उस पी.जी. हौस्टल की सीढ़ियां उतरते हुए रश्मि को लग रहा था, कहीं वह चक्कर खाकर न गिर पड़े. अपने अंदर अचानक उग आए उस भयानक मरूस्थल को किस तरह संभाले वह सीढियां उतर गई. पल भर पहले व अब पल भर बाद में जैसे पूरी दुनिया ही करवट ले बैठी थी उसके लिए.
गर्ल्स हास्टल में अपनी बेटी से अचानक मिलने की खुशी लेकर गई रश्मि से उसकी अभिन्न सहेली पारुल ने जब बताया कि मानवी को एक महीना हुआ, वह अपने दोस्त के साथ उसके फ्लैट में रहने चली गई है .
“अच्छा” चेहरे पर उड़ रही हवाइयों को किसी तरह बांध कर रश्मि बोली, “उस लड़के को जानती हो?”
“हाँ, समर नाम है उसका, पूना का रहने वाला है, आई.आई.टी. की कोचिंग करने आया है, दोस्त के घर उसकी बर्थ डे पार्टी में मुलाकात हुई थी”
“समर के घर का या उसके घर वालों का फोन नंबर मिल सकता है बेटा” रश्मि किसी तरह घुटी घुटी आवाज में बोली.
“नही आंटी …या शायद हां, मेरे मोबाइल में उसके घर का लैण्ड लाइन नंबर है पूना का, किसी कारण से मानवी ने ही मुझे दिया था.”
नंबर नोट कर वह सीढ़ियां उतर गई थी. गर्ल्स हौस्टल से बाहर आ सड़क पर खड़ी वह सोच रही थी, अब? मानवी के पिता के जाने के बाद जीवन कोई पंखों की उड़ान नहीं था उसके लिए. किन किन विकट परिस्थितियों से दामन खींच कर बचा कर उसने मानवी को बड़ा किया था. अपनी कितनी जरूरतें दरकिनार कर उसे बेहतर शिक्षा दिला रही थी. अब 12वीं करा कर उसने अपनी 19 साल की बेटी को दिल्ली कालेज में पढ़ने भेजा था. लेकिन उसे क्या पता था कि विज्ञान के अनेकों रहस्यों को पढ़ते सुलझाते अब उसकी बेटी प्रेम के रहस्यों में उलझ कर शरीर के अनछुए रहस्यों को भी सुलझाने में उलझ गई है.
“क्या करे अब?” सुहाने मौसम में भी वह पसीने से तर बतर थी. पास से गुजर रहे एक आटो को रोक कर वह उसमें बैठ गई और बिना सोचे समझे एक काफी हाउस के सामने उतर गई. अंदर जाकर उसने काफी का आर्डर दिया व कुछ सोच कर पूना समर के घर का नंबर मिला दिया. उधर से एक पुरुष स्वर उभरा,”हैलो”
“हैलो” वह अपना स्वर संयत कर बोली,”मैं रश्मि बोल रही हूं, क्या आपको पता है कि आपका बेटा आज कल किसी लड़की के साथ लिव इन रिलेशन में रह रहा है ”
“क्या बकवास कर रहीं हैं आप? ”
“जी और वह मेरी बेटी है.” थोड़ी देर सन्नाटा छा गया, “आप कुछ कहेंगे इस विषय में ”
“अपनी बेटी की करतूत पर शर्मिन्दा होने के बजाय आप मुझसे सवाल कर रहीं हैं” क्रुद्ध स्वर उभरा.
“बेटी की करतूत, और आप का बेटा? क्या वह सब कुछ ठीक कर रहा है ….क्यों कि वह पुरुष है और वह लड़की है इसलिए?” रश्मि का दिल किया आपे से बाहर हो जाये, फिर संयम रख कर बोली, “क्या हम एक ही पत्थर से ठोकर खाये दो राहगीरों की तरह उस दर्द से बचने का उपाय नहीं ढूंढ सकते.”
“क्या मतलब? ”
“आप दोनों दिल्ली आइये फिर बात हो सकती है”
अगले दिन समर के मम्मी पापा दिल्ली पहुंच गए. “बताइए क्या कह रहीं थीं आप ”
“मेहनत से कमाये हमारे धन पर इस उम्र में अपना करियर बनाने के बजाय बच्चे हर तरह का ऐश करें क्या मंजूर है आपको?”
“मैं तो उसे अब एक पैसा भी भेजने वाला नहीं हूं” समर के पिता एकाएक क्रोधित हो गये.
“ऐसा तरीका ढूंढना पड़ेगा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, प्यार के खिलाफ नहीं है हम लोग, पर प्यार तभी सफल होता है जब लड़का प्यार को सुरक्षा प्रदान कर सके और लड़की उस प्यार का आधार बन सके, पर मानवी और समर का यह प्यार हमारे खर्चा भेजना बन्द करते ही सांस भी नहीं ले पायेगा, हमें बच्चों को यथार्थ का बोध तो कराना ही है पर उन्हें मानसिक रूप से अकेला भी नहीं छोड़ना है.”
कहकर रश्मि ने अपनी योजना समर के मम्मी पापा को बताई. “हां यही ठीक रहेगा, इस उम्र में उनका विरोध करने से तो वे विद्रोही हो जायेंगे”
उसी दिन रात की ट्रेन से रश्मि व समर के मम्मी पापा घर लौट गये. और फोन पर बच्चों को सच से अवगत कराया व बहुत प्यार से कहा कि “थोड़े दिन और खर्चा भेज सकते हैं, इन थोड़े दिनों में वे अपने खर्चे इंतजाम कर लें, जब वे अपने सभी निर्णयों के लिए आत्मनिर्भर हो गये हैं, उन्हें माता पिता की कोई जरूरत नहीं रही तो फिर उन्हें आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बन जाना चाहिए और खुद कमा कर अपना खर्चा व पढ़ाई का खर्च निकालना चाहिए.”
दोनों बच्चे भौचक्के. इस स्थिति के बारे में तो कल्पना भी नहीं की थी और फिर शुरू हुआ संघर्ष व कशमकश का दौर.
सुख सुविधाओं के आदि बच्चे कमाने की जद्दोजहद में कुछ ही समय में कुम्हला गये. जब तक सब कुछ हाथ में उपलब्ध होता है तब तक नाजायज अधिकारों की बड़ी बड़ी बातें सूझती हैं लेकिन जब यथार्थ का घड़ा सिर पर फूटता है तब समझ में आ गया कि हर काम का एक सही वक्त होता है फिर चाहे वह प्यार हो शादी हो या लिव इन रिलेशन.