विभा की शादी इस वर्ष अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में होने वाली थी. यह शादी 6 महीने पहले तय हुई थी. विवाह से संबंधित सारी बुकिंग अग्रिम हो चुकी थी. सभी आवश्यक तैयारियां अंतिम दौर में चल रही थीं कि अचानक विभा के पिता की तबीयत खराब हो गई.

जांच में पता चला कि उन्हें कोरोना हुआ है. अगले 2 ही दिनों में परिवार के 3 अन्य सदस्य भी पौजिटिव हो गए. समधियों से बातचीत कर के विवाह स्थगित करने का निर्णय लिया गया. अब यह विवाह 6 माह बाद या स्थिति सामान्य होने पर होगा. नतीजतन, आननफानन में सभी परिचितों को सूचित करने के साथसाथ सभी अग्रिम बुकिंग भी निरस्त करनी पड़ीं.

यह विभा के परिवार के लिए बहुत परेशानी की घड़ी थी, क्योंकि उन के अग्रिम भुगतान के डूबने के आसार थे. यहां उन्हें राहत इस बात की थी कि यदि अगली तिथि पर इन्हीं व्यवसायियों के साथ बुकिंग यथावत रखी जाती है तो यह सारा अग्रिम भुगतान शादी की अगली तारीख वाली बुकिंग में समायोजित कर लिया जाएगा, लेकिन इस विवाह आयोजन से जुड़े विभिन्न व्यवसायों के लिए यह और भी अधिक मुश्किल घड़ी थी, क्योंकि उन्हें एक पूरी की पूरी बुकिंग का नुकसान हो चुका था. जिस अगली तारीख पर विभा की शादी तय होगी, उस तारीख पर किसी अन्य समारोह की बुकिंग हो सकती थी.

व्यवसायों पर गाज

भारत में अप्रैलमई को शादियों का सीजन माना जाता है. इस के बाद यह सीजन सर्दियों के मौसम में ही आता है. इस वर्ष सीजन में कर्फ्यू लगने और कोरोना की सख्त गाइड लाइन के कारण न केवल शादी करने वाले युवा निराश हुए हैं, बल्कि यह समय अनेक व्यवसायों पर भी गाज बन कर गिरा है. भारत में शादियों के जश्न कईकई दिनों तक चलते हैं. इस के इर्दगिर्द एक लंबीचौड़ी अर्थव्यवस्था काम करती है. लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं.

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