हम समाज से बहुत कुछ सीखते हैं और उसी के सहारे आगे बढ़ते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. ऐसे में कुछ लोग सामाजिक भेदभाव, गरीबी, बहिष्कार को निर्मूल करने के प्रयास में जुट कर समाज में जाग्रति लाने में जुटे हैं. उन्हीं में शुमार हैं ये हस्तियां:

पूर्णिमा सुकुमारन की अनूठी मुहिम

कोडीहल्ली, बैंगलुरु की पूर्णिमा ने सामाजिक व ह्यूमन वैलफेयर की भावना से ‘अरावनी आई प्रोजैक्ट’ की स्थापना की. इस प्रोजैक्ट में पेंटिग्स द्वारा भावों और विचारों को व्यक्त किया जाता है. पूर्णिमा ने इस प्रोजैक्ट द्वारा ट्रांसजैंडर कम्यूनिटी के लिए, जोकि आम भाषा में हिजड़ा /किन्नर के नाम से जानी जाती है, के लिए पूरी दीवार पेंट की.

किन्नरों का इतिहास 4 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. इन की आबादी करीब 48 लाख है और ये समाज से बाहर ही रहते हैं. इन की इस स्थिति को देख कर पूर्णिमा ने 10 किन्नरों का गु्रप बनाया और फिर उसे भित्ति चित्रण के लिए उत्साहित किया. इस कार्य में स्ट्रीट पेंटिंग्स और दीवारों पर भी पेंटिंग्स शामिल थीं. इस संस्था के साथ और भी लोग जिन में स्त्रीपुरुष दोनों थे, जोड़े गए.

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पूर्णिमा का मानना है कि सामाजिक मुद्दों के बारे में चर्चा करने से उतनी बात नहीं बनती जितनी कि चित्रण द्वारा वही बात दिलोदिमाग पर अंकित होती है. पूर्णिमा ने रैगपिकर्स बच्चों व सैक्सवर्कर्स की बेटियों के साथ भी काम किया. रैगपिकर्स बच्चों के साथ एक लाइब्रेरी पेंट की. सैक्सवर्कर्स की बेटियों के साथ रैडलाइट एरिया की दीवारें भी पेंट कीं. चित्रण द्वारा जाग्रति फैलाने के लिए पूर्णिमा एक पुरुष एक स्त्री का चित्रण कर उन की बराबरी दर्शाते हुए एक स्लोगन लिखवाती हैं. बैंगलुरु के जुविनाइल होम्स में लड़केलड़कियों के साथ तथा स्कूलों में भी छोटे-छोटे प्रोजैक्ट करती हैं.

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