प्लास्टिक ज़िंदगी को आसान तो बनाता है लेकिन यह तिलतिल हमें  मौत के घाट उतार रहा है. इसके जिम्मेवार हम खुद हैं. रोज सुबह के बच्चो के टिफ़िन से लेकर रात को सोने से पहले दूध पीने तक हम पूरा दिन प्लास्टिक का इस्तेमाल करते नहीं थकते.किसी न किसी  तरह उसके कणों को निगल रहे हैं हर चीज़ प्लास्टिक से बनी हुई हैं चाहे टीवी का रिमोट, फ्रिज मे रखी कंटेनर, बोतले, क्रेडिट कार्ड, चाय के कप, प्लेट ,चम्मच, बोतल बंद पानी हो हर चीज प्लास्टिक से बनी हैं

प्लास्टिक  का उत्पादन

दुनिया मे हर साल  30  करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा  होता हैं .जोकि दुनिया की जनसंख्या के बराबर हैं .सन 1950  से अबतक 800 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन हुआ हैं अब तक जितना कचरा पैदा हुआ हैं उसका सिर्फ 9% कचरा ही रीसायकल हो पाया हैं व 12%कचरा ही नष्ट हो सका  हैं और 79% कचरा पर्यावरण  मे मिल गया हैं. यही मिला हुआ कचरा हवा, पानी के जरिये हमारे ही शरीर के अंदर पहुंच रहा हैं.

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सागरों को कर रहा दूषित

प्रशांत महा सागर में प्लास्टिक का कचरा सुप की तरह तैर रहा हैं. कचरा नदियों सागर मे जा कर मिल जाता हैं .और निचे  जा कर बैठ जाता हैं जिस कारण वहां औक्सीजन की कमी होती हैं और जीव जन्तु मर जाते हैं ये ही नहीं व्हेल जैसा  विशाल प्राणी भी मौत के घाट उतर रहे हैं.

हर कोई इस बात से वाकिफ हैं की प्लास्टिक का इस्तेमाल खतरनाक हैं क्युकी न तो ये सड़ता हैं और जलाया जाये तो हवा को प्रदूषित   करता हैं. इनके जलने से जहां गैस निकलती हैं. वहीं   यह मिटटी मे पहुंच कर भूमि की उर्वरक शक्ति को भी नष्ट करता  है.

खतरनाक सिंगल यूज प्लास्टिक

सिंगल यूज़ प्लास्टिक सबसे ज्यादा नुकसानदेह है  जो सिर्फ एक बार प्रयोग मे आता है. जैसे चाय के कप ,प्लेट चम्मच पौलीथिन बैग. आपको यह जानकर हैरानी होगी की प्लास्टिक को घुलने मे  500 -1000 साल लग जाते हैं.

प्लास्टिक से होने वाली बीमारी

प्लास्टिक में अस्थिर प्रकृति का जैविक कार्बनिक एस्सटर (अम्ल और अल्कोहल से बना घोल) होता है, जिसकी वजह से कैंसर होता है प्लास्टिक को रंग प्रदान करने के लिए उसमें कैडमियम और जस्ता जैसी विषैली धातुओं के अंश मिलाए जाते हैं. जब इन मे कहानी की वस्तु रखी जाती है तो ये जहरीले तत्त्व धीरे-धीरे उनमें प्रवेश कर जाते हैं. कैडमियम की अल्प मात्रा के शरीर में जाने से उल्टियां, हृदय रोग हो सकता है और जस्ता से  इंसानी मस्तिष्क के ऊतकों का क्षरण होने लगता है जिससे स्मृतिभ्रंश जैसी बीमारियां होती हैं.

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दुनिया में 40 देशों में हैं बैन

दुनिया में 40 देशों में प्लास्टिक प्रतिबंधित हैं. जिसमे फ्रांस, चीन, इटली, रवांडा और अब केन्या जैसे देश भी इसमे शामिल  हैं.

हमारे देश मे 56 लाख टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन करता हैं जिसमे 9205  टन प्लास्टिक को रीसायकल कर दोबारा उपयोग मे लिया जा सका  हैं केन्द्र्य नियंत्रण बोर्ड के अनुसार हर रोज दिल्ली मे सबसे ज्यादा कचरा 690 टन कचरा फैंका जाता हैं व्ही छेने मे 429 ,मुंबई मे 408 टन कचरा फैंका जाता हैं .

परिस्थिति  के असंतुलन को न तो हम खुद समझ पा रहे हैं और न ही सरकार  इसके प्रति कोई ठोस कदम उठा रही हैं अब हालत यह हैं की जल संकट ,जंगलों मे आंग ,पहाड़ो मे तबही  आ रही हैं .ग्लेसियर पिघल रहे हैं गांव से लेकर शहरों  तक उदारीकरण और उपभोक्ता वाद की भेट चढ़ रहे हैं.  पर्यावरण का संकट हमारे लिये चुनौती के रूप मे उभर रहा है .वो दिन दूर नहीं जब बिना ऑक्सीजन मास्क के लोग घर से बाहर कदम भी नहीं रख पाएंगे .

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