सुनीता और रंजन और उन के 2 बच्चे- एकदम परफैक्ट फैमिली. संयुक्त परिवार का कोई झंझट नहीं, पर पुनीता और रंजन की फिर भी अकसर लड़ाई हो जाती है. रंजन इस बात को ले कर नाराज रहता है कि वह दिन भर खटता है और पुनीता का पैसे खर्चने पर कोई अंकुश नहीं है. वह चाहता है कि पुनीता भी नौकरी करे, पर बच्चों को कौन संभालेगा, यह सवाल उछाल कर वह चुप हो जाती है. वैसे भी वह नौकरी के झंझट में नहीं पड़ना चाहती है.

पैसा कहां और किस तरह खर्चा जाए, इस बात पर जब भी उन की लड़ाई होती है, वह अपने मायके चली जाती है. बच्चों पर, घर पर और अपने शौक पूरे करने में खर्च होने वाले पैसे को ले कर झगड़ा होना उन के जीवन में आम बात हो गई है. वह कई बार रंजन से अलग हो जाने के बारे में सोच चुकी है. रंजन उसे बहुत हिसाब से पैसे देता है और 1-1 पैसे का हिसाब भी लेता है. पुनीता को लगता है इस तरह तो उस का दम घुट जाएगा. रंजन की कंजूसी की आदत उसे खलती है.

सीमा हाउसवाइफ है और उस के पति मेहुल की अच्छी नौकरी और कमाई है, इसलिए पैसे को ले कर उन के जीवन में कोई किचकिच नहीं है. लेकिन उन के बीच इस बात को ले कर लड़ाई होती है कि मेहुल उसे समय नहीं देता है. वह अकसर टूर पर रहता है और जब शहर में होता है तो भी घर लेट आता है. छुट्टी वाले दिन भी वह अपना लैपटौप लिए बैठा रहता है. उस का कहना है कि उस की कंपनी उसे काम के ही पैसे देती है और जैसी शान की जिंदगी वे जी रहे हैं, उस के लिए 24 घंटे भी काम करें तो कम हैं.

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