पुरुषवादी समाज ने कभी महिला को देह से हट कर सोचा ही नहीं. पुरुषवादी सोच या तो महिलादेह की शुद्धता पर केंद्रित रही या उसे भूखे भेड़िए की तरह नोचने के लिए हवस भरती रही. जब ऊंचाई पर महिला पहुंचती, उसे स्वीकार करने से पुरुषसत्ता हमेशा बचती रही. यह पुरुषसत्ता स्त्री को स्वतंत्रता का भ्रम दे कर, उस की देह को केंद्र में रख कर, उस की हमेशा दोयम हैसियत को ही सुनिश्चित करती रही.

मैं यूट्यूब पर सफरिंग कर रहा था. कंगना-रिया मामले को ले कर वीडियो चलाई ही थी कि कुछ दूसरी वीडियोज स्क्रीन पर दिखने लगीं.  इन विडियोज को ‘ऊप्स मोमैंट’ के नाम से यूट्यूब में जाना जाता है. ऊप्स मोमैंट यानी शर्मसार पल, अथवा पब्लिक (औनएयर) के सामने ऐसी घटना हो जाना जिस का अंदेशा व्यक्ति को न हो और जिस के कारण व्यक्ति को शर्मसार होना पड़े.

वह कहते हैं न, ‘आए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास’, मेरे साथ भी कुछ यों ही हुआ. मेरा सारा ध्यान कंगना-रिया से हट कर इन वीडियो पर जा अटका. सोचा, जरा देखें तो, अब चर्चित अभिनेत्रियों ने ऐसी क्या गलती कर दी कि उस के लिए उन्हें शर्मिंदा होना पड़ रहा है.

वीडियो खोलते ही, तथाकथित ऊप्स मोमैंट की शिकार कई अभिनेत्रियां दिख गईं. अभिनेत्री परिणीती चोपड़ा के बारे में दिखाया गया कि एक इवैंट के मौके पर उन्होंने अपने वस्त्रों के भीतर ब्रा नहीं पहनी थी, उन्हें इसी बात पर ट्रोल किया गया. अब यह भी कोई बात हुई, ब्रा पहनना किसी महिला के लिए कितना आवश्यक है यह तो वही महिला बेहतर समझ सकती है जिसे पहनना है. लेकिन कैमरे का एंगल शौट जरूर लैंस के पीछे की सोच बता रहा था.

उधर, एक फिल्म के प्रचार के दौरान इवैंट में आईं आलिया भट्ट को जब वरुण धवन अपने हाथों से ऊपर उठाते हैं तो उन की कुरती ऊपर की तरफ खिंच जाती है, जिस कारण उन की सलवार के भीतर से उन के अंडरवियर की आकृति दिखाई देने लगती है. इस क्लिप को कोई भी व्यक्ति एक नजर देख आराम से इस घटना को इग्नोर कर सकता है. लेकिन नहीं, ऐसा होने थोड़े देना है. कैमरे के पीछे से झांकती मर्दवादी आंखें जानबूझ कर इस 2 सैकंड के पल को पौज कर अभिनेत्री के गुप्तांग को फ़ोकस में लाते हुए ढोलनगाड़े बजाने लगती हैं.

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