केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नसबंदी लागू करने की वकालत की तो हल्ला मच गया कि देखो, फिर से इसलाम विरोधी बात की जा रही है. कट्टर हिंदूवादी इंदिरा गांधी के आपातकाल के बाद से ही मुसलिम आबादी को थामने की मंशा से नसबंदी का हौआ दिखाते रहते हैं.

किसी ने गिरिराज सिंह की मंशा या व्यथा पर ध्यान नहीं दिया कि यह बयान उन्होंने भुवनेश्वर स्थित कलिंग इंस्टिट्यूट औफ सोशल साइंस के दौरे के बाद बाकायदा उस का जिक्र करते दिया था जिस के मुखिया डाक्टर अच्युत सामंत हैं. सामंत ने अपनी जिंदगी बदहाल आदिवासियों के बच्चों को शिक्षा दिला कर मुख्यधारा से जोड़ने में खपा दी है. इस में वे सफल भी रहे हैं. गिरिराज सिंह उन के कार्य देख कर हैरान थे और इसी हैरानी ने उन के ज्ञानचक्षु खोले कि सुदूर इलाकों में हिंदुत्व की इस बुनियाद यानी आदिवासियों की जिंदगी बेहद भयावह है जिस का इकलौता इलाज उन्हें नसबंदी लगा, तो इस पर हल्ला क्यों.

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