हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों का हमकदम बनाने के लिए महिला आयोग बनाया गया है. हर राज्य में आयोग की एक फौज है, जहां महिलाओं की परेशानियाँ सुनी और सुलझाई जाती है. लेकिन बीते कुछ समय से महिला आयोग संस्था की चाबियों का गुच्छा कुछ ज्यादा ही भारी हो गया इसलिए ये संभाले नहीं संभल रहा है और जमीन पर गिरने लगा है. केरल महिला आयोग में भी ऐसा ही कुछ हुआ.

आयोग की अध्यक्ष एम सी जोसेफिन ने घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला को रूखा सा जवाब देते हुए टरका दिया.दरअसल, आयोग अध्यक्ष टीवी पर लाइव में महिलाओं की परेशानी सुन रही थीं, इसी बीच घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला, आयोग की अध्यक्ष को फोन पर अपनी आपबीती सुनाते हुए कहने लगी कि उसके पति और ससुराल वाले उसे काफी परेशान करते हैं. अध्यक्ष को जब पता चला कि लगातार हिंसा सहने के बाद भी महिला ने कभी उसकी शिकायत पुलिस में नहीं की, तो वे भड़क गईं और रूखे अंदाज में कहा ,‘अगर हिंसा सहने के बाद भी पुलिस में शिकायत नहीं करोगी तो ‘भुगतो’ उनका पीड़िता पर झल्लाने का वीडियो वायरल हुआ तो उन्होंने अपने पद का ही त्याग कर दिया.

लेकिन जाते-जाते वे कहना न भूलीं कि औरतें फोन करके शिकायत तो करती हैं, लेकिन जैसे ही पुलिसिया कार्यवाई की बात आती है, पीछे हट जाती हैं. इसके बाद से आयोग अध्यक्ष घेरे में आ गई कि कैसे इतने ऊंचे पद पर बैठी महिला, तकलीफ में जीती किसी औरत से इस तरह रुखाई से बात कर सकती है ! बात भले ही आकर अध्यक्ष की रुखाई पर सिमट गयी. लेकिन गौर करें तो मसाला कुछ और ही है. दरअसल मारपीट की शिकायत लेकर आई महिला चाहती थी कि आयोग की दबंग दिखने वाली महिला उसके पति को बुलाकर समझाए या सास पर रौब जमाकर उसे डरा दे कि बहू को तंग किया न, तो तुम्हारी खैर नहीं. वरना, क्या वजह है कि औरतें शिकायत लेकर आती तो हैं लेकिन पुलिस की दखल की बात सुनते ही वापस लौट जाती हैं.

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