Romantic Story: हर रोज की तरह आज भी शाम की चाय पीने के बाद तृष्णा अपने कमरे की गैलरी में भावशून्य सी खड़ी बाहर की ओर टकटकी लगाए देख रही थी. अपने बंगले की सब से प्यारी जगह उसे अपनी गैलरी ही लगती थी, वहां से वह मसूरी की खूबसूरत वादियों, आकाश में उड़ते पंछियों, मुसकराते फूलों और उन पर मंडराते भौंरों व तितलियों को घंटों निहारती रहती हैं. एक ऐसी प्यास है तृष्णा की आंखों में जो उस के नाम को सार्थक करती है लेकिन आज तक इस बंगले का कोई भी व्यक्ति यह न जान पाया कि वह कौन सी तृष्णा है इस तृष्णा के भीतर.
अभी बारिश का महीना है और पहाड़ों में बारिश का अंदाज ही कुछ और होता है. यह वही समझ सकता है जिसे यहां की बारिश की बूंदों ने छुआ हो, बारिश की फुहार बेरंग होते हुए भी फिजाओं को खुशगवार और रंगीन बना देती है लेकिन आज की इस मूसलाधार बारिश में ऐसी कोई बात नजर नहीं आ रही है. ऐसा लग रहा है जैसे आज की यह तूफानी बारिश किसी की जीवनदशा को मोड़ने या फिर बिखेरने के लिए बरस रही हो. यह तूफानी बारिश न जाने क्या कहर बरसाने वाली है. इतनी घनघोर बारिश और तेज हवा में भी तृष्णा अपनी गैलरी में मसूरी के अडिग पहाड़ों की तरह तटस्थ खड़ी हुई है.
वैसे तो यहां पहाड़ियों में अंधेरा जल्दी घिर आता है लेकिन आज की इस तूफानी बारिश की वजह से समय से पहले ही अंधियारे ने दस्तक दे दी. स्ट्रीट लाइट और बंगले की लाइट जलने के बावजूद सबकुछ धुंधला दिखाई दे रहा है. तभी बंगले के गेट के करीब एक औटोरिकशा आ कर रुका. उस में से एक औरत उतरी और उस ने अपना छाता खोला और फिर बंगले की ओर बढ़ने लगी. तभी जोरदार बिजली कौंधी जिस से उस औरत का खूबसूरत चेहरा तृष्णा ने देखा और देखती रह गई.
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