Social Media : रील्स... जी हां रील्स ... आज से कुछ साल पहले अगर ये लफ्ज हमारे कानों में जाते तो इस का मतलब या तो फिल्मों से या फिर जिंदगी के खूबसूरत और यादगार लमहे कैद करने वाले कैमरे की रील से होता.
मगर आज के इस स्मार्टफोनयुग में इस लफ्ज रील को किसी इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं. आज के इस दौर में अगर कोई इंसान स्मार्ट फोन यूजर है या अगर नहीं भी है तो वह इन पलपल बदलती रील्स से अनजान तो बिलकुल नहीं.
कहने को तो रील बिलकुल छोटा सा लफ्ज है मगर इस ने तो हमारी उंगलियों के जरीए हमारे माइंड पर ऐसा कब्जा जमाया है कि अगर एक बार अपने स्मार्टफोन पर हमारी उंगलियां जब इन रील्स के यूनिवर्स के अंदर जाती हैं तो कुछ सैकंड्स से शुरू हुआ वह सफर कब मिनटों में और कभीकभी तो घंटों में बदल कर ही रुकता है.
कोई तो इसे कुछ मिनटों के लिए टाइम पास समझ कर देखना शुरू करता है तो कोई एकाध घंटा. मगर इस जैनरेशन का एक हिस्सा ऐसा भी है जो इन रील्स पर अपने दिन के 24 घंटों में से न जाने कितने घंटे गुजार देता है.
अनगिनत रील्स की बाढ़
जी हां आज जब अपने स्मार्टफोन पर उंगलियां पहले किसी एक रील पर जा कर थमती हैं तो फिर एक सिलसिला सा शुरू हो जाता है. उस एक रील के बाद दूसरी रील, फिर तीसरी आती है और फिर एक के बाद एक उंगलियां अपनेआप ही सामने आने वाली उन रील्स पर स्क्रौल करती ही चली जाती हैं. फिर न तो वो अंगूठा ही थमता है और न फोन के अंदर से आती हुई अनगिनत रील्स की वह बाढ़.
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