Famous Hindi Stories : ‘‘ नै ना, सुरेश तुम से जिस तरह से बात करता है, तुम कैसे सहन करती हो? कितना उद्दंड हो कर बात करता रहता है तुम से?’’ ऋतु ने कहा.
‘‘अरे, यह उस के बात करने का स्टाइल है, कोई उद्दंडता नहीं करता है वह,’’ नैना ने जवाब दिया.
‘‘ऐसा भी क्या स्टाइल जो असभ्य लगे? सभ्य समाज में इसे स्टाइल नहीं गंवारपन का उदाहरण माना जाएगा,’’ नैना ने कहा.
नैना चुप रह गई. क्या कहती वह? ऋतु ही नहीं उस के घरपरिवार वालों को, मित्रोंपरिचितों को भी यह शिकायत थी कि सुरेश के बात करने का लहजा सही नहीं है, उस के व्यवहार में असभ्यता की बू आती है.
मगर नैना को ऐसा नहीं लगता था. वह सुरेश के साथ डेटिंग कर रही थी. वैसे वह बहुत नम्र नहीं था, साथ ही उस के जितना शिक्षित भी नहीं था. ज्यादा शिक्षित नहीं होने के उस के परिवार की परिस्थितियां जिम्मेदार थीं. पिता की असामयिक मौत के कारण कुछ दिनों तक उस की मां जैसेतैसे परिवार का गुजारा करती थी. बड़ा होने पर सुरेश ने घर की जिम्मेदारी संभाल ली थी. वह नैना के साथ तूतड़ाक कर के बातें करता था और इस कारण नैना के नजदीकी लोगों को लगता था कि वह नैना के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं करता है. पर उस के घर और समाज के माहौल के कारण ही उस का ऐसा व्यवहार है, ऐसा नैना का विचार था. निश्चित रूप से वह इसे उस के व्यक्तित्व में कमी मानती थी लेकिन उस के व्यक्तित्व में कई अच्छाइयां भी थीं. वह काफी सहयोगात्मक रवैए वाला व्यक्ति था. उस की सहायता करने के लिए तो वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता था. उसी की क्यों वह सब की सहायता करने के लिए तत्पर रहता था. नैना को लगता था कि क्यों नहीं उस की अच्छाइयों पर ध्यान दिया जाए बजाए उस की कमियों के.
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