Ira Singhal : इरा सिंघल अपनी यादों में जितना पीछे जा कर सोच सकती हैं, सोचती हैं और बताती हैं कि वे हमेशा से ऐसा कैरियर बनाना चाहती थीं जिस से वे लोगों की जिंदगियों को छू सकें. रीढ़ की हड्डी से जुड़ी एक बीमारी से पीडि़त होने के कारण उन की खुद की दैनिक गतिविधियों पर प्रतिबंध थे. इस वजह से वे लगभग हर दिन अस्पताल के चक्कर लगाती थीं. ‘‘मैं जब से जन्मी थी, उस समय से ही डाक्टरों के पास जा रही हूं’’, उन्होंने मुझ से कहा जब हम गुवाहाटी से अरुणाचल भवन में चाय पीते हुए बात कर रहे थे. तब मरीजों पर डाक्टरों के प्रभाव को देख कर इरा ने सोचा कि वे चिकित्सा क्षेत्र में अपना कैरियर बनाएंगी.

90 के दशक की शुरुआत में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ ने इरा को नए रास्ते पर ला खड़ा कर दिया. उस समय वे उत्तर प्रदेश के मेरठ में सोफिया गर्ल्स स्कूल में एक युवा छात्रा थीं. यह नागरिक अशांति का समय था जिस ने उन पर एक स्थाई और गहरी छाप छोड़ी.

इरा बताती हैं, ‘‘मेरी स्कूली शिक्षा के विशेषरूप से ये 2 साल ऐसे थे जब मैं केवल 6 महीने ही स्कूल गई क्योंकि बाकी के महीनों में मेरे शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था.’’

इरा अपने स्कूली दिनों उन लोगों से प्रेरित थीं जिन के फैसले रोजमर्रा की हकीकतों को आकार देते थे. जब वे अपनी नागरिक शास्त्र की पाठ्यपुस्तक में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिकाओं के बारे में पढ़ रही थीं, तब वे सीधे तौर पर देख पा रही थीं कि वे किसी भी संकट के समय में कितनी जिम्मेदारियों को उठाते हैं.

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