शर्म आती है ऐसी नीची सोच रखने वाले लोगों पर. एक स्त्री के मासिक धर्म(पीरियड्स) को अपवित्र मानने वाले लोगों ने ही इस तरह की परंपरा बनाई है. अरे अपनी आंखों को खोल कर देखो की जिस पीरियड्स को तुम अपवित्र मानते हो असल मे उसी वक्त एक स्त्री सबसे ज्यादा पवित्र होती है.

मासिक धर्म तो एक प्रक्रिया है जिससे एक स्त्री हर महीने गुजरती है. दर्द सहन करती है,  तकलीफ सहन करती है. अरे जिस वक्त स्त्री को परिवार के सहयोग की आवश्यकता होती है उस वक्त लोग उसके साथ ऐसा बर्ताव करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये कुरीति आयी कहां से? ये कुरीति समाज में उन पुर्खों ने उन पंडितों ने फैलाया जो खुद को भगवान का का बहुत बड़ा भक्त मानते हैं.

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भला ऐसी भक्ति का क्या फायदा जो समाज के लिए ज़हर बन जाये. एक स्त्री के परिवार वाले भी खुश नहीं होते हैं उसके साथ ऐसा बर्ताव करके क्योंकि वो उसके करीबी हैं, लेकिन इन पंडितों ने जो पवित्र -अपवित्र की बातें लोगों के दिमाग मे डाली हैं उससे मजबूर हैं.  एक स्त्री पीरियड्स के दिनों को कैसे काटती है , शायद इन पुरुषों को ये पता नहीं क्योंकि वो खुद इन सबसे नहीं गुज़रते हैं. मानती हूं पुरुष और स्त्री दोनों में अंतर है लेकिन इन रूढ़िवादी स्त्रियों को क्या कहें?

जो खुद सब जानते हुए भी सही और गलत में फर्क नहीं करतीं.  जानकारी के लिए बता दू कि महिला का शरीर हर महीने गर्भ की तैयारी करता है, जो गर्भाशय की नलिका में चला जाता है. इसी समय महिला के गर्भाशय की परत में रक्त जमा होता रहता है ताकि गर्भ के बैठने पर उस रक्त से बच्चा विकसित हो सके. गर्भ के न बैठने पर ये परत टूट जाती है और जमा रक्त पीरियड्स में योनि के माध्यम से निकल जाता है. इस रक्त के द्वारा शरीर के बैक्टीरिया भी निकल जाते हैं. तो अब आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि पीरियड्स क्यों जरूरी है और इसमें कितनी पवित्रता है.

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