महिलाओं के जज्बे को सलाम. आज जहां हर कोई घरों में कैद रहने को मजबूर है वहीं  देश की सच्ची सेवक डॉक्टर्स, नर्स अपनी जान की परवा किये बिना निस्वार्थ भाव से कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगी हुई हैं. उनके जेहन में तो हर समय यही रहता है कि हम सब की कोशिशें रंग लाए और हम कोरोना के खिलाफ जंग को जीत पाए. जिन्हें कोरोना ने अपनी चपेट में लिया है उन्हें हम हर संभव प्रयास करके ठीक कर सकें. ताकि उन्हें नया जीवन मिल जाए, उनके अपनों के चेहरे फिर से खिल उठें . तभी हम अपना मानवता का सच्चा धर्म निभा पाएंगे. जानते हैं इस संबंद में नोएडा के मदरहुड हॉस्पिटल की डॉ ज्योति खत्री से, जो इन दिनों कोरोना के मरीज़ों की सेवा में प्रयासरत हैं.

  सवाल- 1 - पूरा देश लौक डाउन है. हर कोई घरों में कैद है. ऐसे में आप एक महिला, एक डॉक्टर होते हुए चीज़ो को कैसे  मैनेज कर रही हैं?

जब से मैं इस प्रोफेशन में आई हूं तभी से  मैंने ठान लिया था चाहे इस मार्ग में मेरे सामने  कितनी ही दिक्कतें क्यों न आए लेकिन मैं कभी हार नहीं मानूंगी. समाज में महिलाओं को हमेशा से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसे भी एक चुनौती समझ कर हमें पार  करना होगा. एक महिला और साथ ही एक डॉक्टर होते हुए मेरे लिए चीज़ें तब मैनेज करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है जब मैं घर पहुंच कर परिवार के साथ थोड़ा समय बिताने बैठती ही हूं कि  इमरजेंसी की वजह से मुझे तुरंत ही हॉस्पिटल जाना पड़ जाता  है. ऐसे में मुझे थोड़ी मुश्किल आती है लेकिन कहते है न कि भरोसे पर हर चीज़ टिकी है. यही भरोसा मैं अपने परिवार को देती हूं कि जल्दी ही सब पहले जैसा होगा. इससे मेरा परिवार भी मेरी मजबूरी को समझ पाता है और मुझे चीज़ों को मैनेज करने में भी आसानी होती है. शुरूवात में दिक्कतें थोड़ी ज्यादा थी लेकिन अब मैंने उसके हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लिया है.

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