सवाल-

मेरे पति को पिछले महीने ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. वे अभी पूरी तरह रिकवर नहीं हुए हैं. मैं ने सुना है दोबारा स्ट्रोक की चपेट में आने का खतरा काफी अधिक होता है?

जवाब-

यह सही है कि ब्रेन स्ट्रोक से रिकवर होने में काफी समय लगता है और अगर जरूरी सावधानियां न बरती जाएं तो दोबारा इस की चपेट में आने का खतरा काफी अधिक होता है. पहले सप्ताह में स्ट्रोक की पुन: चपेट में आने का खतरा 10-12% और पहले 3 महीनों में 20-25% होता है. डाक्टर के लगातार संपर्क में रहें और उन के द्वारा सुझई दवा नियत समय पर दें. उन्हें पूरी तरह बैड रैस्ट पर न रखें, बल्कि हलकीफुलकी ऐक्सरसाइज करने या टहलने के लिए कहें. उन के खानपान का ध्यान रखें. संतुलित, सुपाच्य और पोषक भोजन खिलाएं.

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पक्षाघात यानी ब्रेन स्ट्रोक दिमाग के किसी भाग में ब्लड सप्लाई बाधित होने या कम होने से होता है. दिमाग में औक्सीजन और पोषक तत्त्वों की कमी से ब्लड वैसेल्स यानी रक्त वाहिकाओं के बीच ब्लड क्लोटिंग की वजह से उस की क्रियाएं बाधित होने लगती है, इस कारण दिमाग की पेशियां नष्ट होने लगती है जिस से दिमाग अपना नियंत्रण खो देता है, जिसे स्ट्रोक सा पक्षाघात कहते हैं. यदि इस का इलाज समय पर नहीं कराया जाए तो दिमाग हमेशा के लिए डैमेज हो सकता है. व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

आज विश्व में करीब 80 मिलियन लोग स्ट्रोक से ग्रस्त हैं, 50 मिलियन से ज्यादा लोग स्थाई तौर पर विकलांग हो चुके हैं. ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के अनुसार 25% ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की उम्र 40 वर्ष है. इस बात को ध्यान में रखते हुए हर साल 29 अक्तूबर को ‘वर्ल्ड स्ट्रोक डे’ मनाया जाता है, जिस का उद्देश्य स्ट्रोक की रोकथाम, उपचार और सहयोग के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है.

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