सोशल मीडिया में फाइनैंस इन्फ्लुएंसर्स के चलते यूथ में शेयर मार्केट और फाइनैंस की खासी नौलेज तो बढ़ी है पर अधिकतर इन्फ्लुएंसर्स अपनी वीडियो को ज्यादा से ज्यादा वायरल कराने के लिए इस से होने वाले खतरों को छिपा देते हैं.

एक साल पहले मेरे दूर के भाई के हाथ अपने पिताजी के 1990 में खरीदे शेयर्स का पेपर लगा, जिसे उन्होंने डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर करा लिया. उन शेयरों की कीमत आज लाखों में है. उस के बाद उन्हें शेयर मार्केट से जैसे प्यार ही हो गया है. वे आएदिन मु?ो अपने शेयर मार्केट के स्क्रीनशौट भेजते रहते हैं और मु?ो भी इन्वैस्ट करने के लिए एनकरेज करते रहते हैं. यह हाल सिर्फ मेरे भाई का ही नहीं, बल्कि वर्तमान में अधिक्तर युवाओं का है.

मिलेनियम हो या जेनजी, भारत के युवाओं में सोशल मीडिया से ले कर लग्जरी लाइफस्टाइल के क्रेज के साथसाथ एक क्रेज और बढ़ रहा है और वह है फाइनैंस का क्रेज. इंटरनैट पर मौजूद तमाम फाइनैंशियल जानकारी के जरिए युवा फाइनैंशियल लिट्रेसी पा रहे हैं, जिस के कारण उन में इन्वैस्टमैंट का क्रेज भी बढ़ रहा है.

बचत से अलग अब वे इन्वैस्टमैंट में बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं. सोशल मीडिया में आधा कच्चा जैसा भी ज्ञान परोस रहे फाइनैंस के इंफ्लुएसरों की भूमिका इस में खासी रही है. यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफौर्म इस में मुख्य भुमिका अदा कर रहे हैं. डीमैट अकाउंट खोलना हो या एसआईपी में निवेश करना हो, बैंकों की फाइनैंस स्कीम्स के बारे में जानना हो या कंपनियों में इन्वैस्टमैंट के बारे में जानना हो, छोटे से ले कर बड़ेबड़े यूट्यूबर आप को हर तरह की जानकारी दे रहे हैं बिना किसी ?ां?ाट के, जो समस्या भी बनती जा रही है.

आजकल लोग, खासकर युवा, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और टैलीग्राम के माध्यम से फाइनैंस की जानकारी पा रहे हैं. यूट्यूब पर ढेरों ऐसे चैनल्स उपल्बध हैं जो फाइनैंस की एबीसीडी फ्री में मुहैया करा रहे हैं.

कोरोना के बाद से यह क्रेज और तेजी से बढ़ा है. नौकरीपेशा हो चाहे बेरोजगार युवा, सभी इन्वैस्टमैंट के बारे में जानने में इंट्रैस्टेड हैं और कहीं न कहीं से जानकारी इकट्ठा कर निवेश कर रहे हैं. बेरोजगारी इतनी है कि अपनी सेविंग को लोग अब इन्वैस्ट कर रहे हैं.

वर्तमान में देखा जाए तो पिछले वर्ष नैशनल स्टौक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष चौहान का कहना था कि वर्तमान में 17 प्रतिशत भारतीय परिवार शेयरों में निवेश कर रहे हैं. आम लोग निवेश कर रहे हैं. म्यूचुअल फंड हो या एसआईपी या फिर शेयर, कितने ही तरीके आजकल के युवा निवेश के तौर पर अपना रहे हैं, जिस से निवेशकों की संख्या बढ़ रही है.

एनएसई के माध्यम से भारतीय शेयर बाजारों में 80 मिलियन लोग पैसा लगा रहे हैं. हालांकि, यह अभी भी आबादी का एक छोटा सा हिस्सा ही है. अधिकांश नए निवेशक पिछले 2-3 वर्षों में आए हैं. मोबाइल फोन और एप्लिकेशन के माध्यम से अधिक लोग अब शेयर बाजार के माध्यम से बचत कर रहे हैं.

कोरोना के बाद से इन निवेशकों की संख्या लागातार बढ़ रही है. गुजरात, उत्तर प्रदेश से ले कर कर्नाटक तक निवेशकों ने शेयर बाजार में खूब पैसा लगाया है. उत्तर प्रदेश में निवेशकों की संख्या में रिकौर्ड बढ़ोतरी हुई. यूपी ने 2022 में गुजरात को पीछे छोड़ा और सैकंड बिग इन्वैस्टर स्टेट बन गया. मार्च 2015 में 1.24 मिलियन के मुकाबले 2025 तक यूपी से निवेश करने वालों की संख्या 9.36 मिलियन रही.

17.4 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र टौप पर रहा. 2024 तक महाराष्ट्र में 15.3 मिलियन शेयर बाजार निवेशक थे. इन में गुजरात के 9 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 5.6 प्रतिशत, कर्नाटक 5.6 प्रतिशत और राजस्थान के 5.6 प्रतिशत निवशक शामिल हैं. इन 6 राज्यों से 54 प्रतिशत निवेशक हैं और यह नंबर लगातार बढ़ रहा है.

जिरोधा, ग्रो, 5 पैसे और अपस्टौक जैसे मोबाइल ऐप के माध्यम से इन्वैस्ंिटग अब आसान हो गई है. शायद शेयर मार्केट में लगातार बढ़ रहे निवेशकों का यही कारण है. स्मार्टफोन यूजर आसानी से इन ऐप्स के माध्यम से अलगअलग ब्रोकर के पास अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और पैसा इन्वैस्ट कर सकते हैं. इन का इस्तेमाल करना भी आसान है. यही वजह है कि लोग इन का इस्तेमाल कर भी रहे हैं.

 

बहकाए भी जा रहे हैं युवा

नएनए युवा स्टौक मार्केट और इन्वैस्टमैंट के इस खेल, खासकर अपना भाग्य आजमाने में उतर रहे हैं, कभी अपनी बचत को ले कर, कभी मांबाप की जमापूंजी को ले कर तो कभी ब्याज और लोन पर पैसे ले कर. फिर अपनी जमापूंजी एक ?ाटके में डुबो देते हैं, इन्फ्लुएंसर्स के बहकावे में आकर. ये यूट्यूबर्स आप को एक दिन में घरबैठे 1,000 से 10,000 रुपए तक पैसे कमाने को इतने आसान तरीके से दिखाते हैं कि हर कोई इस में फंसता चला जाता है. हालांकि ऐसा नहीं है कि ये सब गलत ही बताते हैं लेकिन इन के वीडियोज इतने आकर्षक होते हैं कि आज का युवा इन पर आसानी से विश्वास कर लेता है.

हाल ही में सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) नें 20 लाख फौलोअर्स वाले फाइनैंस इन्फ्लुएंसर्स रविंद्र भारती को 12 करोड़ रुपए से अधिक की रकम लौटाने को कहा है, जोकि गैरकानूनी तरीके से कमाई गई है. बाजार नियामक सेबी की जांच से पता चला है कि यह शख्स शेयर बाजार प्रशिक्षण संस्थान के नाम पर एक गैर रजिस्टर्ड एडवाइजरी फर्म का संचालन कर रहा था.

10.8 लाख सब्सक्राइबर्स के साथ रविंद्र भारती के शेयर मार्केट मराठी और 8.22 लाख सब्सक्राइबर्स के साथ भारती शेयर मार्केट हिंदी नाम से 2 यूट्यूब चैनल हैं. वह एक फाइनैंस इंस्टिट्यूट भी चलाता है जहां वह शर्तों पर निवेश करने की सलाहें देता है.

सेबी के आदेश में कहा गया कि इन लोगों ने निवेशकों के विश्वास के साथ धोखा किया और व्यक्तिगत लाभ के लिए संस्था बना कर सिस्टम का दुरुपयोग किया. इन लोगों ने नियमकानूनों की अवहेलना करते हुए निवेशकों को 1,000 फीसदी तक की गारंटीकृत रिटर्न देने का वादा किया. यह पूरी तरह से इक्विटी मार्केट में निवेशकों के विश्वास का दुरुपयोग है. इस के बाद अब उसे 12 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान करना होगा.

इन्फ्लुएंसर्स का टारगेट पैसे ले कर प्रोडक्ट्स प्रमोट करना भी होता है, जिस के चलते कभीकभी वे ऐसे प्लेटफौर्म को प्रमोट करते हैं जो फ्रौड होते हैं और लोगों को फंसाने का काम करते हैं. यूट्यूब या फिर बाकी सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर लोगों को निवेश से जुड़ी कई गलत सूचनाएं इन के द्वारा दी जाती हैं जिस के लिए ये लोग हजारों रुपए चार्ज करते हैं. वहीं, मुख्य रूप से ये इन्फ्लुएंसर्स अपने कोर्सेज बेच कर और यूट्यूब के जरिए अधिकतर पैसा कमाते हैं.

यूथ सौफ्ट टारगेट

आज युवा ?झटपट अमीर बनना चाहता है. उसे लगता है कि शेयर मार्केट ऐसी जादू की छड़ी है जहां पैसा डालो और रातोंरात अमीर बन जाओ. नया युवा बिना जानकारी के ऐसी धारणा बनाता है. वह थोड़ाबहुत कमाया दांव पर लगाता है. यह बात इन्फ्लुएंसर्स जानते हैं. वे हिंदीभाषी युवाओं को टारगेट करते हैं, क्योंकि हिंदी भाषा में फाइनैंस पर आसान जानकारी उपलब्ध हो, ऐसा कहा नहीं जा सकता. यही कारण है कि उत्तर भारत में अचानक से डीमैट अकाउंट की संख्या में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है. युवा इन इन्फ्लुएंसर्स की वीडियो देखता है और आंखें बंद कर के निवेश शुरू कर देता है. जहांतहां से पैसा उठाया और लगा दिया कभी स्टौक्स में, कभी क्रिप्टो में तो कभी औप्शन ट्रेडिंग में और फिर भारी लौस उठाते हैं.

इसी का उदाहरण है वाल्ड जोकि सिंगापुर स्थित क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफौर्म था. 2021 में इसे 4 लोकप्रिय फाइनैंस इन्फ्लुएंसर पी आर सुंदर, अंकुर वारिकू, अक्षत श्रीवास्तव और बूमिंग बुल्स ने प्रमोट किया. बाद में विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वाल्ड ने निकासी और जमा सहित अपने सभी कामों को अचानक बंद कर दिया जिस के बाद कितने ही निवेशकों के पैसे इस में फंस गए.

रिक्स छिपाने की कला इस के अलावा, इस में कोई शक नहीं कि ये फाइनैंस इन्फ्लुएंसर देश में, खासकर युवाओं में, फाइनैंस लिट्रेसी बढ़ा रहे हैं लेकिन बात तब बहकावे की आ जाती है जब ये सिक्के के सिर्फ एक पहलू की बात करते हैं. फाइनैंस और मार्केट में ये इन्फ्लुएंसर्स केवल प्रौफिट की ही बात करते हैं.

आप किसी भी इन्फ्लुएंसर के वीडियो को देख लीजिए, अंकुर वारिकू, अक्षत श्रीवास्तव या रचना रानाडे या कोई भी और इन्फ्लुएंसर, इन्हें देख कर ऐसा लगता है कि ये आप को कुछ ही महीनों में करोड़पति बना देंगे. इन की वीडियो का बड़ा हिस्सा शेयर मार्केट से होने वाले फायदे को ले कर होता हैं. ये आप को मार्केट में होने वाले बड़ेबड़े लौसेज के बारे में नहीं बताएंगे, जिन में युवा अकसर अपनी पूरी इन्वैस्टमैंट उड़ा देते हैं.

ऐसे में युवाओं के लिए जरूरी हो जाता है कि वे फाइनैंस इन्फ्लुएंसर के बहकावे में न आ कर अपने फाइनैंस को समझा कर ही इन्वैस्ट करें. सरकारों को भी चाहिए कि वे स्कूल करिकुलम से ही बच्चों में फाइनैंस की समझ विकसित करें.

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