देश की मौत !  कारण बनेगा वायरस. नोवल कोरोना का कहर. कोविड-19 महामारी का महानाश. सत्यानाश-दर-सत्यानाश. दुनिया की मानवता कहां चली गई? वैश्विक संस्थाएं क्या अपना दायित्व नहीं निभा रहीं? इंसानियत के लिए काम कर रहे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को क्या सभी देशों से सहयोग नहीं मिल पा रहा? ये सवाल हर इंसान के जेहन में उठने स्वाभाविक हैं.

एक देश के सभी देशवासी तकरीबन मरने की कगार पर हैं, यानी देश मृतप्राय है, वह भी अंतिम तौर पर क्रूर कोरोना के चलते. उस देश का नाम किसी और ने नहीं, बल्कि यूनाइटेड नेशंस और्गेनाइजेशन (यूएनओ) यानी संयुक्त राष्ट्र संघ ने बताया है जो हो सकता है कोरोना की वजह से बच पाने में सफल न हो पाए. और, वह देश है यमन.

यूएनओ का कहना है कि जिस तरह की समस्याएं यमन में हैं और जिस तरह से वह आर्थिक, स्वास्थ्य व सामाजिक क्षेत्रों में जूझ रहा है उस से इस बात की आशंका है कि कोरोना के सामने वह पूरी तरह से टूट जाए. किसी भी स्तर पर वह वायरस से लड़ने की स्थिति में नहीं है. शेष विश्व मदद नहीं करेगा, तो वह ख़त्म सा हो जाएगा.

जान लें कि यमन मध्यपूर्व एशिया का एक स्वतंत्र देश है, जो अरब प्रायद्वीप के दक्षिणपश्चिम में स्थित है. 2 करोड़ आबादी वाले यमन की सीमा उत्तर में सऊदी अरब, पश्चिम में लाल सागर, दक्षिण में अरब सागर और अदन की खाड़ी और पूर्व में ओमान से मिलती है. यमन की भौगोलिक सीमा में लगभग 200 से ज्यादा द्वीप भी शामिल हैं, जिन में सोकोत्रा द्वीप सब से बड़ा है. यमन की कैपिटल सिटी यानी राजधानी साना है.

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