गजल अलघ ने मां बनने के बाद एक स्टार्टअप की शुरुआत की और करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी. उन को स्टार्टअप का विचार अपने बच्चे को बेबी केयर प्रोडक्ट्स से होने वाली ऐलर्जी से आया. पति वरुण अलघ के साथ मिल कर उन्होंने एक बेबी केयर ब्रैंड मामाअर्थ की शुरुआत की जो आज दुनियाभर में काफी मशहूर ब्रैंड बन गया है. यह एशिया का पहला मेड सेफ प्रमाणित ब्रैंड भी है.
गजल बताती हैं कि उन के बड़े बेटे अगस्त्य की स्किन ऐग्जिमा की वजह से बहुत सैंसिटिव थी. उस को बारबार रैशेज हो जाते थे. वे दिनरात बस यही खोजती रहती थीं कि ऐसे सेफ प्रोडक्ट्स मिल जाएं जो उस की स्किन को कोई नुकसान न करें. पर इंडिया में ऐसे टौक्सिन फ्री प्रोडक्ट्स मिल ही नहीं रहे थे. उन्होंने बाहर से भी प्रोडक्ट्स मंगवाए लेकिन वे भी उस की स्किन को सूट नहीं कर सके. तब खयाल आया कि अगर उन्हें खुद इतनी दिक्कत हो रही है तो और भी कितने पेरैंट्स होंगे जो इसी परेशानी से जूझ रहे होंगे.
उन के हस्बैंड वरुण और गजल ने मिल कर फिर रिसर्च शुरू की, मार्केट को समझ, पेरैंट्स से बात की, डाक्टरों से सलाह ली और उन्हें समझ में आया कि इंडिया में वास्तव में सेफ और टौक्सिन फ्री बेबी केयर प्रोडक्ट्स की बहुत ज्यादा जरूरत है. बस यहीं से उन्हें यह आइडिया आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए जिस पर पेरैंट्स भरोसा कर सकें और वे बिना किसी टैंशन के अपने बच्चों की केयर कर पाएं. इसी सोच के साथ 2016 में मामाअर्थ की शुरुआत हुई.
रंग लाई मेहनत
मामाअर्थ यानी एक ऐसा ब्रैंड जो एकदम सेफ, जैंटल और टौक्सिन फ्री बेबी केयर प्रोडक्ट्स पर ध्यान देता है. गजल अलघ को ‘बिजनैस टुडे और फौर्च्यून इंडिया मोस्ट पावरफुल वूमन 2023,’ ‘ईटी 40 अंडर 40,’ ‘सीएनबीसी वूमन फास्ट फौरवर्ड वूमन अचीवर अवार्ड,’ ‘बिजनैस टुडे मोस्ट पावरफुल वूमन 2024,’ ‘बिजनैस वर्ल्ड 40 अंडर 40’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
कला में रुचि रखने वाली गजल अलघ की रचनाओं का प्रदर्शन राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ और वे देश की शीर्ष 10 महिला कलाकारों की सूची में शामिल हैं. एक कौरपोरेट ट्रेनर, एक कलाकार और एक मां होने के साथसाथ गजल आज एक नामचीन बिजनैस वूमन हैं. गजल सोनी चैनल पर आने वाले शो ‘शार्क टैंक सीजन 1’ के जजों में भी एक थीं. गजल ‘एफआईसीसीआई स्टार्ट अप कमेटी 2024’ की सहअध्यक्षा भी हैं.
स्टूडैंट के तौर पर गजल पढ़ाई में अच्छी थीं पर साथ ही स्पोर्ट्स और ऐक्स्ट्रा करिकुलर ऐक्टिविटीज जैसे पेंटिंग्स वगैरह में भी अच्छी थीं. उन्होंने 12वीं कक्षा में मैथ्स और साइंस लिया क्योंकि उन के मम्मीपापा चाहते थे कि वे इंजीनियरिंग करें. हालांकि उन का शौक हमेशा से कंप्यूटर और आर्ट्स में था. फिर भी पेरैंट्स की चौइस को प्रमुखता देते हुए उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की. मगर 12वीं के बाद उन्हें रियलाइज हुआ कि वे बाकी की जिंदगी यह बिलकुल नहीं कर सकतीं. इस में उन्हें जरा भी मजा नहीं आ रहा था.
गजल अलघ कहती हैं कि इस से फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना हार्ड वर्क कर रहे हैं. अगर आप एक ऐसी फील्ड में हार्ड वर्क कर रहे हैं जो आप को पसंद नहीं है तो आप ज्यादा आगे तक नहीं बढ़ पाएंगे, जबकि आप किसी ऐसी फील्ड में हैं जो आप को बहुत पसंद है तो उस में कम हार्ड वर्क कर के भी आप काफी सफल हो सकते हैं. इसलिए 12वीं कक्षा के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग के ऐग्जाम नहीं दिए और इस की जगह कंप्यूटर चूज किया.
बिजनैस की शुरुआत से पहले
गजल ने ग्रैजुएशन के साथसाथ एनआईआईटी से डिप्लोमा कोर्स भी किया था. उसी को करतेकरते अपनी पहली नौकरी भी शुरू की. यह पार्टटाइम काम था जो केवल वीकैंड पर होता था. वह बेसिकली कोऔपरेटिव ट्रेनिंग थी. इस तरह गजल ने अपने कैरियर की शुरुआत कौरपोरेट वर्ल्ड से की थी. वहां उन्होंने सीखा कि प्रोफैशनल ऐन्वायरन्मैंट में कैसे काम किया जाता है, कैसे टीम के साथ मिल कर टारगेट्स पूरे करने होते हैं और कैसे हर दिन कुछ नया सीखते हुए आगे बढ़ना होता है.
गजल बताती हैं कि कौरपोरेट जौब ने उन्हें स्ट्रक्चर और डिसिप्लिन दिया जो आज बिजनैस को चलाने में बहुत मदद करता है. कौरपोरेट ऐक्सपीरियंस ने उन्हें प्रैक्टिकल सोच दी, प्रोसैस को समझना सिखाया और यह भरोसा दिया कि मेहनत और लगन से किसी भी गोल को हासिल किया जा सकता है.
एक मदर से वर्किंग मदर बनने का रास्ता
यह जर्नी बिलकुल आसान नहीं थी. गजल बताती हैं कि जब उन्होंने मामाअर्थ की शुरुआत की तब बेटा बहुत छोटा था और उस उम्र में बच्चे को मां की सब से ज्यादा जरूरत होती है. दिन के 24 घंटे काम में लगाना और साथ ही मां की जिम्मेदारी भी निभाना बहुत ही चैलेंजिंग था. कई बार मीटिंग्स में भी उन्हें अपने बेटे को साथ ले कर जाना पड़ता क्योंकि और कोई रास्ता नहीं होता था. कई बार गिल्ट होता था कि क्या वे अपने बच्चे को उतना समय दे पा रही हैं जितना उसे चाहिए. लेकिन धीरेधीरे उन्होंने सम?ा कि क्वालिटी टाइम क्वांटिटी से ज्यादा इंपौर्टैंट होता है.
उन्होंने खुद को बहुत सारे सैल्फ डाउट से निकाला और यह सीखा कि एक अच्छी मां बनने के लिए परफैक्ट होना जरूरी नहीं है बल्कि प्रेजैंट होना जरूरी है. इस सब में एक स्ट्रौंग सपोर्ट सिस्टम ने उन की बहुत मदद की. यह सपोर्ट सिस्टम था उन के हस्बैंड, फैमिली और टीम. उन के मुताबिक वर्क लाइफ बैलेंस कोई फिक्स्ड गोल नहीं है. यह एक एवौल्विंग जर्नी है जिस में आप के लिए जो सही है आप को उस के लिए काम करना है.
पेरैंट्स की शिक्षा ने बनाया आधार
गजल अलघ चडीगढ़ की एक जौइंट फैमिली से हैं. उन के पिता बिजनैसमैन थे और मां हाउस वाइफ. गजल बताती हैं कि पापा हमेशा कहते थे कि जब बिजनैस प्रौफिट कमाता है तभी पैसे घर आते हैं. मेरे पेरैंट्स ने हमेशा मुझे इंडिपैंडैंट और सैल्फ रिलायंट बनने के लिए मोटिवेट किया. जो वैल्यूज उन्होंने मुझे दीं वे मेरे हर डिसीजन में दिखती हैं.
पापा का कहना था कि अपने सपनों के पीछे भागो लेकिन अपनी वैल्यूज कभी मत छोड़ो. उन्होंने मुझे मेहनत, ईमानदारी और डैडिकेशन की वैल्यू समई आई और ये तीनों चीजें आज भी मेरे हर बिजनैस डिसीजन का बेस हैं. जब भी मुश्किल आई है फैमिली की सपोर्ट और मेरे पेरैंट्स की सीखें ही मेरी सब से बड़ी ताकत बनी हैं. आज मैं जो कुछ भी बना पाई हूं उस में मेरी परवरिश और मेरे पेरैंट्स की सोच का बहुत बड़ा रोल है जैसे कस्टमर के लिए हमेशा ओनैस्ट रहना, क्वालिटी पर कभी कंप्रोमाइज न करना और हर दिन कुछ नया सीखते रहना.
आर्टवर्क का जनून
आर्ट गजल का पैशन रहा है और पेंटिंग एक थेरैपी जैसी जहां वह क्रिएटिव हो कर अपने थौट्स को ऐक्सप्रैस कर पाती हैं. गजल बताती हैं कि वे हमेशा से पेंटिंग करती रही हैं लेकिन जब उन के हस्बैंड ने एक दिन बिना बताए न्यूयौर्क की आर्ट ऐकैडमी में उन के लिए अप्लाई कर दिया तो उन की इस जर्नी ने एक नया मोड़ लिया. उन का ज्यादातर आर्टवर्क ऐब्स्ट्रैक्ट होता है जिस में वे अलगअलग कलर्स और टैक्स्चर्स के साथ ऐक्सपैरिमैंट करती हैं. वे ब्रश की जगह नाइफ और रोलर से काम करती हैं.
जब वे पेंटिंग शुरू करती हैं तब उन्हें नहीं पता होता कि फाइनल रिजल्ट कैसा होगा. यह एक जर्नी होती है जो धीरेधीरे अनफोल्ड होती है. जब माइंड बहुत बिजी होता है तब एक खाली कैनवास उन्हें पीस देता है और न्यू आइडियाज के लिए स्पेस क्रिएट करता है.
बच्चों की परवरिश
गजल के 2 बेटे हैं- अगस्त्य और आयान. अगस्त्य बड़ा है और आयान छोटा. गजल बताती हैं कि वे और उन के हस्बैंड वरुण मिल कर उन की अपब्रिंगिंग में कुछ बेसिक वैल्यूज पर फोकस करते हैं जैसे रिस्पैक्ट, ओनैस्टी और काइंडनैस. वे चाहते हैं कि बच्चे इंडिपैंडैंट बनें, सवाल पूछें और धीरेधीरे यह सम?ों कि उन्हें क्या अच्छा लगता है, क्या चीज उन्हें ऐक्साइट करती है. वे अपने रूट्स से जुड़े रहें.
आज के सोशल मीडिया वाले दौर में जहां हरकोई किसी और से कंपेयर करता है तो ऐसे में वे उन्हें बारबार याद दिलाते हैं कि उन की अपनी एक जर्नी है और उसी को अपनाना सब से जरूरी है.
स्ट्रैस मैनेजमैंट
एक ऐंटरप्रन्योर और मां होने के नाते उन्हें भी स्ट्रैस होता ही है. स्ट्रैस से डील करने का उन का सब से अच्छा तरीका है खुद के साथ टाइम स्पैंड करना. जब वे सुबह उठती हैं तो पहले 15 मिनट किसी से बात नहीं करती, न फोन चैक करती हैं बस खुद से बातें करती हैं. उन का मानना है कि जब इंसान खुद से बात करता है तो बहुत क्लैरिटी मिलती है. आप समझ पाते हो कि आप क्या सोच रहे हो, क्या फील कर रहे हो.
गजल कहती हैं, ‘‘बिजनैस ने मुझे सिखाया है कि हर चीज कंट्रोल में नहीं होती इसलिए जो कंट्रोल में है उसी पर फोकस करना चाहिए. दिन के एंड में मैं हमेशा इस बात पर ध्यान देती हूं कि मैं ने क्या किया न कि क्या रह गया और इसी के साथसाथ अच्छी नींद और हैल्दी खाना भी स्ट्रैस मैनेज करने में काफी मदद करता है.’’
बच्चों के लिए बैस्ट गिफ्ट
गजल के अनुसार, एक वर्किंग मदर का अपने बच्चों के लिए बैस्ट गिफ्ट है- एक रोल मौडल बनना. जब बच्चे अपनी मां को हार्ड वर्क करते, चैलेंजेस से लड़ते और अपने सपने पूरे करते देखते हैं तो उन्हें एक पावरफुल मैसेज मिलता है. वे सीखते हैं कि औरतें सबकुछ कर सकती हैं. दूसरा बैस्ट गिफ्ट है क्वालिटी टाइम. भले ही हम क्वांटिटी टाइम न दे पाएं लेकिन जब भी बच्चों के साथ हों पूरी तरह प्रेजैंट रहें- फोन, लैपटौप और टैंशन साइड में रख कर. तीसरा गिफ्ट है इंडिपैंडैंस का लैसन. वर्किंग मदर्स अपने बच्चों को खुद के लिए स्टैंड लेना, रिस्पौंसिबिलिटी लेना और खुद के सपनों पर भरोसा रखना सिखाती हैं.
एक वर्किंग मदर की सफलता का सीक्रेट
गजल मानती हैं कि एक वर्किंग मदर की सफलता का सब से बड़ा सीक्रेट है गिल्ट फ्री रहना. हम अकसर सोचते हैं कि हम परफैक्ट मां और परफैक्ट प्रोफैशनल दोनों नहीं बन पा रहे हैं. लेकिन हमें सम?ाना चाहिए कि परफैक्ट होना जरूरी नहीं है. दूसरा, एक अच्छा सपोर्ट सिस्टम बनाना जरूरी है- हसबैंड, पेरैंट्स, फ्रैंड्स या हैल्पर्स. तीसरा, अपने लिए टाइम निकालें. अगर आप खुश और हैल्दी नहीं हैं तो आप दूसरों को भी खुशी नहीं दे पाएंगी. चौथा, प्रायरिटाइज करना सीखें- हर चीज में परफैक्ट होने की कोशिश मत करो. जो सब से जरूरी है उस पर फोकस करो. 5वां, फ्लैक्सिबल रहें और अडौप्ट करना सीखें और सब से जरूरी अपनेआप पर और अपने डिसीजंस पर भरोसा रखें. बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम पर फोकस करें क्वांटिटी पर नहीं.
बिजनैस की सफलता के लिए क्या जरूरी
गजल के अनुसार, बिजनैस की सफलता के लिए सब से जरूरी है एक क्लीयर विजन और पैशन. आप को पता होना चाहिए कि आप क्या चाहते हैं और उस के लिए पूरी लगन से काम करना चाहिए. अपने कंज्यूमर की जरूरतों और समस्याओं को समझना और उन के लिए वैल्यू क्रिएट करना भी उतना ही जरूरी है. एक अच्छी टीम बनाना बेहद अहम है, सही लोगों को हायर करें और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें.
इनोवेशन पर लगातार फोकस रखें, मार्केट ट्रैंड्स को समझें और नए आइडियाज के लिए हमेशा ओपन रहें. बिजनैस में अडौप्टेबिलिटी भी एक बड़ी ताकत है क्योंकि मार्केट लगातार बदलती है और आप को उस के साथ खुद को भी बदलना आना चाहिए. नैटवर्किंग को नजरअंदाज न करें, अच्छे कनैक्शंस बनाएं और मैंटर्स से सीखते रहें. सब से आखिर में पर्सिस्टैंस यानी लगातार आगे बढ़ते रहना, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, फेल्योर से सीख कर फिर से खड़े होना ही असली सफलता है.
कला में रुचि रखने वाली गजल अलघ की रचनाओं का प्रदर्शन राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ और वे देश की शीर्ष 10 महिला कलाकारों की सूची में शामिल हैं. एक कौरपोरेट ट्रेनर, एक कलाकार और एक मां होने के साथसाथ गजल आज एक नामचीन बिजनैस वूमन हैं…
बिजनैस ने मुझे सिखाया है कि हर चीज कंट्रोल में नहीं होती इसलिए जो कंट्रोल में है उसी पर फोकस करना चाहिए. दिन के एंड में मैं हमेशा इस बात पर ध्यान देती हूं कि मैं ने क्या किया न कि क्या रह गया और इसी के साथसाथ अच्छी नींद और हैल्दी खाना भी स्ट्रैस मैनेज करने में काफी मदद करता है…