पिछली बार जब लौकडाउन व कर्फ्यू लगा था उस दौरान डर के कारण लोग इस के साइड इफैक्ट्स को समझ नहीं पाए थे, लेकिन जैसेजैसे समय बीता, लोगों को समझ आया कि यह कर्फ्यू व लौकडाउन की स्थिति न सिर्फ उन के मानसिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही है, बल्कि आर्थिक मोरचे पर भी उन की जेब पर डाका डाला जा रहा है.

ऐसा इसलिए क्योंकि जब लौकडाउन  लगा था तब उस के कारण 12.2 करोड़ लोगों  को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी, जिस में से 75% लोग छोटे व्यापारी व दिहाड़ी मजदूर थे. शुरुआती महीनों में लोगों ने कभी थाली बजाई, तो कभी दीपक जलाया. लेकिन बहुत जल्दी यह रोमांच लोगों के मन से उतर गया और वे बोर होने लगे.

दिनभर महानगरों के छोटेछोटे फ्लैट्स में कैद रहना, शारीरिक कार्यों में कमी और घरेलू कलह ने बात और बिगाड़ दी. जैसेतैसे सालभर बाद लोगों को आस लगी कि अब सबकुछ सामान्य हो जाएगा, लोग पहले की तरह बाजारों में घूम सकेंगे, पार्कों में जौगिंग कर पाएंगे, रैस्टोरैंट में खाना खा सकेंगे यानी जिंदगी नौर्मल ट्रैक पर आ सकेगी और आई भी.

लेकिन एक बार फिर कोरोना अपने भयानक रूप से लोगों को डरा रहा है. लिहाजा, सरकार को कई जगहों पर कर्फ्यू व लौकडाउन लागू करना पड़ा है और कई जगह करने की योजना बनाई जा रही है. ऐसे में मौजूदा कर्फ्यू व लौकडाउन की स्थिति का हमारी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा, आइए इस बारे में जानते हैं.

बोरियत बढ़ेगी

पिछली बार जब लौकडाउन लगा था, तब शुरुआती समय में लोग खुश थे कि चलो इस बहाने खुद व परिवार के लिए समय तो मिला. लेकिन जैसेजैसे दिन आगे बढ़ते गए, बोरियत बढ़ती गई. धीरेधीरे ऐसा लगने लगा कि हम जेल में सजा काट रहे हैं. न तो घूमनेफिरने की आजादी थी और न ही खेलकूद में वह मजा. तभी तो अनलौक की प्रक्रिया शुरू होते ही लोगों के चेहरे पर फिर से रौनक लौटने लगी थी और वे फिर से ऐसे दिनों की कल्पना भी नहीं करना चाहते थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...