बहुत अफसोस होता है जब हम देखते हैं कि हमारे देश में आज भी लोग लोकपरलोक में उलझे हुए हैं. नित नएनए बाबाओं का जन्म होते देख और लाखोंकरोंड़ों लोगों को उन के पीछे भागते देख बड़ा दुख होता है.

इन बाबाओं के पास बेशुमार धन मिलना इस बात का सबूत है कि इन के अनुयायी गरीब नहीं होते. हैरानी होती है जब बड़ेबड़े नेता, अभिनेता, व्यापारी, अधिकारी, जो वर्षों कड़ी मेहनत के बाद अपने इस पद तक पहुंचते हैं, इन चंद उपदेश देने वालों के अनुयायी बन अपना इतनी मेहनत से कमाया धन और समय बरबाद करते हैं.

देश के अमीर होते मंदिर और गरीब होते किसी भी जागरूक व्यक्ति की परेशानी में बल डालने के लिए काफी हैं. हिंदू समाज में मनुष्य के जन्म लेते ही कर्मकांड, आडंबर, चढ़ावा यह सब भी जन्म ले लेते हैं और फिर मृत्यु के बाद तक मतलब कि 13वीं, बरसी व श्राद्ध तक चलते रहते हैं.

अमीर होते मंदिर

हमारे देश में गरीब चाहे और गरीब हो रहा हो, दिनभर कड़ी मेहनत करने के बाद भी वह अपने परिवार के लिए 2 वक्त का खाना नहीं जुटा पाता है, लेकिन हमारे मंदिर चढ़ावा संस्कृति व अंधविश्वास के कारण खूब फूलफल रहे हैं, जहां अमीर वर्ग ही नहीं, बल्कि औसत आय वर्ग के लोग भी अपनी कमाई का काफी हिस्सा दान कर देते हैं. पता नहीं क्या पाने की कामना में?

भारत के सब से अमीर 10 मंदिर

केरल का पद्मनाभन मंदिर, आंध्र प्रदेश का तिरुमाला तिरुपति वैंकटेश्वर, शिरडी साईं बाबा मंदिर, जम्मू का वैष्णो देवी मंदिर, मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, अमृतसर का गोल्डन टैंपल, मदुरई का मीनाक्षी मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ और गुजरात का सोमनाथ मंदिर.

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