आरोही ने रात 8 बजे औफिस से निकलते ही जय को फोन किया, ‘‘मैं अभी निकली हूं, तुम घर पहुंच गए?’’

‘‘हां, जल्दी फ्री हो गया था, सीधे घर ही आ गया. औफिस नहीं आया फिर.’’

‘‘डिनर का क्या करना है? कुछ बना लोगे या और्डर करना है? मु  झे भी घर आतेआते 1 घंटा तो लग ही जाएगा.’’

‘‘और्डर कर दो यार, कुछ बनाने का मन नहीं... और हां आइसक्रीम भी खत्म हो गई है, वह भी और्डर कर दो.’’

आरोही ने फोन रख दिया, दिन काफी व्यस्त रहा था, शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थक गई थी. अभी भी दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था...

जय और आरोही एक ही कंपनी में अलगअलग डिवीजन में काम करते हैं. आरोही पुणे की है और मुंबई में 2 साल से एक बड़ी कंपनी में जय से बड़ी पोस्ट पर है और बहुत अच्छी तरह अपनी लाइफ जी रही है. जय के साथ 1 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है. दोनों एक मीटिंग में मिले थे, एक ही बिल्डिंग में दोनों के औफिस हैं, बस अलगअलग हैं, जय दिल्ली का है. दोनों एकदूसरे के साथ खुशीखुशी फ्लैट शेयर कर रहे हैं और काम भी मिलबांट कर करते हैं.

दोनों के परिवार वालों को नहीं पता कि दोनों लिव इन में रहते हैं. आरोही का जय का मस्त स्वभाव बहुत अच्छा लगता है. जय को आरोही का जिम्मेदार स्वभाव भाता है. दोनों एकदूसरे से बिलकुल अलग हैं पर एकदूसरे को बहुत पसंद करते हैं. मगर आजकल जय के बारे में जितनी गहराई से सोचती जा रही थी, कहीं कुछ खल रहा था, जिस पर पहले कभी ध्यान नहीं गया था...

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