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मां मेरे गले लगने आई मैं एक कदम पीछे हट गई, आसपास रिश्तेदारों की भीड़ थी इसलिए थोड़ा पास आ कर मैं ने उन से कहा ‘‘आज कसम ले कर जा रही हूं, पीछे मुड़ कर नहीं देखूंगी, आज के बाद आप लोग मुझ से मिलने की कोशिश मत करना, खत्म हुआ इस घर से

मेरा रिश्ता.’’

फिर मैं ने मुड़ कर नहीं देखा, हेमंत ने शादी तो की लेकिन पति बनने की कोशिश नहीं की... मुझ से दूर रहते थे... पहले तो मुझे लगा शायद मेरी बेरुखी और उदास रवैए की वजह से मुझ से दूर है, मगर मेरी यह गलतफहमी अमेरिका जाने के बाद दूर हुई... वहां पता चला हेमंत पहले से शादीशुदा है, मुझ से शादी उस ने घर वालों के लिए किया है, मुझे ये सुन कर बहुत खुशी हुई क्योंकि मैं खुद इस रिश्ते के बंधन से आजादी चाहती थी, मैं सिर्फ सुमित की थी मरते दम तक उसी की रहूंगी लेकिन मेरी मजबूरी थी कि मैं हेमंत के साथ रहूं, उस की पत्नी जेनी का मेरे साथ व्यवहार अच्छा था.

कुछ दिनों के बाद उस ने तलाक देने की बात कर मुझे इस मुश्किल परिस्थिति से अपना रास्ता निकालने का उपाय दे दिया... मैं ने एक शर्त रखी, ‘‘तलाक देने के लिए मैं तैयार हूं, बस मुझे यहां रहने और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए सपोर्ट करो. लेकिन सपोर्ट मुझे लोन की तरह चाहिए क्योंकि मैं वापस भारत नहीं जाना चाहती, मेरी पढ़ाई पूरी होते ही सारे पैसे चुका दूंगी.’’

वे दोनों मान गए और शुरू हुई मेरी एक नई कहानी... वह कहते हैं जो होता है अच्छे के लिए होता है, यह मेरे लिए अच्छा था... चार्टड एकाउंटैंट बनने का मेरा सपना पूरा हुआ, अमेरिका में मेरा खुद का लौ फर्म है, कुछ साल काम करने के बाद हेमंत का एकएक पैसा मैं ने वापस कर दिया था, लेकिन उस का एहसान नहीं भूल सकती. जब सारे रास्ते बंद थे तब हेमंत और जेनी ही मेरे साथ थे... बीते इन सालों में हेमंत का परिवार ही मेरा परिवार था, उस की पत्नी जेनी मेरी बैस्ट फ्रैंड बन गई थी. सुमित की बहुत याद आती थी. उस से बात करने के लिए न जाने कितनी बार फोन उठाया पर हिम्मत नहीं कर पाई... अनजाने में ही सही मैं अपनी प्रेम कहानी में गलत बन गई.

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