बदलते जमाने में औषधीय पौधों की मांग दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है. महिलाएं छोटी सी जगह पर औषधीय पौधों की खेती कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं. वे औषधीय पौधों की नर्सरी लगा कर खासा मुनाफा कमा सकती है. इन पौधों की खासीयत यह है कि ये बंजर और अकसर जलजमाव वाले इलाकों में खूब पनपते हैं. स्टीविया, गुग्गुल, खस, बेल, तुलसी, गुडची, पचौली, एलोवेरा, सतावर, सिट्रोनेला, लेमनग्रास, सर्पगंधा, जेट्रोफा, मेंथा, कलिहारी, ब्राह्मी, बच, आंवला आदि औषधीय पौधों की खेती कर या नर्सरी लगा कर महिलाएं खुद का कारोबार शुरू कर सकती हैं. इन की खेती से प्रति हैक्टेयर 50 हजार से 2 लाख रुपए तक की आमदनी हो सकती है. ग्रामीण और शहरी महिलाएं थोड़ी सी ट्रेनिंग ले कर आसानी से औषधीय पौधों की नर्सरी का कारोबार शुरू कर सकती हैं. इस से जहां वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं वहीं वे परिवार की आमदनी भी बढ़ा सकती हैं. महिलाओं को नर्सरी लगाने के लिए प्रेरित करने वाली मोहम्मद कलाम तिब्बी बगीचा की संचालिका रजिया सुल्तान बताती हैं, ‘‘नर्सरी लगाने व चलाने में विशेष रकम व मेहनत की जरूरत नहीं होती है. जो महिलाएं नर्सरी लगाना चाहती हैं वे सब से पहले इस बारे में जानकारी हासिल करें. कृषि विभाग से लाइसैंस ले कर विधिवत ट्रेनिंग लेने के बाद काम शुरू करें. इस के लिए सरकार अनुदान भी देती है. इस का प्रपोजल बना कर आप अपने जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय में जमा कर सकते हैं. जिन के पास कम जमीन है उन के लिए नर्सरी का कारोबार काफी फायदेमंद है.’’

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