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दूसरे दिन अरुण पहुंच गया. सभी नौकरों ने सूचना दी कि रूपा का ऐक्सीडैंट हुआ है जब वह 3-4 दोस्तों के साथ थी. उसे चोट तो नहीं लगी पर एक दोस्त बुरी तरह घायल है जिस की वजह से वह शौक में है.

शिखा खामोश थी. वह अरुण को सीधे अपने कमरे में ले गई. अरुण बहुत घबराया

हुआ था. शिखा ने उसे अपने कमरे में ला कर धीरे से कहा, ‘‘आप घबराइए नहीं, कोई

ऐक्सीडैंट नहीं हुआ है. रूपा का मन ठीक है, किसी लड़के ने उसे प्यार में धोखा दे कर छोड़ दिया है,’’ कहते हुए उस की आंखों में आंसू आ गए.

अरुण सारी स्थिति समझ गया. पर करता क्या. धीरे से शिखा से बोला, ‘‘अगर कहो तो उस लड़के से बात करूं?’’

शिखा ने समझते हुए कहा, ‘‘क्या बात करोगे. वह लड़का साफ झूठ बोल जाएगा. पहले तो किसी लेडी डाक्टर को दिखा कर यह पता लगाओ कि कहीं रूपा को गर्भ तो नहीं ठहर गया है.’’

यह सुन कर अरुण भी परेशान हो उठा. पर पुरुष होने के नाते उस ने शिखा से कहा,

‘‘तुम घबराओ नहीं, मैं कल ही इंतजाम कर दूंगा. किसी को पता भी नहीं लगेगा.’’

यह सुन कर शिखा की घबराहट थोड़ी कम हो गईर्. फिर अरुण रूपा के कमरे में आया. उस का रूपा से मिलने का उत्साह थोड़ा ठंडा हो गया था. पर उस ने यह जाहिर नहीं किया. बोला, ‘‘रूपा बेटी, कैसी हो?’’

रूपा ने अपना चेहरा झुका लिया. उस की आंखों में लाचारी के आंसू तैरने लगे. वह कुछ बोल नहीं पा रही थी.

अरुण ने ही उस के बाल सहलाते हुए कहा, ‘‘बेटी, तुम बिलकुल न घबराओ. अब तो मैं आ ही गया हूं.

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