अगर मन में कुछ अलग करने का जज्बा हो, तो आप किन्हीं भी हालात में कामयाब होंगे. महाराष्ट्र के पनवेल की 22 वर्षीय प्रिसिलिया मदान और 26 वर्षीय सुमित परिन्जे इस की ताजा मिसाल हैं. दोनों की जोड़ी श्रीलंका से खार डूंगला तक बैंबू से बनी साइकिल से साइक्लिंग कर ‘गर्ल चाइल्ड’ की शिक्षा के लिए जागरूकता और फंड को बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं. 63 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में वे छोटेछोटे गांवों और शहरों के लोगों से मिलेंगे. इस से इकट्ठा किए गए करीब क्व50 लाख के फंड से 1,500 लड़कियां पढ़ेंगी. इसे वे अपना बड़ा अभियान मानते हैं.

सफलता का सफर

बचपन से ही कुछ अलग करने की चाहत रखने वाली प्रिसिलिया के पिता धनंजय मदान भी साइक्लिस्ट थे. उन्होंने काम के साथसाथ कई अवार्ड्स भी जीते हैं. यहीं से प्रिसिलिया को प्रेरणा मिली. उन्होंने कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया है. 3 साल पहले वे मुंबई से पुणे तक 50 किलोमीटर साइकिल चला चुकी हैं. इस से पहले ‘कुल्लू टु खार डूंगला’ 600 किलोमीटर साइकिल चला कर ‘लिम्का बुक औफ रिकौर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने पनवेल से पुरी तक 2,200 किलोमीटर का सफर भी साइकिल से ही तय किया है. समस्या उन्हें तब आती है जब सफर के अंत में साइकिल खराब होने लगती है, लेकिन उन्हें उसे ठीक करना भी आता है.

इस अभियान में बैंबू साइकिल चलाने की वजह के बारे में पूछे जाने पर वे बताती हैं कि जब उन्होंने सोलो साइकिल चलाई तो मीडिया उन तक पहुंचा. इस से कुछ लोग उन से जुड़े. उन में से एक ने उन से बैंबू साइकिल चलाने की बात कही. प्रिसिलिया को सुझाव अच्छा लगा. थोड़ीबहुत फेरबदल के बाद उन्होंने ओके किया.

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