Hindi Satire : अहा ! फिर चौदह फरवरी का जानी दुश्मन दिन फिर आ रहा है. इस दिन का इंतजार असली तो असली, तथाकथित मजनू तक को बेकरारी से रहता है. आह! देखो तो वह हाथ में गुलाब लिए खून की कमी से लथपथ हो गुलाल हुआ कैसे मचल रहा है. कामदेव! उसकी रक्षा करें!
हे चौदह फरवरी का कभी मेरी तरह बेकरारी से इंतजार करने वाले न्यू मजनुओ. मैंने भी कभी हाथ में उधार का रोज़ ले तुम्हारी तरह चौदह फरवरी का बेकरारी से इंतजार किया था. आज मेरा जो ये हाल लाख छुपाने के बाद भी जग जाहिर है न! सब चौदह फरवरी की वजह से है. न उस दिन हाथ में उधारी का रोज लिए हाय! हाय! किया होता, न आज आठ पहर चौबीस घंटे सौ प्रतिशत शुद्ध जहर का घूंट पिया होता. तब सोचा था, इधर मेरा उधारी का रोज कुबूल हुआ तो उधर मुझे जन्नत मिली. पर मुझे क्या पता था कि जिसे मैं जन्नत समझ रहा था, वह मेरे लिए नरक साबित होगा.
इसलिए हर फरवरी की तरह इस फरवरी भी तुम्हें अगाह करना अपना नैतिक दायित्व मानते हुए तुम्हें वैधानिक चेतावनी दे रहा हूं कि किसीको रोज देने से पहले रोजगार का इंतजाम करो. क्योंकि रोज लेने वाली पहले बंदे का रोजगार देखती है. उसके बाद उसका रोज देखती है. प्रेम से पहले पेट के लिए रोजगार जरूरी है.
आज के समय में जिसके पास रोजगार नहीं, उसे रोज देने का कोई हक नहीं. भले ही उसके दिल में प्रेम आठ समुद्र हिलोरें क्यों न मार रहा हो. और सरकार है कि उसके पास अपने युवाओं को देने के लिए और तो सबकुछ है, पर रोजगार नहीं है.
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