हूं पर आप का ध्यान कहीं और ही है?’’ ‘‘नहींनहीं, कुछ खास नही. बस, आज तुम्हारे मित्र कमल का ध्यान हो आया.’’ थोड़ी देर रुक कर मैं फिर बोली, ‘‘तुम्हारी तो बातचीत होती होगी. कहां है आजकल? क्या कर रहा है?’’ गंभीर भाव मुख पर लाते हुए असीम बोला, ‘‘जी, कभीकभी बातचीत पहले हो जाया करती थी. इधर काफी दिनों से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. लेकिन आज अचानक कमल क्यों?’’ अचानक असीम के सवाल से मैं सहम सी गई.

‘‘क्योंक्या?’’ मैं झेंपते हुए बोली, बस, यों ही’’. असीम का मोबाइल बजने लगा और वह बीच में ही ‘अच्छा भाभी, मैं चलता हूं’, कहते हुए बाहर चला गया. मैं फिर से यादों से बातें करने लगी. मेरे जीवन में कमल और मोहित की यादें ही तो रह गई है सिर्फ, अन्यथा बचा ही क्या है. मैं मोहित का फोटो ले कर बैठ जाती हूं. मेरे जीवन के 2 पलड़े हैं और दोनों ही मुझ से टूट कर अलग हो गए. रह गई मेरे हाथों में केवल डंडी. आज मैं मोहित से बातें करना चाहती हूं. वे बातें जो उस के साथ रहते हुए भी कभी नहीं कर पाई थी. आज करूंगी वे बातें, वे सभी बातें तो कभी भी मैं मोहित को बताना नहीं चाहती थी. वे बातें जो मैं ने पूरी दुनिया से छिपा रखी हैं. वे बातें जो मैं ने खुद से भी छिपा रखी हैं. पता नहीं मैं किस दुनिया में पहुंच रही हूं. मैं फोटो से बात कर रही हूं या खुद से, समझ नहीं पा रही.

‘मोहित, तुम्हें क्या लगा कि मैं गलत थी. अरे एक बार पूछ कर तो देख लेते. पर तुम पूछते कैसे? मर्द जो ठहरे तुम. मैं नहीं जानती तुम ने ऐसा क्यों किया पर मैं अब समझ सकती हूं कि तुम्हें कैसा लगता होगा जब मैं कमल से हंसहंस कर बातें करती थी. मुझे परवा न थी दुनिया की. मैं तो सिर्फ अपनेआप में मस्त रहती थी. कभी तुम्हारे बारे में सोचा ही नहीं मैं ने. तुम मेरे पति थे और आज भी हो, लेकिन हम साथसाथ नहीं हैं. हम दोनों एकदूसरे के लिए परित्यक्त हैं. तलाकशुदा नहीं हैं हम. तुम चाहो तो मैं तुम्हारे पास वापस आने को तैयार हूं. पर तुम ऐसा क्यों चाहोगे? मैं ने कौन से पत्नीधर्म निभाए हैं.’ फिर से खयालों में खोती चली जाती हूं. ‘मैं भूल गई थी कि तुम मेरे पति हो. पर तुम कभी नहीं भूले. मोहित, तुम ने हमेशा मेरा साथ निभाया. खुदगर्जी मेरी ही थी. मैं जान ही नहीं पाईर् थी तुम्हारे समर्पण को. मेरे लिए तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे पति थे. पर तुम्हारे लिए मैं जिम्मेदार थी. मेरी जिंदगी में भले ही तुम्हारे लिए जगह न थी लेकिन तुम्हारे लिए मैं हमेशा ही तुम्हारे सपनों की रानी रही.’

‘मैं जब अकेले में खुद से बातें करते हुए थकने लगती हूं तब तुम आ जाते हो मेरे खयालों में, बातें करने मुझ से. मुझे अच्छा लगने लगता है. मैं तुम से बातें करने लगती हूं. तुम कहने लगते हो, ‘जब तुम मुझ से खुश न थी तो फिर संग क्यों थीं? तुम्हें चले जाना चाहिए था कमल के साथ. मैं कभी नहीं रोकता तुम्हें.’ तुम मेरे अंदर से बोल पड़ते हो. ‘मैं तुम्हें जवाब देने लगती हूं.’ ‘तुम्हारे साथ मैं केवल तुम्हारे पैसों के लिए थी. अन्यथा तुम तो मुझे कभी पसंद ही नहीं थे. तुम्हारा काला रंग, निकली हुई तोंद, भारीभरकम देह, मुझ से न झेला जाता था. मैं कमल के साथ जाना चाहती थी मगर उस की लापरवाही मुझे खलती थी. कमल खुद में स्थिर नहीं था. अन्य औरतों की भांति मैं भी एक औरत के रूप मेें ठहरावपूर्ण जिंदगी चाहती थी जो कि तुम्हारे पास थी.’

‘तो फिर कमल ही क्यों? किसी अन्य पुरुष को भी तुम अपना सकती थी,’ मेरे मन का मोहित बोला. ‘हां, अपना सकती थी. लेकिन कमल सब से सुरक्षित औप्शन था. किसी को शक नहीं होता उस पर. और फिर संपर्क में भी तो कमल के अलावा मेरे पास अन्य पुरुष का विकल्प न था. और जो 2 पुरुष तुम्हारे अलावा मेरे संपर्क में थे उन में कमल मुझे कहीं अधिक आकर्षित करता था.’ ‘और असीम?’

‘असीम के प्रति मेरे मन में कभी वह भाव नहीं आया. कभी आया भी होगा तो मैं यह सोच कर रुक जाती कि वह मेरी छोटी बहन का आशिक है और उम्र में भी तो बहुत छोटा था. 10 साल, हां, 10 साल छोटा है असीम.’ ‘मेरी एक चिंता दूर करोगी क्या?’ ‘हां, बोलो, कोशिश करूंगी.’ ‘कमल मेें ऐसा क्या था जो मुझ में नहीं था?’ ‘यह तुम्हारा प्रश्न ही गलत है.’ ‘क्या मतलब?’ ‘तुम में वह सबकुछ था जो कमल में भी नहीं था. कमी तो मुझ में थी. मैं ही खयालों की दुनिया से बाहर नहीं आना चाहती थी. मुझे वाहवाही की लत जो लगी हुईर् थी. तुम कूल डूड थे और कमल एकदम हौट. तुम्हें मर्यादा में रहना पसंद था और मुझे बंधनमुक्त जीना पसंद था. तुम्हें समाज के साथ चलना पसंद था और मुझे पूरी दुनिया को अपने ठुमकों पर नचाना था.’

‘तुम एक बार बोल कर तो देखतीं. मैं तुम्हारी कला के बीच कभी नहीं आता.’ ‘आज जानती हूं तुम कभी न आते. लेकिन उस समय कहां समझ पाई थी मैं. समझ गई होती तो आज मैं…’ ‘मैं क्या?’ ‘तुम नहीं समझोगे.’ ‘मैं तब भी नहीं समझ सकता था और आज भी नहीं समझ सकता तुम्हारी नजरों को. समझदारी जो न मिली विरासत में.’ ‘तुम गलत व्यू में ले रहे हो.’ ‘तो सही तुम्हीं बात देतीं.’ मेरी तंद्रा फिर से टूट गई जब अभिलाषा आ कर मेरे गले से लिपट गई. मैं ने अभिलाषा को भले जन्म न दिया हो लेकिन वह मेरी बेटी से बढ़ कर है. मेरी सहेली, मेरी हमराज. कुछ भी तो नहीं छिपा है अभिलाषा से. मेरी और मोहित की शादी के समय अभिलाषा 6 साल की थी. दहेज में साथ ले कर मोहित के घर आ गई थी मैं. अब मेरी दुनिया अभिलाषा ही है.

 

 

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